06 अप्रैल 2022

नवरात्री के पंचम दिवस शक्ति माँ दुर्गा के स्कन्द स्वरूप की उपासना विधि एवं समृद्धि पाने के उपाय ।। On the fifth day of Navratri, worship method of Shakti Maa Durga's Skanda form and ways to get prosperity


नवरात्री के पंचम दिवस शक्ति माँ दुर्गा के स्कन्द स्वरूप की उपासना विधि एवं समृद्धि पाने के उपाय
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  स्कंद माँ का स्वरूप
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आदिशक्ति जगत जननी माँ दुर्गा का पंचम रूप स्कन्दमाता के रूप में जाना जाता है। भगवान स्कन्द कुमार (कार्तिकेय)की माता होने के कारण दुर्गा जी के इस पांचवे स्वरूप को स्कंद माता नाम प्राप्त हुआ है। सिह के आसन पर विराजमान तथा कमल के पुष्प से सुशोभित दो हाथो वाली यशस्विनी देवी स्कन्दमाता शुभदायिनी है। भगवान स्कन्द जी बालरूप में माता की गोद में बैठे होते हैं इस दिन साधक का मन विशुध्द चक्र में अवस्थित होता है। स्कन्द मातृस्वरूपिणी देवी की चार भुजायें हैं, ये दाहिनी ऊपरी भुजा में भगवान स्कन्द को गोद में पकडे हैं और दाहिनी निचली भुजा जो ऊपर को उठी है, उसमें कमल पकडा हुआ है। माँ का वर्ण पूर्णतः शुभ्र है और कमल के पुष्प पर विराजित रहती हैं। इसी से इन्हें पद्मासना की देवी और विद्यावाहिनी दुर्गा देवी भी कहा जाता है। इनका वाहन भी सिंह है।

माँ स्कंदमाता सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं। इनकी उपासना करने से साधक अलौकिक तेज की प्राप्ति करता है । यह अलौकिक प्रभामंडल प्रतिक्षण उसके योगक्षेम का निर्वहन करता है। एकाग्रभाव से मन को पवित्र करके माँ की स्तुति करने से दुःखों से मुक्ति पाकर मोक्ष का मार्ग सुलभ होता है। इनकी आराधना से विशुद्ध चक्र के जाग्रत होने वाली सिद्धियां स्वतः प्राप्त हो जाती हैं। इनकी आराधना से मनुष्य सुख-शांति की प्राप्ति करता है।

श्री स्कन्दमाता की पूजा विधि
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कुण्डलिनी जागरण के उद्देश्य से जो साधक दुर्गा मां की उपासना कर रहे हैं उनके लिए दुर्गा पूजा का यह दिन विशुद्ध चक्र की साधना का होता है। इस चक्र का भेदन करने के लिए साधक को पहले मां की विधि सहित पूजा करनी चाहिए. पूजा के लिए कुश अथवा कम्बल के पवित्र आसन पर बैठकर पूजा प्रक्रिया को उसी प्रकार से शुरू करना चाहिए जैसे आपने अब तक के चार दिनों में किया है फिर इस मंत्र से देवी की प्रार्थना करनी चाहिए ।

    मन्त्र
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सिंहासनगता नित्यं पद्याञ्चितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥

तदोपरांत पंचोपचार विधि से देवी स्कन्दमाता की पूजा कीजिए। नवरात्रे की पंचमी तिथि को कहीं कहीं भक्त जन उद्यंग ललिता का व्रत भी रखते हैं। इस व्रत को फलदायक कहा गया है। जो भक्त देवी स्कन्द माता की भक्ति-भाव सहित पूजन करते हैं उसे देवी की कृपा प्राप्त होती है। देवी की कृपा से भक्त की मुराद पूरी होती है और घर में सुख, शांति एवं समृद्धि रहती है।

 श्री स्कन्दमाता शप्तशती मंत्र
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सिंहासना गता नित्यं पद्माश्रि तकरद्वया ।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी ।।
या देवी सर्वभू‍तेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

