10 अप्रैल 2022

श्रीराम नवमी विशेष।। Shri Ram Navami Special


श्रीराम नवमी विशेष
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 चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को प्रतिवर्ष नये विक्रम संवत्सर का प्रारंभ होता है और उसके आठ दिन बाद ही चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी को हिंदुओ का पर्व राम जन्मोत्सव जिसे रामनवमी के नाम से मनाया जाता है, इस वर्ष श्रीराम नवमी के पर्व 10 अप्रैल 2022 को मनाया जा रहा है। हमारे देश में राम और कृष्ण दो ऐसी महिमाशाली विभूतियाँ रही हैं जिनका अमिट प्रभाव समूचे भारत के जनमानस पर सदियों से अनवरत चला आ रहा है।

रामनवमी, भगवान राम की स्‍मृति को समर्पित है। राम सदाचार के प्रतीक हैं, और इन्हें "मर्यादा पुरुषोतम" कहा जाता है। रामनवमी को राम के जन्‍मदिन की स्‍मृति में मनाया जाता है। राम को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है, जो पृथ्वी पर अजेय रावण (मनुष्‍य रूप में असुर राजा) से युद्ध लड़ने के लिए आए। राम राज्‍य (राम का शासन) शांति व समृद्धि की अवधि का पर्यायवाची बन गया है। रामनवमी के दिन, श्रद्धालु बड़ी संख्‍या में उनके जन्‍मोत्‍सव को मनाने के लिए राम जी की मूर्तियों को पालने में झुलाते हैं। इस महान राजा की काव्‍य तुलसी रामायण में राम की कहानी का वर्णन है।

मर्यादा पुरुषोत्तम परिचय
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भगवान विष्णु ने राम रूप में असुरों का संहार करने के लिए पृथ्वी पर अवतार लिया और जीवन में मर्यादा का पालन करते हुए मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए। आज भी मर्यादा पुरुषोत्तम राम का जन्मोत्सव तो धूमधाम से मनाया जाता है पर उनके आदर्शों को जीवन में नहीं उतारा जाता। अयोध्या के राजकुमार होते हुए भी भगवान राम अपने पिता के वचनों को पूरा करने के लिए संपूर्ण वैभव को त्याग 14 वर्ष के लिए वन चले गए और आज देखें तो वैभव की लालसा में ही पुत्र अपने माता-पिता का काल बन रहा है।

श्री राम का जन्म 
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पुरुषोतम भगवान राम का जन्म चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को पुनर्वसु नक्षत्र तथा कर्क लग्न में कौशल्या की कोख से हुआ था। यह दिन भारतीय जीवन में पुण्य पर्व माना जाता हैं। इस दिन सरयू नदी में स्नान करके लोग पुण्य लाभ कमाते हैं।
अगस्त्यसंहिता के अनुसार
मंगल भवन अमंगल हारी, 
दॄवहुसु दशरथ अजिर बिहारि॥
अगस्त्यसंहिता के अनुसार चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी, के दिन पुनर्वसु नक्षत्र, कर्कलग्‍न में जब सूर्य अन्यान्य पाँच ग्रहों की शुभ दृष्टि के साथ मेष राशि पर विराजमान थे, तभी साक्षात्‌ भगवान् श्रीराम का माता कौशल्या के गर्भ से जन्म हुआ।

धार्मिक दृष्टि से चैत्र शुक्ल नवमी का विशेष महत्व है। त्रेता युग में चैत्र शुक्ल नवमी के दिन रघुकुल शिरोमणि महाराज दशरथ एवं महारानी कौशल्या के यहाँ अखिल ब्रह्माण्ड नायक अखिलेश ने पुत्र के रूप में जन्म लिया था। राम का जन्म दिन के बारह बजे हुआ था, जैसे ही सौंदर्य निकेतन, शंख, चक्र, गदा, पद्म धारण कि‌ए हु‌ए चतुर्भुजधारी श्रीराम प्रकट हु‌ए तो माता कौशल्या उन्हें देखकर विस्मित हो ग‌ईं। राम के सौंदर्य व तेज को देखकर उनके नेत्र तृप्त नहीं हो रहे थे। देवलोक भी अवध के सामने श्रीराम के जन्मोत्सव को देखकर फीका लग रहा था। जन्मोत्सव में देवता, ऋषि, किन्नर, चारण सभी शामिल होकर आनंद उठा रहे थे। हम प्रतिवर्ष चैत्र शुक्ल नवमी को राम जन्मोत्सव मनाते हैं और राममय होकर कीर्तन, भजन, कथा आदि में रम जाते हैं। रामनवमी के दिन ही गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस की रचना का श्रीगणेश किया था।

