लेख:- उत्तरायन-दक्षिणायन
सौरमास का आरम्भ सूर्य की संक्रांति से होता है। सूर्य की एक संक्रांति से दूसरी संक्रांति का समय एक सौरमास कहलाता है। सौर-वर्ष के दो भाग हैं- उत्तरायण छह माह का और दक्षिणायन भी छह मास का होता है।
अयन का अर्थ होता है परिवर्तन। भारतीय वैदिक पंचांग के अनुसार एक वर्ष में दो अयन होते हैं। साल में दो बार सूर्य की स्थिति में परिवर्तन होता है। सूर्य छः महीने उत्तरायण और छः महीने दक्षिणायन में रहते हैं। सूर्य के इसी परिवर्तन या अयन को ‘उत्तरायण और दक्षिणायन’ कहा जाता है।
शास्त्रानुसार, दक्षिणायन को नकारात्मकता का प्रतीक तथा उत्तरायण को सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है। उत्तरायण काल में किए गए जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक क्रियाकलापों का विशेष महत्व होता है। इस अवसर पर किया गया दान सौ गुना फल प्रदान करता है।
"14 जनवरी मकर संक्रान्ति" से लेकर "मिथुन संक्रान्ति- यानि मध्य जुलाई", तक के काल को सूर्य का उत्तरायण काल माना जाता है। इस काल को शुभ काल कहते है। सूर्य के इस उत्तरायण काल को शुभ तथा मांगलिक कार्यों के लिए प्रशस्त माना जाता है । यह समय छ: माह का होता है।
तत्पश्चात जब सूर्य कर्क राशि से सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, और धनु राशि में विचरण करता है, (यानि मध्य जुलाई से लेकर 13 जनवरी तक के इस छः महीने के समय को दक्षिणायन कहते हैं)
इस प्रकार यह दोनो अयन क्रमशः छः-छः माह के होते है।
दक्षिणायन सूर्य के समय सूर्य मे बल अर्थात तेज नही होता। इस वजह से छः माह के इस काल को मुर्हूत, आदि शुभ तथा मांगलिक कार्यो के लिए अच्छा नही माना जाता।
उत्तरायण:-
प्रतिवर्ष मकर संक्रांति (14 जनवरी) के दिन सूर्य उत्तरायण मे प्रवेश करता है। ग्रीष्म संक्रांति को उत्तरायण भी कहा जाता है। उत्तरायण के समय दिन लंबे और रातें छोटी होती हैं। जब सूर्य उत्तरायण होता है तो यह समय शुभ तथा सभी प्रकार के मंगल कार्यो तीर्थ यात्रा व उत्सवों का समय होता है। उत्तरायण प्रारंभ होने के समय "पौष तथा माघ मास" चल रहा होता है। उत्तरायण के दौरान तीन ऋतुएं होती है- शिशिर, बसन्त और ग्रीष्म ऋतु।
उत्तरायण काल को देवताओं का दिन कहा जाता है, इसीलिए इसी काल में नवीन कार्य, गृह प्रवेश, यज्ञ, व्रत-अनुष्ठान, विवाह, मुंडन तथा मुहूर्त जैसे कार्य करना शुभ माना जाता है। इस प्रकार उत्तरायण काल के छः महीने की अवधि को शुभ काल कहा जाता है।
दक्षिणायन:-
दक्षिणायन का प्रारंभ कर्क सक्रांति से होता है। लगभग 16 जुलाई को सूर्य उत्तरायण से दक्षिणायन होता है। धार्मिक मान्यता अनुसार दक्षिणायन का यह काल देवताओं की रात्रि कही जाती है। दक्षिणायन के समय उत्तरायण के विपरीत, रातें लंबी हो जाती हैं, और दिन छोटे होने लगते हैं। दक्षिणायन में सूर्य दक्षिण की ओर झुकाव के साथ गति करता है। इस दौरान वर्षा, शरद और हेमंत, ये तीन ऋतुएं होती हैं।शीतकालीन संक्रांति को दक्षिणायन के नाम से भी जाना जाता है।
