लेख :- प्रदोष व्रत ( सोम प्रदोष व्रत ) 14.02.2022
त्रयोदशी तिथि आरंभ- 13 फर० 6:44 pm
त्रयोदशी तिथि समाप्त-14 फर०, 8:30 pm तक
प्रदोष काल- 14 फर० 6:10 pm से 8:30 pm तक
हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व होता है। जिस तरह से एक माह में दो एकादशी होती है, उसी प्रकार प्रदोष व्रत एक माह मे दो बार क्रमशः शुक्लपक्ष तथा कृष्णपक्ष की त्रयोदशी तिथि को आता है। इस तरह एक वर्ष में 24 प्रदोष व्रत पड़ते हैं।
यह व्रत भगवान शिव के लिए समर्पित होता है। यह व्रत भगवान शिव की उपासना के द्वारा, भगवान शंकर की प्रसन्नता प्राप्ति हेतु दीर्घायु, संतान, समृद्धि
तथा जन्म और मृत्यु के बंधनों से मुक्त होने, यानि मोक्ष तथा प्रभुत्व प्राप्ति के लिए किया जाता है।
यह व्रत, व्रती यानि उपासक को "धर्म" और "मोक्ष" से जोडता है, तथा "अर्थ" और "काम" की लालसा से दूर करता है ।
इसके अतिरिक्त स्कंद पुराण के अनुसार शिव की पूजा करने वाले मनुष्यों को दुखों, गरीबी, ऋण तथा मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है तथा धन-धान्य, स्त्री-पुत्र, सुख-सौभाग्य की प्राप्ति मे निरंतर वृद्धि होती है। ऐसी मान्यता है कि जो भी इस व्रत को रखता है, तथा विधि-विधान से पूजा अर्चना करता है, उस पर सदा भोलेनाथ और देवी पार्वती की कृपा बनी रहती है। इस व्रत के मुख्य देवता शिव माने गए हैं। उनके साथ पार्वती जी की भी पूजा की जाती है। इस व्रत को किसी भी उम्र के लोग रख सकते हैं।
इन प्रयोजनो के अतिरिक्त, प्रदोष व्रत सप्ताह के अलग-२ वारो को आता है, ऐसा माना जाता है कि सप्ताह के अलग-२ वारो पर आने पर उन वारो के अनुसार व्रती को अलग -२ प्रकार के शुभफल प्राप्त होते है ।
14 फर० 2022 को सोमवार को त्रयोदशी तिथि होने पर इसे सोम प्रदोष कहते हैं। यह व्रत धारण करने से इच्छा अनुसार फल प्राप्ति होती है। जिस व्यक्ति का चंद्र विपरीत फल दे रहा हो तो, यह प्रदोष व्रत जरूर नियम पूर्वक रखना चाहिए जिससे जीवन में शांति बनी रहेगी। अधिकांशतः भक्त संतान सुख तथा संतान के सुखी जीवन हेतु यह व्रत रखते हैं।
14 फरवरी का यह व्रत साल 2022 का पहला सोमवार को आया हुआ सोम प्रदोष व्रत है। इस बार सोम प्रदोष पर कई शुभ योग निर्मित हो रहे हैं। इन शुभ योगों में की गई पूजा, व्रत और उपाय विशेष रूप से फलदाई होते हैं।
1. कर्क राशि का चंद्र:-
14 फरवरी, सोमवार को चंद्रमा स्वराशि कर्क का रहेगा। सोम प्रदोष के दिन चंद्रमा का स्वराशि में रहना चंद्र से जुड़े समस्त दोषों के निवारण के लिए महत्वपूर्ण है। सोम प्रदोष को चंद्र प्रदोष भी कहा जाता है। इसलिए इस दिन भगवान शिव का अभिषेक पंचामृत से करने से जन्मपत्रिका में चंद्र ग्रह द्वारा निर्मित अशुभ प्रभावों का शमन होता है।
2. पुष्य नक्षत्र:-
पुष्य नक्षत्र को नक्षत्रों का राजा कहा जाता है। यह स्थायित्व देने वाला नक्षत्र है, क्योंकि यह शनि के आधिपत्य वाला नक्षत्र है, तथा देवगुरु वृहस्पति पुष्य नक्षत्र मे आकर उच्च के अंशो को प्राप्त करते हैं। अतः पुष्य नक्षत्र को बहुत शुभ माना जाता है। पुष्य नक्षत्र में प्रारंभ किया गया कार्य स्थायी रहता है। इस नक्षत्र मे कार्य करने से कार्यों में सफलता प्राप्त होती हैं। अतः सोम प्रदोष के दिन पुष्य नक्षत्र का संयोग कार्य प्रारंभ करने, भूमि, संपत्ति खरीदने, निवेश करने, स्वर्णाभूषण खरीदने के लिए उत्तम है।
