सभी जीवित प्राणी जीवन तथा पोषण प्राप्त करने के लिए भोजन पर ही निर्भर है, ऐसे में मनुष्य ही नही वरन् चराचर जगत मे मौजूद सभी प्राणियो को पोषण के लिए भोजन की आवश्यकता होती हैं, तो क्या वास्तव में देवता भी भोग ग्रहण करते हैं। हिन्दू धर्म में भगवान को भोग लगाने का विधान है।
यह समझने के लिए मनुष्यों तथा देवताओं के मूलभूत अंतर को समझना आवश्यक है, दरअसल मनुष्य शरीर पंच तत्वों से निर्मित होता है, जीवित रहने के लिए मनुष्यों को पंच तत्वों को ही ग्रहण करने की आवश्यकता होती हैं। मनुष्य जो भी भोजन ग्रहण करते है, वे चीजे पांच तत्वों से बनी हुई होती है, जैसे अन्न, जल, वायु, प्रकाश और आकाश तत्व, जो हम अन्न और जल आदि के द्वारा प्राप्त करते है।
इसके विपरीत देवताओं का शरीर, देवताओं के स्तर के अनुसार दो अथवा तीन तत्वों से निर्मित होता है।
मध्यम स्तर के देवताओ का शरीर तीन तत्वों से तथा उत्तम स्तर के देवता का शरीर दो तत्वो क्रमशः तेज और आकाश से बना हुआ होता है, इसलिए देवताओं के शरीर वायुमय और तेजोमय होते है।
यह देवता वायु के रूप में गंध, तेज के रूप में प्रकाश को ग्रहण और आकाश के रूप में शब्द को ग्रहण करते है, अर्थात देवता गंध, प्रकाश और शब्द के द्वारा भोग ग्रहण करते है। जिसका विधान पूजा में किया जाता है।
उदाहरणार्थ देवताओं को जो अन्न का भोग लगाया जाता है , देवता उस अन्न की सुगंध को ग्रहण करते है, उसी से तृप्त होते है। पुष्प और धूप की सुगंध को भी देवता भोग के रूप में ग्रहण करते है।
जो ज्योत अथवा दीपक जलाया जाता है ,उससे देवता प्रकाश तत्व को ग्रहण करते है।
इसी प्रकार से जप-स्तोत्र-मन्त्र तथा भजन-आरती- पाठ करते है, अथवा जो शंख-घंटी-घड़ियाल बजाते है ,उसे देवता गण ''आकाश '' तत्व के रूप में ग्रहण करते है।
भगवान श्रीकृष्ण जी स्वयं "गीता" के माध्यम से इस विषय में कहा है कि-
'पत्रं, पुष्पं, फलं, तोयं यो मे भक्त्या प्रयच्छति तदहं भक्त्युपहृतमश्नामि प्रयतात्मन:।'
अर्थात:- जो कोई भक्त मेरे लिए प्रेम से पत्र, पुष्प, फल, जल आदि अर्पण करता है, उस शुद्ध बुद्धि निष्काम भक्त का प्रेमपूर्वक अर्पण किया हुआ वह पत्र-पुष्पादि मैं सगुण रूप में प्रकट होकर प्रीति सहित खाता हूं।
इस प्रकार से देवताओं को भोग अथवा नैवेद्य लगाया जाता है, जिसे देवता स्वीकार भी करते हैं।
नैवेद्य:-
किसी भी प्रकार के कर्मकांड, पूजा-पाठ, अनुष्ठान अथवा आरती के बाद तुलसी मिश्रित जल व पंचामृत के उपरांत बांटे जाने वाली वस्तु को 'प्रसाद' कहते हैं, अर्थात पूजा के समय जब कोई खाद्य सामग्री देवी-देवताओं के समक्ष प्रस्तुत की जाती है तो वह वस्तु, मिष्ठान्न इत्यादि प्रसाद के रूप में वितरित की जाती है। इसे ही 'नैवेद्य' कहते हैं।
(क्रमशः)
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आगामी लेख:-
1. 19 जन० से "देवताओं को भोग (नैवेद्य)" विषय पर धारावाहिक लेख
2. 22 जन० से "देव-पूजा में पत्र-पुष्प" विषय पर धारावाहिक लेख
3. 24 जन० से ज्योतिषीय विषय "विभिन्न संवत्सर मे जन्म लेने का फल" पर धारावाहिक लेख
4. 26 जन० से ज्योतिषीय विषय "विभिन्न युग मे जन्म लेने का फल" विषय पर धारावाहिक लेख
5. 27 जन० से "षटतिला एकादशी" पर लेख
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आज का पंचांग,दिल्ली
बुधवार,19.1.2022
श्री संवत 2078
शक संवत् 1943
सूर्य अयन- उतरायण, गोल-दक्षिण गोल
ऋतुः- शिशिर ऋतुः ।
मास- माघ मास।
पक्ष- कृष्ण पक्ष ।
तिथि- द्वितीय तिथि अगले दिन 8:06 am
चंद्रराशि- चंद्र कर्क राशि मे ।
नक्षत्र- अश्लेषा नक्षत्र अगले दिन 8:24 am तक
योग- प्रीति योग 4:03 pm तक (शुभ है)
करण- तैतिल करण 7:35 pm तक
सूर्योदय 7:14 am, सूर्यास्त 5:49 pm
अभिजित् नक्षत्र- कोई नहीं
राहुकाल - 12:31 pm से 1:51 pm (शुभ कार्य वर्जित,दिल्ली )
दिशाशूल- उत्तर दिशा ।
जनवरी 2022-शुभ दिन:- 19, 20, 21 (सवेरे 9 उपरांत), 22, 23, 24 (सवेरे 9 तक), 26, 29
जनवरी 2022-अशुभ दिन:- 25, 27, 28, 30, 31
गण्ड मूल आरम्भ:- अश्लेषा नक्षत्र, 19 जन० 6:42 am से 21 जन० 9:43 am तक मघा नक्षत्र तक गंडमूल रहेगें। गंडमूल नक्षत्रों मे जन्म लेने वाले बच्चो का मूलशांति पूजन आवश्यक है।
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आगामी व्रत तथा त्यौहार:-
21 जन०-संकष्टी चतुर्थी। 28 जन०-षटतिला एकादशी। 30 जन०- प्रदोष व्रत/मासिक शिवरात्रि।
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विशेष:- जो व्यक्ति वाराणसी से बाहर अथवा देश से बाहर रहते हो, वह ज्योतिषीय परामर्श हेतु Paytm या Bank transfer द्वारा परामर्श फीस अदा करके, फोन द्वारा ज्योतिषीय परामर्श प्राप्त कर सकतें है
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आपका दिन मंगलमय हो .