   श्री स्कन्दमाता ध्यान मन्त्र
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वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा स्कन्दमाता यशस्वनीम्।।
धवलवर्णा विशुध्द चक्रस्थितों पंचम दुर्गा त्रिनेत्रम्।
अभय पद्म युग्म करां दक्षिण उरू पुत्रधराम् भजेम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानांलकार भूषिताम्।
मंजीर, हार, केयूर, किंकिणि रत्नकुण्डल धारिणीम्॥
प्रफुल्ल वंदना पल्ल्वांधरा कांत कपोला पीन पयोधराम्।
कमनीया लावण्या चारू त्रिवली नितम्बनीम्॥

   श्री स्कन्दमाता स्तोत्र पाठ
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नमामि स्कन्दमाता स्कन्दधारिणीम्।
समग्रतत्वसागररमपारपार गहराम्॥
शिवाप्रभा समुज्वलां स्फुच्छशागशेखराम्।
ललाटरत्नभास्करां जगत्प्रीन्तिभास्कराम्॥
महेन्द्रकश्यपार्चिता सनंतकुमाररसस्तुताम्।
सुरासुरेन्द्रवन्दिता यथार्थनिर्मलादभुताम्॥
अतर्क्यरोचिरूविजां विकार दोषवर्जिताम्।
मुमुक्षुभिर्विचिन्तता विशेषतत्वमुचिताम्॥
नानालंकार भूषितां मृगेन्द्रवाहनाग्रजाम्।
सुशुध्दतत्वतोषणां त्रिवेन्दमारभुषताम्॥
सुधार्मिकौपकारिणी सुरेन्द्रकौरिघातिनीम्।
शुभां पुष्पमालिनी सुकर्णकल्पशाखिनीम्॥
तमोन्धकारयामिनी शिवस्वभाव कामिनीम्।
सहस्त्र्सूर्यराजिका धनज्ज्योगकारिकाम्॥
सुशुध्द काल कन्दला सुभडवृन्दमजुल्लाम्।
प्रजायिनी प्रजावति नमामि मातरं सतीम्॥
स्वकर्मकारिणी गति हरिप्रयाच पार्वतीम्।
अनन्तशक्ति कान्तिदां यशोअर्थभुक्तिमुक्तिदाम्॥
पुनःपुनर्जगद्वितां नमाम्यहं सुरार्चिताम्।
जयेश्वरि त्रिलोचने प्रसीद देवीपाहिमाम्॥

  श्री स्कन्दमाता कवच
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ऐं बीजालिंका देवी पदयुग्मघरापरा।
हृदयं पातु सा देवी कार्तिकेययुता॥
श्री हीं हुं देवी पर्वस्या पातु सर्वदा।
सर्वांग में सदा पातु स्कन्धमाता पुत्रप्रदा॥
वाणंवपणमृते हुं फ्ट बीज समन्विता।
उत्तरस्या तथाग्नेव वारुणे नैॠतेअवतु॥
इन्द्राणां भैरवी चैवासितांगी च संहारिणी।
सर्वदा पातु मां देवी चान्यान्यासु हि दिक्षु वै॥

वात, पित्त, कफ जैसी बीमारियों से पीड़ित व्यक्ति को स्कंदमाता की पूजा करनी चाहिए और माता को अलसी चढ़ाकर प्रसाद में रूप में ग्रहण करना चाहिए । शास्त्रों में कहा गया है कि इस चक्र में अवस्थित साधक के मन में समस्त बाह्य क्रियाओं और चित्तवृत्तियों का लोप हो जाता है और उसका ध्यान चैतन्य स्वरूप की ओर होता है, समस्त लौकिक, सांसारिक, मायाविक बन्धनों को त्याग कर वह पद्मासन माँ स्कन्धमाता के रूप में पूर्णतः समाहित होता है। साधक को मन को एकाग्र रखते हुए साधना के पथ पर आगे बढ़ना चाहिए।