इस दिन भगवान शिव की पूजा अथवा उनका स्मरण करके किए गये कार्य मे स्थायित्व तथा तरक्की प्राप्त होती है। इस दिन पुष्य नक्षत्र प्रात: 11.53 बजे से प्रारंभ होगा।
3. आयुष्मान-सौभाग्य योग:-
14 फरवरी की रात 9.27 बजे तक आयुष्मान योग होगा। उसके बाद रात्रि में ही सौभाग्य योग प्रारंभ होगा। प्रदोष काल में आयुष्मान योग रहेगा और चूंकि रात में सौभाग्य योग प्रारंभ होगा इसलिए उसका फल भी इसी दिन प्राप्त होगा।
प्रदोष व्रत करने की विधि :-
विशेष:- प्रदोष व्रत की पूजा, सूर्यास्त से लेकर 6 घटी अर्थात 2 घण्टे 24 मिनट की अवधि मे की जाती है, इसी अवधि को प्रदोष काल कहते है, ( कुछ विद्वान् सूर्यास्त के बाद की 3 घडी अर्थात 1 घण्टे 12 मिनट की अवधि को प्रदोष काल मानते है)
1. प्रदोष व्रत करने के लिए साधक यानि व्रती को त्रयोदशी के दिन सूर्योदय से पहले उठना चाहिये, स्नानादि के उपरांत भगवान शिव की उपासना करनी चाहिये ।
2. पूरे दिन इस व्रत मे आहार नही लिया जाता, अर्थात निराहार रहना होता है ।
3. पूरे दिन उपवास रखने के उपरांत सूर्योस्त से पहले पुनः स्नान करके सफेद वस्त्र धारण करे ।
4. अब ईशान कोण ( North-East ) मे शांत स्थान पर पूजा का मण्डप तैयार करे,
पूजास्थल को शुद्ध जल से धोने के बाद गंगा जल से छीटां लगाकर, यदि संभव हो तो गाय के गोबर से लेप होना चाहिए ।
इस मण्डप मे पांच रंगो का इस्तेमाल करते हुए कमल के पुष्प की आकृति बनाये ।
भगवान शिव की मूर्ति या चित्र को स्थापित करे
अब प्रदोष व्रत का संकल्प हिंदी या फिर संस्कृत मे इस प्रकार से करे :-
"मम शिव प्रसाद प्राप्ति कामनया प्रदोष व्रतांगी भूतं शिवपूजनं करिष्ये"
(भावार्थ- भगवान शिव की कृपा प्राप्ति की कामना से मैं प्रदोष व्रत के अंगभूत शिव पूजन करता हूँ)
इस प्रकार संकल्प करके माथे पर भस्म एवं चंदन का तिलक लगाकर गले मे रूदाक्ष की माला धारण करे (ललाट पर भस्म का तिलक और रूदाक्ष मे अत्यधिक मात्रा मे शिवतत्व मौजूद होने से ये भगवान शिव को प्रसन्न तथा आकृष्ट करते है )
अब निम्नलिखित मंत्र बोलकर भगवान शिव का आवाहन करे:-
।। पिनाकपाणये नमः।।
।। ॐ शिवाय नमः ।। मंत्र से स्नान करवाये ।
।। पशुपतये नमः ।।
।। ॐ उमा महेश्वराभ्यां नमः ।।
मंत्र से गन्ध, पुष्प,धूप-दीप, तथा नैवेद्य अर्पित करे, और निवेदन करना चाहिए:-
"हे भगवन् ! आप माता पार्वती के साथ पधार कर मेरी पूजा स्वीकार कीजिये"
तत्पश्चात मंत्रजाप करने या कथा करने के उपरांत निम्नलिखित मंत्र द्वारा प्रार्थना कर सकते है :-
जयनाथ कृपासिंधो जय भक्तार्तिभंजन ।
जय दुस्तरसंसार-सागरोतारण प्रभो ॥
प्रसीद मे महाभाग संसारार्तस्य खिधतः ।
सर्वपापक्षयं कृत्वा रक्ष मां परमेश्वर ॥
इसके बाद सामर्थ्यनुसार निम्नलिखित मंत्र का जाप करे:-
ॐ नमः शिवाय
उपरोक्त मंत्र का अत्यंत पुण्यदायी है, अतः इस मंत्र का जाप करना चाहिए ।
अंत मे ।। महादेवाय नमः।। मंत्र बोलते हुए पूजा का विसर्जन करे ।
इस दिन शिव परिवार की आराधना करना कल्याणकारी होता है। प्रदोष व्रत के दिन शिव चालीसा, शिव पुराण तथा शिव मंत्रों का जाप करना उत्तम माना जाता है।
