03 अप्रैल 2022

नवरात्री द्वितीय दिवस माँ दुर्गा के दूसरे स्वरूप श्री ब्रह्मचारिणी जी की उपासना विधि एवं फल।। On the second day of Navratri, the method and results of worship of Shri Brahmacharini ji, the second form of Maa Durga.


नवरात्री द्वितीय दिवस माँ दुर्गा के दूसरे स्वरूप श्री ब्रह्मचारिणी जी की उपासना विधि एवं फल
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माँ दुर्गा का द्वितीय रूप ब्रह्मचारिणी हैं। यहां ब्रह्मचारिणी का तात्पर्य तपश्चारिणी है। इन्होंने भगवान शंकर को पति रूप से प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी। अतः ये तपश्चारिणी और ब्रह्मचारिणी के नाम से विख्यात हैं। नवरात्रि के द्वितीय दिन इनकी पूजा और अर्चना की जाती है। जो दोनो कर-कमलो मे अक्षमाला एवं कमंडल धारण करती है। वे सर्वश्रेष्ठ माँ भगवती ब्रह्मचारिणी मुझसे पर अति प्रसन्न हों। माँ ब्रह्मचारिणी सदैव अपने भक्तो पर कृपादृष्टि रखती है एवं सम्पूर्ण कष्ट दूर करके अभीष्ट कामनाओ की पूर्ति करती है।
देवी दुर्गा का यह दूसरा रूप भक्तों एवं सिद्धों को अमोघ फल देने वाला है. देवी ब्रह्मचारिणी की उपासना से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है. माँ ब्रह्मचारिणी की कृपा से मनुष्य को सर्वत्र सिद्धि और विजय की प्राप्ति होती है, तथा जीवन की अनेक समस्याओं एवं परेशानियों का नाश होता है।

देवी ब्रह्मचारिणी का स्वरूप पूर्ण ज्योर्तिमय है। मां दुर्गा की नौ शक्तियों में से द्वितीय शक्ति देवी ब्रह्मचारिणी का है। ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी यानी आचरण करने वाली अर्थात तप का आचरण करने वाली
मां ब्रह्मचारिणी. यह देवी शांत और निमग्न होकर तप में लीन हैं. मुख पर कठोर तपस्या के कारण अद्भुत तेज और कांति का ऐसा अनूठा संगम है जो तीनों लोको को उजागर कर रहा है।
देवी ब्रह्मचारिणी के दाहिने हाथ में अक्ष माला है और बायें हाथ में कमण्डल होता है. देवी ब्रह्मचारिणी साक्षात ब्रह्म का स्वरूप हैं अर्थात तपस्या का मूर्तिमान रूप हैं. इस देवी के कई अन्य नाम हैं जैसे तपश्चारिणी, अपर्णा और उमा। इस दिन साधक का मन ‘स्वाधिष्ठान ’चक्र में स्थित होता है। इस चक्र में अवस्थित साधक मां ब्रह्मचारिणी जी की कृपा और भक्ति को प्राप्त करता है।

माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि
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सर्वप्रथम आपने जिन देवी-देवताओ एवं गणों व योगिनियों को कलश में आमत्रित किया है उनकी फूल, अक्षत, रोली, चंदन, से पूजा करें उन्हें दूध, दही, शर्करा, घृत, व मधु से स्नान करायें व देवी को जो कुछ भी प्रसाद अर्पित कर रहे हैं उसमें से एक अंश इन्हें भी अर्पण करें। प्रसाद के पश्चात आचमन और फिर पान, सुपारीभेंट कर इनकी प्रदक्षिणा करें। कलश देवता की पूजा के पश्चात इसी प्रकार नवग्रह, दशदिक्पाल, नगर देवता, ग्राम देवता, की पूजा करें। इनकी पूजा के पश्चात मॉ ब्रह्मचारिणी की पूजा करें। देवी की पूजा करते समय सबसे पहले हाथों में एक फूल लेकर प्रार्थना करें 

“दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू।
 देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा”

इसके पश्चात् देवी को पंचामृत स्नान करायें और फिर भांति भांति से फूल, अक्षत, कुमकुम, सिन्दुर, अर्पित करें देवी को अरूहूल का फूल (लाल रंग का एकविशेष फूल) व कमल काफी पसंद है उनकी माला पहनायें. प्रसाद और आचमन के पश्चात् पान सुपारी भेंट कर प्रदक्षिणा करें और घी व कपूर मिलाकर देवी की आरती करें. अंत में क्षमा प्रार्थना करें 

