संकष्ट तिल चतुर्थी माघ मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली चतुर्थी को कहा जाता है। वर्ष 2022 में 21 जनवरी शुक्रवार को
संकष्ट तिल चतुर्थी पड़ रही है।
संतानों को सभी कष्टों से मुक्ति दिलाने वाली संकष्टी गणेशचतुर्थी का व्रत माघ कृष्णपक्ष चतुर्थी 21 जनवरी, शुक्रवार को मनाया जाएगा। मन के स्वामी चंद्रमा और बुद्धि के स्वामी गणेश जी के संयोग के परिणामस्वरुप इस चतुर्थी व्रत के करने से मानसिक शांति, कार्य में सफलता, प्रतिष्ठा में वृद्धि और घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। इस दिन किया गया व्रत और पूजा- पाठ और दान परिवार में सुख-शांति लेकर आता है। इस दिन इन उपायों को करने से रिद्धि-सिद्धि के दाता गणेशजी आप पर प्रसन्न होंगे।
इस वर्ष सकट चौथ पर दो तरह का शुभ योग बन रहा है जिसमें भगवान गणेश की पूजा करने पर बहुत ही शुभ फल की प्राप्ति होगी। सकट चौथ पर चंद्रमा पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र और सिद्धि योग में मनाया जाएगा। इसके अलावा ग्रहों के शुभ योग से सौभाग्य नाम का शुभ योग भी बना है। जिस कारण से सकट चौथ का महत्व बढ़ गया है। सकट चौथ शुक्रवार के दिन और शुक्र के नक्षत्र पूर्वाफाल्गुनी के योग से इस दिन माताएं अपने संतान के लिए व्रत रखते हुए उनके सुख की कामना फलदायी होगी।
इस चतुर्थी तिथि को "सकट चतुर्थी" के रुप में भी जाना जाता है। वैसे यह चतुर्थी अन्य नामों से भी जानी जाती है। जिसमें इसे तिल, लम्बोदर आदि नाम भी दिए गए हैं। इस दिन भगवान श्री गणेश का पूजन होता है। तिल चतुर्थी जीवन में सभी सुखों का आशीर्वाद प्रदान करने वाली है। भगवन श्री गणेश द्वारा दिया गया आशीर्वाद ही “वरद” होता है।
इसलिये भगवान श्री गणेश का एक नाम वरद भी है जो सदैव भक्तों को भय मुक्ति और सुख समृद्धि का आशीर्वाद होता है। चतुर्थी तिथि भगवान गणेश की पूजा के लिए विशेष महत्वपूर्ण बतायी गयी है। इसलिए प्रत्येक माह की चतुर्थी तिथि के दिन गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है। भगवान श्री गणेश चतुर्थी का उत्सव संपूर्ण भारत वर्ष में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी पर श्री गणेश का पूजन करना अत्यंत ही शुभदायक होता है। बारह मास के अनुक्रम में यह सबसे बड़ी चतुर्थी मानी गई है।
(संकष्टी तिल)चतुर्थी पूजन कैसे किया जाए
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संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान श्री गणेश जी का पूजन अपनी अपनी सामर्थ्य के अनुसार होता है। चतुर्थी तिथि व्रत के नियमों का पालन चतुर्थी तिथि से पूर्व ही आरंभ कर देना चाहिए। पूजा वाले दिन प्रात:काल उठ कर श्री गणेश जी के नाम का स्मरण करना चाहिए। चतुर्थी के दिन सुबह स्नानादि से निवृत्त होकर साफ-स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए। चतुर्थी व्रत वाले दिन नाम स्मरण का विशेष महत्व रहा है। संकष्टी चतुर्थी पूजा स्थल पर सुबह स्नानादि करके व्रत का संकल्प लेकर व्रती सूर्योदय से चंद्रोदय काल तक नियमपूर्वक रहें। दोपहर में लकड़ी के पाटे पर लाल या पीला कपडा बिछाकर ईशान कोण में मिट्टी के गणेश व चौथ माता की तस्वीर स्थापित कर रोली, मोली,अक्षत, फल,फूल, शमीपत्र,दूर्वा आदि से विधिपूर्वक पूजन करें। फिर मोदक तथा गुड़ में बने हुए तिल के लड्डू का नैवेद्य अर्पण करें और आरती कर चौथ माता की कहानी सुनें।
पूजा की विधि
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जिस स्थान पर पूजा करनी है उस स्थान को गंगाजल से शुद्ध करना चाहिए। पूजा के लिए ईशान दिशा का होना शुभ माना गया है। गणेश जी की प्रतिमा और चौथ माता के चित्र को स्थापित करना चाहिए।
भगवान श्री गणेश जी पूजा में दूर्वा का उपयोग अत्यंत आवश्यक होता है। इसका मुख्य कारण है की दुर्वा(घास) भगवान को अत्यंत प्रिय है।
भगवान गणेश के सम्मुख ऊँ गं गणपतयै नम: का मंत्र बोलते हुए दुर्वा अर्पित करनी चाहिए।
इसके बाद आसन पर बैठकर भगवान श्रीगणेश का पूजन करना चाहिए।
कपूर, घी के दीपक से आरती करनी चाहिए।
भगवान को भोग लगाना चाहिए. तिल और गुड़ से बने लड्डुओं का भोग लगाना चाहिए और उस प्रसाद को सभी में बांटना चाहिए।
व्रत में फलाहार का सेवन करते हुए संध्या समय गणेश जी की पुन: पूजा अर्चना करनी चाहिए. पूजा के पश्चात ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए उसके बाद स्वयं भोजन ग्रहण करना चाहिए।
