14 जनवरी 2022

Today Makar Sankranti Festival India 14 January 2022

                                                          


धारावाहिक लेख:- मकरसक्रांन्ति,14 जनवरी 2022, भाग-सम्पूर्ण

सूर्य का मकर राशि प्रवेश- 14 जनवरी 2:27 pm सक्रांति पुण्यकाल:-8:05 am से 5:45 pm तक

महापुण्य काल मुहूर्त:-2:12 pm से 2:36 pm तक

अवधि:- 24 मिनट

मकरसक्रांन्ति भारत के वैदिककालीन पर्वो मे से एक पर्व है, जोकि हर वर्ष प्रायः 14 जनवरी को आता है वर्ष 2022 मे, 14 जनवरी 2:27 pm पर सूर्य राशि परिवर्तन करके मकर राशि मे प्रवेश कर रहे हैं, अतः मकरसंक्रांति का पुण्यकाल प्रातः सूर्योदय 8:05 am से प्रांरभ होकर 5:45 pm तक अधिक प्रभावी रहेगा । परंतु इस समय के भीतर यदि स्नान-दान इत्यादि पुण्य कर्म न भी कर पाये तो भी पूरे दिन भर संक्रांति का स्नान-दान इत्यादि किया जा सकता है। एक अन्य मत के अनुसार ऐसा भी माना जाता है कि मकर संक्रांति पर सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक पुण्यकाल रहता है।

क्या होती है सक्रांति :-

 सूर्य साल के बारह महीनो मे प्रत्येक माह एक एक राशि मे भ्रमण करते है, और प्रत्येक अंग्रेज़ी माह के मध्य 15 तारीख़ के लगभग एक राशि से दूसरी राशि मे सूर्य के प्रवेश करने के समय को ही सक्रांति कहते है । 

क्यो शुभ होती है मकर सक्रांति:-

 मघ्य दिसम्बर से 13 जनवरी तक सूर्य धनु राशि मे होते है, धनु राशि मे सूर्य के होने से "पौष का महीना" अर्थात "मलमास" होता है, जिसमे सभी तरह के ब्याह-शादी आदि समस्त शुभ कार्य वर्जित होते है, और जब सूर्य इसी धनु राशि से निकल कर मकर राशि मे प्रवेश करते है तो "उतरायण अर्थात शुभ मांगलिक" कार्यो की शुरुआत का समय आंरभ हो जाता है । छह माह के काल "उतरायण" आंरभ होने के दिन को ही मकरसंक्रान्ति पर्व के रुप मे मनाया जाता है ।

दरअसल सूर्य वर्ष के बारह महीनो मे प्रत्येक माह अलग-2, बारह राशियो मे भ्रमण करते है:-

1. सूर्य का दक्षिणायन

मध्य जुलाई से लेकर 13 जनवरी तक के इस समय यानि ( सूर्य के कर्कराशि से धनु राशि तक के भ्रमण  के समय) भ्रमण को दक्षिणायन कहते है ।

 दक्षिणायन सूर्य के समय सूर्य मे बल अर्थात तेज नही होता। इस वजह से छः माह के इस काल को मुर्हूत, आदि शुभ तथा मांगलिक कार्यो के लिए अच्छा नही माना जाता ।

दक्षिणायन काल में सूर्य दक्षिण दिशा की ओर झुकाव के साथ गति करने लगता है। मान्यता है कि दक्षिणायन का काल देवताओं की रात्रि है।

दक्षिणायन में रातें लंबी हो जाती है। 

दक्षिणायन व्रत और उपवासों का समय होता है। इस दिन कई शुभ और मांगलिक कार्य का करना निषेध होता है। सूर्य का दक्षिणायन होना कामनाओं और भोग की वृद्धि को दर्शाता है इसलिए इस समय में किए गए कार्य जैसे पूजा, व्रत आदि से दुख और रोग दूर होते हैं।

2. सूर्य का उत्तरायण

"14 जनवरी मकर संक्रान्ति" से लेकर "मिथुन संक्रान्ति- यानि मध्य जुलाई", तक के काल को सूर्य का उतरायण काल माना जाता है । जिसे शुभ काल कहते है । सूर्य के इस उत्तरायण काल को शुभ तथा मांगलिक कार्यों के लिए शुभ माना जाता है ।

शास्त्रों के अनुसार, दक्षिणायण को देवताओं की रात्रि अर्थात् नकारात्मकता का प्रतीक तथा उत्तरायण को देवताओं का दिन अर्थात् सकारात्मकता का प्रतीक माना गया है।