 स्कन्द माता कथा एवं पौरिणीक मान्यताएं
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दुर्गा पूजा के पांचवे दिन देवताओं के सेनापति कुमार कार्तिकेय की माता की पूजा होती है। कुमार कार्तिकेय को ग्रंथों में सनत-कुमार, स्कन्द कुमार के नाम से पुकारा गया है। माता इस रूप में पूर्णत: ममता लुटाती हुई नज़र आती हैं। माता का पांचवा रूप शुभ्र अर्थात श्वेत है। जब अत्याचारी दानवों का अत्याचार बढ़ता है तब माता संत जनों की रक्षा के लिए सिंह पर सवार होकर दुष्टों का अंत करती हैं। देवी स्कन्दमाता की चार भुजाएं हैं, माता अपने दो हाथों में कमल का फूल धारण करती हैं और एक भुजा में भगवान स्कन्द या कुमार कार्तिकेय को सहारा देकर अपनी गोद में लिये बैठी हैं। मां का चौथा हाथ भक्तो को आशीर्वाद देने की मुद्रा मे है।

देवी स्कन्द माता ही हिमालय की पुत्री पार्वती हैं इन्हें ही माहेश्वरी और गौरी के नाम से जाना जाता है। यह पर्वत राज की पुत्री होने से पार्वती कहलाती हैं, महादेव की वामिनी यानी पत्नी होने से माहेश्वरी कहलाती हैं और अपने गौर वर्ण के कारण देवी गौरी के नाम से पूजी जाती हैं। माता को अपने पुत्र से अधिक प्रेम है अत: मां को अपने पुत्र के नाम के साथ संबोधित किया जाना अच्छा लगता है। जो भक्त माता के इस स्वरूप की पूजा करते है मां उस पर अपने पुत्र के समान स्नेह लुटाती हैं।

नवरात्र पर पांचवे दिन माँ के स्कंदमाता के रूप की पूजा की जाती है। स्कंदमाता भगवान कार्तिकेय की माँ है । नौ ग्रहों की शांति के लिए स्कंदमाता की खास पूजा अर्चना की जाती है। ऐसामन जाता है कि नवरात्र के पांचवे दिन स्कंदमाता को खुश करने से बुरी ताकतों का नाश होता है और बुरी नज़र से मुक्ति मिलती है। देवी के इस रूप कि पूजा से असंभव काम भी संभव हो जाते हैं। स्कंदमाता को ही पार्वती ,महेश्वरी और गौरी कहा जाता है। स्कंद्कुमार कि माता होने के कारण ही देवी का नाम स्कंदमाता पड़ा। देवी का स्कंदमाता रूप राक्षसों का नाश करने वाली हैं। कहा जाता है कि एक बार ताडकासुर नाम के भयानक राक्षस ने तपस्या करके भगवान ब्रह्मा से अजेय जीवन का वचन ले लिया जिससे उसकी कभी मृत्यु ना हो। लेकिन जब ब्रह्मा ने कहा की इस संसार में जो आया है उसे एक ना एक दिन जाना पड़ता है । तो ताडकासुर ने कहा की यदि उसकी मृत्यु हो तो शिव के पुत्र के हाथो हो ब्रह्मा बोले ऐसा ही होगा । ताडकासुर ने सोचा ना कभी शंकर जी विवाह करेंगे ना कभी उनका पुत्र होगा और ना कभी उसकी मृत्यु होगी लेकिन होनी को कौन टाल सकता है ।

ताडकासुर ने खुद को अजेय मानकर संसार में हाहाकार मचाना शुरू कर दिया। तब सभी देवता भागे भागे शंकर जी के पास गये और बोले प्रभु ! ताडकासुर ने पूरी सृष्टि में उत्पात मचा रखा है । आप विवाह नहीं करेगे तो ताडकासुर का अंत नहीं हो सकता । देवताओं के आग्रह पर शंकर जी ने साकार रूप धारण कर के पार्वती से विवाह रचाया। शिव और पार्वती के पुत्र का जन्म हुआ जिनका नाम पड़ा कार्तिकेय। कार्तिकेय का ही नाम स्कंद्कुमार भी है स्कंद्कुमार ने ताडकासुर का वध करके संसार को अत्याचार से बचाया स्कंद्कुमार की माता होने के कारण ही माँ पार्वती का नाम स्कंदमाता भी पड़ा । माना जाता है कि देवी स्कंदमाता के कारण ही माँ -बेटे के संबंधो की शुरुआत हुई। देवी स्कंदमाता की पूजा का विशेष महत्व है । स्कंदमाता अगर प्रसन्न हो जाये तो बुरी शक्तियाँ भक्तो का कुछ नहीं बिगाड़ सकती हैं। देवी की इस पूजा से असंभव काम भी संभव हो जाता है ।

