वैशाखी/मेष संक्रांति (14.04.2022)
वैदिक ज्योतिष मे सौर मास पद्धति के अनुसार बैसाखी का त्यौहार वैशाख मास, सूर्य के मेष राशि मे प्रवेश अर्थात 'मेष संक्रांति' के दिन आता है ।
अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, बैसाखी की तारीख हर साल 13 अप्रैल को आता है, परंतु हर 36 साल में एक बार मेष सक्रांति 14 अप्रैल को आती है। यह बदलाव भारतीय सौर कैलेंडर के अनुसार मनाए जाने वाले त्यौहार के कारण है। साल 2022 में बैसाखी 14 अप्रैल को मनाई जायेगी।
वैशाख मास की संक्रांति के दिन होने की वजह से इस त्यौहार को 'बैसाखी' या 'वैशाखी' भी कहा जाता है। बैसाखी पर्व को पंजाब राज्य मे पंजाबी नववर्ष के रूप मे भी मनाये जाने की परंपरा है।
वैशाख का आगमन प्रकृत्ति के परिवर्तन को दर्शाता है । बैसाखी पर्व विशेष रुप से किसानो का पर्व है । भारत के उत्तरी प्रदेशो विशेष कर पंजाब में इस दिन किसानो की गेहूँ की फसल पक कर तैयार हो जाती है । बैसाखी का त्यौहार, फसल त्यौहार, नए वसंत की शुरुआत होने की खुशी मे बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है । यह त्यौहार भारत में फसल के मौसम के अंत का प्रतीक है, जो किसानों के लिए समृद्धि का समय है।
इस के अतिरिक्त वैशाखी का त्यौहार सर्दियों की समाप्ति और गर्मीयों के आरंभ का भी आगमन दर्शाता है । अत: इन्ही कारणो के आधार पर लोक परंपरा धर्म और प्रकृति के परिवर्तन से जुडा़ यह समय बैसाखी पर्व की महत्ता को दर्शता है ।
यह त्यौहार पश्चिम बंगाल में पोहेला बोइशाख, तमिलनाडु में पुथंडु, असम में बोहाग बिहु, पूरामुद्दीन केरल, उत्तराखंड में बिहू, ओडिशा में महा विष्णु संक्रांति और आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में उगादी के रूप में मनाया जाता है।
बैसाखी का इतिहास:-
1. बैसाखी उन तीन त्योहारों में से एक थी, जिन्हें सिखों के तीसरे गुरु, गुरु अमर दास ने मनाया था।
2. 1699 में, नौवें सिख गुरु, गुरु तेग बहादुर सिंह जी मुगलों द्वारा सार्वजनिक रूप से सिर कलम किए गए थे।
3. वैशाखी के दिन ही सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी ने धार्मिक उत्पीड़न के मद्देनजर एक सभा में खालसा पंथ या शुद्ध आदेशों की स्थापना की थी। उन्होंने सिख धर्म के पाँच मुख्य प्रतीकों को अपनाया गया था और गुरु प्रणाली को हटा दिया गया था, जिसमें सिखों से ग्रन्थ साहिब को शाश्वत मार्गदर्शक के रूप में स्वीकार करने का आग्रह किया गया था।
इस प्रकार, बैसाखी का त्यौहार अंतिम सिख गुरु, गुरु गोबिंद सिंह के राज्याभिषेक के साथ-साथ सिख धर्म के खालसा पंथ की नींव के रूप में मनाया जाता है,
वैशाखी पर्व का उत्सव:-
बैसाखी पर्व एक लोक परंपरागत त्यौहार है । इस दिन किसान गेहूँ की कुछ बालियां अग्नि देव के समक्ष अर्पण करते हैं तथा कुछ भाग प्रसाद के रुप सभी लोगों को दिया जाता है ।
इस पर्व पर पंजाब के लोग परंपरा के अनुसार भांगडा तथा गिद्धा नृत्य करते हैं ।
बैसाखी का त्यौहार पर्व नये संवत की शुरुआत का दिन होता है । अप्रैल माह के 13 या 14 तारीख को जब सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है तब वह समय पंजाब के नव वर्ष का दिन होता है । इस दिन से नये संवत की शुरुआत होती है । कई जगह व्यापारी लोग आज के दिन नये वस्त्र धारण करके अपने बहीखातों का आरम्भ करते हैं ।
इस दिन लोग सुगंधित पकवान बनाकर एक दूसरे को बधाई देते हैं ।
इस दिन दुर्गा माता जी तथा शंकर भगवान की पूजा होती है ।
यह पर्व सभी शिक्षा संस्थानों में बडी़ धूमधाम से मनाया जाता है । इस दिन विद्यार्थीयों द्वारा कई रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किये जाते है और प्रतिभावान विद्यार्थीयों को पुरस्कार बांटे जाते हैं ।
सिख धर्म की मान्यता अनुसार वैसाखी मनाने का तरीका:-
1. वैसाखी के दिन प्रातः स्नानादि के उपरांत गुरूद्वारे में जाकर माथा टेककर प्रार्थना करते हैं।