मत्स्य पुराण और स्कंद पुराण में उत्तरायण के महत्व का विशेष उल्लेख मिलता है। मान्यता है कि आध्यात्मिक प्रगति और ईश्वर की पूजा-अर्चना के लिए उत्तरायण काल विशेष फलदायी होता है।

इस प्रकार सूर्यदेव की यह संक्रमण क्रिया छह-२  महीने की अवधि की होती है, अर्थात दोनो अयन 6-6 महीने के होते हैं।

इस प्रकार मकर संक्रान्ति से पहले सूर्य छः महीने तक दक्षिणायन मे होने से जो शुभ कार्य प्रतिबन्धित होते है, वह सब कार्य मकर सक्रांति (यानि सूर्य के उतरायण) होने से खुल जाते है, इसी खुशी को मानने का पर्व है मकर सक्रांति । 

इस दिन सूर्य के उत्तरायण मे होने से दिन बडे तथा राते छोटी होना शुरू हो जाती है ।

मकरसंक्रान्ति वास्तव मे एक ऋतुपर्व है, इस दिन से भगवान सूर्य के उतरायण होने से देवताओ का ब्रह्ममुहूर्त आरम्भ हो जाता है, अर्थात इन छः महीनो को साधनाओ और परा-अपराविद्याओ की प्राप्ति का भी काल माना जाता है ।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भी  गृृहनिर्माण, देवप्रतिष्ठा, यज्ञ, आदि समस्त शुभकार्य और मुर्हूत उत्तरायण काल मे ही होने चाहिए । यहां तक की विभिन्न शुभकार्यो के अतिरिक्त मृृत्यु के लिए भी "उत्तरायण काल" को ही शुभ माना गया है, इन महीनो मे मृृत्यु होने से यमलोक अर्थात नरक जाने की संभावना कम रहती है ।

सूर्य का उत्तरायण प्रवेश जन-जन को प्राणहारी सर्दी की समाप्ति एवं वसन्त का शुभागमन का संदेश होता है । इस शुभ दिन को देश भर के विभिन्न प्रान्तो मे भिन्न-२ नामो से मनाया जाता है, दक्षिण भारत मे इसे पोगल के नाम से मनाया जाता है । 

मकरसंक्रान्ति की शुभता का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि हिन्दु धर्म मे काले रंग को अशुभ  माना गया है, क्योकि काले रंग मे तमोगुणी तंरगो को ग्रहण करने की अधिक क्षमता होती है, परन्तु मकरसंक्रान्ति के दिन वातावरण मे रज तथा सत्वतंरगो की अधिकता होती है, इसीलिए मकरसंक्रान्ति के दिन काले रंग के वस्त्रो को उपयोग मे लाने की अनुमति सनातन धर्म ने दी है ।

शास्त्रो मे उल्लेख है की भगवान विष्णु भी मकर संक्रान्ति तथा माघमास की शुभता एवम् इनके स्नान के विषय मे कहते है की भगवान की भक्ति-पूजा करो या न करो, लेकिन यदि "मकरसंक्रान्ति स्नान" या "माघमास" के स्नान करते हो, तो अनन्त पुण्य फल की प्राप्ति अवश्य ही होती है ।

सूर्य की सातवीं किरण भारत वर्ष में आध्यात्मिक उन्नति की प्रेरणा देने वाली है। सातवीं किरण का चमत्कारी प्रभाव भारत वर्ष में गंगा-यमुना के जल मे अधिक समय तक रहता है। इस भौगोलिक स्थिति के कारण ही हरिद्वार और प्रयाग में माघ मेला अर्थात मकर संक्रांति या पूर्ण कुंभ तथा अर्द्धकुंभ के विशेष उत्सव का आयोजन होता है।

ब्रह्मर्षि भृगु जी कहते है, संक्रान्ति एवं माघ के स्नान से सब पाप नष्ट हो जाते है, यह सब व्रतो से बढ़कर है, तथा यह सब प्रकार के दानो का फल प्रदान करने वाला है, जिनके मन मे स्वर्गलोक भोगने की अभिलाषा हो, आयु, आरोग्यता, रुप, सौभाग्य, एवं उत्तम गुणो मे जिनकी रुचि हो वह ,तथा वह व्यक्ति जो दरिद्रता, पाप और दुर्भाग्य रुपी  कीचड़ को धोना चाहते है, उन्हे मकरसंक्रान्ति तथा माघमास के स्नान अवश्य करने चाहिए ।

