31 जनवरी 2022

Serial Article:- Magh/Mauni Amavasya, Part-3 Final धारावाहिक लेख:- माघ/मौनी अमावस्या, 31.01.2022 से 1.02 2022, भाग-3 अंतिम

                                                                                


मौनी अमावस्या का शुभ मुहूर्त:-
अमावस्या तिथि प्रारम्भ:-31.01.2022,2:20 pm
अमावस्या तिथि समाप्त-1.02.2022, प्रातः 11:16 am तक
पितृकार्य प्रारंभ- 31.01.2022, 2:20 pm के उपरांत
महोदय योग- 1.02.2022, 6:41am से 11:16 am तक
स्नान-दान तथा व्रत हेतु अमावस्या-1.02.2022

पूर्व भाग में प्रकाशित भाग के अंश.........

अमावस्या उदया तिथि 1 फरवरी को प्राप्त हो रही है, ऐसे में अमावस्या 1 फरवरी को सुबह 11 बजकर 16 मिनट तक रहेगी, तथा 1 फरवरी को ही माघी अमावस्या का स्नान, दान, व्रत, पूजा-पाठ आदि किया जाएगा, जोकि सारा दिन मान्य रहेगा, इस दिन महोदय योग 11:16 am तक रहेगा। मंगलवार को पड़ने के कारण इसे भौमवती अमावस्या भी कहा जाएगा। अतः इस अमावस्या को हनुमानजी की पूजा करने से हनुमानजी की विशेष कृपा प्राप्त होती है तथा मंगल ग्रह मजबूत होता है।

परन्तु मौनी अमावस्या का पितृ कार्य हेतु समय 31 जनवरी 2022, 2:20 pm को अमावस्या तिथि के प्रारंभ होने से ही मान्य रहेगा। धर्मशास्त्रों में बताया गया की अमावस्या तिथि यदि सोमवार को सूर्यास्त से कुछ क्षण पहले ही शुरू हो जाये तो उसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है। वर्ष 2022 मे यह तिथि 31 जनवरी दोपहर के समय लग रही है, जिससे पितरों के कार्य भी किए जा सकते हैं। शास्त्रानुसार जिस दिन दोपहर के समय अमावस्या तिथि लग रही हो, उस दिन पितृ पूजन और पितरों के नाम का तर्पण किया जाना चाहिए।

अतः वर्ष 2022 माघ मास में सोमवती और भौमवती अमावस्या का एक साथ होने से यह अनोखा संयोग बना है।

अमावस्या के कृत्य तथा अकृत्य कर्म
सभी तिथियाँ देवताओं की है परन्तु अमावस्या केवल पितृरो की ही तिथि होती है। शास्त्रो मे यहाँ तक कहा गया है, कि अमावस्या को उत्पन्न (जन्म लिया) बालक पितृ होता है।

गतांक से आगे ...............

हिन्दु धर्म ग्रंथों के अनुसार माघ/मौनी अमावस्या पर स्नान, दान, श्राद्ध व व्रत का विशेष महत्व है। तंत्र शास्त्र में भी मौनी अमावस्या को विशेष तिथि माना गया है। 1 फरवरी को मंगलवार होने के कारण इस माघ मास की अमावस्या मे मंगलवासरीय अमावस्या के भी गुण समाहित है, अतः मंगलवारीय अमावस्या श्रीहनुमान पूजन भी निम्नलिखित प्रकार से करके पुण्य अर्जित किया जा सकता है, तथा मान्यता है कि माघ/मौनी अमावस्या के दिन किए गए उपाय विशेष रूप से शुभ फल प्रदान करते हैं। अतः निम्नलिखित उपाय करके भक्त अपने अभीष्ट की प्राप्ति कर सकते हैं:-

मंगलवारीय अमावस्या श्रीहनुमान पूजन:-
भौमवती अमावस्या के दिन हनुमान जी की पूजा-अर्चना कर उन्हे शीघ्र प्रसन्न कर सकते हैं। इस दिन हनुमानजी तथा मंगलदेव के निमित्त व्रत और उपवास करना चाहिए ऐसा करने से व्यक्ति को सुख-संपन्नता का आशीर्वाद मिलता है।

यदि कर्ज का बोझ अधिक बढ़ गया हो इस दिन से शुरू करके नियमित रूप से ऋणमोचक मंगल स्रोत का पाठ स्वयं करें अथवा किन्हीं योग्य ब्राह्मण से भी करवाया जा सकता है ।

यदि कोई व्यक्ति किसी रोग से पीड़ित हो तो इस दिन लाल कपडा, गुड़, आटा दान करें।

मौनी अमावस्या व महोदय नामक शुभ योग में किसी भी हनुमान मंदिर में जाकर हनुमान चालीसा का पाठ करें। संभव हो तो हनुमानजी को चमेली के तेल से चोला भी चढ़ा सकते हैं। ये उपाय करने से साधक की समस्त मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं।

हनुमंत कृपा प्राप्ति हेतु एक प्रयोग:-
भौमवती अमावस्या के दिन किसी भी समय स्नान ध्यान करने के बाद घर के मंदिर में लाल रंग के ऊनी आसन पर बैठकर हनुमान यंत्र की स्थापना करें। यह यंत्र विशेष रूप से पंचधातु अथवा ताँबे का हो सकता है।
हनुमान यंत्र के ठीक सामने घी का एक दीपक प्रज्वलित कर पंचोपचार पूजन के उपरांत मूंगे की माला से निम्नलिखित मंत्र की 108 माला का जाप करे ।
मंत्र:- ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट
मंत्र जप के उपरांत उपरोक्त मंत्र द्वारा दशांश भाग द्वारा हवन कुण्ड में गाय के घी से आहुति दें।
हवन के समाप्त होने के बाद हनुमान यंत्र को पूजा स्थल पर रखें ।
इस प्रकार इस प्रक्रिया के बाद "हनुमान यंत्र" प्रतिष्ठा हो जाती है, जिससे हनुमानजी की कृपा से विभिन्न प्रकार के कार्यो में सफलता प्राप्त होती है ।

1. नौकरी- व्यापार, संतान संबंधी या विवाह संबंधी रूकावटो हेतु प्रयोग:-
नौकरी- व्यापार, संतान संबंधी या विवाह संबंधी परेशानियो के निवारण के लिए पीपल की वृक्ष की पूजा मे जनेऊ अर्पित करने के बाद दूसरा जनेऊ विष्णु जी के नाम से वहीं पर चढाये, फिर वृक्ष की 108 बार परिक्रमा करे, प्रत्येक परिक्रमा पूरी होने पर दूध से बनी मिठाई का एक पीस अर्पित करे तथा हर परिक्रमा के साथ निम्नलिखित मंत्र का जाप करे
।। ॐनमो भगवते वासुदेवाय ।।
108 परिक्रमा पूरी होने के बाद विष्णु जी से अपने जाने-अनजाने मे किये अपराध के लिए क्षमा मांगकर अपने मनोरथ या इच्छा (नौकरी- व्यापार, संतान संबंधी या विवाह संबंधी परेशानियो को कहे),
श्रद्धापूर्वक की गयी पूजा तथा कामना अवश्य पूर्ण होगी । अधिक से अधिक पुण्य अर्जित करने का स्वर्णिम अवसर है, माघी अमावस्या ।
इस प्रयोग के उपरांत यदि विवाहित स्त्रियां 108 बार तुलसी की परिक्रमा करे तो विवाहित जीवन की परेशानियां समाप्त होकर दाम्पत्य जीवन मे मिठास आती है, सुहाग बना रहता है ।

2. आर्थिक तंगी से मुक्ति हेतु प्रयोग:-
मौनी अमावस्या की रात को करीब 10 बजे नहाकर साफ पीले रंग के कपड़े पहन लें। इसके उत्तर दिशा की ओर मुख करके ऊन या कुश के आसन पर बैठ जाएं। अब अपने सामने चौकी पर एक थाली में केसर का "स्वस्तिक या ऊं" बनाकर उस पर महालक्ष्मी यंत्र स्थापित करें। इसके बाद उसके सामने एक दिव्य शंख थाली में स्थापित करें।
अब थोड़े से चावल को केसर में रंगकर दिव्य शंख में डालें। घी का दीपक जलाकर नीचे लिखे मंत्र का कमलगट्टे की माला से ग्यारह माला जाप करें-
मंत्र- सिद्धि बुद्धि प्रदे देवि मुक्ति भुक्ति प्रदायिनी।
मंत्र पुते सदा देवी महालक्ष्मी नमोस्तुते।।
मंत्र जाप के बाद इस पूरी पूजन सामग्री को किसी नदी या तालाब में विसर्जित कर दें। इस प्रयोग से आपको धन लाभ होने की संभावना बन सकती है।

3. पितृ शांति हेतु प्रयोग:-
हिंदू धर्म में अमावस्या को पितरों की तिथि माना गया है। इसलिए इस दिन पितरों को प्रसन्न करने के लिए गाय के गोबर से बने उपले (कंडे) पर शुद्ध घी व गुड़ मिलाकर धूप (सुलगते हुए कंडे पर रखना) देनी चाहिए। यदि घी व गुड़ उपलब्ध न हो तो खीर से भी धूप दे सकते हैं।
यदि यह भी संभव न हो तो घर में जो भी ताजा भोजन बना हो, उससे भी धूप देने से पितर प्रसन्न हो जाते हैं। धूप देने के बाद हथेली में पानी लें व अंगूठे के माध्यम से उसे धरती पर छोड़ दें। ऐसा करने से पितरों को तृप्ति का अनुभव होता है।