नवरात्रि के पंचम दिवस पर सर्वबाधा नाशक उपाय
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उपाय १👉 विवाह में आने वाली बाधा दूर करने के लिए ये उपाय बहुत ही कारगर है। ३६ लौंग और ६ कपूर के टुकड़े लें। इसमे हल्दी और चावल मिलाकर इससे माँ दुर्गा को आहुति दें।

उपाय २👉 अगर आपको संतान की प्राप्ति नहीं हो रही है तो आप लौग और कपूर में आनार के दाने मिला कर माँ दुर्गा को आहुति दें जरुर लाभ होगा । संतान प्राप्ति का सुख मिलेगा।

उपाय ३👉 अगर आप का कारोबार ठीक से नहीं चल रहा है तो दूर करने के लिए लौंग और कपूर में अमलताश के फूल मिलाएं , अगर अमलताश नहीं है तो कोई भी पीला फूल मिलाएं और माँ दुर्गा को आहुति दें आपका बिजनेस खूब फलेगा।

उपाय ४ 👉 जिन लोगों की विदेश यात्रा में कठिनाई या बाधा आ रही है वो मूली के टुकड़ों को हवन सामग्री में मिला लें और हवन करें, विदेश यात्रा का योग बनेगा।

उपाय५ हमेशा कार्य में बाधा आ रही हो तो बाधा निवारण के लिए यह उपाय करें?

यदि किसी के भी साथ अनावश्यक, बार-बार कोई भी कारण नहीं और परेशानी आ रही हो, मन बेचेन रहता हो, अनहोनी दुर्घटनाएं घट रही हों और एक्सीडेंट होता हो तो 800 ग्राम चावल दूध से धो कर पवित्र पात्र में अपने सामने रख लें। और एक माला ॐ ऐं ह्रीं  क्लीं चामूण्डाय विच्चे ॐ स्कन्द माता देव्यै नम: और एक माला मंगलकारी शनि मंत्र का जाप करें। तत्पश्चात इस सामग्री को अपने ऊपर से 11 बार उसार करके किसी तालाब अथवा बहते पानी में प्रवाह करें। और दूध किसी कुत्ते को पीला दें। यह उपाय लगातार 43 दिन तक करें। इस समस्या से छुटकारा मिल जाएगा।

श्री स्कन्द माँ की आरती
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नवरात्रि में पञ्चम स्कन्द माँ महारानी।
इनके ममता स्वरूप को ध्याये ध्यानी ग्यानी।।

कार्तिकेय को गोद के करती अनोखा प्यार।
अपनी शक्ति देकर करे रक्त संचार।।

भूरे सिंह पर बैठकर मंद-मंद मुस्काये।
कमल के आसन बैठी शोभा वरणी ना जाए।।

आशीर्वाद की मुद्रा मन में भरे उमंग।
कीर्तन करता दास से छोड़ के नाम का रंग।।

जैसे रूठे बालक की सुनती आप पुकार।
मुझको भी वो प्यार दो मत करना इन्कार।।

श्री जय जय स्कन्दा माँ

माँ दुर्गा की आरती
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जय अंबे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ॥ ॐ जय…

मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को ।
उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको ॥ ॐ जय…

कनक समान कलेवर, रक्तांबर राजै ।
रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै ॥ ॐ जय…

केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी ।
सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी ॥ ॐ जय…

कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती ।
कोटिक चंद्र दिवाकर, राजत सम ज्योती ॥ ॐ जय…

शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती ।
धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती ॥ॐ जय…

चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे ।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भय दूर करे ॥ॐ जय…

ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी ।
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ॥ॐ जय…

चौंसठ योगिनी गावत, नृत्य करत भैंरू ।
बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू ॥ॐ जय…

तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता ।
भक्तन की दुख हरता, सुख संपति करता ॥ॐ जय…

