10 फ़रवरी 2022

लेख:- जया एकादशी (12.2 2022) Article:- Jaya Ekadashi (12.2 2022)


लेख:- जया एकादशी (12.2 2022)

जया एकादशी शुभ मुहूर्त
एकादशी तिथि प्रारंभ-11.02.22, 1:54 pm
एकादशी तिथि समाप्त-12.02.22, 4:29 pm

एकादशी शुभ मुहूर्त:- 12 फरवरी, 12:13 pm से 
12: 58 pm तक

एकादशी व्रत पारण समय- 13 फरवरी 7:01 am से 9:15 am
अवधि:- 2 घंटे 13 मिनट

प्रत्येक वर्ष माघ माह शुक्ल पक्ष में एकादशी को जया एकादशी के रूप में मनाया जाता है। वस्तुतः  प्रत्येक माह में एकादशी की दो तिथियां आती है जिसमें एक शुक्ल और दूसरी कृष्ण पक्ष में आती है।
इस प्रकार से एक चौबीस एकादशी आती हैं, परन्तु कभी-कभी मलमास अर्थात अधिकमास आने से एक वर्ष में एकादशियों की संख्या 24 से बढ़कर 26 भी हो जाती है। परन्तु तब भी एकादशी के दिन को बहुत ही पवित्र मानकर पूरी आस्था के साथ मनाया जाता है।

जया एकादशी के दिन भगवान विष्णु की आराधना का विधान है। पुराणों में इस एकादशी के व्रत के विषय में कहा गया है, स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने इस जया एकादशी के व्रत को श्रेष्ठ बताया है।


जया एकादशी का महत्व:-
1. हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार मान्यता है कि इस दिन श्रद्धापूर्वक व्रत करने वाले व्यक्ति को भूत-प्रेत, पिशाच जैसी योनियों में जाने का भय नहीं रहता है, अर्थात प्रेत योनि से मुक्ति पाकर स्वर्ग लोक में जाने की कामना से भी इस दिन को मनाया जाता है।जया एकादशी के दिन व्रत तथा पूजन के प्रभाव स्वरूप भूत-प्रेत इत्यादि शक्तियों के बुरे प्रभाव भी दूर जाते है। 

2. इस दिन में भगवान श्री विष्णु के पूजन को उत्तम माना गया है। शास्त्रों ब्रह्महत्या को सबसे बड़ा पाप माना गया है, जया एकादशी का श्रद्धापूर्वक व्रत रखने से मनुष्य को पापो से मुक्ति मिलती है, और जिससे जीवन के उपरांत प्राणी की आत्मा को स्वर्ग लोक प्राप्त होता है।

3. जया एकादशी के पुण्य प्रभाव से भाग्यहीन मनुष्य के असंभव कार्य भी पूर्ण हो जाते हैं। हर क्षेत्र में मनुष्य को जीत मिलती है, तथा सुख-संपत्ति की प्राप्ति होती है।

4. जया एकादशी के दिन चंद्रमा की विशेष रूप से पूजा तथा अर्ध्य देने से भक्तों के मानसिक और शारीरिक कष्टों का निवारण होकर स्वस्थ जीवन प्राप्त होता है।


जया एकादशी व्रत एवं पूजा विधि:-
1. जया एकादशी के उपवास की शुरुआत दशमी तिथि की रात्रि से ही हो जाती है। व्रती को दशमी तिथि अर्थात व्रत धारण करने की पूर्व रात्रि से ही तामसिक भोजन का त्याग कर नमक रहित सादा भोजन ग्रहण करना चाहिये । व्रती को जौं, गेहूं और मूंग की दाल से बना भोजन भी ग्रहण नहीं करना चाहिए।

उसी दिन से ही ब्रह्मचर्य का पालन करना आवश्यक है, संभव हो तो जमीन पर ही सोएं।

2. एकादशी के दिन प्रात:काल उठकर नित्यकर्म से निर्वत होकर स्नानादि के पश्चात व्रत का संकल्प लें।
पुत्रदा एकादशी के दिन भगवान श्री विष्णु जी तथा माता लक्ष्मी जी की पूजा-आराधना की जाती है।