4. जीवन की रूकावटो के शमन हेतु:-
मौनी अमावस्या के दिन भूखे प्राणियों को भोजन कराने का भी विशेष महत्व है। इस दिन सुबह स्नान आदि करने के बाद आटे की गोलियां बनाएं। गोलियां बनाते समय "राम" नाम का उच्चारण करते रहना चाहिए । इसके बाद समीप स्थित किसी तालाब या नदी में जाकर यह आटे की गोलियां मछलियों को खिला दें। इस उपाय से जीवन की अनेक परेशानियों का अंत हो सकता है।
(समाप्त)
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आगामी लेख
1. 1 फर० से "माघ मास गुप्त नवरात्रो" पर धारावाहिक लेख
2. 4 फर० से "वसन्त पंचमी" विषय पर धारावाहिक लेख
3. 6 फर० को "रथ सप्तमी" पर लेख।
4. 7 फर० को ज्योतिषीय विषय "विभिन्न 'ऋतुओ' तथा 'मासो' मे जन्म लेने का फल"पर लेख
5. 9 फर० से "जया एकादशी" विषय पर धारावाहिक लेख
6. 11 फर० को "फाल्गुन सक्रांति" पर लेख
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जय श्री राम
आज का पंचांग,दिल्ली 🌹🌹🌹
सोमवार,31.1.2022
श्री संवत 2078
शक संवत् 1943
सूर्य अयन- उतरायण, गोल-दक्षिण गोल
ऋतुः- शिशिर ऋतुः ।
मास- माघ मास।
पक्ष- कृष्ण पक्ष ।
तिथि- चतुर्दशी तिथि 2:20 pm
चंद्रराशि- चंद्र मकर राशि मे।
नक्षत्र- उ०षाढा नक्षत्र 9:58 pm तक
योग- वज्र योग 10:24 am तक (अशुभ है)
करण- शकुनि करण 2:20 pm तक
सूर्योदय 7:10 am, सूर्यास्त 5:59 pm
अभिजित् नक्षत्र- 12:13 pm से 12:56 pm
राहुकाल - 8:31am से 9:52 am (शुभ कार्य वर्जित,दिल्ली )
दिशाशूल- पूर्व दिशा ।
जनवरी 2022-अशुभ दिन:- 31
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आगामी व्रत तथा त्यौहार:-
30 जन०- प्रदोष व्रत/मासिक शिवरात्रि।
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विशेष:- जो व्यक्ति वाराणसी से बाहर अथवा देश से बाहर रहते हो, वह ज्योतिषीय परामर्श हेतु Paytm या Bank transfer द्वारा परामर्श फीस अदा करके, फोन द्वारा ज्योतिषीय परामर्श प्राप्त कर सकतें है
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आपका दिन मंगलमय हो . 💐💐💐
आचार्य मोरध्वज शर्मा
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी उत्तर प्रदेश।।
9648023364
9129998000
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English Translation:-

Auspicious time of Mauni Amavasya :- Amavasya date start:-31.01.2022,2:20 pm Amavasya date ends-1.02.2022, up to 11:16 am Father's work starts - 31.01.2022, after 2:20 pm Sir Yoga- 1.02.2022, 6:41am to 11:16am Amavasya for bath-donation and fast-1.02.2022
Excerpts from the part published in the earlier part.
Amavasya Udaya Tithi is being received on 1st February, in such a situation, Amavasya will remain till 11.16 am on 1st February, and on 1st February only Maghi Amavasya will be bathed, donated, fasted, worshiped etc., which is valid throughout the day. Sir, on this day the yoga will remain till 11:16 am. Due to falling on Tuesday, it will also be called Bhaumvati Amavasya. Therefore, worshiping Hanumanji on this Amavasya gives special blessings to Hanumanji and the planet Mars gets strengthened.
But the time for parental work of Mauni Amavasya will be valid only from the beginning of Amavasya Tithi on 31 January 2022, 2:20 pm. It is told in the scriptures that if the new moon date starts a few moments before sunset on Monday, then it is called Somvati Amavasya. In the year 2022, this date is being held at noon on January 31, due to which the work of ancestors can also be done. According to the scriptures, on the day when Amavasya Tithi is falling in the afternoon, Pitru Puja and tarpan of the names of ancestors should be done on that day.
Therefore, in the year 2022 Magha month, this unique coincidence has been made due to the occurrence of Somvati and Bhaumvati Amavasya together.
Acts of Amavasya and Non-actions
All the dates belong to the deities but Amavasya is the date of only the ancestors. Even in the scriptures it has been said that the child born (born) on the new moon is the father.
Beyond the date...............
According to Hindu religious texts, there is a special significance of bathing, charity, Shradh and fasting on Magh / Mauni Amavasya. Even in Tantra Shastra, Mauni Amavasya is considered as a special date. Being Tuesday on 1st February, the Amavasya of this Magha month also contains the qualities of Mangalvasari Amavasya, therefore, virtue can also be earned by worshiping Lord Hanuman in the following way, and it is believed that Magh / Mauni is performed on the day of Amavasya. Remedies especially give auspicious results. Therefore, devotees can achieve their desired

by taking the following measures:-
Tuesday Amavasya Shri Hanuman Puja:-
By worshiping Hanuman ji on the day of Bhaumvati Amavasya, you can please him soon. On this day, fasting and fasting should be done for Hanumanji and Mangaldev, by doing this the person gets the blessings of happiness and prosperity.
If the burden of debt has increased more, starting from this day, regularly recite the debt redemption Mangal source on your own or it can also be done by a qualified Brahmin.
If a person is suffering from any disease, then donate red cloth, jaggery, flour on this day. Go to any Hanuman temple and recite Hanuman Chalisa in auspicious yoga named Mauni Amavasya and Sir. If possible, you can also offer Chola with jasmine oil to Hanumanji. By doing this remedy, all the wishes of the seeker can be fulfilled.
An experiment to get Hanumant's grace:-
At any time on the day of Bhaumvati Amavasya, after taking bath and meditating, sit on a red woolen seat in the temple of the house and establish Hanuman Yantra. This yantra can be exclusively of Panchadhatu or copper.
Light a lamp of ghee just in front of Hanuman Yantra and after Panchopchar worship, chant 108 rounds of the following mantra with a garland of coral.
Mantra:- Om Hanumate Rudrartakaya Hoon Fat
After chanting the above mantra, offer a sacrifice of cow's ghee in the havan kund by the tenth part of the above mantra.
After the Havan is over, place the Hanuman Yantra at the place of worship.
In this way, after this process "Hanuman Yantra" is established, due to which by the grace of Hanumanji, success is achieved in various types of work.
1. Job - Use for business, child related or marriage related obstacles:-
Job- For the prevention of business, child related or marriage related problems, after offering a Janeu in the worship of Peepal tree, offer the second Janeu in the name of Vishnu ji there, then circumambulate the tree 108 times, milk on completion of each circumambulation. Offer one piece of sweets made from it and chant the following mantra with every circumambulation , Namo Bhagwate Vasudevaya.
After the completion of 108 circumambulation, by asking for forgiveness from Vishnu ji for his unintentional crime, tell your desire or desire (job-business, child related or marriage related problems),
Worship done with devotion and wish will surely be fulfilled. The golden occasion to earn maximum virtue is Maghi Amavasya.
After this experiment, if married women circumambulate Tulsi 108 times, then the troubles of married life end and sweetness comes in the married life, the marriage remains.
2. Use for freedom from financial crisis:-
On the night of Mauni Amavasya, take a bath at around 10 o'clock and wear clean yellow clothes. Sit on the seat of wool or kush, facing its north direction. Now make a "swastika or um" of saffron in a plate on the post in front of you and install Mahalakshmi Yantra on it. After this, place a divine conch shell in front of him on the plate.
Now dye some rice in saffron and put it in the divine conch. Lighting a lamp of ghee, chant the following mantra for eleven rounds with a lotus garland-
Mantra- Siddhi Buddhi Prade Devi Mukti Bhukti Pradayini. Mantra put always Goddess Mahalakshmi Namostute.
After chanting the mantra, immerse this entire worship material in a river or pond. This experiment can make you likely to make money.
3. Use for Pitra Shanti:- Amavasya is considered to be the date of ancestors in Hinduism. Therefore, to please the ancestors, on this day, pure ghee and jaggery mixed with pure ghee and jaggery should be given incense (keep it on the smoldering pan) made of cow dung. If ghee and jaggery are not available, then incense can also be given with kheer. If this is also not possible, then the ancestors are pleased by giving incense from whatever fresh food is prepared in the house. After giving incense, take water in the palm and drop it on the earth through the thumb. By doing this, the ancestors experience satisfaction.
4. For the mitigation of life's obstacles:- On the day of Mauni Amavasya, there is also a special significance of feeding hungry creatures. On this day, after taking bath in the morning, make balls of flour. The name "Ram" should be chanted while making the pills. After this, go to a nearby pond or river and feed these flour balls to the fish. This remedy can end many problems of life.
(End)
upcoming articles 1. Serial article on "Magh Mas Gupt Navratri" from 1st Feb. 2. Serial article on the topic "Vasant Panchami" from February 4 3. Article on "Ratha Saptami" on 6th Feb. 4. Article on the astrological topic "Fruits of being born in different 'seasons' and 'Maso' on 7th February" 5. Serial article on the topic "Jaya Ekadashi" from February 9 6. Article on "Falgun Sankranti" on February 11
Long live Rama Today's Panchang, Delhi Monday,31.1.2022 Shree Samvat 2078 Shaka Samvat 1943 Surya Ayan- Uttarayan, Round-South Round Rituah - winter season. Month - Magha month. Paksha - Krishna Paksha. Date - Chaturdashi date 2:20 pm Moon sign - Moon in Capricorn. Nakshatra - Ushadha Nakshatra till 9:58 pm Yoga- Vajra Yoga till 10:24 am (inauspicious) Karan - Shakuni Karan till 2:20 pm Sunrise 7:10 am, Sunset 5:59 pm Abhijit Nakshatra - 12:13 pm to 12:56 pm Rahukaal - 8:31am to 9:52 am (Good work forbidden, Delhi) Direction – East direction. January 2022 - Unlucky day:- 31
Upcoming fasts and festivals:- Jan 30- Pradosh fast / Monthly Shivratri.
Special:- The person who lives outside Varanasi or outside the country, he can get astrological consultation by phone, by paying the consultation fee through Paytm or Bank transfer for astrological consultation.
Have a good day .
Acharya Mordhwaj Sharma
Shri Kashi Vishwanath Temple Varanasi Uttar Pradesh. 9648023364 9129998000

