मौनी अमावस्या का शुभ मुहूर्त:-
अमावस्या तिथि प्रारम्भ:-31.01.2022, 2:20 pm
अमावस्या तिथि समाप्त-1.02.2022, प्रातः 11:16 am तक
पितृकार्य प्रारंभ- 31.01.2022, 2:20 pm के उपरांत
महोदय योग- 1.02.2022, 6:41am से 11:16 am तक
स्नान-दान तथा व्रत हेतु अमावस्या-1.02.2022
अमावस्या उदया तिथि 1 फरवरी को प्राप्त हो रही है, ऐसे में अमावस्या 1 फरवरी को सुबह 11 बजकर 16 मिनट तक रहेगी, तथा 1 फरवरी को ही माघी अमावस्या का स्नान, दान, व्रत, पूजा-पाठ आदि किया जाएगा, जोकि सारा दिन मान्य रहेगा, इस दिन महोदय योग 11:16 am तक रहेगा। मंगलवार को पड़ने के कारण इसे भौमवती अमावस्या भी कहा जाएगा। अतः इस अमावस्या को हनुमानजी की पूजा करने से हनुमानजी की विशेष कृपा प्राप्त होती है तथा मंगल ग्रह मजबूत होता है।
परन्तु मौनी अमावस्या का पितृ कार्य हेतु समय 31 जनवरी 2022, 2:20 pm को अमावस्या तिथि के प्रारंभ होने से ही मान्य रहेगा। धर्मशास्त्रों में बताया गया की अमावस्या तिथि यदि सोमवार को सूर्यास्त से कुछ क्षण पहले ही शुरू हो जाये तो उसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है। वर्ष 2022 मे यह तिथि 31 जनवरी दोपहर के समय लग रही है, जिससे पितरों के कार्य भी किए जा सकते हैं। शास्त्रानुसार जिस दिन दोपहर के समय अमावस्या तिथि लग रही हो, उस दिन पितृ पूजन और पितरों के नाम का तर्पण किया जाना चाहिए।
अतः वर्ष 2022 माघ मास में सोमवती और भौमवती अमावस्या का एक साथ होने से यह अनोखा संयोग बना है।
अमावस्या पर किए जाने वाला स्नान आदि की प्रक्रिया 1 फरवरी को किया जाएगा। मंगलवार को पड़ने के कारण इसे भौमवती अमावस्या कहा जाएगा। इस दिन व्रत, पूजा-पाठ और दान करना से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। साथ ही मंगलवार को हनुमानजी की पूजा करने से कुंडली में मंगल ग्रह मजबूत होता है, ऐसा शास्त्रों में बताया गया
अमावस्या तिथि को लेकर ऐसा माना गया है कि अगर सोमवार को सूर्यास्त से पहले कुछ पल के लिए ही अगर अमावस्या की तिथि लग जा रही है तो उसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है। इस दिन अच्छी बात यह है कि यह तिथि दोपहर के समय लग रही है, जिससे पितरों के कार्य भी किए जा सकते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जिस दिन दोपहर के समय अमावस्या तिथि लग रही हो, उस दिन पितृ पूजन और पितरों के नाम का तर्पण किया जाना चाहिए। जिस दिन सुबह में अमावस्या तिथि लग रही हो उस दिन अमावस्या में देव कार्य यानी देव पूजन का कार्य करना उचित होता है।
साल 2022 में कुल 13 अमावस्या तिथि हैं। जिनमें केवल दो ही सोमवती अमावस्या है। साल की पहली सोमवती अमावस्या 31 जनवरी को है और दूसरी ज्येष्ठ मास में 30 मई को। 1 फरवरी को अमावस्या तिथि सुबह 11 बजकर 16 मिनट तक है, इसलिए 31 जनवरी को भी पितृ कार्य के लिए अमावस्या मान्य है।
माघमास की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा जाता है । इस दिन सूर्य तथा चंद्रमा गोचरवश मकर राशि मे आते हैं ।
