01 फ़रवरी 2022

Serial Artical Gupt Navratri Magh Month Part-1 धारावाहिक लेख:-गुप्त नवरात्र, माघ मास, भाग-1


(2 फरवरी प्रतिपदा से 10 फरवरी नवमी तक)

द्वितीय नवरात्र का 2 फरवरी को क्षय, अष्टमी तिथि की वृद्धि

नवरात्रि प्रारम्भ- 02 फरवरी 2022
नवरात्रि समाप्त – 10 फरवरी 2022
घटस्थापना- 2 फर०, 07:09 AM से 8:31 AM
अवधि- 1 घण्टा 22 मिनट्स

अष्टमी पूजन प्रारम्भ- 9 फरवरी, 08:06 AM से
अष्टमी पूजा समाप्त- 08:54 AM पर


माघ मास के गुप्त नवरात्रे 2 फरवरी 2022 से प्रांरभ हो रहे है। प्रतिपदा तिथि 2 फरवरी 8:32 am तक रहेंगी। इस वर्ष दूसरे नवरात्र का क्षय है, तथा आठवां नवरात्र बढ़ रहा है, अतः दूसरा नवरात्र 3 फरवरी को और आठवां नवरात्र 9 फरवरी को मनाया जायेगा   दुर्गाष्टमी 9 फरवरी को तथा नवमी 10 फरवरी को मनाई जायेगी। नवम नवरात्रे के साथ ही गुप्त नवरात्रे पूर्ण हो जायेंगे।


देवी भगवती की उपासना का पर्व नवरात्र कहलाता है । इसमे आदिशक्ति के नौ रूपों की नौ दिनो मे अलग-२ पूजा की जाती है, जिससे मां प्रसन्न होकर भक्तो के मनोरथो को पूर्ण करती है ।

देवी भागवत् मे एक वर्ष मे चार नवरात्रों को कहा गया है ।

1.चैत्र-वासन्तीय नवरात्र-"प्रकट नवरात्रे"(मार्च -अप्रैल ) 
2. अश्विन-शारदीय नवरात्र-"प्रकट नवरात्रे" (अक्तूबर )  

1. आषाढ़ नवरात्र - "गुप्त नवरात्रे" ( जून-जुलाई ) 
2. माघ नवरात्र - "गुप्त नवरात्रे"(जनवरी-फरवरी )

इन चार नवरात्रों मे से दो चैत्र तथा अश्विन मास (मार्च तथा अक्तूबर ) के नवरात्र, प्रकट नवरात्र है, जोकि भारत वर्ष मे धूमधाम से मनाये जाते है, जिसमे देवी के नौ रूपो की पूजा की जाती है, जोकि क्रमशः इस प्रकार से है । 

( प्रथम शैलपुत्री , दूसरी  ब्रह्रमचारिणी, तीसरी चंद्रघंटा, चौथी कूष्माण्डा, पांचवीं स्कंदमाता, छठी कात्यायनी, सातवीं कालरात्रि, आठवीं महागौरी, नवी सिद्धिदात्री )

इसी प्रकार वर्ष मे दो गुप्त नवरात्रे आषाढ़ मास, (जून-जुलाई) तथा माघ मास (जनवरी-फरवरी) मे होते है, यह दोनो नवरात्रे अधिक प्रचलित नही थे, परंतु अब कुछ वर्षों से एक बार फिर समाज मे आध्यात्मिक जागृति आने की वजह से इन दो नवरात्रो को फिर से मनाया जाने लगा है।

गुप्त नवरात्रे मे विशेषतः शक्ति साधना, तंत्र साधना, महाकाल साधना, तथा तांत्रिक सिद्धियो के लिए श्रेष्ठ है। आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि में जहां वामाचार उपासना की जाती है । वहीं माघ मास की गुप्त नवरात्रि में वामाचार पद्धति को अधिक मान्यता नहीं दी गई है । हिन्दु ग्रंथों के अनुसार, "आषाढ़ मास तथा माघ मास" के नवरात्रो मे माघ मास के शुक्ल पक्ष का विशेष महत्व है। 

माघ मास की नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहते हैं, क्योंकि इसमें गुप्त रूप से शिव व शक्ति की उपासना की जाती है जबकि चैत्र व शारदीय नवरात्रि में सार्वजिनक रूप में माता की भक्ति करने का विधान है । 

