02 अप्रैल 2022

चैत्र नवरात्री 2022 में घट स्थापना मुहूर्त एवं पूजन विधि Ghat Establishment Muhurta And Worship Method In Chaitra Navratri 2022

 



चैत्र नवरात्री में घट स्थापना-मुहूर्त एवं पूजन विधि

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प्रतिवर्ष की भांति इसवर्ष भी हिंदुओ के प्रमुख त्योहारो में से एक चैत्र नवरात्रि चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से नवमी तक मनाया जाएगा। इस वर्ष 2022 में चैत्र नवरात्रों का आरंभ 2 अप्रैल (शनिवार) से होगा और 10 अप्रैल तक व्रत उपासना का पर्व मनाया जाएगा. इस बार किसी भी तिथि का क्षय नहीं होने से नवरात्र का महोत्सव पूरे नौ दिन का होगा तथा 11अप्रैल दशमी के दिन श्रीदुर्गा विसर्जन किया जाएगा।

 

दुर्गा पूजा का आरंभ घट स्थापना से शुरू हो जाता है अत: यह नवरात्र घट स्थापना प्रतिपदा तिथि को 2 अप्रैल (शनिवार) के दिन की जाएगी।


इस बार नवरात्रि महासंयोग लेकर आ रही है। इस बार नवरात्रों में शुभ योग बन रहा है।


 इस बार मां का आगमन (अश्व) घोड़े पर हो रहा है।


देवी भागवत में नवरात्रि के प्रारंभ व समापन के वार अनुसार माताजी के आगमन प्रस्थान के वाहन इस प्रकार बताए गए हैं।


आगमन वाहन

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"शशि सूर्य गजरुढा शनिभौमै तुरंगमे। गुरौशुक्रेच दोलायां बुधे नौकाप्रकीर्तिता॥"


देवीभाग्वत पुराण के इस श्लोक में बताया गया है कि माता का वाहन क्या होगा यह दिन के अनुसार तय होता है। अगर नवरात्र का आरंभ सोमवार या रविवार को हो रहा है तो माता का आगमन हाथी पर होगा। शनिवार और मंगलवार को माता का आगमन होने पर उनका वाहन घोड़ा होता है। गुरुवार और शुक्रवार को आगमन होने पर माता डोली में आती हैं जबकि बुधवार को नवरात्र का आरंभ होने पर माता का वाहन नाव होता है।


माँ के वाहन का फल 

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इन तथ्यों को बाकायदा देवी भागवत के एक श्लोक के जरिए बताया गया है। 


शशिसूर्ये गजारूढ़ा शनिभौमे तुरंगमे।

गुरौ शुक्रे चदोलायां बुधे नौका प्रकी‌र्त्तिता ।।


अर्थात जब मां हाथी पर सवार होकर धरती पर आती हैं तो ज्यादा पानी बरसता है, घोड़े पर सवार होकर आती हैं तो युद्ध के हालात पैदा होते हैं, नौका पर सवार होकर आती हैं तो सब अच्छा होता है और शुभ फलदायी होता है। अगर मां डोली में बैठकर आती हैं तो महामारी, संहार का अंदेशा होता है।


प्रस्थान वाहन

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देवीभाग्वत पुराण में बताया गया है कि 


"शशि सूर्य दिने यदि सा विजया महिषागमने रुज शोककरा, 

शनि भौमदिने यदि सा विजया 

चरणायुध यानि करी विकला।

बुधशुक्र दिने यदि सा विजया 

गजवाहन गा शुभ वृष्टिकरा, 

सुरराजगुरौ यदि सा विजया 

नरवाहन गा शुभ सौख्य करा॥ 


इस श्लोक से स्पष्ट है कि इस वर्ष माता नर वाहन पर जा रही हैं। 


माँ के प्रस्थान वाहन का फल

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रविवार या सोमवार को देवी मां भैंसे की सवारी से प्रस्थान करती हैं तो देश में रोग और शोक बढ़ता है।


शनिवार या मंगलवार को देवी मां मुर्गे पर सवार होकर जाती हैं तो जनता में दुख और कष्ट बढ़ता है।


बुधवार या शुक्रवार को देवी मां हाथी पर सवार होकर विदा लेती हैं तो ज्यादा बारिश ज्यादा होती है।


गुरुवार को मां दुर्गा मनुष्य की सवारी से जाती हैं और इसका तात्पर्य ये हुआ कि मनुष्यता बढ़ेगी, सुख शांति बनी रहेगी।


साधक भाई बहन जो ब्राह्मण द्वारा पूजन करवाने में असमर्थ है एवं जो सामर्थ्यवान होने पर भी समयाभाव के कारण पूजा नही कर पाते उनके लिये अत्यंत साधरण लौकिन मंत्रो से पंचोपचार विधि द्वारा सम्पूर्ण पूजन विधि बताई जा रही है आशा है आप सभी साधक इसका लाभ उठाकर माता के कृपा पात्र बनेंगे।


घट स्थापना एवं माँ दुर्गा पूजन शुभ मुहूर्त

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नवरात्रि में घट स्थापना का बहुत महत्त्व होता है। शुभ मुहूर्त में कलश स्थापित किया जाता है। घट स्थापना प्रतिपदा तिथि में कर लेनी चाहिए। 


कलश को सुख समृद्धि , ऐश्वर्य देने वाला तथा मंगलकारी माना जाता है। कलश के मुख में भगवान विष्णु , गले में रूद्र , मूल में ब्रह्मा तथा मध्य में देवी शक्ति का निवास माना जाता है। नवरात्री के समय ब्रह्माण्ड में उपस्थित शक्तियों का घट में आह्वान करके उसे कार्यरत किया जाता है। इससे घर की सभी विपदा दायक तरंगें नष्ट हो जाती है तथा घर में सुख शांति तथा समृद्धि बनी रहती है।


नवरात्री की पहली तिथि पर सभी भक्त अपने घर के मंदिर में कलश स्थापना करते हैं। इस कलश स्थापना की भी अपनी एक विधि, एक मुहूर्त होता है। परंतु चैत्र शुक्ल प्रतिपदा स्वयं सिद्ध साढ़े तीन मुहूर्त में से प्रथम है इसलिये इस दिन किसी भी प्रकार के मुहूर्त देखने की आवश्यकता नही होती फिर भी संभव हो तो इस वर्ष घट स्थापना प्रातः 06 बजकर 05 मिनट से लेकर 08 बजकर 31 मिनट तक कर लें। इसके पश्चात अभिजित मुहुर्त में दिन 11:55 से 12:45 तक स्थापना की जा सकती है। इसके पश्चात केवल राहुकाल के समय 09:13 से 10:47 तक के समय को छोड़कर अपनी सुविधानुसार दिन में कभी भी घटस्थापना की जा सकती है।


