09 अप्रैल 2022

नवरात्री के आठवें दिन शनिवार ता० 9 अप्रैल को आदि शक्ति माँ दुर्गा के महागौरी स्वरूप की उपासना विधि।। Worship method of Mahagauri form of Adi Shakti Maa Durga on Saturday, 9th April, the eighth day of Navratri


नवरात्री के आठवें दिन शनिवार ता० 9 अप्रैल को आदि शक्ति माँ दुर्गा के महागौरी स्वरूप की उपासना विधि
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माँ महागौरी स्वरूप एवं पौरिणीक महात्म्य
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श्वेत वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बर धरा शुचि:। महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥

माँ दुर्गा का अष्टम रूप महागौरी हैं। महागौरी की चार भुजाएं हैं उनकी दायीं भुजा अभय मुद्रा में हैं और नीचे वाली भुजा में त्रिशूल शोभता है। बायीं भुजा में डमरू डम डम बज रही है और नीचे वाली भुजा से देवी गौरी भक्तों की प्रार्थना सुनकर वरदान देती हैं। जो स्त्री इस देवी की पूजा भक्ति भाव सहित करती हैं उनके सुहाग की रक्षा देवी स्वयं करती हैं। कुंवारी लड़की मां की पूजा करती हैं तो उसे योग्य पति प्राप्त होता है। पुरूष जो देवी गौरी की पूजा करते हैं उनका जीवन सुखमय रहता है देवी उनके पापों को जला देती हैं और शुद्ध अंत:करण देती हैं। मां अपने भक्तों को अक्षय आनंद और तेज प्रदान करती हैं। इनका वर्ण पूर्णतः गौर है, इसलिए ये महागौरी कहलाती हैं। नवरात्रि के अष्टम दिन इनका पूजन किया जाता है। इनकी उपासना से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं। माँ महागौरी की आराधना से किसी प्रकार के रूप और मनोवांछित फल प्राप्त किया जा सकता है। उजले वस्त्र धारण किये हुए महादेव को आनंद देवे वाली शुद्धता मूर्ती देवी महागौरी मंगलदायिनी हों।

 इनका वर्ण पूर्णतः गौर है। इस गौरता की उपमा शंख, चन्द्र और कून्द के फूल की गयी है। इनकी आयु आठ वर्ष बतायी गयी है। इनका दाहिना ऊपरी हाथ में अभय मुद्रा में और निचले दाहिने हाथ में त्रिशूल है। बांये ऊपर वाले हाथ में डमरू और बांया नीचे वाला हाथ वर की शान्त मुद्रा में है। पार्वती रूप में इन्होंने भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। इन्होंने प्रतिज्ञा की थी कि व्रियेअहं वरदं शम्भुं नान्यं देवं महेश्वरात्। गोस्वामी तुलसीदास के अनुसार इन्होंने शिव के वरण के लिए कठोर तपस्या का संकल्प लिया था जिससे इनका शरीर काला पड़ गया था। इनकी तपस्या से प्रसन्न होकर जब शिव जी ने इनके शरीर को पवित्र गंगाजल से मलकर धोया तब वह विद्युत के समान अत्यन्त कांतिमान गौर हो गया, तभी से इनका नाम गौरी पड़ा।
महागौरी आदी शक्ति हैं इनके तेज से संपूर्ण विश्व प्रकाश-मान होता है इनकी शक्ति अमोघ फलदायिनी हैम माँ महागौरी की अराधना से भक्तों को सभी कष्ट दूर हो जाते हैं तथा देवी का भक्त जीवन में पवित्र और अक्षय पुण्यों का अधिकारी बनता है।

दुर्गा सप्तशती में शुभ निशुम्भ से पराजित होकर गंगा के तट पर जिस देवी की प्रार्थना देवतागण कर रहे थे वह महागौरी हैं। देवी गौरी के अंश से ही कौशिकी का जन्म हुआ जिसने शुम्भ निशुम्भ के प्रकोप से देवताओं को मुक्त कराया। यह देवी गौरी शिव की पत्नी हैं यही शिवा और शाम्भवी के नाम से भी पूजित होती हैं।