गुप्त नवरात्रि में की जाने वाली माता की आराधना का प्रचार, प्रसार नहीं किया जाता है। पूजा, मंत्र, पाठ और प्रसाद सभी चीजों को गोपनीय रखा जाता है. ऐसी मान्यता है कि गुप्त नवरात्रों में माता की पूजा को जितना गोपनीय रखा जाता है, फल उतना ही बेहतर प्राप्त होता है। गुप्त नवरात्रि का ज्ञान कम ही लोगों को होता है इसलिए भी इसे गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। इस नवरात्रि में विशेष कामनाओं की सिद्धि की जाती है।

इसी विषय मे ऋषि श्रृंग कहते हैं कि इन गुप्त नवरात्रो मे कोई भी भक्त माता दुर्गा की पूजा-साधना करता है, तो मां उसके जीवन को सफल कर देती हैं, यहाँ तक की लोभी, कामी, व्यसनी सहित यदि मांसाहारी अथवा पूजा-पाठ न करने वाला नास्तिक व्यक्ति भी यदि इन दिनों मां की उपासना कर ले तो उसके जीवन से हर प्रकार के कष्टों तथा पापो का नाश हो जाता है, उसके जीवन में परिवर्तन आने लगता है, वह सभी व्यसनो को त्याग कर सद्मार्ग की ओर अग्रसर होने लगता है, तथा उसके जीवन में कभी भी कोई कमी नहीं रहती।


गुप्त नवरात्रि के विषय में प्रचलित कथा:-
गुप्त नवरात्रों से एक प्राचीन कथा जुड़ी हुई है एक समय ऋषि श्रृंगी भक्त जनों को दर्शन दे रहे थे अचानक भीड़ से एक स्त्री निकल कर आई और करबद्ध होकर ऋषि श्रृंगी से बोली कि मेरे पति दुर्व्यसनों से सदा घिरे रहते हैं । जिस कारण मैं कोई पूजा-पाठ नहीं कर पाती धर्म और भक्ति से जुड़े पवित्र कार्यों का संपादन भी नहीं कर पाती । यहां तक कि ऋषियों को उनके हिस्से का अन्न भी समर्पित नहीं कर पाती मेरा पति मांसाहारी हैं, जुआरी है । लेकिन मैं मां दुर्गा कि सेवा करना चाहती हूं । उनकी भक्ति साधना से जीवन को पति सहित सफल बनाना चाहती हूं । ऋषि श्रृंगी महिला के भक्तिभाव से बहुत प्रभावित हुए । ऋषि ने उस स्त्री को आदरपूर्वक उपाय बताते हुए कहा कि वासंतिक और शारदीय नवरात्रों से तो आम जनमानस परिचित है लेकिन इसके अतिरिक्त दो नवरात्र और भी होते हैं । जिन्हें गुप्त नवरात्र कहा जाता है प्रकट नवरात्रों में नौ देवियों की उपासना हाती है और गुप्त नवरात्रों में दस महाविद्याओं की साधना की जाती है । इन नवरात्रों की प्रमुख देवी स्वरुप का नाम सर्वैश्वर्यकारिणी देवी है । 


धार्मिक दृष्टि नवरात्र देवी की भक्ति तथा शक्ति साधना हेतु सर्वश्रेष्ठ समय है । परंतु इस शक्ति साधना के पीछे लोक-कल्याण का पक्ष भी समाहित है, दरअसल नवरात्र का समय मौसम के बदलाव का होता है । आयुर्वेद के मुताबिक इस बदलाव से जहां शरीर में वात, पित्त, कफ में दोष पैदा होते हैं, वहीं बाहरी वातावरण में रोगाणु अनेक बीमारियों का कारण बनते हैं।  सुखी-स्वस्थ जीवन के लिये इनसे बचाव बहुत जरूरी है नवरात्र के विशेष काल में देवी उपासना के माध्यम से खान-पान, रहन-सहन और देव स्मरण में अपनाने गए संयम, अनुशासन व्रत तथा उपवास, तन व मन को शक्ति और ऊर्जा देते हैं जिससे इंसान निरोगी होकर स्वास्थ्य तथा दीर्घायु को प्राप्त करता है। 

धर्म ग्रंथों के अनुसार गुप्त नवरात्र में प्रमुख रूप से भगवान शंकर व देवी शक्ति की आराधना की जाती है । इस दौरान देवी भगवती के साधक बेहद कड़े नियम के साथ व्रत और साधना करते हैं। इस दौरान साधक लंबी साधना कर दुर्लभ शक्तियों अथवा सिद्धियों की प्राप्ति करने का प्रयास करते हैं।