    रामनवमी की पूजा विधि
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हिन्दू धर्म में रामनवमी के दिन पूजा की जाती है। रामनवमी की पूजा के लिए आवश्‍यक सामग्री रोली, ऐपन, चावल, जल, फूल, एक घंटी और एक शंख हैं। पूजा के बाद परिवार की सबसे छोटी महिला सदस्‍य परिवार के सभी सदस्‍यों को टीका लगाती है। रामनवमी की पूजा में पहले देवताओं पर जल, रोली और ऐपन चढ़ाया जाता है, इसके बाद मूर्तियों पर मुट्ठी भरके चावल चढ़ाये जाते हैं। पूजा के बाद आ‍रती की जाती है और आरती के बाद गंगाजल अथवा सादा जल एकत्रित हुए सभी जनों पर छिड़का जाता है।

श्री रामनवमी व्रत विधि
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रामनवमी के दिन जो व्यक्ति पूरे दिन उपवास रखकर भगवान श्रीराम की पूजा करता है, तथा अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार दान-पुण्य करता है, वह अनेक जन्मों के पापों को भस्म करने में समर्थ होता है।

रामनवमी का व्रत महिलाओं के द्वारा किया जाता है। इस दिन व्रत करने वाली महिला को प्रात: सुबह उठना चाहिए। घर की साफ-सफाई कर घर में गंगाजल छिड़क कर शुद्ध कर लेना चाहिए। इसके पश्चात स्नान करके व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इसके बाद एक लकड़ी के चौकोर टुकड़े पर सतिया बनाकर एक जल से भरा गिलास रखना चाहिए और अपनी अंगुली से चाँदी का छल्ला निकाल कर रखना चाहिए। इसे प्रतीक रुप से गणेशजी माना जाता है। व्रत कथा सुनते समय हाथ में गेहूँ-बाजरा आदि के दाने लेकर कहानी सुनने का भी महत्व कहा गया है। रामनवमी के व्रत के दिन मंदिर में अथवा मकान पर ध्वजा, पताका, तोरण और बंदनवार आदि से सजाने का विशेष विधि-विधान है। व्रत के दिन कलश स्थापना और राम जी के परिवार की पूजा करनी चाहिए, और भगवान श्री राम का दिनभर भजन, स्मरण, स्तोत्रपाठ, दान, पुण्य, हवन, पितृश्राद्व और उत्सव किया जाना चाहिए।

