नवरात्री के सातवे दिन शक्ति माँ दुर्गा के कालरात्रि स्वरूप की उपासना विधि एवं दुर्भाग्य नाशक उपाय
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माता कालरात्रि स्वरूप एवं पौरिणीक महात्म्य
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श्री माँ दुर्गा का सप्तम रूप कालरात्रि हैं। ये काल का नाश करने वाली हैं, इसलिए कालरात्रि कहलाती हैं। नवरात्रि के सप्तम दिन इनकी पूजा और अर्चना की जाती है। इस दिन साधक को अपना चित्त भानु चक्र (मध्य ललाट) में स्थिर कर साधना करनी चाहिए। संसार में कालो का नाश करने वाली देवी कालरात्री ही है। भक्तों द्वारा इनकी पूजा के उपरांत उसके सभी दु:ख, संताप भगवती हर लेती है। दुश्मनों का नाश करती है तथा मनोवांछित फल प्रदान कर उपासक को संतुष्ट करती हैं। दुर्गा की सातवीं शक्ति कालरात्रि के नाम से जानी जाती है। इनके शरीर का रंग घने अंधकार की भाँति काला है, बाल बिखरे हुए, गले में विद्युत की भाँति चमकने वाली माला है। इनके तीन नेत्र हैं जो ब्रह्माण्ड की तरह गोल हैं, जिनमें से बिजली की तरह चमकीली किरणें निकलती रहती हैं। इनकी नासिका से श्वास, निःश्वास से अग्नि की भयंकर ज्वालायें निकलती रहती हैं। इनका वाहन ‘गर्दभ’ (गधा) है। दाहिने ऊपर का हाथ वरद मुद्रा में सबको वरदान देती हैं, दाहिना नीचे वाला हाथ अभयमुद्रा में है।
बायीं ओर के ऊपर वाले हाथ में लोहे का कांटा और निचले हाथ में खड्ग है। माँ का यह स्वरूप देखने में अत्यन्त भयानक है किन्तु सदैव शुभ फलदायक है। अतः भक्तों को इनसे भयभीत नहीं होना चाहिए । दुर्गा पूजा के सातवें दिन माँ कालरात्रि की उपासना का विधान है। इस दिन साधक का मन सहस्त्रारचक्र में अवस्थित होता है। साधक के लिए सभी सिध्दैयों का द्वार खुलने लगता है। इस चक्र में स्थित साधक का मन पूर्णत: मां कालरात्रि के स्वरूप में अवस्थित रहता है, उनके साक्षात्कार से मिलने वाले पुण्य का वह अधिकारी होता है, उसकी समस्त विघ्न बाधाओं और पापों का नाश हो जाता है और उसे अक्षय पुण्य लोक की प्राप्ति होती है।
मधु कैटभ नामक महापराक्रमी असुर से जीवन की रक्षा हेतु भगवान विष्णु को निंद्रा से जगाने के लिए ब्रह्मा जी ने इसी मंत्र से मां की स्तुति की थी। यह देवी काल रात्रि ही महामाया हैं और भगवान विष्णु की योगनिद्रा हैं। इन्होंने ही सृष्टि को एक दूसरे से जोड़ रखा है।
देवी काल-रात्रि का वर्ण काजल के समान काले रंग का है जो अमावस की रात्रि से भी अधिक काला है। मां कालरात्रि के तीन बड़े बड़े उभरे हुए नेत्र हैं जिनसे मां अपने भक्तों पर अनुकम्पा की दृष्टि रखती हैं। देवी की चार भुजाएं हैं दायीं ओर की उपरी भुजा से महामाया भक्तों को वरदान दे रही हैं और नीचे की भुजा से अभय का आशीर्वाद प्रदान कर रही हैं। बायीं भुजा में क्रमश: तलवार और खड्ग धारण किया है। देवी कालरात्रि के बाल खुले हुए हैं और हवाओं में लहरा रहे हैं। देवी काल रात्रि गर्दभ पर सवार हैं। मां का वर्ण काला होने पर भी कांतिमय और अद्भुत दिखाई देता है। देवी कालरात्रि का यह विचित्र रूप भक्तों के लिए अत्यंत शुभ है अत: देवी को शुभंकरी भी कहा गया है।
