4. भगवान विष्णु जी के पूजन मे पत्र-पुष्प
भगवान् विष्णु को तुलसी बहुत ही प्रिय हैं । एक ओर रत्न, तथा स्वर्णनिर्मित बहुत से फूल चढ़ाये जायँ और दूसरी ओर तुलसी चढ़ाया जाये तो भगवान् तुलसीदल को ही पसंद करेंगे। सच पूछा जाय तो ये तुलसीदल की सोलहवीं कला की भी समता नहीं कर सकते भगवान् को कौस्तुभ भी उतना प्रिय नहीं है, जितना कि तुलसीपत्र - मंजरी'। काली तुलसी तो प्रिय है ही किंतु गौरी तुलसी तो और भी अधिक प्रिय है । भगवान ने श्रीमुख से कहा है कि यदि तुलसीदल न हो तो कनेर, बेला, चम्पा, कमल और मणि आदि से निर्मित फूल भी मुझे नहीं सुहातें । तुलसी से पूजित शिवलिङ्ग या विष्णु की प्रतिमा के दर्शन मात्र से ब्रह्महत्या भी दूर हो जाती है । एक ओर मालती आदि की ताजी मालाएँ हों और दूसरी ओर बासी तुलसी हो तो भगवान् बासी तुलसी को ही अपनायेंगे
शास्त्रने भगवान पर चढ़ाने योग्य पत्रों का भी परस्पर तारतम्य बतला तुलसी की सर्वातिशायिता बतलायी है, जैसे कि चिचिड़े की पत्ती से भँगरैया की पत्ती अच्छी मानी गयी है तथा उससे अच्छी खैर की और उससे अच्छी शमी की। शमी से दूर्वा, उससे अच्छा कुश, उससे अच्छी दौना की, अच्छी बेल की पत्ती को और उससे भी अच्छा तुलसीदल होता है ।
नरसिंहपुराण में फूलों का तारतम्य बतलाया गया है। कहा गया कि दस सोने के फूलों का दान करने से जो फल प्राप्त होता है। वह एक गूमा के फूल चढ़ाने से प्राप्त हो जाता है । इसके बाद उन फूलों के नाम गिनाये गये हैं, जिनमें पहले की अपेक्षा अगला उत्तरोत्तर हजार गुना अधिक फलप्रद होता जाता है, जैसे- गूमा के फूल से हजार गुना बढ़कर एक खैर, हजारों खैर के फूलोंसे बढ़कर एक शमी का फूल, हजारों शमी के फूलोंसे बढ़कर एक मौलसिरी का फूल, हजारों मौलसिरी पुष्पों से बढ़कर एक नन्द्यावर्त, हजारों नन्द्यावर्तो से बढ़कर एक कनेर, हजारों कनेर के फूलों से बढ़कर एक सफेद कनेर, हजारों सफेद कनेर से बढ़कर एक कुश का फूल, हजारों कुश के फूलों से बढ़कर वनवेला, हजारों वनवेला के फूलों से एक चम्पा, हजारों चम्पाओं से बढ़कर एक अशोक, हजारों अशोक के पुष्पों से बढ़कर एक माधवी, हजारों वासन्तियों से बढ़कर एक गोजटा, हजारों गोजटाओं के फूलों से बढ़कर एक मालती, हजारों मालती फूलों से बढ़कर एक लाल त्रिसंधि (फगुनिया), हजारों लाल त्रिसंधि फूलों से बढ़कर एक सफेद त्रिसंधि, हजारों सफेद त्रिसंध फूलों से बढ़कर एक कुन्द का फूल, हजारों कुन्द-पुष्पों से बढ़कर एक कमल-फूल, हजारों कमल-पुष्पों से बढ़कर एक बेला और हजारों बेला-फूलों से बढ़कर एक चमेली का फूल होता है ।
निम्नलिखित फूल भगवान् को लक्ष्मी की तरह प्रिय हैं। इस बात को उन्होंने स्वयं श्रीमुख से कहा है।
मालती, मौलसिरी, अशोक, कालीनेवारी (शेफालिका), बसंतीनेवारी (नवमल्लिका), आम्रात (आमड़ा), तगर, आस्फोत, बेल, मधुमल्लिका, जूही (यूथिका), अष्टपद, स्कन्द, कदम्ब, मधुपिंगल, पाटला, चम्पा, हृद्य, लवंग, अतिमुक्तक (माधवी), केवड़ा, कुरब, बेल, सायंकाल में फूलने वाला श्वेत कमल (कहार) और अडूसा।
