लेख :- प्रदोष व्रत (गुरू प्रदोष व्रत)14.04.2022
त्रयोदशी तिथि आरंभ- 14 अप्रैल 4:52 am
त्रयोदशी तिथि समाप्त-15 अप्रैल,3:50 am तक
प्रदोष काल (पूजा समय)- 14 अप्रैल 6:46 pm से 9 pm तक
हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व होता है। जिस प्रकार से एक माह में दो एकादशी होती है, उसी प्रकार प्रदोष व्रत एक माह मे दो बार क्रमशः शुक्लपक्ष तथा कृष्णपक्ष की त्रयोदशी तिथि को आता है। इस तरह एक वर्ष में 24 प्रदोष व्रत आते हैं।
यह व्रत भगवान शिव के लिए समर्पित होता है। यह व्रत भगवान शिव की उपासना के द्वारा, भगवान शंकर की प्रसन्नता प्राप्ति हेतु, दीर्घायु प्राप्त करने हेतु , संतान, सुख-समृद्धि तथा जन्म और मृत्यु के बंधनों से मुक्त होने, यानि मोक्ष तथा प्रभुत्व प्राप्ति के लिए किया जाता है ।
यह व्रत, व्रती यानि उपासक को "धर्म" और "मोक्ष" से जोडता है, तथा "अर्थ" और "काम" से दूर करता है।
स्कंद पुराण के अनुसार शिव की पूजा करने वाले मनुष्यों को दुख, गरीबी, आभाव, ऋण तथा मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है तथा धन-धान्य, स्त्री-पुत्र, सुख-सौभाग्य की प्राप्ति मे निरंतर वृद्धि होती रहती है। ऐसी मान्यता है कि जो भी भक्त इस व्रत को रखता है, तथा विधि-विधान से पूजा अर्चना करता है, उस पर भोलेनाथ और देवी पार्वती की कृपा सदैव बनी रहती है। प्रदोष व्रत के मुख्य देवता शिव माने गए हैं। उनके साथ पार्वती जी की भी पूजा की जाती है। इस व्रत को किसी भी उम्र के लोग रख सकते हैं।
प्रत्येक मास की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत होता है। दिन अर्थात "वार" के आधार पर इनका नाम बदलता रहता है। दूसरे शब्दों मे प्रदोष व्रत सप्ताह के अलग-२ वारो को आता है, ऐसा माना जाता है कि सप्ताह के अलग-२ वारो पर आने पर उन वारो के अनुसार व्रती को अलग -२ प्रकार के शुभफल प्राप्त होते है ।
14 अप्रैल 2022 को प्रदोष व्रत गुरुवार को आ रहा है, इसे गुरुवारा प्रदोष कहते हैं। इससे वृहस्पति ग्रह शुभ प्रभाव तो देते ही है, साथ ही इसे करने से पितरों का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। अक्सर यह प्रदोष पुत्र संतान प्राप्त करने तथा शत्रु एवं खतरों के विनाश के लिए किया जाता है। श्री सूतजी के अनुसार- यह अति श्रेष्ठ शत्रु विनाशक भक्ति प्रिय व्रत है।
यह व्रत चहुँ ओर से सफलता प्राप्ति के हेतु भी रखा जाता है। हिन्दु धर्म शास्त्रों मे कहा गया है कि गुरु प्रदोष त्रयोदशी व्रत करने वाले को सौ गायें दान करने के बराबर का पुण्य फल प्राप्त होता है तथा यह व्रत सभी प्रकार के कष्ट और पापों को नष्ट करता है। इस व्रत की कथा श्रवण करने से मात्र से ही ऐश्वर्य और विजय का शुभ वरदान मिलता है।
प्रदोष व्रत का अन्य महत्व:-