5. पूजा के विसर्जन के फौरन बाद "यानि सूर्यास्त होने के बाद प्रदोषकाल मे ही पूजन करके भोजन कर लेने का विधान है" । भोजन के उपरांत भी शिव स्मरण करे ।
(स्मरण रहें प्रदोष व्रत की मुख्य पूजा प्रदोष काल अर्थात सूर्यास्त के पश्चात छः घटी के भीतर ही की जाती है)
प्रदोष व्रत कथा:-
स्कंद पुराण में दी गयी एक कथा के अनुसार प्राचीन समय की बात है। एक विधवा ब्राह्मणी अपने बेटे के साथ रोज़ाना भिक्षा मांगने जाती और संध्या के समय तक लौट आती। हमेशा की तरह एक दिन जब वह भिक्षा लेकर वापस लौट रही थी तो उसने नदी किनारे एक बहुत ही सुन्दर बालक को देखा लेकिन ब्राह्मणी नहीं जानती थी कि वह बालक कौन है और किसका है?
दरअसल उस बालक का नाम धर्मगुप्त था और वह विदर्भ देश का राजकुमार था। उस बालक के पिता को जो कि विदर्भ देश के राजा थे, दुश्मनों ने उन्हें युद्ध में मौत के घाट उतार दिया और राज्य को अपने अधीन कर लिया। पिता के शोक में धर्मगुप्त की माता भी चल बसी और शत्रुओं ने धर्मगुप्त को राज्य से बाहर कर दिया। बालक की हालत देख ब्राह्मणी ने उसे अपना लिया और अपने पुत्र के समान ही उसका भी पालन-पोषण किया।
कुछ दिनों बाद ब्राह्मणी अपने दोनों बालकों को लेकर देवयोग से देव मंदिर गई, जहाँ उसकी भेंट ऋषि शाण्डिल्य से हुई।ऋषि शाण्डिल्य एक विख्यात ऋषि थे, जिनकी बुद्धि और विवेक की हर जगह चर्चा थी।
ऋषि ने ब्राह्मणी को उस बालक के अतीत यानि कि उसके माता-पिता के मौत के बारे में बताया, जिसे सुन ब्राह्मणी बहुत उदास हुई। ऋषि ने ब्राह्मणी और उसके दोनों बेटों को प्रदोष व्रत करने की सलाह दी और उससे जुड़े पूरे वधि-विधान के बारे में बताया। ऋषि के बताये गए नियमों के अनुसार ब्राह्मणी और बालकों ने व्रत सम्पन्न किया लेकिन उन्हें यह नहीं पता था कि इस व्रत का फल क्या मिल सकता है।
कुछ दिनों बाद दोनों बालक वन विहार कर रहे थे तभी उन्हें वहां कुछ गंधर्व कन्याएं नजर आईं जो कि बेहद सुन्दर थी। राजकुमार धर्मगुप्त अंशुमती नाम की एक गंधर्व कन्या की ओर आकर्षित हो गए। कुछ समय पश्चात् राजकुमार और अंशुमती दोनों एक दूसरे को पसंद करने लगे और कन्या ने राजकुमार को विवाह हेतु अपने पिता गंधर्वराज से मिलने के लिए बुलाया। कन्या के पिता को जब यह पता चला कि वह बालक विदर्भ देश का राजकुमार है तो उसने भगवान शिव की आज्ञा से दोनों का विवाह कराया।
राजकुमार धर्मगुप्त की ज़िन्दगी वापस बदलने लगी। उसने बहुत संघर्ष किया और दोबारा अपनी गंधर्व सेना को तैयार किया। राजकुमार ने विदर्भ देश पर वापस आधिपत्य प्राप्त कर लिया।
कुछ समय बाद उसे यह मालूम हुआ कि बीते समय में जो कुछ भी उसे हासिल हुआ है वह ब्राह्मणी और राजकुमार धर्मगुप्त के द्वारा किये गए प्रदोष व्रत का फल था। उसकी सच्ची आराधना से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उसे जीवन की हर परेशानी से लड़ने की शक्ति दी। उसी समय से हिदू धर्म में यह मान्यता हो गई कि जो भी व्यक्ति प्रदोष व्रत के दिन शिवपूजा करेगा और एकाग्र होकर प्रदोष व्रत की कथा सुनेगा और पढ़ेगा उसे सौ जन्मों तक कभी किसी परेशानी या फिर दरिद्रता का सामना नहीं करना पड़ेगा।
(समाप्त)
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आगामी लेख