कमल का फूल तो भगवान को बहुत ही प्रिय है। विष्णु रहस्य में बतलाया गया है कि कमल का एक फूल चढ़ा देने से करोड़ों वर्ष के पाप का भगवान् नाश कर देते हैं। कमल के अनेक भेद हैं। उन भेदों के फल भी भिन्न-भिन्न हैं। बतलाया गया है कि सौ लाल कमल चढ़ाने का फल एक श्वेत कमल के चढ़ाने से मिल जाता है तथा लाखों श्वेत कमलों का फल एक नीलकमल से और करोड़ों नीलकमलों का फल एक पद्म से प्राप्त हो जाता है। यदि कोई भी किसी प्रकार एक भी पद्म चढ़ा दे, तो उसके लिये विष्णुपुरी की प्राप्ति सुनिश्चित है ।
बलिके द्वारा पूछे जाने पर भक्तराज प्रह्लाद ने विष्णु के प्रिय कुछ फूलोंके नाम बतलाये हैं-
'सुवर्णजाती (जाती), शतपुष्पा (शताहा), चमेली (सुमना: ), कुंद, कठचंपा (चारुपुट), बाण, चम्पा, अशोक, कनेर, जूही, पारिभद्र, पाटला, मौलसिरी, अपराजिता (गिरिशालिनी), तिलक, अड़हुल, पीले रंगके समस्त फूल (पीतक) और तगर' । पुराणों ने कुछ नाम और गिनाये हैं, जो नाम पहले आ गये हैं, उनको छोड़कर शेष नाम इस प्रकार हैं
अगस्त्य,' आम की मंजरी, मालती, बेला, जूही, (माधवी) अतिमुक्तक, यावन्ति, कुब्जई, करण्टक (पीली कटसरैया), धव (धातक), वाण (काली कटसरैया), बर्बरमल्लिका (बेलाका भेद) और अडूसा
विष्णुधर्मोत्तरमें बतलाया गया है कि भगवान् विष्णु की श्वेत' पीले फूल की प्रियता प्रसिद्ध है, फिर भी लाल फूलों में दोपहरिया' (बन्धूक), केसर , कुंकुम और अड़हुल के फूल उन्हें प्रिय हैं, अतः इन्हें अर्पित करना चाहिये। लाल कनेर और बर्रे भी भगवान् को प्रिय हैं। बर्रे का फूल पीला-लाल होता है।
इसी तरह कुछ सफेद फूलों को वृक्षायुर्वेद लाल उगा देता है। लाल रंग होने मात्र से वे अप्रिय नहीं हो जाते, उन्हें भगवान को अर्पण करना चाहिये। इसी प्रकार कुछ सफेद फूलों के बीच भिन्न-भिन्न वर्ण होते हैं। जैसे पारिजात के बीच में लाल वर्ण । बीच में भिन्न वर्ण होने से भी उन्हें सफेद फूल माना जाना चाहिये और वे भगवान के अर्पण योग्य हैं ।
विष्णुधर्मोत्तर के द्वारा प्रस्तुत नये नाम ये हैं - तीसी , भूचम्पक', पुरन्ध्र ", गोकर्ण" और नागकर्ण। अन्त में विष्णुधर्मोत्तर ने पुष्पों के चयन के लिये एक उपाय बतलाया । कहा है कि जो फूल शास्त्र से निषिद्ध न हों और गन्ध तथा रंग-रूप से संयुक्त हों उन्हें विष्णु भगवान् को अर्पण करना चाहिये।
विष्णु के लिये निषिद्ध फूल विष्णु भगवान पर नीचे लिखे फूलों को चढ़ाना मना है—
आक, धतूरा, कांची, अपराजिता (गिरिकर्णिका), भटकटैया, कुरैया, सेमल, शिरीष, चिचिड़ा (कोशातकी), कैथ, लांगुली, सहिजन, कचनार, बरगद, गूलर, पाकर, पीपर और अमड़ा (कपीतन ) । घरपर रोपे गये कनेर और दोपहरिया के फूल का भी निषेध है ।
5. सूर्य के अर्चनके लिये विहित पत्र-पुष्प
भविष्य पुराण में बतलाया गया है कि सूर्य भगवान को यदि एक आक का फूल अर्पण कर दिया जाय तो सोने की दस अशर्फिया चढ़ाने का फल मिल जाता है'। फूलों का तारतम्य इस प्रकार बतलाया गया है—
हजार अड़हुल के फूलों से बढ़कर एक कनेर का फूल होता है, हजार कनेर के फूलोंसे बढ़कर एक बिल्वपत्र, हजार बिल्व पत्रों से बढ़कर एक ‘पद्म’ (सफेद रंग से भिन्न रंगवाला), हजारों रंगीन पद्म-पुष्पों से बढ़कर एक मौलसिरी, हजारों मौलसिरियों से बढ़कर एक कुश का फूल, हजार कुश के फूलों से बढ़कर एक शमी का फूल, हजार शमी के फूलों बढ़कर एक नीलकमल, हजारों नील एवं रक्त कमलों से बढ़कर 'केसर और लाल कनेर' का फूल होता है ।