मकर संक्रान्ति का ऐतिहासिक महत्व:-

1. सूर्यदेव का पुत्र शनि की मकर राशि मे प्रवेश का पर्व:-

शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं, और इस दिन सूर्य मकर राशि मे प्रवेश करते है, अत: इस दिन को मकर संक्रान्ति के नाम से जाना जाता है, ऐसी मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं। चूंकि शनि मकर व कुंभ राशि का स्वामी है। लिहाजा यह पर्व पिता-पुत्र के अनोखे मिलन से भी जुड़ा है। एक मास मकर राशि मे गोचर करने के उपरांत कुंभ राशि मे प्रवेश करते है। 

2. मकरसंक्रांति के दिन भगीरथ ऋषि द्वारा पूर्वजों का उद्धार:-

मकर संक्रान्ति के दिन ही गंगा को धरती पर लाने वाले भगीरथ ऋषि ने अपने पूर्वजों के उद्धार के लिए इसी दिन तर्पण किया था। उनका तर्पण स्वीकार करने के बाद इसी दिन गंगा कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई समुद्र में जाकर मिल गई थी।

कपिल मुनि ने अपने आश्रम मे गंगा मां के प्रवेश करते हुए प्रसन्नता से आह्लादित होते हुए, वरदान देते हुए कहा, 'मां गंगे त्रिकाल तक जन-जन का पापहरण करेंगी और भक्तजनों की सात पीढ़ियों को मुक्ति एवं मोक्ष प्रदान करेंगी। गंगा जल का स्पर्श, पान, स्नान और दर्शन सभी पुण्यदायक फल प्रदान करेगा।" 

3. भीष्म पितामह की इच्छा मृत्यु

मकर संक्रांति का महाभारत में भी वर्णन किया गया है, पुराणों में कहा गया है कि सूर्य के मकर राशि में होने से मृत्यु को प्राप्त व्यक्ति की आत्मा मोक्ष को प्राप्त करती है, इसकी एक कथा भीष्म पितामह के जीवन से जुड़ी हुई है। भीष्म पितामह को इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था। महाभारत के युद्ध में अर्जुन के बाणों से घायल भीष्म पितामाह ने गंगा के तट पर सूर्य के मकर राशि में प्रवेश का छब्बीस दिनों तक इंतजार किया था। इच्छा मृत्यु का वरदान मिलने के कारण वह मोक्ष की प्राप्ति के लिए सूर्य के उत्तरायण होने तक जीवित रहे।

4. भगवान विष्णु द्वारा असुरों का संहार:-

मकर संक्रांति के दिन को बुराइयों और नकारात्मकता को खत्म करने का दिन माना जाता है क्योंकि मकर संक्रांति के दिन ही भगवान विष्णु ने असुरों का अंत करके युद्ध समाप्ति की घोषणा की थी। उन्होंने सभी असुरों के सिरों को मंदार पर्वत में दबा दिया था। तभी से भगवान विष्णु की इस जीत को मकर संक्रांति पर्व के तौर पर मनाया जाने लगा।

5. यशोदा मैय्या:-

एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार यशोदा मैय्या ने इस दिन श्रीकृष्ण के जन्म के लिए यह सक्रांति का व्रत रखा था, तब उसी दिन से मकर संक्रान्ति के व्रत की परिपाटी चली आ रही है।

6. फसलों की कटाई का त्यौहार:-

नई फसल और नई ऋतु के आगमन के तौर पर भी मकर संक्रांति धूमधाम से मनाई जाती है। पंजाब, यूपी, बिहार समेत तमिलनाडु में यह वक्त नई फसल काटने का होता है, इसलिए किसान मकर संक्रांति को आभार दिवस के रूप में मनाते हैं।

7. संक्रांति को देवता माना गया है। शास्त्रो मे वर्णन  है, कि संक्रांति ने संकरासुर दानव का वध किया ।

मकर संक्रांति 2022 के विशेष योग तथा शुभाशुभ फल:-

मकर संक्रान्ति 14 जन शुक्रवार को दोपहर, 2 बजकर 27 मिंनट पर वृष लग्न में प्रवेश करेगी। इस संक्रांति का पुण्यकाल प्रातः 8 बजकर 05 मिंनट बाद से सारा दिन रहेगा। वार के अनुसार मिश्रा तथा नक्षत्र के अनुसार नन्दा नामक यह सक्रांति ब्राह्मण पशुओं, शिक्षित वर्ग के लिए लाभकारी रहेगी। इस दिन तीथों पर स्नानदानादि का भी विशेष माहात्म्य होता है। वहाँ न जा सके तो गृह में ही श्रद्धापूर्वक स्नान करें, वहीं उनका स्मरण करें। तथा निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करें:-

गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वती, नर्मदे सिन्धु कावेरि जलेऽस्मिन् संनिधं कुरु।

14 जनवरी से भारत की प्रभाव राशि मकर पर सूर्य बुध-शनि योग रहने से केन्द्रीय अथवा किसी राज्य मन्त्रीमण्डल में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन होने के संकेत हैं। कुछ राज्यों में शासन परिवर्तन, विपरीत जलवाणु एवं प्राकृतिक प्रकोणों से खड़ी फसलों का हानि पहुँचे। 

सक्रांति राशिफल- यह सक्रांति, मेष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, धनु, मकर, कुम्भ तथा मीन राशि वालों के लिए लाभदायक रहेगी। 

मकरसंक्रान्ति पर किए जाने वाले शुभ कार्य तथा दान कर्म:-

सक्रांति काल में तीर्थ स्नान का विशेष महत्त्व हैं । गंगा, यमुना, गोदावरी, कृष्णा एवं कावेरी नदियों के किनारे स्थित क्षेत्र में स्नान करने वाले को महापुण्य का लाभ मिलता है।’

 इस संक्रांति में दान का बड़ा महत्व बताया है। कहते हैं इस संक्रांति में किया गया स्नान-दान इत्यादि शुभ कर्म लोक-परलोक दोनों में ही सुख और समृद्धि प्रदान करता है। 

1. मकरसंक्रान्ति के शुभ दिन प्रातःकाल से लेकर सूर्यास्त तक देश के किसी भी पवित्र तीर्थ स्थान, संगमस्थल, नदी, कुंओ, बावडी, सरोवर इत्यादि मे स्नान करे। गंगा, यमुना, गोदावरी, कृष्णा व कावेरी इन तीन नदियो मे, तथा गंगासागर जैसे तीर्थों मे स्नान करने से अधिक पुण्य मिलता है । 

जो लोग व्यस्तताओ के कारण इन स्थानो पर न जा पाये वह प्रातःकाल स्नान के जल मे गंगाजल मिलाकर स्नान करे, संभव हो तो नहाने के जल की बाल्टी लेकर बाहर खुले मे स्नान करे, क्योकि इस दिन वातावरण मे शुभ सत्च तंरगे अघिक होती है ।

2. स्नान करने के उपरांत एक तांबे के लोटे मे जल भरकर उसमे थोडा गुड, लाल चंदन, रोली, चावल, तथा लाल फूल डालकर मंत्र बोलते हुए सूर्यदेव को अर्ध्य दे ।

मन्त्र 

1. ऊं सूर्याय नम: ऊं आदित्याय नम: ऊं सप्तार्चिषे नम:

2. ऋड्मण्डलाय नम: , ऊं सवित्रे नम: , ऊं वरुणाय नम: , ऊं सप्तसप्त्ये नम: , ऊं मार्तण्डाय नम: , ऊं विष्णवे नम:

3.शिव मंदिर मे जलाभिषेक करके तिल के तेल से ज्योत जलाये ।  

4. श्रीविष्णु पूजन, सूर्यजप, सूर्याष्टकम,  पुरुषसूक्त तथा स्तोत्र पाठ करे ।

5. काले तिलो से पितृृश्राद्ध अर्थात तिलांजलि दे । विधिवत पितृरो के उद्धार के लिए इस दिन पिंडदान करना अत्यंत पुण्यदायी है ।

6. विद्धान को अन्नदान, घृत यानि धी दान, वस्त्रदान, रजाई-कम्बल, फल, तथा तिल और गुड से बने लड्डू-रेवडी, गुड, गाय, घोडा, स्वर्ण, नए बर्तन  इत्यादि यथाशक्ति दान करने से अनन्त पुण्य की प्राप्ति होती है।

7. जो व्यक्ति अपने ऊपर से ग्रहो का,या मारकेष का बुरा प्रभाव हटाना चाहे वह इस दिन तुलादान अवश्य करे ।

8. मकर सक्रांति के दिन उडद की दाल, चावल, देसी धी, तथा नमक का दान धर्म स्थान पर करे ।

9. इस दिन उडद की दाल की खिचड़ी बनाकर भगवान को भोग लगाकर अधिक से अधिक मात्रा मे बांटने से अत्यधिक पुण्य प्राप्ति होती है ।

