नवरात्री के चतुर्थ दिवस मंगलवार 5 अप्रैल आदि शक्ति माँ दुर्गा के कूष्मांडा स्वरूप की उपासना विधि एवं समृद्धि पाने के उपाय
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सुरासम्पूर्णकलशं रूधिराप्लुतमेव च।
दधानाहस्तपद्याभ्यां कुष्माण्डा शुभदास्तु में॥
माँ श्री दुर्गा का चतुर्थ रूप कूष्मांडा हैं। अपनी मन्द हंसी से अपने उदर से अण्ड अर्थात ब्रह्माण्ड को उत्पन्न करने के कारंण इन्हें कूष्माण्डा देवी के नाम से जाना जाता है। संस्कृत भाषा में कूष्माण्ड कूम्हडे को कहा जाता है, कूम्हडे की बलि इन्हें प्रिय है, इस कारण से भी इन्हें कूष्माण्डा के नाम से जाना जाता है। जब सृष्टि नहीं थी और चारों ओर अंधकार ही अंधकार था तब इन्होंने ईषत हास्य से ब्रह्माण्ड की रचना की थी। यह सृष्टि की आदिस्वरूपा हैं और आदिशक्ति भी। इनका निवास सूर्यमंडल के भीतर के लोक में है। सूर्यलोक में निवास करने की क्षमता और शक्ति केवल इन्हीं में है। कुष्मांडा देवी के शरीर की चमक भी सूर्य के समान ही है कोई और देवी देवता इनके तेज और प्रभाव की बराबरी नहीं कर सकतें। माता कुष्मांडा तेज की देवी है इन्ही के तेज और प्रभाव से दसों दिशाओं को प्रकाश मिलता है। कहते हैं की सारे ब्रह्माण्ड की सभी वस्तुओं और प्राणियों में जो तेज है वो देवी कुष्मांडा की देन है।
श्री कूष्मांडा की उपासना से भक्तों के समस्त रोग-शोक नष्ट हो जाते हैं। इनकी आराधना से मनुष्य त्रिविध ताप से मुक्त होता है। माँ कुष्माण्डा सदैव अपने भक्तों पर कृपा दृष्टि रखती है। इनकी पूजा आराधना से हृदय को शांति एवं लक्ष्मी की प्राप्ति होती हैं। इस दिन भक्त का मन ‘अनाहत’ चक्र में स्थित होता है, अतः इस दिन उसे अत्यंत पवित्र और शांत मन से कूष्माण्डा देवी के स्वरूप को ध्यान में रखकर पूजा करनी चाहिए। संस्कृत भाषा में कूष्माण्ड कूम्हडे को कहा जाता है, कूम्हडे की बलि इन्हें प्रिय है, इस कारण भी इन्हें कूष्माण्डा के नाम से जाना जाता है।
माँ कुष्मांडा पूजा विधि
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जो साधक कुण्डलिनी जागृत करने की इच्छा से देवी अराधना में समर्पित हैं उन्हें दुर्गा पूजा के चौथे दिन माता कूष्माण्डा की सभी प्रकार से विधिवत पूजा अर्चना करनी चाहिए फिर मन को ‘अनाहत’ में स्थापित करने हेतु मां का आशीर्वाद लेना चाहिए और साधना में बैठना चाहिए। इस प्रकार जो साधक प्रयास करते हैं उन्हें भगवती कूष्माण्डा सफलता प्रदान करती हैं जिससे व्यक्ति सभी प्रकार के भय से मुक्त हो जाता है और मां का अनुग्रह प्राप्त करता है। अतः इस दिन पवित्र मन से माँ के स्वरूप को ध्यान में रखकर पूजन करना चाहिए। माँ कूष्माण्डा देवी की पूजा से भक्त के सभी रोग नष्ट हो जाते हैं। माँ की भक्ति से आयु, यश, बल और स्वास्थ्य की वृध्दि होती है। इनकी आठ भुजायें हैं इसीलिए इन्हें अष्टभुजा कहा जाता है। इनके सात हाथों में कमण्डल, धनुष, बाण, कमल पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा है। आठवें हाथ में सभी सिध्दियों और निधियों को देने वाली जपमाला है। कूष्माण्डा देवी अल्पसेवा और अल्पभक्ति से ही प्रसन्न हो जाती हैं। यदि साधक सच्चे मन से इनका शरणागत बन जाये तो उसे अत्यन्त सुगमता से परम पद की प्राप्ति हो जाती है। देवी कुष्मांडा का वाहन सिंह है।
दुर्गा पूजा के चौथे दिन देवी कूष्माण्डा की पूजा का विधान उसी प्रकार है जिस प्रकार देवी ब्रह्मचारिणी और चन्द्रघंटा की पूजा की जाती है। इस दिन भी आप सबसे पहले कलश और उसमें उपस्थित देवी देवता की पूजा करें फिर माता के परिवार में शामिल देवी देवता की पूजा करें जो देवी की प्रतिमा के दोनों तरफ विरजामन हैं. इनकी पूजा के पश्चात देवी कूष्माण्डा की पूजा करे: पूजा की विधि शुरू करने से पहले हाथों में फूल लेकर देवी को प्रणाम कर इस मंत्र का ध्यान करें
सुरासम्पूर्णकलशं रूधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे।।
माँ कुष्मांडा शप्तशती मंत्र