इस दिन दान का भी विशेष शुभ फल मिलता है। इसलिए इस दिन गर्म कपड़े, कंबल, गुड़, तिल इत्यादि वस्तुओं का दान करना चाहिए. इस प्रकार विधिवत भगवान श्रीगणेश का पूजन करने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि में निरंतर वृद्धि होती है।
षोडशोपचार पूजा विधि
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इस व्रत की शुरुआत सूर्योदय से पूर्व या सूर्योदय काल से ही करनी चाहिए। सूर्यास्त से पहले ही गणेश तिल चतुर्थी व्रत कथा-पूजा होती है। पूजा में तिल का प्रयोग अनिवार्य है। तिल के साथ गुड़, गन्ने और मूली का उपयोग करना चाहिए। इस दिन मूली भूलकर भी नहीं खानी चाहिए कहा जाता है कि मूली खाने धन -धान्य की हानि होती है। इस व्रत में चंद्रोदय के समय चन्द्रमा को तिल, गुड़ आदि का अर्घ्य देना चाहिए। साथ ही संकटहारी गणेश एवं चतुर्थी माता को तिल, गुड़, मूली आदि से अर्घ्य देना चाहिए।
अर्घ्य देने के उपरांत ही व्रत समाप्त करना चाहिए। इस दिन निर्जला व्रत का भी विधान है माताएं निर्जला व्रत अपने पुत्र के दीर्घायु के लिए अवश्य ही करती है। इस दिन तिल का प्रसाद खाना चाहिए। गणेश जी को दूर्वा तथा लड्डू अत्यंत प्रिय है अत: गणेश जी पूजा में दूर्वा और लड्डू जरूर चढ़ाना चाहिए।
पूजन सामग्री👉 (वृहद् पूजन के लिए )
शुद्ध जल, दूध, दही, शहद, घी, चीनी, पंचामृत, वस्त्र,जनेऊ,मधुपर्क,सुगंध,लाल चन्दन,रोली,सिन्दूर,अक्षत(चावल),फूल,माला,बेलपत्र,दूब,शमीपत्र,गुलाल,आभूषण,सुगन्धित तेल,धूपबत्ती,दीपक,प्रसाद,फल,गंगाजल,पान,सुपारी,रूई,कपूर।
विधि- गणेश जी की मूर्ती सामने रखकर और श्रद्धा पूर्वक उस पर पुष्प छोड़े यदि मूर्ती न हो तो सुपारी पर मौली लपेटकर चावल पर स्थापित करें -और आवाहन करें -
गजाननं भूतगणादिसेवितम कपित्थजम्बू फल चारू भक्षणं |
उमासुतम शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वर पादपंकजम ||
आगच्छ भगवन्देव स्थाने चात्र स्थिरो भव|
यावत्पूजा करिष्यामि तावत्वं सन्निधौ भव ||
और अब प्रतिष्ठा (प्राण प्रतिष्ठा) करें -
अस्यैप्राणाः प्रतिष्ठन्तु अस्यै प्राणा क्षरन्तु च |
अस्यै देवत्वमर्चार्यम मामेहती च कश्चन ||
आसन-रम्यं सुशोभनं दिव्यं सर्व सौख्यंकर शुभम |
आसनं च मया दत्तं गृहाण परमेश्वरः ||
पाद्य (पैर धुलना)
उष्णोदकं निर्मलं च सर्व सौगंध्य संयुत्तम |
पादप्रक्षालनार्थाय दत्तं ते प्रतिगह्यताम ||
अर्घ्य(हाथ धुलना )-
अर्घ्य गृहाण देवेश गंध पुष्पाक्षतै :|
करुणाम कुरु में देव गृहणार्ध्य नमोस्तुते ||
आचमन
सर्वतीर्थ समायुक्तं सुगन्धि निर्मलं जलं |
आचम्यताम मया दत्तं गृहीत्वा परमेश्वरः ||
स्नान
गंगा सरस्वती रेवा पयोष्णी नर्मदाजलै:|
स्नापितोSसी मया देव तथा शांति कुरुश्वमे ||
दूध् से स्नान
कामधेनुसमुत्पन्नं सर्वेषां जीवन परम |
पावनं यज्ञ हेतुश्च पयः स्नानार्थं समर्पितं ||
दही से स्नान
पयस्तु समुदभूतं मधुराम्लं शक्तिप्रभं |
दध्यानीतं मया देव स्नानार्थं प्रतिगृह्यतां ||
घी से स्नान
नवनीत समुत्पन्नं सर्व संतोषकारकं |
घृतं तुभ्यं प्रदास्यामि स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम ||
शहद से स्नान
तरु पुष्प समुदभूतं सुस्वादु मधुरं मधुः |
तेजः पुष्टिकरं दिव्यं स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम ||
शर्करा (चीनी) से स्नान
इक्षुसार समुदभूता शंकरा पुष्टिकार्कम |
मलापहारिका दिव्या स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम ||
पंचामृत से स्नान
पयोदधिघृतं चैव मधु च शर्करायुतं |
पंचामृतं मयानीतं स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम ||
शुध्दोदक (शुद्ध जल ) से स्नान
मंदाकिन्यास्त यध्दारि सर्वपापहरं शुभम |
तदिधं कल्पितं देव स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम ||
वस्त्र
सर्वभूषाधिके सौम्ये लोक लज्जा निवारणे|
मयोपपादिते तुभ्यं वाससी प्रतिगृह्यतां ||
उपवस्त्र (कपडे का टुकड़ा )
सुजातो ज्योतिषा सह्शर्म वरुथमासदत्सव : |
वासोअस्तेविश्वरूपवं संव्ययस्वविभावसो ||
यज्ञोपवीत
नवभिस्तन्तुभिर्युक्त त्रिगुण देवतामयम |
उपवीतं मया दत्तं गृहाणं परमेश्वर : ||
मधुपर्क
कस्य कन्स्येनपिहितो दधिमध्वा ज्यसन्युतः |
मधुपर्को मयानीतः पूजार्थ् प्रतिगृह्यतां ||
गन्ध
श्रीखण्डचन्दनं दिव्यँ गन्धाढयं सुमनोहरम |
विलेपनं सुरश्रेष्ठ चन्दनं प्रतिगृह्यतां ||
रक्त(लाल )चन्दन
रक्त चन्दन समिश्रं पारिजातसमुदभवम |
मया दत्तं गृहाणाश चन्दनं गन्धसंयुम ||
रोली
कुमकुम कामनादिव्यं कामनाकामसंभवाम |
कुम्कुमेनार्चितो देव गृहाण परमेश्वर्: ||
सिन्दूर
सिन्दूरं शोभनं रक्तं सौभाग्यं सुखवर्धनम् ||
शुभदं कामदं चैव सिन्दूरं प्रतिगृह्यतां ||
अक्षत
अक्षताश्च सुरश्रेष्ठं कुम्कुमाक्तः सुशोभितः |