3. लकडी की चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर  भगवान श्री कृष्णजी की मूर्ति अथवा सुन्दर चित्र स्थापित करे । उसी वेदी पर नारियल सहित कुंभ स्थापना की जायेंगी। एकादशी व्रत का संकल्प लें। यदि किसी विशेष कामना की पूर्ति के लिए व्रत कर रहे हैं तो संकल्प के दौरान वह कामना भी बोलें। 

4. तत्पश्चात भगवान जी की मूर्ति/चित्र आदि को स्नानादि करवाकर पुष्प, धूप, दीप इत्यादि से पंचोपचार अथवा अपनी सामर्थ्यनुसार षोडशोपचार पूजन करे।

5. भगवान को भोग लगाकर जया एकादशी की कथा का पठन अथवा श्रवण करना अत्यंत आवश्यक है ।

6. पूजा के उपरांत भावपूर्वक भगवान जी की आरती उतारें।

7. जया एकादशी का पूजन भक्त अथवा व्रती स्वंय भी कर सकते हैं, तथा किसी विद्वान ब्राह्मण से भी करवा सकते हैं। 

8. पूजा तथा व्रत धारण करने के उपरांत सूर्य देव को जल अर्पित करे, पीपल के वृक्ष की पूजा भी इस दिन अवश्य करनी चाहिये।

9. मंदिर में जाकर दीपदान अवश्य करना चाहिए।इस दिन पवित्र नदियों में दीपदान का भी महत्व है।
 
9. तत्पश्चात अपनी सामर्थ्यनुसार दान कर्म करना भी बहुत कल्याणकारी रहता है।

10. सायंकाल में एक बार फिर भगवान नारायण की पूजा करें।

11. दिन भर निराहार रहते हुए भगवान विष्णु अथवा उनके श्री कृष्ण रूप का ध्यान करते रहें। यदि करना चाहे तो फलाहार ग्रहण कर सकते हैं।

12. व्रती को एकादशी की रात्रि में भगवान विष्णु जी (नारायण) का ध्यान करते हुए रात्रि जागरण भी अवश्य करना चाहिये। 

जया एकादशी व्रत का पारण:-
जया एकादशी व्रत का पारण अगले दिन प्रातः 13 जनवरी को स्नानादि के उपरांत प्रातः 7:01 AM से 9:15 AM के मध्य मे भगवान नारायण की पूजा के उपरांत ब्राह्मण को भोजन करवाकर दक्षिणा आदि से संतुष्ट करके व्रत का पारण अर्थात उद्यापन करे ।


जया एकादशी व्रत की कथा:-
पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने धर्मराज युद्धिष्ठिर के आग्रह पर जया एकादशी व्रत के महत्व और कथा का वर्णन किया। 

एक समय देवराज इंद्र की सभा में उत्सव चल रहा था। देवगण, संत, दिव्य पुरूष सभी उत्सव में उपस्थित थे। उस समय गंधर्व गीत गा रहे थे और गंधर्व कन्याएं नृत्य कर रही थीं। इन्हीं गंधर्वों में एक माल्यवान नाम का गंधर्व भी था जो बहुत ही सुरीला गाता था। जितनी सुरीली उसकी आवाज़ थी उतना ही सुंदर रूप था। उधर गंधर्व कन्याओं में एक सुंदर पुष्यवती नामक नृत्यांगना भी थी। पुष्यवती और माल्यवान एक-दूसरे को देखकर सुध-बुध खो बैठते हैं और अपनी लय व ताल से भटक जाते हैं। उनके इस कृत्य से देवराज इंद्र नाराज़ हो जाते हैं और उन्हें श्राप देते हैं कि स्वर्ग से वंचित होकर मृत्यु लोक में पिशाचों सा जीवन भोगोगे।