इस पर्वकाल में किया गया दान एवं पुण्यकर्म विशेष फलप्रद होता है ।

10. तिल में सत्त्व तरंगें ग्रहण करने की क्षमता अधिक होती है । इसलिए तिल गुड का सेवन करने से अंतःशुद्धि होती है, अतः इस दिन तिल का तेल एवं उबटन शरीर पर लगाना, तिल मिश्रित जल से स्नान, तिल मिश्रित जल पीना, तिल होम करना, तिल दान करना, इन छहों पद्धतियों से तिल का उपयोग करने वालों के सर्व पाप नष्ट होते हैं।

11. संक्रांति के पर्वकाल में दांत मांजना, कठोर बोलना, वृक्ष एवं घास काटना तथा काम-विषय सेवन करना, ये कृत्य पूर्णतः वर्जित हैं।’

(समाप्त)

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आगामी लेख:-

1. 15 जन० को "उत्तरायण-दक्षिणायन" पर लेख

2. 16 जन० को "पौष पूर्णिमा" पर लेख।

3. 17 जन० को "शाकुंभरी जयंती" पर लेख।

4. 18 जन० को "माघमास" पर लेख।

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जय श्री राम

आज का पंचांग,दिल्ली 🌹🌹🌹

शुक्रवार,14.1.2022

श्री संवत 2078

शक संवत् 1943

सूर्य अयन- उतरायण, गोल-दक्षिण गोल

ऋतुः- शिशिर ऋतुः ।

मास- पौष मास।

पक्ष- शुक्ल पक्ष ।

तिथि- द्वादशी तिथि 10:21 pm

चंद्रराशि- चंद्र वृष राशि मे।

नक्षत्र- रोहिणी नक्षत्र 8:17 pm तक

योग- शुक्ल योग 1:33 pm तक (शुभ है)

करण- बव करण 8:58 am तक 

सूर्योदय 7:15 am, सूर्यास्त 5:45 pm

अभिजित् नक्षत्र- 12:09 pm से 12:51 pm

राहुकाल - 11:11 pm से 12:35 pm* (शुभ कार्य वर्जित,दिल्ली )

दिशाशूल- पश्चिम दिशा ।

जनवरी 2022-शुभ दिन:- 14, 16 (दोपहर 3 तक), 17 (दोपहर 4 उपरांत), 19, 20, 21 (सवेरे 9 उपरांत), 22, 23, 24 (सवेरे 9 तक), 26, 29

जनवरी 2022-अशुभ दिन:- 15, 18, 25, 27, 28, 30, 31

यमघण्टक योग :- 14 जन० 7:15 am से 14 जन० 8:18 pm तक  यह एक अशुभ योग हैं, यह कष्टदायक योग है, इसमे विशेष रूप से शुभ कार्य के लिए की जाने वाली यात्रा तथा बच्चो के शुभ कार्य न करे । परंतु इस कुयोग के साथ ही यदि कोई सर्वार्थ सिद्ध योग जैसा शुभ योग भी हो तो इस योग का दुष्प्रभाव जाता रहता है।

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आगामी व्रत तथा त्यौहार:- 

14 जन०- पोंगल/उत्तरायण/मकर संक्रांति, 2:29 pm( पुण्यकाल प्रातः 8:05 के उपरांत)। 15 जन०-शनि प्रदोष व्रत (शुक्ल)। 17 जन०-पौष पूर्णिमा व्रत/ सत्यनारायण व्रत/माघ स्नान प्रारम्भ। 21 जन०-संकष्टी चतुर्थी। 28 जन०-षटतिला एकादशी। 30 जन०- प्रदोष व्रत/मासिक शिवरात्रि।

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विशेष:- जो व्यक्ति वाराणसी  से बाहर अथवा देश से बाहर रहते हो, वह ज्योतिषीय परामर्श हेतु paytm या Bank transfer द्वारा परामर्श फीस अदा करके, फोन द्वारा ज्योतिषीय परामर्श प्राप्त कर सकतें है

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आपका दिन मंगलमय हो . 💐💐💐

आचार्य मोरध्वज शर्मा 

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर 

वाराणसी उत्तर प्रदेश

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English Translate :-

Serial Article:- Makar Sakranti, 14 January 2022, Part-Sampurna

Sun's entry into Capricorn - January 14 at 2:27 pm Sankranti Punyakal: -8:05 am to 5:45 pm

Mahapunya Kaal Muhurta: -2:12 pm to 2:36 pm

Duration:- 24 Minutes

Makarsakranti is one of the Vedic period festivals of India, which usually comes on 14th January every year, in the year 2022, on 14th January 2:27 pm, the Sun is entering Capricorn after changing the zodiac, so the auspicious time of Makar Sankranti is sunrise 8 in the morning. Starting from :05 am will be more effective till 5:45 pm. But within this time, even if one is not able to do virtuous deeds like bathing, charity etc. According to another belief, it is also believed that on Makar Sankranti, there is a virtuous period from sunrise to sunset.