शास्त्रानुसार ऐसा माना जाता है कि इस दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि का निर्माण करने वाले महाराज मनु तथा महारानी शतरूपा को प्रकट करके सृष्टि की शुरूआत की थी, इसलिए इसे मौनी अमावस्या कहा जाता है ।
मकर राशि, सूर्य तथा चंद्रमा की युति भी इसी दिन होती है, तथा इस दिन श्रवण नक्षत्र होने के कारण "महोदय" नामक पुण्यतम योग भी बना हुआ है, जिसकी वजह से मौनी अमावस्या का महत्व और भी अधिक हो जाता है । इस दिन इलाहाबाद के संगम तट पर स्नान करने से पुण्य की प्राप्त होती है ।
माघ/मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत रखने की भी परंपरा है। कहा जाता है कि मौनी शब्द की उत्पत्ति मुनि शब्द से हुई है। मौनी अमावस्या को मौन व्रत रखने से व्यक्ति का आत्मबल दृढ़ होता है। मान्यताओं के अनुसार, माघी अमावस्या के दिन ही मनु का जन्म हुआ था, जिनको प्रथम पुरुष भी कहा जाता है।
शास्त्र के अनुसार इस दिन मौन व्रत रखना चाहिए । मौन का अर्थ है व्यक्ति को अपनी इन्द्रियों को अपने वश में रखना । धीरे-धीरे अपनी वाणी को संयत रखकर अपने वश में रखना ही मौन व्रत हैं । मौन व्रत एक दिन, एक महीना अथवा एक साल तक की अवधि का रखा जा सकता हैं । कुछ विशेष व्यक्ति आजन्म मौन व्रत रखने का प्रण भी रखते हैं ।
शास्त्रों मे कहा गया है कि प्रत्येक व्यक्ति मे तीन प्रकार का मैल होता है । कर्म का मैल, भाव का मैल तथा अज्ञान का मैल । इस दिन त्रिवेणी के संगम तट पर स्नान करने से इन तीनो मैलो से व्यक्तियों को मुक्ति मिलती हैं, उनकी अंतरात्मा स्वच्छ होती हैं, इसलिए व्यक्ति को मौन धारण करके ही स्नान करना चाहिए ।
अपनी वाणी को नियंत्रित करने के लिए यह दिन विशेष रूप से शुभ होता है । मौनी अमावस्या को स्नान आदि करने के
उपरांत एकांत स्थान मे जप करना चाहिए । इससे चित की शुद्धि होती हैं, आत्मा का परमात्मा से मिलन संभव होता है ।
मौनी अमावस्या के दिन स्नान तथा जप के बाद हवन तथ दान इत्यादि शुभ कर्म करने चाहिए । ऐसा करने से पापो का नाश हो जाता है । इस दिन प्रयागराज (इलाहाबाद) के संगम तट पर स्नान करने से हजारो अश्वमेध यज्ञ के बराबर फल की प्राप्ति होती है, अथवा सैकड़ों वाजपेय यज्ञ करने के बराबर पुण्य माना जाता है ।
माघमास की अमावस्या तथा पूर्णिमा तिथियां पर्व के समान मानी जाती है, समुद्र मंथन के समय देवताओं और असुरों के संधर्ष में जहां-२ अमृत गिरा उन-२ स्थानो पर स्नान करना मौनी अमावस्या के दिन शुभ माना जाता है ।
मौनी अमावस्या के अवसर पर कर्म विधि:-
1. स्नान:-
सतयुग में तपस्या को, त्रेतायुग में ज्ञान को, द्वापर में पूजन को और कलियुग में दान को उत्तम माना गया है परन्तु माघ का स्नान सभी युगों में श्रेष्ठ है।
मौनी अमावस्या के दिन स्नान करने के उपरांत व्यक्ति को अपनी सामर्थ्य के अनुसार जाप, दान तथा पुण्य कर्म अवश्य करना चाहिए । यदि कोई व्यक्ति इस दिन त्रिवेणी नही जा सकते हैं, तब उन्हें अपने घर मे ही गंगा जल या अन्य तीर्थ स्थलो के जल से स्नान करना चाहिए अथवा घर के समीप ही किसी भी नदी या नहर इत्यादि मे मौन धारण करके स्नान कर सकते हैं। पुराणो के अनुसार इस दिन सभी नदियों का जल गंगा जल के समान पवित्र हो जाता है ।
