27 मार्च 2022

दुर्गा मां, हिन्दू नववर्ष, नवरात्र तथा नवदुर्गा, भाग-1 Durga Maa, Hindu New Year, Navratri and Navadurga, Part-1


धारावाहिक लेख:-दुर्गा मां, हिन्दू नववर्ष, नवरात्र तथा नवदुर्गा, भाग-1


माता दुर्गा, भाग-1


मां दुर्गा आदिशक्ति जगन्माता के अनेक नाम और रूप है । सामान्यतः इन्हें 'दुर्गा' कहा जाता है । भगवती दुर्गाजी ने विभिन्न अवसरों पर अनेक रूपों मे अवतरित होकर तत्कालीन समस्याओं का निराकरण किया था । 

इनकी पूजा करने वाले  साधक वर्ग 'शक्ति -संप्रदाय' कहलाता है । शाक्त के अतिरिक्त अन्य वर्गो  वैष्णव,  शैव आदि के भक्त भी दुर्गाजी की उपासना  करते हैं। 

लक्ष्मी, तारा, सरस्वती, उमा, गौरी, कालिका, काली और चामुंडा आदि समस्त अवतार उन दुर्गाजी के हैं ।
यह शिव की शक्ति (अर्धांगनी) पार्वती तथा उमा के रूप में प्रसिद्ध है ।

इनके नाम महामाया, योगमाया, आदिशक्ति और जगन्माता आदि हैं। शक्ति और पालन की देवी दुर्गा  का चरित्र अर्थात लीला-विलास भक्तों की आस्था को अक्षुण्ण बनाये रखने मे बहुत सहायक होता है। 

अनेक ग्रंथों में तत्संबंधी प्रसंग प्राप्त होते है ।मार्कण्डेय पुराण में देवी माहात्म्य का विशद विवरण मिलता है। इस अंश को “सप्तशती' के नाम से भी  जाना जाता हैं। सप्तशती मे दुर्गा मां के अवतारों और चरित्रों का वर्णन है। 

पंचदेवो मे मां भगवती का विशिष्ट स्थान प्राप्त है । ये दुर्गति और दुर्भाग्य से रक्षा करके भक्तों के सभी अभीष्टों की पूर्ति करने वाली देवी है ।

महाभारत में इनकी स्तुति 'महिषमार्दिनी' और 'कुमारी देवी' के रूप मे की गयी हैं । आठ, दस, बारह और अठारह भुजाओं वाले इनके विचित्र स्वरूप हैं। माता इन भुजाओं मे विविध अस्त्र-शस्त्र 
धारण करती हैं । इनका वाहन 'सिंह' है। 

तमोगुण के प्रतीक महिषासुर का वध करने से ये ' महिषमर्दिनी' के नाम से प्रसिद्ध हुई । देवी भागवत में इन्हीं देवी का उल्लेख ' हेमवती' नाम से किया गया ।

'उमामिधानां प्रति देवीं हेमवतीं शिवाम्‌।

केनोपनिषद्‌ में 'बहु-राजस्थान उमा हेमवती' की महिमा का वर्णन है। वहां उनका वर्णन 'ब्रह्मविद्या' महाशक्ति के रूप में होता है । जिनके द्वारा देवताओं को ब्रह्म-तत्व का बोध होता है । दस उपनिषदों मे दस महाविद्याओं का ब्रह्मरूप में वर्णन है। ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद मे इनकी शक्ति की स्तुति किसी-न-किसी रूप में पाई जाती है।
इस प्रकार इनकी शक्ति की आराधना भारतीय हिन्दु  धर्म की पुरातन परंपरा है। मातृरूप में इनकी उपासना अपना विशेष स्थान रखती है।

शक्ति से रहित शिव भी शव के समान हैं । शिव या ब्रह्म की क्षमता ही शक्ति है । वही सृष्टि, स्थिति, संहार की करने वाली है । अव्यक्त, निष्क्रिय, निराकार ब्रह्म को व्यक्त, सक्रिय और साकार करने वाली शक्ति, देवी दुर्गा ही है । 

जितने भी उपास्य देव है, उन सबकी अपनी-अपनी शक्तियां हैं । इन शक्तियों के भिन्‍न- भिन्‍न रूप है, किंतु मूलतः शक्ति एक ही है। देवी-माहात्म्य के अंतर्गत बड़े उत्तम ढंग से यह स्पष्ट किया गया है कि मूलशक्ति चंडिका में सभी शक्तिरूपों का विलय हो जाता है । तब एकमात्र भगवती चंडी ही रह जाती हैं।