दुर्गा सप्तशती के प्रधानिक रहस्य में बताया गया है कि जब देवी ने इस सृष्टि का निर्माण शुरू किया और ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश का प्रकटीकरण हुआ उससे पहले देवी ने अपने स्वरूप से तीन महादेवीयों को उत्पन्न किया। सर्वेश्वरी महालक्ष्मी ने ब्रह्माण्ड को अंधकारमय और तामसी गुणों से भरा हुआ देखकर सबसे पहले तमसी रूप में जिस देवी को उत्पन्न किया वह देवी ही कालरात्रि हैं। देवी कालरात्रि ही अपने गुण और कर्मों द्वारा महामाया, महामारी, महाकाली, क्षुधा, तृषा, निद्रा, तृष्णा, एकवीरा, एवं दुरत्यया कहलाती हैं।
माँ कालरात्रि पूजा विधि
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देवी का यह रूप ऋद्धि सिद्धि प्रदान करने वाला है। दुर्गा पूजा का सातवां दिन तांत्रिक क्रिया की साधना करने वाले भक्तों के लिए अति महत्वपूर्ण होता है, सप्तमी पूजा के दिन तंत्र साधना करने वाले साधक मध्य रात्रि में देवी की तांत्रिक विधि से पूजा करते हैं। इस दिन मां की आंखें खुलती हैं। षष्ठी पूजा के दिन जिस विल्व को आमंत्रित किया जाता है उसे आज तोड़कर लाया जाता है और उससे मां की आँखें बनती हैं। दुर्गा पूजा में सप्तमी तिथि का काफी महत्व बताया गया है। इस दिन से भक्त जनों के लिए देवी मां का दरवाज़ा खुल जाता है और भक्तगण पूजा स्थलों पर देवी के दर्शन हेतु पूजा स्थल पर जुटने लगते हैं। सप्तमी की पूजा सुबह में अन्य दिनों की तरह ही होती परंतु रात्रि में विशेष विधान के साथ देवी की पूजा की जाती है। इस दिन अनेक प्रकार के मिष्टान एवं कहीं कहीं तांत्रिक विधि से पूजा होने पर मदिरा भी देवी को अर्पित कि जाती है। सप्तमी की रात्रि सिद्धियों की रात भी कही जाती है। कुण्डलिनी जागरण हेतु जो साधक साधना में लगे होते हैं आज सहस्त्रसार चक्र का भेदन करते हैं।
पूजा विधान में शास्त्रों में जैसा वर्णित हैं उसके अनुसार पहले कलश की पूजा करनी चाहिए फिर नवग्रह, दशदिक्पाल, देवी के परिवार में उपस्थित देवी देवता की पूजा करनी चाहिए फिर मां कालरात्रि की पूजा करनी चाहिए। देवी की पूजा से पहले उनका ध्यान करना चाहिए।
देवी कालरात्रि शप्तशती मंत्र
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१ ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तु ते।।
जय त्वं देवि चामुण्डे जय भूतार्तिहारिणि।
जय सर्वगते देवि कालरात्रि नमोस्तु ते।।
२ धां धीं धूं धूर्जटे: पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी
क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि शां शीं शूं मे शुभं कुरु।।
बीज मंत्र
ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ( तीन, सात या ग्यारह माला करें)
३ एक वेधी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकणी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।।
वामपदोल्लसल्लोहलताकण्टक भूषणा।
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी।।
४ देव्या यया ततमिदं जगदात्मशक्तया, निश्शेषदेवगणशक्तिसमूहमूर्त्या तामम्बिकामखिलदेवमहर्षिपूज्यां, भक्त नता: स्म विदाधातु शुभानि सा न:..