स्नान करते समय निम्नलिखित मंत्र का जाप करे, और विभिन्न पवित्र नदियों का ध्यान करे ।
मंत्र:-
1.गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती ।
नर्मदे सिंधु कावेरि जलेंऽसिमन् सनि्नधिं कुरु ॥
2.अयोध्या, मथुरा, माया, काशी, कांची अवन्तिकापुरी, द्वारवती ज्ञेयाः सप्तैता मोक्षदायिका ॥
3. ॐ ह्रीं गंगायै ॐ ह्रीं स्वाहा । ॐ ह्रीं गंगायै ॐ ह्रीं स्वाहा।
स्नान करने के बाद निम्नलिखित मंत्र बोलते हुए सूर्य को जल दे ।
सूर्य अर्ध्य मंत्र
1. एहि सूर्य ! सहस्रांशो तेजो राशे जगत्पते ।
अनुकम्पय मां भक्तया गृहाणाध्य ॥
2. गायत्री मंत्र से भी अर्ध्य दे सकतें है ।
जल अर्पण के बाद पात्र मे बचे जल को माथे व आंखों से लगाये, तथा कुछ चरणामृत के रूप मे निम्न मंत्र बोलकर ग्रहण करे :-
अकाल मृत्यु हरणं सर्व व्याधि विनाशनम् ।
सूर्य पादोदकं तीर्थ जठरे धारयाम्यहम् ॥
2. संकल्प:-
स्नान करने के उपरांत इस दिन व्यक्ति को संकल्प करना चाहिए कि वह झूठ, छल-कपट आदि की बात नही करेंगे, तथा इस दिन बेकार की बातों से दूर रहकर अपने मन को सबल बनाने की कोशिश करेंगे । इससे मन शांत रहता है और शांत मन शरीर को सबल बनाता है ।
3. पूजा-अर्चना:-
स्नान करने के उपरांत व्यक्ति को इस दिन ब्रह्मदेव तथा गायत्री का जाप तथा पूजन अवश्य करना चाहिए ।
यह दिन भगवान शिव को समर्पित है इस दिन व्रत करके भगवान शिव ( सोमेश्वर महादेव ) की पूजार्चन करने से करोड़ों यज्ञो का फल प्राप्त होता है ।माघ महीने इस मौनी अमावस्या के इस दिन, दिनभर मौन रहकर भगवान शिव के दर्शन तथा पूजा कर व्रत रखना चाहिए। दरअसल इस दिन गंगा स्नान, या अन्य पवित्र नदियो मे स्नान से हजार गऊओ के दान के बराबर फल मिलाता है ।
पितरी दोष, विवाह मे विलम्ब, संतान-वंश वृद्धि , गंभीर रोग, तथा जमीन संबंधी दोषों की शांति के लिए इस दिन किये गयें स्नान,दान, जप पाठ पूजा इत्यादि का प्रभाव सहस्र गुना होता है ।
इस दिन व्रत रखकर या बिना व्रत रखे विष्णु एंव शिव पूजन, चंद्रपूजन, तथा पीपल के वृक्ष तथा तुलसा जी की गंगाजल डालकर दूध, फूल, चावल, फल,मिठाई, तथा धूपदीप से पूजा करके 108 प्रदक्षिणाा करके ब्राह्मण को भोजन, फल, वस्त्र, तथा दक्षिणा देने से स्वगीय पूर्वज संतुष्ट होतें है ।
भगवान शिव की पूजा तथा जलाभिषेक के बाद चंद्र पूजन, तथा श्री विष्णु पूजन अवश्य करना चाहिए।इस दिन गीता का सातवाँ अध्याय का पाठ करना अत्यंत शुभ होता है ।
4. देव-पितृ तर्पण/पिंडदान -
ब्रह्मा जी और गायत्री की विशेष अर्चना के बाद देव तथा पितृ तर्पण का विधान है। मनुष्यों को चाहिए कि
श्रद्धापूर्वक पूर्वजों का तर्पण तथा पिंडदान करे, आज के दिन पूर्वजों के निमित्त ऐसा करने से पूर्वजों का उद्धार तथा उन्हे मुक्ति प्राप्त होती है, जिससे घर मे धन-धान्य, सुख-सम्पदा, पुत्र-पौत्र तथा कारोबार बना रहता है, तथा घर मे मांगलिक कार्य सम्पन्न होते है ।