माँ महागौरी पूजा विधि
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नवरात्रे के दसों दिन कुवारी कन्या भोजन कराने का विधान है परंतु अष्टमी के दिन का विशेष महत्व है। इस दिन महिलाएं अपने सुहाग के लिए देवी मां को चुनरी भेंट करती हैं। देवी गौरी की पूजा का विधान भी पूर्ववत है अर्थात जिस प्रकार सप्तमी तिथि तक आपने मां की पूजा की है उसी प्रकार अष्टमी के दिन भी देवी की पंचोपचार सहित पूजा करें। देवी का ध्यान करने के लिए दोनों हाथ जोड़कर इस मंत्र का उच्चारण करें👇

सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि। सेव्यामाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥

महागौरी रूप में देवी करूणामयी, स्नेहमयी, शांत और मृदुल दिखती हैं।देवी के इस रूप की प्रार्थना करते हुए देव और ऋषिगण कहते हैं

   माँ महागौरी के मंत्र
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1👉 श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।

2👉 या देवी सर्वभू‍तेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

माँ महागौरी ध्यान
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वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा महागौरी यशस्वनीम्॥
पूर्णन्दु निभां गौरी सोमचक्रस्थितां अष्टमं महागौरी त्रिनेत्राम्।
वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर, हार, केयूर किंकिणी रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वंदना पल्ल्वाधरां कातं कपोलां त्रैलोक्य मोहनम्।
कमनीया लावण्यां मृणांल चंदनगंधलिप्ताम्॥

माँ महागौरी स्तोत्र पाठ
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सर्वसंकट हंत्री त्वंहि धन ऐश्वर्य प्रदायनीम्।
ज्ञानदा चतुर्वेदमयी महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥
सुख शान्तिदात्री धन धान्य प्रदीयनीम्।
डमरूवाद्य प्रिया अद्या महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥
त्रैलोक्यमंगल त्वंहि तापत्रय हारिणीम्।
वददं चैतन्यमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥

माँ महागौरी कवच
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ओंकारः पातु शीर्षो मां, हीं बीजं मां, हृदयो।
क्लीं बीजं सदापातु नभो गृहो च पादयो॥
ललाटं कर्णो हुं बीजं पातु महागौरी मां नेत्रं घ्राणो।
कपोत चिबुको फट् पातु स्वाहा मा सर्ववदनो॥

 माँ महागौरी की कथा
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देवी पार्वती रूप में इन्होंने भगवान शिव को पति-रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी, एक बार भगवान भोलेनाथ ने पार्वती जी को देखकर कुछ कह देते हैं। जिससे देवी के मन का आहत होता है और पार्वती जी तपस्या में लीन हो जाती हैं। इस प्रकार वषों तक कठोर तपस्या करने पर जब पार्वती नहीं आती तो पार्वती को खोजते हुए भगवान शिव उनके पास पहुँचते हैं वहां पहुंचे तो वहां पार्वती को देखकर आश्चर्य चकित रह जाते हैं। पार्वती जी का रंग अत्यंत ओजपूर्ण होता है, उनकी छटा चांदनी के सामन श्वेत और कुन्द के फूल के समान धवल दिखाई पड़ती है, उनके वस्त्र और आभूषण से प्रसन्न होकर देवी उमा को गौर वर्ण का वरदान देते हैं।

एक कथा अनुसार भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए देवी ने कठोर तपस्या की थी जिससे इनका शरीर काला पड़ जाता है। देवी की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान इन्हें स्वीकार करते हैं और शिव जी इनके शरीर को गंगा-जल से धोते हैं तब देवी विद्युत के समान अत्यंत कांतिमान गौर वर्ण की हो जाती हैं तथा तभी से इनका नाम गौरी पड़ा। महागौरी जी से संबंधित एक अन्य कथा भी प्रचलित है इसके जिसके अनुसार, एक सिंह काफी भूखा था, वह भोजन की तलाश में वहां पहुंचा जहां देवी उमा तपस्या कर रही होती हैं। देवी को देखकर सिंह की भूख बढ़ गयी परंतु वह देवी के तपस्या से उठने का इंतजार करते हुए वहीं बैठ गया। इस इंतजार में वह काफी कमज़ोर हो गया। देवी जब तप से उठी तो सिंह की दशा देखकर उन्हें उस पर बहुत दया आती है, और माँ उसे अपना सवारी बना लेती हैं क्योंकि एक प्रकार से उसने भी तपस्या की थी। इसलिए देवी गौरी का वाहन बैल और सिंह दोनों ही हैं।

देवी महागौरी का ध्यान, स्रोत पाठ और कवच का पाठ करने से ‘सोमचक्र’ जाग्रत होता है जिससे संकट से मुक्ति मिलती है और धन, सम्पत्ति और श्री की वृध्दि होती है। इनका वाहन वृषभ है।