श्री रामनवमी व्रत कथा
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राम, सीता और लक्ष्मण वन में जा रहे थे। सीता जी और लक्ष्मण को थका हुआ देखकर राम जी ने थोड़ा रुककर आराम करने का विचार किया और एक बुढ़िया के घर गए। बुढिया सूत कात रही थी। बुढ़िया ने उनकी आवभगत की और बैठाया, स्नान-ध्यान करवाकर भोजन करवाया। राम जी ने कहा- बुढिया माई, "पहले मेरा हंस मोती चुगाओ, तो में भी करूं।" बुढ़िया बेचारी के पास मोती कहाँ से आवें, सूत कात कर ग़रीब गुज़ारा करती थी। अतिथि को ना कहना भी वह ठीक नहीं समझती थी। दुविधा में पड़ गई। अत: दिल को मज़बूत कर राजा के पास पहुँच गई। और अंजली मोती देने के लिये विनती करने लगी। राजा अचम्भे में पड़ा कि इसके पास खाने को दाने नहीं हैं और मोती उधार मांग रही है। इस स्थिति में बुढ़िया से मोती वापस प्राप्त होने का तो सवाल ही नहीं उठता। आखिर राजा ने अपने नौकरों से कहकर बुढ़िया को मोती दिला दिये। बुढ़िया मोती लेकर घर आई, हंस को मोती चुगाए और मेहमानों की आवभगत की। रात को आराम कर सवेरे राम जी, सीता जी और लक्ष्मण जी जाने लगे। राम जी ने जाते हुए उसके पानी रखने की जगह पर मोतियों का एक पेड़ लगा दिया। दिन बीतते गये और पेड़ बड़ा हुआ, पेड़ बढ़ने लगा, पर बुढ़िया को कु़छ पता नहीं चला। मोती के पेड़ से पास-पड़ौस के लोग चुग-चुगकर मोती ले जाने लगे। एक दिन जब बुढ़िया उसके नीचे बैठी सूत कात रही थी। तो उसकी गोद में एक मोती आकर गिरा। बुढ़िया को तब ज्ञात हुआ। उसने जल्दी से मोती बांधे और अपने कपड़े में बांधकर वह क़िले की ओर ले चली़। उसने मोती की पोटली राजा के सामने रख दी। इतने सारे मोती देख राजा अचम्भे में पड़ गया। उसके पूछने पर बुढ़िया ने राजा को सारी बात बता दी। राजा के मन में लालच आ गया। वह बुढ़िया से मोती का पेड़ मांगने लगा। बुढ़िया ने कहा कि आस-पास के सभी लोग ले जाते हैं। आप भी चाहे तो ले लें। मुझे क्या करना है। राजा ने तुरन्त पेड़ मंगवाया और अपने दरबार में लगवा दिया। पर रामजी की मर्जी, मोतियों की जगह कांटे हो गये और आते-आते लोगों के कपड़े उन कांटों से ख़राब होने लगे। एक दिन रानी की ऐड़ी में एक कांटा चुभ गया और पीड़ा करने लगा। राजा ने पेड़ उठवाकर बुढ़िया के घर वापस भिजवा दिया। पेड़ पर पहले की तरह से मोती लगने लगे। बुढ़िया आराम से रहती और ख़ूब मोती बांटती।

श्री राम नवमी व्रत का फल
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श्री रामनवमी का व्रत करने से व्यक्ति के ज्ञान में वृ्द्धि होती है। उसकी धैर्य शक्ति का विस्तार होता है। इसके अतिरिक्त उपवासक को विचार शक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, भक्ति और पवित्रता की भी वृ्द्धि होती है। इस व्रत के विषय में कहा जाता है, कि जब इस व्रत को निष्काम भाव से किया जाता है। और आजीवन किया जाता है, तो इस व्रत के फल सर्वाधिक प्राप्त होते हैं। रामनवमी और जन्माष्टमी तो उल्लासपूर्वक मनाते हैं पर उनके कर्म व संदेश को नहीं अपनाते। कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया गीता ज्ञान आज सिर्फ एक ग्रंथ बनकर रह गया है। तुलसीदासजी ने रामचरितमानस में भगवान राम के जीवन का वर्णन करते हुए बताया है कि श्रीराम प्रातः अपने माता-पिता के चरण स्पर्श करते थे जबकि आज चरण स्पर्श तो दूर बच्चे माता-पिता की बात तक नहीं मानते।

  श्री रामावतार स्तुति
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भये प्रगट कृपाला दीनदयाला कौसल्या हितकारी .
हरषित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत रूप बिचारी ..

लोचन अभिरामा तनु घनस्यामा निज आयुध भुज चारी .
भूषन वनमाला नयन बिसाला सोभासिन्धु खरारी ..

कह दुइ कर जोरी अस्तुति तोरी केहि बिधि करौं अनंता .
माया गुन ग्यानातीत अमाना वेद पुरान भनंता ..

करुना सुख सागर सब गुन आगर जेहि गावहिं श्रुति संता .
सो मम हित लागी जन अनुरागी भयौ प्रकट श्रीकंता ..

ब्रह्मांड निकाया निर्मित माया रोम रोम प्रति बेद कहै .
मम उर सो बासी यह उपहासी सुनत धीर मति थिर न रहै ..

उपजा जब ग्याना प्रभु मुसुकाना चरित बहुत बिधि कीन्ह चहै .
कहि कथा सुहाई मातु बुझाई जेहि प्रकार सुत प्रेम लहै ..