30 जनवरी 2022

Serial Article:- Magh/Mauni Amavasya Part-2 धारावाहिक लेख:- माघ/मौनी अमावस्या भाग-2, 31.01.2022 से 1.02 2022

                                                                                 


मौनी अमावस्या का शुभ मुहूर्त:-

अमावस्या तिथि प्रारम्भ:-31.01.2022,2:20 pm

अमावस्या तिथि समाप्त-1.02.2022, प्रातः 11:16 am तक

पितृकार्य प्रारंभ- 31.01.2022, 2:20 pm के उपरांत

महोदय योग- 1.02.2022, 6:41am से 11:16 am तक

स्नान-दान तथा व्रत हेतु अमावस्या-1.02.2022


पूर्व भाग में प्रकाशित भाग के अंश.........


अमावस्या उदया तिथि 1 फरवरी को प्राप्त हो रही है, ऐसे में अमावस्या 1 फरवरी को सुबह 11 बजकर 16 मिनट तक रहेगी, तथा 1 फरवरी को ही माघी अमावस्या का स्नान, दान, व्रत, पूजा-पाठ आदि किया जाएगा, जोकि सारा दिन मान्य रहेगा, इस दिन महोदय योग 11:16 am तक रहेगा। मंगलवार को पड़ने के कारण इसे भौमवती अमावस्या भी कहा जाएगा। अतः इस अमावस्या को हनुमानजी की पूजा करने से हनुमानजी की विशेष कृपा प्राप्त होती है तथा मंगल ग्रह मजबूत होता है।


परन्तु मौनी अमावस्या का पितृ कार्य हेतु समय 31 जनवरी 2022, 2:20 pm को अमावस्या तिथि के प्रारंभ होने से ही मान्य रहेगा। धर्मशास्त्रों में बताया गया की अमावस्या तिथि यदि सोमवार को सूर्यास्त से कुछ क्षण पहले ही शुरू हो जाये तो उसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है। वर्ष 2022 मे यह तिथि 31 जनवरी दोपहर के समय लग रही है, जिससे पितरों के कार्य भी किए जा सकते हैं। शास्त्रानुसार  जिस दिन दोपहर के समय अमावस्या तिथि लग रही हो, उस दिन पितृ पूजन और पितरों के नाम का तर्पण किया जाना चाहिए।


अतः वर्ष 2022 माघ मास में सोमवती और भौमवती अमावस्या का एक साथ होने से यह अनोखा संयोग बना है।


अमावस्या के कृत्य तथा अकृत्य कर्म


सभी तिथियाँ देवताओं की है परन्तु अमावस्या केवल पितृरो की ही तिथि होती है। शास्त्रो मे यहाँ तक कहा गया है, कि अमावस्या को उत्पन्न (जन्म लिया) बालक पितृ होता है।


गतांक से आगे ...............



अमावस्या को करनें योग्य पुण्यदायी कर्म:-


1. अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान करने से पापों का नाश होता है। पापों का नाश होने से मनुष्य निरोगी तथा सुखी होता है, तथा जीवन-मरण के चक्र  से मुक्त होकर मोक्ष को प्राप्त करता है ।


2. अमावस्या के दिन नियमित रूप से हवन करना तथा आरती करने के उपरांत पूजा तथा हवन का जल घर में छिड़कने व प्रसाद घर-परिवार के सदस्यों को खिलाना चाहिए । ऐसा करने से घर मे दरिद्रता तथा नकारात्मकता का नाश हो जाता है, तथा घर वृद्धि तथा समृद्धि को प्राप्त करता है ।


3. घर में अमावस्या के दिन गीता का नियमित रूप से पाठ करने से घर मे सब सुरक्षित रहते है, अर्थात  अकाल मृत्यु नही होती, गंभीर रोगों से घर बचा रहता है । इसके अतिरिक्त पितृ भी सद्गति को प्राप्त करते है, अर्थात मोक्ष की बढते है । अतः इस दिन गीता का  पाठ अवश्य करना चाहिए ।


4. अमावस्या के दिन प्रातः तथा सायं काल को घर के मंदिर, तुलसी के साथ-साथ बाहर के मंदिर, पीपल के वृक्ष तथा चौराहे पर दिया अवश्य जलाना चाहिए । इससे जीवन मे आने वाली कठिनाइयों का अंत होता है, भगवान के साथ-२ पितर तथा अन्य शक्तियां भी प्रसन्न होती है । घर से कलह और दरिद्रता दूर रहती है । (इस दिन मंदिर तथा चौराहे पर चौमुखा दीपक जलाने से भाग्य में वृद्धि होती है, तथा जीवन मे आने वाली सभी रूकावटे दूर होती हैं)



5. पितृरो की प्रसन्नता प्राप्ति के लिए, अमावस्या के दिन अपने पितरों का ध्यान करते हुए पीपल के पेड़ पर कच्ची लस्सी, गंगाजल, काले तिल, शक्कर, चावल, जल तथा पुष्प अर्पित करके तिल के तेल की ज्योत  जलाएं तथा

“ ॐ पितृभ्य: नम: ” मंत्र का कम से कम एक माला का जाप अवश्य करना चाहिए  ।


6. अमावस्या को पिण्ड दान और तर्पण करने से पितरो की तृप्ति होती है, इनको गति प्राप्त होती है, जिसके फलस्वरूप वंशवृद्धि यानि पुत्र-पौत्र की प्राप्ति होती हैं ।


7. अमावस के दिन ब्राह्मण को भोजन अवश्य ही करवाना चाहिए । इससे पितरो को शांति मिलती हैं, वह अपनी यात्रा पर आगे बढते हैं, जिससे वह प्रसन्न होकर अपने वंशजो को आर्शीवाद देते हैं । जिससे  कार्यों में अड़चने नही आती है, घर में धन की कभी कमी नहीं होती समृद्धि बनी रहती है, तथा वंश वृद्धि होती रहती है । 


8. अमावस्या को दान देने से पितृ प्रसन्न होते है, और पितरो के प्रसन्न होने से पुत्र प्राप्ति, संतान सुख तथा आजीविका प्राप्त होती है ।


9. अमावस्या को खीर पूडी दान देने से लक्ष्मी कृपा प्राप्त होती है, तथा धन संबंधी परेशानियां दूर होती हैं

  

10. अमावस्या के दिन जो मनुष्य अथवा बच्चे भोजन के लिए मोहताज हो, उन्हें अवश्य ही पका हुआ भोजन तथा शीतल जल देकर तृप्त करना अत्यंत पुण्यदायी होता है ।

 

11. अमावस्या के दिन ब्राह्मण तथा जरूरत मंद गरीबों को वस्त्र कपड़े दान करने से सुख तथा शान्ति प्राप्त होती है।


12. अमावस्या को गाय को गुड तथा ज्वार खिलाना चाहिए, इससे भी घर में शुभता तथा समृद्धि बनी रहती है । गौ ग्रास के उपरांत कौवे, काले चीटों और कुत्ते को भोजन देना बहुत शुभ रहता है ।


13. घर मे दक्षिण दिशा की दीवार पर अपने दिवंगत पूर्वजों का फोटो लगाकर हर अमावस्या पर नया हार चढ़ाकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करना चाहिए ।


14. अमावस्या के दिन सम्पूर्ण घर को अच्छे से साफ-सफाई करके अनावश्यक समान को घर से हटा देना चाहिए । सभी प्रकार का कबाड़ निकाल कर बेच दें।