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या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
माँ कूष्मांडा का उपासना मंत्र
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कुत्सित: कूष्मा कूष्मा-त्रिविधतापयुत: संसार:, स अण्डे मांसपेश्यामुदररूपायां यस्या: सा कूष्मांडा
माँ कुष्मांडा ध्यान मन्त्र
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वन्दे वांछित कामर्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्। सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्वनीम्॥ भास्वर भानु निभां अनाहत स्थितां चतुर्थ दुर्गा त्रिनेत्राम्। कमण्डलु, चाप, बाण, पदमसुधाकलश, चक्र, गदा, जपवटीधराम्॥ पटाम्बर परिधानां कमनीयां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्। मंजीर, हार, केयूर, किंकिणि रत्नकुण्डल, मण्डिताम्॥ प्रफुल्ल वदनांचारू चिबुकां कांत कपोलां तुंग कुचाम्। कोमलांगी स्मेरमुखी श्रीकंटि निम्ननाभि नितम्बनीम्॥
माँ कुष्मांडा स्तोत्र पाठ
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दुर्गतिनाशिनी त्वंहि दरिद्रादि विनाशनीम्। जयंदा धनदा कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥ जगतमाता जगतकत्री जगदाधार रूपणीम्। चराचरेश्वरी कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥ त्रैलोक्यसुन्दरी त्वंहिदुःख शोक निवारिणीम्। परमानन्दमयी, कूष्माण्डे प्रणमाभ्यहम्॥
माँ कुष्मांडा कवच
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हंसरै में शिर पातु कूष्माण्डे भवनाशिनीम्। हसलकरीं नेत्रेच, हसरौश्च ललाटकम्॥ कौमारी पातु सर्वगात्रे, वाराही उत्तरे तथा,पूर्वे पातु वैष्णवी इन्द्राणी दक्षिणे मम। दिगिव्दिक्षु सर्वत्रेव कूं बीजं सर्वदावतु॥ 4. कूष्मांडा : ब्रह्मांड को उत्पन्न करने की शक्ति प्राप्त करने के बाद उन्हें कूष्मांड कहा जाने लगा। उदर से अंड तक वह अपने भीतर ब्रह्मांड को समेटे हुए है, इसीलिए कूष्मां डा कहलाती है।
माँ कुष्मांडा पौरिणीक कथा
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दुर्गा सप्तशती के कवच में वर्णन है की
कुत्सित: कूष्मा कूष्मा-त्रिविधतापयुत: संसार:, स अण्डे मांसपेश्यामुदररूपायां यस्या: सा कूष्मांडा।
वह देवी जिनके उदर में त्रिविध तापयुक्त संसार स्थित है वह कूष्माण्डा हैं। देवी कूष्माण्डा इस चराचार जगत की अधिष्ठात्री हैं। जब सृष्टि की रचना नहीं हुई थी उस समय अंधकार का साम्राज्य था। देवी कुष्मांडा जिनका मुखमंड सैकड़ों सूर्य की प्रभा से प्रदिप्त है उस समय प्रकट हुई उनके मुख पर बिखरी मुस्कुराहट से सृष्टि की पलकें झपकनी शुरू हो गयी और जिस प्रकार फूल में अण्ड का जन्म होता है उसी प्रकार कुसुम अर्थात फूल के समान मां की हंसी से सृष्टि में ब्रह्मण्ड का जन्म हुआ। इस देवी का निवास सूर्यमण्डल के मध्य में है और यह सूर्य मंडल को अपने संकेत से नियंत्रित रखती हैं।
देवी कूष्मांडा अष्टभुजा से युक्त हैं अत: इन्हें देवी अष्टभुजा के नाम से भी जाना जाता है। देवी अपने इन हाथों में क्रमश: कमण्डलु, धनुष, बाण, कमल का फूल, अमृत से भरा कलश, चक्र तथा गदा है। देवी के आठवें हाथ में बिजरंके (कमल फूल का बीज) का माला है है, यह माला भक्तों को सभी प्रकार की ऋद्धि सिद्धि देने वाला है। देवी अपने प्रिय वाहन सिंह पर सवार हैं। जो भक्त श्रद्धा पूर्वक इस देवी की उपासना दुर्गा पूजा के चौथे दिन करता है उसके सभी प्रकार के कष्ट रोग, शोक का अंत होता है और आयु एवं यश की प्राप्ति होती है।
माँ कुष्मांडा उपासना के साथ धन अर्जित करने का मंत्र
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मंत्र (१) 👉 ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालेय प्रसीद प्रसीद
श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नम :
मंत्र (२)👉 दुर्गे स्मृता हरसिभीतिमशेष जन्तो : स्वस्थ्याई :
स्मृता मति मतीव शुभाम ददासि
लक्ष्मी प्राप्ति के आसन उपाय