माँ कालरात्रि का ध्यान मंत्र
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करालवंदना धोरां मुक्तकेशी चतुर्भुजाम्।
कालरात्रिं करालिंका दिव्यां विद्युतमाला विभूषिताम॥
दिव्यं लौहवज्र खड्ग वामोघोर्ध्व कराम्बुजाम्।
अभयं वरदां चैव दक्षिणोध्वाघः पार्णिकाम् मम॥
महामेघ प्रभां श्यामां तक्षा चैव गर्दभारूढ़ा।
घोरदंश कारालास्यां पीनोन्नत पयोधराम्॥
सुख पप्रसन्न वदना स्मेरान्न सरोरूहाम्।
एवं सचियन्तयेत् कालरात्रिं सर्वकाम् समृध्दिदाम्॥
माँ कालरात्रि स्तोत्र पाठ
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हीं कालरात्रि श्री कराली च क्लीं कल्याणी कलावती।
कालमाता कलिदर्पध्नी कमदीश कुपान्विता॥
कामबीजजपान्दा कमबीजस्वरूपिणी।
कुमतिघ्नी कुलीनर्तिनाशिनी कुल कामिनी॥
क्लीं हीं श्रीं मन्त्र्वर्णेन कालकण्टकघातिनी।
कृपामयी कृपाधारा कृपापारा कृपागमा॥
माँ कालरात्रि कवच पाठ
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ऊँ क्लीं मे हृदयं पातु पादौ श्रीकालरात्रि।
ललाटे सततं पातु तुष्टग्रह निवारिणी॥
रसनां पातु कौमारी, भैरवी चक्षुषोर्भम।
कटौ पृष्ठे महेशानी, कर्णोशंकरभामिनी॥
वर्जितानी तु स्थानाभि यानि च कवचेन हि।
तानि सर्वाणि मे देवीसततंपातु स्तम्भिनी॥
भगवती कालरात्रि का ध्यान, कवच, स्तोत्र का जाप करने से ‘भानुचक्र’ जागृत होता है। इनकी कृपा से अग्नि भय, आकाश भय, भूत पिशाच स्मरण मात्र से ही भाग जाते हैं। कालरात्रि माता भक्तों को अभय प्रदान करती है।
माँ कालरात्रि पार्वती काल अर्थात् हर तरह के संकट का नाश करने वाली है इसीलिए कालरात्रि कहलाती है। देवी की पूजा के बाद शिव और ब्रह्मा जी की पूजा भी अवश्य करनी चाहिए।
दुर्भाग्य नाशक उपाय
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उपाय1: मृत्यु भय से मुक्ति के लिए मां कालरात्रि पर काले चने का भोग लगाएं।
2: सप्तम नवरात्रि के दिन नया सूती लाल वस्त्र लेकर उसमे जटावाला नारियल बांधकर माता का हृदय में स्मरण कर उस नारियल अपनी मनोकामना ७ बार कहकर बहते जल में प्रवाहित कर दें इस उपाय से कार्यो में सफलता मिलती है इस उपाय को एकांत में चुपचाप करें।
3: दुर्गा सप्तशती का सातवें और दसवें अध्याय का पाठ कर माँ को गुड़ का भोग अर्पण करने से मुकदमे में विजय मिलती है।
4: पाशुपतास्त्र स्त्रोत प्रयोग को सप्तमी के दिन कम से कम २१ या अधिक बार अवश्य पढ़ें इसके प्रभाव से शत्रुदमन, घर के विघ्न बाधा दूर होते है, कार्य मे सफलता मिलती है, वास्तु दोष व समस्त उत्पात नष्ट होते है, आने वाली बीमारियां दूर होती है।
विनियोग :- ऊँ अस्य मंत्रस्य ब्रह्मा ऋषिः, गायत्री छंदः, पशुपतास्त्ररूप पशुपति देवता, सर्वत्र यशोविजय लाभर्थे जपे
विनियोगः।
।।पाशुपतास्त्र स्त्रोतम।।
मंत्रपाठ :- ऊँ नमो भगवते महापाशुपतायातुलबलवीर्यपराक्रमाय त्रिपञ्चनयनाय नानारूपाय नानाप्रहरणोद्यताय सर्वांगरंक्ताय भिन्नाञ्जनचयप्रख्याय श्मशान वेतालप्रियाय सर्वविघ्ननिकृन्तन-रताय सर्वसिद्धिप्रप्रदाय भक्तानुकम्पिने असंख्यवक्त्रभुजपादय तस्मिन् सिद्धाय वेतालवित्रासिने शाकिनीक्षोभ जनकाय व्याधिनिग्रहकारिणे पापभंजनाय सूर्यसोमाग्निनेत्राय विष्णु-कवचाय खंगवज्रहस्ताय यमदंडवरुणपाशाय रुद्रशूलाय ज्वलज्जिह्वाय सर्वरोगविद्रावणाय ग्रहनिग्रहकारिणे दुष्टनागक्षय-कारिणे।