What is Sankranti?

The Sun travels in one zodiac sign every month in the twelve months of the year, and about the 15th of every English month, the time of the Sun's entry from one zodiac to another is called Sankranti.

Why Makar Sankranti is auspicious:-

From mid-December to January 13, the Sun is in Sagittarius, due to the presence of the Sun in Sagittarius, there is a "month of Paush" i.e. "Malmas", in which all auspicious works like marriage, marriage etc. are forbidden, and when the Sun After leaving this Sagittarius sign and entering Capricorn, then the time for the beginning of "Uttarayan" means auspicious work begins. Makar Sankranti festival is celebrated on the day of the beginning of the six-month period "Uttarayan".

In fact, in the twelve months of the year, the Sun travels in two different, twelve zodiac signs every month:-

1. Dakshinayana of the Sun

From mid-July to January 13, this time i.e. (the time of the Sun's journey from Cancer to Sagittarius) is called Dakshinayan.

At the time of Dakshinayan Sun, there is no force in the Sun. Because of this, this period of six months is not considered good for auspicious and auspicious works like Muhurta, etc.

During the Dakshinayan period, the Sun starts moving with an inclination towards the south. It is believed that the period of Dakshinayana is the night of the gods.

Nights get longer in Dakshinayan.

Dakshinayan is the time of fasting and fasting. It is forbidden to do many auspicious and auspicious works on this day. The Dakshinayan of the Sun shows the growth of desires and enjoyment, so the work done during this time like worship, fasting etc. removes sorrows and diseases.

2. Uttarayan of the Sun

The period from "14 January Makar Sankranti" to "Mithun Sankranti - i.e. mid-July", is considered to be the descending period of the Sun. Which is called auspicious time. This Uttarayan period of the Sun is considered auspicious for auspicious and demanding works.

According to the scriptures, Dakshinayana is considered as the night of the deities i.e. a symbol of negativity and Uttarayan is considered as the day of the deities i.e. a symbol of positivity.

The importance of Uttarayan is found in Matsya Purana and Skanda Purana. It is believed that Uttarayan period is particularly fruitful for spiritual progress and worship of God.

Thus, this transitional action of Suryadev is of six-2 months duration, that is, both the ayans are of 6-6 months.

In this way, all the auspicious works which are prohibited due to the Sun being in Dakshinayana for six months before Makar Sankranti, all those works are opened by the happening of Makar Sankranti (i.e. the descent of the Sun), the festival of celebrating this happiness is Makar Sankranti.

On this day due to the sun being in Uttarayan, the days start getting longer and the nights shorter.

Makar Sankranti is actually a Rituparva, from this day the Brahmamuhurta of the deities begins with the descent of Lord Sun, that is, these six months are also considered as the period of spiritual practice and attainment of Para-Aparavidyas.

According to astrology also, all auspicious work and Murhut should be done in Uttarayan period. Even in addition to various auspicious works, the "Uttarayan period" is considered auspicious for death, due to death in these months, there is less chance of going to Yamaloka i.e. hell.

The Uttarayan entry of the sun is a message to the people of the end of the deadly winter and the good luck of spring. This auspicious day is celebrated with different names in different provinces across the country, in South India it is celebrated as Pogal.

The auspiciousness of Makar Sankranti can also be gauged from the fact that black color is considered inauspicious in Hindu religion, because black color has more ability to absorb tamoguni waves, but on the day of Makar Sankranti, there is an increase of Raja and Satvatargo in the atmosphere. There is excess, that is why Sanatan Dharma has given permission to use black colored clothes on the day of Makar Sankranti.

 It is mentioned in the scriptures that Lord Vishnu also says about the auspiciousness of Makar Sankranti and Maghamas and bathing in them, whether to worship God or not, but if you take a bath during "Makar Sankranti Snan" or "Maghamas", then eternal There is definitely a reward for virtue.

The seventh ray of the sun is the inspiration for spiritual progress in India. The miraculous effect of the seventh ray lasts for a long time in the waters of Ganga-Yamuna in India. Due to this geographical location, special festivals of Magh Mela i.e. Makar Sankranti or Purna Kumbh and Ardh Kumbh are organized in Haridwar and Prayagraj.

Brahmrishi Bhrigu ji says, Sankranti and Magh's bath destroys all sins, this is more than all fasts, and it is the one who bestows the fruits of all kinds of donations, who have a desire to enjoy heaven, age, Those who are interested in health, appearance, good fortune and good qualities, and those who want to wash away the mud of poverty, sin and misfortune, they must take a bath on Makar Sankranti and Maghamas.