माया निवेदिता भक्त्या गृहाण परमेश्वरः ||
पुष्प
पुष्पैर्नांनाविधेर्दिव्यै: कुमुदैरथ चम्पकै: |
पूजार्थ नीयते तुभ्यं पुष्पाणि प्रतिगृह्यतां ||
पुष्प माला
माल्यादीनि सुगन्धिनी मालत्यादीनि वै प्रभो |
मयानीतानि पुष्पाणि गृहाण परमेश्वर: ||
बेल का पत्र
त्रिशाखैर्विल्वपत्रैश्च अच्छिद्रै: कोमलै :शुभै : |
तव पूजां करिष्यामि गृहाण परमेश्वर : ||
दूर्वा
त्वं दूर्वेSमृतजन्मानि वन्दितासि सुरैरपि |
सौभाग्यं संततिं देहि सर्वकार्यकरो भव ||
दूर्वाकर
दूर्वाकुरान सुहरिता नमृतान मंगलप्रदाम |
आनीतांस्तव पूजार्थ गृहाण गणनायक:||
शमीपत्र
शमी शमय ये पापं शमी लाहित कष्टका |
धारिण्यर्जुनवाणानां रामस्य प्रियवादिनी ||
अबीर गुलाल
अबीरं च गुलालं च चोवा चन्दन्मेव च |
अबीरेणर्चितो देव क्षत: शान्ति प्रयच्छमे ||
आभूषण
अलंकारान्महा दव्यान्नानारत्न विनिर्मितान |
गृहाण देवदेवेश प्रसीद परमेश्वर: ||
सुगंध तेल
चम्पकाशोक वकु ल मालती मीगरादिभि: |
वासितं स्निग्धता हेतु तेलं चारु प्रगृह्यतां ||
धूप
वनस्पतिरसोदभूतो गन्धढयो गंध उत्तम : |
आघ्रेय सर्वदेवानां धूपोSयं प्रतिगृह्यतां ||
दीप
आज्यं च वर्तिसंयुक्तं वहिन्ना योजितं मया |
दीपं गृहाण देवेश त्रैलोक्यतिमिरापहम ||
नैवेद्य
शर्कराघृत संयुक्तं मधुरं स्वादुचोत्तमम |
उपहार समायुक्तं नैवेद्यं प्रतिगृह्यतां ||
मध्येपानीय
अतितृप्तिकरं तोयं सुगन्धि च पिबेच्छ्या |
त्वयि तृप्ते जगतृप्तं नित्यतृप्ते महात्मनि ||
ऋतुफल
नारिकेलफलं जम्बूफलं नारंगमुत्तमम |
कुष्माण्डं पुरतो भक्त्या कल्पितं
प्रतिगृह्यतां ||
आचमन
गंगाजलं समानीतां सुवर्णकलशे स्थितन |
आचमम्यतां सुरश्रेष्ठ शुद्धमाचनीयकम ||
अखंड ऋतुफल
इदं फलं मयादेव स्थापितं पुरतस्तव |
तेन मे सफलावाप्तिर्भवेज्जन्मनि जन्मनि ||
ताम्बूल पूंगीफलं
पूंगीफलम महद्दिश्यं नागवल्लीदलैर्युतम |
एलादि चूर्णादि संयुक्तं ताम्बूलं प्रतिगृह्यतां ||
दक्षिणा(दान)
हिरण्यगर्भ गर्भस्थं हेमबीजं विभावसो: |
अनन्तपुण्यफलदमत : शान्ति प्रयच्छ मे ||
आरती
चंद्रादित्यो च धरणी विद्युद्ग्निंस्तर्थव च |
त्वमेव सर्वज्योतीष आर्तिक्यं प्रतिगृह्यताम ||
पुष्पांजलि
नानासुगन्धिपुष्पाणि यथाकालोदभवानि च |
पुष्पांजलिर्मया दत्तो गृहाण परमेश्वर: ||
प्रार्थना
रक्ष रक्ष गणाध्यक्ष रक्ष त्रैलोक्य रक्षक:
भक्तानामभयं कर्ता त्राता भव भवार्णवात ||
अनया पूजया गणपति: प्रीयतां न मम कहकर प्रणाम कर आरती के लिए खड़े हो जाये।
श्री गणेश जी की आरती
जय गणेश,जय गणेश,जय गणेश देवा |
माता जाकी पारवती,पिता महादेवा ||
एक दन्त दयावंत,चार भुजा धारी |
मस्तक पर सिन्दूर सोहे,मूसे की सवारी || जय ...
अंधन को आँख देत,कोढ़िन को काया |
बांझन को पुत्र देत,निर्धन को माया || जय ...
हार चढ़े,फूल चढ़े और चढ़े मेवा |
लड्डुअन का भोग लगे,संत करें सेवा || जय ...
दीनन की लाज राखो,शम्भु सुतवारी |
कामना को पूरा करो जग बलिहारी || जय ...
अर्घ्य अर्पित करने की विधि
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तिथि की अधिष्ठात्री देवी तथा रोहिणीपति चंद्रमा को शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश-पूजन के पश्चात अर्घ्य प्रदान करना चाहिए। गणेश पुराण के अनुसार, चंद्रोदय काल में गणेश के लिए तीन, तिथि के लिए तीन और चंद्रमा के लिए सात अर्घ्य प्रदान करना चाहिए। इस व्रत में तृतीया तिथि से युक्त चतुर्थी तिथि ग्राह्य है। तृतीया के स्वामी गौरी माता और चतुर्थी के स्वामी श्रीगणेश जी हैं। व्रत तोड़ने के बाद महिलाओं का शकरकंदी खाने की परंपरा भी है।
पानी के छींटें से बचें
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सकट चौथ व्रत के दिन जब आप चांद के अर्घ्य दे रही हों उस दौरान महिलाओं को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि चांद को अर्पित किए जा रहे जल के छींटें आपके पैर या शरीर पर बिलकुल न पड़ें।
पौराणिक कथा
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चतुर्थी व्रत से सबंधित कथा भगवान श्री गणेश जी के जन्म से संबंधित है तो कुछ कथाएं भगगवान के भक्त पर की जाने वाली असीम कृपा को दर्शाती है. इसी में एक कथा इस प्रकार है. शिवपुराण में बताया गया है कि शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर गणेशजी का जन्म हुआ था. इस कारण चतुर्थी तिथि को जन्म तिथि के रुप में मनाया जाता है. इस दिन गणेशजी के लिए विशेष पूजा-पाठ का आयोजन होता है. मान्यता के अनुसार एक बार माता पार्वती स्नान के लिए जब जाने वाली होती हैं तो वह अपनी मैल से एक बच्चे का निर्माण करती हैं और उस बालक को द्वारा पर पहरा देने को कहती हैं.