प्रदोष व्रत और शिव पूजा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। प्रदोष व्रत करने से परिवार में सुख एवं समृद्धि आती है. शिव कृपा से कष्ट दूर होते हैं और निरोगी जीवन प्राप्त होता है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव सबसे आसानी से प्रसन्न होने वाले हैं। वे आदि हैं, वे ही अंत हैं। उनसे ही जीवन है, उनसे ही मृत्यु है। वही महाकाल हैं। त्रयोदशी के दिन जो लोग प्रदोष व्रत रखते हैं उनको रोगों से मुक्ति मिलती है, जीवन में सुख, समृद्धि प्राप्त होती है। दुखों और पाप का नाश होता है। जिन लोगों को कोई संतान नहीं होती है, उन लोगों को वंश वृद्धि के लिए संतान सुख प्राप्त होता है।
प्रदोष व्रत करने की विधि :-
विशेष:- प्रदोष व्रत की पूजा, सूर्यास्त से लेकर 6 घटी अर्थात 2 घण्टे 24 मिनट की अवधि मे की जाती है, इसी अवधि को प्रदोष काल कहते है, ( कुछ विद्वान् सूर्यास्त के बाद की 3 घडी अर्थात 1 घण्टे 12 मिनट की अवधि को प्रदोष काल मानते है)
प्रदोष काल में ही प्रदोष व्रत की पूजा होती है। ऐसी मान्यता है कि प्रदोष के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की एक साथ पूजा करने से कई जन्मों के पाप धुल जाते हैं और मन पवित्र हो जाता है।
1. प्रदोष व्रत करने के लिए साधक यानि व्रती को त्रयोदशी के दिन सूर्योदय से पहले उठना चाहिये, स्नानादि के उपरांत भगवान शिव की उपासना करनी चाहिये ।
2. पूरे दिन इस व्रत मे आहार नही लिया जाता, अर्थात निराहार रहना होता है ।
3. पूरे दिन उपवास रखने के उपरांत सूर्योस्त से पहले पुनः स्नान करके सफेद वस्त्र धारण करे ।
4. अब ईशान कोण ( North-East ) मे शांत स्थान पर पूजा का मण्डप तैयार करे,
पूजास्थल को शुद्ध जल से धोने के बाद गंगा जल से छीटां लगाकर, यदि संभव हो तो गाय के गोबर से लेप होना चाहिए ।
इस मण्डप मे पांच रंगो का इस्तेमाल करते हुए कमल के पुष्प की आकृति बनाये ।
भगवान शिव की मूर्ति या चित्र को स्थापित करे
अब प्रदोष व्रत का संकल्प हिंदी या फिर संस्कृत मे इस प्रकार से करे :-
"मम शिव प्रसाद प्राप्ति कामनया प्रदोष व्रतांगी भूतं शिवपूजनं करिष्ये"
(भावार्थ- भगवान शिव की कृपा प्राप्ति की कामना से मैं प्रदोष व्रत के अंगभूत शिव पूजन करता हूँ)
इस प्रकार संकल्प करके माथे पर भस्म एवं चंदन का तिलक लगाकर गले मे रूदाक्ष की माला धारण करे (ललाट पर भस्म का तिलक और रूदाक्ष मे अत्यधिक मात्रा मे शिवतत्व मौजूद होने से ये भगवान शिव को प्रसन्न तथा आकृष्ट करते है )
अब निम्नलिखित मंत्र बोलकर भगवान शिव का आवाहन करे:-
।। पिनाकपाणये नमः।।
।। ॐ शिवाय नमः ।। मंत्र से स्नान करवाये ।
।। पशुपतये नमः ।।
।। ॐ उमा महेश्वराभ्यां नमः ।।
मंत्र से गन्ध, पुष्प,धूप-दीप, तथा नैवेद्य अर्पित करे, और निवेदन करना चाहिए:-
"हे भगवन् ! आप माता पार्वती के साथ पधार कर मेरी पूजा स्वीकार कीजिये"