यदि इन गुप्त नवरात्रों में कोई भी भक्त माता दुर्गा की पूजा साधना करता है तो मां उसके जीवन को सफल कर देती हैं । लोभी, कामी, व्यसनी, मांसाहारी अथवा पूजा पाठ न कर सकने वाला भी यदि गुप्त नवरात्रों में माता की पूजा करता है तो उसे जीवन में कुछ और करने की आवश्यकता ही नहीं रहती । उस स्त्री ने ऋषि श्रृंगी के वचनों पर पूर्ण श्रद्धा करते हुए गुप्त नवरात्र की पूजा की मां प्रसन्न हुई और उसके जीवन में परिवर्तन आने लगा, घर में सुख शांति आ गई । पति सन्मार्ग पर आ गया और जीवन माता की कृपा से खिल उठा ।

गुप्त नवरात्रो विशेषतः आषाढ़ मास के गुप्त नवरात्रो   के दौरान साधक विभिन्न तंत्र विद्याएं सीखने तथा सिद्धियां पाने के लिए मां भगवती की विशेष पूजा करते हैं। तंत्र साधना आदि के लिए गुप्त नवरात्र बेहद विशेष माने जाते हैं। 

गुप्त नवरात्र की गोपनीयता का रहस्य स्पष्ट है कि यह समय शक्त और शौण उपासकों के लिये पैशाचिक, वामाचारी, क्रियाओं के लिये अधिक शुभ एवं उपयुक्त होते है। इन नवरात्रो मे साधक गुप्त साधनाएं करने शमशान व गुप्त स्थान पर जाते हैं ।


माता दुर्गा का स्वरूप:-
हिन्दुओं के शाक्त साम्प्रदाय में भगवती दुर्गा को ही दुनिया की पराशक्ति और सर्वोच्च देवता माना जाता है (शाक्त साम्प्रदाय ईश्वर को देवी के रूप में मानता है)। वेदों में तो दुर्गा का व्यापक उल्लेख है, किन्तु उपनिषद में देवी "उमा हैमवती" (उमा, हिमालय की पुत्री) का वर्णन है। पुराण में दुर्गा को आदिशक्ति माना गया है। दुर्गा असल में शिव की पत्नी आदिशक्ति का एक रूप हैं, शिव की उस पराशक्ति को प्रधान प्रकृति, गुणवती माया, बुद्धितत्व की जननी तथा विकाररहित बताया गया है। 
एकांकी (केंद्रित) होने पर भी वह माया शक्ति संयोगवश अनेक हो जाती है। उस आदि शक्ति देवी ने ही सावित्री(ब्रह्मा जी की पहली पत्नी), लक्ष्मी, और पार्वती(सती) के रूप में जन्म लिया और उसने ब्रह्मा, विष्णु और महेश से विवाह किया था। तीन रूप होकर भी दुर्गा (आदि शक्ति) एक ही है।

देवी दुर्गा के स्वयं कई रूप हैं (सावित्री, लक्ष्मी एव पार्वती से अलग)। मुख्य रूप उनका "गौरी" है, अर्थात शान्तमय, सुन्दर और गोरा रूप। उनका सबसे भयानक रूप काली है, अर्थात काला रूप। भगवती दुर्गा की सवारी शेर है।

देवी दुर्गा की पूजा सिंह पर सवार एक निर्भय स्त्री के रूप में की जाती है। दुर्गा देवी को कही-२ चार भुजाओं तथा कही पर आठ भुजाओं से युक्त दर्शाया गया हैं, सभी हाथो में कोई न कोई शस्त्रास्त्र होते है