2. गुरुद्वारे में गुरुग्रंथ साहिब जी के स्थान को जल और दूध से शुद्ध किया जाता है।
3. उसके बाद पवित्र पुस्तक को सम्मानपूर्वक उसके स्थान पर रखा जाता है।
4. फिर गुरू ग्रंथ साहिब का पाठ किया जाता है और अनुयायी ध्यानपूर्वक गुरू की वाणी सुनते हैं।
5. इस दिन श्रद्धालुयों के लिए विशेष प्रकार का अमृत तैयार किया जाता है जो बाद में प्रसाद रूप मे ग्रहण किया जाता है।
6. परंपरा के अनुसार, अनुयायी एक पंक्ति में लगकर अमृत को पाँच बार ग्रहण करते हैं।
7. अपराह्न में अरदास के बाद प्रसाद को गुरू को चढ़ाकर अनुयायियों में वितरित की जाती है।
8. अंत में लोग लंगर चखते हैं।
(समाप्त)
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आगामी लेख:-
1. 14 अप्रैल से दो भागों मे "हनुमान जयंती" पर लेख।
2. 16 अप्रैल को "वैशाख मास" पर लेख।
3. 17 अप्रैल से धारावाहिक लेख "वास्तुशास्त्र" के आगामी भागो का प्रकाशन।
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जय श्री राम
आज का पंचांग,दिल्ली 🌹🌹🌹
बुधवार,13.4.2022
श्री संवत 2079
शक संवत् 1944
सूर्य अयन- उत्तरायण, गोल-उत्तर गोल
ऋतुः- वसन्त ऋतुः ।
मास- चैत्र मास।
पक्ष- शुक्ल पक्ष ।
तिथि-द्वादशी तिथि अगले दिन 4:52 am तक
चंद्रराशि- चंद्र सिंह राशि मे।
नक्षत्र- मघा नक्षत्र 9:37 am तक
योग- गण्ड योग 11:14 am तक (अशुभ है)
करण- बव करण 5:03 pm तक
सूर्योदय- 5:58 am, सूर्यास्त 6:45 pm
अभिजित् नक्षत्र- कोई नहीं
राहुकाल - 12:22 pm से 1:57 pm* (शुभ कार्य वर्जित,दिल्ली )
दिशाशूल- उत्तर दिशा।
अप्रैल शुभ दिन:- 13, 14, 15, 16 (दोपहर 1 उपरांत), 17, 19 (सायं. 5 उपरांत), 21, 22 (सवेरे 9 तक), 24, 25 (दोपहर 2 तक), 26, 27 (सायं. 6 तक)
अप्रैल अशुभ दिन:- 18, 20, 23, 28, 29, 30.
गण्ड मूल आरम्भ:-
अश्लेषा नक्षत्र, 11 अप्रैल 6:51 am से 13 अप्रैल -मघा नक्षत्र 9:37 am तक गंडमूल रहेगें। गंडमूल नक्षत्रों मे जन्म लेने वाले बच्चो का मूलशांति पूजन आवश्यक है।
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आगामी व्रत तथा त्यौहार:-
14 अप्रैल- प्रदोष व्रत/मेष संक्रांति। 16 अप्रैल- हनुमान जयंती/चैत्र पूर्णिमा व्रत। 19 अप्रैल- संकष्टी चतुर्थी। 26 अप्रैल-वरुथिनी एकादशी। 28 अप्रैल- प्रदोष व्रत। 29 अप्रैल- मासिक शिवरात्रि। 30 अप्रैल- वैशाख अमावस्या।
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आपका दिन मंगलमय हो . 💐💐💐
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English Translation :-
Vaisakhi/Aries Sankranti (14.04.2022)
According to the Solar Month system in Vedic astrology, the festival of Baisakhi comes on the day of Vaishakh month, the entry of the Sun into Aries sign i.e. 'Aries Sankranti'.
According to the English calendar, the date of Baisakhi falls on April 13 every year, but once every 36 years, Aries Sankranti falls on April 14. This change is due to the festival being celebrated according to the Indian solar calendar. In the year 2022, Baisakhi will be celebrated on 14 April.
This festival is also called 'Baisakhi' or 'Vaisakhi' due to it being on the solstice of Vaishakh month. There is a tradition of celebrating Baisakhi festival as Punjabi New Year in the state of Punjab.
The arrival of Vaishakh signifies the change of nature. Baisakhi festival is especially the festival of farmers. On this day in the northern regions of India, especially in Punjab, the wheat crop of the farmers is ready. The festival of Baisakhi, the harvest festival, is celebrated with great enthusiasm to mark the beginning of a new spring. The festival marks the end of the harvest season in India, a time of prosperity for farmers.
Apart from this, the festival of Vaisakhi also marks the end of winter and the beginning of summer. Therefore, on the basis of these reasons, this time associated with the change of folk tradition, religion and nature shows the importance of Baisakhi festival.
This festival is celebrated as Pohela Boishakh in West Bengal, Puthandu in Tamil Nadu, Bohag Bihu in Assam, Pooramuddin Kerala, Bihu in Uttarakhand, Maha Vishnu Sankranti in Odisha and Ugadi in Andhra Pradesh and Karnataka.
History of Baisakhi:-
1. Baisakhi was one of the three festivals celebrated by the third Guru of the Sikhs, Guru Amar Das.
2. In 1699, the ninth Sikh Guru, Guru Tegh Bahadur Singh Ji was publicly beheaded by the Mughals.
3. It was on the day of Vaisakhi that the tenth Guru of the Sikhs, Guru Gobind Singh Ji founded the Khalsa Panth or the Pure Orders in a gathering in the wake of religious persecution. He adopted the five main symbols of Sikhism and removed the guru system, urging Sikhs to accept the Granth Sahib as the eternal guide.
Thus, the festival of Baisakhi marks the coronation of the last Sikh Guru, Guru Gobind Singh, as well as the foundation of the Khalsa Panth of Sikhism,
Celebration of Vaisakhi festival:-
Baisakhi festival is a folk traditional festival. On this day farmers offer some earrings of wheat to the god of fire and some part is given to all the people as prasad.
On this festival the people of Punjab perform Bhangra and Giddha dances as per the tradition.
The festival of Baisakhi is the day of the beginning of the new era. On the 13th or 14th of April, when the Sun enters Aries, then that time is the day of Punjab's New Year. New Samvat begins from this day. In many places, merchants start their books by wearing new clothes on this day.
On this day people greet each other by making fragrant dishes.
Goddess Durga and Lord Shankar are worshiped on this day.
This festival is celebrated with great pomp in all educational institutions. On this day many colorful programs are presented by the students and prizes are distributed to the meritorious students.
The way of celebrating Vaisakhi according to the belief of Sikhism:-
1. On the day of Vaisakhi, after taking bath in the morning, go to the Gurudwara and pray by bowing your head.
2. The place of Guru Granth Sahib in the Gurudwara is purified with water and milk.
3. The holy book is then respectfully placed in its place.
4. The Guru Granth Sahib is then recited and the followers listen attentively to the Guru's voice.
5. A special type of nectar is prepared for the devotees on this day, which is later taken as prasad.
6. According to tradition, the followers take the nectar five times in a row.
7. In the afternoon, after Ardas, Prasad is offered to the Guru and distributed among the followers.
8. In the end people taste the langar.
(End)
Next article:-
1. Article on "Hanuman Jayanti" in two parts from 14th April.
2. Article on "Vaisakh month" on 16 April.
3. Publication of upcoming parts of serial article "Vastu Shastra" from 17th April.
Long live Rama
Today's Panchang, Delhi
Wednesday, 13.4.2022
Shree Samvat 2079
Shaka Samvat 1944
Surya Ayan- Uttarayan, Round-North Round
Rituah - the spring season.
Month - Chaitra month.
Paksha - Shukla Paksha.
Tithi-Dwadashi date till 4:52 am the next day
Moon sign - Moon in Leo.
Nakshatra- Magha Nakshatra till 9:37 am
Yoga- Ganda Yoga till 11:14 am (inauspicious)
Karan- Bav Karan till 5:03 pm
Sunrise- 5:58 am, Sunset 6:45 pm
Abhijit Nakshatra - none
Rahukaal - 12:22 pm to 1:57 pm* (Good work prohibited, Delhi)
Direction – North direction.
April Lucky Days:- 13, 14, 15, 16 (after 1 pm), 17, 19 (after 5 pm), 21, 22 (till 9 am), 24, 25 (till 2 pm), 26, 27 ( till 6 p.m.)
April inauspicious days:- 18, 20, 23, 28, 29, 30.
Gand Mool Aarambh:-
Ashlesha Nakshatra, April 11 from 6:51 am to April 13 - Magha Nakshatra will remain Gandmool from 9:37 am. Children born in Gandmool constellations need to worship Moolshanti.
Upcoming fasts and festivals:-
April 14 - Pradosh fast / Aries Sankranti. April 16 - Hanuman Jayanti / Chaitra Purnima Vrat. April 19 - Sankashti Chaturthi. April 26 - Varuthini Ekadashi. April 28 - Pradosh fast. April 29 - Monthly Shivratri. April 30 - Vaishakh Amavasya.
Special:- The person who lives outside Varanasi or outside the country, he can get astrological consultation by phone, by paying the consultation fee through Paytm or Bank transfer for astrological consultation.
Have a good day .
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