ऊँ कृष्णपिंगलाय फट्। हुंकारास्त्राय फट्। वज्रह-स्ताय फट्। शक्तये फट्। दंडाय फट्। यमाय फट्। खड्गाय फट्। नैर्ऋताय फट्। वरुणाय फट्। वज्राय फट्। ध्वजाय फट्। अंकुशाय फट्। गदायै फट्। कुबेराय फट्। त्रिशुलाय फट्। मुद्गराय फट्। चक्राय फट्। शिवास्त्राय फट्। पद्माय फट्। नागास्त्राय फट्। ईशानाय फट्। खेटकास्त्राय फट्। मुण्डाय फट्। मुंण्डास्त्राय फट्। कंकालास्त्राय फट्। पिच्छिकास्त्राय फट्। क्षुरिकास्त्राय फट्। ब्रह्मास्त्राय फट्। शक्त्यस्त्राय फट्। गणास्त्राय फट्। सिद्धास्त्राय फट्। पिलिपिच्छास्त्राय फट्। गंधर्वास्त्राय फट्। पूर्वास्त्राय फट्। दक्षिणास्त्राय फट्। वामास्त्राय फट्। पश्चिमास्त्राय फट्। मंत्रास्त्राय फट्। शाकिन्यास्त्राय फट्। योगिन्यस्त्राय फट्। दंडास्त्राय फट्। महादंडास्त्राय फट्। नमोअस्त्राय फट्। सद्योजातास्त्राय फट्। ह्रदयास्त्राय फट्। महास्त्राय फट्। गरुडास्त्राय फट्। राक्षसास्त्राय फट्। दानवास्त्राय फट्। अघोरास्त्राय फट्। क्षौ नरसिंहास्त्राय फट्। त्वष्ट्रस्त्राय फट्। पुरुषास्त्राय फट्। सद्योजातास्त्राय फट्। सर्वास्त्राय फट्। नः फट्। वः फट्। पः फट्। फः फट्। मः फट्। श्रीः फट्। पेः फट्। भुः फट्। भुवः फट्। स्वः फट्। महः फट्। जनः फट्। तपः फट्। सत्यं फट्। सर्वलोक फट्। सर्वपाताल फट्। सर्वतत्व फट्। सर्वप्राण फट्। सर्वनाड़ी फट्। सर्वकारण फट्। सर्वदेव फट्। ह्रीं फट्। श्रीं फट्। डूं फट्। स्भुं फट्। स्वां फट्। लां फट्। वैराग्य फट्। मायास्त्राय फट्। कामास्त्राय फट्। क्षेत्रपालास्त्राय फट्। हुंकरास्त्राय फट्। भास्करास्त्राय फट्। चंद्रास्त्राय फट्। विध्नेश्वरास्त्राय फट्। गौः गां फट्। स्त्रों स्त्रों फट्। हौं हों फट्। भ्रामय भ्रामय फट्। संतापय संतापय फट्। छादय छादय फट्। उन्मूलय उन्मूलय फट्। त्रासय त्रासय फट्। संजीवय संजीवय फट्। विद्रावय विद्रावय फट्। सर्वदुरितं नाशय नाशय फट्।
5: प्रयासों के बावजूद भी सुख और सौभाग्य में वृद्घि नहीं हो रही है। इसके लिए यह उपाय करें
यह प्रयोग चैत्र नवरात्र की सप्तमी प्रात: 4 से 6 दोपहर 11:30 से 12:30 के बीच और रात्रि 10:00 बजे से 12:00 के बीच शुरु करना लाभकारी होगा। चौकी पर लाल वस्त्र बिछा कर माँ कालरात्रि की तस्वीर और दक्षिणी काली यंत्र व शनि यंत्र स्थापित करें। उसके बाद अलग-अलग आठ मुट्ठी उड़द की चार ढेरीयां बना दें। प्रत्येक उड़द की ढेरी पर तेल से भरा दीपक रखें। प्रत्येक दीपक में चार बत्ती रहनी चाहिए। दीपक प्रज्वलित करने के बाद धूप-नैवेद्य पुष्प अक्षत अर्पित करें। शुद्ध कम्बल का आसन बिछा कर एक पाठ शनि चालीसा, एक पाठ माँ दुर्गा चालीसा, एक माला ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ कालरात्रि देव्यै नम: और एक माला ॐ शं शनैश्चराय नम: की जाप करें। संपूर्ण मनोकामनाएं पूरी होगी।
माँ कालरात्रि की आरती
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कालरात्रि जय-जय-महाकाली।
काल के मुह से बचाने वाली॥
दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा।
महाचंडी तेरा अवतार॥
पृथ्वी और आकाश पे सारा।
महाकाली है तेरा पसारा॥
खडग खप्पर रखने वाली।
दुष्टों का लहू चखने वाली॥
कलकत्ता स्थान तुम्हारा।
सब जगह देखूं तेरा नजारा॥
सभी देवता सब नर-नारी।
गावें स्तुति सभी तुम्हारी॥
रक्तदंता और अन्नपूर्णा।
कृपा करे तो कोई भी दुःख ना॥
ना कोई चिंता रहे बीमारी।
ना कोई गम ना संकट भारी॥
उस पर कभी कष्ट ना आवें।
महाकाली माँ जिसे बचाबे॥
तू भी भक्त प्रेम से कह।
कालरात्रि माँ तेरी जय॥
माँ दुर्गा की आरती
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जय अंबे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ॥ ॐ जय…
मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को ।
उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको ॥ ॐ जय…
कनक समान कलेवर, रक्तांबर राजै ।
रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै ॥ ॐ जय…
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी ।
सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी ॥ ॐ जय…
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती ।
कोटिक चंद्र दिवाकर, राजत सम ज्योती ॥ ॐ जय…
शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती ।
धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती ॥ॐ जय…
चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे ।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भय दूर करे ॥ॐ जय…
ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी ।
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ॥ॐ जय…
चौंसठ योगिनी गावत, नृत्य करत भैंरू ।
बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू ॥ॐ जय…
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता ।
भक्तन की दुख हरता, सुख संपति करता ॥ॐ जय…
भुजा चार अति शोभित, वरमुद्रा धारी ।
मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी ॥ॐ जय…
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती ।
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती ॥ॐ जय…
श्री अंबेजी की आरति, जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपति पावे ॥ॐ जय…
English Translaion :-
On the seventh day of Navratri, worship method of Goddess Durga's Kalratri form and remedies for bad luck
Mother Kalratri Swaroop and Paurinik Mahatmya
Kalratri is the seventh form of Shri Maa Durga. She is the destroyer of time, hence she is called Kaalratri. They are worshiped and worshiped on the seventh day of Navratri. On this day sadhak should do spiritual practice by keeping his mind fixed in Bhanu Chakra (middle frontal). Goddess Kalratri is the only one who destroys the blacks in the world. After worshiping her by the devotees, Bhagwati takes away all her sorrows and anguish. Destroys enemies and satisfies the worshiper by providing desired results. The seventh power of Durga is known as Kalratri. The color of his body is black like thick darkness, his hair is scattered, there is a garland shining like electricity around his neck. He has three eyes which are round like the universe, from which bright rays like lightning keep coming out. Fierce flames of fire keep emanating from their nostrils and from their exhalation. His vehicle is 'Gardabh' (donkey). The right upper hand gives boons to everyone in Varada Mudra, the right lower hand is in Abhaya Mudra.
The upper left hand holds an iron fork and the lower hand holds a knife. This form of mother is very scary to see but always auspicious and fruitful. Therefore devotees should not be afraid of him. There is a law to worship Maa Kalratri on the seventh day of Durga Puja. On this day the mind of the seeker is situated in the Sahasrara Chakra. The door of all accomplishments starts opening for the seeker. The mind of the seeker situated in this chakra is completely situated in the form of Maa Kalratri, he is entitled to the merits that come from her interview, all his obstacles, obstacles and sins are destroyed and he attains the renewable virtuous world. .