अमावस्या को निषेध कार्य:-


1.अमावस्या को कोई भी शुभ मागंलिक कार्य नहीं करना चाहिए ।          


2. अमावस्या पर संयम बरतना चाहिए, अमावस्या को सहवास करने से धन की देवी कुपित होती है, जिससे मनुष्य ऋणी होते है। गरुण पुराण के अनुसार, अमावस्या पर यौन संबंध बनाने से पैदा होने वाली संतान को आजीवन सुख नहीं मिलता है ।


3. अमावस्या के दिन किसी दूसरे का अन्न खाने से एक महीने के साधन-भजन का पुण्य खिलाने वाले व्यक्ति को मिल जाता है l अतः अमावस्या के दिन अपने घर के सिवाय किसी का भी अन्न ग्रहण नही करना चाहिए ।


4. अमावस्या के दिन बाल कटवाना, क्षौर कर्म इत्यादि वर्जित हैं ।


5. अमावस्या पर घर में पितरों की कृपा पाने के लिए घर में कलह-क्लेश बिल्कुल नहीं होना चाहिए । लड़ाई-झगड़े और वाद-विवाद से बचना चाहिए । इस दिन अपशब्द, अनर्गल प्रलाप  तथा कड़वे वचन तो बिल्कुल नहीं बोलने चाहिए ।


(क्रमशः)

लेख के तीसरे तथा अंतिम भाग मे कल मंगलवारीय  अमावस्या की पूजा तथा अन्य उपाय

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आगामी लेख

1. 1  फर० से "माघ मास गुप्त नवरात्रो" पर धारावाहिक लेख

2. 4  फर० से "वसन्त पंचमी" विषय पर धारावाहिक लेख

3. 6 फर० को "रथ सप्तमी" पर लेख।  

4. 7 फर० को ज्योतिषीय विषय "विभिन्न 'ऋतुओ' तथा 'मासो' मे जन्म लेने का फल"पर लेख

5. 9 फर० से "जया एकादशी" विषय पर धारावाहिक लेख

6. 11 फर० को "फाल्गुन सक्रांति" पर लेख

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जय श्री राम

आज का पंचांग,दिल्ली 🌹🌹🌹

रविवार,30.1.2022

श्री संवत 2078

शक संवत् 1943

सूर्य अयन- उतरायण, गोल-दक्षिण गोल

ऋतुः- शिशिर ऋतुः ।

मास- माघ मास।

पक्ष- कृष्ण पक्ष ।

तिथि- त्रयोदशी तिथि 5:31 pm

चंद्रराशि- चंद्र धनु राशि मे अगले दिन 5:46 am तक तदोपरान्त मकर राशि।

नक्षत्र- पू०षाढा नक्षत्र अगले दिन 00:23 am तक

योग- हर्ष योग 2:14 pm तक (शुभ है)

करण- वणिज करण 5:31 pm तक 

सूर्योदय 7:10 am, सूर्यास्त 5:58 pm

अभिजित् नक्षत्र- 12:12 pm से 12:56 pm

राहुकाल - 4:37 pm से 5:58 pm (शुभ कार्य वर्जित,दिल्ली )

दिशाशूल- पश्चिम दिशा ।

जनवरी 2022-शुभ दिन:- 

जनवरी 2022-अशुभ दिन:- 30, 31


भद्रा:-  30 जन० 5:28 pm to 30/31 जन० मध्यरात्रि 3:53 am तक ( भद्रा मे मुण्डन, गृहारंभ, गृहप्रवेश, विवाह, रक्षाबंधन आदि शुभ काम नही करने चाहिये , लेकिन भद्रा मे स्त्री प्रसंग, यज्ञ, तीर्थस्नान, आपरेशन, मुकद्दमा, आग लगाना, काटना, जानवर संबंधी काम किए जा सकतें है।


गण्ड मूल आरम्भ:- ज्येष्ठा नक्षत्र, 28 जन० 7:10 am से 30 जन० 2:49 am तक मूल नक्षत्र तक गंडमूल रहेगें।  गंडमूल नक्षत्रों मे जन्म लेने वाले बच्चो का मूलशांति पूजन आवश्यक है।

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आगामी व्रत तथा त्यौहार:- 

 30 जन०- प्रदोष व्रत/मासिक शिवरात्रि।1 फर०-माघ अमावस्या। 2 फर०- गुप्त नवरात्रे। 4 फर०- गणेश चतुर्थी। 5 फर०-बसंत पंचमी/सरस्वती पूजा। 7 फर०- रथ आरोग्य सप्तमी। 10 फर०- गुप्त नवरात्रे समाप्त। 12 फर०-जया एकादशी/ फाल्गुन सक्रांति अर्धरात्रि 3:26 am, (पुण्य काल अगले दिन 9:50 तक)। 14 फर०-प्रदोष व्रत (शुक्ल)/कुम्भ संक्रांति। 16 फर०-माघ पूर्णिमा व्रत। 20 फर०-संकष्टी चतुर्थी। 27 फर०-विजया एकादशी। 28 फर०-प्रदोष व्रत (कृष्ण)।

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विशेष:- जो व्यक्ति वाराणसी  से बाहर अथवा देश से बाहर रहते हो, वह ज्योतिषीय परामर्श हेतु Paytm या Bank transfer द्वारा परामर्श फीस अदा करके, फोन द्वारा ज्योतिषीय परामर्श प्राप्त कर सकतें है

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आपका दिन मंगलमय हो . 💐💐💐

आचार्य मोरध्वज शर्मा 

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी उत्तर प्रदेश 

9648023364 

9129998000 

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English Translation :-


Auspicious time of Mauni Amavasya :-

Amavasya date start:-31.01.2022,2:20 pm

Amavasya date ends-1.02.2022, up to 11:16 am

Parental work starts - 31.01.2022, after 2:20 pm

Sir Yoga- 1.02.2022, 6:41am to 11:16am

Amavasya for bath-donation and fast-1.02.2022


Excerpts from the part published in the earlier part.


Amavasya Udaya Tithi is being received on 1st February, in such a situation, Amavasya will remain till 11.16 am on 1st February, and on 1st February only Maghi Amavasya will be bathed, donated, fasted, worshiped etc., which is valid throughout the day. Sir, on this day the yoga will remain till 11:16 am. Due to falling on Tuesday, it will also be called Bhaumvati Amavasya. Therefore, worshiping Hanumanji on this Amavasya gives special blessings to Hanumanji and the planet Mars gets strengthened.


But the time for parental work of Mauni Amavasya will be valid only from the beginning of Amavasya Tithi on 31 January 2022, 2:20 pm. It is told in the scriptures that if the new moon date starts a few moments before sunset on Monday, then it is called Somvati Amavasya. In the year 2022, this date is being held at noon on January 31, due to which the work of ancestors can also be done. According to the scriptures, on the day when Amavasya Tithi is falling in the afternoon, Pitru Puja and tarpan of the names of ancestors should be done on that day.


Therefore, in the year 2022 Magha month, this unique coincidence has been made due to the simultaneous occurrence of Somvati and Bhaumvati Amavasya.


Acts of Amavasya and Non-actions


All the dates belong to the deities but Amavasya is the date of only the ancestors. Even in the scriptures it has been said that the child born (born) on the new moon is the father.

Beyond the date...............

Virtuous deeds to be done on Amavasya:-

1. Taking a bath in the holy river on the new moon day destroys the sins. With the destruction of sins, a person becomes healthy and happy, and being freed from the cycle of life and death, attains salvation.

2. On the day of Amavasya, after performing Havan and performing Aarti, the water of Puja and Havan should be sprinkled in the house and Prasad should be fed to the family members. By doing this, the poverty and negativity in the house gets destroyed, and the house attains growth and prosperity.

3. By reciting Gita regularly on the new moon day in the house, everyone remains safe in the house, that is, there is no premature death, the house is saved from serious diseases. Apart from this, the father also attains salvation, that is, the increase of salvation. Therefore, one must recite the Gita on this day.

4. In the morning and evening on the new moon day, a lamp must be lit at the temple of the house, Tulsi as well as outside the temple, Peepal tree and at the crossroads. This ends the difficulties in life, along with God, two ancestors and other powers are also pleased. Discord and poverty remain away from home. (On this day, by lighting a four-faced lamp at the temple and the crossroads, luck increases, and all the obstacles coming in life are removed)

5. To get the happiness of ancestors, on the day of Amavasya, while meditating on your ancestors, light a flame of sesame oil by offering raw lassi, Gangajal, black sesame, sugar, rice, water and flowers on the Peepal tree and

At least one rosary of the mantra “Om Pitrubhya: Namah” must be chanted.

6. By offering Pind Daan and tarpan on Amavasya, the ancestors are satisfied, they get speed, as a result of which the growth of the family means the attainment of sons and grandsons.

7. On the new moon day, the Brahmin must be given food. This gives peace to the ancestors, they proceed on their journey, due to which they are pleased and bless their descendants. Due to which there are no obstacles in the work, there is never any shortage of money in the house, prosperity remains, and the family continues to grow.

8. By giving donations on Amavasya, fathers are pleased, and if fathers are pleased, one gets sons, children's happiness and livelihood.

9. Donating Kheer Pudi on Amavasya gives Lakshmi grace, and money related problems are removed.

10. On the day of Amavasya, people or children who are infatuated for food, must be satisfied by giving them cooked food and cold water, it is very virtuous.