श्राप के प्रभाव से वे दोनों प्रेत योनि में चले गए और दुख भोगने लगे। पिशाची जीवन बहुत ही कष्टदायक था। दोनों बहुत दुखी थे। एक समय माघ मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी का दिन था। पूरे दिन में दोनों ने सिर्फ एक बार ही फलाहार किया था। रात्रि में भगवान से प्रार्थना कर अपने किये पर पश्चाताप भी कर रहे थे। इसके बाद सुबह तक दोनों की मृत्यु हो गई। अंजाने में ही सही लेकिन उन्होंने एकादशी का उपवास किया और इसके प्रभाव से उन्हें प्रेत योनि से मुक्ति मिल गई और वे पुन: स्वर्ग लोक चले गए।

(समाप्त)
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आगामी लेख
1.  कल 11 फर० को, एकादशी के अवसर पर किए जाने वाले भगवान विष्णु जी के महामंत्र।
2. 12 फर० को "फाल्गुन सक्रांति" पर लेख
3. 13 फर० को "सोम प्रदोष व्रत" पर लेख
4. 14 फर० को "भगवान हनुमान जी" पर लेख
5. 15 फर० को "माघ पूर्णिमा" पर लेख।
6. 16 फर० को ज्योतिषीय विषय "पक्ष मे जन्म  फल' तथा जन्मतिथि के अनुसार फल" पर लेख
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जय श्री राम
आज का पंचांग,दिल्ली 🌹🌹🌹
वृहस्पतिवार,10.2.2022
श्री संवत 2078
शक संवत् 1943
सूर्य अयन- उतरायण, गोल-दक्षिण गोल
ऋतुः- शिशिर-वसन्त ऋतुः ।
मास- माघ मास।
पक्ष- शुक्ल पक्ष ।
तिथि- नवमी तिथि 11:10 am तक
चंद्रराशि- चंद्र वृष राशि मे।
नक्षत्र- रोहिणी नक्षत्र अगले दिन 3:32 am तक
योग- ऐन्द्रे योग 6:47 pm तक (अशुभ है)
करण- कौलव करण 11:10 am तक
सूर्योदय 7:03 am, सूर्यास्त 6:07 pm
अभिजित् नक्षत्र- 12:13 pm से 12:57 pm
राहुकाल - 1:58 pm से 3:21 pm (शुभ कार्य वर्जित,दिल्ली )
दिशाशूल- दक्षिण दिशा ।

फरवरी शुभ दिन:- 10 (सायं. 7 तक), 11 (रात्रि 8 उपरांत), 12 (दोपहर 4 उपरांत), 13, 14, 15, 16 (सवेरे 10 उपरांत), 17, 18, 19 (सवेरे 10 तक), 20, 21, 22 (दोपहर 4 तक), 23 (दोपहर 3 उपरांत), 24 (दोपहर 1 तक), 25 (दोपहर 12 उपरांत), 26 (सवेरे 11 उपरांत)

फरवरी अशुभ दिन:- 27, 28

अनिष्टकारी योग :-ज्वालामुखी योग-10 फरवरी 00:23 am से 10 फरवरी 11:09 am तक।
ज्वालामुखी योग अत्यंत अनिष्टकारी माना जाता है, इसमे शुरु किया गया कोई भी कार्य पूर्ण या पूरी तरह से सफल नही हो पाता । इस योग का उल्लेख बहुत से शास्त्रीय ग्रंथों मे किया गया है , इसके संबंध मे शास्त्रो मे क्हा गया है कि:-
जन्मे तो जीवै नही, बसे तो उजड़े गांव।
नारी पहने चूड़ियाँ, पुरूष विहीनी होय।
बोवे तो काटे नही, कुएँ उपजे न नीर।
अथार्त बच्चे का जन्म हो तो उसे अरिष्ट होता है,
घर या बस्ती बसायी जाये तो रहे या फले नही, विवाह किया जाये तो वैधव्य का योग होता है, फसल बोई जाये तो फसल अच्छी न हो, कुआ, बावडी इत्यादि बनाई जाये तो वह सूख जाये, यदि किसी को रोग हो जाये तो जल्दी ठीक न हो पायें। अतः इस योग मे किसी भी प्रकार के शुभ कार्य न करे।
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आगामी व्रत तथा त्यौहार:-
10 फर०- गुप्त नवरात्रे समाप्त। 12 फर०-जया एकादशी। 13 फर०-फाल्गुन कुंभ  सक्रांति अर्धरात्रि 3:26 am, (पुण्य काल अगले दिन 9:50 तक)।  14 फर०-प्रदोष व्रत। 16 फर०-माघ पूर्णिमा व्रत। 20 फर०-संकष्टी चतुर्थी। 27 फर०-विजया एकादशी। 28 फर०-प्रदोष व्रत (कृष्ण)।
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आपका दिन मंगलमय हो . 💐💐💐
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English Translation :-