दुर्भाग्य नाशक उपाय
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1- महागौरी के स्वरूप को दूध से भरी कटोरी में विराजित कर चांदी का सिक्का चढ़ाएं। फिर सिक्के को धोकर हमेशा अपनी जेब में रखें इससे धन संबंधित संमस्या में कमी आएगी।

2- पानी वाले नारियल को सिर से 11 बार घुमाकर बहते हुए जल में प्रवाहित करने से मनचाही इच्छाएं पूरी होंगी।

3- पीपल के ग्यारह पत्ते लें। उन पर राम नाम लिखें पत्तों की माला बनाकर हनुमानजी को पहना दें। इससे सभी प्रकार की परेशानियां दूर होती हैं।

4- किसी एक खाली या शांत कमरे में उत्तर की दिशा की ओर अपना मुंह करके पीले आसन पर बैठ जाएं। अपने सामने तेल के 9 दीपक जलाएं और ये साधनाकाल तक जलते रहने चाहिए। इन 9 दीपकों के सामने लाल चावल की एक ढेरी बनाकर उस पर एक श्रीयंत्र रख लें। इस श्रीयंत्र का कुंकुम, फूल, धूप, तथा दीप से पूजन करें। इस पूरी क्रिया के बाद एक प्लेट पर स्वस्तिक बनाकर उसका पूजन करें। अब इस श्रीयंत्र को अपने घर के पूजा स्थल में स्थापित कर दें तथा शेष सामग्री को नदी में प्रवाहित कर दें। इस प्रयोग से आपको जल्दी ही अचानक धन लाभ होगा।

5- दुर्गाष्टमी हवन के साथ मंत्र को पढ़ते हुए 108 बार अग्नि में घी से आहुतियां दें। इससे यह मंत्र सिद्ध हो जाएगा। इसके बाद रोजाना नित्य सुबह उठकर पूजा के समय इस मंत्र का 21 बार जप अवश्य करें। यदि संभव हो तो अपने परिवारजन से भी इस मंत्र का जप करने के लिए कहें। इससे जीवन भर परिवार में मधुर संबंध बने रहेंगे।

6- यदि आपका विवाह न हो रहा हो या आपके परिवार में किसी का विवाह विलम्ब से हो रहा हो या आपके वैवाहिक जीवन में तनाव है तो यह उपाय बहुत लाभदाय होगा। यह उपाय किसी भी शुक्ल पक्ष की अष्टमी को या नवरात्र की अष्टमी को रात्रि 10 बजे से 12 बजे के बीच में शरु करना चाहिए और नियमित 43 दिन तक करें। अपने सोने वाले कमरे में एक चौकी बिछा तांबे का पात्र रख उसमें जल भर दें। पात्र के अंदर आठ लौंग, आठ हल्दी, आठ साबुत सुपारी, आठ छुआरे, इन सारे सामान को डाल दें। आम के पांच पत्ते दबा कर जटा वाला नारियल पात्र के ऊपर रख दें। वहीं आसन बिछा कर घी का दीपक जलाएं, श्रद्धापूर्वक धूप-दीप अक्षत पुष्प और नैवेद्य अपिर्त करने के उपरांत पांच माला माँ गौरी के मंत्र ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ महागौरी देव्यै नम: की और एक माला शनि पत्नी नाम स्तुति की करें और रात्रि भूमि शयन करें। प्रात: काल मौन रहते हुए यह सारी सामग्री किसी जलाशय या बहते हुए पानी में प्रवाह कर दें। वैवाहिक समस्याओं का निवारण हो जाएगा।

मंत्र
सब नर करहिं परस्पर प्रीति। चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीति।।

7- अष्टमी पूजन के साथ नीचे दिए गए हुए मंत्र का 11  माला जप करें। जप के पश्चात माता पार्वती एवं भगवान शिव से विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करने की प्रार्थना करें। इस मंत्र के प्रभाव से जल्दी ही विवाह के आसार बन जाते हैं। 

मंत्र
ऊँ शं शंकराय सकल-जन्मार्जित-पाप-विध्वंसनाय, पुरुषार्थ-चतुष्टय-लाभाय च पतिं मे देहि कुरु कुरु स्वाहा।।

   माँ महागौरी आरती
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नवरात्रि में विशेष है महागौरी का ध्यान।
शिव की शक्ति देती हो अष्टमी को वरदान॥

