12 फ़रवरी 2022

लेख:-कुंभ संक्रान्ति (13.2.2022) Article:-Kumbh Sankranti (13.2.2022)

लेख:-कुंभ संक्रान्ति (13.2.2022)

कुंभ संक्रान्ति पुण्य काल मुहूर्त
कुंभ संक्रान्ति रविवार,13.2.2022
कुंभ संक्रान्ति का क्षण- 13 फरवरी,3:26 am

पुण्यकाल- प्रातः 7:01 am से आरंभ होकर 12:35 pm तक, कुल अवधि 5 घण्टे 34 मिनट
महा पुण्य काल:- 7:01 मिनट से 8:53 am तक है महा पुण्य काल की अवधि 01 घंटा 51 मिनट है

कुंभ संक्रान्ति:-
तारीख 12 फरवरी, शनिवार की रात्रि के बाद 3 बजकर, 26 मिनट पर (27:26) वृश्चिक लग्न में प्रवेश करेगी। इस संक्रांति का पुण्यकाल अगले दिन अर्थात 13 फरवरी को प्रात: 12:36 pm तक रहेगा। 
कुंभ संक्रान्ति फल:-
वारानुसार तथा नक्षत्रानुसार राक्षसी नामक यह सं. नीच, दुष्ट वृत्ति वाले लोगों के लिए लाभप्रद रहेगी।
संक्रांति राशिफल:-
यह संक्रांति कर्क, सिंह, कन्या, तुला, धनु, मकर, कुम्भ तथा मीन राशि वालों के लिए लाभप्रद रहेगी। 

सूर्य संक्रांति एक सौर घटना है। हिन्दू पंचांग के अनुसार पूरे वर्ष में प्रायः बारह संक्रान्तियाँ होती हैं, और प्रत्येक संक्रांति का अपना अलग महत्व होता है। शास्त्रों में संक्रांति की तिथि एवं समय को बहुत महत्व दिया गया है।

सूर्य एक वर्ष के बारह महीनो मे प्रत्येक माह एक एक राशि मे भ्रमण करते है, और सूर्य के प्रत्येक माह 13 तारीख़ से 17 तारीख के मध्य मे एक राशि से निकलकर दूसरी राशि मे प्रवेश करने के समय को ही सक्रांति कहते है।

ऐसे में जब प्रतिवर्ष फरवरी माह के मध्य में सूर्य मकर राशि से निकलकर कुंभ राशि में प्रवेश कर रहे हो तो इसे कुंभ संक्रांति अर्थात फाल्गुन संक्रांति  कहा जाता है। 

कुंभ संक्रांति के दिन सूर्य भगवान की सच्चे मन से पूजा करने से यश की प्राप्ति होती है। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन सूर्य को अर्घ्य देता है और सूर्य के मंत्रों का उच्चारण करता है उसे समस्त पापों से मुक्ति मिलती है। इस दिन सूर्य भगवान की विधि-विधान से पूजा करने से सभी रोगों से मुक्ति मिलती है। पुराणों में भी इस तिथि का अलग महत्व बताया गया है। इस दिन सूर्य का पूजन संतान के स्वास्थ्य और उज्जवल भविष्य के लिए विशेष रूप से फलदायी होता है। 

संक्रांति के दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व माना जाता है। इस दिन लोग जरूरतमंदों को वस्तुओं और खानपान की चीजों का दान करते हैं। इस दिन गंगा, यमुना आदि पवित्र नदियों में स्नान करना शुभ माना जाता है। सूर्यदेव से संबधित दिन होने के कारण, इस दिन दान पुण्य करने के साथ-साथ सूर्यदेव की आराधना भी अवश्य करनी चाहिए।

ब्रह्मर्षि भृगु जी कहते है, संक्रान्ति के स्नान से सब पाप नष्ट हो जाते है, यह सब व्रतो से बढ़कर है, तथा यह सब प्रकार के दानो का फल प्रदान करने वाला है, जिनके मन मे स्वर्गलोक भोगने की अभिलाषा हो, आयु, आरोग्यता, रुप, सौभाग्य, एवं उत्तम गुणो मे जिनकी रुचि हो वह, तथा वह व्यक्ति जो दरिद्रता, पाप और दुर्भाग्य रुपी कीचड़ को धोना चाहते है, उन्हे संक्रान्ति के स्नान-दान तथा व्रत अवश्य करने चाहिए ।
 