भुजा चार अति शोभित, वरमुद्रा धारी ।
>मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी ॥ॐ जय…

कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती ।
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती ॥ॐ जय…

श्री अंबेजी की आरति, जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपति पावे ॥ॐ जय…


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English Translation :-

On the fifth day of Navratri, worship method of Shakti Maa Durga's Skanda form and ways to get prosperity

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 Skanda Maa Form

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 The fifth form of Goddess Durga, the mother of Adishakti Jagat, is known as Skandmata.  Due to being the mother of Lord Skanda Kumar (Karthikeya), this fifth form of Durga has got the name Skanda Mata.  Sitting on the seat of a lion and adorned with lotus flowers, Yashaswini Devi with two hands, Skandmata is auspicious.  Lord Skanda ji is sitting in the child's lap in the mother's lap, on this day the mind of the seeker is situated in the pure chakra.  Skanda Matriswarupini Devi has four arms, she holds Lord Skanda in her lap in the right upper arm and a lotus is held in her right lower arm which is raised up.  Mother's complexion is completely auspicious and remains seated on a lotus flower.  That is why she is also called the goddess of Padmasana and Vidyavahini Durga Devi.  His vehicle is also a lion.


 Mother Skandmata is the presiding deity of the solar system.  By worshiping them, the seeker attains supernatural effulgence.  This supernatural aura discharges his Yogakshema every moment.  By praising the mother by purifying the mind with concentration, the path of salvation is accessible by getting rid of sorrows.  By worshiping them, the accomplishments that arise from the awakening of the Vishuddha Chakra are automatically achieved.  By worshiping them man attains happiness and peace.


 Worship method of Shri Skandamata

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 For those seekers who are worshiping Goddess Durga for the purpose of Kundalini awakening, this day of Durga Puja is meant for the sadhana of the pure chakra.  To penetrate this chakra, the seeker should first worship the mother with the method.  For worship, the worship process should be started in the same way as you have done in the four days so far by sitting on the holy seat of Kush or blanket, then pray to the Goddess with this mantra.


 Mantra

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 Thronegata nityam padyanchitkardvaya.

 Shubhdastu Sad Devi Skandmata Yashaswini


 After that worship Goddess Skandmata with Panchopchar method.  On the Panchami date of Navratra, at some places, devotees also observe a fast of Jan Udyang Lalita.  This fast is said to be fruitful.  The devotee who worships Goddess Skanda Mata with devotion, gets the blessings of the Goddess.  By the grace of the Goddess, the wishes of the devotee are fulfilled and there is happiness, peace and prosperity in the house.


 Shree Skandmata Shaptashati Mantra

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 Throne Gata Nityam Padmashree Takardvaya.

 Shubhdastu always Goddess Skandmata Yashaswini.

 Or Goddess Sarvabhuteshu Maa Skandmata Rupena Sanstha.

 Namasthasai Namasthasai Namasthasai Namo Namah.


 Shri Skandmata Meditation Mantra

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 Vande desired kamarthe chandradhakritshekharam.

 Sinhrudha Chaturbhuja Skandmata Yashaswanim.

 Dhavalvarna Vishuddha Chakrasthitto Pancham Durga Trinetram.

 Do abhaya padma pairing dakshin uru putradharam bhajem॥

 Patamber costumes softly, Nanalkar Bhushitam.

 Manjir, Necklace, Keyur, Kinkini Ratnakundal Dhariniam

 Prafulla Vandana Pallavandhara Kant Kapola Peen Payodharam.

 Kamaniya Lavanya Charu Trivali Nitambanim॥


 Shri Skandmata Stotra Text

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 Namami Skandmata Skandadhariniam.

 The totality of the ocean, transcends the depths

 Shivaprabha samujwalam spuchchashagshekharam.

 Lalataratnabhaskaran Jagatpreentibhaskaram

 Mahendrakashyaparchita Sanantakumararastutam.

 Surasurendravandita realtynirmaladbhutam.

 Atkaryarochiruvijan vicar doshavarjitam.

 Mumukshubhirvichintata special element muchchitam॥

 Nanalankar Bhushitam Mrigendravahanagrajam.