(क्रमशः)
लेख के दूसरे भाग में कल "गुप्त नवरात्रो मे की जाने वाली पूजा तथा साधनाएं"
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आगामी लेख
1. 1  फर० से "माघ मास गुप्त नवरात्रो" पर धारावाहिक लेख
2. 4  फर० से "वसन्त पंचमी" विषय पर धारावाहिक लेख
3. 6 फर० को "रथ सप्तमी" पर लेख।
4. 7 फर० को ज्योतिषीय विषय "विभिन्न 'ऋतुओ' तथा 'मासो' मे जन्म लेने का फल"पर लेख
5. 9 फर० से "जया एकादशी" विषय पर धारावाहिक लेख
6. 11 फर० को "फाल्गुन सक्रांति" पर लेख
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जय श्री राम
आज का पंचांग,दिल्ली 🌹🌹🌹
मंगलवार,1.2.2022
श्री संवत 2078
शक संवत् 1943
सूर्य अयन- उतरायण, गोल-दक्षिण गोल
ऋतुः- शिशिर ऋतुः ।
मास- माघ मास।
पक्ष- कृष्ण पक्ष ।
तिथि- अमावस्या तिथि 11:18 am
चंद्रराशि- चंद्र मकर राशि मे अगले दिन 6:45 am तक तदोपरान्त कुंभ राशि।
नक्षत्र- श्रवण नक्षत्र 7:44 pm तक
योग- व्यतिपात योग अगले दिन 3:08 am तक (अशुभ है)
करण- नाग करण 11:18 am तक
सूर्योदय 7:09 am, सूर्यास्त 6 pm
अभिजित् नक्षत्र- 12:13 pm से 12:56 pm
राहुकाल - 3:17 pm से 5:38 pm (शुभ कार्य वर्जित,दिल्ली )
दिशाशूल- उत्तर दिशा ।

फरवरी शुभ दिन:- 3, 4 (दोपहर 4 तक), 5, 6, 7, 10 (सायं. 7 तक), 11 (रात्रि 8 उपरांत), 12 (दोपहर 4 उपरांत), 13, 14, 15, 16 (सवेरे 10 उपरांत), 17, 18, 19 (सवेरे 10 तक), 20, 21, 22 (दोपहर 4 तक), 23 (दोपहर 3 उपरांत), 24 (दोपहर 1 तक), 25 (दोपहर 12 उपरांत), 26 (सवेरे 11 उपरांत)

फरवरी अशुभ दिन:- 1, 2, 8, 9, 27, 28
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आगामी व्रत तथा त्यौहार:-
1 फर०-माघ अमावस्या। 2 फर०- गुप्त नवरात्रे। 4 फर०- गणेश चतुर्थी। 5 फर०-बसंत पंचमी/सरस्वती पूजा। 5 फर०- रथ आरोग्य सप्तमी। 10 फर०- गुप्त नवरात्रे समाप्त। 12 फर०-जया एकादशी/ फाल्गुन सक्रांति अर्धरात्रि 3:26 am, (पुण्य काल अगले दिन 9:50 तक)। 14 फर०-प्रदोष व्रत (शुक्ल)/कुम्भ संक्रांति। 16 फर०-माघ पूर्णिमा व्रत। 20 फर०-संकष्टी चतुर्थी। 27 फर०-विजया एकादशी। 28 फर०-प्रदोष व्रत (कृष्ण)।
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विशेष:- जो व्यक्ति वाराणसी  से बाहर अथवा देश से बाहर रहते हो, वह ज्योतिषीय परामर्श हेतु Paytm या Bank transfer द्वारा परामर्श फीस अदा करके, फोन द्वारा ज्योतिषीय परामर्श प्राप्त कर सकतें है
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आपका दिन मंगलमय हो . 💐💐💐
आचार्य मोरध्वज शर्मा श्री काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी उत्तर प्रदेश 
9648023364
9129998000
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English Translation :-

(2 February Pratipada to 10 February Navami)


 Decay of second Navratri on February 2, increase of Ashtami date


 Navratri starts - 02 February 2022

 Navratri ends - 10 February 2022

 Ghatasthapana - Feb 2, 07:09 AM to 8:31 AM

 Duration - 1 hour 22 minutes


 Ashtami Puja starts - from 9th February, 08:06 AM

 Ashtami Puja ends at 08:54 AM



 Gupt Navratra of Magh month is starting from 2nd February 2022.  Pratipada date will remain till 2 February 8:32 am.  This year there is a decay of the second Navratri, and the eighth Navratri is increasing, so the second Navratri will be celebrated on February 3 and the eighth Navratri on February 9. Durgashtami will be celebrated on February 9 and Navami on February 10.  Gupt Navratra will be completed with the ninth Navratra.



 The festival of worship of Goddess Bhagwati is called Navratri.  In this, nine forms of Adishakti are worshiped separately in nine days, due to which the mother is pleased and fulfills the wishes of the devotees.


 Four Navratras are mentioned in the Goddess Bhagavatam in a year.


 1.Chaitra-Vasantiya Navratri-"manifest Navratra"(March-April)

 2. Ashwin-Sharadiya Navratri-"manifest Navratra" (October)


 1. Ashadha Navratri - "Gupt Navratra" (June-July)

 2. Magha Navratri - "Gupt Navratra" (January-February)


 Out of these four Navratras, two are Navratras of Chaitra and Ashwin months (March and October), which are celebrated with pomp in India, in which nine forms of the Goddess are worshiped, which are respectively as follows.