यदि इनके फूल न मिलें तो बदले में पत्ते चढ़ाये और पत्ते भी न मिलें तो इनके फल चढ़ाये।
फूल की अपेक्षा माला में दुगुना फल प्राप्त होता है रात में कदम्ब के फूल और मुकुर को अर्पण करे और दिन में शेष समस्त फूल। बेला दिन में और रात में भी चढ़ाना चाहिये।
सूर्य भगवान पर चढ़ाने योग्य कुछ फूल ये हैं—बेला, मालती, काश, माधवी, पाटला, कनेर, जपा, यावन्ति, कुब्जक, कर्णिकार, पीली कटसरैया (कुरण्टक), चम्पा, रोलक, कुन्द, काली कटसरैया (वाण), बर्बरमल्लिका, अशोक, तिलक, लोध, अरूषा, कमल, मौलसिरी, अगस्त्य और पलाश के फूल तथा दूर्वा ।
कुछ समकक्ष पुष्प-
शमी का फूल करवीर की कोटि में चमेली, मौलसिरी और पाटला आते हैं। श्वेत कमल और बड़ी कटेरी का फूल एक समान माने जाते हैं, और मन्दार की श्रेणी एक है। इसी तरह नागकेसर, चम्पा, पुन्नाग और मुकुर एक समान माने जाते हैं ।
विहित पत्र (मान्य पत्ते)-
बेल का पत्र, शमी का पत्ता, भँगरैया की पत्ती, तमाल पत्र, तुलसी और काली तुलसी के पत्ते तथा कमल के पत्ते सूर्य भगवान की पूजा में गृहीत हैं।
सूर्य के लिये निषिद्ध फूल-
गुंजा (कृष्णला), धतूरा, कांची, अपराजिता (गिरिकर्णिका), भटकटैया, तगर और अमड़ा- इन्हें सूर्य पर न चढ़ाये । 'वीरमित्रोदय' ने इन्हें सूर्य पर चढ़ाने का स्पष्ट निषेध किया है, यथा-
कृष्णलोन्मत्तकं काञ्ची तथा च गिरिकर्णिका ।
न कण्टकारिपुष्पं च तथान्यद् गन्धवर्जितम् ॥ देवीनामर्कमन्दारौ सूर्यस्य तगरं न चाम्रातकजैः पुष्पैरर्चनीयो दिवाकरः ॥
फूलों के चयन की कसौटी-
सभी फूलों का नाम है। सब फूल सब जगह मिलते भी नहीं । अतः शास्त्र ने योग्य फूलों के चुनाव के लिये हमें एक कसौटी दी है कि जो फूल निषेध कोटि में नहीं हैं और रंग-रूप तथा सुगन्ध से युक्त हैं उन सभी फूलों को भगवान को चढ़ाना चाहिये ।
इन देवताओं के अतिरिक्त भगवान हनुमानजी तथा शनिदेव को प्रिय फूल इस प्रकार से है-
हनुमानजी:-
बजरंग बली को लाल या पीले रंग के फूल विशेष रूप से अर्पित किए जाने चाहिए। इन फूलों में गुड़हल, गुलाब, कमल, गेंदा आदि का विशेष महत्व रखते हैं।
शनिदेव:-
शनि देव को नीले लाजवंती के पुष्प चढ़ाएं जातेहैं। इसके अतिरिक्त कोई भी नीले या गहरे रंग के फूल शनि देव को चढ़ाना शुभ माना जाता है।
(समाप्त)
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आगामी लेख:-
1. 22, 23 जन० को "देव-पूजा में पत्र-पुष्प" विषय पर धारावाहिक लेख
2. 24 जन० से ज्योतिषीय विषय "विभिन्न संवत्सर मे जन्म लेने का फल" पर धारावाहिक लेख
3. 26 जन० से ज्योतिषीय विषय "विभिन्न युग मे जन्म लेने का फल" विषय पर धारावाहिक लेख
4. 27 जन० से "षटतिला एकादशी" पर लेख
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जय श्री राम
आज का पंचांग,दिल्ली 🌹🌹🌹
रविवार,23.1.2022
श्री संवत 2078
शक संवत् 1943
सूर्य अयन- उतरायण, गोल-दक्षिण गोल
ऋतुः- शिशिर ऋतुः ।