मन अपना एकाग्र कर नन्दीश्वर को पाया।
सुबह शाम के दूप से काली हो गई काया॥

गंगा जल की धार से शिव स्नान कराया।
देख पति के प्रेम को मन का कमल खिलाया॥

बैल सवारी जब करे शिवजी रहते साथ।
अर्धनारीश्वर रूप में आशीर्वाद का हाथ॥

सर्व कला सम्पूरण माँ साधना करो सफल।
भूलूं कभी ना आपको याद रखूं पल पल॥

जय माँ महागौरी।
जय जय महागौरी॥

माँ दुर्गा की आरती
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जय अंबे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ॥ ॐ जय…
मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को ।
उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको ॥ ॐ जय…
कनक समान कलेवर, रक्तांबर राजै ।
रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै ॥ ॐ जय…
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी ।
सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी ॥ ॐ जय…
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती ।
कोटिक चंद्र दिवाकर, राजत सम ज्योती ॥ ॐ जय…
शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती ।
धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती ॥ॐ जय…
चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे ।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भय दूर करे ॥ॐ जय…
ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी ।
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ॥ॐ जय…
चौंसठ योगिनी गावत, नृत्य करत भैंरू ।
बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू ॥ॐ जय…
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता ।
भक्तन की दुख हरता, सुख संपति करता ॥ॐ जय…
भुजा चार अति शोभित, वरमुद्रा धारी ।
मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी ॥ॐ जय…
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती ।
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती ॥ॐ जय…
श्री अंबेजी की आरति, जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपति पावे ॥ॐ जय…

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English Translation :- 

Worship method of Mahagauri form of Adi Shakti Maa Durga on Saturday, 9th April, the eighth day of Navratri

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 Mother Mahagauri Swaroop and Paurinik Mahatmya

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 White Trees Samarudha Shvetambara Dhara Shuchi:.  Mahagauri Shubham Dadyanmahadeva Pramodada॥


 Mahagauri is the eighth form of Maa Durga.  Mahagauri has four arms, her right arm is in abhaya mudra and the lower arm holds a trident.  Damru Dum Dum is playing in the left arm and from the lower arm, Goddess Gauri grants a boon after listening to the prayers of the devotees.  The woman who worships this goddess with devotion, the goddess herself protects their honeymoon.  If a virgin girl worships her mother, she gets a suitable husband.  Men who worship Goddess Gauri have a happy life. Goddess burns their sins and gives pure conscience.  Mother bestows inexhaustible joy and radiance to her devotees.  Her character is completely Gaur, hence she is called Mahagauri.  She is worshiped on the eighth day of Navratri.  Even impossible tasks become possible by worshiping him.  By worshiping Maa Mahagauri, any form and desired result can be obtained.  May Mahagauri Mangaldayini, the purity idol of Goddess Mahadev, who is wearing bright clothes, be pleased.


 Their character is completely noticeable.  This glory has been likened to the flowers of conch shell, moon and kunda.  Their age is given as eight years.  He holds Abhaya Mudra in his upper right hand and Trishul in his lower right hand.  Damru is in the left upper hand and the left lower hand is in the calm posture of the groom.  In the form of Parvati, she did severe penance to get Lord Shiva.  He had taken a vow that Vriyaaham Varadam Shambhu Nanyam Devam Maheshwarat.  According to Goswami Tulsidas, he had taken a vow of severe penance for the sake of Shiva, due to which his body had turned black.  Pleased with his penance, when Shiva washed his body with holy Ganges water, then he became very radiant like electricity, since then his name was Gauri.

 Mahagauri is a accustomed power, her brilliance brings light to the whole world, her power is unfailingly fruitful. Worshiping Maa Mahagauri removes all the troubles of the devotees and the devotee of the goddess becomes the owner of holy and inexhaustible virtues in life.


 In Durga Saptashati, defeated by the auspicious Nishumbha, the goddess whom the deities were praying to on the banks of the Ganges is Mahagauri.  Kaushiki was born from the part of Goddess Gauri, who freed the deities from the wrath of Shumbha Nishumbha.  This goddess Gauri is the wife of Shiva, she is also worshiped in the name of Shiva and Shambhavi.