नवरात्र तिथि

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शारदीय नवरात्रि 2022 की महत्वपूर्ण तारीखें


1👉  2 अप्रैल शनिवार - प्रतिपदा - पहला दिन, घट या कलश स्थापना। इस दिन माता दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा होगी।


2👉 3 अप्रैल रविवार- द्वितीया - दूसरा दिन। इस दिन माता के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा की जाती है।


3👉 4 अप्रैल सोमवार- तृतीया - तीसरा दिन। इस दिन दुर्गा जी के चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा की जाएगी।


4👉 5 अप्रैल मंगलवार- चतुर्थी - चौथा दिन। माता दुर्गा के कुष्मांडा स्वरुप की पूजा-अर्चना होगी।


5👉 6 अप्रैल बुधवार- पंचमी - पांचवां दिन- इस दिन मां भगवती के स्कंदमाता स्वरूप की पूजा की जाती है।


6👉 7 अप्रैल गुरूवार- षष्ठी- छठा दिन- इस दिन माता दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की पूजा होती है।


7👉 8 अप्रैल शुक्रवार- सप्तमी- सातवां दिन- इस दिन माता दुर्गा के कालरात्रि स्वरूप की आराधना की जाती है।


8👉 9 अप्रैल शनिवार- अष्टमी - आठवां दिन- दुर्गा अष्टमी पूजन। इस दिन माता दुर्गा के महागौरी स्वरूप की पूजा अर्चना की जाती है।


9 👉 10 अप्रैल रविवार- नवमी - नौवां दिन- इस दिन माता के सिद्धिदात्री स्वरुप की पूजन तथा नवमी हवन होगा, नवरात्रि पारण।


10👉 11 अप्रैल सोमवार- दशमी के दिन जिन लोगों ने माता दुर्गा की प्रतिमाओं की स्थापना की होगी, वे विधि विधान से माता का विसर्जन करेंगे। 


घट स्थापना एवं दुर्गा पूजन की सामग्री 

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👉 जौ बोने के लिए मिट्टी का पात्र। यह वेदी कहलाती है।


👉 जौ बोने के लिए शुद्ध साफ़ की हुई मिटटी जिसमे कंकर आदि ना हो।


👉 पात्र में बोने के लिए जौ ( गेहूं भी ले सकते है )।


👉 घट स्थापना के लिए मिट्टी का कलश ( सोने, चांदी या तांबे का कलश भी ले सकते है )।


👉 कलश में भरने के लिए शुद्ध जल।


👉 नर्मदा या गंगाजल या फिर अन्य साफ जल।


👉 रोली , मौली।


👉 इत्र, पूजा में काम आने वाली साबुत सुपारी, दूर्वा, कलश में रखने के लिए सिक्का ( किसी भी प्रकार का कुछ लोग चांदी या सोने का सिक्का भी रखते है )।


👉 पंचरत्न ( हीरा , नीलम , पन्ना , माणक और मोती )।


👉 पीपल , बरगद , जामुन , अशोक और आम के पत्ते ( सभी ना मिल पायें तो कोई भी दो प्रकार के पत्ते ले सकते है )।


👉 कलश ढकने के लिए ढक्कन ( मिट्टी का या तांबे का )।


👉 ढक्कन में रखने के लिए साबुत चावल।


👉 नारियल, लाल कपडा, फूल माला

,फल तथा मिठाई, दीपक , धूप , अगरबत्ती।


भगवती मंडल स्थापना विधि 

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जिस जगह पुजन करना है उसे एक दिन पहले ही साफ सुथरा कर लें। गौमुत्र गंगाजल का छिड़काव कर पवित्र कर लें।

सबसे पहले गौरी〰️गणेश जी का पुजन करें। 


भगवती का चित्र बीच में उनके दाहिने ओर हनुमान जी और बायीं ओर बटुक भैरव को स्थापित करें। भैरव जी के सामने शिवलिंग और हनुमान जी के बगल में रामदरबार या लक्ष्मीनारायण को रखें। गौरी गणेश चावल के पुंज पर भगवती के समक्ष स्थान दें।

मैं एक चित्र बना कर संलग्न किये दे रहा हूं कि कैसे रखना है सारा चीज। मैं एक एक कर विधि दे रहा हूं। आप बिल्कुल आराम से कर सकेंगे।


दुर्गा पूजन सामग्री

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पंचमेवा पंच​मिठाई रूई कलावा, रोली, सिंदूर, अक्षत, लाल वस्त्र , फूल, 5 सुपारी, लौंग,  पान के पत्ते 5 , घी, कलश, कलश हेतु आम का पल्लव, चौकी, समिधा, हवन कुण्ड, हवन सामग्री, कमल गट्टे, पंचामृत ( दूध, दही, घी, शहद, शर्करा ), फल, बताशे, मिठाईयां, पूजा में बैठने हेतु आसन, हल्दी की गांठ , अगरबत्ती, कुमकुम, इत्र, दीपक, , आरती की थाली. कुशा, रक्त चंदन, श्रीखंड चंदन, जौ, ​तिल, माँ की प्रतिमा, आभूषण व श्रृंगार का सामान, फूल माला।


गणपति पूजन विधि

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किसी भी पूजा में सर्वप्रथम गणेश जी की पूजा की जाती है.हाथ में पुष्प लेकर गणपति का ध्यान करें।


गजाननम्भूतगणादिसेवितं कपित्थ जम्बू फलचारुभक्षणम्। 

उमासुतं शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपंकजम्।


आवाहन:👉  हाथ में अक्षत लेकर

आगच्छ देव देवेश, गौरीपुत्र ​विनायक।

तवपूजा करोमद्य, अत्रतिष्ठ परमेश्वर॥


ॐ श्री ​सिद्धि ​विनायकाय नमः इहागच्छ इह तिष्ठ कहकर अक्षत गणेश जी पर चढा़ दें। 


हाथ में फूल लेकर ॐ श्री ​सिद्धि ​विनायकाय नमः आसनं समर्पया​मि, 


अर्घ्य👉 अर्घा में जल लेकर बोलें ॐ श्री ​सिद्धि ​विनायकाय नमः अर्घ्यं समर्पया​मि, 


आचमनीय-स्नानीयं👉  ॐ श्री ​सिद्धि ​विनायकाय नमः आचमनीयं समर्पया​मि 


वस्त्र👉  लेकर ॐ श्री ​सिद्धि ​विनायकाय नमः वस्त्रं समर्पया​मि, 


यज्ञोपवीत👉 ॐ श्री ​सिद्धि ​विनायकाय नमः यज्ञोपवीतं समर्पया​मि, 


पुनराचमनीयम्👉 दोबारा पात्र में जल छोड़ें। ॐ श्री ​सिद्धि ​विनायकाय नमः  


रक्त चंदन लगाएं:👉  इदम रक्त चंदनम् लेपनम्  ॐ श्री ​सिद्धि ​विनायकाय नमः , इसी प्रकार श्रीखंड चंदन बोलकर श्रीखंड चंदन लगाएं।