“आवाहनं न जानामि न जानामि वसर्जनं। पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वरी।।

   माँ ब्रह्मचारिणी मंत्र 
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या देवी सर्वभू‍तेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मई ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।

  माँ ब्रह्मचारिणी ध्यान 
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वन्दे वांछित लाभायचन्द्रार्घकृतशेखराम्।
जपमालाकमण्डलु धराब्रह्मचारिणी शुभाम्॥

गौरवर्णा स्वाधिष्ठानस्थिता द्वितीय दुर्गा त्रिनेत्राम।
धवल परिधाना ब्रह्मरूपा पुष्पालंकार भूषिताम्॥

परम वंदना पल्लवराधरां कांत कपोला पीन।
पयोधराम् कमनीया लावणयं स्मेरमुखी निम्ननाभि नितम्बनीम्॥

ब्रह्मचारिणी स्तोत्र पाठ 
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तपश्चारिणी त्वंहि तापत्रय निवारणीम्।
ब्रह्मरूपधरा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥

शंकरप्रिया त्वंहि भुक्ति-मुक्ति दायिनी।
शान्तिदा ज्ञानदा ब्रह्मचारिणीप्रणमाम्यहम्॥

मां ब्रह्मचारिणी कवच
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त्रिपुरा में हृदयं पातु ललाटे पातु शंकरभामिनी।
अर्पण सदापातु नेत्रो, अर्धरी च कपोलो॥

पंचदशी कण्ठे पातुमध्यदेशे पातुमहेश्वरी॥
षोडशी सदापातु नाभो गृहो च पादयो।

अंग प्रत्यंग सतत पातु ब्रह्मचारिणी। 

नवरात्री में दुर्गा सप्तशती पाठ किया जाता हैं


  माँ ब्रह्मचारिणी कथा 
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माता ब्रह्मचारिणी हिमालय और मैना की पुत्री हैं। इन्होंने देवर्षि नारद जी के कहने पर भगवान शंकर की ऐसी कठोर तपस्या की जिससे प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने इन्हें मनोवांछित वरदान दिया। जिसके फलस्वरूप यह देवी भगवान भोले नाथ की वामिनी अर्थात पत्नी बनी। इस कठिन तपस्या के कारण इन्हें तपश्चारिणी अर्थात्‌ ब्रह्मचारिणी नाम से अभिहित किया गया। एक हजार वर्ष तक इन्होंने केवल फल-फूल खाकर बिताए और सौ वर्षों तक केवल जमीन पर रहकर शाक पर निर्वाह किया। 

कुछ दिनों तक कठिन उपवास रखे और खुले आकाश के नीचे वर्षा और धूप के घोर कष्ट सहे। तीन हजार वर्षों तक टूटे हुए बिल्व पत्र खाए और भगवान शंकर की आराधना करती रहीं। इसके बाद तो उन्होंने सूखे बिल्व पत्र खाना भी छोड़ दिए। कई हजार वर्षों तक निर्जल और निराहार रह कर तपस्या करती रहीं। पत्तों को खाना छोड़ देने के कारण ही इनका नाम अपर्णा नाम पड़ गया। 

कठिन तपस्या के कारण देवी का शरीर एकदम क्षीण हो गया। देवता, ऋषि, सिद्धगण, मुनि सभी ने ब्रह्मचारिणी की तपस्या को अभूतपूर्व पुण्य कृत्य बताया, सराहना की और कहा -हे देवी आज तक किसी ने इस तरह की कठोर तपस्या नहीं की। यह तुम्हीं से ही संभव थी। तुम्हारी मनोकामना परिपूर्ण होगी और भगवान चंद्रमौलि शिवजी तुम्हें पति रूप में प्राप्त होंगे। अब तपस्या छोड़कर घर लौट जाओ। जल्द ही तुम्हारे पिता तुम्हें बुलाने आ रहे हैं। 