उस समय भगवान शिव जब अंदर जाने लगते हैं तो द्वार पर खड़े बालक, शिवजी को पार्वती से मिलने से रोक देते है. बालक माता पार्वती की आज्ञा का पालन कर रहे होते हैं. जब शिवजी को बालक ने रोका तो शिवजी क्रोधित हो गए और अपने त्रिशूल से उस बालक का सिर धड़ से अलग कर देते हैं. जब पार्वती को ये बात मालूम हुई तो वह बहुत क्रोधित होती हैं. वह शिवजी से बालक को पुन: जीवित करने के लिए कहती हैं. तब भगवान शिव ने उस बालक के धड़ पर हाथी का सिर लगा कर उसे जीवित कर देते हैं. उस समय बालक को गणेश नाम प्राप्त होता है. वह बालक माता पार्वती और भगवन शिव का पुत्र कहलाते हैं।
कथा 2
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एक अन्य कथा के अनुसार भगवान शिव और माता पार्वती एक बार नदी किनारे बैठे हुए थे। उसी दौरान माता पार्वती को चौपड़ खेलने का मन हुआ। लेकिन उस समय वहां माता और भगवान शिव के अलावा कोई और मौजूद नहीं था, लेकिन खेल में हार-जीत का फैसला करने के लिए एक व्यक्ति की जरुरत थी। इस विचार के बाद दोनों ने एक मिट्टी की मूर्ति बनाकर उसमें जान डाल दी और उससे कहा कि खेल में कौन जीता इसका फैसला तुम करना। खेल के शुरु होते ही माता पार्वती विजय हुई और इस प्रकार तीन से चार बार उन्हीं की जीत हुई। लेकिन एक बार गलती से बालक ने भगवान शिव का विजयी के रुप में नाम ले लिया। जिसके कारण माता पार्वती क्रोधित हो गई और उस बालक को लंगड़ा बना दिया। बालक उनसे क्षमा मांगता है और कहता है कि उससे भूल हो गई उसे माफ कर दें। माता कहती हैं कि श्राप वापस नहीं हो सकता लेकिन एक उपाय करके इससे मुक्ति पा सकते हो। माता पार्वती कहती हैं कि इस स्थान पर चतुर्थी के दिन कुछ कन्याएं पूजा करने आती हैं, तुम उनसे व्रत की विधि पूछना और उस व्रत को श्रद्धापूर्वक करना।
चतुर्थी के दिन कन्याएं वहां आती हैं और बालक उनसे व्रत की विधि पूछता और उसके बाद विधिवत व्रत करने से वो भगवान गणेश को प्रसन्न कर लेता है। भगवान गणेश उसे दर्शन देकर उससे इच्छा पूछते हैं तो वो कहता है कि वो भगवान शिव और माता पार्वती के पास जाना चाहता है। भगवान गणेश उसकी इच्छा पूरी करते हैं और वो बालक भगवान शिव के पास पहुंच जाता है। लेकिन वहां सिर्फ भगवान शिव होते हैं क्योंकि माता पार्वती भगवान शिव से रुठ कर कैलाश छोड़कर चली जाती हैं। भगवान शिव उससे पूछते हैं कि वो यहां कैसे आया तो बालक बताता है कि भगवान गणेश के पूजन से उसे ये वरदान प्राप्त हुआ है। इसके बाद भगवान शिव भी माता पार्वती को मनाने के लिए ये व्रत रखते हैं। इसके बाद माता पार्वती का मन अचानक बदल जाता है और वो वापस कैलाश लौट आती हैं। इस कथा के अनुसार भगवान गणेश का संकष्टी के दिन व्रत करने से हर मनोकामना पूर्ण होती है और संकट दूर होते हैं।
तिल चतुर्थी व्रत दान
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इस दिन जो व्यक्ति भगवान गणेश का तिल चतुर्थी का व्रत रखते हैं और जो व्यक्ति व्रत नहीं रखते हैं वह सभी अपनी सामर्थ्य के अनुसार गरीब लोगों को दान कर सकते हैं. इस दिन गरीब लोगों को गर्म वस्त्र, कम्बल, कपडे़ आदि दान कर सकते हैं. भगवान गणेश को तिल तथा गुड़ के लड्डुओं का भोग लगाने के बाद प्रसाद को गरीब लोगों में बांटना चाहिए. लड्डुओं के अतिरिक्त अन्य खाद्य वस्तुओं को भी गरीब लोगों में बांटा जा सकता है.
इस दिन दान का भी विशेष महत्व धर्म ग्रंथों में दिया गया है जिसके अनुसार जो व्यक्ति व्रत के साथ-साथ दान भी करता है उसकी हर मनोकामना पूरी होती है. माघ मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को रखा जाने वाला व्रत गणेश तिल चतुर्थी के नाम से जाना जाता है. इस दिन संध्या समय में गणेश चतुर्थी की व्रत कथा को सुना जाता है कथा अनुसार भगवान शिव ने गणेश जी को आशीर्वाद दिया कि चतुर्थी के दिन जो तुम्हारा पूजन करेगा और रात्रि में चन्द्रमा को अर्ध्य देगा उसके तीनों ताप - दैहिक ताप, दैविक ताप तथा भौतिक ताप दूर होगें. व्यक्ति को सभी प्रकार के दु:खों से मुक्ति मिलेगी व सभी प्रकार के भौतिक सुखों की प्राप्ति होगी।
वरद विनायक तिल चतुर्थी पूजा मुहूर्त
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चतुर्थी तिथि आरंभ - 21 जनवरी 2022 शुक्रवार प्रातः 8 बजकर 50 मिनट से।
चतुर्थी तिथि समाप्त - 22 जनवरी 2022 शनिवार प्रातः 09 बजकर 41 मिनट पर।
चंद्रोदय का समय: 21 जनवरी, रात्रि लगभग 9:00 बजे होगा।
चर और लाभ की चौघडी में पूजन श्रेष्ठ है
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भगवान श्री गणेश के 32 मंगलकारी स्वरूप.....