Brahma ji had praised the mother with this mantra for awakening Lord Vishnu from sleep in order to save life from a mighty demon named Madhu Kaitabh. This goddess is Mahamaya in Kaal Ratri and is the yoga nidra of Lord Vishnu. It is they who have connected the universe to each other.
The complexion of Goddess Kaal-Ratri is black like Kajal, which is more black than the new moon night. Maa Kalratri has three big bulging eyes with which the mother keeps a compassionate look on her devotees. The goddess has four arms, Mahamaya is giving blessings to the devotees from the upper right arm and blessings of Abhaya from the lower arm. Sword and Khadga are held in the left arm respectively. The hair of Goddess Kalratri is open and is swaying in the wind. Devi Kaal is riding on the neck of the night. Even though the complexion of the mother is black, she looks radiant and wonderful. This strange form of Goddess Kalratri is very auspicious for the devotees, hence the goddess is also called as Shubhankari.
In the main secret of Durga Saptashati, it is told that when the Goddess started the creation of this universe and before the manifestation of Brahma, Vishnu and Mahesh, the Goddess created three Mahadevies from her form. Seeing the universe as dark and full of tamasic qualities, Sarveshwari Mahalakshmi first created the goddess in the form of tamas, that goddess is Kalratri. Goddess Kaalratri is called Mahamaya, Epidemic, Mahakali, Appetite, Trisha, Sleep, Trishna, Ekavira, and Durtaya by her virtues and deeds.
Maa Kalratri Puja Vidhi
This form of Goddess is supposed to bestow Riddhi Siddhi. The seventh day of Durga Puja is very important for the devotees who practice Tantric Kriya, on the day of Saptami Puja, the seekers who practice Tantra worship the Goddess in the middle of the night with the Tantric method. Mother's eyes open on this day. The vilva, who is invited on the day of Shashthi Puja, is brought in by breaking it today and the eyes of the mother are made from it. The importance of Saptami Tithi has been told in Durga Puja. From this day, the door of the Mother Goddess opens for the devotees and the devotees start gathering at the places of worship for the darshan of the Goddess. The worship of Saptami is done in the morning like other days but in the night the Goddess is worshiped with special rituals. On this day, many types of sweets and liquor are also offered to the goddess after worshiping by tantric method. The night of Saptami is also called the night of accomplishments. For the awakening of Kundalini, the seekers who are engaged in spiritual practice, today pierce the Sahastrasar Chakra.
According to the scriptures as described in the worship law, first the Kalash should be worshipped, then Navagraha, Dashdikpal, the deity present in the family of the goddess should be worshipped and then Maa Kalratri should be worshipped. One should meditate on the Goddess before worshiping her.
Goddess Kalratri Shaptashati Mantra
1 Jayanti Mangala Kali Bhadrakali Kapalini.
Durga Kshama Shiva Dhatri Swaha Swadha Namostu Te.
Jai Twam Devi Chamunde Jay Bhutartiharini.
Jai Sarvgate Devi Kalratri Namostu Te.
2 dham dhi dhu dhurjate: wife vath vum vagadhishwari
Kram Kreem Kroon Kalika Devi Shan Sheen Shun Mein Shubhan Kuru.
Beej Mantra
Om Hreem Clean Chamundayai Viche. (make three, seven or eleven rounds)
3 One vedhi japakarna complete naked sharasthita.
Lamboshthi Karnikakani TailabhyaktaSharini.
Vampadollsallohlatakantak Bhushan.
Vardhanmoordhadhwaja Krishna Kalratrirbhyankari.
4 Devya yaya tatmidam jagadatmasaktaya, nishshesha devganshakti group idol Deva Maharishi Pujya, devotee nata: sma vidadhatu shubhani sa na:..
Meditation Mantra of Maa Kalratri
Karalvandana Dhoran Muktkeshi Chaturbhujam.
kalratri karalinka divyan vidyutmala vibhushitam॥
Divyam Lohavajra Khadga Vamoghordhwa Karambujam.
Abhayam Varadam Chaiva Dakshinodhvaghah Parnikam Mam
Mahamegh Prabham Shyama Taksha Chaiva Gardabharudha.
Ghordash jails have been promoted to Payodharam.
Pleasure happy vadana smeran saroruham.
And sachiyanteyet kaalratrim sarvakaam samriddhidam.