 Sushuddattattvatoshanam Trivendamarbhushatam

 Sudharmikaupkarini Surendrakaurighatinim.

 Shubhan Pushpamalini Sukarnakalpashakinim॥

 Tamondhakarayamini Shivasvabhava Kaminim.

 Sahasrasuryarajika Dhanajyogakarikam

 Good time Kandala Subhadvrindamajullam.

 Prajayini Prajavati Namami Mataram Satim

 Swakarmakarini speed Hariprayach Parvatim.

 Anantshakti Kantidaam Yashoarthabhuktimuktidam॥

 Again punarjagadvitam namayam surarchitam.

 Jayeshwari Trilochanne Prasid Devipahimam


 Shree Skandmata Kavach

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 Aim Bijalinka Devi Padajyuggharapara.

 Hridayam paatu sa devi karthikeyayuta॥

 Shree hi hum devi parvasya patu always.

 Always Patu Skandmata Putraprada in the whole world.

 Vanampanamrte Humft Seed Coordination.

 Uttarasya Tathagneva Varune Nailteavatu

 Indranam Bhairavi Chavasitangi Cha Sanharini.

 Sarvada Patu Maa Devi Chanyanyasu hi Dikshu Vai.


 A person suffering from diseases like Vata, Pitta, Kapha should worship Skandmata and offer linseed to the mother and take it as Prasad.  It has been said in the scriptures that all the external activities and mental attitudes disappear in the mind of the seeker who is situated in this chakra and his attention is towards the form of consciousness, renouncing all the worldly, worldly, illusory bonds, he becomes Padmasana in the form of mother Skandmata.  is fully incorporated.  The seeker should proceed on the path of spiritual practice keeping the mind concentrated.


 Skanda Mata story and mythological beliefs

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 On the fifth day of Durga Puja, the mother of the commander of the gods, Kumar Kartikeya is worshipped.  Kumar Kartikeya has been called in the texts as Sanat-Kumar, Skanda Kumar.  Mother is seen in this form utterly wasting her love.  The fifth form of the mother is Shubhra i.e. white.  When the atrocities of the tyrannical demons increase, the mother rides on a lion to protect the saints and ends the wicked.  Goddess Skandamata has four arms, the mother holds a lotus flower in her two hands and in one arm, Lord Skanda or Kumar is seated on her lap supporting Kartikeya.  The fourth hand of the mother is in the posture of blessing the devotees.


 Goddess Skanda Mata is the daughter of Himalaya Parvati, she is known as Maheshwari and Gauri.  This mountain is called Parvati because of being the daughter of Raj, being the wife of Mahadev, she is called Maheshwari and is worshiped by the name of Goddess Gauri because of her fair complexion.  Mother loves her son more, so mother likes to be addressed with her son's name.  The devotee who worships this form of mother, the mother showers her affection on him like her son.


 On the fifth day of Navratri, the form of Mother Skandmata is worshipped.  Skandmata is the mother of Lord Kartikeya.  Special worship of Skandmata is done for the peace of the nine planets.  It is believed that by appeasing Skandmata on the fifth day of Navratri, evil forces are destroyed and one gets freedom from the evil eye.  Even impossible things become possible by worshiping this form of Goddess.  Skandmata is also called Parvati, Maheshwari and Gauri.  Due to being the mother of Skandkumar, the goddess was named Skandamata.  Skandmata form of Goddess is the destroyer of demons.  It is said that once a terrible demon named Tadakasur did penance and took the promise of an invincible life from Lord Brahma so that he would never die.  But when Brahma said that one who has come in this world has to go one day or the other.  So Tadkasur said that if he dies, then it will happen in the hands of Shiva's son, Brahma said.  Tadkasur thought that Shankar ji would never get married, he would never have a son and he would never die, but who can avert this happening.