5.ब्राह्मण भोज:-
पिंडदान तथा तर्पण के उपरांत पूरी, खीर, आलू की सब्जी इत्यादि विभिन्न पकवानो सहित, पितरों के निमित्त ब्राह्मण को श्रद्धापूर्वक भोजन करवाना श्रेष्ठ है ।
6. दान-पुण्य:-
इसके उपरांत मंत्रोच्चारण तथा श्रद्धा-भक्ति के साथ गाय, स्वर्ण, छाता, वस्त्र, चावल, बिस्तर, अन्न, फल, तिल निर्मित गज्जक, आंवला आदि दक्षिणा तथा अन्य उपयोगी वस्तुओं का दान अपनी सामर्थ्य के अनुसार ब्राह्मण को अवश्य करना चाहिए ।
मौनी/माघ अमावस्या का आध्यात्मिक महत्व:-
माघमास मे जब सूर्य तथा चंद्रमा मकर राशि पर गोचर करते हैं, तो शास्त्रो मे उस काल को मौनी अमावस्या की संज्ञा दी गई हैं । यद्यपि प्रत्येक माह अमावस्या पर सूर्य तथा चंद्रमा एक ही राशि मे होते हैं, परंतु मकर राशिस्थ सूर्य तथा चंद्रमा का प्रभाव ही कुछ विशेष होता है । इन तीनो का संयोग वर्ष मे केवल इसी दिन होता है । यह तिथि योगियों, तपस्वियों, संत-महात्माओ, अघोरी-तांत्रिको तथा गृहस्थो के लिए अति वांछनीय रहती हैं ।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मकर राशि, राशियों के क्रम में दसवीं राशि है, तथा यही जीवो का कर्म का स्थान है, कर्म को ज्योतिष मे आकाश की संज्ञा दी गई हैं । मकर राशि प्राणियों के विग्रह का, सूर्य आत्मा का तथा, चंद्रमा मन का प्रतीक है । मकर राशि, सूर्य तथा चंद्रमा का एकत्र योग ही मौनी अमावस्या है, यही आत्म साक्षात्कार का पर्व है ।
प्रत्येक मानव के शरीर में तीन मल विद्यमान हैं- कर्म, भाव तथा अज्ञान का मल । इन तीनो मलो का नाश गंगा, यमुना तथा सरस्वती के संगम (त्रिवेणी) मे मौनी अमावस्या के पर्व मे स्नान मात्र से हो जाता है ।
त्रिवेणी का अभिप्राय गंगा, यमुना तथा सरस्वती के संगम स्थल से है, जिसके त्रिविध स्वरूप है- भौतिक, दैविक एवं आध्यात्मिक ।
भौतिक स्वरूप:-
भौतिक स्वरूप ब्रह्मद्रवा गंगा, एवं रविरश्मिद्रवा यमुना का मिलन है, जिसमे तीन धाराएं बनती हैं । (त्रिवेणी मे वेणी का एक अर्थ केशो की चोटी है तथा दूसरा नदी की धारा । सधवा स्त्रियाँ भी यहां आकर अपनी वेणी यानि चोटी का दान करती हैं ।)
संगम मे तीन धाराएं है- प्रथम नागवासुकी से दक्षिण की ओर जाने वाली गंगा । दूसरी मनकामेश्वर से गंगा की ओर आने वाली यमुना की धारा तथा दोनो नदियों के मेल से वाराणसी की ओर जाने वाली तीसरी धारा, यही भौतिक त्रिवेणी कहलाती हैं ।
दैविक त्रिवेणी:-
भक्ति की प्रतीक- गंगा, कर्म की प्रतीक- यमुना तथा ज्ञान की प्रतीक- सरस्वती, का मिलन क्रमशः "ज्ञान, भक्ति एवं कर्म का मिलाप है, तथा मिलन ही "दैविक त्रिवेणी" है ।
योगीजन गंगा को इडा, यमुना को पिंगला नाडी एवं सरस्वती को सुषुम्ना नाडी कहते हैं । इन तीनो नाडियो का मिलन स्थल आज्ञाचक्र ही तीर्थराज प्रयाग है, यही आध्यात्मिक त्रिवेणी है ।
इस त्रिविध त्रिवेणी के संगम का स्नान ही वास्तविक स्नान है, जो समस्त ज्ञात-अज्ञात जन्म जन्मान्तर के पापो को नष्ट कर देता है ।