11. Donating clothes and clothes to Brahmins and needy poor on the new moon day brings happiness and peace.

12. The cow should be fed jaggery and jowar on Amavasya, this also keeps auspiciousness and prosperity in the house. It is very auspicious to give food to crows, black ants and dogs after the cow grass.

13. By placing a photo of your departed ancestors on the south wall of the house, on every new moon, you should pay tribute to them by offering a new necklace.

14. On the new moon day, after cleaning the entire house thoroughly, unnecessary items should be removed from the house. Remove all kinds of junk and sell it.


Prohibition work on Amavasya:-


1. No auspicious work should be done on Amavasya.

2. One should exercise restraint on Amavasya, cohabiting on Amavasya enraged the goddess of wealth, due to which human beings are indebted. According to Garuna Purana, the child born by having sex on Amavasya does not get happiness for life.

3. By eating someone else's food on the new moon day, the person who feeds the merit of one month's means and hymns gets it. Therefore, on the day of Amavasya one should not take food from anyone except one's own home.

4. Hair cut, Kshaur Karma etc. are prohibited on the new moon day.

5. To get the blessings of ancestors in the house on Amavasya, there should be no discord in the house. Fights and arguments should be avoided. On this day abusive words, unrestrained delirium and bitter words should not be spoken at all.


(respectively)


Tomorrow's Tuesday Amavasya worship and other measures in the third and last part of the article


upcoming articles


1. Serial article on "Magh Mas Gupt Navratri" from 1st Feb.

2. Serial article on the topic "Vasant Panchami" from February 4

3. Article on "Ratha Saptami" on 6th Feb.

4. Article on the astrological topic "Fruits of being born in different 'seasons' and 'Maso' on 7th February"

5. Serial article on the topic "Jaya Ekadashi" from February 9

6. Article on "Falgun Sankranti" on February 11


Long live Rama

Today's Panchang, Delhi

Sunday,30.1.2022

Shree Samvat 2078

Shaka Samvat 1943

Surya Ayan- Uttarayan, Round-South Round

Rituah - winter season.

Month - Magha month.

Paksha - Krishna Paksha.

Date - Trayodashi Tithi 5:31 pm

Moon sign- Moon in Sagittarius sign till 5:46 am the next day and then Capricorn.

Nakshatra - Pooshadha Nakshatra till 00:23 am the next day

Yoga- Harsh Yoga till 2:14 pm (good luck)

Karan- Vanij Karan till 5:31 pm

Sunrise 7:10 am, Sunset 5:58 pm

Abhijit Nakshatra - 12:12 pm to 12:56 pm

Rahukaal - 4:37 pm to 5:58 pm (Good work prohibited, Delhi)

Dishashul – West direction.

January 2022 - Auspicious day:-

January 2022 - Inauspicious days:- 30, 31


Bhadra:- 30 Jan. 5:28 PM to 30/31 Jan. midnight till 3:53 AM (Shunning, Griharambha, Griha Pravesh, Marriage, Rakshabandhan etc. should not be done in Bhadra, but in Bhadra there should be female affair, Yagya, pilgrimage, operation , litigation, setting fire, cutting, animal related works can be done.


Gand Mool Aarambh:- Jyestha Nakshatra, from 28 Jan 7:10 am to 30 Jan 2:49 am Gandmool will remain till Mool Nakshatra. Children born in Gandmool constellations need to worship Moolshanti.


Upcoming fasts and festivals:-


 Jan 30- Pradosh fast / Monthly Shivratri. 1 Feb- Magha Amavasya. 2nd Feb- Gupt Navratri. 4th Feb- Ganesh Chaturthi. 5th February - Basant Panchami / Saraswati Puja. 7th Feb- Rath Arogya Saptami. 10th Feb- Gupt Navratri ends. 12 Feb - Jaya Ekadashi / Falgun Sakranti midnight 3:26 am, (Punya Kaal till 9:50 the next day). 14 February - Pradosh fast (Shukla) / Kumbh Sankranti. 16 February - Magha Purnima fasting. 20 February - Sankashti Chaturthi. 27 February - Vijaya Ekadashi. 28 February - Pradosh fast (Krishna).


Special:- The person who lives outside Varanasi or outside the country, he can get astrological consultation by phone, by paying the consultation fee through Paytm or Bank transfer for astrological consultation.


Have a good day .

Acharya Mordhwaj Sharma 

Shri Kashi Vishwanath Temple Varanasi Uttar Pradesh 

9648023364

9129998000

                                                                                


29 जनवरी 2022

Serial Article:- Magh/Mauni Amavasya Part-1 धारावाहिक लेख:- माघ/मौनी अमावस्या भाग-1, (31.01.2022 तथा 1.02 2022)

                                                                                 

मौनी अमावस्या का शुभ मुहूर्त:-
अमावस्या तिथि प्रारम्भ:-31.01.2022, 2:20 pm
अमावस्या तिथि समाप्त-1.02.2022, प्रातः 11:16 am तक
पितृकार्य प्रारंभ- 31.01.2022, 2:20 pm के उपरांत
महोदय योग- 1.02.2022, 6:41am से 11:16 am तक
स्नान-दान तथा व्रत हेतु अमावस्या-1.02.2022

अमावस्या उदया तिथि 1 फरवरी को प्राप्त हो रही है, ऐसे में अमावस्या 1 फरवरी को सुबह 11 बजकर 16 मिनट तक रहेगी, तथा 1 फरवरी को ही माघी अमावस्या का स्नान, दान, व्रत, पूजा-पाठ आदि किया जाएगा, जोकि सारा दिन मान्य रहेगा, इस दिन महोदय योग 11:16 am तक रहेगा। मंगलवार को पड़ने के कारण इसे भौमवती अमावस्या भी कहा जाएगा। अतः इस अमावस्या को हनुमानजी की पूजा करने से हनुमानजी की विशेष कृपा प्राप्त होती है तथा मंगल ग्रह मजबूत होता है।

परन्तु मौनी अमावस्या का पितृ कार्य हेतु समय 31 जनवरी 2022, 2:20 pm को अमावस्या तिथि के प्रारंभ होने से ही मान्य रहेगा। धर्मशास्त्रों में बताया गया की अमावस्या तिथि यदि सोमवार को सूर्यास्त से कुछ क्षण पहले ही शुरू हो जाये तो उसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है। वर्ष 2022 मे यह तिथि 31 जनवरी दोपहर के समय लग रही है, जिससे पितरों के कार्य भी किए जा सकते हैं। शास्त्रानुसार जिस दिन दोपहर के समय अमावस्या तिथि लग रही हो, उस दिन पितृ पूजन और पितरों के नाम का तर्पण किया जाना चाहिए।

अतः वर्ष 2022 माघ मास में सोमवती और भौमवती अमावस्या का एक साथ होने से यह अनोखा संयोग बना है।

अमावस्या पर किए जाने वाला स्नान आदि की प्रक्रिया 1 फरवरी को किया जाएगा। मंगलवार को पड़ने के कारण इसे भौमवती अमावस्या कहा जाएगा। इस दिन व्रत, पूजा-पाठ और दान करना से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। साथ ही मंगलवार को हनुमानजी की पूजा करने से कुंडली में मंगल ग्रह मजबूत होता है, ऐसा शास्त्रों में बताया गया

अमावस्या तिथि को लेकर ऐसा माना गया है कि अगर सोमवार को सूर्यास्त से पहले कुछ पल के लिए ही अगर अमावस्या की तिथि लग जा रही है तो उसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है। इस दिन अच्छी बात यह है कि यह तिथि दोपहर के समय लग रही है, जिससे पितरों के कार्य भी किए जा सकते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जिस दिन दोपहर के समय अमावस्या तिथि लग रही हो, उस दिन पितृ पूजन और पितरों के नाम का तर्पण किया जाना चाहिए। जिस दिन सुबह में अमावस्या तिथि लग रही हो उस दिन अमावस्या में देव कार्य यानी देव पूजन का कार्य करना उचित होता है।

साल 2022 में कुल 13 अमावस्या तिथि हैं। जिनमें केवल दो ही सोमवती अमावस्या है। साल की पहली सोमवती अमावस्या 31 जनवरी को है और दूसरी ज्येष्ठ मास में 30 मई को। 1 फरवरी को अमावस्या तिथि सुबह 11 बजकर 16 मिनट तक है, इसलिए 31 जनवरी को भी पितृ कार्य के लिए अमावस्या मान्य है।

माघमास की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा जाता है । इस दिन सूर्य तथा चंद्रमा गोचरवश मकर राशि मे आते हैं ।

शास्त्रानुसार ऐसा माना जाता है कि इस दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि का निर्माण करने वाले महाराज मनु तथा महारानी शतरूपा को प्रकट करके सृष्टि की शुरूआत की थी, इसलिए इसे मौनी अमावस्या कहा जाता है ।

मकर राशि, सूर्य तथा चंद्रमा की युति भी इसी दिन होती है, तथा इस दिन श्रवण नक्षत्र होने के कारण "महोदय" नामक पुण्यतम योग भी बना हुआ है, जिसकी वजह से मौनी अमावस्या का महत्व और भी अधिक हो जाता है । इस दिन इलाहाबाद के संगम तट पर स्नान करने से पुण्य की प्राप्त होती है ।