 Tadakasur started creating an outcry in the world considering himself invincible.  Then all the gods ran away, went to Shankar ji and said Lord!  Tadakasur has created a ruckus in the whole creation.  If you do not get married then Tadkasur cannot end.  On the request of the gods, Shankar ji took a corporeal form and married Parvati.  The son of Shiva and Parvati was born, whose name was Kartikeya.  Kartikeya's name is also Skandkumar. Skandkumar saved the world from tyranny by killing Tadakasur; being the mother of Skandkumar, mother Parvati was also named Skandamata.  It is believed that due to Goddess Skandmata, mother-son relationship started.  The worship of Goddess Skandmata has special significance.  If Skandmata is pleased, then evil forces cannot harm the devotees.  With this worship of the Goddess, even impossible tasks become possible.


 On the fifth day of Navratri, all obstacles to be removed

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 Remedy 1: This remedy is very effective to remove the obstacles in marriage.  Take 36 cloves and 6 camphor pieces.  Add turmeric and rice to it and offer it to Goddess Durga.


 Remedy 2 If you are not getting a child, then by mixing pomegranate seeds in log and camphor and offering it to Maa Durga, it will definitely be beneficial.  You will get the happiness of having a child.


 Remedy 3 If your business is not going well, then add amaltash flowers to clove and camphor to remove it, if there is no amaltash then add any yellow flower and offer sacrifice to Maa Durga, your business will flourish.


 Remedy 4 Those people who are facing difficulty or obstacle in traveling abroad, mix the pieces of radish in the Havan material and perform the Havan, the sum of traveling abroad will be formed.


 Remedy 5 If there is always a hindrance in the work, then do this remedy to remove the obstacle?


 If unnecessarily, repeatedly for no reason and trouble is happening to anyone, the mind remains restless, untoward accidents are happening and accidents happen, then wash 800 grams of rice with milk and keep it in a holy vessel in front of you.  And one rosary Aim Hre Kle Chamundaya Vichhe Om Skanda Mata Devai Namah and one rosary chant the auspicious Shani Mantra.  After that, pour this material over yourself 11 times and flow it in a pond or running water.  And give milk to a dog yellow.  Do this remedy continuously for 43 days.  This problem will get rid of.


 Shree Skanda Maa Aarti

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 The fifth Skanda Maa Maharani in Navratri.

 The meditators pay attention to their loving nature.


 Unique love for Kartikeya in his lap.

 Do blood circulation by giving your power.


 He smiled softly while sitting on the brown lion.

 Do not let the beauty of the lotus seat sit.


 The mood of blessings filled with enthusiasm.

 The color of the name left by the servant doing kirtan.


 Like you hear the cry of an angry child.

 Don't refuse to give me that love too.


 Shri Jai Jai Skanda Mother


 Aarti of Maa Durga

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 Jai Ambe Gauri, Maya Jay Shyama Gauri.

 Nishdin Dhayavat to you, Hari Brahma Shivri.  Jay…


 Demand vermilion, tiko to mrigmad.

 Dou Naina from Ujjwal, Chandravadan Niko  Jay…


 Like Kanak, Raktambara Rajai.

 Raktpushpa gal garland, like on the throat.  Jay…


 Kehri Vehicle Rajat, Khadg Khappar Stripe.

 Sur-Nar-Munijan Sevat, straws are sad.  Jay…


 Kanan coil adorned, nasagray pearls.

 Kotik Chandra Diwakar, Rajat Sam Jyoti.  Jay…


 Shumbha-Nishumbha bidare, Mahishasur Ghati.

 Dhumr Vilochan Naina, Nishadin Madmati Jai…


 Chand-shunts are destroyed, the sown seeds are green.

 Do Mare Madhu-Katabh, remove the fear of sound Jai…


 Brahmani, Rudrani, you Kamala queen.

 Aagam Nigam Bakhani, you Shiv Patrani Om Jai…


 Sixty-four yogini singing, dancing Bhairu.

 Bajat Tal Mridanga, Aru Bajat Damru Om Jai…


 You are the mother of the world, you are the only one.

 Destroys the sorrow of the devotee, makes happiness and wealth.


 Arms four are very decorated, wearing a mudra.

 > The desired fruit is received, serving male and female Jai…


 Kanchan Thal Virajat, if Kapoor wicks.

 Rajat in Srimalketu, Koti Ratan Jyoti Om Jai…


 Aarti of Shri Ambeji, whoever sings.

 Kahat sivanand swami, get happiness and wealth Jai…

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