इसके पश्चात सिन्दूर चढ़ाएं "इदं सिन्दूराभरणं लेपनम् ॐ श्री ​सिद्धि ​विनायकाय नमः, 


दूर्वा और विल्बपत्र भी गणेश जी को चढ़ाएं।

 

पूजन के बाद गणेश जी को प्रसाद अर्पित करें: ॐ श्री ​सिद्धि ​विनायकाय नमः इदं नानाविधि नैवेद्यानि समर्पयामि, 


मिष्ठान अर्पित करने के लिए मंत्र👉 शर्करा खण्ड खाद्या​नि द​धि क्षीर घृता​नि च, आहारो भक्ष्य भोज्यं गृह्यतां गणनायक। 


प्रसाद अर्पित करने के बाद आचमन करायें। इदं आचमनीयं ॐ श्री ​सिद्धि ​विनायकाय नमः 


इसके बाद पान सुपारी चढ़ायें👉 ॐ श्री ​सिद्धि ​विनायकाय नमः ताम्बूलं समर्पयामि।


अब फल लेकर गणपति को चढ़ाएं ॐ श्री ​सिद्धि ​विनायकाय नमः फलं समर्पयामि, 


अब दक्षिणा चढ़ाये ॐ श्री ​सिद्धि ​विनायकाय नमः द्रव्य दक्षिणां समर्पया​मि, अब ​विषम संख्या में दीपक जलाकर ​निराजन करें और भगवान की आरती गायें। हाथ में फूल लेकर गणेश जी को अर्पित करें, ​फिर तीन प्रद​क्षिणा करें। इसी प्रकार से अन्य सभी देवताओं की पूजा करें। जिस देवता की पूजा करनी हो गणेश के स्थान पर उस देवता का नाम लें।


घट स्थापना एवं दुर्गा पूजन की विधि

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सबसे पहले जौ बोने के लिए एक ऐसा पात्र लें जिसमे कलश रखने के बाद भी आस पास जगह रहे। यह पात्र मिट्टी की थाली जैसा कुछ हो तो श्रेष्ठ होता है। इस पात्र में जौ उगाने के लिए मिट्टी की एक परत बिछा दें। मिट्टी शुद्ध होनी चाहिए । पात्र के बीच में कलश रखने की जगह छोड़कर बीज डाल दें। फिर एक परत मिटटी की बिछा दें। एक बार फिर जौ डालें। फिर से मिट्टी की परत बिछाएं। अब इस पर जल का छिड़काव करें।


कलश तैयार करें। कलश पर स्वस्तिक बनायें। कलश के गले में मौली बांधें। अब कलश को थोड़े गंगा जल और शुद्ध जल से पूरा भर दें। कलश में साबुत सुपारी , फूल और दूर्वा डालें। कलश में इत्र , पंचरत्न तथा सिक्का डालें। अब कलश में पांचों प्रकार के पत्ते डालें। कुछ पत्ते  थोड़े बाहर दिखाई दें इस प्रकार लगाएँ। चारों तरफ पत्ते लगाकर ढ़क्कन लगा दें। इस ढ़क्कन में अक्षत यानि साबुत चावल भर दें।


नारियल तैयार करें। नारियल को लाल कपड़े में लपेट कर मौली बांध दें। इस नारियल को कलश पर रखें। नारियल का मुँह आपकी तरफ होना चाहिए। यदि नारियल का मुँह ऊपर की तरफ हो तो उसे रोग बढ़ाने वाला माना जाता है। नीचे की तरफ हो तो शत्रु बढ़ाने वाला मानते है , पूर्व की और हो तो धन को नष्ट करने वाला मानते है। नारियल का मुंह वह होता है जहाँ से वह पेड़ से जुड़ा होता है। अब यह कलश जौ उगाने के लिए तैयार किये गये पात्र के बीच में रख दें। अब देवी देवताओं का आह्वान करते हुए प्रार्थना करें कि ” हे समस्त देवी देवता आप सभी नौ दिन के लिए कृपया कलश में विराजमान हों “।


आह्वान करने के बाद ये मानते हुए कि सभी देवता गण कलश में विराजमान है। कलश की पूजा करें। कलश को टीका करें , अक्षत चढ़ाएं , फूल माला अर्पित करें , इत्र अर्पित करें , नैवेद्य यानि फल मिठाई आदि अर्पित करें। घट स्थापना या कलश स्थापना के बाद दुर्गा पूजन शुरू करने से पूर्व चौकी को धोकर माता की चौकी सजायें। आसन बिछाकर गणपति एवं दुर्गा माता की मूर्ति के सम्मुख बैठ जाएं. इसके बाद अपने आपको तथा आसन को इस मंत्र से शुद्धि करें  


"ॐ अपवित्र : पवित्रोवा सर्वावस्थां गतोऽपिवा। य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तर: शुचि :॥" 


इन मंत्रों से अपने ऊपर तथा आसन पर 3-3 बार कुशा या पुष्पादि से छींटें लगायें 


कब नीचे दिए मंत्र से आचमन करें - 


ॐ केशवाय नम: ॐ नारायणाय नम:, ॐ माधवाय नम:, ॐ गो​विन्दाय नम:, 


फिर हाथ धोएं, पुन: आसन शुद्धि मंत्र बोलें :-


ॐ पृथ्वी त्वयाधृता लोका देवि त्यवं विष्णुनाधृता। 

त्वं च धारयमां देवि पवित्रं कुरु चासनम्॥ 


शुद्धि और आचमन के बाद चंदन लगाना चाहिए. अनामिका उंगली से श्रीखंड चंदन लगाते हुए यह मंत्र बोलें- 