मास- माघ मास।
पक्ष- कृष्ण पक्ष ।
तिथि- पंचमी तिथि 9:14 am
चंद्रराशि- चंद्र कन्या राशि मे।
नक्षत्र- उ० फाल्गुनी नक्षत्र 11:09 am तक
योग- अतिगण्ड योग 12:47 pm तक (अशुभ है)
करण- तैतिल करण 9:14 am तक
सूर्योदय 7:13 am, सूर्यास्त 5:52 pm
अभिजित् नक्षत्र- 12:11 pm से 12:54 pm
राहुकाल - 4:32 pm से 5:52 pm (शुभ कार्य वर्जित,दिल्ली )
दिशाशूल- पश्चिम दिशा ।
जनवरी 2022-शुभ दिन:- 23, 24 (सवेरे 9 तक), 26, 29
जनवरी 2022-अशुभ दिन:- 25, 27, 28, 30, 31
सर्वार्थ सिद्ध योग :- 23 जन० 7:15 am से 24 जन० 7:15 am तक (यह एक शुभयोग है, इसमे कोई व्यापारिक या कि राजकीय अनुबन्ध (कान्ट्रेक्ट) करना, परीक्षा, नौकरी अथवा चुनाव आदि के लिए आवेदन करना, क्रय-विक्रय करना, यात्रा या मुकद्दमा करना, भूमि , सवारी, वस्त्र आभूषणादि का क्रय करने के लिए शीघ्रतावश गुरु-शुक्रास्त, अधिमास एवं वेधादि का विचार सम्भव न हो, तो ये सर्वार्थसिद्धि योग ग्रहण किए जा सकते हैं।
अमृत सिद्धि योग:- 23 जन० 11:09 am से 24 जन० 7:13 am तक, इस योग मे सर्वार्थ सिद्ध योगवाले कामो के अलावा प्रेमविवाह, विदेश यात्रा तथा सकाम अनुष्ठान करना शुभ होता है।
रवि योग :- 23 जन० 11:09 am से 24 जन० 10:19 am तक यह एक शुभ योग है, इसमे किए गये दान-पुण्य, नौकरी या सरकारी नौकरी को join करने जैसे कायों मे शुभ परिणाम मिलते है । यह योग, इस समय चल रहे, अन्य बुरे योगो को भी प्रभावहीन करता है।
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आगामी व्रत तथा त्यौहार:-
28 जन०-षटतिला एकादशी। 30 जन०- प्रदोष व्रत/मासिक शिवरात्रि।
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विशेष:- जो व्यक्ति वाराणसी से बाहर अथवा देश से बाहर रहते हो, वह ज्योतिषीय परामर्श हेतु Paytm या Bank transfer द्वारा परामर्श फीस अदा करके, फोन द्वारा ज्योतिषीय परामर्श प्राप्त कर सकतें है
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आपका दिन मंगलमय हो . 💐💐💐
आचार्य मोरध्वज शर्मा श्री काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी
9648023364
9129998000
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English Translation :-
4. Flowers in the worship of Lord Vishnu
Tulsi is very dear to Lord Vishnu. On one hand many flowers made of gems and gold are offered and if Tulsi is offered on the other, then Lord will like Tulsidas only. If asked the truth, they cannot even equate the sixteenth art of Tulsidas. Kali Tulsi is very dear but Gauri Tulsi is even more dear. God has told Shrimukh that if there is no Tulsi Dal, then even flowers made from Kaner, Bela, Champa, Lotus and Mani etc. will not suit me. Brahmhatya is also removed by the mere sight of the Shivalinga or the idol of Vishnu worshiped with Tulsi. If on one side there are fresh garlands of malti etc. and on the other side there is stale basil, then God will adopt only stale basil.
The scriptures have also told the mutual correspondence of the letters to be offered to God, as the leaf of Bhangraiya is considered better than the leaf of Chichida and better than that and better than that of Shami. Durva is better than Shami, better Kush than him, better dung, better bael leaves and better than that of basil.
In Narsingh Purana, the harmony of flowers has been described. It is said that the fruit obtained by donating ten gold flowers. It is attained by offering a Guma flower. After this, the names of those flowers have been counted, in which the next one becomes more fruitful than the first one thousand times, e.g., one Khair increases by a thousand times the flower of Guma, one Shami flower increases from thousands of Khair flowers, and thousands of Shami flowers. One moulsiri flower exceeds a thousand moulsiri flowers, a nandyavarta grows more than a thousand nandyavartas, a kaner exceeds a thousand kaner flowers, a white kaner exceeds a thousand white kaner, a kush flower exceeds a thousand white flowers, a vanavela grows from a thousand kush flowers, thousands One champa more than a thousand champas, one Ashoka more than a thousand champas, one Madhavi more than a thousand Ashoka flowers, a Gojata more than a thousand Vasantis, a Malti more than a thousand Gojata flowers, a red Trisandhi (Fagunia) more than a thousand Malti flowers. , a white trident exceeds a thousand red flowers, a rosemary flower exceeds a thousand white trident flowers, a lotus flower exceeds a thousand flower buds, a vine grows to a thousand lotus flowers, and a jasmine rises to a thousand bela flowers Has a flower.
The following flowers are dear to the Lord like Lakshmi. He himself has told this thing to Shrimukh.
Malti, Moulsiri, Ashoka, Kalinevari (Shefalika), Basantinevari (Navamalika), Amraat (Amda), Tagar, Asphot, Bel, Madhumallika, Juhi (Youthika), Ashtapad, Skanda, Kadamba, Madhupingal, Patala, Champa, Hridya, Lavang, Atimuktaka (Madhavi), Kevada, Kurab, Bel, evening-flowering white lotus (Kahar) and Adusa.
Lotus flower is very dear to God. It is told in Vishnu Rahasya that by offering one lotus flower, the Lord destroys the sins of crores of years. There are many different types of lotus. The consequences of those differences are also different. It has been told that the fruit of offering a hundred red lotus is obtained by offering one white lotus, and the fruit of lakhs of white lotuses is obtained from one nilkamal and the fruit of crores of nilkamalus is obtained from one padma. If anyone offers a single Padma in any way, then he is sure to get Vishnupuri.