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|| ॐ गं गणपतये नमः ||
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"मुद्गल पुराण"
श्री गणेश बुद्धि और विद्या के देवता है। जीवन को विघ्र और बाधा रहित बनाने के लिए श्री गणेश उपासना बहुत शुभ मानी जाती है। इसलिए हिन्दू धर्म के हर मंगल कार्य में सबसे पहले भगवान गणेश की उपासना की परंपरा है। माना जाता है कि श्री गणेश स्मरण से मिली बुद्धि और विवेक से ही व्यक्ति अपार सुख, धन और लंबी आयु प्राप्त करता है।
धर्मशास्त्रों में भगवान श्री गणेश के मंगलमय चरित्र, गुण, स्वरूपों और अवतारों का वर्णन है। भगवान को आदिदेव मानकर परब्रह्म का ही एक रूप माना जाता है। यही कारण है कि अलग-अलग युगों में श्री गणेश के अलग-अलग अवतारों ने जगत के शोक और संकट का नाश किया। इसी कड़ी में मुद्गल पुराण के मुताबिक भगवान श्री गणेश के ये 32 मंगलकारी स्वरूप नाम के मुताबिक भक्त को शुभ फल देते हैं।
1. श्री बाल गणपति 👉 छ: भुजाओं और लाल रंग का शरीर....
2. श्री तरुण गणपति 👉 आठ भुजाओं वाला रक्तवर्ण शरीर....
3. श्री भक्त गणपति 👉 चार भुजाओं वाला सफेद रंग का शरीर....
4. श्री वीर गणपति 👉 दस भुजाओं वाला रक्तवर्ण शरीर....
5. श्री शक्ति गणपति 👉 चार भुजाओं वाला सिंदूरी रंग का शरीर....
6. श्री द्विज गणपति 👉 चार भुजाधारी शुभ्रवर्ण शरीर....
7. श्री सिद्धि गणपति 👉 छ: भुजाधारी पिंगल वर्ण शरीर....
8. श्री विघ्न गणपति 👉 दस भुजाधारी सुनहरी शरीर....
9. श्री उच्चिष्ठ गणपति 👉 चार भुजाधारी नीले रंग का शरीर....
10. श्री हेरम्ब गणपति 👉 आठ भुजाधारी गौर वर्ण शरीर....
11. श्री उद्ध गणपति 👉 छ: भुजाधारी कनक यानि सोने के रंग का शरीर....
12. श्री क्षिप्र गणपति 👉 छ: भुजाधारी रक्तवर्ण शरीर....
13. श्री लक्ष्मी गणपति 👉 आठ भुजाधारी गौर वर्ण शरीर....
14. श्री विजय गणपति 👉 चार भुजाधारी रक्त वर्ण शरीर....
15. श्री महागणपति 👉 आठ भुजाधारी रक्त वर्ण शरीर
16. श्री नृत्त गणपति 👉 छ: भुजाधारी रक्त वर्ण शरीर....
17. श्री एकाक्षर गणपति 👉 चार भुजाधारी रक्तवर्ण शरीर....
18. श्री हरिद्रा गणपति 👉 छ: भुजाधारी पीले रंग का शरीर....
19. श्री त्र्यैक्ष गणपति 👉 सुनहरे शरीर, तीन नेत्रों वाले चार भुजाधारी
20. श्री वर गणपति 👉 छ: भुजाधारी रक्तवर्ण शरीर....
21. श्री ढुण्डि गणपति 👉 चार भुजाधारी रक्तवर्णी शरीर....
22. श्री क्षिप्र प्रसाद गणपति 👉 छ: भुजाधारी रक्ववर्णी, त्रिनेत्र धारी....
23. श्री ऋण मोचन गणपति 👉 चार भुजाधारी लालवस्त्र धारी....
24. श्री एकदन्त गणपति 👉 छ: भुजाधारी श्याम वर्ण शरीर धारी....
25. श्री सृष्टि गणपति 👉 चार भुजाधारी, मूषक पर सवार रक्तवर्णी शरीर धारी....
26. श्री द्विमुख गणपति 👉 पीले वर्ण के चार भुजाधारी और दो मुख वाले....
27. श्री उद्दण्ड गणपति 👉 बारह भुजाधारी रक्तवर्णी शरीर वाले, हाथ में कुमुदनी और अमृत का पात्र होता है।....
28. श्री दुर्गा गणपति 👉 आठ भुजाधारी रक्तवर्णी और लाल वस्त्र पहने हुए।....
29. श्री त्रिमुख गणपति 👉 तीन मुख वाले, छ: भुजाधारी, रक्तवर्ण शरीर धारी....
30. श्री योग गणपति 👉 योगमुद्रा में विराजित, नीले वस्त्र पहने, चार भुजाधारी....
31. श्री सिंह गणपति –👉 श्वेत वर्णी आठ भुजाधारी, सिंह के मुख और हाथी की सूंड वाले....
32. श्री संकष्ट हरण गणपति 👉 चार भुजाधारी, रक्तवर्णी शरीर, हीरा जडि़त मुकूट पहने....
|| ॐ गं गणपतये नमः ||
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English Translation :-
The Chaturthi that falls in the Krishna Paksha of Magha month is called Sankasht Til Chaturthi. On Friday, January 21 in the year 2022
Til Chaturthi is falling.
The fast of Sankashti Ganesh Chaturthi, which delivers children from all troubles, will be celebrated on Magha Krishna Paksha Chaturthi on 21st January, Friday. As a result of the conjunction of Moon, the lord of the mind and Lord Ganesha, the lord of intelligence, observing this Chaturthi fast brings peace of mind, success in work, increase in prestige and removes negative energy from the house. The fasting and worship performed on this day brings happiness and peace in the family. By doing these measures on this day, the giver of Riddhi-Siddhi, Ganesha will be pleased with you.
This year, two types of auspicious yoga are being formed on Sakat Chauth, in which worshiping Lord Ganesha will give very auspicious results. On Sakat Chauth, Moon will be observed in Poorva Phalguni Nakshatra and Siddhi Yoga. Apart from this, an auspicious yoga named Saubhagya is also formed from the auspicious combination of planets. Due to which the importance of Sakat Chauth has increased. With the combination of Sakat Chauth on Friday and the constellation of Venus, Purva Phalguni, on this day, mothers keep a fast for their children and wish for their happiness will be fruitful.
