12 अप्रैल 2022

कामदा एकादशी मंगलवार/बुधवार 12/13 अप्रैल विशेष।। Kamada Ekadashi Tuesday/Wednesday 12/13 April Special


कामदा एकादशी मंगलवार/बुधवार 12/13 अप्रैल विशेष
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एकादशी तिथि प्रारम्भ 👉 अप्रैल 12, 2022 को 04:30 बजे
एकादशी तिथि समाप्त 👉 अप्रैल 13, 2022 को 05:02 बजे

कामदा एकादशी पारण 13 अप्रैल समय प्रातः 13:35 से 16:09 तक।

वैष्णव एकादशी के लिए पारण (व्रत तोड़ने का) समय 14 अप्रैल प्रातः 05:51 से 08:26 तक।

चैत्र माह में रामनवमी के पश्चात शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को कामदा एकादशी नाम से जाना जाता है। कामदा एकादशी जिसे फलदा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इसे श्रीहरि विष्णु का उत्तम व्रत कहा गया है। इस व्रत के पुण्य से जीवात्मा को पाप से मुक्ति मिलती है। यह एकादशी कष्टों का निवारण करने वाली और मनोनुकूल फल देने वाली होने के कारण फलदा और कामन पूर्ण करने वाली होने से कामदा कही जाती है। इस एकादशी की कथा श्री कृष्ण ने पाण्डु पुत्र धर्मराज युधिष्ठिर को सुनाई थी। इससे पूर्व राजा दिलीप को वशिष्ठ मुनि ने सुनायी थी। आइये हम भी इस एकादशी की पुण्य कथा का श्रवण करें। इस वर्ष कामदा एकादशी व्रत 12 अप्रैल के दिन सन्यासी एवं गृहस्थी द्वारा रखा जाएगा तथा वैष्णव एवं निम्बार्क सम्प्रदाय की एकादशी 13 अप्रैल के दिन मानी जाएगी।

कामदा एकादशी व्रत विधि
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एकादशी के दिन स्नानादि से पवित्र होने के पश्चात संकल्प करके श्री विष्णु के विग्रह की पूजन करें। विष्णु को फूल, फल, तिल, दूध, पंचामृत आदि नाना पदार्थ निवेदित करें। आठों प्रहर निर्जल रहकर विष्णु जी के नाम का स्मरण एवं कीर्तन करें। एकादशी व्रत में ब्राह्मण भोजन एवं दक्षिणा का बड़ा ही महत्व है अत: ब्राह्मण को भोजन करवाकर दक्षिणा सहित विदा करने के पश्चात ही भोजना ग्रहण करें। इस प्रकार जो चैत्र शुक्ल पक्ष में एकादशी का व्रत रखता है उसकी कामना पूर्ण होती है।

   कामदा एकादशी व्रत कथा
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पुण्डरीक नामक नाग का राज्य अत्यंत वैभवशाली एवं सम्पन्न था। उस राज्य में गंधर्व, अप्सराएं एवं किन्नर भी रहा करते थे। इस राज्य में ललिता नामक अति सुन्दर अप्सरा और ललित नामक श्रेष्ठ गंधर्व का वास था। ये दोनों पति पत्नी थे। इनके बीच अगाध प्रेम की धारा बहती थी। दोंनों में इस कदर प्रेम था कि वे सदा एक दूसरे का ही स्मरण किया करते थे, संयोगवश एक दूसरे की नज़रों के सामने नहीं होते तो विह्वल हो उठते। इसी प्रकार की घटना उस वक्त घटी जब ललित महाराज पुण्डरीक के दरबार में उपस्थित श्रेष्ठ जनों को अपने गायन और नृत्य से आनन्दित कर रहा था।
गायन और नृत्य करते हुए ललित को अपनी पत्नी ललिता का स्मरण हो आया जिससे गायन और नृत्य में वह ग़लती कर बैठा। सभा में कर्कोटक नामक नाग भी उपस्थित था जिसने महाराज पुण्डरीक को ललित की मनोदशा एवं उसकी गलती बदा दी। पुण्डरीक इससे अत्यंत क्रोधित हुआ और ललित को राक्षस बन जाने का श्राप दे दिया।
ललित के राक्षस बन जाने पर ललिता अत्यंत दु:खी हुई और अपने पति को श्राप से मुक्ति दिलाने के लिए यत्न करने लगी। एक दिन एक मुनि ने ललिता की दु:खद कथा सुनकर उसे कामदा एकादशी का व्रत करने का परामर्श दिया। ललिता ने उसी मुनी के आश्रम में एकादशी व्रत का पालन किय और द्वादशी के दिन व्रत का पुण्य अपने पति को दे दिया। व्रत के पुण्य से ललित पहले से भी सुन्दर गंधर्व रूप में लट आया।

   कामदा एकादशी के लाभ
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कामदा एकादशी का उपवास करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिल जाती है। हिन्दु धर्म में किसी ब्राह्मण की हत्या करना सबसे भयंकर पाप है। यह माना जाता है कि ब्राह्मण की हत्या का पाप भी कामदा एकादशी उपवास करने से मिट जाता है।

  ठाकुर जी की आरती
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ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी ! जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥
ॐ जय जगदीश हरे।
 
जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।
स्वामी दुःख विनसे मन का।
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥
ॐ जय जगदीश हरे।
 
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ मैं किसकी।
स्वामी शरण गहूँ मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी॥
ॐ जय जगदीश हरे।
 