चन्दनस्य महत्पुण्यम् पवित्रं पापनाशनम्,

आपदां हरते नित्यम् लक्ष्मी तिष्ठतु सर्वदा।  


दुर्गा पूजन हेतु संकल्प 

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पंचोपचार करने बाद किसी भी पूजन को आरम्भ करने से पहले पूजा की पूर्ण सफलता के लिये संकल्प करना चाहिए. संकल्प में पुष्प, फल, सुपारी, पान, चांदी का सिक्का, नारियल (पानी वाला), मिठाई, मेवा, आदि सभी सामग्री थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लेकर संकल्प मंत्र बोलें :


ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णु:, ॐ अद्य  ब्रह्मणोऽह्नि द्वितीय परार्धे श्री श्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरे, अष्टाविंशतितमे कलियुगे, कलिप्रथम चरणे जम्बूद्वीपे भरतखण्डे भारतवर्षे पुण्य (अपने नगर/गांव का नाम लें) क्षेत्रे बौद्धावतारे वीर विक्रमादित्यनृपते : 2077, तमेऽब्दे प्रमादि नाम संवत्सरे श्रीसूर्य दक्षिणायने दक्षिण गोले शरद ऋतो महामंगल्यप्रदे मासानां मासोत्तमे आश्विन मासे शुक्ल पक्षे प्र​तिपदायां तिथौ शनि वासरे (गोत्र का नाम लें) गोत्रोत्पन्नोऽहं अमुकनामा (अपना नाम लें) सकलपापक्षयपूर्वकं सर्वारिष्ट शांतिनिमित्तं सर्वमंगलकामनया- श्रुतिस्मृत्योक्तफलप्राप्त्यर्थं मनेप्सित कार्य सिद्धयर्थं श्री दुर्गा पूजनं च अहं क​रिष्ये। तत्पूर्वागंत्वेन ​निर्विघ्नतापूर्वक कार्य ​सिद्धयर्थं यथा​मिलितोपचारे गणप​ति पूजनं क​रिष्ये। 

 

दुर्गा पूजन विधि

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सबसे पहले माता दुर्गा का ध्यान करें-

सर्व मंगल मागंल्ये ​शिवे सर्वार्थ सा​धिके ।

शरण्येत्रयम्बिके गौरी नारायणी नमोस्तुते ॥

आवाहन👉 श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। दुर्गादेवीमावाहया​मि॥


आसन👉 श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। आसानार्थे पुष्पाणि समर्पया​मि॥


अर्घ्य👉  श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। हस्तयो: अर्घ्यं समर्पया​मि॥


आचमन👉 श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। आचमनं समर्पया​मि॥


स्नान👉 श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। स्नानार्थं जलं समर्पया​मि॥ 

स्नानांग आचमन- स्नानान्ते पुनराचमनीयं जलं समर्पया​मि।

स्नान कराने के बाद पात्र में आचमन के लिये जल छोड़े।


पंचामृत स्नान👉 श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। पंचामृतस्नानं समर्पया​मि॥


पंचामृत स्नान कराने के बाद पात्र में आचमन के लिये जल छोड़े।


गन्धोदक-स्नान👉 श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। गन्धोदकस्नानं समर्पया​मि॥


गंधोदक स्नान (रोली चंदन मिश्रित जल) से कराने के बाद पात्र में आचमन के लिये जल छोड़े।


शुद्धोदक स्नान👉 श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। शुद्धोदकस्नानं समर्पया​मि॥

आचमन- शुद्धोदकस्नानान्ते आचमनीयं जलं समर्पया​मि 

शुद्धोदक स्नान कराने के बाद पात्र में आचमन के लिये जल छोड़े।


वस्त्र👉 श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। वस्त्रं समर्पया​मि ॥ 

वस्त्रान्ते आचमनीयं जलं समर्पया​मि। 

वस्त्र पहनने के बाद पात्र में आचमन के लिये जल छोड़े।


सौभाग्य सू़त्र👉 श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। सौभाग्य सूत्रं समर्पया​मि ॥

मंगलसूत्र या हार पहनाए।


चन्दन👉  श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। चन्दनं समर्पया​मि ॥

चंदन लगाए


ह​रिद्राचूर्ण👉 श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। ह​रिद्रां समर्पया​मि ॥

हल्दी अर्पण करें।


कुंकुम👉 श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। कुंकुम समर्पया​मि ॥ 

कुमकुम अर्पण करें।


​सिन्दूर👉  श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। ​सिन्दूरं समर्पया​मि ॥

सिंदूर अर्पण करें।


कज्जल👉 श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। कज्जलं समर्पया​मि ॥

काजल अर्पण करें।


दूर्वाकुंर👉  श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। दूर्वाकुंरा​नि समर्पया​मि ॥

दूर्वा चढ़ाए।


आभूषण👉 श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। आभूषणा​नि समर्पया​मि ॥

यथासामर्थ्य आभूषण पहनाए।


पुष्पमाला👉  श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। पुष्पमाला समर्पया​मि ॥

फूल माला पहनाए।


धूप👉 श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। धूपमाघ्रापया​मि॥ 

धूप दिखाए।


दीप👉 श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। दीपं दर्शया​मि॥ 

दीप दिखाए।


नैवेद्य👉 श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। नैवेद्यं ​निवेदया​मि॥

नैवेद्यान्ते ​त्रिबारं आचमनीय जलं समर्पया​मि।

मिष्ठान भोग लगाएं इसके बाद पात्र में 3 बार आचमन के लिये जल छोड़े।


फल👉 श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। फला​नि समर्पया​मि॥

फल अर्पण करें। इसके बाद एक बार आचमन हेतु जल छोड़े 


ताम्बूल👉 श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। ताम्बूलं समर्पया​मि॥

लवंग सुपारी इलाइची सहित पान अर्पण करें।


द​क्षिणा👉 श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। द​क्षिणां समर्पया​मि॥

यथा सामर्थ्य मनोकामना पूर्ति हेतु माँ को दक्षिणा अर्पण करें कामना करें मा ये सब आपका ही है आप ही हमें देती है हम इस योग्य नहीं आपको कुछबड़े सकें।