सक्रांति व्रत विधि:-
सक्रांति का व्रत रखने के लिए पूजन में अष्ठदल का कमल बनाकर उसमें सूर्यदेव का चित्र स्थापित करके भगवान सूर्यदेव का पूजन करना चाहिए।

व्रत का संकल्प लेने के बाद व्रत प्रारम्भ करना चाहिए, और फल-फूल, अक्षत, चन्दन, जल आदि से प्रभु की उपासना करनी चाहिए। ब्राह्माणों को भोजन कराना चाहिए और दान इत्यादि देकर विदा करना चाहिए। 

कुंभ संक्रांति पर्व में कई प्रकार की शास्त्रोक्त विधि संबंधी प्रार्थनाएं सम्मिलित हैं। कुंभ संक्रांति का व्रत एक बहुत ही मंगलकारी व्रत है।


कुंभ संक्रान्ति पर किए जाने वाले अन्य शुभ कार्य तथा दान कर्म इत्यादि:-
1. संक्रान्ति के शुभ दिन प्रातःकाल से लेकर सूर्यास्त तक देश के किसी भी पवित्र तीर्थ स्थान, संगमस्थल, नदी, कुंओ, बावडी, सरोवर इत्यादि मे स्नान करे। 

2. गंगा, यमुना, गोदावरी, कृष्णा व कावेरी इन तीन नदियो मे, तथा गंगासागर जैसे तीर्थों मे स्नान करने से अधिक पुण्य मिलता है। जो लोग व्यस्तताओ के कारण इन स्थानो पर न जा पाये वह प्रातःकाल स्नान के जल मे गंगाजल मिलाकर स्नान करे।

3. स्नान करने के उपरांत एक तांबे के लोटे मे जल भरकर उसमे थोडा गुड, लाल चंदन, रोली, चावल, तथा लाल फूल डालकर मंत्र बोलते हुए सूर्यदेव को अर्ध्य दे ।

4. शिव मंदिर मे तिल के तेल से ज्योत जलाये।

5. पितृरो के उद्धार हेतू श्राद्ध अवश्य करें अन्यथा काले तिलो से पितृृश्राद्ध अर्थात तिलांजलि अवश्य दे।

6.श्रीविष्णु पूजन, सूर्यजप, पुरुषसूक्त तथा स्तोत्र पाठ करे।

7. ब्राह्मण को अन्नदान, घृत यानि धी दान, वस्त्रदान, फल, तथा तिल और गुड से बने लड्डू-रेवडी इत्यादि दान करने से अनन्त पुण्य की प्राप्ति होती है ।

8. सक्रांति के दिन उडद की दाल, चावल, देसी धी, तथा नमक का दान धर्म स्थान पर करे।

9. इस दिन उडद की दाल की खिचड़ी बनाकर भगवान को भोग लगाकर अधिक से अधिक मात्रा मे बांटने से अत्यधिक पुण्य प्राप्ति होती है।


कुंभ संक्रांति कथा:-

कुंभ संक्रांति की पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन समय में एक हरिदास नाम के एक ब्राह्मण थे वो अत्यंत धार्मिक और दयालु स्वभाव के थे। हरिदास की पत्नी का नाम गुणवती था। वह कभी किसी का अनादर नहीं करती थीं और धार्मिक प्रवृत्ति की थीं।

 गुणवती ने अपने जीवन काल में सभी देवताओं का व्रत किया लेकिन धर्मराज का पूजन करना भूल गईं और न ही कभी दान और पुण्य किया। ऐसे में मृत्यु के पश्चात जब चित्रगुप्त उनके पापों का लेखा-जोखा पढ़ रहे थे तब उन्होंने गुणवती को अनजाने में हुई अपनी इस गलती के बारे में बताया। 

उन्होंने कहा- हे देवी! तुमने जीवन भर सभी देवी देवताओं का व्रत, पूजन आदि पूरी श्रद्धा से किया है लेकिन, धर्मराज के नाम से ना ही कभी कोई दान पुण्य किया ना ही पूजा-पाठ किया। 