माघ/मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत रखने की भी परंपरा है। कहा जाता है कि मौनी शब्द की उत्पत्ति मुनि शब्द से हुई है। मौनी अमावस्या को मौन व्रत रखने से व्यक्ति का आत्मबल दृढ़ होता है। मान्यताओं के अनुसार, माघी अमावस्या के दिन ही मनु का जन्म हुआ था, जिनको प्रथम पुरुष भी कहा जाता है।
शास्त्र के अनुसार इस दिन मौन व्रत रखना चाहिए । मौन का अर्थ है व्यक्ति को अपनी इन्द्रियों को अपने वश में रखना । धीरे-धीरे अपनी वाणी को संयत रखकर अपने वश में रखना ही मौन व्रत हैं । मौन व्रत एक दिन, एक महीना अथवा एक साल तक की अवधि का रखा जा सकता हैं । कुछ विशेष व्यक्ति आजन्म मौन व्रत रखने का प्रण भी रखते हैं ।

शास्त्रों मे कहा गया है कि प्रत्येक व्यक्ति मे तीन प्रकार का मैल होता है । कर्म का मैल, भाव का मैल तथा अज्ञान का मैल । इस दिन त्रिवेणी के संगम तट पर स्नान करने से इन तीनो मैलो से व्यक्तियों को मुक्ति मिलती हैं, उनकी अंतरात्मा स्वच्छ होती हैं, इसलिए व्यक्ति को मौन धारण करके ही स्नान करना चाहिए ।

अपनी वाणी को नियंत्रित करने के लिए यह दिन विशेष रूप से शुभ होता है । मौनी अमावस्या को स्नान आदि करने के
उपरांत एकांत स्थान मे जप करना चाहिए । इससे चित की शुद्धि होती हैं, आत्मा का परमात्मा से मिलन संभव होता है ।

मौनी अमावस्या के दिन स्नान तथा जप के बाद हवन तथ दान इत्यादि शुभ कर्म करने चाहिए । ऐसा करने से पापो का नाश हो जाता है । इस दिन प्रयागराज (इलाहाबाद) के संगम तट पर स्नान करने से हजारो अश्वमेध यज्ञ के बराबर फल की प्राप्ति होती है, अथवा सैकड़ों वाजपेय यज्ञ करने के बराबर पुण्य माना जाता है ।

माघमास की अमावस्या तथा पूर्णिमा तिथियां पर्व के समान मानी जाती है, समुद्र मंथन के समय देवताओं और असुरों के संधर्ष में जहां-२ अमृत गिरा उन-२ स्थानो पर स्नान करना मौनी अमावस्या के दिन शुभ माना जाता है ।

मौनी अमावस्या के अवसर पर कर्म विधि:-

1. स्नान:-
सतयुग में तपस्या को, त्रेतायुग में ज्ञान को, द्वापर में पूजन को और कलियुग में दान को उत्तम माना गया है परन्तु माघ का स्नान सभी युगों में श्रेष्ठ है।

मौनी अमावस्या के दिन स्नान करने के उपरांत व्यक्ति को अपनी सामर्थ्य के अनुसार जाप, दान तथा पुण्य कर्म अवश्य करना चाहिए । यदि कोई व्यक्ति इस दिन त्रिवेणी नही जा सकते हैं, तब उन्हें अपने घर मे ही गंगा जल या अन्य तीर्थ स्थलो के जल से स्नान करना चाहिए अथवा घर के समीप ही किसी भी नदी या नहर इत्यादि मे मौन धारण करके स्नान कर सकते हैं। पुराणो के अनुसार इस दिन सभी नदियों का जल गंगा जल के समान पवित्र हो जाता है ।
स्नान करते समय निम्नलिखित मंत्र का जाप करे, और विभिन्न पवित्र नदियों का ध्यान करे ।

मंत्र:-

1.गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती ।
नर्मदे सिंधु कावेरि जलेंऽसिमन् सनि्नधिं कुरु ॥

2.अयोध्या, मथुरा, माया, काशी, कांची अवन्तिकापुरी, द्वारवती ज्ञेयाः सप्तैता मोक्षदायिका ॥

3. ॐ ह्रीं गंगायै ॐ ह्रीं स्वाहा । ॐ ह्रीं गंगायै ॐ ह्रीं स्वाहा।
स्नान करने के बाद निम्नलिखित मंत्र बोलते हुए सूर्य को जल दे ।

सूर्य अर्ध्य मंत्र

1. एहि सूर्य ! सहस्रांशो तेजो राशे जगत्पते ।
अनुकम्पय मां भक्तया गृहाणाध्य ॥

2. गायत्री मंत्र से भी अर्ध्य दे सकतें है ।
जल अर्पण के बाद पात्र मे बचे जल को माथे व आंखों से लगाये, तथा कुछ चरणामृत के रूप मे निम्न मंत्र बोलकर ग्रहण करे :-
अकाल मृत्यु हरणं सर्व व्याधि विनाशनम् ।
सूर्य पादोदकं तीर्थ जठरे धारयाम्यहम् ॥

2. संकल्प:-
स्नान करने के उपरांत इस दिन व्यक्ति को संकल्प करना चाहिए कि वह झूठ, छल-कपट आदि की बात नही करेंगे, तथा इस दिन बेकार की बातों से दूर रहकर अपने मन को सबल बनाने की कोशिश करेंगे । इससे मन शांत रहता है और शांत मन शरीर को सबल बनाता है ।

3. पूजा-अर्चना:-
स्नान करने के उपरांत व्यक्ति को इस दिन ब्रह्मदेव तथा गायत्री का जाप तथा पूजन अवश्य करना चाहिए ।
यह दिन भगवान शिव को समर्पित है इस दिन व्रत करके भगवान शिव ( सोमेश्वर महादेव ) की पूजार्चन करने से करोड़ों यज्ञो का फल प्राप्त होता है ।माघ महीने इस मौनी अमावस्या के इस दिन, दिनभर मौन रहकर भगवान शिव के दर्शन तथा पूजा कर व्रत रखना चाहिए। दरअसल इस दिन गंगा स्नान, या अन्य पवित्र नदियो मे स्नान से हजार गऊओ के दान के बराबर फल मिलाता है ।
पितरी दोष, विवाह मे विलम्ब, संतान-वंश वृद्धि , गंभीर रोग, तथा जमीन संबंधी दोषों की शांति के लिए इस दिन किये गयें स्नान,दान, जप पाठ पूजा इत्यादि का प्रभाव सहस्र गुना होता है ।
इस दिन व्रत रखकर या बिना व्रत रखे विष्णु एंव शिव पूजन, चंद्रपूजन, तथा पीपल के वृक्ष तथा तुलसा जी की गंगाजल डालकर दूध, फूल, चावल, फल,मिठाई, तथा धूपदीप से पूजा करके 108 प्रदक्षिणाा करके ब्राह्मण को भोजन, फल, वस्त्र, तथा दक्षिणा देने से स्वगीय पूर्वज संतुष्ट होतें है ।
भगवान शिव की पूजा तथा जलाभिषेक के बाद चंद्र पूजन, तथा श्री विष्णु पूजन अवश्य करना चाहिए।इस दिन गीता का सातवाँ अध्याय का पाठ करना अत्यंत शुभ होता है ।

4. देव-पितृ तर्पण/पिंडदान -
ब्रह्मा जी और गायत्री की विशेष अर्चना के बाद देव तथा पितृ तर्पण का विधान है। मनुष्यों को चाहिए कि
श्रद्धापूर्वक पूर्वजों का तर्पण तथा पिंडदान करे, आज के दिन पूर्वजों के निमित्त ऐसा करने से पूर्वजों का उद्धार तथा उन्हे मुक्ति प्राप्त होती है, जिससे घर मे धन-धान्य, सुख-सम्पदा, पुत्र-पौत्र तथा कारोबार बना रहता है, तथा घर मे मांगलिक कार्य सम्पन्न होते है ।

5.ब्राह्मण भोज:-
पिंडदान तथा तर्पण के उपरांत पूरी, खीर, आलू की सब्जी इत्यादि विभिन्न पकवानो सहित, पितरों के निमित्त ब्राह्मण को श्रद्धापूर्वक भोजन करवाना श्रेष्ठ है ।

6. दान-पुण्य:-
इसके उपरांत मंत्रोच्चारण तथा श्रद्धा-भक्ति के साथ गाय, स्वर्ण, छाता, वस्त्र, चावल, बिस्तर, अन्न, फल, तिल निर्मित गज्जक, आंवला आदि दक्षिणा तथा अन्य उपयोगी वस्तुओं का दान अपनी सामर्थ्य के अनुसार ब्राह्मण को अवश्य करना चाहिए ।

मौनी/माघ अमावस्या का आध्यात्मिक महत्व:-

माघमास मे जब सूर्य तथा चंद्रमा मकर राशि पर गोचर करते हैं, तो शास्त्रो मे उस काल को मौनी अमावस्या की संज्ञा दी गई हैं । यद्यपि प्रत्येक माह अमावस्या पर सूर्य तथा चंद्रमा एक ही राशि मे होते हैं, परंतु मकर राशिस्थ सूर्य तथा चंद्रमा का प्रभाव ही कुछ विशेष होता है । इन तीनो का संयोग वर्ष मे केवल इसी दिन होता है । यह तिथि योगियों, तपस्वियों, संत-महात्माओ, अघोरी-तांत्रिको तथा गृहस्थो के लिए अति वांछनीय रहती हैं ।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मकर राशि, राशियों के क्रम में दसवीं राशि है, तथा यही जीवो का कर्म का स्थान है, कर्म को ज्योतिष मे आकाश की संज्ञा दी गई हैं । मकर राशि प्राणियों के विग्रह का, सूर्य आत्मा का तथा, चंद्रमा मन का प्रतीक है । मकर राशि, सूर्य तथा चंद्रमा का एकत्र योग ही मौनी अमावस्या है, यही आत्म साक्षात्कार का पर्व है ।