आरती👉 माँ की आरती करें


जय अंबे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।

तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ॥ ॐ जय…


मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को ।

उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको ॥ ॐ जय…


कनक समान कलेवर, रक्तांबर राजै ।

रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै ॥ ॐ जय…


केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी ।

सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी ॥ ॐ जय…


कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती ।

कोटिक चंद्र दिवाकर, राजत सम ज्योती ॥ ॐ जय…


शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती ।

धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती ॥ॐ जय…


चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे ।

मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भय दूर करे ॥ॐ जय…


ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी ।

आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ॥ॐ जय…


चौंसठ योगिनी गावत, नृत्य करत भैंरू ।

बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू ॥ॐ जय…


तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता ।

भक्तन की दुख हरता, सुख संपति करता ॥ॐ जय…


भुजा चार अति शोभित, वरमुद्रा धारी ।

>मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी ॥ॐ जय…


कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती ।

श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती ॥ॐ जय…


श्री अंबेजी की आरति, जो कोइ नर गावे ।

कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपति पावे ॥ॐ जय…


श्रीजगदम्बायै दुर्गादेव्यै नम:। आरा​र्तिकं समर्पया​मि॥

आरती के बाद आरती पर चारो तरफ जल फिराये।


इसके बाद भूल चुक के लिए क्षमा प्रार्थना करें।


क्षमा प्रार्थना मंत्र

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न मंत्रं नोयंत्रं तदपि च न जाने स्तुतिमहो

न चाह्वानं ध्यानं तदपि च न जाने स्तुतिकथाः ।

न जाने मुद्रास्ते तदपि च न जाने विलपनं

परं जाने मातस्त्वदनुसरणं क्लेशहरणम् ॥1॥ 


विधेरज्ञानेन द्रविणविरहेणालसतया

विधेयाशक्यत्वात्तव चरणयोर्या च्युतिरभूत् ।

तदेतत्क्षतव्यं जननि सकलोद्धारिणि शिवे

कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति ॥2॥   

                      

पृथिव्यां पुत्रास्ते जननि बहवः सन्ति सरलाः

परं तेषां मध्ये विरलतरलोऽहं तव सुतः ।

मदीयोऽयंत्यागः समुचितमिदं नो तव शिवे

कुपुत्रो जायेत् क्वचिदपि कुमाता न भवति ॥3॥    

                      

जगन्मातर्मातस्तव चरणसेवा न रचिता

न वा दत्तं देवि द्रविणमपि भूयस्तव मया ।

तथापित्वं स्नेहं मयि निरुपमं यत्प्रकुरुषे

कुपुत्रो जायेत क्वचिदप कुमाता न भवति ॥4॥   

                      

परित्यक्तादेवा विविध​विधिसेवाकुलतया

मया पंचाशीतेरधिकमपनीते तु वयसि ।

इदानीं चेन्मातस्तव कृपा नापि भविता

निरालम्बो लम्बोदर जननि कं यामि शरण् ॥5॥      

        

श्वपाको जल्पाको भवति मधुपाकोपमगिरा

निरातंको रंको विहरति चिरं कोटिकनकैः।

तवापर्णे कर्णे विशति मनुवर्णे फलमिदं

जनः को जानीते जननि जपनीयं जपविधौ ॥6॥    

                    

चिताभस्मालेपो गरलमशनं दिक्पटधरो

जटाधारी कण्ठे भुजगपतहारी पशुपतिः ।

कपाली भूतेशो भजति जगदीशैकपदवीं

भवानि त्वत्पाणिग्रहणपरिपाटीफलमिदम् ॥7॥   

                         

न मोक्षस्याकांक्षा भवविभव वांछापिचनमे

न विज्ञानापेक्षा शशिमुखि सुखेच्छापि न पुनः ।

अतस्त्वां संयाचे जननि जननं यातु मम वै

मृडाणी रुद्राणी शिवशिव भवानीति जपतः ॥8॥     

                    

नाराधितासि विधिना विविधोपचारैः

किं रूक्षचिंतन परैर्नकृतं वचोभिः ।

श्यामे त्वमेव यदि किंचन मय्यनाथे

धत्से कृपामुचितमम्ब परं तवैव ॥9॥  

                                  

आपत्सु मग्नः स्मरणं त्वदीयं

करोमि दुर्गे करुणार्णवेशि ।

नैतच्छठत्वं मम भावयेथाः

क्षुधातृषार्ता जननीं स्मरन्ति ॥10॥ 

                                      

जगदंब विचित्रमत्र किं परिपूर्ण करुणास्ति चिन्मयि ।

अपराधपरंपरावृतं नहि मातासमुपेक्षते सुतम् ॥11॥   

                                                  

मत्समः पातकी नास्तिपापघ्नी त्वत्समा नहि ।

एवं ज्ञात्वा महादेवियथायोग्यं तथा कुरु  ॥12॥


इसके बाद सभी लोग माँ को शाष्टांग प्रणाम कर घर मे सुख समृद्धि की कामना करें प्रशाद बांटे।


विस्तृत वैदिक मंत्रों से पूजन के लिये आगामी पोस्ट देखें।

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English Translation :-


Ghat establishment-muhurta and worship method in Chaitra Navratri


Like every year, this year also Chaitra Navratri, one of the major festivals of Hindus, will be celebrated from Chaitra Shukla Paksha Pratipada to Navami. In this year 2022, Chaitra Navratri will start from April 2 (Saturday) and the festival of fasting will be celebrated till April 10. This time, due to the absence of any date, the festival of Navratri will be for nine days and on April 11, Dashami, Sridurga will be immersed.


 Durga Puja starts with Ghat Sthapana, so this Navratri Ghat Sthapana will be done on Pratipada date on 2nd April (Saturday).


This time Navratri is bringing great coincidence. This time auspicious yoga is being formed in Navratras.


This time the mother's arrival (horse) is happening on a horse.


According to the beginning and end of Navratri in Goddess Bhagwat, the vehicles of arrival and departure of Mother are described as follows.



arrival vehicle


"Shashi Surya Gajrudha Shanibhaumai Turangme. Gurushukrech Dolayan Budhe Naukaprakriti॥"


In this verse of Devi Bhagwat Purana, it has been told that what will be the vehicle of the mother is decided according to the day. If Navratri is starting on Monday or Sunday, then Mother will arrive on an elephant. When the mother arrives on Saturday and Tuesday, her vehicle is a horse. On arrival on Thursdays and Fridays, the mother comes in the doli, while on Wednesday, when Navratri starts, the mother's vehicle is a boat.


fruit of mother's vehicle


These facts have been properly told through a verse of Devi Bhagwat.


Shashisurye Gajarudha Shanibhoume Turangme.


Guruu Shukre Chadolayana Budhe Nauk Prakirtita.


That is, when a mother comes to the earth riding on an elephant, it rains more, when she comes on a horse, then war situations arise, if she comes on a boat, then everything is good and auspicious results are fruitful. If the mother comes sitting in the doli, then there is a possibility of an epidemic, annihilatione



departure vehicle


It is told in Devi Bhagvat Purana that


"Shashi sun day if sa vijaya mahishagamane rouge shokkara,


Shani Bhaumdine if sa vijaya


Charanayudha means curry sold.