दक्षिणायन व्रतों एवं उपवास का समय होता है। दक्षिणायन में विवाह, मुंडन, उपनयन, नवीन कार्य और मुहूर्त इत्यादि शुभ कार्य निषेध होते हैं, परन्तु तामसिक कार्यो के लिए यह समय उपयुक्त माना जाता है। सूर्य का दक्षिणायन होना इच्छाओं, कामनाओं और भोग-विलास की वृद्धि को दर्शाता है। इस कारण इस समय किए गए धार्मिक कार्यो अनुष्ठान, व्रत, पूजा इत्यादि से रोग और शोक का निवारण होता हैं।
(समाप्त)
_________
आगामी लेख:-
1. 16 जन० को "पौष पूर्णिमा" पर लेख।
2. 17 जन० को "शाकुंभरी जयंती" पर लेख।
3. 18 जन० को "माघमास" पर लेख।
_________
जय श्री राम
आज का पंचांग,दिल्ली 🌹🌹🌹
शनिवार,15.1.2022
श्री संवत 2078
शक संवत् 1943
सूर्य अयन- उतरायण, गोल-दक्षिण गोल
ऋतुः- शिशिर ऋतुः ।
मास- पौष मास।
पक्ष- शुक्ल पक्ष ।
तिथि- त्रयोदशी तिथि अगले दिन 00:59 am
चंद्रराशि- चंद्र वृष राशि मे 9:50 am तक तदोपरान्त मिथुन राशि।
नक्षत्र- मृगशिरा नक्षत्र 11:21 pm तक
योग- ब्रह्म योग 1:33 pm तक (शुभ है)
करण- कौलव करण 11:41 am तक
सूर्योदय 7:15 am, सूर्यास्त 5:45 pm
अभिजित् नक्षत्र- 12:09 pm से 12:51pm
राहुकाल - 9:52 am से 11:11 am (शुभ कार्य वर्जित,दिल्ली )
दिशाशूल- पूर्व दिशा ।
जनवरी 2022-शुभ दिन:- 16 (दोपहर 3 तक), 17 (दोपहर 4 उपरांत), 19, 20, 21 (सवेरे 9 उपरांत), 22, 23, 24 (सवेरे 9 तक), 26, 29
जनवरी 2022-अशुभ दिन:- 15, 18, 25, 27, 28, 30, 31
_________
आगामी व्रत तथा त्यौहार:-
15 जन०-शनि प्रदोष व्रत (शुक्ल)। 17 जन०-पौष पूर्णिमा व्रत/ सत्यनारायण व्रत/माघ स्नान प्रारम्भ। 21 जन०-संकष्टी चतुर्थी। 28 जन०-षटतिला एकादशी। 30 जन०- प्रदोष व्रत/मासिक शिवरात्रि।
________
विशेष:- जो व्यक्ति वाराणसी से बाहर अथवा देश से बाहर रहते हो, वह ज्योतिषीय परामर्श हेतु Paytm या Bank transfer द्वारा परामर्श फीस अदा करके, फोन द्वारा ज्योतिषीय परामर्श प्राप्त कर सकतें है
________
आपका दिन मंगलमय हो . 💐💐💐
आचार्य मोरध्वज शर्मा
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर
वाराणसी उत्तर प्रदेश।।
9648023364
9129998000
---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
English Translate :-
Article:- Uttarayan-Dakshinayana
The solar month begins with the solstice of the Sun. The time from one solstice of the Sun to another is called a solar month. There are two parts of the solar year – Uttarayan is of six months and Dakshinayana is also of six months.
Ayan means change. According to the Indian Vedic calendar, there are two ayans in a year. The position of the Sun changes twice a year. The Sun stays in Uttarayan for six months and Dakshinayana for six months. This change or ayan of the sun is called 'Uttarayan and Dakshinayana'.
According to the scriptures, Dakshinayana is considered a symbol of negativity and Uttarayan is considered a symbol of positivity. Religious activities like chanting, penance, charity, bathing, shraddha, tarpan etc. performed during the Uttarayan period have special significance. The donation made on this occasion gives hundred fold results.