This Chaturthi Tithi is also known as "Sakata Chaturthi". By the way, this Chaturthi is also known by other names. In which it has also been given names like sesame, lambodar etc. Lord Ganesha is worshiped on this day. Til Chaturthi is supposed to bestow blessings of all happiness in life. Blessings given by Lord Ganesha are "Varad".That's why there is also a name of Lord Ganesha, who always blesses the devotees with freedom from fear and happiness and prosperity. Chaturthi date is said to be very important for the worship of Lord Ganesha. Therefore, the festival of Ganesh Chaturthi is celebrated on the Chaturthi date of every month. The festival of Lord Shri Ganesh Chaturthi is celebrated with great enthusiasm all over India. Worshiping Shri Ganesh on Chandrodaya Vyapini Chaturthi is very auspicious. It is considered to be the biggest Chaturthi in the sequence of twelve months.
How to do Chaturthi Puja (Sankashti Til)
On the day of Sankashti Chaturthi, Lord Ganesha is worshiped according to his capacity. Following the rules of Chaturthi Tithi fasting should be started before Chaturthi Tithi. One should wake up early in the morning on the day of worship and remember the name of Shri Ganesh ji. On the day of Chaturthi, one should retire from bathing in the morning and wear clean clothes. On the day of Chaturthi fasting, remembering the name has special significance. After taking bath in the morning at the Sankashti Chaturthi worship place, take a vow of fasting and stay regular from sunrise to moonrise. In the afternoon, after laying a red or yellow cloth on a wooden floor, establish a picture of Ganesha and Chauth Mata in the north-east corner and worship with Roli, Moli, Akshat, fruits, flowers, Shamipatra, Durva etc. Then offer Naivedya to Sesame Laddu made in Modak and Jaggery and listen to the story of Chauth Mata by performing aarti.
method of worship
The place where the worship is to be performed should be purified with Gangajal. Northeast direction is considered auspicious for worship. The idol of Ganesh ji and the picture of Chauth Mata should be installed.
The use of Durva is very important in the worship of Lord Shri Ganesh ji. The main reason for this is that Durva (grass) is very dear to God.
One should offer Durva in front of Lord Ganesha while reciting the mantra of Om Ganapatayai Namah.
After this, Lord Ganesha should be worshiped by sitting on the seat.
Aarti should be done with camphor, ghee lamp.
God should be offered. Laddus made of sesame and jaggery should be offered and that prasad should be distributed among all.
One should worship Lord Ganesha again in the evening while consuming fruits during the fast. After the worship, the Brahmin should be fed food, after that he himself should take food.
Donation on this day also gives special auspicious results. Therefore, items like warm clothes, blankets, jaggery, sesame etc. should be donated on this day. In this way, by worshiping Lord Ganesha duly, there is a continuous increase in happiness and prosperity in the family.
Shodashopachara worship method
This fast should be started before sunrise or from sunrise time itself. Ganesh Til Chaturthi fasting story-worship is done even before sunset. Use of sesame in worship is mandatory. Jaggery, sugarcane and radish should be used with sesame. On this day, radish should not be eaten even after forgetting it, it is said that eating radish leads to loss of money and grains. In this fast, at the time of moonrise, the moon should be offered Arghya of sesame, jaggery etc. Along with this, Ganesh and Chaturthi Mata should be offered Arghya with sesame, jaggery, radish etc.
The fast should be ended only after offering Arghya. There is also a law of Nirjala fasting on this day, mothers must observe Nirjala fast for the longevity of their son. Sesame prasad should be eaten on this day. Durva and laddus are very dear to Ganesh ji, so Durva and laddus must be offered in Ganesh ji worship.
Worship material (for large worship)
Pure water, milk, curd, honey, ghee, sugar, panchamrit, clothes, janeu, honey, fragrance, red sandalwood, roli, vermilion, akshat (rice), flowers, garland, belpatra, cob, Shamipatra, gulal, jewellery, fragrant Oil, incense sticks, lamp, prasad, fruit, Ganges water, betel nut, cotton, camphor.
Method- Putting the idol of Ganesh ji in front and leaving flowers on it with reverence, if the idol is not there, then wrap Molly on betel nut and install it on rice - and make an appeal -
Gajananam Bhutaganadisevitam Kapithajambu Fruit Charu Bhakshanam |
Umasutam mourning destructionkaram Namami Vighneshwar padpankajam ||
May you remain stable.
Yavatpuja karishyami tavatvam sannidhau bhava ||
And now do Pratishtha (prana pratistha) -
Asyapranah Pratisthantu Asai Prana Ksharantu cha |
Asya Devatvamarcharyam Mamehti Cha Kaschan ||
Asana-ramyam sushobhanam divyam sarva saukhyankar shubham |
Asancha Maya Dattam Grihan Parameshwara: ||
padya (foot wash)
Ushnodakam nirmalam cha sarva saugandhya samyuttam.
Padaprakshalarthaya Dattam Te Pratighayatam ||
Arghya (washing of hands)-
Arghya Grihan Devesh Gandha Pushpakshatai:|
Dev Grihanardhya Namostute in Karunam Kuru ||
Aachman
Sarvatirtha Samayuktam Sugandhi Nirmalam Water.
Aachamaytam Maya Dattam Grihitva Parameshwarah ||
Bathing
Ganga Saraswati Reva Payoshni Narmadajalai:|
SnapitoSC Maya Dev and Shanti Kurushwame ||
milk bath
Kamadhenusmutpannam Sarveshan Jeevan Param |
Pavanam Yagya liteshcha payah dedicated to bathing ||
yogurt bath
Payastu samudabhutam madhuramlam shaktiprabham |
Dadhyanitam Maya Dev Snanartha Pratigrahyatam ||
bath with ghee
Navneet Samutpannam Sarva Santoshkaram |
Ghritam Tubhyam Pradasyami Snanartha Pratigrhyatam ||
honey bath
Taru Pushpa Samudabhutam Suswadu Madhuram Madhuh |
Tejah Pushtikaram Divyam Snanartha Pratigrhyatam ||
sugar bath
Ikshusar Samudabhuta Shankara Pushtikarakam |
Malapaharika Divya Snanantham Pratigrhyatam ||
bath with panchamrit
Payodadhighritam chaiva madhu cha sarkaryutam.
Panchamritam Mayantam Snanartha Pratigrihatam ||
Bathing with Shuddhodaka (pure water)
Mandakiniast yadhdari sarvapapaharam shubham |
Tadidham Kalpitam Dev Snanantham Pratigrihatam ||
Clothes
Sarvabhushadhike Soumye Lok Shame Nivarane.