तत्पश्चात मंत्रजाप करने या कथा करने के उपरांत निम्नलिखित मंत्र द्वारा प्रार्थना कर सकते है :-
जयनाथ कृपासिंधो जय भक्तार्तिभंजन ।
जय दुस्तरसंसार-सागरोतारण प्रभो ॥
प्रसीद मे महाभाग संसारार्तस्य खिधतः ।
सर्वपापक्षयं कृत्वा रक्ष मां परमेश्वर ॥
इसके बाद सामर्थ्यनुसार निम्नलिखित मंत्र का जाप करे:-
ॐ नमः शिवाय
उपरोक्त मंत्र का अत्यंत पुण्यदायी है, अतः इस मंत्र का जाप करना चाहिए ।
अंत मे ।। महादेवाय नमः।। मंत्र बोलते हुए पूजा का विसर्जन करे ।
इस दिन शिव परिवार की आराधना करना कल्याणकारी होता है। प्रदोष व्रत के दिन शिव चालीसा, शिव पुराण तथा शिव मंत्रों का जाप करना उत्तम माना जाता है।
5. पूजा के विसर्जन के फौरन बाद "यानि सूर्यास्त होने के बाद प्रदोषकाल मे ही पूजन करके भोजन कर लेने का विधान है" । भोजन के उपरांत भी शिव स्मरण करे ।
(स्मरण रहें प्रदोष व्रत की मुख्य पूजा प्रदोष काल अर्थात सूर्यास्त के पश्चात छः घटी के भीतर ही की जाती है)
प्रदोष व्रत मे निषेध कर्म:-
1. प्रदोष व्रत मे शारीरिक तथा मानसिक रूप से पूर्ण रूप से शुद्धि बनाकर रखनी चाहिए।
2. प्रदोष व्रत के दिन साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखना चाहिए, तथा नित्यकर्म तथा स्नानादि नियमो का पालन करना चाहिए।
3. प्रदोष व्रत के दिन नये अथवा धुले हुए वस्त्र धारण करना चाहिए। इस दिन काले वस्त्र न पहनना निषेध है।
4. इस दिन भक्तों को अपनी इन्द्रियों पर नियंत्रण रखकर क्रोध को त्यागना तथा पूर्ण रूप से ब्रह्मचर्य का पालन करना आवश्यक होता है।
5. मांस-मदिरा तथा अन्य राजसिक और तामसिक पदार्थो का त्याग करके सात्विक नियमो का पालन करके केवल शाकाहार भोजन ग्रहण करें।
गुरुवार प्रदोष व्रत की पौराणिक कथा:-
इस व्रत कथा के अनुसार एक बार इंद्र और वृत्तासुर की सेना में घनघोर युद्ध हुआ। देवताओं ने दैत्य-सेना को पराजित कर नष्ट-भ्रष्ट कर डाला। यह देख वृत्तासुर अत्यंत क्रोधित हो स्वयं युद्ध को उद्यत हुआ। आसुरी माया से उसने विकराल रूप धारण कर लिया। सभी देवता भयभीत हो गुरुदेव बृहस्पति की शरण में पहूंचे। बृहस्पति महाराज बोले- पहले मैं तुम्हें वृत्तासुर का वास्तविक परिचय दे
वृत्तासुर बड़ा तपस्वी और कर्मनिष्ठ है। उसने गंधमादन पर्वत पर घोर तपस्या कर शिवजी को प्रसन्न किया। पूर्व समय में वह चित्ररथ नाम का राजा था। एक बार वह अपने विमान से कैलाश पर्वत चला गया।वहां शिवजी के वाम अंग में माता पार्वती को विराजमान देख वह उपहासपूर्वक बोला- 'हे प्रभो! मोह-माया में फंसे होने के कारण हम स्त्रियों के वशीभूत रहते हैं किंतु देवलोक में ऐसा दृष्टिगोचर नहीं हुआ कि स्त्री आलिंगनबद्ध हो सभा में बैठे।'चित्ररथ के यह वचन सुन सर्वव्यापी शिवशंकर हंसकर बोले- 'हे राजन! मेरा व्यावहारिक दृष्टिकोण पृथक है। मैंने मृत्युदाता-कालकूट महाविष का पान किया है, फिर भी तुम साधारणजन की भांति मेरा उपहास उड़ाते हो!'