मार्कण्डेय-ब्रह्मपुराण के अनुसार अनंतकोटि ब्रह्मांडों की अधीश्वरी मां भगवती (शक्ति) ही संपूर्ण विश्व को सत्ता और स्फूर्ति प्रदान करती हैं । इन्हीं की शक्ति से ही ब्रह्मादि देवता उत्पन्न होते हैं, जिनसे विश्व की उत्पत्ति होती है । इन्हीं की शक्ति से विष्णु और शिव प्रकट होकर विश्व का पालन और संहार करते हैं ।

भगवती दुर्गा का आविर्भाव:-
शिवपुराण के अनुसार प्राचीनकाल में दुर्गम नामक एक महाबली दैत्य उत्पन्न हुआ। उसने ब्रह्माजी के वरदान से चारों वेदों को लुप्त कर दिया, इस कारण 
समस्त वैदिक क्रियाएं, बंद हो गईं। उस समय ब्राह्मण और देवता भी दुराचारियों हो गए। तीनों लोकों में हाहाकार मच गया। देवताओं की दुर्गमासुर के अत्याचारों से तीनों लोकों की रक्षा करने की प्रार्थना सुनकर, देवी ने 'एवमस्तु ' कहकर देवताओं
को संतुष्ट कर दिया। 

जब दुर्गमासुर को इस रहस्य का ज्ञान हुआ, तब उसने अपनी आसुरी सेना को लाकर देवलोक को घेर लिया। तब भगवती ने देवताओं की रक्षा के लिए देवलोक के चारों ओर अपने तेजोमंडल की एक चहारदीवारी खड़ी कर दी और स्वयं घेरे के बाहर आ डटी। 

देवी को देखते ही दैत्यों ने उन पर आक्रमण कर दिया। इस बीच देवी के शरीर से काली, तारा, छिन्नमस्ता, श्रीविद्या, भुवनेश्वरी, भैरवी, बगलामुखी, धूमावती, त्रिपुरसुंदरी और मातंगी--ये दश महाविद्याएं अस्त्र-शस्त्र लिए निकलीं और देखते-ही-देखते दुर्गमासुर की सौ अक्षौहिणी सेना को
उन्होंने काट डाला । इसके बाद देवी ने अपने तीखे त्रिशूल से दुर्गमासुर का वध कर दिया दुर्गमासुर को मारने के कारण उनका नाम “दुर्गा' प्रसिद्ध हुआ।

(क्रमशः)
लेख के दूसरे भाग में कल दुर्गा मां लेख का अंतिम भाग।
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जय श्री राम
आज का पंचांग,दिल्ली 🌹🌹🌹
रविवार,27.3.2022
श्री संवत 2078
शक संवत् 1944
सूर्य अयन- उत्तरायण, गोल-दक्षिण-उत्तर गोल
ऋतुः- वसन्त ऋतुः ।
मास- चैत्र मास।
पक्ष- कृष्ण पक्ष ।
तिथि- दशमी तिथि 6:06 pm तक
चंद्रराशि- चंद्र मकर राशि मे।
नक्षत्र- उ०षाढा नक्षत्र 1:32 pm तक
योग- शिव योग 8:14 pm तक (शुभ है)
करण- वणिज करण 7:04 am तक 
सूर्योदय- 6:17 am, सूर्यास्त 6:36 pm
अभिजित् नक्षत्र- 12:02 pm से 12:51 pm
राहुकाल - 5:03 pm से 6:36 pm* (शुभ कार्य वर्जित,दिल्ली )
दिशाशूल- पश्चिम दिशा ।

मार्च शुभ दिन:- 27 (सवेरे 7 तक), 28, 29 (दोपहर 3 तक)
मार्च अशुभ दिन:- 30, 31.