The period from "14 January Makar Sankranti" to "Mithun Sankranti - i.e. mid-July", is considered to be the Uttarayan period of the Sun. This period is called auspicious period. This Uttarayan period of the Sun is considered to be open for auspicious and auspicious works. This period is of six months.
Thereafter, when the Sun transits from Cancer to Leo, Virgo, Libra, Scorpio, and Sagittarius, (that is, this six-month period from mid-July to January 13 is called Dakshinayan).
In this way, both these ayans are of six months respectively.
At the time of Dakshinayan Sun, there is no force in the Sun. Because of this, this period of six months is not considered good for auspicious and auspicious works like Muhurta, etc.
Answer:-
Every year on the day of Makar Sankranti (January 14), the Sun enters Uttarayan. The summer solstice is also called Uttarayan. During Uttarayan the days are long and the nights are short. When the Sun is Uttarayan, then this time is auspicious and auspicious for all kinds of auspicious works, pilgrimage and festivals. At the time of beginning of Uttarayan, "Paush and Magha month" is going on. There are three seasons during Uttarayan – winter, spring and summer.
The Uttarayan period is said to be the day of the gods, that is why it is considered auspicious to do new work, home entry, yajna, fasting rituals, marriage, shaving and Muhurta during this period. Thus the period of six months of Uttarayan period is called auspicious period.
Dakshinayana:-
Dakshinayana begins with the Cancer Sankranti. On July 16, the Sun moves from Uttarayan to Dakshinayan. According to religious belief, this period of Dakshinayan is called the night of the gods. During Dakshinayana, unlike Uttarayan, the nights become longer, and the days become shorter. In Dakshinayana, the Sun moves with an inclination towards the south. During this three seasons are Varsha, Sharad and Hemant. Winter solstice is also known as Dakshinayan.
Dakshinayan is the time of fasting and fasting. In Dakshinayana, auspicious activities like marriage, shaving, upanayana, new work and Muhurta are prohibited, but this time is considered suitable for tamasic works. Dakshinayan of the Sun indicates the growth of desires, desires and enjoyment. For this reason, religious rituals, rituals, fasting, worship, etc., performed at this time, prevent disease and grief.
(End)
Next article:-
1. Article on "Paush Purnima" on 16 Jan.
2. Article on "Shakumbhari Jayanti" on 17th Jan.
3. Article on "Maghmas" on 18 Jan.
Long live Rama
Today's Panchang, Delhi
Saturday,15.1.2022
Shree Samvat 2078
Shaka Samvat 1943
Surya Ayan- Uttarayan, Round-South Round
Rituah - winter season.
Month- Paush month.
Paksha - Shukla Paksha.
Tithi- Trayodashi Tithi the next day at 00:59 am
Moon sign- Moon in Taurus till 9:50 am and then Gemini.
Nakshatra - Mrigashira Nakshatra till 11:21 pm
Yoga- Brahma Yoga till 1:33 pm (good luck)
Karan-Kaulav Karan till 11:41 am
Sunrise 7:15 am, Sunset 5:45 pm
Abhijit Nakshatra - 12:09 pm to 12:51 pm
Rahukaal - 9:52 am to 11:11 am (Good work prohibited, Delhi)
Direction – East direction.
Jan 2022 - Auspicious days:- 16 (till 3 pm), 17 (after 4 pm), 19, 20, 21 (after 9 am), 22, 23, 24 (till 9 am), 26, 29
January 2022 - Inauspicious days:- 15, 18, 25, 27, 28, 30, 31
Upcoming fasts and festivals:-
15th Jan - Shani Pradosh fast (Shukla). Jan 17 - Paush Purnima Vrat / Satyanarayan Vrat / Magh Snan begins. 21 Jan - Sankashti Chaturthi. Jan 28 - Shatila Ekadashi. Jan 30- Pradosh fast / Monthly Shivratri.
Special:- The person who lives outside Varanasi or outside the country, he can get astrological consultation by phone, by paying the consultation fee through paytm or bank transfer for astrological consultation.
Have a good day .
Acharya Mordhwaj Sharma
Shri Kashi Vishwanath Temple
Varanasi Uttar Pradesh.
9648023364
9129998000
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें