एकादशी तिथि प्रारम्भ- 28 जनवरी, 2:19 am
एकादशी तिथि समाप्त- 28 फरवरी, 11:38 pm
एकादशी व्रत पारणा मुहूर्त- 29 जन०, 7:11am से 9:20 am तक ।
अवधि : 2 घंटे 9 मिनट
षटतिला एकादशी का व्रत माघ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन किया जाता है। कष्टों, दरिद्रता तथा दुर्भाग्य से मुक्ति पाने हेतु षटतिला एकादशी का व्रत किया जाता है, इसके अतिरिक्त षटतिला एकादशी को पूजने से व्यक्ति को स्वर्ग लोक की प्राप्ति होती है ।
षटतिला एकादशी का व्रत करने से कष्टों, दरिद्रता तथा दुर्भाग्य से मुक्ति मिलती है, तथा मृत्युपरांत बैकुण्ठ मे वास होता है, इस दिन भगवान विष्णु जी की विशेष पूजा की जाती है, भक्ति भाव से पूजन आदि करके भोग लगाया जाता है ।
षटतिला का संधिविछेदन करे तो "षट अर्थात छ:" तथा "तिला अर्थात तिल" तात्पर्य यह है कि इस दिन छहः प्रकार से तिलों का प्रयोग परम फलदायी है । अतः इस दिन तिल का विशेष महत्त्व है।
पद्म पुराण के अनुसार इस दिन उपवास करके तिलों से ही स्नान, दान, तर्पण और पूजा की जाती है। इस दिन तिल का इस्तेमाल तिल के तेल का लेपन, स्नान, प्रसाद, भोजन, दान, तर्पण आदि सभी चीजों में किया जाता है।
षटतिला एकादशी के दिन तिल से किये जाने वाले कर्म:-
1. तिल के तेल से मालिश
2. तिल मिश्रित जल से स्नान
3. तिलो से हवन
4. तिलो वाले पानी का सेवन
5. तिलो का दान
6. तिल से बनी चीजो का सेवन तथा दान (रेवड़ी, गज्जक इत्यादि)
7. तिल के साथ तर्पण
षटतिला एकादशी व्रत विधि:-
पुरातन परंपरा के अनुसार माघ माह के कृष्ण पक्ष की दशमी को भगवान विष्णु का स्मरण करते हुए गोबर में तिल मिलाकर 108 उपले बनाने चाहिए। इसके बाद दशमी के दिन मात्र एक समय भोजन करना चाहिए और भगवान का स्मरण करना चाहिए
षटतिला एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा का दिन है । पद्म पुराण के अनुसार चन्दन, अरगजा, कपूर, नैवेद्य आदि से भगवान विष्णु का पूजन करना चाहिए। उसके बाद श्रीकृष्ण नाम का उच्चारण करते हुए कुम्हड़ा, नारियल अथवा बिजौरे के फल से विधि विधान से पूजन कर अर्घ्य देना चाहिए।
एकादशी की रात को भगवान का भजन- कीर्तन करना चाहिए। एकादशी की रात्रि को 108 बार
"ऊं नमो भगवते वासुदेवाय"
मंत्र द्वारा तिल निर्मित उपलों से हवन में आहुति देनी चाहिए ।
इसके बाद ब्राह्मण की पूजा कर उसे घड़ा, छाता, जूता, तिल से भरा बर्तन व वस्त्र दान देना चाहिए।
एकादशी व्रत का पारण:-
एकादशी के व्रत को सम्पूर्ण करने को पारण कहते हैं। एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण किया जाता है। एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना अति आवश्यक है। यदि द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो गयी हो तो एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के बाद ही होता है। द्वादशी तिथि के भीतर पारण न करना पाप करने के समान होता है।
एकादशी व्रत का पारण हरि वासर के दौरान भी नहीं करना चाहिए। जो श्रद्धालु व्रत कर रहे हैं उन्हें व्रत खोलने से पहले हरि वासर समाप्त होने की प्रतिक्षा करनी चाहिए। (हरि वासर द्वादशी तिथि की पहली एक चौथाई अवधि है। )
व्रत खोलने के लिए सबसे उपयुक्त समय प्रातःकाल होता है। व्रत करने वाले श्रद्धालुओं को मध्यान्ह के दौरान व्रत तोड़ने से बचना चाहिए। किसी कारण से अगर कोई प्रातःकाल पारण करने में सक्षम नहीं है तो उसे मध्यान्ह के बाद पारण करना चाहिए।
कभी कभी एकादशी व्रत लगातार दो दिनों के लिए हो जाता है। जब एकादशी व्रत दो दिन होता है तब स्मार्तो को पहले दिन एकादशी व्रत करना चाहिए। दूसरे दिन वाली एकादशी को दूजी एकादशी कहते हैं। सन्यासियों, विधवाओं और मोक्ष प्राप्ति के इच्छुक श्रद्धालुओं को दूजी एकादशी के दिन व्रत करना चाहिए। जब-जब एकादशी व्रत दो दिन होता है तब-तब दूजी एकादशी और वैष्णव एकादशी एक ही दिन होती हैं।
षटतिला एकादशी मे निषिद्ध भोज्य पदार्थ तथा कर्म:-
षटतिला एकादशी के व्रती तथा सामान्य जनो को भी कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ हैं जो सभी को एकदशी के दिन नहीं खाना चाहिए जैसे :- अनाज, चावल और दालें।
इसके अतिरिक्त किसी भी प्रकार का राजसिक तथा तामसिक कार्य व्रत के दौरान नही करना चाहिए मनुष्य को अपनी इंद्रियों को काबू में रखते हुए काम,
क्रोध,लोभ, मोह, अहंकार, व चुगली-बुराई तथा अपशब्दो आदि का परित्याग करना चाहिए, तथा व्रती को केवल भगवत भक्ति, दान और पुण्य की ओर ही मन लगाना चाहिए ।
षटतिला एकादशी मे दानादि शुभ कर्मो का फल:-
इस दिन काली गाय का दान सुयोग्य ब्राहमण को करना अत्यंत शुभ फलदायी है ।
'षटतिला एकादशी' के व्रत से जहाँ शारीरिक शुद्धि और आरोग्यता प्राप्त होती है, वहीं अन्न, तिल आदि दान करने से धन-धान्य में वृद्धि होती है।
षटतिला एकादशी का व्रत करने से जीवन के तमाम कष्टों, दरिद्रता तथा दुर्भाग्य से मुक्ति मिलती है, तथा मृत्युपरांत बैकुण्ठ मे वास होता है।
इससे यह भी ज्ञात होता है कि प्राणी जो-जो और जैसा दान करता है, शरीर त्यागने के बाद उसे वैसा ही प्राप्त होता है। अतः धार्मिक कृत्यों के साथ-साथ दान आदि अवश्य करना चाहिए। शास्त्रों में वर्णन है कि बिना दान आदि के कोई भी धार्मिक कार्य सम्पन्न नहीं माना जाता।
षटतिला एकादशी व्रत की पौराणिक कथा:-
प्राचीन काल में एक बार देवर्षि नारद, भगवान विष्णु के दरबार में जा पंहुचे और बोले भगवन माघ मास की कृष्ण एकादशी का क्या महत्व है, इसकी कहानी क्या हैं, मार्गदर्शन करें।
भगवान श्री हरि, नारद के अनुरोध पर कहने लगे हे देवर्षि इस एकादशी का नाम षटतिला एकादशी है। पृथ्वीलोक पर एक निर्धन ब्राह्मणी मुझे बहुत मानती थी। दान पुण्य करने के लिये उसके पास कुछ नहीं था लेकिन मेरी पूजा, व्रत आदि वह श्रद्धापूर्वक करती थी। एक बार मैं स्वंय उसके भिक्षा के लिये जा पंहुचा ताकि उसका उद्धार हो सके अब उसके पास कुछ देने के लिये कुछ था नहीं तो क्या करती है कि मुझे मिट्टी का एक पिंड दे दिया।
कुछ समय पश्चात जब उसकी मृत्यु हुई तो अपने को एक मिट्टी के खाली झोपड़े में पाती है जहां केवल एक आम का पेड़ ही उसके साथ था। वह मुझसे पूछती है कि हे भगवन मैनें तो हमेशा आपकी पूजा की है फिर मेरे साथ यहां स्वर्ग में भी ऐसा क्यों हो रहा है।
तब मैनें उसे भिक्षा वाला वाकया सुना दिया, ब्राह्मणी पश्चाताप करते हुए विलाप करने लगी। अब मैने उससे कहा कि जब देव कन्याएं आपके पास आयें तो दरवाजा तब तक न खोलना जब तक कि वह आपको षटतिला एकादशी की व्रत विधि न बता दें। उसने वैसा ही किया। फिर व्रत का पारण करते ही उसकी कुटिया अन्न धन से भरपूर हो गई और वह बैकुंठ में अपना जीवन हंसी खुशी बिताने लगी।
इसलिये हे नारद जो कोई भी इस दिन तिलों से स्नान दान करता है। उसके भंडार अन्न-धन से भर जाते हैं। इस दिन जितने प्रकार से तिलों का व्यवहार व्रती करते हैं उतने हजार साल तक बैकुंठ में उनका स्थान सुनिश्चित हो जाता है।
( समाप्त )
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आगामी लेख
1. 27 जन० को "षटतिला एकादशी" पर लेख
2. 28 जन० को ज्योतिषीय विषय "विभिन्न 'अयन' तथा 'गोल' मे जन्म लेने का फल" पर लेख
3. 29 जन० से "माघ-मौनी अमावस्या" पर धारावाहिक लेख
4. 1 फर० को ज्योतिषीय विषय "विभिन्न 'ऋतुओ' तथा 'मासो' मे जन्म लेने का फल"पर लेख
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जय श्री राम
आज का पंचांग,दिल्ली 🌹🌹🌹
वृहस्पतिवार,27.1.2022
श्री संवत 2078
शक संवत् 1943
सूर्य अयन- उतरायण, गोल-दक्षिण गोल
ऋतुः- शिशिर ऋतुः ।
मास- माघ मास।
पक्ष- कृष्ण पक्ष ।
तिथि- दशमी तिथि अगले दिन 2:19 am
चंद्रराशि- चंद्र वृश्चिक राशि मे।
नक्षत्र- विशाखा नक्षत्र 8:51 am तक
योग- वृद्धि योग अगले दिन 1:02 am तक (अशुभ है)
करण- वणिज करण 3:31 pm तक
सूर्योदय 7:12 am, सूर्यास्त 5:55 pm
अभिजित् नक्षत्र- 12:12 pm से 12:55 pm
राहुकाल - 1:54 pm से 3:14 pm (शुभ कार्य वर्जित,दिल्ली )
दिशाशूल- दक्षिण दिशा ।
जनवरी 2022-शुभ दिन:- 29
जनवरी 2022-अशुभ दिन:- 27, 28, 30, 31
भद्रा:- 27 जन० 3:29 pm to 27/28 जन० मध्यरात्रि 2:17 am तक ( भद्रा मे मुण्डन, गृहारंभ, गृहप्रवेश, विवाह, रक्षाबंधन आदि शुभ काम नही करने चाहिये , लेकिन भद्रा मे स्त्री प्रसंग, यज्ञ, तीर्थस्नान, आपरेशन, मुकद्दमा, आग लगाना, काटना, जानवर संबंधी काम किए जा सकतें है।
सर्वार्थ सिद्ध योग :- 27 जन० 8:51 am से 28 जन० 7:10 am तक (यह एक शुभयोग है, इसमे कोई व्यापारिक या कि राजकीय अनुबन्ध (कान्ट्रेक्ट) करना, परीक्षा, नौकरी अथवा चुनाव आदि के लिए आवेदन करना, क्रय-विक्रय करना, यात्रा या मुकद्दमा करना, भूमि , सवारी, वस्त्र आभूषणादि का क्रय करने के लिए शीघ्रतावश गुरु-शुक्रास्त, अधिमास एवं वेधादि का विचार सम्भव न हो, तो ये सर्वार्थसिद्धि योग ग्रहण किए जा सकते हैं।
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आगामी व्रत तथा त्यौहार:-
28 जन०-षटतिला एकादशी। 30 जन०- प्रदोष व्रत/मासिक शिवरात्रि।
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विशेष:- जो व्यक्ति दिल्ली से बाहर अथवा देश से बाहर रहते हो, वह ज्योतिषीय परामर्श हेतु paytm या Bank transfer द्वारा परामर्श फीस अदा करके, फोन द्वारा ज्योतिषीय परामर्श प्राप्त कर सकतें है
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आपका दिन मंगलमय हो . 💐💐💐
आचार्य मोरध्वज शर्मा श्री काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी उत्तर प्रदेश
9648023364
9129998000
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English Translation :-
Ekadashi date starts - January 28, 2:19 am
Ekadashi date ends - February 28, 11:38 pm
Ekadashi Vrat Parana Muhurta- 29 Jan, from 7:11am to 9:20 am.