Article:- Jaya Ekadashi (12.2 2022)


 Jaya Ekadashi auspicious time

 Ekadashi date start-11.02.22, 1:54 pm

 Ekadashi date ends-12.02.22, 4:29 pm


 Ekadashi Shubh Muhurta:- February 12, from 12:13 pm

 till 12:58 pm


 Ekadashi fasting time - 13 February 7:01 am to 9:15 am

 Duration:- 2 Hours 13 Minutes


 Every year, Ekadashi in the Shukla Paksha of Magha month is celebrated as Jaya Ekadashi.  In fact, there are two dates of Ekadashi in every month, one in Shukla and the other in Krishna Paksha.

 In this way, there are twenty four Ekadashis, but sometimes the number of Ekadashis increases from 24 to 26 in a year due to the arrival of Malamas i.e. Adhikmas.  But even then the day of Ekadashi is considered very holy and is celebrated with full faith.


 There is a law to worship Lord Vishnu on the day of Jaya Ekadashi.  In the Puranas, it has been said about the fasting of this Ekadashi, Lord Shri Krishna himself has described the fast of this Ekadashi as the best.



 Significance of Jaya Ekadashi:-

 1. According to Hindu religious scriptures, it is believed that a person who fasts with devotion on this day does not have the fear of going into the yonis like ghosts, demons, vampires, that is, by getting rid of the phantom vagina and wishing to go to heaven, this day is also celebrated.  It is celebrated. Due to the effect of fasting and worship on the day of Jaya Ekadashi, the evil effects of ghosts and spirits etc. also go away.


 2. Worship of Lord Shri Vishnu is considered best on this day.  Brahmahatya is considered the biggest sin in the scriptures, by observing the fast of Jaya Ekadashi reverently, one gets freedom from sins, and by which the soul of the creature gets heaven after life.


 3. With the virtuous effect of Jaya Ekadashi, even the impossible tasks of a luckless person are completed.  Man gets victory in every field, and gets happiness and wealth.


 4. Special worship of Moon on the day of Jaya Ekadashi and giving Ardhya helps the devotees to attain a healthy life by eliminating their mental and physical sufferings.



 Jaya Ekadashi Vrat and Worship Method:-

 1. Jaya Ekadashi fasting starts from the night of Dashami Tithi.  The fasting should give up tamasic food and take salt free food from the day of Dashami i.e. the night before fasting.  The fasting should also not take food made of barley, wheat and moong dal.


 From that day it is necessary to follow celibacy, if possible, sleep on the ground.


 2. On the day of Ekadashi, wake up early in the morning and take a vow of fasting after taking bath.

 On the day of Putrada Ekadashi, Lord Shri Vishnu ji and Mata Lakshmi ji are worshipped.


 3. Establish an idol or beautiful picture of Lord Shri Krishna by laying a yellow cloth on a wooden post.  Kumbh with coconut will be established on the same altar.  Take a vow to fast on Ekadashi.  If you are fasting for the fulfillment of any particular wish, then say that wish during the resolution.


 4. Thereafter, after bathing the idol/picture etc. of Lord ji, do Panchopchar or Shodashopachar worship with flowers, incense, lamps etc.