यह बात सुनकर गुणवती ने कहा- भगवान यह गलती मुझसे अनजाने में हुई है। ऐसे में इसे सुधारने का कोई उपाय बताएं। तब धर्मराज ने कहा कि, जब सूर्य देवता उत्तरायण में जाते हैं तब कुंभ संक्रांति से ही उनकी पूजा शुरू कर देनी चाहिए और पूरे वर्ष कथा और पूजा करनी चाहिए। जो कोई भी व्यक्ति ऐसा करता है उसके सभी पापों से मुक्ति मिलती है। 

(समाप्त)
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आगामी लेख
1. 12 फर० को "फाल्गुन सक्रांति" पर लेख
2. 13 फर० को "सोम प्रदोष व्रत" पर लेख
3. 14 फर० को "शनि तथा राहु कोप मुक्ति हेतु उपाय"
4. 15 फर० को "माघ पूर्णिमा" पर लेख।
5. 16 फर० को ज्योतिषीय विषय "पक्ष मे जन्म  फल' तथा जन्मतिथि के अनुसार फल" पर लेख
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जय श्री राम
आज का पंचांग,दिल्ली 🌹🌹🌹
शनिवार,12.2.2022
श्री संवत 2078
शक संवत् 1943
सूर्य अयन- उतरायण, गोल-दक्षिण गोल
ऋतुः- शिशिर-वसन्त ऋतुः ।
मास- माघ मास।
पक्ष- शुक्ल पक्ष ।
तिथि- एकादशी तिथि 4:29 pm तक
चंद्रराशि- चंद्र मिथुन राशि मे।
नक्षत्र- आर्द्रा नक्षत्र अगले दिन 9:27 am तक
योग- विष्कुंभ योग 8:38 pm तक (अशुभ है)
करण- विष्टि करण 4:29 pm तक
सूर्योदय 7:02 am, सूर्यास्त 6:08 pm
अभिजित् नक्षत्र- 12:13 pm से 12:57 pm
राहुकाल - 9:49 am से 11:12 am (शुभ कार्य वर्जित,दिल्ली )
दिशाशूल- पूर्व दिशा ।

फरवरी शुभ दिन:- 12 (दोपहर 4 उपरांत), 13, 14, 15, 16 (सवेरे 10 उपरांत), 17, 18, 19 (सवेरे 10 तक), 20, 21, 22 (दोपहर 4 तक), 23 (दोपहर 3 उपरांत), 24 (दोपहर 1 तक), 25 (दोपहर 12 उपरांत), 26 (सवेरे 11 उपरांत)

फरवरी अशुभ दिन:- 27, 28

भद्रा:-  12 फर० 3:11 am से 12 फर० 4:28 pm तक ( भद्रा मे मुण्डन, गृहारंभ, गृहप्रवेश, विवाह, रक्षाबंधन आदि शुभ काम नही करने चाहिये , लेकिन भद्रा मे स्त्री प्रसंग, यज्ञ, तीर्थस्नान, आपरेशन, मुकद्दमा, आग लगाना, काटना, जानवर संबंधी काम किए जा सकतें है।

रवि योग :- 10 फर० 00:23 am से 12 फर० 6:37 am तक  यह एक शुभ योग है, इसमे किए गये दान-पुण्य, नौकरी  या सरकारी नौकरी को join करने जैसे कायों मे शुभ परिणाम मिलते है । यह योग, इस समय चल रहे, अन्य बुरे योगो को भी प्रभावहीन करता है।
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आगामी व्रत तथा त्यौहार:-
12 फर०-जया एकादशी। 13 फर०-फाल्गुन कुंभ  सक्रांति अर्धरात्रि 3:26 am, (पुण्य काल अगले दिन 9:50 तक)।  14 फर०-प्रदोष व्रत (शुक्ल)/कुम्भ संक्रांति। 16 फर०-माघ पूर्णिमा व्रत। 20 फर०-संकष्टी चतुर्थी। 27 फर०-विजया एकादशी। 28 फर०-प्रदोष व्रत (कृष्ण)।
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विशेष:- जो व्यक्ति वाराणसी से बाहर अथवा देश से बाहर रहते हो, वह ज्योतिषीय परामर्श हेतु Paytm या Bank transfer द्वारा परामर्श फीस अदा करके, फोन द्वारा ज्योतिषीय परामर्श प्राप्त कर सकतें है
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आपका दिन मंगलमय हो . 💐💐💐
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English Translation :-