माता पार्वती क्रोधित हो चित्ररथ से संबोधित हुईं- 'अरे दुष्ट! तूने सर्वव्यापी महेश्वर के साथ ही मेरा भी उपहास उड़ाया है अतएव मैं तुझे वह शिक्षा दूंगी कि फिर तू ऐसे संतों के उपहास का दुस्साहस नहीं करेगा- अब तू दैत्य स्वरूप धारण कर विमान से नीचे गिर, मैं तुझे शाप देती हूं।'
जगदम्बा भवानी के अभिशाप से चित्ररथ राक्षस योनि को प्राप्त हुआ और त्वष्टा नामक ऋषि के श्रेष्ठ तप से उत्पन्न हो वृत्तासुर बना।
गुरुदेव बृहस्पति आगे बोले- 'वृत्तासुर बाल्यकाल से ही शिवभक्त रहा है अत हे इंद्र! तुम बृहस्पति प्रदोष व्रत कर शंकर भगवान को प्रसन्न करो।'
देवराज ने गुरुदेव की आज्ञा का पालन कर बृहस्पति प्रदोष व्रत किया। गुरु प्रदोष व्रत के प्रताप से इंद्र ने शीघ्र ही वृत्तासुर पर विजय प्राप्त कर ली और देवलोक में शांति छा गई। अत: प्रदोष व्रत हर शिव भक्त को अवश्य करना चाहिए।
(समाप्त)
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आगामी लेख:-
1. 13 अप्रैल को "मेष संक्रांति-वैशाखी" पर लेख।
2. 14 अप्रैल से दो भागों मे "हनुमान जयंती" पर लेख।
3. 16 अप्रैल को "वैशाख मास" पर लेख।
4. 17 अप्रैल से धारावाहिक लेख "वास्तुशास्त्र" के आगामी भागो का प्रकाशन।
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जय श्री राम
आज का पंचांग,दिल्ली 🌹🌹🌹
मंगलवार,12.4.2022
श्री संवत 2079
शक संवत् 1944
सूर्य अयन- उत्तरायण, गोल-उत्तर गोल
ऋतुः- वसन्त ऋतुः ।
मास- चैत्र मास।
पक्ष- शुक्ल पक्ष ।
तिथि-एकादशी तिथि अगले दिन 5:04 am तक
चंद्रराशि- चंद्र कर्क राशि 8:35 am तक तदोपरान्त सिंह राशि।
नक्षत्र- अश्लेषा नक्षत्र 8:35 am तक
योग- शूल योग 12:02 pm तक (अशुभ है)
करण- वणिज करण 4:53 pm तक
सूर्योदय- 5:59 am, सूर्यास्त 6:44 pm
अभिजित् नक्षत्र- 11:56 am से 12:47 pm तक
राहुकाल - 3:33 pm से 5:09 pm (शुभ कार्य वर्जित,दिल्ली )
दिशाशूल- पूर्व दिशा।
अप्रैल शुभ दिन:- 12 (सायं. 5 तक), 13, 14, 15, 16 (दोपहर 1 उपरांत), 17, 19 (सायं. 5 उपरांत), 21, 22 (सवेरे 9 तक), 24, 25 (दोपहर 2 तक), 26, 27 (सायं. 6 तक)
अप्रैल अशुभ दिन:- 18, 20, 23, 28, 29, 30.
भद्रा:- 12 अप्रैल 4:27 pm से 13 अप्रैल 5:03 am तक ( भद्रा मे मुण्डन, गृहारंभ, गृहप्रवेश, विवाह, रक्षाबंधन आदि शुभ काम नही करने चाहिये , लेकिन भद्रा मे स्त्री प्रसंग, यज्ञ, तीर्थस्नान, आपरेशन, मुकद्दमा, आग लगाना, काटना, जानवर संबंधी काम किए जा सकतें है।
गण्ड मूल आरम्भ:-
अश्लेषा नक्षत्र, 11 अप्रैल 6:51 am से 13 अप्रैल -मघा नक्षत्र 9:37 am तक गंडमूल रहेगें। गंडमूल नक्षत्रों मे जन्म लेने वाले बच्चो का मूलशांति पूजन आवश्यक है।
रवि योग :- 10 अप्रैल 4:31 am से 12 अप्रैल 8:35 am तक यह एक शुभ योग है, इसमे किए गये दान-पुण्य, नौकरी या सरकारी नौकरी को join करने जैसे कायों मे शुभ परिणाम मिलते है । यह योग, इस समय चल रहे, अन्य बुरे योगो को भी प्रभावहीन करता है।
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आगामी व्रत तथा त्यौहार:-
12 अप्रैल- कामदा एकादशी। 14 अप्रैल- प्रदोष व्रत/मेष संक्रांति। 16 अप्रैल- हनुमान जयंती/चैत्र पूर्णिमा व्रत। 19 अप्रैल- संकष्टी चतुर्थी। 26 अप्रैल-वरुथिनी एकादशी। 28 अप्रैल- प्रदोष व्रत। 29 अप्रैल- मासिक शिवरात्रि। 30 अप्रैल- वैशाख अमावस्या।
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विशेष:- जो व्यक्ति वाराणसी से बाहर अथवा देश से बाहर रहते हो, वह ज्योतिषीय परामर्श हेतु Paytm या Bank transfer द्वारा परामर्श फीस अदा करके, फोन द्वारा ज्योतिषीय परामर्श प्राप्त कर सकतें है
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आपका दिन मंगलमय हो . 💐💐💐
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English Translation :-
Article :- Pradosh Vrat (Guru Pradosh Vrat)14.04.2022
Trayodashi Tithi Begins - April 14 at 4:52 am
Trayodashi date ends 15th April, till 3:50 am
Pradosh Kaal (worship time) - April 14 from 6:46 pm to 9 pm
Pradosh fast has special significance in Hinduism. Just as there are two Ekadashi in a month, similarly Pradosh Vrat comes twice in a month on the Trayodashi Tithi of Shukla Paksha and Krishna Paksha respectively. In this way there are 24 Pradosh fasts in a year.
This fast is dedicated to Lord Shiva. This fast is done by worshiping Lord Shiva, to attain the happiness of Lord Shankar, to attain longevity, to have children, happiness and prosperity and to be free from the bonds of birth and death, that is, to attain salvation and dominion.
This fast connects the worshiper with "Dharma" and "Moksha", and removes it from "Artha" and "Kama".
According to Skanda Purana, people who worship Shiva get freedom from sorrow, poverty, scarcity, debt and fear of death and there is a continuous increase in the attainment of wealth-grains, woman-son, happiness-good fortune. It is believed that whoever observes this fast, and offers prayers according to the law, the blessings of Bholenath and Goddess Parvati always remain on him. Shiva is considered the main deity of Pradosh fast. Parvati ji is also worshiped with him. People of any age can keep this fast.
Pradosh Vrat is observed on Trayodashi Tithi of every month. Their name keeps changing on the basis of the day i.e. "Var". In other words, Pradosh Vrat comes on different days of the week, it is believed that on coming on different days of the week, according to those days, the fast gets different types of auspicious results.
On 14th April 2022, Pradosh Vrat is coming on Thursday, it is called Thursday Pradosh. Due to this, the planet Jupiter not only gives auspicious effects, but by doing this one also gets the blessings of the ancestors. Often this Pradosh is done to get a son and for the destruction of enemies and dangers. According to Shri Sutji- This is the most excellent enemy destroyer devotional fast.
This fast is also kept for getting success from all sides. It has been said in Hindu religious scriptures that one who observes the Guru Pradosh Trayodashi fast, gets the virtuous result equal to donating a hundred cows and this fast destroys all kinds of sufferings and sins. Just by listening to the story of this fast, one gets the auspicious boon of opulence and victory.
Other Significance of Pradosh Vrat:-
All the wishes of a person are fulfilled by performing Pradosh Vrat and Shiva Puja. Pradosh fasting brings happiness and prosperity in the family. By the grace of Shiva, sufferings are removed and a healthy life is attained.
According to mythological beliefs, Lord Shiva is the one to be easily pleased. He is the beginning, he is the end. From him there is life, from him there is death. That is Mahakal. Those who observe Pradosh fast on Trayodashi get freedom from diseases, happiness and prosperity in life. Suffering and sin are destroyed. Those people who do not have any children, those people get the happiness of children for the growth of their offspring.