प्रत्येक मानव के शरीर में तीन मल विद्यमान हैं- कर्म, भाव तथा अज्ञान का मल । इन तीनो मलो का नाश गंगा, यमुना तथा सरस्वती के संगम (त्रिवेणी) मे मौनी अमावस्या के पर्व मे स्नान मात्र से हो जाता है ।

त्रिवेणी का अभिप्राय गंगा, यमुना तथा सरस्वती के संगम स्थल से है, जिसके त्रिविध स्वरूप है- भौतिक, दैविक एवं आध्यात्मिक ।

भौतिक स्वरूप:-
भौतिक स्वरूप ब्रह्मद्रवा गंगा, एवं रविरश्मिद्रवा यमुना का मिलन है, जिसमे तीन धाराएं बनती हैं । (त्रिवेणी मे वेणी का एक अर्थ केशो की चोटी है तथा दूसरा नदी की धारा । सधवा स्त्रियाँ भी यहां आकर अपनी वेणी यानि चोटी का दान करती हैं ।)

संगम मे तीन धाराएं है- प्रथम नागवासुकी से दक्षिण की ओर जाने वाली गंगा । दूसरी मनकामेश्वर से गंगा की ओर आने वाली यमुना की धारा तथा दोनो नदियों के मेल से वाराणसी की ओर जाने वाली तीसरी धारा, यही भौतिक त्रिवेणी कहलाती हैं ।

दैविक त्रिवेणी:-
भक्ति की प्रतीक- गंगा, कर्म की प्रतीक- यमुना तथा ज्ञान की प्रतीक- सरस्वती, का मिलन क्रमशः "ज्ञान, भक्ति एवं कर्म का मिलाप है, तथा मिलन ही "दैविक त्रिवेणी" है ।
योगीजन गंगा को इडा, यमुना को पिंगला नाडी एवं सरस्वती को सुषुम्ना नाडी कहते हैं । इन तीनो नाडियो का मिलन स्थल आज्ञाचक्र ही तीर्थराज प्रयाग है, यही आध्यात्मिक त्रिवेणी है ।
इस त्रिविध त्रिवेणी के संगम का स्नान ही वास्तविक स्नान है, जो समस्त ज्ञात-अज्ञात जन्म जन्मान्तर के पापो को नष्ट कर देता है ।
सौ अश्वमेध तथा हजार राजसूययज्ञ का फल मौनी अमावस्या मे त्रिवेणी संगम स्नान से मिलता है । अश्वमेध यज्ञ करना और प्रयाग में मौनी अमावस्या का स्नान करने मे, दोनों मे ही स्नान को अधिक श्रेष्ठ कहा गया है । संगम मे स्नान का फल अमोघ कहा गया है, त्रैलोक्य में ऐसा फल अन्यत्र नहीं प्राप्त होता

(क्रमश:)

लेख के द्वितीय भाग मे कल अमावस्या के कृत्य तथा अकृत्य कर्म
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आगामी लेख
1. 1 फर० को ज्योतिषीय विषय "विभिन्न 'ऋतुओ' तथा 'मासो' मे जन्म लेने का फल"पर लेख
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जय श्री राम
आज का पंचांग,दिल्ली 🌹🌹🌹
शनिवार,29.1.2022
श्री संवत 2078
शक संवत् 1943
सूर्य अयन- उतरायण, गोल-दक्षिण गोल
ऋतुः- शिशिर ऋतुः ।
मास- माघ मास।
पक्ष- कृष्ण पक्ष ।
तिथि- द्वादशी तिथि 8:40 pm
चंद्रराशि- चंद्र धनु राशि मे।
नक्षत्र- मूल नक्षत्र अगले दिन 2:49 am तक
योग- व्याघात योग 6:01 pm तक (अशुभ है)
करण- कौलव करण 10:11 am तक
सूर्योदय 7:11 am, सूर्यास्त 5:57 pm
अभिजित् नक्षत्र- 12:12 pm से 12:55 pm
राहुकाल - 9:52 am से 11:13 am (शुभ कार्य वर्जित,दिल्ली )
दिशाशूल- पूर्व दिशा ।
जनवरी 2022-शुभ दिन:- 29
जनवरी 2022-अशुभ दिन:- 30, 31
गण्ड मूल आरम्भ:- ज्येष्ठा नक्षत्र, 28 जन० 7:10 am से 30 जन० 2:49 am तक मूल नक्षत्र तक गंडमूल रहेगें। गंडमूल नक्षत्रों मे जन्म लेने वाले बच्चो का मूलशांति पूजन आवश्यक है।
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आगामी व्रत तथा त्यौहार:-
30 जन०- प्रदोष व्रत/मासिक शिवरात्रि।
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विशेष:- जो व्यक्ति वाराणसी से बाहर अथवा देश से बाहर रहते हो, वह ज्योतिषीय परामर्श हेतु Paytm या Bank transfer द्वारा परामर्श फीस अदा करके, फोन द्वारा ज्योतिषीय परामर्श प्राप्त कर सकतें है
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आपका दिन मंगलमय हो . 💐💐💐
आचार्य मोरध्वज शर्मा श्री काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी उत्तर प्रदेश
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English Translation :-

Auspicious time of Mauni Amavasya :- Amavasya date start: -31.01.2022, 2:20 pm Amavasya date ends-1.02.2022, up to 11:16 am Parental work starts - 31.01.2022, after 2:20 pm Sir Yoga- 1.02.2022, 6:41am to 11:16am Amavasya for bath-donation and fast-1.02.2022
Amavasya Udaya Tithi is being received on 1st February, in such a situation, Amavasya will remain till 11.16 am on 1st February, and on 1st February only Maghi Amavasya will be bathed, donated, fasted, worshiped etc., which is valid throughout the day. Sir, on this day the yoga will remain till 11:16 am. Due to falling on Tuesday, it will also be called Bhaumvati Amavasya. Therefore, worshiping Hanumanji on this Amavasya gives special blessings to Hanumanji and the planet Mars gets strengthened.
But the time for parental work of Mauni Amavasya will be valid only from the beginning of Amavasya Tithi on 31 January 2022, 2:20 pm. It is told in the scriptures that if the new moon date starts a few moments before sunset on Monday, then it is called Somvati Amavasya. In the year 2022, this date is being held at noon on January 31, due to which the work of ancestors can also be done. According to the scriptures, on the day when Amavasya Tithi is falling in the afternoon, Pitru Puja and tarpan of the names of ancestors should be done on that day.
Therefore, in the year 2022 Magha month, this unique coincidence has been made due to the simultaneous occurrence of Somvati and Bhaumvati Amavasya.
The process of bathing etc. on Amavasya will be done on February 1. As it falls on Tuesday, it will be called Bhaumvati Amavasya. On this day, fasting, worshiping and donating gives auspicious results. Also, worshiping Hanumanji on Tuesday strengthens the planet Mars in the horoscope, it has been told in the scriptures.
With regard to Amavasya date, it is believed that if the date of Amavasya is being taken for a few moments before sunset on Monday, then it is called Somvati Amavasya. The good thing on this day is that this date is being held in the afternoon, so that the work of the ancestors can also be done. According to religious beliefs, on the day when Amavasya Tithi is falling in the afternoon, Pitru Puja and tarpan of the names of ancestors should be done on that day. On the day when Amavasya Tithi is falling in the morning, it is appropriate to do the work of worshiping God in Amavasya.
There are total 13 Amavasya Tithis in the year 2022. In which only two are Somvati Amavasya. The first Somvati Amavasya of the year is on 31st January and the second is on 30th May in the month of Jyeshtha. Amavasya date on 1st February is till 11.16 am, so on 31st January also Amavasya is valid for parental work.
Amavasya of Maghamas is called Mauni Amavasya. On this day, Sun and Moon transit in Capricorn. According to the scriptures, it is believed that on this day Brahma ji started the universe by revealing the creator Manu and Queen Shatrupa, hence it is called Mauni Amavasya. The conjunction of Capricorn, Sun and Moon also takes place on this day, and being Shravan Nakshatra on this day, the most auspicious yoga named "Sir" is also formed, due to which the importance of Mauni Amavasya becomes even more. On this day, taking a bath on the Sangam bank of Allahabad brings merit.
There is also a tradition of observing a silent fast on the day of Magh/Mauni Amavasya. The word Mouni is said to have originated from the word Muni. By observing a silent fast on Mauni Amavasya, one's self-confidence becomes strong. According to beliefs, Manu, who is also called the first person, was born on the day of Maghi Amavasya.
According to the scriptures, a fast of silence should be observed on this day. Silence means keeping one's senses under control. Slowly keeping your speech in control and keeping it under your control is a silent fast. Maun Vrat can be observed for a period of one day, one month or one year. Some special people also take a vow to keep silent fast for life.
It is said in the scriptures that there are three types of scum in every person. Dirt of action, sludge of emotion and scum of ignorance. By taking a bath on the confluence bank of Triveni on this day, people get freedom from these three filth, their conscience is clean, so one should take a bath by observing silence.
This day is especially auspicious for controlling your speech. After taking bath etc. on Mauni Amavasya, one should chant in a secluded place. By this the mind is purified, the union of the soul with the Supreme is possible.
On the day of Mauni Amavasya, after bathing and chanting, auspicious works like havan and charity should be done. By doing this sins are destroyed. Taking a bath on the Sangam bank of Prayagraj (Allahabad) on this day gives results equivalent to thousands of Ashwamedha Yagyas, or it is considered a virtue equivalent to performing hundreds of Vajpeya Yagyas.
Amavasya and full moon dates of Maghamas are considered as festivals, bathing at two places where 2 nectar fell in the conflict between gods and demons at the time of churning of the ocean is considered auspicious on the day of Mauni Amavasya. Method of Karma on the occasion of Mauni Amavasya:-
1. Bath:-
In Satyuga, penance is considered, in Tretayuga for knowledge, in Dwapar for worship and in Kaliyuga, charity is considered best, but the bath of Magh is the best among all the ages.
After bathing on the day of Mauni Amavasya, a person must do chanting, charity and virtuous deeds according to his ability. If a person cannot go to Triveni on this day, then he should take a bath in his own house with Ganga water or water from other pilgrimage places or can take a bath by observing silence in any river or canal etc. near the house. According to the Puranas, on this day the water of all the rivers becomes as pure as the water of the Ganges.
While taking bath, chant the following mantra, and meditate on various holy rivers.
mantra:-