On being asked by Balike, Bhaktaraj Prahlad has given the names of some flowers dear to Vishnu-
'Suvarnajati (caste), Shatpushpa (Shataha), Jasmine (Sumna: ), Kund, Katachampa (Charuput), Baan, Champa, Ashoka, Kaner, Juhi, Paribhadra, Patala, Moulsiri, Aparajita (Girishalini), Tilak, Adhul, Yellow All the flowers of color (Peetak) and Tagar'. The Puranas have given some more names, except the names which have come earlier, the rest of the names are as follows.
Agastya,' Manjari, Malti, Bela, Juhi, (Madhavi) Atimuktaka, Yavanti, Kubjai, Karantak (yellow Katsaraiya), Dhava (Dhatak), Vana (Black Katsaraiya), Barbaramalika (Belaka Bheda) and Adusa
It is told in Vishnudharmottara that Lord Vishnu's love of white yellow flower is famous, yet red flowers are dear to him like 'Dhopiya' (Gun), saffron, kumkum and Adhul flowers, so they should be offered. Lal Kaner and Barre are also dear to the Lord. The flower of Barre is yellow-red.
Similarly, Vrikshayurveda makes some white flowers grow red. Having red color does not make them unpleasant, they should be offered to God. Similarly there are different colors among some white flowers. Like the red color in the middle of the parijat. Even having different colors in the middle, they should be considered as white flowers and they are worthy of offering to the Lord.
The new names introduced by Vishnudharmottara are – Teesi, Bhuchampaka, Purandhra, Gokarna and Nagkarna. In the end Vishnudharmottara suggested a method for the selection of flowers. It is said that flowers which are not prohibited by the scriptures and are combined in smell and colour, should be offered to Lord Vishnu.
It is forbidden for Vishnu to offer the flowers written below on Lord Vishnu.
Aak, Datura, Kanchi, Aparajita (Girikarnika), Bhattaiya, Kuraiya, Semal, Shirish, Chichida (Koshataki), Kaith, Languli, Horseradish, Kachnar, Banyan, Gular, Pakar, Pipar and Amda (Kapitan). There is also a prohibition on the flowers of Kaner and Afterpaia planted at home.
5. Prescribed leaf-flowers for the worship of the sun
It has been told in the Bhavishya Purana that if a flower of one Aak is offered to the Sun God, then one gets the result of offering ten Asharfia of gold. The sequence of flowers is described as follows-
One kaner flower is more than a thousand rhubarb flowers, a bilvapatra is bigger than a thousand kaner flowers, a 'padma' (a different color from white color) is more than a thousand bilva leaves, a moulsiri is more than a thousand colored padma-flowers, thousands of moulsiris The flower of one Kush is more than the flowers of a thousand Kush, a flower of Shami increases from the flowers of a thousand Shami flowers, a Neelkamal grows more than a thousand indigo and blood lotus The flower of 'saffron and red caner' is there.
If flowers are not available, then offer leaves in return and if leaves are not available then offer their fruits.
In comparison to the flower, double the fruit is obtained in the garland, offering Kadamba flowers and Mukur in the night and all the remaining flowers during the day. Bela should be offered during the day as well as at night.
Some of the flowers to be offered to the Sun God are- Bela, Malti, Kash, Madhavi, Patala, Kaner, Japa, Yavanti, Kubjak, Karnikar, Yellow Katsaraiya (Kurantaka), Champa, Rolak, Kunda, Kali Katsaraiya (Van), Barbaramalika, Flowers of Ashoka, Tilak, Lodha, Arusha, Kamal, Maulsiri, Agastya and Palash and Durva.
Some equivalent flowers-
Jasmine, Moulsiri and Patla come in the category of Shami flower Karveer. The white lotus flower and the big kateri flower are considered the same, and the category of the mandar is one. Similarly, Nagkesar, Champa, Punnag and Mukur are considered equal.