भद्रा:-  27 मार्च 7:04 am से 27 मार्च 6:06 pm तक ( भद्रा मे मुण्डन, गृहारंभ, गृहप्रवेश, विवाह, रक्षाबंधन आदि शुभ काम नही करने चाहिये , लेकिन भद्रा मे स्त्री प्रसंग, यज्ञ, तीर्थस्नान, आपरेशन, मुकद्दमा, आग लगाना, काटना, जानवर संबंधी काम किए जा सकतें है।

सर्वार्थ सिद्ध योग :- 27 मार्च 6:17 am से 27 मार्च 1:32 pm तक  (यह एक शुभयोग है, इसमे कोई व्यापारिक या कि राजकीय अनुबन्ध (कान्ट्रेक्ट) करना, परीक्षा, नौकरी अथवा चुनाव आदि के लिए आवेदन करना, क्रय-विक्रय करना, यात्रा या मुकद्दमा करना, भूमि , सवारी, वस्त्र आभूषणादि का क्रय करने के लिए शीघ्रतावश गुरु-शुक्रास्त, अधिमास एवं वेधादि का विचार सम्भव न हो, तो ये सर्वार्थसिद्धि योग ग्रहण किए जा सकते हैं।
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आगामी व्रत तथा त्यौहार:-
28 मार्च- पापमोचिनी एकादशी। 29 मार्च- मंगल प्रदोष व्रत (कृष्ण)। 30 मार्च- मासिक शिवरात्रि।1 अप्रैल- अमावस्या। 2 अप्रैल- नवरात्रि/ घटस्थापना। 3 अप्रैल- चेटी चंड। 10 अप्रैल-राम नवमी। 11 अप्रैल- चैत्र नवरात्रि पारणा। 12 अप्रैल- कामदा एकादशी। 14 अप्रैल- प्रदोष व्रत/मेष संक्रांति। 16 अप्रैल- हनुमान जयंती/चैत्र पूर्णिमा व्रत। 19 अप्रैल- संकष्टी चतुर्थी। 26 अप्रैल-वरुथिनी एकादशी। 28 अप्रैल- प्रदोष व्रत। 29 अप्रैल- मासिक शिवरात्रि। 30 अप्रैल- वैशाख अमावस्या।
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आपका दिन मंगलमय हो . 💐💐💐
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English Translation :-

Serial Article:- Durga Maa, Hindu New Year, Navratri and Navadurga, Part-1



 Mata Durga, Part-1



 Mother Durga Adishakti Jaganmata has many names and forms.  Generally she is called 'Durga'.  Bhagwati Durga had incarnated in many forms on different occasions to solve the problems of the time.


 The worshiper class who worships them is called 'Shakti-sampradaya'.  Apart from Shakta, devotees of other classes, Vaishnavas, Shaivas etc. also worship Durga.


 Lakshmi, Tara, Saraswati, Uma, Gauri, Kalika, Kali and Chamunda are all incarnations of Durga.

 It is famous as the Shakti (Ardhangani) of Shiva as Parvati and Uma.


 Their names are Mahamaya, Yogamaya, Adishakti and Jaganmata etc.  The character of Durga, the goddess of power and upbringing, i.e. Leela-Vilas, is very helpful in keeping the faith of the devotees intact.


 In many texts, there are references related to this. In the Markandeya Purana, a detailed description of Goddess Mahatmya is found.  This part is also known as "Saptashati".  The incarnations and characters of Durga Maa are described in Saptashati.


 Mother Bhagwati has a special place in Panchdevo.  She is the goddess who fulfills all the wishes of the devotees by protecting them from misfortune and misfortune.


 In the Mahabharata, she is praised as 'Mahishamardini' and 'Kumari Devi'.  They have strange forms with eight, ten, twelve and eighteen arms.  Mother in these arms various weapons

 wears.  The lion is his conveyance.


 She became famous by the name of 'Mahishamardini' after killing Mahishasura, the symbol of Tamogun.  In the Devi Bhagwat, this goddess was mentioned by the name 'Hemvati'.


 'Umamidhanam per devi Hemavati Shivam.


 Kenopanishad describes the glory of 'Multi-Rajasthan Uma Hemavati'.  There he is described as 'Brahmavidya' superpower.  Through whom the deities get the knowledge of the Brahma-tattva.  Ten Mahavidyas are described in the form of Brahma in the ten Upanishads.  The praise of his power is found in one form or the other in Rigveda, Yajurveda, Samveda and Atharvaveda.

 In this way the worship of their power is an ancient tradition of Indian Hindu religion.  Her worship in mother form holds its own special place.


 Shiva devoid of Shakti is also like a corpse.  Shakti is the power of Shiva or Brahma.  He is the creator of creation, condition and destruction.  The manifest, active and realizing power of the avyakt, inactive, formless Brahman is Goddess Durga.