1.Gange cha yamune chaiva godavari saraswati.
Narmade Sindhu Kaveri Burn

2. Ayodhya, Mathura, Maya, Kashi, Kanchi Avantikapuri, Dwaravati Gyeya: Saptita Mokshadayika.

3. Om Hreem Gangaaye Om Hreem Swaha. Om Hreem Gangai Om Hreem Swaha.
After taking bath, offer water to the sun while reciting the following mantra.

Surya Ardhya Mantra

1. Oh sun! Sahasransho Tejo Rashe Jagatpate.
Compassionate mother devotee or homemaker

2. Ardhya can also be given by Gayatri Mantra.

After offering water, apply the water remaining in the vessel to the forehead and eyes, and take it in the form of some Charanamrit by chanting the following mantra:-
Premature death, sarva vyadhi vishanam.
Surya padodakam tirtha jathare dharyamyam

2. Resolution:-
After taking a bath, on this day a person should make a resolution that he will not talk about lies, deceit etc., and on this day he will try to make his mind strong by staying away from useless things. Due to this the mind remains calm and a calm mind makes the body strong.

3. Worship:-
After taking bath, one must chant and worship Brahmadev and Gayatri on this day.
This day is dedicated to Lord Shiva, worshiping Lord Shiva (Someshwar Mahadev) by fasting on this day gives the fruit of crores of yagyas. needed. In fact, on this day bathing in the Ganges, or bathing in other holy rivers, yields the same result as donating a thousand cows.

The effect of bathing, charity, chanting, worship, etc. done on this day for the peace of Pitri Dosha, delay in marriage, progeny growth, serious diseases, and land related defects is a thousand fold.
 On this day, worshiping Vishnu and Shiva, worshiping Vishnu and Shiva without fasting, and worshiping Peepal tree and Tulsa ji with Ganges water, worshiping with milk, flowers, rice, fruits, sweets, and incense, and doing 108 rounds of food, fruits, clothes to the Brahmin. And by giving dakshina, the late ancestors are satisfied.

After worshiping Lord Shiva and Jalabhishek, Chandra Puja and Shri Vishnu Puja must be done. Reciting the seventh chapter of Gita on this day is considered very auspicious.

4. Dev - Pitru Tarpan / Pind Daan -
 After the special worship of Brahma ji and Gayatri, there is a law of worshiping the gods and ancestors. humans need to
Worship the ancestors with devotion and do Pind Daan, on this day, by doing this for the sake of the ancestors, the ancestors get salvation and they get salvation, due to which wealth, happiness, wealth, sons and grandsons and business remains in the house, and in the house. Manglik works are completed.

5.Brahmin Bhoj:-
After Pind Daan and Tarpan, it is best to feed Brahmins with devotion for the sake of ancestors, including various dishes like puri, kheer, potato curry, etc.

6. Charity:-
After this, along with chanting and devotion and devotion, cow, gold, umbrella, clothes, rice, bedding, food, fruits, sesame made Gajjak, amla etc. Dakshina and other useful things must be donated to the Brahmin according to one's ability.

Spiritual Significance of Mauni / Magha Amavasya:-

In the month of Magha, when the Sun and Moon transit over Capricorn, that period has been called Mauni Amavasya in the scriptures. Although the Sun and the Moon are in the same sign on the new moon every month, but the effect of the Sun and Moon in Capricorn is something special. The combination of these three happens only on this day of the year. This date is very desirable for yogis, ascetics, saints-mahatmas, aghori-tantrics and householders.

According to astrology, Capricorn is the tenth zodiac in the order of zodiac signs, and this is the place of karma of living beings, karma has been given the name of sky in astrology. Capricorn is the symbol of the Deity of the living beings, the Sun the soul and the Moon the mind. Mauni Amavasya is the combined yoga of Capricorn, Sun and Moon, this is the festival of self-realization.

There are three stools in the body of every human being - the waste of Karma, Bhava and Ignorance. The destruction of all these three impurities is done by simply bathing in the festival of Mauni Amavasya at the confluence (Triveni) of Ganga, Yamuna and Saraswati.

Triveni means the place of confluence of Ganga, Yamuna and Saraswati, which has three forms – physical, divine and spiritual.

physical aspect:-
The physical form is the union of the Brahmadrava Ganga and Ravi Rashmidrava Yamuna, in which three streams are formed. (In Triveni, one meaning of Veni is the peak of Kesho and the other is the stream of the river. Sadhva women also come here and donate their Veni i.e. peak.)
There are three streams in the confluence - the first is the Ganges going from Nagvasuki to the south. The second stream of Yamuna coming from Mankameshwar to the Ganges and the third stream going towards Varanasi from the fusion of both the rivers, is called this material Triveni.

Daivik Triveni :-
The union of the symbol of devotion- Ganga, the symbol of action- Yamuna and symbol of knowledge- Saraswati, respectively, is the union of "knowledge, devotion and action, and the union is the "Divine Triveni". Yogis call Ganga as Ida, Yamuna as Pingala Nadi and Saraswati as Sushumna Nadi. The meeting place of these three nadis is Ajnachakra, Tirtharaj Prayag, this is the spiritual Triveni. Bathing at the confluence of this triple Triveni is the real bath, which destroys all the known and unknown sins of birth after birth. The result of hundred Ashwamedha and thousand Rajasuyagya is obtained by bathing at Triveni Sangam on Mauni Amavasya. In performing Ashwamedha Yagya and bathing on Mauni Amavasya in Prayag, bathing is said to be more superior in both. The fruit of bathing in the confluence is said to be unfavourable, but in Trailokya such a fruit is not found anywhere else.
(respectively)
In the second part of the article, the actions and inactions of tomorrow's new moon upcoming articles 1. Article on the astrological topic "Fruits of being born in different 'seasons' and 'Maso' on 1 February" Long live Rama Today's Panchang, Delhi Saturday,29.1.222 Shree Samvat 2078 Shaka Samvat 1943 Surya Ayan- Uttarayan, Round-South Round Rituah - winter season. Month - Magha month. Paksha - Krishna Paksha. Date- Dwadashi date 8:40 pm Moon sign - Moon in Sagittarius. Nakshatra - Mool Nakshatra till 2:49 am the next day Yoga- Vyaaghat Yoga till 6:01 pm (inauspicious) Karan- Kaulav Karan till 10:11 am Sunrise 7:11 am, Sunset 5:57 pm Abhijit Nakshatra - 12:12 pm to 12:55 pm Rahukaal - 9:52 am to 11:13 am (Good work prohibited, Delhi) Direction – East direction. Jan 2022-Good Days:- 29 January 2022 - Inauspicious days:- 30, 31 Gand Mool Aarambh:- Jyestha Nakshatra, from 28 Jan 7:10 am to 30 Jan 2:49 am Gandmool will remain till Mool Nakshatra. Children born in Gandmool constellations need to worship Moolshanti. Upcoming fasts and festivals:- Jan 30- Pradosh fast / Monthly Shivratri. Special:- The person who lives outside Varanasi or outside the country, he can get astrological consultation by phone, by paying the consultation fee through Paytm or Bank transfer for astrological consultation. Have a good day . Acharya Mordhwaj Sharma Shri Kashi Vishwanath Temple Varanasi Uttar Pradesh 9648023364 9129998000


कामदा एकादशी व्रत 19-04-2024

☀️ *लेख:- कामदा एकादशी, भाग-1 (19.04.2024)* *एकादशी तिथि आरंभ:- 18 अप्रैल 5:31 pm* *एकादशी तिथि समाप्त:- 19 अप्रैल 8:04 pm* *काम...