Historical importance of Makar Sankranti:-

1. The festival of the entry of Shani, the son of Sun God in Capricorn:-

Shani Dev is the lord of Capricorn, and on this day the Sun enters Capricorn, hence this day is known as Makar Sankranti, it is believed that on the day of Makar Sankranti, Sun God visits his son Shani's house. Since Saturn is the lord of Capricorn and Aquarius. Therefore, this festival is also associated with the unique union of father and son. After transiting in Capricorn for a month, it enters Aquarius.

2. Salvation of ancestors by sage Bhagirath on the day of Makar Sankranti:-

On the day of Makar Sankranti, the sage Bhagirath, who brought the Ganges to earth, performed a tarpan on this day for the salvation of his ancestors. After accepting his tarpan, on the same day, the Ganges went through the ashram of Kapil Muni and joined the sea.

Kapil Muni, being overjoyed with the joy of Ganga Maa entering his ashram, gave a boon, saying, 'Maa Gange will abduct people till Trikaal and will give salvation and salvation to seven generations of devotees. The touch, paan, bath and darshan of the Ganges water will give all virtuous results."

3. Death of Bhishma Pitamah

Makar Sankranti has also been described in the Mahabharata, in the Puranas it is said that the soul of a person who dies due to the Sun being in Capricorn, attains salvation, a story of this is associated with the life of Bhishma Pitamah. Bhishma Pitamah had the boon of death. Bhishma Pitamah, who was wounded by Arjuna's arrows in the war of Mahabharata, waited for twenty-six days for the sun to enter Capricorn on the banks of the Ganges. Due to the boon of death, he lived till the sunrise of the sun to attain salvation.

4. Destruction of Asuras by Lord Vishnu:-The day of Makar Sankranti is considered to be the day to eliminate evils and negativity because it was on the day of Makar Sankranti that Lord Vishnu declared the end of the war by killing the demons. He had buried the heads of all the Asuras in the Mandar mountain. Since then this victory of Lord Vishnu started being celebrated as Makar Sankranti festival.

5. Yashoda Maiyya:-

According to another legend, Yashoda Maiya had kept this Sankranti fast for the birth of Shri Krishna on this day, since that day the tradition of Makar Sankranti fast is going on.

6. Festival of Harvesting of Crops:-

Makar Sankranti is also celebrated with pomp as the arrival of a new crop and a new season. In Tamil Nadu including Punjab, UP, Bihar, this time is for harvesting new crops, so farmers celebrate Makar Sankranti as Gratitude Day.

7. Sankranti is considered a deity. It is described in the scriptures that Sankranti killed the demon Sankarasura.

Special yoga and auspicious results of Makar Sankranti 2022:-

Makar Sankranti will enter Taurus ascendant on Friday, January 14, at 2:27 pm. The auspicious time of this Sankranti will remain for the whole day from 8.05 am onwards. According to the wise, this Sankranti named as Mishra and Nanda according to the constellation will be beneficial for the Brahmin animals, educated class. On this day, bathing on tithis also has a special significance. If you cannot go there, then take a holy bath in the house itself, and remember them there. And recite the following mantra:-

Gange Cha Yamuna Chaiva Godavari Saraswati, Narmade Sindhu Kaveri Jalemsmin Sannidhan Kuru.

There are signs of significant changes in the central or any state cabinet due to the presence of Sun Mercury-Saturn Yoga on Capricorn, the influence of India from January 14. In some states, there was loss of standing crops due to change of regime, adverse climate and natural angles.

Sankranti Horoscope- This Sankranti will be beneficial for the people of Aries, Gemini, Cancer, Leo, Virgo, Sagittarius, Capricorn, Aquarius and Pisces.

Auspicious deeds and charity deeds to be done on Makar Sankranti:-

Tirth bath has special significance during Sankranti period. One who takes a bath in the area situated on the banks of rivers Ganga, Yamuna, Godavari, Krishna and Kaveri gets the benefit of great virtue.

The importance of charity in this Sankranti has been told. It is said that good deeds like bathing, donation etc. done on this Sankranti provide happiness and prosperity in both the world and the afterlife.

1. On the auspicious day of Makar Sankranti, from morning till sunset, take bath in any holy place of pilgrimage, confluence, river, well, stepwell, lake etc. Bathing in these three rivers, Ganga, Yamuna, Godavari, Krishna and Kaveri, and in pilgrimages like Gangasagar gives more merit.