माता पुनि बोली सो मति डोली तजहु तात यह रूपा .
कीजे सिसुलीला अति प्रियसीला यह सुख परम अनूपा ..

सुनि बचन सुजाना रोदन ठाना होइ बालक सुरभूपा .
यह चरित जे गावहि हरिपद पावहि ते न परहिं भवकूपा ..

– दोहा –
विप्र धेनु सुर सन्त हित, लीं मनुज अवतार। निज इच्छा निर्मित कर, श्री माया गुण गोपाल।।

श्री राम स्तुति: 
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श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन
हरण भवभय दारुणं ।
नव कंज लोचन कंज मुख
कर कंज पद कंजारुणं ॥१॥

कन्दर्प अगणित अमित छवि
नव नील नीरद सुन्दरं ।
पटपीत मानहुँ तडित रुचि शुचि
नोमि जनक सुतावरं ॥२॥

भजु दीनबन्धु दिनेश दानव
दैत्य वंश निकन्दनं ।
रघुनन्द आनन्द कन्द कोशल
चन्द दशरथ नन्दनं ॥३॥

शिर मुकुट कुंडल तिलक
चारु उदारु अङ्ग विभूषणं ।
आजानु भुज शर चाप धर
संग्राम जित खरदूषणं ॥४॥

इति वदति तुलसीदास शंकर
शेष मुनि मन रंजनं ।
मम् हृदय कंज निवास कुरु
कामादि खलदल गंजनं ॥५॥

मन जाहि राच्यो मिलहि सो
वर सहज सुन्दर सांवरो ।
करुणा निधान सुजान शील
स्नेह जानत रावरो ॥६॥

एहि भांति गौरी असीस सुन सिय
सहित हिय हरषित अली।
तुलसी भवानिहि पूजी पुनि-पुनि
मुदित मन मन्दिर चली ॥७॥

॥सोरठा॥
जानी गौरी अनुकूल सिय
हिय हरषु न जाइ कहि ।
मंजुल मंगल मूल वाम
अङ्ग फरकन लगे।

आप सभी धर्म प्रेमी सज्जनों को श्री राम जन्मोत्सव की हार्दिक मंगलकामनाये।।

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English Translation :-

shri ram navami special
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  The new Vikram Samvatsar begins every year on the Pratipada of the Shukla Paksha of Chaitra month and eight days after that, on the Navami of Chaitra Shukla Paksha, the Hindu festival of Ram Janmotsav which is celebrated as Ram Navami, this year the festival of Shri Ram Navami is celebrated on 10 April.  is being celebrated on 2022.  Ram and Krishna have been two such glorious figures in our country, whose indelible influence has been going on continuously for centuries on the whole of India.

 Ram Navami is dedicated to the memory of Lord Rama.  Rama is the epitome of virtue, and is called "Maryada Purushottam".  Ram Navami is celebrated in the memory of Ram's birthday.  Rama is believed to be an incarnation of Lord Vishnu, who came to earth to fight the invincible Ravana (the demon king in human form).  Ram Rajya (Rama's rule) has become synonymous with a period of peace and prosperity.  On the day of Ram Navami, a large number of devotees swing the idols of Rama in cradles to celebrate his birth anniversary.  The story of Rama is described in Tulsi Ramayana, the poem of this great king.

 Maryada Purushottam Introduction
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 Lord Vishnu incarnated on earth in the form of Rama to kill the Asuras and was called Maryada Purushottam, following the rules in life.  Even today, the birth anniversary of Maryada Purushottam Ram is celebrated with pomp, but his ideals are not implemented in life.  Despite being the prince of Ayodhya, Lord Rama left the entire splendor and went to the forest for 14 years to fulfill the words of his father, and today, in the longing for glory, the son is becoming the time of his parents.

 Birth of Shri Ram
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 Purushottam Lord Rama was born on the ninth of Shukla Paksha of Chaitra month from Punarvasu Nakshatra and Kaushalya's womb in Cancer ascendant.  This day is considered a holy festival in Indian life.  On this day people earn meritorious benefits by bathing in the Sarayu river.
 According to Agastya Samhita
 That which brings in the auspicious and takes away the inauspicious,
 Dawhusu Dashrath Ajar Bihari
 According to Agastyasamhita, on the Navami of Chaitra Shukla Paksha, Punarvasu Nakshatra, when the Sun was sitting on Aries with the auspicious sight of other five planets in the Cancer ascendant, only then Lord Shri Ram was born from the womb of Mother Kaushalya.