Duration: 2 hours 9 minutes
The fast of Shatila Ekadashi is observed on the day of Ekadashi of Krishna Paksha of Magha month. The fast of Shatila Ekadashi is observed to get rid of sufferings, poverty and misfortune, apart from this, worshiping Shatila Ekadashi helps a person to attain heaven.
By observing the fast of Shatila Ekadashi, one gets freedom from sufferings, poverty and misfortune, and after death, resides in Baikunth, on this day Lord Vishnu ji is specially worshipped, worshiped with devotion etc.
If Shatila is dissected, then "Shat means six" and "Tila means sesame" means that on this day the use of sesame in six ways is extremely fruitful. Therefore, sesame has special significance on this day.
According to Padma Purana, fasting on this day is done with sesame seeds, bathing, donation, tarpan and worship are done. On this day, sesame is used in all things like applying sesame oil, bathing, prasad, food, donation, tarpan etc.
Things to be done with sesame seeds on the day of Shatila Ekadashi:-
1. Massage with Sesame Oil
2. Bath with Sesame Mixed Water
3. Havan from Tilo
4. Consuming sesame water
5. Donation of sesame seeds
6. Consumption and donation of things made from sesame (Revdi, Gajjak etc.)
7. Tarpan with Sesame
Shatila Ekadashi fasting method:-
According to ancient tradition, on the tenth day of Krishna Paksha of Magha month, remembering Lord Vishnu, mix sesame seeds in cow dung and make 108 drops. After this, on the day of Dashami, one should eat only one meal and remember God.
The day of Shatila Ekadashi is the day of worship of Lord Vishnu. According to Padma Purana, Lord Vishnu should be worshiped with sandalwood, Argaja, camphor, naivedya etc. After that, while pronouncing the name of Shri Krishna, Arghya should be offered by worshiping with the fruit of Kumhada, coconut or Bijore.
On the night of Ekadashi, bhajan-kirtan of God should be done. 108 times on the night of Ekadashi
"Om Namo Bhagwate Vasudevaya"
Offerings made from sesame seeds should be offered in the havan by the mantra.
After this, after worshiping the Brahmin, he should donate a pitcher, umbrella, shoes, utensils filled with sesame seeds and clothes.
Ekadashi fasting:
The completion of Ekadashi fast is called Parana. Parana is done after sunrise on the next day of Ekadashi fast. It is very important to break the Ekadashi fast before the end of the Dwadashi date. If the Dwadashi tithi is over before sunrise, then the Ekadashi fast ends only after sunrise. Not doing Parana within Dwadashi Tithi is tantamount to committing a sin.
Ekadashi fast should not be broken even during Hari Vasar. The devotees who are observing the fast should wait for the end of Hari Vasar before breaking the fast. (Hari Vasara is the first quarter period of Dwadashi Tithi.)
The best time to break the fast is early morning. The devotees observing the fast should avoid breaking the fast during midday. For some reason, if someone is not able to do the Parana in the morning, then he should do the Parana after midday.
Sometimes Ekadashi fast is observed for two consecutive days. When Ekadashi fasting is for two days, then Smarto should observe Ekadashi fast on the first day. The second day Ekadashi is called Duji Ekadashi. Sannyasis, widows and devotees wishing to attain salvation should observe a fast on Duji Ekadashi. Whenever Ekadashi fasting is for two days, then Duji Ekadashi and Vaishnava Ekadashi fall on the same day.
Prohibited food items and actions on Shatila Ekadashi:-
There are some such food items for the fasting of Shatila Ekadashi and also for the general public which should not be eaten by everyone on the day of Ekadashi such as: – Cereals, rice and pulses.
Apart from this, any type of Rajasic and Tamasic work should not be done during the fast, a person should work keeping his senses under control.
Anger, greed, attachment, ego, and slander-evil and abusive words etc. should be abandoned, and the devotee should focus only on devotion to God, charity and virtue.
The fruits of good deeds donated on Shatila Ekadashi:-
Donating a black cow to a deserving Brahmin on this day is very auspicious.