Those who are not able to go to these places due to busyness should take bath in the morning by mixing Ganges water in the bath water, if possible take a bucket of bathing water and take a bath in the open, because on this day there is more auspicious true waves in the environment.

2. After taking bath, fill a copper vessel with water and add some jaggery, red sandalwood, roli, rice, and red flowers and offer Ardhya to the Sun God while reciting the mantra.

Mantra

1. Om Suryaya Namah: Om Adityaya Namah: Om Saptarchishe Namah

2. Ridmandalay Namah, Om Savitre Namah, Om Varunaya Namah, Om Saptsaptye Namah, Om Martandaya Namah, Om Vishnuve Namah:

3. After performing Jalabhishek in the Shiva temple, light the flame with sesame oil.

4. Recite Shri Vishnu worship, Surya Japa, Suryashtakam, Purushsukta and Stotra.

5. Give Pitrushradh i.e. abandonment of black sesame seeds. Doing Pind Daan on this day is very rewarding for the salvation of the ancestors.

6. By donating food grains, Ghrita i.e. Dhi donation, clothes donation, quilt-blanket, fruits, and laddu-revdi made of sesame and jaggery, jaggery, cow, horse, gold, new utensils etc., one attains eternal virtue by donating it. .

7. The person who wants to remove the bad effect of planets or Marrakesh from him, he must do Tuladan on this day.

8. On the day of Makar Sankranti, donate urad dal, rice, desi ghee, and salt at a religious place.

9. On this day, making khichdi of urad dal and offering it to God and distributing it in maximum quantity, one gets immense merit.

Donations and pious deeds done during this festival are particularly fruitful.

10. Sesame seeds have more ability to receive Sattva waves. Therefore, by consuming sesame jaggery, there is inner purification, therefore, on this day, applying sesame oil and rubbish on the body, bathing with sesame mixed water, drinking sesame mixed water, doing sesame home, donating sesame seeds, using sesame with these six methods. All the sins of the people are destroyed.

11. During the festival of Sankranti, brushing teeth, speaking harshly, cutting trees and grass and consuming sex-objects, these acts are completely prohibited.

(End)

Next article:-

1. Article on "Uttarayan-Dakshinayan" on 15 Jan

2. Article on "Paush Purnima" on 16 Jan.

3. Article on "Shakumbhari Jayanti" on 17th Jan.

4. Article on "Maghmas" on 18 Jan.

Long live Rama

Today's Panchang, Delhi

Friday, 14.1.2022

Shree Samvat 2078

Shaka Samvat 1943

Surya Ayan- Uttarayan, Round-South Round

Rituah - winter season.

Month- Paush month.

Paksha - Shukla Paksha.

Date- Dwadashi date 10:21 pm

Moon sign - Moon in Taurus.

Nakshatra - Rohini Nakshatra till 8:17 pm

Yoga - Shukla yoga till 1:33 pm (good luck)

Karan-Bav Karan till 8:58 am

Sunrise 7:15 am, Sunset 5:45 pm

Abhijit Nakshatra - 12:09 pm to 12:51 pm

Rahukaal - 11:11 pm to 12:35 pm* (Good work prohibited, Delhi)

Dishashul – West direction.

Jan 2022-Good Days:- 14, 16 (till 3 pm), 17 (after 4 pm), 19, 20, 21 (after 9 am), 22, 23, 24 (till 9 am), 26, 29

January 2022 - Inauspicious days:- 15, 18, 25, 27, 28, 30, 31

Yamghantak Yoga: - From 14 Jan 7:15 am to 14 Jan 8:18 pm, this is an inauspicious yoga, it is a painful yoga, especially in this, traveling for auspicious work and children should not do auspicious work. But along with this yoga, if there is any auspicious yoga like Sarvartha Siddha Yoga, then the side effects of this yoga keep going.

Upcoming fasts and festivals:-

Jan 14- Pongal/Uttarayan/Makar Sankranti, 2:29 pm (after 8:05 am). 15th Jan - Shani Pradosh fast (Shukla). Jan 17 - Paush Purnima Vrat / Satyanarayan Vrat / Magh Snan begins. 21 Jan - Sankashti Chaturthi. Jan 28 - Shatila Ekadashi. Jan 30- Pradosh fast / Monthly Shivratri.

Special:- The person who lives outside Varanasi or outside the country, he can get astrological consultation by phone for astrological consultation by paying the consultation fee through paytm or bank transfer.

Have a good day .  

Acharya Mordhwaj Sharma

Shri Kashi Vishwanath Temple

Varanasi Uttar Pradesh

9648023364

9129998000

                                 

                              

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