1. 14 फर० को "शनि तथा राहु कोप मुक्ति हेतु उपाय"
2. 15 फर० को "माघ पूर्णिमा" पर लेख।
3. 16 फर० को ज्योतिषीय विषय "पक्ष मे जन्म फल' तथा जन्मतिथि के अनुसार फल" पर लेख
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जय श्री राम
आज का पंचांग,दिल्ली 🌹🌹🌹
रविवार,13.2.2022
श्री संवत 2078
शक संवत् 1943
सूर्य अयन- उतरायण, गोल-दक्षिण गोल
ऋतुः- शिशिर-वसन्त ऋतुः ।
मास- माघ मास।
पक्ष- शुक्ल पक्ष ।
तिथि- द्वादशी तिथि 6:44 pm तक
चंद्रराशि- चंद्र मिथुन राशि मे अगले दिन 5:19 am तक तदोपरान्त कर्क राशि।
नक्षत्र- आर्द्रा नक्षत्र 9:28 am तक
योग- प्रीति योग 9:13 pm तक (शुभ है)
करण- बालव करण 6:44 pm तक
सूर्योदय 7:01 am, सूर्यास्त 6:09 pm
अभिजित् नक्षत्र- 12:13 pm से 12:57 pm
राहुकाल - 4:46 pm से 6:09 pm* (शुभ कार्य वर्जित,दिल्ली )
दिशाशूल- पश्चिम दिशा ।
फरवरी शुभ दिन:- 13, 14, 15, 16 (सवेरे 10 उपरांत), 17, 18, 19 (सवेरे 10 तक), 20, 21, 22 (दोपहर 4 तक), 23 (दोपहर 3 उपरांत), 24 (दोपहर 1 तक), 25 (दोपहर 12 उपरांत), 26 (सवेरे 11 उपरांत)
फरवरी अशुभ दिन:- 27, 28
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आगामी व्रत तथा त्यौहार:- । 13 फर०-फाल्गुन कुंभ सक्रांति अर्धरात्रि 3:26 am, (पुण्य काल अगले दिन 9:50 तक)। 14 फर०-प्रदोष व्रत (शुक्ल)/कुम्भ संक्रांति। 16 फर०-माघ पूर्णिमा व्रत। 20 फर०-संकष्टी चतुर्थी। 27 फर०-विजया एकादशी। 28 फर०-प्रदोष व्रत (कृष्ण)।
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आपका दिन मंगलमय हो . 💐💐💐
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English Translation :-
Article :- Pradosh Vrat (Som Pradosh Vrat) 14.02.2022
Trayodashi Tithi Start- 13 Feb 6:44 PM
Trayodashi date ends - 14th February, till 8:30 pm
Pradosh Kaal- 14 Feb 6:10 pm to 8:30 pm
Pradosh fast has special significance in Hinduism. Just as there are two Ekadashi in a month, similarly Pradosh Vrat falls twice in a month on the Trayodashi Tithi of Shukla Paksha and Krishna Paksha respectively. Thus there are 24 Pradosh fasts in a year.
This fast is dedicated to Lord Shiva. This fast by worshiping Lord Shiva, to get the happiness of Lord Shankar for longevity, children, prosperity.
And to be freed from the shackles of birth and death, that is, to attain salvation and dominion.
This fast connects the worshiper with "Dharma" and "Moksha", and removes from the longing for "Artha" and "Kama".
Apart from this, according to Skanda Purana, people who worship Shiva get freedom from sorrows, poverty, debt and fear of death and there is a continuous increase in the attainment of wealth, woman-son, happiness and good fortune. It is believed that whoever observes this fast, and offers prayers according to the law, always remains blessed by Bholenath and Goddess Parvati. Shiva is considered the main deity of this fast. Parvati ji is also worshiped with him. People of any age can keep this fast.