If weds friday


Good rain singing Gajvahan,


surrajgurou if sa vijaya


Have good luck singing Narvahan.


It is clear from this verse that this year the mother is going on a male vehicle.


fruit of mother's departure vehicle


On Sunday or Monday, if the Goddess departs on a buffalo ride, disease and grief increase in the country.


On Saturday or Tuesday, if the mother goddess goes on a rooster, then misery and suffering increases in the public.


On Wednesday or Friday, if the mother goddess leaves by riding an elephant, then there is more rain.


On Thursday, Maa Durga goes on a human ride and this means that humanity will increase, happiness and peace will remain.


Sadhak brothers and sisters who are unable to get worship done by Brahmins and those who are capable but are unable to worship due to lack of time, for them the complete worship method is being told through Panchopchar method with very simple but mantras, hope all of you seekers take advantage of this and mother. Will be worthy of grace.


Ghat Establishment and Maa Durga Puja Auspicious Muhurta


Ghat establishment is very important in Navratri. The Kalash is installed in auspicious time. Ghat installation should be done on Pratipada date.


Kalash is considered to give happiness, prosperity, opulence and benefic. Lord Vishnu is believed to reside in the mouth of the Kalash, Rudra in the neck, Brahma in the root and Goddess Shakti in the middle. At the time of Navratri, the powers present in the universe are invoked in the Ghat and made them work. Due to this, all the harmful waves of the house get destroyed and happiness, peace and prosperity remain in the house.


On the first date of Navratri, all the devotees establish a Kalash in their home temple. There is also a method of setting up this Kalash, a Muhurta. But Chaitra Shukla Pratipada is the first of the three and a half Muhurta that is self-proven, so there is no need to see any kind of Muhurta on this day, yet if possible, this year Ghat establishment should be done from 06:05 am to 08.31 am. After this, establishment can be done in Abhijit Muhurta from 11:55 to 12:45. After this Ghatasthapana can be done at any time of the day as per your convenience except from 09:13 to 10:47 only during Rahukal time.


Navratri date


Important Dates of Sharadiya Navratri 2022


1👉 2 April Saturday - Pratipada - First day, Ghat or Kalash establishment. On this day Shailputri form of Goddess Durga will be worshipped.


2👉 April 3rd Sunday - Dwitiya - Second day. The Brahmacharini form of Mother is worshiped on this day.


3👉 4th April Monday - Tritiya - Third day. On this day the Chandraghanta form of Durga ji will be worshipped.


4👉 5th April Tuesday - Chaturthi - Fourth day. Kushmanda form of Mata Durga will be worshipped.


5👉 6th April Wednesday- Panchami - Fifth day- On this day the Skandmata form of Mother Bhagwati is worshipped.


6👉 7th April Thursday - Shashti - Sixth day - On this day the Katyayani form of Mother Durga is worshipped.


7👉 8th April Friday- Saptami- Seventh day- On this day the Kalratri form of Mother Durga is worshipped.


8👉 9th April Saturday- Ashtami - Eighth day- Durga Ashtami worship. On this day the Mahagauri form of Goddess Durga is worshipped.


9👉 10th April Sunday - Navami - ninth day - On this day the Siddhidatri form of Mother will be worshiped and Navami Havan will be held, Navratri Paran.


10👉 11th April Monday - On the day of Dashami, those who would have established the idols of Mother Durga, they will immerse the mother by law.


Ghat installation and Durga Puja material


Earthen pot for sowing barley. This is called the altar.


For sowing barley, pure, clean soil which does not contain pebbles etc.


Barley (wheat can also be taken) to sow in the pot.


Earthen Kalash (Gold, Silver or Copper Kalash can also be taken) for installation of Ghat.


Pure water to fill in the Kalash.


Narmada or Gangajal or any other clean water.


Roli, Molly.


Perfume, whole betel nut used in worship, Durva, coin to keep in the urn (some people also keep silver or gold coins of any kind).


Pancharatnas (diamond, sapphire, emerald, ruby ​​and pearl).


Peepal, Banyan, Jamun, Ashok and Mango leaves (if all are not available, any two types of leaves can be taken).


Lid (of clay or copper) to cover the Kalash.


Whole rice to keep in the lid.


coconut, red cloth, flower garland


Fruits and sweets, lamps, incense, incense sticks.


Bhagwati Mandal Establishment Method


Clean the place where the worship is to be done a day before. Make it pure by sprinkling Gaumutra Gangajal.


First of all worship Gauri〰️Ganesh ji.


Place the picture of Bhagwati in the middle with Hanuman ji on her right and Batuk Bhairav ​​on her left. Place Shivling in front of Bhairav ​​ji and Ramdarbar or Laxminarayan next to Hanuman ji. Place Gauri Ganesh on a bunch of rice in front of Bhagwati.


I am attaching a picture by making a picture that how to keep the whole thing. I am giving one by one method. You can do it absolutely comfortably.


Durga Puja Material


Panchmeva Panch Sweets, cotton wool, roli, vermilion, akshat, red cloth, flowers, 5 betel nuts, cloves, betel leaves 5, ghee, urn, mango pallava for urn, chowki, samidha, havan kund, havan material, lotus gatte , Panchamrit (milk, curd, ghee, honey, sugar), fruits, batashes, sweets, seat for sitting in worship, lump of turmeric, incense sticks, kumkum, perfume, lamp, , aarti plate. Kusha, Rakt sandalwood, Shrikhand sandalwood, Barley, Sesame, Mother's statue, Jewelry and makeup items, Flower garland.


ganpati worship method


Lord Ganesha is worshiped first of all in any worship. Meditate on Ganapati with flowers in hand.


Gajananambhutaganadisevitam Kapittha Jambu Phalacharubhakshanam.


Umasutam mourning destructionkaram Namami Vighneshwarapadpankajam.


Invocation: With akshat in hand


Aagchha Dev Devesh, Gauriputra Vinayaka.


Tavapuja Karomadya, Attestish Parameshwara.


Offer it to Lord Ganesha by saying 'Shri Siddhi Vinayakaya Namah Ihagachchh Ih Tishta'.