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उपाय (१)👉 पान में गुलाब की सात पंखुड़ियां रखें और पान को देवी जी को चढ़ा दें आप को धन की प्राप्ति होगी।
उपाय (२)👉 गुलाब की फूल में कपूर का टुकड़ा रखें शाम के समय फूल में एक कपूर जला दें और फूल देवी को चढ़ा दें l इससे आपको अचानक धन मिल सकता है।
उपाय (३)👉 चौदह मुखी रुद्राक्ष सोने में जड़वा कर किसी पत्र में लाल फूल बिछाकर उस पर रखें दूध, दही, घी ,मधु ,और गंगाजल से स्नान कराएँ l धूप दीप से पूजा करके धारण करें।
उपाय (४)👉 इमली के पेड़ की डाल काट कर घर में रखें या धन रखने की स्थान पर रखें तो धन की वृद्धि होगी।
उपाय (५)👉 एक नारियल और उसके साथ एक लाल फूल ,एक पीला ,एक नीला फूल और सफ़ेद फूल माँ को चढ़ाएं …नवमी के दिन ये फूल नदी में बहा दें और नारियल को लाल कपडे में लपेट कर तिजोरी में रखें माँ प्राराब्ध काटेगी अखण्ड लक्ष्मी की प्राप्ति होगी।
प्रयासों के बावजूद भी मनोनुकूल सफलता नहीं मिल रही हो तो यह उपाय करें
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सम्पूर्ण परिश्रम, प्रयास और कठिन महनत के बावजूद बदनामी का सामना करना पड़ रहा हो, समाज में जग हसाई हो रही हो, व्यापार वृद्धि के लिए किए गए सम्पूर्ण प्रयास विफल हो रहे हो, तो आज का दिन उन लोगों के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है। चार कुम्हड़े (काशीफल या कद्दे), चौकी पर लाल कपड़ा बिछा कर इन सबको उसे पर रख दें। धूप, दीप, नेवैद्य, पुष्प अर्पित करने के बाद पांच मालाॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामूण्डाय विच्चेॐ कूष्माण्डा देव्यै नम:, एक माला ॐ शं शनैश्चराय नम: की जाप करें। तत्पश्चात इनको अपने ऊपर से 11 बार उसार लें, उसारने के बाद छोटे-छोटे टुकड़े करके किसी तालाब में डाल दें। सभी प्रकार के कष्ट से मुक्ति मिल सकती है।
माँ कुष्मांडा जी की आरती
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ॐ जय माँ कुष्मांडाचौथ जब नवरात्र हो, कुष्मांडा को ध्याते।
जिसने रचा ब्रह्माण्ड यह, पूजन है करवाते।।
ॐ जय माँ कुष्मांडा
आद्यशक्ति कहते जिन्हें, अष्टभुजी है रूप।
इस शक्ति के तेज से, कही छाँव कही धुप।।
ॐ जय माँ कुष्मांडा
कुम्हड़े की बलि करती है, तांत्रिक से स्वीकार।
पेठे से भी रजति, सात्विक करे विचार।।
ॐ जय माँ कुष्मांडा
क्रोधित जब हो जाए, यह उल्टा करे व्यवहार।
उसको रखती दूर माँ, देती दुःख अपार।।
ॐ जय माँ कुष्मांडा
सूर्य चंद्र की रौशनी, यह जग में फैलाये।
शरणागत में आया, माँ तू ही राह दिखाये।।
ॐ जय माँ कुष्मांडा।
माँ दुर्गा की आरती
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जय अंबे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ॥ ॐ जय…
मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को ।
उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको ॥ ॐ जय…
कनक समान कलेवर, रक्तांबर राजै ।
रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै ॥ ॐ जय…
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी ।
सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी ॥ ॐ जय…
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती ।
कोटिक चंद्र दिवाकर, राजत सम ज्योती ॥ ॐ जय…
शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती ।
धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती ॥ॐ जय…
चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे ।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भय दूर करे ॥ॐ जय…
ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी ।
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ॥ॐ जय…
चौंसठ योगिनी गावत, नृत्य करत भैंरू ।
बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू ॥ॐ जय…
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता ।
भक्तन की दुख हरता, सुख संपति करता ॥ॐ जय…
भुजा चार अति शोभित, वरमुद्रा धारी ।
>मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी ॥ॐ जय…