Maa Kalratri Stotra Text
Hee Kaalratri Shri Karali Cha Klein Kalyani Kalavati.
Kalmata Kalidarpadhni Kamdish Kupanvita॥
Kambeejjapanda Kambeejaswaroopini.
Kumtighni Kulinartinashini Kul Kamini॥
Klein hi srim mantravarnen kalakantakaghatini.
Kripamayi Kripadhara Kripapara Kripagama
Maa Kalratri Kavach Lesson
Om clean me hridayam patu padu srikalratri.
Laalate continam patu appeasement nivarini
Rasnam Patu Kaumari, Bhairavi Chakshorbham.
Cut off page Maheshani, Karnoshankarbhamini.
Varjitani tu sthanabhi i.e. ch kavachen hi.
Devisattampatu Stambhini in Tani Sarvani.
'Bhanuchakra' is awakened by the meditation of Bhagwati Kalratri, Kavach, chanting of Stotras. By his grace, fear of fire, fear of sky, ghosts and demons run away by mere remembrance. Kaalratri Mata bestows fearlessness to the devotees.
Maa Kaalratri is the Goddess of Parvati Kaal, that is, the destroyer of all kinds of trouble, that is why it is called Kalratri. After worshiping the Goddess, one must also worship Shiva and Brahma.
bad luck remedy
Remedy 1: To get rid of the fear of death, offer black gram on Maa Kalratri.
2: On the seventh day of Navratri, take a new cotton red cloth and tie a coconut in it and remember the mother in the heart, saying that coconut 7 times as your wish and flow it in the flowing water, this remedy gives success in work, do this remedy silently in solitude.
3: Offering jaggery to the mother after reciting the seventh and tenth chapters of Durga Saptashati gives victory in the case.
4: The use of Pashupatastra source must be read at least 21 or more times on the day of Saptami, due to its effect, enemies, obstacles in the house are removed, success is achieved in work, Vastu defects and all the troubles are destroyed, the coming diseases are removed. it occurs.
Appropriation :- Om Asya Mantrasya Brahma Rishih, Gayatri verses, Pashupati Devta in the form of Pashupatastra, chant everywhere for the beneficiary of Yashovijay.
Appropriation:
Pashupatastra Stotham..
Mntrpat: - Om Namo Bgwate Mahapashuptayatulbalwiryprakramay Triptrchnynai Nanarupi Nanaprhrnodytay Srwangrnktay Bhinnatrgncyprkyay cremation Vetalpriyay Srwvignnikrintn-Rtay Srwsiddhiprpraday Bktanukmpine Asnkyvktrbhujpaday Tsmin Siddhay Vetalvitrasine Shakinikshob Jnkay Wyadinigrhkarine Papbnjnai Surysomagninetray Vishnu Kvchay Khangvjrhstay Ymdndwrunpashay Rudrasulay Jwlzzihway Srhwarogvidravnay Grhnigrhkarine Dushtnagkshy-Karine.
Oh krishnapingalaya ft. Hunkarastraye Ft. Vajrah-stay ft. Powers ft. Punishment ft. Yamay ft. Khargai ft. Narritaya ft. Varunay Ft. Vajray Ft. Flag ft. Ankushaya ft. Gadhai ft. Kuberai Ft. Trishulay ft. Mudgarai Ft. Chakraya Ft. Shivastraya Ft. Padma ft. Nagastraya Ft. Ishanay ft. Khetkastraya Ft. Munday ft. Mundastraya Ft. Kankalastray Ft. Pichikastraya Ft. Kshurikastraya ft. Brahmastraya Ft. Shaktistri Ft. Ganastraya Ft. Siddhastraya Ft. Pilipichhastraya Ft. Gandharvastraya Ft. Purvastray Ft. Dakshinastraya Ft. Vamastraya Ft. Western Ft. Mantralaya Ft. Shakinyastraya ft. Yoginistraya Ft. Dandastraya Ft. Mahadandastraya Ft. Namoastray Ft. Sadyojatastraya Ft. Heartburn Ft. Mahastray Ft. Garudastraya Ft. Rakshasatraya Ft. Danavastraya Ft. Aghorastray Ft. Kshou Narasimhastraya Ft. Tashtrastray ft. Purushastraya Ft. Sadyojatastraya Ft. All the way. No ft. That's ft. P ft. F: Ft. M ft. Mr: Ft. Pay: Ft. Bhu ft. Bhuv ft. Self. Mah ft. People: Ft. Tapa: Ft. Truth ft. Sarvaloka ft. Sarvapatal ft. Omnipresence Ft. All life Sarvanadi ft. For all reason Sarvadev ft. Hry ft. Mr ft. Do not Sigh ft. Self ft. Come on Quietness ft. Mayastray Ft. Kamastraya Ft. Kshetrapalastraya Ft. Hunkarastraye Ft. Bhaskarastraya Ft. Chandrastraya Ft. Vidhneshwarastraya Ft. Cow: Women burst. Yes, yes Illusionary Fate. Anxiety Anxiety Fat. Chadya ft. Unvalued eradication ft. The tragedy of the tragedy. Sanjeevay Sanjeevay Fat. Vidravaya Vidravay Ft. Sarvaduritam nasaya nasaya ft.