 Maa Mahagauri Puja Vidhi

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 There is a law to feed virgin girls on ten days of Navratra, but the day of Ashtami has special significance.  On this day, women offer chunari to the mother goddess for their honeymoon.  The law of worshiping Goddess Gauri is also the same, that is, just as you have worshiped the mother till the date of Saptami, in the same way, on the day of Ashtami also worship the Goddess with Panchopchar.  To meditate on the Goddess, chant this mantra with folded hands.


 Siddhagandharvayakshadyairsurairmarairpi.  Sevyamana always bhuyat siddhida siddhidayini.


 In the form of Mahagauri, the goddess appears compassionate, affectionate, calm and soft. While praying this form of the goddess, the gods and the sages say


 Mantras of Maa Mahagauri

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 1👉 Shwete Vrushe Samrudha Shvetambradhara Shuchih.

 Mahagauri Shubham Dadyanmahadevapramodada.


 2👉 Or Goddess Sarvabhuteshu Maa Gauri Rupena Sanstha.

 Namasthasai Namasthasai Namasthasai Namo Namah.


 Maa Mahagauri Meditation

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 Vande desired Kamarthe Chandraghakrit Shekram.

 Singhrudha quadrilateral Mahagauri Yashaswanim

 Purnandu nibhana Gauri Somachakrasthitan Ashtam Mahagauri Trinetram.

 Varabhitikaran Trishul Damrudharam Mahagauri Bhajem.

 Patamber costumes softly nanalankar bhushitam.

 Manjir, Necklace, Keyur Kinkini Ratna Kundal Manditam.

 Prafulla Vandana Pallavadharan Katam Kapolan Trailokya Mohanam.

 Kamaniya Lavanya Mrinal Chandanagandhaliptam


 Maa Mahagauri Stotra Text

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 Sarvasankat Hantri Twahi Dhan Aishwarya Pradayanim.

 Gyanada Chaturvedmayi Mahagauri Pranamabhyaham

 Pleasure peace beneficiary wealth food grains Pradiyanim.

 Damruvadya Priya Adya Mahagauri Pranamabhyaham

 Trailokyamangala tvamhi taptraya harinim.

 Vadam Chaitanyamai Mahagauri Pranamamyam


 Maa Mahagauri Kavach

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 Omkar: Patu Shirho Mother, Hee Bijam Mother, Hearts.

 Clean bijam sadapatu nabho griho cha padyo

 Laaltam karno hum bijam patu mahagauri maa netram ghrano.

 Kapot chibuko fat patu swaha ma sarvavadno


 Story of Maa Mahagauri

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 In the form of Goddess Parvati, he had done severe penance to get Lord Shiva in the form of husband, once Lord Bholenath said something after seeing Parvati.  Due to which the mind of the goddess is hurt and Parvati ji gets absorbed in penance.  In this way, when Parvati does not come after doing severe penance for years, Lord Shiva, searching for Parvati, reaches to her, and when she reaches there, she is astonished to see Parvati there.  The complexion of Parvati ji is very bright, her complexion appears as white as the moonlight and as white as a flower of Kunda, pleased with her clothes and ornaments, grants the boon of fair complexion to Goddess Uma.


 According to a legend, to get Lord Shiva in her husband's form, the goddess did severe penance, due to which her body turns black.  Pleased with the penance of the goddess, God accepts her and Shiva washes her body with Ganga-water, then the goddess becomes very radiant like electricity and since then she was named Gauri.  Another legend related to Mahagauri ji is also prevalent, according to which, a lion was very hungry, in search of food, he reached the place where Goddess Uma is doing penance.  Seeing the goddess, Singh's hunger increased but he sat there waiting for the goddess to wake up from his penance.  In this wait he became very weak.  When the goddess arose from penance, seeing the condition of the lion, she felt very pity on him, and the mother took him as her ride, because in a way she also did penance.  Therefore, the vehicle of Goddess Gauri is both a bull and a lion.


 By meditating, reciting the source text and armor of Goddess Mahagauri, 'Somachakra' is awakened, which gives freedom from troubles and increases wealth, wealth and Shri.  His vehicle is Taurus.


 bad luck remedy

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 1- Offer a silver coin to the form of Mahagauri by placing it in a bowl filled with milk.  Then wash the coin and always keep it in your pocket, this will reduce money related problems.


 2- By rotating a coconut with water 11 times from the head and pouring it in the flowing water, the desired wishes will be fulfilled.


 3- Take eleven leaves of peepal.  Write Ram's name on them, make a garland of leaves and wear them to Hanumanji.  This removes all kinds of problems.