 (First Shailputri, second Brahmacharini, third Chandraghanta, fourth Kushmanda, fifth Skandmata, sixth Katyayani, seventh Kalratri, eighth Mahagauri, Navi Siddhidatri)


 Similarly, in the year two Gupta Navratras are held in the month of Ashadh, (June-July) and Magha month (January-February), both these Navratras were not very popular, but now for a few years once again the reason for the spiritual awakening in the society.  Since then these two Navratras are being celebrated again.


 It is especially best for Shakti Sadhana, Tantra Sadhana, Mahakal Sadhana, and Tantric Siddhis during Gupt Navratra.  In the Gupta Navratri of Ashadh month, where Vaamachar worship is done.  On the other hand, in the Gupta Navratri of Magha month, Vamachar method is not given much recognition.  According to Hindu texts, Shukla Paksha of Magh month has special significance in Navratras of "Ashadh month and Magha month".


 Navratri of Magha month is called Gupt Navratri, because Shiva and Shakti are worshiped in secret, whereas in Chaitra and Shardiya Navratri, there is a law to worship the mother in public form.


 The worship of the mother done in Gupt Navratri is not promoted, propagated.  Worship, mantra, recitation and offerings are all kept confidential.  It is believed that the more confidential the worship of the mother is kept during the Gupta Navratras, the better the result.  Few people know about Gupt Navratri, hence it is also called Gupt Navratri.  Special wishes are fulfilled during this Navratri.


 In this subject, Rishi Shringa says that if any devotee worships Mother Durga during these Gupta Navaratris, then the mother makes his life successful, even if he is not a non-vegetarian or a non-vegetarian, including greedy, greedy, addicted.  Even if an atheist person worships the mother these days, then all kinds of sufferings and sins are destroyed from his life, changes start coming in his life, he starts moving towards the right path by renouncing all the addictions.  And there will never be any shortage in his life.



 Popular story about Gupt Navratri:-

 There is an ancient story associated with the Gupta Navratras.  Due to which I am not able to do any worship, I am not able to edit the holy works related to religion and devotion.  Even my husband is a non-vegetarian, a gambler, unable to dedicate his share of food to the sages.  But I want to serve Maa Durga.  I want to make life successful with her husband through devotional practice.  The sage Shringi was greatly impressed by the devotion of the woman.  The sage respectfully told that woman the remedy and said that the general public is familiar with the Vasantik and Shardiya Navratras, but apart from this there are two more Navratras.  The nine goddesses are worshiped in the manifest Navratras, which are called Gupta Navratras and ten Mahavidyas are practiced in the Gupta Navratras.  The name of the main deity form of these Navratras is Sarvishwaryakarini Devi.



 Religious point of view Navratri is the best time for devotion and power sadhna of Goddess.  But the aspect of public welfare is also included behind this Shakti Sadhna, in fact Navratri is the time of change of seasons.  According to Ayurveda, due to this change, where doshas arise in Vata, Pitta, Kapha in the body, germs in the external environment cause many diseases.  It is very important to avoid them for a happy and healthy life. During the special period of Navratri, through the worship of Goddess, the discipline, discipline, fasting and fasting adopted in the memory of God, give strength and energy to the body and mind.  Due to which a person becomes healthy and attains health and longevity.


 According to religious texts, Lord Shankar and Goddess Shakti are worshiped mainly in Gupta Navratri.  During this, devotees of Goddess Bhagwati observe fast and do sadhna with very strict rules.  During this sadhak try to attain rare powers or siddhis by doing long sadhna.


 If any devotee worships Mother Durga during these Gupta Navratras, then the mother makes his life successful.  Even a greedy, greedy, addict, non-vegetarian or who cannot recite worship, if he worships the mother during the Gupta Navratras, then there is no need to do anything else in life.  The woman worshiped Gupt Navratri with full faith in the words of Sage Shringi, the mother was pleased and changes began to come in her life, there was peace and happiness in the house.  The husband came on the right path and life blossomed with the grace of the mother.


 Gupt Navratri especially during Gupt Navratri of the month of Ashadh, seekers offer special worship to Maa Bhagwati to learn various Tantra Vidyas and attain accomplishments.  Gupt Navratri is considered very special for Tantra Sadhana etc.