While fasting on 'Shatila Ekadashi' leads to physical purification and health, donating grains, sesame seeds etc. increases wealth and grain.
By observing the fast of Shatila Ekadashi, one gets freedom from all the sufferings, poverty and misfortunes of life, and after death one stays in Baikuntha.
It is also known from this that whatever and whatever the creature donates, after leaving the body, he receives the same. Therefore, along with religious activities, charity etc. must be done. It is described in the scriptures that no religious work is considered complete without donation etc.
Legend of Shatila Ekadashi Vrat:-
Once in ancient times, Devarshi Narada reached the court of Lord Vishnu and said, Lord, what is the significance of Krishna Ekadashi of Magha month, what is its story, guide.
Lord Shri Hari, on the request of Narada, started saying, O Devarshi, the name of this Ekadashi is Shatila Ekadashi. A poor Brahmin on earth believed in me a lot. She did not have anything to do charity, but she used to do my worship, fast etc. with devotion. Once I myself went to his alms so that he could be saved, now he had something to give, otherwise what does he do if he gave me a lump of clay.
After some time, when she dies, she finds herself in an empty mud hut where only a mango tree was with her. She asks me that oh God, I have always worshiped you, then why is this happening with me here in heaven as well.
Then I narrated the story of alms to him, the brahmin started mourning with remorse. Now I told him that when the girls of God come to you, do not open the door until they tell you the fasting method of Shatila Ekadashi. He did exactly the same. Then as soon as she broke the fast, her hut became full of food and money and she started spending her life happily in Baikunth.
Therefore, O Narada, whoever donates a bath with sesame seeds on this day. Its stores are filled with food and money. The way the fasting of sesame seeds is done on this day, their place in Baikunth is assured for a thousand years.
( End )
upcoming articles
1. Article on "Shatila Ekadashi" on 27 Jan
2. Article on the astrological topic "Fruits of being born in various 'Ayan' and 'Gol' on January 28"
3. Serial article on "Magh-Mauni Amavasya" from 29th Jan
4. Article on the astrological topic "Fruits of being born in different 'seasons' and 'Maso' on 1 February"
Long live Rama
Today's Panchang, Delhi
Thursday, 27.1.2022
Shree Samvat 2078
Shaka Samvat 1943
Surya Ayan- Uttarayan, Round-South Round
Rituah - winter season.
Month - Magha month.
Paksha - Krishna Paksha.
Date- Dashami Tithi the next day at 2:19 am
Moon Sign - Moon in Scorpio.
Nakshatra- Visakha Nakshatra till 8:51 am
Yoga- Vridha Yoga till 1:02 am the next day (inauspicious)
Karan- Vanij Karan till 3:31 pm
Sunrise 7:12 am, Sunset 5:55 pm
Abhijit Nakshatra - 12:12 pm to 12:55 pm
Rahukaal - 1:54 pm to 3:14 pm (Good work prohibited, Delhi)
Dishashul - South direction.
Jan 2022-Good Days:- 29
January 2022 - Inauspicious days:- 27, 28, 30, 31
Bhadra:- 27 Jan. 3:29 PM to 27/28 Jan. midnight till 2:17 AM (Shunning, Griharambha, Griha Pravesh, Marriage, Rakshabandhan etc. should not be done in Bhadra, but in Bhadra there should be female affair, Yagya, pilgrimage, operation , litigation, setting fire, cutting, animal related works can be done.
Sarvartha Siddha Yoga :- 27 Jan 8:51 am to 28 Jan 7:10 am (This is an auspicious yoga, in this, making any business or state contract, applying for examination, job or election etc., purchase- If the idea of Guru-Shukrast, Adhimaas and Vedadi is not possible in a hurry to make sale, travel or litigation, purchase of land, rides, clothes, jewelery etc., then these Sarvarthasiddhi Yogas can be adopted.
Upcoming fasts and festivals:-
Jan 28 - Shatila Ekadashi. Jan 30- Pradosh fast / Monthly Shivratri.
Special:- The person who lives outside varanasi or outside the country, he can get astrological consultation by phone, by paying the consultation fee through Paytm or bank transfer for astrological consultation.
Have a good day .
Acharya Mordhwaj Sharma Shri Kashi Vishwanath Temple Varanasi Uttar Pradesh
9648023364
9129998000
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