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती ।
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती ॥ॐ जय…
श्री अंबेजी की आरति, जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपति पावे ॥ॐ जय…
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English Translation :-
On the fourth day of Navratri, Tuesday, April 5, worship method of Kushmanda form of Adi Shakti Maa Durga and ways to get prosperity
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Surasampurnakalasham Rudhiraplutmev Ch.
Dadhanahastapadyaabhyam in Kushmanda Shubhadastu.
Kushmanda is the fourth form of Maa Shri Durga. She is known as Kushmanda Devi because of her soft laughter producing the egg from her abdomen, that is, the universe. In the Sanskrit language, Kushmanda is called Kumhade, the sacrifice of Kumhade is dear to her, for this reason she is also known as Kushmanda. When there was no creation and there was darkness all around, then he created the universe with godly humor. She is the original form of the universe and also the original power. Their abode is in the inner world of the solar system. He alone has the ability and power to reside in the sun-lok. The brightness of the body of Kushmanda Devi is similar to that of the Sun; no other deity can match her brilliance and influence. Mata Kushmanda is the goddess of radiance, due to her brilliance and influence, the ten directions get light. It is said that the brightness of all the objects and beings of the entire universe is the gift of Goddess Kushmanda.
Worshiping Shri Kushmanda destroys all the diseases and sorrows of the devotees. By worshiping him, man is freed from the threefold heat. Maa Kushmanda always keeps an eye on her devotees. Worshiping them brings peace to the heart and Lakshmi. On this day the devotee's mind is situated in the 'Anahata' chakra, so on this day he should worship with a very pure and calm mind keeping in mind the form of Goddess Kushmanda. In Sanskrit language, Kushmanda is called Kumhade, Kumhade's sacrifice is dear to her, that is why she is also known as Kushmanda.
Maa Kushmanda Puja Vidhi
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Those seekers who are devoted to Goddess worship with the desire to awaken Kundalini, they should worship Mother Kushmanda in all respects on the fourth day of Durga Puja, then seek the blessings of the mother to establish the mind in 'Anahata' and sit in meditation. . In this way, Bhagwati Kushmanda gives success to the seekers who make efforts, due to which the person becomes free from all kinds of fear and gets the grace of the mother. Therefore, on this day worship should be done with a pure heart keeping in mind the nature of the mother. Worshiping Goddess Kushmanda destroys all the diseases of the devotee. Devotion to the mother increases life, fame, strength and health. He has eight arms that is why he is called Ashtabhuja. In his seven hands, he holds a kamandal, a bow, an arrow, a lotus flower, a nectar-filled urn, a chakra and a mace. In the eighth hand there is a rosary giving all the achievements and wealth. Kushmanda Devi becomes pleased only by little service and little devotion. If a seeker becomes a devotee of Him with a sincere heart, then he attains the supreme position very easily. The vehicle of Goddess Kushmanda is a lion.