 Chaitra Shukla Navami has special significance from religious point of view.  In Treta Yuga, on the day of Chaitra Shukla Navami, the Akhil universe hero Akhilesh was born as a son to Raghukul Shiromani Maharaj Dasharatha and Maharani Kaushalya.  Rama was born at twelve o'clock in the day, as soon as the four-armed Shri Ram, holding the Soundarya Niketan, the conch shell, the wheel, the mace, the Padma, appeared, Mother Kaushalya was astonished to see him.  Seeing the beauty and brilliance of Rama, his eyes were not satisfied.  Devlok also looked pale upon seeing the birth anniversary of Shri Ram in front of Awadh.  The deities, rishis, kinnars, bards were all participating and enjoying the birth festival.  We celebrate Ram Janmotsav every year on Chaitra Shukla Navami and get engrossed in kirtans, bhajans, stories etc.  On the day of Ramnavami, Goswami Tulsidas started the creation of Ramcharitmanas.

     Ramnavmi worship method
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 In Hinduism, worship is done on the day of Ram Navami.  The materials required for the Ramnavami puja are roli, apen, rice, water, flowers, a bell and a conch.  After the puja, the youngest female member of the family vaccinates all the members of the family.  In the worship of Ramnavami, water, roli and apen are first offered to the deities, after which a handful of rice is offered to the idols.  Aarti is performed after the puja and after the aarti Gangajal or plain water is sprinkled on all the people gathered.

 Sri Ramnavami Vrat Vidhi
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 On the day of Ramnavami, the person who worships Lord Shri Ram by fasting for the whole day, and does charity and charity according to his financial condition, he is able to burn the sins of many births.

 Ramnavami fast is observed by women.  A woman observing a fast on this day should wake up early in the morning.  After cleaning the house, it should be purified by sprinkling Gangajal in the house.  After this, take a bath and take a vow of fasting.  After this, a glass filled with water should be kept on a square piece of wood and a silver ring should be kept with your finger.  It is symbolically considered to be Ganeshji.  While listening to the fast story, the importance of listening to the story by taking grains of wheat-millet etc. in hand has also been said.  On the day of fasting of Ramnavami, there is a special ritual to decorate the temple or house with flag, flag, pylon and bandanavar etc.  On the day of the fast, worship of the Kalash and Ram's family should be done, and Lord Shri Ram should be worshiped throughout the day, remembrance, hymns, charity, virtue, havan, Pitrushradh and Utsav should be done.

 shri ramnavami fasting story
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 Rama, Sita and Lakshmana were going to the forest.  Seeing Sita ji and Lakshmana tired, Ram ji thought of taking rest for a while and went to an old lady's house.  The old lady was spinning the yarn.  The old lady welcomed him and made him sit, bathe and meditate and got him food.  Ram ji said - old lady, "First pick my swan pearl, then I will also do it."  From where did the pearls come to the poor old woman, the poor lived by spinning yarn.  She didn't even think it right to say no to the guest.  Got in trouble.  Therefore, strengthening her heart, she reached the king.  And Anjali started pleading to give pearls.  The king was astonished that he did not have grains to eat and Moti was asking for a loan.  In this situation, the question of getting the pearl back from the old lady does not arise.  After all, the king told his servants and gave the pearls to the old lady.  The old lady came home with the pearls, plucked the pearls for the swan and welcomed the guests.  After taking rest at night, Ram ji, Sita ji and Lakshman ji started leaving in the morning.  On his way, Ram ji planted a tree of pearls at his place of keeping water.  Days passed and the tree grew, the tree started growing, but the old lady did not know anything.  From the pearl tree, the people of the neighborhood started taking pearls by stealth.  One day when the old lady sitting under him was spinning yarn.  So a pearl came and fell in his lap.  Then the old lady knew.  She quickly tied the pearls and tied it in her cloth and led her towards the fort.  He placed the pearl bundle in front of the king.  The king was astonished to see so many pearls.  On asking him, the old lady told the whole thing to the king.  Greed came in the mind of the king.  He started asking for a pearl tree from the old lady.  The old lady said that everyone around takes her away.  If you want, take it too.  what I have to do.  The king immediately ordered the tree and got it installed in his court.  But according to Ramji, instead of pearls there were thorns and people's clothes started getting spoiled by those thorns.  One day a thorn pricked the queen's heel and started suffering.  The king picked up the tree and sent it back to the old lady's house.  Pearls started appearing on the tree as before.  The old lady lived comfortably and distributed a lot of pearls.