Mayopadite tubhyam vassi pratigrahatam ||
clothing (piece of cloth)
Sujato Jyotish Saharma Varuthamasadtsav : |
Vasoaste Vishwaroopvam Samvyasvavibhavso ||
sacrificial
Newly installed Trigun Devtamayam |
Upavitam Maya Dattam Grihanam Parameshwara: ||
Madhupark
Kasya Kansyenpihito Dadhimadhwa Jyasanyuh |
Madhuparko Mayanith Pratighyatam for worship ||
smell
Shrikhandchandanam Divyam Gandhadayam Sumanohram |
Vilepanam Surashreshtha Chandan Pratigrahatam ||
blood (red) sandalwood
Rakt Chandan Samishram Parijatasamudbhavam |
Maya Dattam Grihanash Chandanam Gandhasanyum ||
roli
Kumkum kamnadivyam kamnakaamsambhavam |
Kumkumenarchito Dev Grihana Parameshwaram: ||
vermilion
Sindooram Shobhanam Raktam Saubhagyam Sukhvardhanam ||
Shubhdam Kamadam Chaiva Sindooram Pratigrahatam ||
intact
Akshatashcha surashreshtam kumkumaktah adorned:
Maya Nivedita Bhaktya Grihan Parmeshwarah ||
flower
Pushparannanavidherdivyai: Kumudairath Champakai: |
Pujartha niate tubhyam pushpani pratighyatam ||
flower garland
Malyadini Sugandhini Malatyadini Vai Prabho.
Mayantani Pushpani Grihan Parameshwara: ||
bell letter
Trishakhairvilvapatraishcha achchidrai: komalai :shubhai: |
Tava Pujam Karishyami Grihan Parmeshwar : ||
Durva
Tvam durveSmritjanmani vanditasi surairpi |
May you have good luck children, do all your work.
durvakar
Durvaquran Suhrita Namritan Mangalpradam |
Anitantav Pujar Grahan Ghanayak:||
letter of honor
Shami Shamay Ye Papam Shami Lahit Kashka |
Dharinyarjunavananam Ramasya Priyavadini ||
abir gulal
Abiram ch gulalam ch chova chandanmev ch |
Abirenarchito Deva Kshatah Shanti Prayachme ||
jewelery
Alankaranmaha Davyannaratna Manufacture |
Grihan Devdevesh Prasid Parmeshwar: ||
aroma oil
Champakashoka Vaku La Malti Migradibhi: |
Telam Charu Praghyatam for Vasitam aliphatichata ||
Sunlight
Best :
Aagreya sarvadevanaam dhooposyam pratigrahatam ||
Deep
Aajyam cha varti syuktam vahinna yojitam maya.
Deepam Grihan Devesh Trailokyatimirapaham ||
naivedya
Sugar Ghrit Sanyuktam Madhuram Swaduchottam.
Uphaar Samayuktam Naivedyam Pratigrahatam ||
mediocre
Ati-satikaram toyam fragrance cha pibechhya.
Tvay Tripte Jagatriptam Nityatripte Mahatmani ||
season fruit
Narikelephalam Jambuphalam Narangmuttam |
Kushmandam Purto Bhaktya Kalpitam
Acceptance ||
Aachman
Gangajalam samnitam suvarnakalshe status |
Achamamayatam Surashreshtha Shuddhamachaniyakam ||
unbroken season
Idam Phalam Mayadeva Establishment Purastava |
Ten Mein Safalavaptirbhavejjanmani Janmani ||
Tambool Pungiphalam
Poongiphalam Mahaddisyam Nagavallidalairyutam |
Eladi Churnadi Samyuktam Tamboolam Pratigrahatam ||
Dakshina (charity)
Hiranyagarbha garbhasthaam hemabijam vibhavaso: |
Anant Punyafaladamat: Peace in Prayachchh ||
Hindu ritual of worship
Chandradityo Ch Dharani Vidyudgninstarthava Ch |
Tvameva Sarvajyotish Artikyam Pratigrhyatam ||
wreath
Nanasugandhipushpani yathkalodbhavani c.
Pushpanjalirmaya Datto Grihan Parameshwara: ||
Prayer
Raksha Raksha Ganadhyaksha Raksha Trailokya Rakshak:
Bhaktanambhayam Karta Trata Bhava Bhavarnavata ||
Anaya Pujaya Ganapati: After saying 'Priyatam Na Mama', stand up for the aarti.
Aarti of Shri Ganesh ji
Jai Ganesh, Jai Ganesh, Jai Ganesh Deva |
Mother Jaki Parvati, Father Mahadeva ||
One tooth merciful, with four arms.
Sindoor sleeps on the head, the ride of the mouse || Victory ...
Giving eyes to the blind, a body to the crippled.
Giving a son to the barren, Maya to the poor Victory ...
The necklace went up, the flowers went up and the nuts went up.
Enjoy the laddus, serve the saints. Victory ...
Shambhu Sutwari
Fulfill the wish, Jag Balihari || Victory ...
method of offering prayers
Arghya should be offered to the presiding deity of the tithi and Rohinipati Moon on the Chaturthi of Shukla Paksha after Ganesh-worship. According to the Ganesha Purana, three Arghyas should be offered to Ganesha during the moonrise period, three for the tithi and seven for the moon. In this fast, Chaturthi Tithi consisting of Tritiya Tithi is acceptable. The lord of Tritiya is Gauri Mata and the lord of Chaturthi is Shri Ganesh ji. There is also a tradition of women eating sweet potato after breaking the fast.
avoid water splash
On the day of Sakat Chauth fasting, when you are offering moon arghya, women should take care that the water being offered to the moon should not fall on your feet or body at all.
mythology
The story related to Chaturthi fasting is related to the birth of Lord Shri Ganesh ji, while some stories show the infinite blessings bestowed on the devotee of God. There is a story in this as follows. It has been told in Shiv Puran that Ganesha was born on the Chaturthi date of Shukla Paksha. For this reason, Chaturthi Tithi is celebrated as the date of birth. On this day special worship is organized for Ganesha. According to the belief, once when Mother Parvati is about to go for a bath, she creates a child from her filth and asks that child to be guarded by her.