Article:-Kumbh Sankranti (13.2.2022)


 Kumbh Sankranti Punya Kaal Muhurta

 Kumbh Sankranti Sunday, 13.2.2022

 The moment of Kumbh Sankranti - February 13, 3:26 am


 Punyakaal - Starting from 7:01 am to 12:35 pm, total duration is 5 hours 34 minutes

 Maha Punya Kaal:- 7:01 min to 8:53 am The duration of Maha Punya Kaal is 01 hour 51 min


 Kumbh Sankranti:-

 The date February 12, after Saturday night at 3:26, 26 minutes (27:26) will enter Scorpio ascendant.  The Punyakal of this Sankranti will last till 12:36 am on the next day i.e. 13th February.

 Kumbh Sankranti Result:-

 According to the wise and constellation wise this number named Rakshasi.  It will be beneficial for people having low, wicked attitude.

 Sankranti Horoscope:-

 This Sankranti will be beneficial for the people of Cancer, Leo, Virgo, Libra, Sagittarius, Capricorn, Aquarius and Pisces.


 Surya Sankranti is a solar event.  According to the Hindu calendar, there are usually twelve sankrantis in a whole year, and each sankranti has its own significance.  The date and time of Sankranti have been given great importance in the scriptures.


 The Sun travels in one zodiac sign every month in twelve months of a year, and the time between the 13th to the 17th of every month of the Sun leaving one zodiac sign and entering another is called Sankranti.


 In such a situation, in the middle of February every year, when the Sun is leaving Capricorn and entering Aquarius, then it is called Kumbha Sankranti i.e. Falgun Sankranti.


 On the day of Kumbh Sankranti, worship of the Sun God with a sincere heart leads to success.  It is believed that the person who offers Arghya to the Sun on this day and chants the mantras of the Sun, gets freedom from all sins.  Worshiping the Sun God on this day by law gives freedom from all diseases.  The importance of this date has also been mentioned in the Puranas.  Worshiping the Sun on this day is especially fruitful for the health and bright future of the children.


 Charity and charity are considered of special importance on the day of Sankranti.  On this day people donate items and food items to the needy.  Taking bath in holy rivers like Ganga, Yamuna etc. is considered auspicious on this day.  Being a day related to the Sun God, along with doing charity on this day, one must also worship the Sun God.


 Brahmrishi Bhrigu ji says, bathing in Sankranti destroys all sins, it is more than fasting, and it is the one who gives the fruits of all kinds of charity, who have a desire to enjoy heaven, age, health,  Those who are interested in appearance, good fortune and good qualities, and those who want to wash away the mud of poverty, sin and misfortune, they must do bath-donation and fasting on Sankranti.




 Sankranti fasting method:-

 To keep the fast of Sankranti, worship Lord Suryadev by making a lotus of Ashtdal in the worship and installing a picture of Suryadev in it.


 After taking the resolution of the fast, one should start the fast, and worship the Lord with fruits, flowers, Akshat, sandalwood, water etc.  Brahmins should be fed food and sent away by giving donations etc.


 Many types of scriptural ritual prayers are included in the festival of Kumbh Sankranti.  The fast of Kumbh Sankranti is a very auspicious fast.



 Other auspicious works and charity deeds to be done on Kumbh Sankranti:-

 1. On the auspicious day of Sankranti, from morning till sunset, take bath in any holy place of pilgrimage, confluence, river, well, stepwell, lake etc.


 2. Bathing in these three rivers, Ganga, Yamuna, Godavari, Krishna and Kaveri, and in pilgrimages like Gangasagar gives more virtue.  Those who are unable to go to these places due to busyness should take bath in the morning by mixing Gangajal in the bath water.


 3. After taking bath, fill a copper vessel with water and add some jaggery, red sandalwood, roli, rice, and red flowers and offer Ardhya to the Sun God while reciting the mantra.


 4. Light a candle in the Shiva temple with sesame oil.


 5. For the salvation of the ancestors, you must do Shradh, otherwise you must give Pitrushradh i.e. renunciation from black sesame seeds.