आचार्य मोरध्वज शर्मा श्री काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी उत्तर प्रदेश ।।
9648023364
9129998000
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English Translation :-
All living beings are dependent on food to get life and nutrition, in such a situation, not only humans but all living beings present in the pastoral world need food for nourishment, so do the gods actually also take pleasure. In Hinduism, there is a law to offer offerings to God.
To understand this, it is necessary to understand the fundamental difference between human beings and deities, in fact the human body is made up of five elements, in order to survive, humans need to absorb the five elements. Whatever food humans consume, they are made up of five elements, such as food, water, air, light and space elements, which we get through food and water etc.
In contrast, the body of the deities is made up of two or three elements depending on the level of the deities.
The bodies of medium-level deities are made up of three elements and those of superior-level deities are made up of two elements, respectively, Tej and Akash, hence the bodies of deities are Vayumayya and Tejomaya.
This deity receives smell in the form of air, light in the form of radiance and receives words in the form of sky, that is, the deity receives enjoyment through smell, light and sound. Which is done in worship.
For example, the food which is offered to the deities, the deities are satisfied with the aroma of that food. The deity also accepts the fragrance of flowers and incense as enjoyment.
The deity receives the light element from the flame or lamp that is lit.
In the same way, those who recite japa-stotra-mantra and bhajan-arati, or who blows conch-bell-gharial, the deities accept it in the form of "sky" element.
Lord Shri Krishna himself has said in this subject through "Gita" that-
'Patram, flower, fruit, toyam yo mein bhaktya pryachhati tadaham bhaktyupahritmashnami pryatatmanah.'
Meaning:- Whoever offers letters, flowers, fruits, water etc. with love to me, I eat with love the leaf-pushpadi offered by that pure intellect to a selfless devotee with love.
In this way, Bhog or Naivedya is offered to the deities, which the deities also accept.
Naivedya :-
After any kind of ritual, worship, ritual or aarti, the thing that is distributed after Tulsi mixed water and Panchamrit is called 'Prasad', that is, at the time of worship when any food item is presented to the deities. So that item, confectionery etc. is distributed in the form of prasad. This is what is called 'Naivedya'.
(respectively)
Next article:-
1. Serial article on the topic "Bhog to the Gods (Naivedya)" from Jan 19
2. Serial article on the topic "Patra-Pushpa in Dev-worship" from Jan 22
3. Serial article on the astrological topic "Fruits of taking birth in different Samvatsar" from Jan 24
4. Serial article on the topic of astrological topic "Fruits of taking birth in different eras" from 26th Jan.
5. Article on "Shatila Ekadashi" from Jan 27
Long live Rama
Today's Panchang, Delhi
Wednesday, 19.1.2022
Shree Samvat 2078
Shaka Samvat 1943
Surya Ayan- Uttarayan, Round-South Round
Rituah - winter season.
Month - Magha month.
Paksha - Krishna Paksha.
Date- 2nd day next day at 8:06 am
Moon Sign - Moon in Cancer.
Nakshatra- Ashlesha Nakshatra till 8:24 am the next day
Yoga- Preeti Yoga till 4:03 pm (Good)
Karan- Taitil Karan till 7:35 pm
Sunrise 7:14 am, Sunset 5:49 pm
Abhijit Nakshatra - none
Rahukaal - 12:31 pm to 1:51 pm (Good work prohibited, Delhi)
Direction – North direction.
Jan 2022 - Auspicious days:- 19, 20, 21 (after 9 am), 22, 23, 24 (till 9 am), 26, 29
January 2022 - Inauspicious days:- 25, 27, 28, 30, 31
Gand Mool Aarambh:- Ashlesha Nakshatra, from 19 Jan 6:42 am to 21 Jan 9:43 am Gandmool will remain till Magha Nakshatra. Children born in Gandmool constellations need to worship Moolshanti.
Upcoming fasts and festivals:-
21 Jan - Sankashti Chaturthi. Jan 28 - Shatila Ekadashi. Jan 30- Pradosh fast / Monthly Shivratri.
Special:- The person who lives outside Varanasi or outside the country, he can get astrological consultation by phone, by paying the consultation fee through Paytm or Bank transfer for astrological consultation.
Have a good day .
Acharya Mordhwaj Sharma Shri Kashi Vishwanath Temple Varanasi Uttar Pradesh.
9648023364
9129998000
Very nice
जवाब देंहटाएंthank you Plz Follow Me for Daily Blogs
हटाएंI am Tamil Nadu hai har Mahadev
जवाब देंहटाएंNice to meet you Har Har Mahadev
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