जो व्यक्ति अध्यात्म और आत्मिक आनंद की कामना रखते हैं उन्हें इस देवी की पूजा से सहज यह सब प्राप्त होता है. देवी का दूसरा स्वरूप योग साधक को साधना के केन्द्र के उस सूक्ष्मतम अंश से साक्षात्कार करा देता है जिसके पश्चात व्यक्ति की ऐन्द्रियां अपने नियंत्रण में रहती है और साधक मोक्ष का भागी बनता है। माँ ब्रह्मचारिणी की प्रतिमा की पंचोपचार सहित पूजा करके जो साधक स्वाधिष्ठान चक्र में मन को स्थापित करता है उसकी साधना सफल हो जाती है और व्यक्ति की कुण्डलनी शक्ति जागृत हो जाती है। जो व्यक्ति भक्ति भाव एवं श्रद्धादुर्गा पूजा के दूसरे दिन मॉ ब्रह्मचारिणी की पूजा करते हैं उन्हें सुख, आरोग्य की प्राप्ति होती है और प्रसन्न रहता है, उसे किसी प्रकार का भय नहीं सताता है।

शिक्षा में सफलता हेतु उपाय 
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यदि विद्यार्थी को शिक्षा में परेशानी आ रही हो, स्मरण शक्ति कमजोर हो, पाठ याद नहीं होते हो तो यह उपाय करके देंखे। गुरुवार के दिन 5 पीले पेड़े अपने ऊपर से 7 बार उसार कर और 7 बार ॐ ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं। मंत्र का जाप करके गाय को खिला दें।
अपने अध्ययन कक्ष में पीले कपड़े में 9 हल्दी की गांठ ॐ ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं। मंत्र का जाप करते हुए बांध कर पोटली बना दें और अपने कक्ष में रख दें। शिक्षा में सफलता मिलेगी।

आरती माँ ब्रह्माचारिणी जी की 
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जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता। 
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता। 
ब्रह्मा जी के मन भाती हो। 
ज्ञान सभी को सिखलाती हो। 
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा। 
जिसको जपे सकल संसारा। 
जय गायत्री वेद की माता। 
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता। 
कमी कोई रहने न पाए। 
कोई भी दुख सहने न पाए। 
उसकी विरति रहे ठिकाने। 
जो ​तेरी महिमा को जाने। 
रुद्राक्ष की माला ले कर। 
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर। 
आलस छोड़ करे गुणगाना। 
मां तुम उसको सुख पहुंचाना। 
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम। 
पूर्ण करो सब मेरे काम। 
भक्त तेरे चरणों का पुजारी। 
रखना लाज मेरी महतारी। 

   माँ दुर्गा की आरती
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जय अंबे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ॥ ॐ जय…

मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को ।
उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको ॥ ॐ जय…

कनक समान कलेवर, रक्तांबर राजै ।
रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै ॥ ॐ जय…

केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी ।
सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी ॥ ॐ जय…

कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती ।
कोटिक चंद्र दिवाकर, राजत सम ज्योती ॥ ॐ जय…

शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती ।
धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती ॥ॐ जय…

चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे ।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भय दूर करे ॥ॐ जय…

ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी ।
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ॥ॐ जय…

चौंसठ योगिनी गावत, नृत्य करत भैंरू ।
बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू ॥ॐ जय…

तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता ।
भक्तन की दुख हरता, सुख संपति करता ॥ॐ जय…

भुजा चार अति शोभित, वरमुद्रा धारी ।
>मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी ॥ॐ जय…

कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती ।
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती ॥ॐ जय…

श्री अंबेजी की आरति, जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपति पावे ॥ॐ जय…


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English Translation :-

On the second day of Navratri, the method and results of worship of Shri Brahmacharini ji, the second form of Maa Durga

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 The second form of Maa Durga is Brahmacharini.  Here Brahmacharini means ascetic.  He had done severe penance to get Lord Shankar as a husband.  Hence she is known as Tapascharini and Brahmacharini.  They are worshiped and worshiped on the second day of Navratri.  One who wears akshamala and kamandal in both the lotus flowers.  May that best mother Bhagwati Brahmacharini be very pleased with me.  Mother Brahmacharini always keeps a blessing on her devotees and fulfills the desired wishes by removing all the troubles.