सौ अश्वमेध तथा हजार राजसूययज्ञ का फल मौनी अमावस्या मे त्रिवेणी संगम स्नान से मिलता है । अश्वमेध यज्ञ करना और प्रयाग में मौनी अमावस्या का स्नान करने मे, दोनों मे ही स्नान को अधिक श्रेष्ठ कहा गया है । संगम मे स्नान का फल अमोघ कहा गया है, त्रैलोक्य में ऐसा फल अन्यत्र नहीं प्राप्त होता
(क्रमश:)
लेख के द्वितीय भाग मे कल अमावस्या के कृत्य तथा अकृत्य कर्म
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आगामी लेख
1. 1 फर० को ज्योतिषीय विषय "विभिन्न 'ऋतुओ' तथा 'मासो' मे जन्म लेने का फल"पर लेख
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जय श्री राम
आज का पंचांग,दिल्ली
शनिवार,29.1.2022
श्री संवत 2078
शक संवत् 1943
सूर्य अयन- उतरायण, गोल-दक्षिण गोल
ऋतुः- शिशिर ऋतुः ।
मास- माघ मास।
पक्ष- कृष्ण पक्ष ।
तिथि- द्वादशी तिथि 8:40 pm
चंद्रराशि- चंद्र धनु राशि मे।
नक्षत्र- मूल नक्षत्र अगले दिन 2:49 am तक
योग- व्याघात योग 6:01 pm तक (अशुभ है)
करण- कौलव करण 10:11 am तक
सूर्योदय 7:11 am, सूर्यास्त 5:57 pm
अभिजित् नक्षत्र- 12:12 pm से 12:55 pm
राहुकाल - 9:52 am से 11:13 am (शुभ कार्य वर्जित,दिल्ली )
दिशाशूल- पूर्व दिशा ।
जनवरी 2022-शुभ दिन:- 29
जनवरी 2022-अशुभ दिन:- 30, 31
गण्ड मूल आरम्भ:- ज्येष्ठा नक्षत्र, 28 जन० 7:10 am से 30 जन० 2:49 am तक मूल नक्षत्र तक गंडमूल रहेगें। गंडमूल नक्षत्रों मे जन्म लेने वाले बच्चो का मूलशांति पूजन आवश्यक है।
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आगामी व्रत तथा त्यौहार:-
30 जन०- प्रदोष व्रत/मासिक शिवरात्रि।
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विशेष:- जो व्यक्ति वाराणसी से बाहर अथवा देश से बाहर रहते हो, वह ज्योतिषीय परामर्श हेतु Paytm या Bank transfer द्वारा परामर्श फीस अदा करके, फोन द्वारा ज्योतिषीय परामर्श प्राप्त कर सकतें है
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आपका दिन मंगलमय हो .
आचार्य मोरध्वज शर्मा श्री काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी उत्तर प्रदेश
9648023364
9129998000
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English Translation :-
Auspicious time of Mauni Amavasya :-
Amavasya date start: -31.01.2022, 2:20 pm
Amavasya date ends-1.02.2022, up to 11:16 am
Parental work starts - 31.01.2022, after 2:20 pm
Sir Yoga- 1.02.2022, 6:41am to 11:16am
Amavasya for bath-donation and fast-1.02.2022
Amavasya Udaya Tithi is being received on 1st February, in such a situation, Amavasya will remain till 11.16 am on 1st February, and on 1st February only Maghi Amavasya will be bathed, donated, fasted, worshiped etc., which is valid throughout the day. Sir, on this day the yoga will remain till 11:16 am. Due to falling on Tuesday, it will also be called Bhaumvati Amavasya. Therefore, worshiping Hanumanji on this Amavasya gives special blessings to Hanumanji and the planet Mars gets strengthened.