With flowers in hand, Om Sri Siddhi Vinayakaya Namah Asanam Samarpayami,


Take water in the Arghya Argha and say 'Shri Siddhi Vinayakaya Namah Arghya Samarpayami',


Achamaniya-snaniyam shri siddhi vinayakay namah achamiyayam samparayami


Taking the clothes, Om Shri Siddhi Vinayakaya Namah Vastram Samarpayami,


Yajnopaveet Om Sri Siddhi Vinayakaya Namah Yajnopaveetam Samarpayami,


Punarachaniyam again release the water in the vessel. Om Sri Siddhi Vinayakaya Namah


Apply blood sandalwood: Om idam rakta chandanam lepanam shri siddhi vinayakaya namah, in the same way apply shrikhand sandalwood by saying shrikhand sandalwood.


After this, offer vermilion "Idam sindurabharanam lepanam shri siddhi vinayakaya namah,


Offer Durva and Vilbpatra to Lord Ganesha.


 After worship, offer prasad to Ganesh ji: Om Shri Siddhi Vinayakaya Namah Idam Nanavidhi Naivedyani Samarpayami,


The mantra for offering sweets is Sugar Khand Fooda Ni Dadhi Kshir Ghritani Ch, Aharo Bhakhya Bhojyam Grihyatam Ghanayak.


After offering prasad, make achaman. Idam Aachmaniyam Om Sri Siddhi Vinayakaya Namah


After this, offer betel leaf, Om Sri Siddhi Vinayakaya Namah Tamboolam Samarpayami.


Now take fruit and offer it to Ganapati Om Shri Siddhi Vinayakaya Namah Phalam Samarpayami,


Now offer Dakshina Om Shri Siddhi Vinayakaya Namah Dravya Dakshinam Samarpayami, now burn an odd number of lamps and sing the aarti of the Lord. Offer flowers to Lord Ganesha with flowers in hand, then do three Pradakshina. Similarly worship all other deities. In place of Ganesha, the deity whom you want to worship, take the name of that deity.


Method of Ghat Establishment and Durga Puja


First of all, for sowing barley, take a vessel in which even after keeping the urn, there is space around it. It is best if this vessel is something like an earthen plate. Spread a layer of soil in this pot to grow barley. The soil should be pure. Put the seeds in the middle of the pot leaving the place of the urn. Then spread a layer of soil. Once again add barley. Lay the layer of soil again. Now sprinkle water on it.


Prepare the vase. Make a swastika on the Kalash. Tie Mouli around the neck of the Kalash. Now fill the Kalash completely with some Ganges water and pure water. Put whole betel nut, flowers and durva in the kalash. Put perfume, Pancharatna and coin in the Kalash. Now put five types of leaves in the vase. Some leaves should be visible slightly out and plant in such a way. Apply leaves on all sides and cover it. Fill akshat i.e. whole rice in this lid.


Prepare coconut. Wrap the coconut in a red cloth and tie it to Molly. Place this coconut on the Kalash. coconut face towards youShould be. If the face of the coconut is upwards, then it is considered to increase disease. If it is on the lower side, it is considered as an enemy, if it is towards the east, then it is considered to be a destroyer of wealth. The mouth of the coconut is where it is attached to the tree. Now put this kalash in the middle of the pot prepared for growing barley. Now invoking the gods and goddesses, pray that "O all the deities, all of you please sit in the Kalash for nine days".


After invoking, believing that all the deities are seated in the urn. Worship the Kalash. Vaccinate the Kalash, offer Akshat, offer flower garlands, offer perfume, offer naivedya i.e. fruit sweets etc. After the installation of Ghat or Kalash, before starting Durga Puja, wash the post and decorate the Mata's post. Sit in front of the idol of Ganpati and Durga Mata by laying a seat. After this, purify yourself and your posture with this mantra.


"ॐ impure: pavitrava sarvavasam gatolapiva.


With these mantras, sprinkle Kusha or Pushpadi 3 times on yourself and on the seat.


When to pray with the mantra given below -


Om Keshavaya Namah: Om Narayanaya Namah, Om Madhavaya Namah, Om Go Vinday Namah,


Then wash your hands, again chant the Asana Shuddhi Mantra :-


Prithvi Tvayadhrita Loka Devi Tyavam Vishnunadhrita.


Tvam cha dharayama devi pavitam kuru chasanam


Sandalwood should be applied after purification and achaman. While applying Shrikhand sandalwood with ring finger, say this mantra-


chandansya mahatpunyam pavitam papanashanam,


Aapadaam harte nityam lakshmi tisthatu always.


Resolution for Durga Puja


After performing Panchopchar, before starting any worship, a resolution should be made for the complete success of the worship. In the resolution, take flowers, fruits, areca nut, betel leaf, silver coin, coconut (water), sweets, dry fruits, etc., in small quantities and say the resolution mantra:


Vishnuvarishnurvishnu:, Adya Brahmanohanni 2nd pardhe Sri Shvetvarahkalpe Vaivasvatmanvantare, Ashtavinshatme Kaliyuge, Kalipratham Charane Jambudvipe Bharatkhande Bharatvarse Punya (name your town/village) Masottme Ashwin Masse Shukla Pakse Pratipadayan Titho Shani Vasare (Take the name of the gotra) Gotraottpannoham Amuknama (Take your name) Tatpoorvagantven, work siddhartham as militopachare ganpati pujanam karishye.


 Durga Puja Method


First of all meditate on Mother Durga-


Sarv Mangal Magalye Shiva Sarvartha Sadhike.


Sharanyetrayambike Gauri Narayani Namostute.


Invocation👉 Shreejagadambayai durgadevaya namah. Durgadevimaavahya Mr.


Asana👉 Shreejagadambayai durgadevayai namah. Saararthe Pushpani Samarpya Mi


Arghya Shreejagadambayai Durgadevaya Namah. Personality: Arghya Samarpya Mi


Aachman👉 Shreejagadambayai durgadevayai namah. Aachmanam Samarpya Mi


Bathing Shreejagadambayai Durgadevaya Namah. Bathing for water


Snanang Aachman- Snanante Punarachamaniyam Jalam Samarpayami.


After taking bath, leave water in the vessel for achaman.


Panchamrit Snan, Shreejagadambayai Durgadevaya Namah. Panchamritsnanam Samarpya Mi


After taking Panchamrit bath, leave water in the vessel for Achaman.


Gandhodak-snan👉 Shreejagadambayai durgadevayai namah. Gandhodakasnanam Samarpya Mi


After taking Gandhodak bath (roli sandalwood mixed water), leave water in the vessel for achaman.


Shuddhodak bath Shreejagadambayai durgadevaya namah. Shuddhodakasnanam Samarpya Mi


Aachman- Shuddhodakasnanante Achamiyam Jalam Samparyama


After taking the Shuddhodak bath, leave water in the vessel for Achaman.


Clothing Shreejagadambayai Durgadevaya Namah. The clothes are ready


Vastrante achamaniyam jalam samparayami.