 This second form of Goddess Durga is going to give unfailing fruits to the devotees and Siddhas.  Worship of Goddess Brahmacharini leads to increase in tenacity, renunciation, detachment, virtue, restraint.  By the grace of Mother Brahmacharini, a person gets success and victory everywhere, and many problems and troubles of life are destroyed.


 The form of Goddess Brahmacharini is full of light.  Out of the nine Shaktis of Maa Durga, the second one is that of Goddess Brahmacharini.  Brahma means penance and Charini means one who conducts means one who practices penance.

 Mother Brahmacharini.  This goddess is calm and engrossed in penance.  Due to severe penance on the face, there is such a unique confluence of wonderful radiance and radiance, which is exposing the three worlds.

 Goddess Brahmacharini holds a mala in her right hand and a kamandal in her left hand.  Goddess Brahmacharini is the form of true Brahma, that is, the embodiment of penance.  This goddess has many other names like Tapascharini, Aparna and Uma.  On this day the mind of the seeker is situated in the 'Swadhisthana' chakra.  The seeker situated in this chakra receives the grace and devotion of Mother Brahmacharini ji.


 Worship method of Mother Brahmacharini

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 First of all, worship the deities and ganas and yoginis whom you have invited in the vase with flowers, akshat, roli, sandalwood, bathe them with milk, curd, sugar, ghee, and honey and offer whatever offerings to the goddess.  Offer a part of that to them as well.  After prasad, offer Achaman and then paan, betel nut and do circumambulation of them.  After worshiping the Kalash deity, worship Navagraha, Dashdikpal, city deity, village deity, in the same way.  After worshiping her, worship Maa Brahmacharini.  While worshiping the goddess, first of all pray with a flower in hand


 “Dadhana karpadmabhyamakshamalakamandalu.

 Devi Prasidatu Mayi Brahmacharinyanuttama”


 After this, offer Panchamrita bath to the Goddess and then offer flowers, Akshat, Kumkum, Sindur in different ways. Goddess likes Arhul flower (a special red flower) and lotus and wear her garland.  After offering prasad and achman, offer betel betel betel nuts and do Pradakshina and perform aarti of goddess by mixing ghee and camphor.  apologies at the end


 “Avahanam na janami na janami vasarjanam.  Worship chaiva na janami parmeshwari parmeshwari.


 Maa Brahmacharini Mantra

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 Or Goddess Sarvabhuteshu Maa Brahmacharini Rupen Sanstha.

 Namasthasai Namasthasai Namasthasai Namo Namah.


 Padmabhayam Akshamala Kamandlu by doing Dadhana.

 Devi Prasidatu May Brahmacharinyanuttama.


 Maa Brahmacharini Meditation

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 Vande desired profitaychandraghkritshekharam.

 Japamalakamandalu Dharabrahmacharini Shubham


 Gauvarna Swadhisthanasthita II Durga Trinetram.

 Dhaval costumed brahmarupa pushpalankar bhushitam.


 Param Vandana Pallavaradhara Kant Kapola Peen.

 Payodharam Kamaniya Lavanyam Smeramukhi Lownabhi Nitambanim॥


 Brahmacharini Stotra Text

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 Tapascharini tvahi taparaya nivarannim.

 brahmarupadhara brahmcharini pranamayamyam


 Shankarpriya tvahi bhukti-mukti daiini.

 Shantida Gyanada BrahmachariniPranamamayam


 Maa Brahmacharini Kavach

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 Hridayam Patu Lalate Patu Shankarbhamini in Tripura.

 Arpan sadapatu eyes, ardhari cha kapolo.


 Panchdashi Kanthe PatuMadhydeshe Patumaheshwari

 Shodashi sadapatu nabho griho cha padyo.


 Organ Pratyang Continuous Patu Brahmacharini.


 Durga Saptashati is recited in Navratri



 
Maa Brahmacharini Story

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 Mother Brahmacharini is the daughter of Himalaya and Maina.  At the behest of Devarshi Narad ji, he did such a severe penance of Lord Shankar, due to which Brahma ji, being pleased, gave him the desired boon.  As a result of which this goddess became Vamini i.e. wife of Lord Bhole Nath.  Due to this difficult penance, she was named as Tapascharini i.e. Brahmacharini.  For a thousand years, he spent only eating fruits and flowers and for a hundred years he lived only on the ground and lived on vegetables.