But the time for parental work of Mauni Amavasya will be valid only from the beginning of Amavasya Tithi on 31 January 2022, 2:20 pm. It is told in the scriptures that if the new moon date starts a few moments before sunset on Monday, then it is called Somvati Amavasya. In the year 2022, this date is being held at noon on January 31, due to which the work of ancestors can also be done. According to the scriptures, on the day when Amavasya Tithi is falling in the afternoon, Pitru Puja and tarpan of the names of ancestors should be done on that day.
Therefore, in the year 2022 Magha month, this unique coincidence has been made due to the simultaneous occurrence of Somvati and Bhaumvati Amavasya.
The process of bathing etc. on Amavasya will be done on February 1. As it falls on Tuesday, it will be called Bhaumvati Amavasya. On this day, fasting, worshiping and donating gives auspicious results. Also, worshiping Hanumanji on Tuesday strengthens the planet Mars in the horoscope, it has been told in the scriptures.
With regard to Amavasya date, it is believed that if the date of Amavasya is being taken for a few moments before sunset on Monday, then it is called Somvati Amavasya. The good thing on this day is that this date is being held in the afternoon, so that the work of the ancestors can also be done. According to religious beliefs, on the day when Amavasya Tithi is falling in the afternoon, Pitru Puja and tarpan of the names of ancestors should be done on that day. On the day when Amavasya Tithi is falling in the morning, it is appropriate to do the work of worshiping God in Amavasya.
There are total 13 Amavasya Tithis in the year 2022. In which only two are Somvati Amavasya. The first Somvati Amavasya of the year is on 31st January and the second is on 30th May in the month of Jyeshtha. Amavasya date on 1st February is till 11.16 am, so on 31st January also Amavasya is valid for parental work.
Amavasya of Maghamas is called Mauni Amavasya. On this day, Sun and Moon transit in Capricorn.
According to the scriptures, it is believed that on this day Brahma ji started the universe by revealing the creator Manu and Queen Shatrupa, hence it is called Mauni Amavasya.
The conjunction of Capricorn, Sun and Moon also takes place on this day, and being Shravan Nakshatra on this day, the most auspicious yoga named "Sir" is also formed, due to which the importance of Mauni Amavasya becomes even more. On this day, taking a bath on the Sangam bank of Allahabad brings merit.
There is also a tradition of observing a silent fast on the day of Magh/Mauni Amavasya. The word Mouni is said to have originated from the word Muni. By observing a silent fast on Mauni Amavasya, one's self-confidence becomes strong. According to beliefs, Manu, who is also called the first person, was born on the day of Maghi Amavasya.
According to the scriptures, a fast of silence should be observed on this day. Silence means keeping one's senses under control. Slowly keeping your speech in control and keeping it under your control is a silent fast. Maun Vrat can be observed for a period of one day, one month or one year. Some special people also take a vow to keep silent fast for life.
It is said in the scriptures that there are three types of scum in every person. Dirt of action, sludge of emotion and scum of ignorance. By taking a bath on the confluence bank of Triveni on this day, people get freedom from these three filth, their conscience is clean, so one should take a bath by observing silence.
This day is especially auspicious for controlling your speech. After taking bath etc. on Mauni Amavasya, one should chant in a secluded place. By this the mind is purified, the union of the soul with the Supreme is possible.
On the day of Mauni Amavasya, after bathing and chanting, auspicious works like havan and charity should be done. By doing this sins are destroyed. Taking a bath on the Sangam bank of Prayagraj (Allahabad) on this day gives results equivalent to thousands of Ashwamedha Yagyas, or it is considered a virtue equivalent to performing hundreds of Vajpeya Yagyas.
Amavasya and full moon dates of Maghamas are considered as festivals, bathing at two places where 2 nectar fell in the conflict between gods and demons at the time of churning of the ocean is considered auspicious on the day of Mauni Amavasya.