After wearing clothes, leave water in the vessel for achaman.


Saubhagya sutra👉 Shreejagadambayai durgadevayai namah. Saubhagya Sutra Samarpayya Mi


Wear mangalsutra or necklace.


Sandalwood Shreejagadambayai Durgadevaya Namah. chandanam samparaya mi


plant sandalwood


Haridrachurna Shreejagadambayai Durgadevaya Namah. Haridran Samarpayya Mi


Offer turmeric.


Kumkum👉 Shreejagadambayai durgadevayai namah. Kumkum samparaya mi


Offer kumkum.


Sindoor Shreejagadambayai durgadevaya namah. Sindooram samparayami


Offer vermilion.


Kajjal👉 Shreejagadambayai Durgadevaya Namah. Kajjalam samparayami


Offer mascara.


Durvakunr Shreejagadambayai durgadevayai namah. Durvakunra ni samparaya mi


Offer up.


Jewelry👉 Shreejagadambayai durgadevaya namah. Jewelery


Wear jewelry as much as possible.


Pushpamala👉 Shreejagadambayai Durgadevaya Namah. Pushpamala Samarpayami


Wear a garland of flowers.


Dhoop👉 Shreejagadambayai durgadevaya namah. sunshine m


Show me the sun


Deep Shreejagadambayai durgadevaya namah. Deepam Darshya Mr.


Show me the lamp


Naivedya👉 Shreejagadambayai Durgadevaya Namah. Naivedyam Nivedya Mi


Naivedyante tribaram achamaniya jalam samparpayami.


Offer sweets, after that leave water in the vessel for three times.


Fruits Shreejagadambayai Durgadevaya Namah. Fruitful Samarpya Mi


Offer fruits. After this, leave the water for achaman once


Tambool Shreejagadambayai Durgadevaya Namah. theAmbulam Samarpya Mi


Offer betel leaf along with cardamom.


Dakshina Shreejagadambayai durgadevayai namah. Dakshinam Samarpya Mi


As much as you can, offer dakshina to the mother for fulfillment, wish that it is all yours, you only give us, we are not worthy of this, you can do something big.


Aarti👉 Perform mother's aarti


Jai Ambe Gauri, Maya Jay Shyama Gauri.


Nishdin Dhayavat to you, Hari Brahma Shivri. Jay…


Demand vermilion, tiko to mrigmad.


Dou Naina from Ujjwal, Chandravadan Niko Jay…


Like Kanak, Raktambara Rajai.


Raktpushpa gal garland, like on the throat. Jay…


Kehri Vehicle Rajat, Khadg Khappar Stripe.


Sur-Nar-Munijan Sevat, straws are sad. Jay…


Kanan coil adorned, nasagray pearls.


Kotik Chandra Diwakar, Rajat Sam Jyoti. Jay…


Shumbha-Nishumbha bidare, Mahishasur Ghati.


Dhumr Vilochan Naina, Nishadin Madmati Jai…


Chand-shunts are destroyed, the sown seeds are green.


Do Mare Madhu-Katabh, remove the fear of sound Jai…


Brahmani, Rudrani, you Kamala queen.


Aagam Nigam Bakhani, you Shiv Patrani Om Jai…


Sixty-four yogini singing, dancing Bhairu.


Bajat Tal Mridanga, Aru Bajat Damru Om Jai…


You are the mother of the world, you are the only one.


Destroys the sorrow of the devotee, makes happiness and wealth.


Arms four are very decorated, wearing a mudra.


> The desired fruit is received, serving male and female Jai…


Kanchan Thal Virajat, if Kapoor wicks.


Rajat in Srimalketu, Koti Ratan Jyoti Om Jai…



Aarti of Shri Ambeji, whoever sings.


Kahat sivanand swami, get happiness and wealth Jai…



Sri Jagadambayi Durgadevaya Namah. Aaratikam Samarpya Mi


After the aarti, sprinkle water all around on the aarti.


After this, apologize for the mistake.


forgiveness prayer mantra


Neither chant nor chant, but do not know praise

Neither desire nor meditation, however, do not know the praise story.

Don't know the currency, but don't know about it


Param jaane matastvadanusaranam kleshaharanam 1॥

Vidharagyanen Vidheyasakyatvatva charanyorya chyutirbhut.

Tadetakshatvyam Janani Sakalodharini Shivay

Kuputro Jayet Kwachidpi Kumata Na Bhavati 2॥


                      


Prithivyam Putraste Janani Bahavah Santi Sarlaah

Param tesham madhe viraltarloham tav sutha.

Madyoyantyaagah properamidam no tav shive

Kuputro Jayet Kwachidpi Kumata Na Bhavati 3॥


                      

Jagan Matamatav does not create the service of the feet

Na va dattam devi dravinampi bhuyastava maya.

however, sneham mayi nirupam yatprakurushe 4


Parityaktadeva Miscellaneous Legal Service Totally

Maya Panchashiterdhikampanite tu vyasi.

Idani chenmatastav kripa napi bhavita

Niralambo Lambodar Janani Kam Yami Sharan 5


Shvapako Jalpako Bhavati Madhupakopamagira

Niratanko ranko viharati chiram kotikankaiah.

Tavaparne Karne Vishati Manuvarne Falmidam

Janani Japaniyam Japvidhou known to people 6


Chitabhasmalepo Garlamshanam Dikpatdharo

Jatdhari throat Bhujgapathari Pashupati:

Kapali Bhutesho Bhajati Jagadishaikpadvin

Bhavani tvatpanigrahanparipatifalamidam 7॥


No salvation

Neither with respect to science, nor again.

Atastva Sanyache Janani Jananam Yatu Mama Vai

Mridani Rudrani Shiv Shiv Bhavaniti Chanting 8॥


                    

Naradhitasi Vidhina Miscellaneous Treatment:

That rukshachintan parainkritam vachobhih.

Shyme tvamev if kinchan mayyanathe

Dhatse kripamuchitammb param tavaiva 9॥


Apatsu Magnah Smaraman Twadiyam

Karomi Durga Karunanarveshi.

Naitachchatvam mama bhavayetha: 10 


Jagadamba vichitramatra ki perfect compassion chinmayi.

Crime tradition nahi mata samupakshate sutam 11॥


Matsam: Pataki nastipapaghani not tatsama.

and Jnthva Mahadeviyathayogya and Kuru 12


After this, everyone should offer prasad to the mother and wish for happiness and prosperity in the house and distribute prasad.

See upcoming posts for detailed vedic mantra worship.


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