 Keep a strict fast for a few days and suffer severe rain and sun under the open sky.  For three thousand years, she ate broken bilva leaves and worshiped Lord Shiva.  After this, he also stopped eating dried bilva leaves.  For several thousand years she did penance by being waterless and starving.  She got the name Aparna because of leaving the leaves to eat.


 Due to hard penance, the body of the goddess became completely emaciated.  The deities, sages, siddhas, sages all described the penance of Brahmacharini as an unprecedented virtuous act, appreciated and said - O Goddess, till date no one has done such harsh penance.  It was possible only because of you.  Your wish will be fulfilled and Lord Chandramauli Shiva will get you in the form of husband.  Now leave the penance and return home.  Soon your father is coming to call you.


 Those who wish for spirituality and spiritual bliss, they get all this easily by worshiping this goddess.  Another form of Goddess Yoga makes the seeker to be interviewed with that subtlest part of the center of spiritual practice, after which the senses of the person remain under his control and the seeker becomes the partaker of salvation.  By worshiping the idol of Mother Brahmacharini with Panchopchar, the sadhak who establishes the mind in the Swadhisthana Chakra becomes successful and the Kundalini power of the person is awakened.  The person who worships Maa Brahmacharini on the second day of Bhakti Bhav and Shraddhadurga Puja gets happiness, health and remains happy, he does not suffer any kind of fear.


 tips for success in education

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 If the student is facing difficulty in education, memory power is weak, lessons are not remembered, then try this remedy.  On Thursday, by throwing 5 yellow pedas from above you 7 times and 7 times Om Aim Kleem Hreem Shree.  Feed the cow by chanting the mantra.

 In his study room, 9 lumps of turmeric in a yellow cloth Aim Klein Hreem Shree.  While chanting the mantra, tie it into a bundle and keep it in your room.  You will get success in education.


 Aarti of Mother Brahmacharini

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 Jai Ambe Brahmacharini Mata.

 Jai Chaturanan Dear Happiness Giver.

 You are pleasing to Brahma ji.

 You teach knowledge to everyone.

 Your chanting is the Brahma mantra.

 The one who chants the whole world.

 Jai Gayatri the mother of Vedas.

 The mind that always meditates on you.

 Let no one remain short.

 No one can bear the pain.

 His whereabouts remain.

 Who knows your glory.

 Carrying a rosary of Rudraksha.

 Chant whatever mantra with faith.

 Give up laziness and praise.

 Mother, you bring him happiness.

 Your name is Brahmacharini.

 Complete all my work.

 The devotee is the priest of your feet.

 Keep my shame.


 Aarti of Maa Durga

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 Jai Ambe Gauri, Maya Jay Shyama Gauri.

 Nishdin Dhayavat to you, Hari Brahma Shivri.  Jay…


 Demand vermilion, tiko to mrigmad.

 Dou Naina from Ujjwal, Chandravadan Niko  Jay…


 Like Kanak, Raktambara Rajai.

 Raktpushpa gal garland, like on the throat.  Jay…


 Kehri Vehicle Rajat, Khadg Khappar Stripe.

 Sur-Nar-Munijan Sevat, straws are sad.  Jay…


 Kanan coil adorned, nasagray pearls.

 Kotik Chandra Diwakar, Rajat Sam Jyoti.  Jay…


 Shumbha-Nishumbha bidare, Mahishasur Ghati.

 Dhumr Vilochan Naina, Nishadin Madmati Jai…


 Chand-shunts are destroyed, the sown seeds are green.

 Do Mare Madhu-Katabh, remove the fear of sound Jai…


 Brahmani, Rudrani, you Kamala queen.

 Aagam Nigam Bakhani, you Shiv Patrani Om Jai…


 Sixty-four yogini singing, dancing Bhairu.

 Bajat Tal Mridanga, Aru Bajat Damru Om Jai…


 You are the mother of the world, you are the only one.

 Destroys the sorrow of the devotee, makes happiness and wealth.


 Arms four are very decorated, wearing a mudra.

 > The desired fruit is received, serving male and female Jai…


 Kanchan Thal Virajat, if Kapoor wicks.

 Rajat in Srimalketu, Koti Ratan Jyoti Om Jai…


 Aarti of Shri Ambeji, whoever sings.

 Kahat sivanand swami, get happiness and wealth Jai…

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