Prescribed letter (valid card)-
Bel leaves, Shami leaves, Bhangraiya leaves, Tamal leaves, Tulsi and Kali Tulsi leaves and lotus leaves are accepted in the worship of the Sun God.
Forbidden flowers for the sun
Gunja (Krishnala), Dhatura, Kanchi, Aparajita (Girikarnika), Bhattaiya, Tagar and Amda – do not offer them to the Sun. 'Veermitroday' has explicitly prohibited offering them on the sun, as-
Krishnalonmatkam Kanchi and Ch Girikarnika.
Na kantakaripushpa cha taanyad gandhavarjitam Devinamarkmandarau suryasya tagram na chamratakajaih pushpararchaniyo diwakarah
Criteria for selection of flowers-
All flowers have names. Not all flowers are found everywhere. Therefore, the scriptures have given us a criterion for the selection of suitable flowers that all those flowers which are not in the prohibition category and are full of color, form and fragrance, those flowers should be offered to God.
Apart from these deities, the flowers dear to Lord Hanumanji and Shani Dev are as follows-
Hanuman:-
Red or yellow flowers should be specially offered to Bajrang Bali. In these flowers, hibiscus, rose, lotus, marigold etc. have special importance.
Shani Dev:-
Blue Lajwanti flowers are offered to Shani Dev. Apart from this, offering any blue or dark colored flowers to Shani Dev is considered auspicious.
(End)
Next article:-
1. Serial article on the topic "Patra-flower in Dev-worship" on Jan 22, 23
2. Serial article on the astrological topic "Fruits of taking birth in different Samvatsar" from 24 Jan
3. Serial article on the topic of astrological topic "Fruits of taking birth in different eras" from 26th Jan.
4. Article on "Shatila Ekadashi" from Jan 27
Long live Rama
Today's Panchang, Delhi
Sunday, 23.1.2022
Shree Samvat 2078
Shaka Samvat 1943
Surya Ayan- Uttarayan, Round-South Round
Rituah - winter season.
Month - Magha month.
Paksha - Krishna Paksha.
Tithi- Panchami Tithi 9:14 am
Moon sign - Moon in Virgo.
Nakshatra- U Falguni Nakshatra till 11:09 am
Yoga- Atiganda Yoga till 12:47 pm (inauspicious)
Karan- Taitil Karan till 9:14 am
Sunrise 7:13 am, Sunset 5:52 pm
Abhijit Nakshatra - 12:11 pm to 12:54 pm
Rahukaal - 4:32 pm to 5:52 pm (Good work prohibited, Delhi)
Dishashul – West direction.
Jan 2022 - Auspicious days:- 23, 24 (till 9 in the morning), 26, 29
January 2022 - Inauspicious days:- 25, 27, 28, 30, 31
Sarvartha Siddha Yoga :- 23 Jan 7:15 am to 24 Jan 7:15 am (This is an auspicious yoga, in this, making any business or state contract, applying for examination, job or election etc., purchase- If the idea of Guru-Shukrast, Adhimaas and Vedadi is not possible in a hurry to make sale, travel or litigation, purchase of land, rides, clothes, jewelery etc., then these Sarvarthasiddhi Yogas can be adopted.
Amrit Siddhi Yoga:- From 23 Jan 11:09 am to 24 Jan 7:13 am, in this yoga, apart from the work of Siddha Yoga, it is auspicious to do love marriage, foreign travel and fruitful rituals.
Ravi Yoga :- From 23 Jan 11:09 am to 24 Jan 10:19 am it is an auspicious yoga, good results are found in the works like charity, job or joining a government job. This yoga also neutralizes the other bad yogas that are going on at this time.
Upcoming fasts and festivals:-
Jan 28 - Shatila Ekadashi. Jan 30- Pradosh fast / Monthly Shivratri.
Special:- The person who lives outside Varanasi or outside the country, he can get astrological consultation by phone for astrological consultation by paying consultation fee through Paytm or bank transfer.
Have a good day .
Acharya Mordhwaj Sharma Shri Kashi Vishwanath Temple Varanasi
9648023364
9129998000
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