 The secret of the secret of Gupt Navratri is clear that this time is more auspicious and suitable for demonic, vamachari, activities for Shakti and Shaun worshippers.  In these Navratras, seekers go to the crematorium and secret places to do secret practices.



 Form of Mother Durga:-

 In the Shakta sect of Hindus, Bhagwati Durga is considered to be the supreme power and supreme deity of the world (Shakta sect considers God as a goddess).  There is a wide mention of Durga in the Vedas, but in the Upanishads there is a description of the goddess "Uma Haimavati" (Uma, the daughter of Himalaya).  In the Puranas, Durga is considered as Adishakti.  Durga is actually a form of Adishakti, the wife of Shiva, that Parashakti of Shiva has been described as the dominant nature, the virtuous Maya, the mother of intelligence and without disorder.

 Even after being alone (centred), that Maya power by chance becomes many.  That Adi Shakti Devi took birth as Savitri (Brahma's first wife), Lakshmi, and Parvati (Sati) and married Brahma, Vishnu and Mahesh.  Despite having three forms, Durga (Adi Shakti) is one.


 Goddess Durga herself has many forms (aside from Savitri, Lakshmi and Parvati).  Her main form is "Gauri", that is, calm, beautiful and fair.  His most terrible form is Kali, that is, the black form.  The ride of Bhagwati Durga is a lion.


 Goddess Durga is worshiped as a fearless woman riding a lion.  Durga Devi is depicted with four arms at some places and eight arms at some places, all have some weapons in their hands.


 (respectively)

 Tomorrow in the second part of the article "Pujas and Sadhanas to be done in Gupta Navratri"


 upcoming articles

 1. Serial article on "Magh Mas Gupt Navratro" from 1st Feb.

 2. Serial article on the topic "Vasant Panchami" from 4th Feb.

 3. Article on "Ratha Saptami" on 6th Feb.

 4. Article on the astrological topic "Fruits of being born in different 'seasons' and 'Maso' on 7th February"

 5. Serial article on the topic "Jaya Ekadashi" from February 9

 6. Article on "Falgun Sankranti" on February 11

 Long live Rama

 Today's Panchang, Delhi

 Tuesday,1.2.2022

 Shree Samvat 2078

 Shaka Samvat 1943

 Surya Ayan- Uttarayan, Round-South Round

 Rituah - winter season.

 Month - Magha month.

 Paksha - Krishna Paksha.

 Date- Amavasya date 11:18 am

 Moon sign- Moon in Capricorn till 6:45 am the next day and then Aquarius.

 Nakshatra - Shravan Nakshatra till 7:44 pm

 Yoga- Vyatipat Yoga till 3:08 am the next day (inauspicious)

 Karan- Nag Karan till 11:18 am

 Sunrise 7:09 am, Sunset 6 pm

 Abhijit Nakshatra - 12:13 pm to 12:56 pm

 Rahukaal - 3:17 pm to 5:38 pm (Good work prohibited, Delhi)

 Direction – North direction.


 February Lucky Days:- 3, 4 (till 4 pm), 5, 6, 7, 10 (till 7 pm), 11 (after 8 pm), 12 (after 4 pm), 13, 14, 15, 16 (  After 10 am), 17, 18, 19 (till 10 am), 20, 21, 22 (till 4 pm), 23 (after 3 pm), 24 (up to 1 pm), 25 (after 12 pm), 26 (  after 11 am)


 February inauspicious days:- 1, 2, 8, 9, 27, 28

 Upcoming fasts and festivals:-

 February 1 - Magha Amavasya.  2nd Feb- Gupt Navratri.  4th Feb- Ganesh Chaturthi.  5th February - Basant Panchami / Saraswati Puja.  5th Feb- Rath Arogya Saptami.  10th Feb- Gupt Navratri ends.  12 Feb - Jaya Ekadashi / Falgun Sakranti midnight 3:26 am, (Punya Kaal till 9:50 the next day).  14 February - Pradosh fast (Shukla) / Kumbh Sankranti.  16 February - Magha Purnima fasting.  20th February – Sankashti Chaturthi.  27 February - Vijaya Ekadashi.  28 February - Pradosh fast (Krishna).


 Special:- The person who lives outside Varanasi or outside the country, he can get astrological consultation by phone, by paying the consultation fee through Paytm or Bank transfer for astrological consultation.

Have a good day . 
Acharya Mordhwaj Sharma Shri Kashi Vishwanath Temple Varanasi Uttar Pradesh
9648023364
9129998000

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