5: Despite efforts, there is no increase in happiness and good fortune. do this remedy for
It will be beneficial to start this experiment on the seventh day of Chaitra Navratri between 4 am to 6 pm, between 11:30 to 12:30 and 10:00 pm to 12:00 pm. Place a picture of Maa Kalratri by laying a red cloth on the post and install the Southern Kali Yantra and Shani Yantra. After that make four heaps of eight handfuls of urad separately. Place a lamp filled with oil on each urad pile. Each lamp should have four lights. After lighting the lamp, offer incense-naivedya flowers Akshat. A recitation of Shani Chalisa, a recitation of Maa Durga Chalisa, a rosary Aim Hreem Klein Chamundayai Viche by laying the seat of a pure blanket. Om kaalratri devai namah andOne rosary should be chanted, Om Shanishcharaya Namah. All wishes will be fulfilled.
Maa Kalratri Aarti
Kaalratri Jai-Jai-Mahakali.
The savior from the mouth of time
The name of the evil fighter is yours.
Mahachandi is your avatar.
All over earth and sky.
Mahakali is your spread.
Khadag keeper.
Tasting the blood of the wicked
Calcutta is your place.
I can see your sight everywhere.
All gods, all male and female.
Villages praise you all.
Raktdanta and Annapurna.
If you please, no one will be sad
Don't worry about the disease.
No sorrow, no trouble heavy
Never hurt him.
Whom mahakali mother saved
You also say with devotional love.
Kaalratri Maa Teri Jai॥
Aarti of Maa Durga
Jai Ambe Gauri, Maya Jay Shyama Gauri.
Nishdin Dhayavat to you, Hari Brahma Shivri. Jay…
Demand vermilion, tiko to mrigmad.
Dou Naina from Ujjwal, Chandravadan Niko Jay…
Like Kanak, Raktambara Rajai.
Raktpushpa gal garland, like on the throat. Jay…
Kehri Vehicle Rajat, Khadg Khappar Stripe.
Sur-Nar-Munijan Sevat, straws are sad. Jay…
Kanan coil adorned, nasagray pearls.
Kotik Chandra Diwakar, Rajat Sam Jyoti. Jay…
Shumbha-Nishumbha bidare, Mahishasur Ghati.
Dhumr Vilochan Naina, Nishadin Madmati Jai…
Chand-shunts are destroyed, the sown seeds are green.
Do Mare Madhu-Katabh, remove the fear of sound Jai…
Brahmani, Rudrani, you Kamala queen.
Aagam Nigam Bakhani, you Shiv Patrani Om Jai…
Sixty-four yogini singing, dancing Bhairu.
Bajat Tal Mridanga, Aru Bajat Damru Om Jai…
You are the mother of the world, you are the only one.
Destroys the sorrow of the devotee, makes happiness and wealth.
Arms four are very decorated, wearing a mudra.
The desired fruit is received, serving male and female Jai…
Kanchan Thal Virajat, if Kapoor wicks.
Rajat in Srimalketu, Koti Ratan Jyoti Om Jai…
Aarti of Shri Ambeji, whoever sings.
Kahat sivanand swami, get happiness and wealth Jai…
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