Method of Karma on the occasion of Mauni Amavasya:-
1. Bath:-
In Satyuga, penance is considered, in Tretayuga for knowledge, in Dwapar for worship and in Kaliyuga, charity is considered best, but the bath of Magh is the best among all the ages.
After bathing on the day of Mauni Amavasya, a person must do chanting, charity and virtuous deeds according to his ability. If a person cannot go to Triveni on this day, then he should take a bath in his own house with Ganga water or water from other pilgrimage places or can take a bath by observing silence in any river or canal etc. near the house. According to the Puranas, on this day the water of all the rivers becomes as pure as the water of the Ganges.
While taking bath, chant the following mantra, and meditate on various holy rivers.
mantra:-
1.Gange cha yamune chaiva godavari saraswati.
Narmade Sindhu Kaveri Burn
2. Ayodhya, Mathura, Maya, Kashi, Kanchi Avantikapuri, Dwaravati Gyeya: Saptita Mokshadayika.
3. Om Hreem Gangaaye Om Hreem Swaha. Om Hreem Gangai Om Hreem Swaha.
After taking bath, offer water to the sun while reciting the following mantra.
Surya Ardhya Mantra
1. Oh sun! Sahasransho Tejo Rashe Jagatpate.
Compassionate mother devotee or homemaker
2. Ardhya can also be given by Gayatri Mantra.
After offering water, apply the water remaining in the vessel to the forehead and eyes, and take it in the form of some Charanamrit by chanting the following mantra:-
Premature death, sarva vyadhi vishanam.
Surya padodakam tirtha jathare dharyamyam
2. Resolution:-
After taking a bath, on this day a person should make a resolution that he will not talk about lies, deceit etc., and on this day he will try to make his mind strong by staying away from useless things. Due to this the mind remains calm and a calm mind makes the body strong.
3. Worship:-
After taking bath, one must chant and worship Brahmadev and Gayatri on this day.
This day is dedicated to Lord Shiva, worshiping Lord Shiva (Someshwar Mahadev) by fasting on this day gives the fruit of crores of yagyas. needed. In fact, on this day bathing in the Ganges, or bathing in other holy rivers, yields the same result as donating a thousand cows.
The effect of bathing, charity, chanting, worship, etc. done on this day for the peace of Pitri Dosha, delay in marriage, progeny growth, serious diseases, and land related defects is a thousand fold.
On this day, worshiping Vishnu and Shiva, worshiping Vishnu and Shiva without fasting, and worshiping Peepal tree and Tulsa ji with Ganges water, worshiping with milk, flowers, rice, fruits, sweets, and incense, and doing 108 rounds of food, fruits, clothes to the Brahmin. And by giving dakshina, the late ancestors are satisfied.
After worshiping Lord Shiva and Jalabhishek, Chandra Puja and Shri Vishnu Puja must be done. Reciting the seventh chapter of Gita on this day is considered very auspicious.
4. Dev - Pitru Tarpan / Pind Daan -
After the special worship of Brahma ji and Gayatri, there is a law of worshiping the gods and ancestors. humans need to
Worship the ancestors with devotion and do Pind Daan, on this day, by doing this for the sake of the ancestors, the ancestors get salvation and they get salvation, due to which wealth, happiness, wealth, sons and grandsons and business remains in the house, and in the house. Manglik works are completed.
5.Brahmin Bhoj:-
After Pind Daan and Tarpan, it is best to feed Brahmins with devotion for the sake of ancestors, including various dishes like puri, kheer, potato curry, etc.
6. Charity:-
After this, along with chanting and devotion and devotion, cow, gold, umbrella, clothes, rice, bedding, food, fruits, sesame made Gajjak, amla etc. Dakshina and other useful things must be donated to the Brahmin according to one's ability.
Spiritual Significance of Mauni / Magha Amavasya:-
In the month of Magha, when the Sun and Moon transit over Capricorn, that period has been called Mauni Amavasya in the scriptures. Although the Sun and the Moon are in the same sign on the new moon every month, but the effect of the Sun and Moon in Capricorn is something special. The combination of these three happens only on this day of the year. This date is very desirable for yogis, ascetics, saints-mahatmas, aghori-tantrics and householders.