 All the gods that are worshiped, they all have their own powers.  These powers have different forms, but basically the power is the same.  Under Devi-Mahatmya it has been explained in a very good manner that all the forms of Shakti merge in Moolshakti Chandika.  Then only Goddess Chandi remains.


 According to the Markandeya-Brahmapuran, it is Bhagwati (Shakti), the god of infinite universes, who gives power and energy to the entire world.  It is from their power that Brahma and the gods arise, from whom the world originates.  With their power, Vishnu and Shiva appear and destroy the world.


 Appearance of Bhagwati Durga :-

 According to Shiva Purana, in ancient times a great demon named Durgam was born.  He destroyed all the four Vedas by the boon of Brahma, that's why

 All Vedic activities stopped.  At that time the brahmins and the deities also became vicious.  There was an outcry in the three worlds.  Hearing the prayers of the deities to protect the three worlds from the atrocities of Durgamasur, the goddess called the gods 'Avamastu'.

 satisfied.


 When Durgamasur came to know about this secret, he brought his demonic army and surrounded Devlok.  Then Bhagwati erected a boundary wall of her tejomandala around the Devloka to protect the deities and herself came out of the circle.


 On seeing the goddess, the demons attacked her.  Meanwhile, Kali, Tara, Chhinnamasta, Srividya, Bhuvaneshwari, Bhairavi, Baglamukhi, Dhumavati, Tripurasundari and Matangi--these ten Mahavidyas came out carrying weapons and weapons and on seeing Durgamasur's hundred Akshauhini army.

 He cut it.  After this, the goddess killed Durgamasur with her sharp trident, due to her killing Durgamasur, her name "Durga" became famous.


 (respectively)

 Durga Maa tomorrow in the second part of the article, the last part of the article.


 Long live Rama

 Today's Panchang, Delhi

 Sunday,27.3.2222

 Shree Samvat 2078

 Shaka Samvat 1944

 Surya Ayan- Uttarayan, Round-South-North Round

 Rituah - the spring season.

 Month - Chaitra month.

 Paksha - Krishna Paksha.

 Date - Dashami date till 6:06 pm

 Moon sign - Moon in Capricorn.

 Nakshatra - Ushadha Nakshatra till 1:32 pm

 Yoga- Shiva Yoga till 8:14 pm (Good)

 Karan- Vanij Karan till 7:04 am

 Sunrise - 6:17 am, Sunset 6:36 pm

 Abhijit Nakshatra - 12:02 pm to 12:51 pm

 Rahukaal - 5:03 pm to 6:36 pm* (Good work prohibited, Delhi)

 Dishashul – West direction.


 March Lucky Days:- 27 (till 7 am), 28, 29 (till 3 pm)

 March inauspicious days:- 30, 31.


 Bhadra: - 27 March 7:04 am to 27 March 6:06 pm (Shunning, housewarming, home entry, marriage, Rakshabandhan etc. should not be done in Bhadra, but in Bhadra, women affairs, yagya, pilgrimage, operation, lawsuit,  Fire, cutting, animal related work can be done.


 Sarvartha Siddha Yoga: - 27 March 6:17 am to 27 March 1:32 pm (This is an auspicious yoga, in this, making any business or state contract, applying for examination, job or election etc., purchase-  If the idea of ​​Guru-Shukrast, Adhimaas and Vedadi is not possible in a hurry to make sale, travel or litigation, purchase of land, rides, clothes, jewelery etc., then these Sarvarthasiddhi Yogas can be adopted.


 Upcoming fasts and festivals:-

 March 28 - Papmochini Ekadashi.  March 29- Mangal Pradosh Vrat (Krishna).  March 30 - Monthly Shivratri. April 1 - Amavasya.  April 2 - Navratri / Ghatasthapana.  April 3 - Cheti Chand.  April 10 - Ram Navami.  April 11- Chaitra Navratri Parana.  April 12 - Kamada Ekadashi.  April 14 - Pradosh fast / Aries Sankranti.  April 16 - Hanuman Jayanti / Chaitra Purnima Vrat.  April 19 - Sankashti Chaturthi.  April 26 - Varuthini Ekadashi.  April 28 - Pradosh fast.  April 29 - Monthly Shivratri.  April 30 – Vaishakh Amavasya.


 Special:- The person who lives outside Varanasi or outside the country, he can get astrological consultation by phone, by paying the consultation fee through Paytm or Bank transfer for astrological consultation.

 Have a good day . 

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