Method of fasting Pradosh :-
Special: - Pradosh fast is worshiped from sunset to 6 Ghati i.e. 2 hours 24 minutes duration, this period is called Pradosh Kaal, (Some scholars consider the period of 3 hours after sunset i.e. 1 hour 12 minutes. considers the time period)
Pradosh fast is worshiped only during the Pradosh period. It is believed that by worshiping Lord Shiva and Mother Parvati together on the day of Pradosh, the sins of many births are washed away and the mind becomes pure.
1. To observe Pradosh Vrat, the seeker should get up before sunrise on Trayodashi, worship Lord Shiva after taking bath.
2. Food is not taken during this fast for the whole day, that is, one has to remain fast.
3. After fasting for the whole day, bathe again before sunset and wear white clothes.
4. Now prepare a pavilion for worship at a quiet place in the North-East.
After washing the place of worship with pure water, sprinkle it with Ganges water, if possible it should be coated with cow dung.
In this mandap, using five colors, draw the shape of a lotus flower.
Install the idol or picture of Lord Shiva
Now make the resolution of Pradosh fast in Hindi or Sanskrit in this way :-
"Mum Shiv Prasad Prapti Kamnaya Pradosh Vratangi Bhootam Shivpujanam Karishye"
(Interpretation- With the desire to get the blessings of Lord Shiva, I worship Lord Shiva as part of Pradosh fast)
In this way, after making a resolution, put a tilak of ashes and sandalwood on the forehead and wear a rosary of rudaksha around the neck.
Now invoke Lord Shiva by reciting the following mantra:-
, Pinakapanaye Namah.
, Om Shivaay Namah. Take a bath with the mantra.
, Pashupataye Namah.
, Om Uma Maheshwarabhayam Namah.
Offer scent, flowers, incense-lamp, and naivedya with the mantra, and request should be made:-
"O Lord! Come with Mother Parvati and accept my worship"
After that after chanting the mantra or doing the story, one can pray through the following mantra:-
Jaynath Kripsindho Jai Bhaktartibhanjan.
Jai Dustarsansar-Sagarotaran Prabho
Mahabhaga Sansaratsya Khidhet in Prasidh.
Sarvapaapakshayam Kritva Rakshak Mother Parmeshwar
After this chant the following mantra according to your ability:-
Om Namah Shivaya
The above mantra is very rewarding, so this mantra should be chanted.
In the end.. Mahadevaya Namah. While chanting the mantra immerse the worship.
Worshiping Shiva family on this day is beneficial. It is considered best to chant Shiva Chalisa, Shiva Purana and Shiva Mantras on the day of Pradosh fast.
5. Immediately after the immersion of the worship, "that is, after sunset, there is a law to take food after worshiping in Pradosh Kaal". Remember Shiva even after the meal.
(Remember that the main worship of Pradosh Vrat is done within six hours of Pradosh period i.e. after sunset)
Prohibited Karma in Pradosh Vrat:-
1. During Pradosh fast one should maintain complete purification physically and mentally.
2. Special care should be taken of cleanliness on the day of Pradosh fast, and the rules of routine work and bathing should be followed.
3. New or washed clothes should be worn on the day of Pradosh fast. It is prohibited not to wear black clothes on this day.
4. On this day, it is necessary for the devotees to control their senses and give up anger and follow celibacy completely.
5. Relinquishing meat-liquor and other rajasic and tamasic substances and follow the sattvik rules and take only vegetarian food.
Mythology of Thursday Pradosh Vrat:-
According to this fast story, once there was a fierce battle between the army of Indra and Vrittasura. The gods defeated and destroyed the demon army. Seeing this, Vrittasura became very angry and himself got ready for war. He took a formidable form from the demonic Maya. All the gods were frightened and reached Gurudev in the shelter of Jupiter. Brihaspati Maharaj said - first let me give you the real introduction of Vrittasur
Vrittasura is very ascetic and hardworking. He pleased Shiva by doing severe penance on the Gandhamadan mountain. In earlier times he was a king named Chitraratha. Once he went to Mount Kailash in his plane. Seeing Mata Parvati seated there in the left limb of Shiva, he said mockingly- 'O Lord! Because of being trapped in illusion and illusion, we remain under the control of women, but it has not been seen in Devlok that the woman should be embraced and sit in the assembly. Hearing this words of Chitrarath, the omnipresent Shivshankar laughed and said - 'O king! My practical point of view is different. I have drank the Death Giver-Kalkoot Mahavenom, yet you ridicule me like an ordinary person!'