At that time, when Lord Shiva starts going inside, the boy standing at the door stops Shiva from meeting Parvati. The children are following the orders of Mother Parvati. When Shiva was stopped by the child, Shiva became angry and with his trident separates the child's head from the body. When Parvati came to know about this, she was very angry. She asks Shiva to revive the child. Then Lord Shiva put the elephant's head on the torso of that child and brought him to life. At that time the child gets the name Ganesha. That child is called the son of Mother Parvati and Lord Shiva.
legend 2
According to another legend, Lord Shiva and Mother Parvati were once sitting on the bank of a river. At the same time, Mata Parvati felt like playing Chaupad. But at that time there was no one else present except Mata and Lord Shiva, but a person was needed to decide the victory or defeat in the game. After this thought, both made a clay idol and put life in it and told him that you should decide who won in the game. Mother Parvati won as soon as the game started and thus she won three to four times. But once by mistake the child took the name of Lord Shiva as the victor. Due to which Mother Parvati became angry and made that child lame. The boy apologizes to him and asks him to forgive him for the mistake he made. Mother says that the curse cannot be returned, but by taking a remedy, you can get rid of it. Mata Parvati says that some girls come to this place to worship on Chaturthi, you ask them the method of fasting and observe that fast with devotion.
On the day of Chaturthi, girls come there and the child asks them the method of fasting and after that, by observing the fast, he pleases Lord Ganesha. Lord Ganesha gives him a vision and asks him his wish, then he says that he wants to go to Lord Shiva and Mother Parvati. Lord Ganesha fulfills his wish and the child reaches Lord Shiva. But there is only Lord Shiva because Mata Parvati gets angry with Lord Shiva and leaves Kailash. Lord Shiva asks him how he came here and the child tells that he has got this boon by worshiping Lord Ganesha. After this Lord Shiva also observes this fast to celebrate Mother Parvati. After this Mata Parvati's mind suddenly changes and she returns to Kailash. According to this legend, by observing Lord Ganesha's fast on the day of Sankashti, every wish is fulfilled and troubles are removed.
Til Chaturthi fast donation
On this day the person who observes the fast of Til Chaturthi of Lord Ganesha and the person who does not keep fast can donate it to poor people according to their ability. One can donate warm clothes, blankets, clothes etc. to poor people on this day. After offering sesame and jaggery laddus to Lord Ganesha, Prasad should be distributed among poor people. Apart from laddus, other food items can also be distributed among poor people.
On this day, charity has also been given special importance in religious texts, according to which every wish of the person who donates along with fasting is fulfilled. The fast observed on the Chaturthi of Shukla Paksha of Magha month is known as Ganesh Til Chaturthi. On this day, the fast story of Ganesh Chaturthi is heard in the evening, according to the legend, Lord Shiva blessed Ganesha that the one who worships you on the day of Chaturthi and gives blessings to the moon in the night, his three heats - physical heat, divine heat and physical. The heat will go away. One will get freedom from all kinds of sorrows and get all kinds of material pleasures.
Varad Vinayak Til Chaturthi Puja Muhurta
Chaturthi date starts - 21st January 2022 from Friday 8.50 am.
Chaturthi date ends - 22 January 2022 at 09:41 am on Saturday.
Moonrise time: January 21, will be around 9:00 pm.
Worship is the best in the chaghadi of variables and benefits.
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32 auspicious forms of Lord Shri Ganesh.....
, Om Ganapataye Namah ||
"Mudgal Purana"
Shri Ganesh is the god of wisdom and learning. Shri Ganesh worship is considered very auspicious to make life fast and hassle-free. Therefore, in every auspicious work of Hindu religion, there is a tradition of worshiping Lord Ganesha first. It is believed that a person attains immense happiness, wealth and long life only by the wisdom and prudence obtained from the remembrance of Shri Ganesha.
In the scriptures, there is a description of the auspicious character, qualities, forms and incarnations of Lord Ganesha. Considering God as Aadidev, it is considered a form of Parabrahma. This is the reason that different incarnations of Shri Ganesha in different eras destroyed the sorrow and distress of the world. In this episode, according to the Mudgal Purana, these 32 auspicious forms of Lord Ganesha give auspicious results to the devotee according to the name.
1. Shri Bal Ganapati Six arms and red colored body....
2. Shri Tarun Ganapati Blood color body with eight arms....
3. Shri Bhakta Ganapati The body of white color with four arms....
4. Shri Veer Ganapati Blood color body with ten arms....
5. Shri Shakti Ganapati vermilion colored body with four arms....
6. Shri Dwij Ganapati, the four-armed body of auspicious color....
7. Shri Siddhi Ganapati Six Armed Pingal Varna Body....
8. Shri Vighna Ganapati, the golden body with ten arms....
9. Shri Uchhishtha Ganapati Four-armed blue body....
10. Shri Heramb Ganapati, the eight-armed Gaur Varna body....
11. Shri Uddha Ganapati, the six-armed Kanaka means body of gold colour.
12. Shri Kshipra Ganapati Six-armed blood colored body....
13. Shri Laxmi Ganapati Eight-armed Gaur color body....
14. Shri Vijay Ganapati four arms with blood color body....
15. Shri Mahaganapati Eight-armed blood colored body
16. Shri Nritta Ganapati Six Armed Blood Characters Body....
17. Shri Ekakshara Ganapati four-armed blood-coloured body....
18. Shri Haridra Ganapati Six-armed yellow colored body....
19. Shri Trayaksha Ganapati Golden body, four-armed with three eyes
20. Shri Vara Ganapati Six-armed blood colored body....
21. Shri Dhundi Ganapati, the four-armed blood colored body....
22. Shri Kshipra Prasad Ganapati Six-armed Rakvarni, Tri-netra-dhari....
23. Shri Debt Mochan Ganapati four-armed red cloth d...
24. Shri Ekadanta Ganapati having six arms with black colored body....
25. Shri Srishti Ganapati, having four arms, having a blood colored body riding on a mouse....
26. Shri Dwimukh Ganapati with four arms and two faces of yellow color....
27. Shri Udand Ganapati having twelve arms with blood colored body, holding a pot of lilac and nectar in his hand.
28. Shri Durga Ganapati wearing eight arms of blood and red clothes.
29. Shri Trimukh Ganapati three-faced, six-armed, having a blood-coloured body....
30. Shri Yog Ganapati, seated in the yoga posture, wearing blue clothes, with four arms....
31. Shri Singh Ganapati - White colored eight-armed, having the face of a lion and the trunk of an elephant....
32. Shri Sankashta Haran Ganapati four-armed, blood-coloured body, wearing a diamond studded crown....
|| Om Ganapataye Namah ||
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