 4- Sit on a yellow seat in an empty or quiet room with your face towards the north.  Light 9 oil lamps in front of you and they should be kept burning till the time of sadhna.  Make a heap of red rice in front of these 9 lamps and place a Sriyantra on it.  Worship this Shri Yantra with kumkum, flowers, incense and lamp.  After this whole process, make a swastika on a plate and worship it.  Now install this Shree Yantra in the place of worship of your house and make the rest of the material flow in the river.  With this experiment, you will get sudden monetary gains very soon.


 5- While reciting the mantra with Durgashtami Havan, make offerings with ghee in the fire 108 times.  This will prove this mantra.  After this, wake up in the morning daily and chant this mantra 21 times at the time of worship.  If possible, ask your family members to chant this mantra as well.  Due to this, good relations will remain in the family throughout life.


 6- If you are not getting married or someone in your family is getting married late or there is tension in your married life, then this remedy will be very beneficial.  This remedy should be started on Ashtami of any Shukla Paksha or Ashtami of Navratri between 10 pm to 12 noon and do it regularly for 43 days.  Put a copper vessel in your sleeping room and fill it with water.  Put eight cloves, eight turmeric, eight whole betel nut, eight dates, all these things inside the pot.  Press five mango leaves and place the coconut on top of the pot.  Laying the seat there, light a lamp of ghee, after offering incense-lamp, intact flowers and naivedya with reverence, after offering five beads, the mantra of Maa Gauri, Om Hreem Klein Chamundayai Viche.  Om Mahagauri Devyai Namah and one rosary of praise to Shani wife's name and sleep on the ground at night.  In the morning, while remaining silent, let all this material flow into a reservoir or running water.  Marital problems will be resolved.


 mantra

 All men do love each other.  Let's go with self-righteousness, Shruti policy.


 7- With Ashtami worship, chant 11 rosary of the following mantra.  After chanting, pray to Goddess Parvati and Lord Shiva to remove the obstacles in marriage.  With the effect of this mantra, there is a possibility of marriage soon.


 mantra

 Om Sham Shankaraya gross-born-earned-sin-destruction, effort-chatushtaya-profitable cha husband in dehi kuru kuru swaha. .


 Maa Mahagauri Aarti

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 Mahagauri's meditation is special in Navratri.

 The power of Shiva gives a boon to Ashtami.


 By concentrating his mind, he found Nandishvara.

 The body turned black in the morning and evening.


 Shiva bathed with the stream of Ganges water.

 Seeing the love of the husband fed the lotus of the mind.


 Shivaji used to stay with him when he rides a bull.

 The hand of blessing in the form of Ardhanarishvara


 Do all the arts and complete mother's sadhna to be successful.

 Never forget to remember you every moment


 Hail Mother Mahagauri.

 Jay Jay Mahagauri


 Aarti of Maa Durga

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 Jai Ambe Gauri, Maya Jay Shyama Gauri.

 Nishdin Dhayavat to you, Hari Brahma Shivri.  Jay…

 Demand vermilion, tiko to mrigmad.

 Dou Naina from Ujjwal, Chandravadan Niko  Jay…

 Like Kanak, Raktambara Rajai.

 Raktpushpa gal garland, like on the throat.  Jay…

 Kehri Vehicle Rajat, Khadg Khappar Stripe.

 Sur-Nar-Munijan Sevat, straws are sad.  Jay…

 Kanan coil adorned, nasagray pearls.

 Kotik Chandra Diwakar, Rajat Sam Jyoti.  Jay…

 Shumbha-Nishumbha bidare, Mahishasur Ghati.

 Dhumr Vilochan Naina, Nishadin Madmati Jai…

 Chand-shunts are destroyed, the sown seeds are green.

 Do Mare Madhu-Katabh, remove the fear of sound Jai…

 Brahmani, Rudrani, you Kamala queen.

 Aagam Nigam Bakhani, you Shiv Patrani Om Jai…

 Sixty-four yogini singing, dancing Bhairu.

 Bajat Tal Mridanga, Aru Bajat Damru Om Jai…

 You are the mother of the world, you are the only one.

 Destroys the sorrow of the devotee, makes happiness and wealth.

 Arms four are very decorated, wearing a mudra.

 The desired fruit is received, serving male and female Jai…

 Kanchan Thal Virajat, if Kapoor wicks.

 Rajat in Srimalketu, Koti Ratan Jyoti Om Jai…

 Aarti of Shri Ambeji, whoever sings.

 Kahat sivanand swami, get happiness and wealth Jai…

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