 Fruits of Shri Ram Navami Vrat
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 By observing the fast of Shri Ramnavami, the knowledge of a person increases.  His patience power expands.  Apart from this, the power of thought, intellect, faith, devotion and purity also increase in the fasting person.  It is said about this fast, that when this fast is done with devotion.  And if it is done for life, then the fruits of this fast are obtained the most.  Ramnavami and Janmashtami are celebrated with glee but do not adopt their deeds and message.  The knowledge of Gita given by Krishna to Arjuna has now become just a book.  Tulsidasji, while describing the life of Lord Rama in Ramcharitmanas, has told that Shri Ram used to touch the feet of his parents in the morning, whereas today children do not even listen to the parents.

   shri ramavatar stuti
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 Fearful manifested Kripala Deendayala Kausalya beneficial.
 Harshit Mahtari Muni lost his mind in a wonderful form..

 Lochan Abhirama Tanu Ghansayama Nij Ayudh Bhuj Chari.
 Bhushan Vanmala Nayan Bisala Sobhasindhu Kharari..

 When you say something, you can do your best wishes, Ananta.
 Maya Gun Gyanateet Amana Veda Purana Bhananta..

 Karuna Sukh Sagar Sab Gun Agar Jehi Gaahim Shruti Santa.
 So Mam Hit Lagi Jan Anuragi Bhaiyu manifest Shrikanta..

 Maya Rom Rom Prati Bed is said to be the creation of the universe body.
 Mam ur so stale, listening to this ridicule is not stopping..

 When Gyana Prabhu Musukana Charit is very good.
 Kahi Katha Suhai Matu is extinguished jehi type sut love lehai..

 Mata puni said so matti doli tajhu tat ya rupa.
 Keje sisulila very dearsila this happiness is supreme anupa..

 Suni bachchan sujana rodan thana hoi child surbhupa.
 This character is je gavahi haripad pavhi te na parhin bhavakupa..

 - couplet -
 Vipra Dhenu Sur Sant Hit, took the incarnation of Manuj.  By creating my own desire, Shri Maya Gun Gopal.

 Shri Ram Stuti:
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 Shri Ramchandra Kripalu Bhajuman
 Haran Bhavabhaya Darunam.
 Nav Kanj Lochan Kanj Mukh
 kar kanj pada kanjarunam 1॥

 Kandarp Countless Amit Image
 New Neel Neerad Sundaram.
 Patpeet Manhun Tadit Ruchi Shuchi
 Nomi Janak Sutaavaram 2॥

 Bhaju Deenbandhu Dinesh Danav
 Daitya dynasty Nikandanam.
 Raghunand Anand Kand Koshal
 Chand Dasaratha Nandan 3

 head crown coil tilak
 Charu Udaru Anga Vibhushanam.
 Aajnu Bhuj Shar Chap Dhar
 Sangram Jit Khardushanam 4॥

 Iti Vadati Tulsidas Shankar
 Rest Muni Man Ranjan.
 Mam Hriday Kanj Niwas Kuru
 Kamadi Khaldal Ganjanam 5॥

 Man Jahi Rachiyo Milahi So
 Blessed be the easy beautiful swaro.
 Karuna Nidhan Suzanne Sheel
 Sneh Janat Ravro 6॥

 eh hai bhaari gauri asees sun siye
 Including Hi Harshit Ali.
 Tulsi Bhavanihi Puja Puni-Puni
 Mudit Man Mandir Chali 7॥

 Sortha
 Jani Gauri friendly time
 Hi Harshu, don't go.
 Manjul Mangal Mool Left
 Things started to change.

 Wishing you all the religion loving gentlemen a very Happy Sri Ram Janmotsav

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