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।
स्वामी तुम अन्तर्यामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥
ॐ जय जगदीश हरे।
 
तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।
स्वामी तुम पालन-कर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥
ॐ जय जगदीश हरे।
 
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमति॥
ॐ जय जगदीश हरे।
 
दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
स्वामी तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठा‌ओ, द्वार पड़ा तेरे॥
ॐ जय जगदीश हरे।
 
विषय-विकार मिटा‌ओ, पाप हरो देवा।
स्वमी पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ा‌ओ, सन्तन की सेवा॥
ॐ जय जगदीश हरे।
 
श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।
स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥
ॐ जय जगदीश हरे।

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English Translation :-
Kamada Ekadashi Tuesday/Wednesday 12/13 April Special

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 Ekadashi date starts on April 12, 2022 at 04:30

 Ekadashi date ends April 13, 2022 at 05:02


 Kamada Ekadashi Parana on 13th April from 13:35 am to 16:09 am.


 Parana (fast breaking) time for Vaishnava Ekadashi is from 05:51 am to 08:26 am on April 14.


 The Ekadashi date of Shukla Paksha after Ram Navami in Chaitra month is known as Kamada Ekadashi.  Kamada Ekadashi is also known as Falda Ekadashi.  It is said to be the best fast of Shri Hari Vishnu.  By the virtue of this fast, the soul gets freedom from sin.  This Ekadashi is said to be Kamada, being fruitful and fulfilling wishes, being the remover of sufferings and giving favorable results.  The story of this Ekadashi was narrated by Shri Krishna to the son of Pandu, Dharmaraja Yudhishthira.  Earlier, King Dileep was narrated by Vashistha Muni.  Let us also listen to the holy story of this Ekadashi.  This year Kamada Ekadashi fast will be observed on 12th April by sannyasi and householder and Vaishnava and Nimbarka sects will observe Ekadashi on 13th April.


 Kamada Ekadashi fasting method

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 On the day of Ekadashi, after being purified by bathing, make a resolution and worship the deity of Shri Vishnu.  Offer flowers, fruits, sesame seeds, milk, panchamrit etc. to Vishnu.  Remain waterless for the eight hours, remember and chant the name of Lord Vishnu.  Brahmin food and dakshina are of great importance in Ekadashi fasting, so after giving food to Brahmins and leaving them with dakshina, take food only.  In this way, one who observes Ekadashi fast in Chaitra Shukla Paksha, his wish gets fulfilled.


 kamada ekadashi fasting story

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 The kingdom of a serpent named Pundarik was very rich and prosperous.  Gandharvas, Apsaras and eunuchs also lived in that state.  In this kingdom, a very beautiful Apsara named Lalita and a great Gandharva named Lalit lived.  Both of them were husband and wife.  A stream of love flowed between them.  There was so much love between the two that they used to always remember each other, if they were not in front of each other's eyes by chance, they would have been disturbed.  A similar incident happened when Lalit Maharaj was delighting the nobles present in the court of Pundarik with his singing and dancing.

 While singing and dancing, Lalit remembered his wife Lalita, due to which he made a mistake in singing and dancing.  A serpent named Karkotak was also present in the meeting, which made Maharaj Pundarik change Lalit's mood and his mistake.  Pundarik became very angry with this and cursed Lalit to become a demon.

 Lalita became very sad when Lalit became a demon and started trying to get rid of her husband from the curse.  One day a sage after hearing the sad story of Lalita advised her to observe Kamada Ekadashi fast.  Lalita observed Ekadashi fast in the same sage's ashram and gave the virtue of fasting to her husband on the day of Dwadashi.  Due to the virtue of fasting, Lalit came in the form of a beautiful Gandharva even earlier.


 Benefits of Kamada Ekadashi

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 By observing Kamada Ekadashi fast one gets freedom from all kinds of sins.  Killing a Brahmin is the worst sin in Hinduism.  It is believed that even the sin of killing a Brahmin is eradicated by fasting on Kamada Ekadashi.


 Thakur ji's aarti

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 Jai Jagdish Hare, Swami!  Om Jai Jagadish Hare.

 Remove the troubles of the devotees in a moment.

 Jai Jagdish Hare.



 One who gets the fruits of meditation, from sorrow, of the mind.

 Lord of sorrow and mind.

 Let happiness and wealth come home, the pain of the body is erased.

 Jai Jagdish Hare.



 You are my mother and father, whose refuge am I?

 Whom am I home to Swami Sharan?

 You don't give up without me, I hope for whom.

 Jai Jagdish Hare.



 You are the Supreme God, you are the inner souls.

 Lord you are inner.

 Parabrahma Parmeshwar, lord of all of you.

 Jai Jagdish Hare.



 You are the ocean of compassion, you are the maintainer.

 Lord, you are the maintainer.

 I am an idiot, please recruit.

 Jai Jagdish Hare.



 You are an imperceptible, the soul of all.

 Swami is the soul of all.

 Which method should I get merciful, I love you.

 Jai Jagdish Hare.



 Deenbandhu sadharta, you are my Thakur.

 Swami you are my Thakur.

 Raise your hand, the door lies with you.

 Jai Jagdish Hare.



 Eliminate object-disorders, God removes sins.

 Lord sin Haro Deva.

 Increase devotion and service to the children.

 Jai Jagdish Hare.



 Aarti of Shri Jagdishji, whoever sings a male.

 Lord whoever sings a male.

 Kahat Shivanand Swami, get happiness and wealth.

 Jai Jagdish Hare.

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