Apart from these purposes, Pradosh Vrat falls on different days of the week, it is believed that on coming on different days of the week, according to those days, the Vrati gets different types of auspicious results.
When Trayodashi Tithi falls on a Monday on 14 February 2022, it is called Soma Pradosh. By observing this fast one gets the desired result. If the person whose moon is giving opposite results, then this Pradosh fast must be kept according to the rules, so that there will be peace in life. Most of the devotees keep this fast for the happiness of children and the happy life of their children.
This fast of 14th February is the Som Pradosh fast that came on the first Monday of the year 2022. This time many auspicious yogas are being created on Soma Pradosh. The worship, fasting and remedies performed in these auspicious yogas are especially fruitful.
1. Moon of Cancer:-
On Monday, February 14, the Moon will be in the sign of Cancer. On the day of Soma Pradosh, the presence of the Moon in its own sign is important for the prevention of all the defects related to the Moon. Soma Pradosh is also known as Chandra Pradosh. Therefore, by consecrating Lord Shiva with Panchamrit on this day, the inauspicious effects created by the moon planet Om in the birth chart are quenched.
2. Pushya Nakshatra:-
Pushya Nakshatra is called the king of constellations. It is a stable constellation, because it is a constellation ruled by Saturn, and the guru Jupiter attains exalted degrees by coming in Pushya Nakshatra. Therefore, Pushya Nakshatra is considered very auspicious. The work started in Pushya Nakshatra remains permanent. Working in this Nakshatra leads to success in work. Therefore, the conjunction of Pushya Nakshatra on the day of Soma Pradosh is best for starting work, buying land, property, investing, buying gold ornaments.
On this day, by worshiping or remembering Lord Shiva, one gets stability and progress in the work done. On this day Pushya Nakshatra will start from 11.53 am.
3. Ayushman-Saubhagya Yoga:-
Ayushman Yoga will happen till 9.27 pm on 14th February. After that, Saubhagya Yoga will start in the night itself. There will be Ayushman Yoga during the Pradosh period and since Saubhagya Yoga will start in the night, its result will also be received on this day.
Method of fasting Pradosh :-
Special: - Pradosh fast is worshiped from sunset to 6 Ghati i.e. 2 hours 24 minutes duration, this period is called Pradosh Kaal, (Some scholars consider the period of 3 hours after sunset i.e. 1 hour 12 minutes. considers the time period)
1. To observe Pradosh Vrat, the seeker should get up before sunrise on Trayodashi, worship Lord Shiva after taking bath.
2. Food is not taken during this fast for the whole day, that is, one has to remain fast.
3. After fasting for the whole day, bathe again before sunset and wear white clothes.
4. Now prepare a pavilion for worship at a quiet place in the North-East.
After washing the place of worship with pure water, sprinkle it with Ganges water, if possible it should be coated with cow dung.
In this mandap, using five colors, draw the shape of a lotus flower.
Install the idol or picture of Lord Shiva
Now make the resolution of Pradosh fast in Hindi or Sanskrit in this way :-
"Mum Shiv Prasad Prapti Kamnaya Pradosh Vratangi Bhootam Shivpujanam Karishye"
(Meaning- With the desire to get the blessings of Lord Shiva, I worship Lord Shiva as part of Pradosh fast)
In this way, after making a resolution, put a tilak of ashes and sandalwood on the forehead and wear a rosary of rudaksha around the neck.
Now invoke Lord Shiva by reciting the following mantra:-
Pinakapanaye Namah.
Om Shivaay Namah. Take a bath with the mantra.
Pashupataye Namah.
Om Uma Maheshwarabhayam Namah.
Offer scent, flowers, incense-lamp, and naivedya with the mantra, and request should be made:-
"O Lord! Come with Mother Parvati and accept my worship"
After that after chanting the mantra or doing the story, one can pray through the following mantra:-
Jaynath Kripsindho Jai Bhaktartibhanjan.
Jai Dustarsansar-Sagarotaran Prabho
Mahabhaga Sansaratsya Khidhet in Prasidh.
Sarvapaapakshayam Kritva Rakshak Mother Parmeshwar
After this chant the following mantra according to your ability:-
Om Namah Shivaya
The above mantra is very rewarding, so this mantra should be chanted.
In the end.. Mahadevaya Namah. While chanting the mantra immerse the worship.