Mother Parvati got angry and addressed Chitrarath - 'Oh wicked! You have ridiculed me as well as the omnipresent Maheshwara, so I will teach you that then you will not dare to ridicule such saints - now you fall down from the plane taking the form of a demon, I curse you.'
Due to the curse of Jagadamba Bhavani, Chitraratha got the demon Yoni and became Vrittasura born from the excellent penance of a sage named Tvashta.
Gurudev Brihaspati further said - 'Vritasur has been a devotee of Shiva since childhood, so O Indra! You please Lord Shankar by fasting Brihaspati Pradosh.
Devraj observed the Brihaspati Pradosh fast following the orders of Gurudev. Due to the glory of Guru Pradosh Vrat, Indra soon conquered Vratasura and there was peace in Devlok. Therefore, every Shiva devotee must observe Pradosh Vrat.
(End)
Next article:-
1. Article on "Aries Sankranti-Vaisakhi" on 13th April.
2. Article on "Hanuman Jayanti" in two parts from 14th April.
3. Article on "Vaisakh month" on 16th April.
4. Publication of upcoming parts of serial article "Vastu Shastra" from 17th April.
Long live Rama
Today's Panchang, Delhi
Tuesday, 12.4.2022
Shree Samvat 2079
Shaka Samvat 1944
Surya Ayan- Uttarayan, Round-North Round
Rituah - the spring season.
Month - Chaitra month.
Paksha - Shukla Paksha.
Tithi-Ekadashi date till 5:04 am the next day
Moon sign - Moon sign Cancer till 8:35 am and then Leo sign.
Nakshatra- Ashlesha Nakshatra till 8:35 am
Yoga- Shool Yoga till 12:02 pm (inauspicious)
Karan- Vanij Karan till 4:53 pm
Sunrise- 5:59 am, Sunset 6:44 pm
Abhijit Nakshatra - 11:56 am to 12:47 pm
Rahukaal - 3:33 pm to 5:09 pm (Good work prohibited, Delhi)
Direction – East direction.
April Lucky Days:- 12 (till 5 pm), 13, 14, 15, 16 (after 1 pm), 17, 19 (after 5 pm), 21, 22 (till 9 am), 24, 25 (afternoon) Till 2), 26, 27 (till 6 pm)
April inauspicious days:- 18, 20, 23, 28, 29, 30.
Bhadra:- 12 April 4:27 pm to 13 April 5:03 am (Shunning, housewarming, home entry, marriage, Rakshabandhan etc. should not be done in Bhadra, but in Bhadra, women affairs, yagya, pilgrimage, operation, case, Fire, cutting, animal related work can be done.
Gand Mool Aarambh:-
Ashlesha Nakshatra, April 11 from 6:51 am to April 13 - Magha Nakshatra will remain Gandmool from 9:37 am. Children born in Gandmool constellations need to worship Moolshanti.
Ravi Yoga: - From 10 April 4:31 am to 12 April 8:35 am, this is an auspicious yoga, good results are found in the works like charity, job or joining a government job. This yoga also neutralizes the other bad yogas that are going on at this time.
Upcoming fasts and festivals:-
April 12 - Kamada Ekadashi. April 14 - Pradosh fast / Aries Sankranti. April 16 - Hanuman Jayanti / Chaitra Purnima Vrat. April 19 - Sankashti Chaturthi. April 26 - Varuthini Ekadashi. April 28 - Pradosh fast. April 29 - Monthly Shivratri. April 30 - Vaishakh Amavasya.
Special:- The person who lives outside Varanasi or outside the country, he can get astrological consultation by phone, by paying the consultation fee through Paytm or Bank transfer for astrological consultation.
Have a good day .
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