 6. Recite Shri Vishnu worship, Surya Japa, Purushsukta and Stotra.


 7. Donating food grains, ghee means donating food, donating clothes, fruits, and donating laddus and revdi made of sesame and jaggery etc. to a Brahmin, one gets infinite virtue.


 8. Donate urad dal, rice, desi ghee, and salt on the day of Sankranti at a religious place.


 9. On this day, making khichdi of urad dal and offering it to God and distributing it in maximum quantity gives immense merit.



 Kumbh Sankranti Story:-


 According to the legend of Kumbha Sankranti, in ancient times there was a Brahmin named Haridas who was very religious and kind in nature.  Haridas's wife's name was Gunavati.  She never disrespected anyone and was of religious nature.


 Gunavati fasted for all the gods during her life time but forgot to worship Dharmaraja and never did charity and virtue.  In such a situation, after death, when Chitragupta was reading the account of his sins, he told Gunavati about his mistake inadvertently.


 He said- O Goddess!  You have done fasting, worship, etc., all the deities throughout your life, but never did any charity or worship in the name of Dharmaraja.


 On hearing this, Gunavati said - Lord, this mistake has happened unknowingly from me.  So please suggest any way to improve it.  Then Dharmaraja said that, when the Sun God goes to Uttarayan, then worship of him should be started from Kumbh Sankranti and Katha and worship should be done throughout the year.  Whoever does this, gets rid of all his sins.


 (End)


 upcoming articles

 1. Article on "Falgun Sankranti" on 12 February

 2. Article on "Som Pradosh Vrat" on 13th Feb.

 3. On February 14, "Remedy for liberation from the anger of Saturn and Rahu"

 4. Article on "Magh Purnima" on 15 February.

 5. Article on the astrological topic "Birth in the side, fruit and fruit according to date of birth" on 16 February


 Long live Rama

 Today's Panchang, Delhi

 saturday,12.2.2222

 Shree Samvat 2078

 Shaka Samvat 1943

 Surya Ayan- Uttarayan, Round-South Round

 Rituah - Shishir - spring season.

 Month - Magha month.

 Paksha - Shukla Paksha.

 Date - Ekadashi date till 4:29 pm

 Moon Sign - Moon in Gemini.

 Nakshatra- Ardra Nakshatra till 9:27 am the next day

 Yoga- Vishkumbh Yoga till 8:38 pm (inauspicious)

 Karan- Vishti Karan till 4:29 pm

 Sunrise 7:02 am, Sunset 6:08 pm

 Abhijit Nakshatra - 12:13 pm to 12:57 pm

 Rahukaal - 9:49 am to 11:12 am (Good work prohibited, Delhi)

 Direction – East direction.


 February Lucky Days:- 12 (after 4 pm), 13, 14, 15, 16 (after 10 am), 17, 18, 19 (till 10 am), 20, 21, 22 (till 4 pm), 23 (afternoon)  After 3), 24 (up to 1 pm), 25 (after 12 pm), 26 (after 11 am)


 February inauspicious days:- 27, 28


 Bhadra:- 12 Feb 3:11 am to 12 Feb 4:28 PM (Shunning, housewarming, home entry, marriage, Rakshabandhan etc. should not be done in Bhadra, but in Bhadra, women affairs, yagya, pilgrimage, operation, lawsuit,  Fire, cutting, animal related work can be done.


 Ravi Yoga :- 10 Feb 00:23 am to 12 Feb 6:37 am This is an auspicious yoga, good results are found in works like charity, job or joining a government job.  This yoga also neutralizes the other bad yogas that are going on at this time.


 Upcoming fasts and festivals:-

 12th Feb- Jaya Ekadashi.  13 Feb – Falgun Kumbh Sankranti midnight 3:26 am, (Punya Kaal till 9:50 the next day).  14 February - Pradosh fast (Shukla) / Kumbh Sankranti.  16 February - Magha Purnima fasting.  20th February – Sankashti Chaturthi.  27 February - Vijaya Ekadashi.  28 February - Pradosh fast (Krishna).


 Special:- The person who lives outside Varanasi or outside the country, he can get astrological consultation by phone, by paying the consultation fee through Paytm or Bank transfer for astrological consultation.


 Have a good day . 

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