Worshiping Shiva family on this day is beneficial. It is considered best to chant Shiva Chalisa, Shiva Purana and Shiva Mantras on the day of Pradosh fast.
5. Immediately after the immersion of the worship, "that is, after sunset, there is a law to take food after worshiping in Pradosh Kaal". Remember Shiva even after the meal.
(Remember that the main worship of Pradosh Vrat is done within six hours of Pradosh period i.e. after sunset)
Pradosh Vrat Story:-
According to a story given in Skanda Purana, it is a matter of ancient times. A widowed brahmin went with her son to beg for alms every day and returned by evening. As usual, one day when she was returning after taking alms, she saw a very beautiful child on the bank of the river, but the Brahmin did not know who the child was and to whom?
Actually the name of that child was Dharmagupta and he was the prince of Vidarbha country. The father of that child, who was the king of Vidarbha country, was killed in the war by the enemies and took the kingdom under their control. Dharmagupta's mother also passed away in mourning of the father and the enemies expelled Dharmagupta from the kingdom. Seeing the condition of the child, the Brahmin adopted him and brought him up like his own son.
A few days later, the brahmin took both of her children to Deva Mandir from Devyog, where she met sage Shandilya.
The sage told the brahmin about the child's past i.e. the death of his parents, hearing which the brahmin was very sad. The sage advised the brahmin and his two sons to observe Pradosh fast and told about the whole rituals associated with it. According to the rules given by the sage, the Brahmins and the children performed the fast, but they did not know what the result of this fast could be.
After a few days, both the boys were doing a forest sanctuary, when they saw some Gandharva girls there which were very beautiful. Prince Dharmagupta was attracted to a Gandharva girl named Anshumati. After some time both the prince and Anshumati started liking each other and the girl called the prince to meet her father Gandharvaraj for marriage. When the girl's father came to know that the boy was the prince of Vidarbha country, he got both of them married with the permission of Lord Shiva.
Prince Dharmagupta's life began to change back. He fought a lot and again prepared his Gandharva army. The prince regained control of the country of Vidarbha.
After some time he came to know that whatever he had achieved in the past was the result of the Pradosh fast performed by Brahmani and Prince Dharmagupta. Pleased with her true worship, Lord Shiva gave her the strength to fight all the troubles of life. Since that time, it has become a belief in Hinduism that whoever worships Shiva on the day of Pradosh Vrat and listens and reads the story of Pradosh Vrat with concentration, he will never have to face any problem or poverty for a hundred births.
(End)
upcoming articles
1. On February 14, "Remedy for liberation from the anger of Saturn and Rahu"
2. Article on "Magh Purnima" on 15 February.
3. Article on the astrological topic "Birth in the side, fruit and fruit according to date of birth" on 16 February
Long live Rama
Today's Panchang, Delhi
Sunday, 13.2.2022
Shree Samvat 2078
Shaka Samvat 1943
Surya Ayan- Uttarayan, Round-South Round
Rituah - Shishir - spring season.
Month - Magha month.
Paksha - Shukla Paksha.
Date - Dwadashi date till 6:44 pm
Moon sign- Moon in Gemini till 5:19 am the next day and then Cancer.
Nakshatra- Ardra Nakshatra till 9:28 am
Yoga- Preeti Yoga till 9:13 pm (auspicious)
Karan- Balav Karan till 6:44 pm
Sunrise 7:01 am, Sunset 6:09 pm
Abhijit Nakshatra - 12:13 pm to 12:57 pm
Rahukaal - 4:46 pm to 6:09 pm* (Good work prohibited, Delhi)
Dishashul – West direction.
February Lucky Days:- 13, 14, 15, 16 (after 10 am), 17, 18, 19 (till 10 am), 20, 21, 22 (till 4 pm), 23 (after 3 pm), 24 (afternoon) Till 1), 25 (after 12 noon), 26 (after 11 am)
February inauspicious days:- 27, 28
Upcoming fasts and festivals:- . 13 Feb – Falgun Kumbh Sankranti midnight 3:26 am, (Punya Kaal till 9:50 the next day). 14 February - Pradosh fast (Shukla) / Kumbh Sankranti. 16 February - Magha Purnima fasting. 20th February – Sankashti Chaturthi. 27 February - Vijaya Ekadashi. 28 February - Pradosh fast (Krishna).
Special:- The person who lives outside Varanasi or outside the country, he can get astrological consultation by phone, by paying the consultation fee through Paytm or Bank transfer for astrological consultation.
Have a good day .
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