The ritual of worshiping Goddess Kushmanda on the fourth day of Durga Puja is similar to that of Goddess Brahmacharini and Chandraghanta. On this day also you should first worship the Kalash and the deity present in it, then worship the deity included in the family of the mother who is sitting on both sides of the idol of the goddess. Worship Goddess Kushmanda after worshiping her: Before starting the method of worship, meditate on this mantra by taking flowers in hands and bowing to the goddess.
Surasampurnakalasham Rudhiraplutmev Ch.
In Dadhana Hastapadmabhayam Kushmanda Shubhadastu.
Maa Kushmanda Shaptashati Mantra
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Or Goddess Sarvabhuteshu Maa Kushmanda Rupena Sanstha. Namasthasai Namasthasai Namasthasai Namo Namah.
Worship Mantra of Maa Kushmanda
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Sick: Kushma Kushma-trividhatapayut: world:, sa egg muscle, mudarrupayan yasya: sa kushmanda
Maa Kushmanda Meditation Mantra
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Vande desired Kamarthe Chandraghakrit Shekram. Sinhrudha Octabhuja Kushmanda Yashaswanim॥ Bhaswar Bhanu Nibhana Anahata Situation Fourth Durga Trinetram. Kamandalu, arc, arrow, padmasudhakalash, chakra, mace, japvatidharam. Patamber costumes kameniya softhusya nanalankar bhushitam. Manjir, Necklace, Keyur, Kinkini Ratna Kundal, Manditam Prafulla Vadanancharu Chibukan Kant Kapolan Tung Kucham. Komalangi Smermukhi Shrikanti Lownabhi Nitambanim॥
Maa Kushmanda Stotra Text
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Durgatinashini tvahi pooridradi vinashnim. Jayanda Dhanada Kushmande Pranammayam Jagadmata Jagatkatri Jagadadhar Roopanim. Charachareshwari Kushmande Pranammayam Trailokyasundari tavanhidukh shoka nivarinim. Paramanandmayi, Kushmande Pranamabhyaham
Maa Kushmanda Kavach
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Shir Patu Kushmande Bhavanashinim in Hansrai. Hasalkarin Netrech, Hasrausch Latakam. Kaumari Patu Sarvagatre, Varahi Uttare and Poorve Patu Vaishnavi Indrani Dakshine Mama. Digivdikshu sarvatreva koon bijam sarvadavatu॥ 4. Kushmanda: After attaining the power to create the universe, she came to be called Kushmanda. From the abdomen to the egg, she contains the universe within herself, that is why she is called Kushma Da.
mother kushmanda legend
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It is described in the armor of Durga Saptashati that
Kusit: Kushma Kushma-trividhatapayut: world:, sa eggs, flesh muscles, yasya: sa kushmanda.
The goddess in whose abdomen the threefold world of heat is situated is Kushmanda. Goddess Kushmanda is the presiding deity of this pastoral world. When the universe was not created, at that time there was a kingdom of darkness. Goddess Kushmanda, whose face is illuminated by the effulgence of hundreds of suns, appeared at that time, with the smile scattered on her face, the eyes of the universe started blinking and just as an egg is born in a flower, similarly Kusum means the creation of the mother's laughter like a flower. Brahmanda was born in The abode of this goddess is in the middle of the Suryamandal and she controls the Surya Mandal with her signs.
Goddess Kushmanda is endowed with Ashtabhuja, hence she is also known as Goddess Ashtabhuja. The goddess holds a kamandalu, a bow, an arrow, a lotus flower, an urn filled with nectar, a chakra and a mace in her hands respectively. In the eighth hand of the Goddess, there is a garland of Bijaranke (seed of lotus flower), this garland is supposed to give all kinds of Riddhi Siddhi to the devotees. Devi is riding on her favorite vehicle, a lion. The devotee who worships this goddess with reverence on the fourth day of Durga Puja ends all kinds of suffering, disease, grief and attains life and fame.