According to astrology, Capricorn is the tenth zodiac in the order of zodiac signs, and this is the place of karma of living beings, karma has been given the name of sky in astrology. Capricorn is the symbol of the Deity of the living beings, the Sun the soul and the Moon the mind. Mauni Amavasya is the combined yoga of Capricorn, Sun and Moon, this is the festival of self-realization.
There are three stools in the body of every human being - the waste of Karma, Bhava and Ignorance. The destruction of all these three impurities is done by simply bathing in the festival of Mauni Amavasya at the confluence (Triveni) of Ganga, Yamuna and Saraswati.
Triveni means the place of confluence of Ganga, Yamuna and Saraswati, which has three forms – physical, divine and spiritual.
physical aspect:-
The physical form is the union of the Brahmadrava Ganga and Ravi Rashmidrava Yamuna, in which three streams are formed. (In Triveni, one meaning of Veni is the peak of Kesho and the other is the stream of the river. Sadhva women also come here and donate their Veni i.e. peak.)
There are three streams in the confluence - the first is the Ganges going from Nagvasuki to the south. The second stream of Yamuna coming from Mankameshwar to the Ganges and the third stream going towards Varanasi from the fusion of both the rivers, is called this material Triveni.
Daivik Triveni :-
The union of the symbol of devotion- Ganga, the symbol of action- Yamuna and symbol of knowledge- Saraswati, respectively, is the union of "knowledge, devotion and action, and the union is the "Divine Triveni".
Yogis call Ganga as Ida, Yamuna as Pingala Nadi and Saraswati as Sushumna Nadi. The meeting place of these three nadis is Ajnachakra, Tirtharaj Prayag, this is the spiritual Triveni.
Bathing at the confluence of this triple Triveni is the real bath, which destroys all the known and unknown sins of birth after birth.
The result of hundred Ashwamedha and thousand Rajasuyagya is obtained by bathing at Triveni Sangam on Mauni Amavasya. In performing Ashwamedha Yagya and bathing on Mauni Amavasya in Prayag, bathing is said to be more superior in both. The fruit of bathing in the confluence is said to be unfavourable, but in Trailokya such a fruit is not found anywhere else.
(respectively)
In the second part of the article, the actions and inactions of tomorrow's new moon
upcoming articles
1. Article on the astrological topic "Fruits of being born in different 'seasons' and 'Maso' on 1 February"
Long live Rama
Today's Panchang, Delhi
Saturday,29.1.222
Shree Samvat 2078
Shaka Samvat 1943
Surya Ayan- Uttarayan, Round-South Round
Rituah - winter season.
Month - Magha month.
Paksha - Krishna Paksha.
Date- Dwadashi date 8:40 pm
Moon sign - Moon in Sagittarius.
Nakshatra - Mool Nakshatra till 2:49 am the next day
Yoga- Vyaaghat Yoga till 6:01 pm (inauspicious)
Karan- Kaulav Karan till 10:11 am
Sunrise 7:11 am, Sunset 5:57 pm
Abhijit Nakshatra - 12:12 pm to 12:55 pm
Rahukaal - 9:52 am to 11:13 am (Good work prohibited, Delhi)
Direction – East direction.
Jan 2022-Good Days:- 29
January 2022 - Inauspicious days:- 30, 31
Gand Mool Aarambh:- Jyestha Nakshatra, from 28 Jan 7:10 am to 30 Jan 2:49 am Gandmool will remain till Mool Nakshatra. Children born in Gandmool constellations need to worship Moolshanti.
Upcoming fasts and festivals:-
Jan 30- Pradosh fast / Monthly Shivratri.
Special:- The person who lives outside Varanasi or outside the country, he can get astrological consultation by phone, by paying the consultation fee through Paytm or Bank transfer for astrological consultation.
Have a good day .
Acharya Mordhwaj Sharma Shri Kashi Vishwanath Temple Varanasi Uttar Pradesh
9648023364
9129998000
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