Mantra to earn money with Maa Kushmanda worship
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Mantra (1)
Sri Hrim Shree Mahalakshmyai Namah:
Mantra (2): Durga Smrita Harsibhitimshesh Janto: Healthy:
Smrita matiev shubham dadasi
Asana remedies to attain Lakshmi
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Remedy (1) Keep seven petals of rose in the paan and offer the paan to the goddess, you will get wealth.
Remedy (2): Place a piece of camphor in a rose flower, burn a camphor in the flower in the evening and offer the flower to the goddess. This can give you sudden wealth.
Remedy (3) : Putting fourteen Mukhi Rudraksh in gold, spread red flowers in a letter and place it on it, take a bath with milk, curd, ghee, honey, and Gangajal. Worship with incense lamp and wear it.
Remedy (4): Cut the branch of the tamarind tree and keep it in the house or keep it at the place of keeping money, then there will be an increase in wealth.
Remedy (5): Offer a coconut and a red flower, a yellow, a blue flower and a white flower with it to the mother. Akhand Lakshmi will be attained.
Despite your efforts, you are not getting desired success, then do this remedy.
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Despite all the hard work, effort and hard work, if you are facing infamy, the society is getting laughed, all the efforts made for the growth of business are failing, then today is a very important day for those people. Put four pots (Kashifal or Kadda), red cloth on the post and keep them all on it. After offering incense, lamp, nevaidya and flowers, chant five rounds of 'Aim Hreem Klein Chamundaya Vichhe' Kushmanda Devyai Namah, one round 'Om Shanaishcharaya Namah'. After that take them 11 times from above you, after pouring them into small pieces and put them in a pond. One can get rid of all kinds of suffering.
Aarti of Maa Kushmanda Ji
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Jai Maa Kushmanda Chauth When it is Navratri, meditate on Kushmanda.
The one who created this universe, gets the worship done.
Jai Maa Kushmanda
What is called Adishakti, is octagonal form.
With the power of this power, there is some shade and some sunshine.
Jai Maa Kushmanda
She sacrifices the pot, accepts it from the tantrik.
Even more silver than petha, think sattvik.
Jai Maa Kushmanda
When angry, behave in reverse.
Mother keeps him away, gives immense sorrow.
Jai Maa Kushmanda
Spread the light of Sun and Moon in the world.
Came to take refuge, mother you show me the way.
Jai Maa Kushmanda.
Aarti of Maa Durga
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Jai Ambe Gauri, Maya Jay Shyama Gauri.
Nishdin Dhayavat to you, Hari Brahma Shivri. Jay…
Demand vermilion, tiko to mrigmad.
Dou Naina from Ujjwal, Chandravadan Niko Jay…
Like Kanak, Raktambara Rajai.
Raktpushpa gal garland, like this on the throat. Jay…
Kehri vehicle Rajat, Khadg Khappar stripe.
Sur-Nar-Munijan Sevat, straws are sad. Jay…
Kanan coil adorned, nasagray pearls.
Kotik Chandra Diwakar, Rajat Sam Jyoti. Jay…
Shumbha-Nishumbha bidare, Mahishasur Ghati.
Dhumr Vilochan Naina, Nishadin Madmati Jai…
Chand-shunts are destroyed, the sown seeds are green.
Do Mare Madhu-Katabh, remove the fear of sound Jai…
Brahmani, Rudrani, you Kamala queen.
Aagam Nigam Bakhani, you Shiv Patrani Om Jai…
Sixty-four yogini singing, dancing Bhairu.
Bajat Tal Mridanga, Aru Bajat Damru Om Jai…
You are the mother of the world, you are the only one.
Destroys the sorrow of the devotee, makes happiness and wealth.
Arms four are very decorated, wearing a mudra.
> The desired fruit is received, serving male and female Jai…
Kanchan Thal Virajat, if Kapoor wicks.
Rajat in Srimalketu, Koti Ratan Jyoti Om Jai…
Aarti of Shri Ambeji, whoever sings.
Kahat sivanand swami, get happiness and wealth Jai…
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