 5. It is very important to read or listen to the story of Jaya Ekadashi by offering to God.


 6. After worship, perform the aarti of Lord ji with devotion.


 7. Jaya Ekadashi can be worshiped by a devotee or a devotee himself, and can also be done by a learned Brahmin.


 8. After worshiping and observing the fast, offer water to the Sun God, Peepal tree should also be worshiped on this day.


 9. Going to the temple, one must donate a lamp. On this day, there is also a significance of donating a lamp in the holy rivers.



 9. After that, doing charity work according to your ability is also very beneficial.


 10. Worship Lord Narayan once again in the evening.


 11. While staying fast throughout the day, keep meditating on Lord Vishnu or his Shri Krishna form.  If you want, you can take fruit food.


 12. The fasting should also do night awakening while meditating on Lord Vishnu (Narayan) on the night of Ekadashi.


 Jaya Ekadashi fasting:

 Parana of Jaya Ekadashi fast on the next day on January 13, after bathing in the middle of 7:01 AM to 9:15 AM, after worshiping Lord Narayana, after offering food to a Brahmin and satisfying him with dakshina etc.



 Story of Jaya Ekadashi Vrat :-

 According to mythological belief, Lord Krishna described the importance and story of Jaya Ekadashi fast on the request of Dharmaraja Yudhishthira.


 Once a festival was going on in the meeting of Devraj Indra.  The gods, saints, divine men were all present in the festival.  At that time Gandharvas were singing songs and Gandharva girls were dancing.  Among these Gandharvas there was a Gandharva named Malyavan who used to sing very melodiously.  The more melodious his voice was, the more beautiful it was.  On the other hand, among the Gandharva girls there was also a beautiful dancer named Pushyavati.  Seeing each other, Pushyavati and Malyavan lose their senses and get lost in their rhythm and rhythm.  Due to this act, Devraj Indra gets angry and curses him that by being deprived of heaven, you will enjoy life like a vampire in the world of death.


 Due to the effect of the curse, both of them went into the phantom vagina and started suffering.  The demonic life was very painful.  Both were very sad.  Once upon a time it was the day of Ekadashi of Shukla Paksha in the month of Magha.  In the whole day, both of them had fruit only once.  By praying to God in the night, he was also repenting on his actions.  After this both of them died by morning.  Unknowingly, but he fasted on Ekadashi and due to its effect, he got freedom from the phantom vagina and he again went to heaven.


 (End)


 upcoming articles

 1.  Tomorrow on 11th February, Mahamantra of Lord Vishnu to be performed on the occasion of Ekadashi.

 2. Article on "Falgun Sankranti" on 12 February

 3. Article on "Som Pradosh Vrat" on 13th Feb.

 4. Article on "Lord Hanuman ji" on February 14

 5. Article on "Magh Purnima" on 15 February.

 6. Article on the astrological topic "Birth in the side, fruit and fruit according to date of birth" on 16 February


 Long live Rama

 Today's Panchang, Delhi

 Thursday, 10.2.2022

 Shree Samvat 2078

 Shaka Samvat 1943

 Surya Ayan- Uttarayan, Round-South Round

 Rituah - Shishir - spring season.

 Month - Magha month.

 Paksha - Shukla Paksha.

 Date- Navami date till 11:10 am

 Moon sign - Moon in Taurus.

 Nakshatra- Rohini Nakshatra till 3:32 am the next day

 Yoga - Andre Yoga till 6:47 pm (inauspicious)

 Karan - Kaulav Karan till 11:10 am

 Sunrise 7:03 am, Sunset 6:07 pm

 Abhijit Nakshatra - 12:13 pm to 12:57 pm

 Rahukaal - 1:58 pm to 3:21 pm (Good work prohibited, Delhi)

 Dishashul - South direction.


 February Lucky Days:- 10 (till 7 pm), 11 (after 8 pm), 12 (after 4 pm), 13, 14, 15, 16 (after 10 am), 17, 18, 19 (till 10 am)  , 20, 21, 22 (till 4 pm), 23 (after 3 pm), 24 (up to 1 pm), 25 (after 12 pm), 26 (after 11 am)


 February inauspicious days:- 27, 28


 Bad Yoga :- Volcano Yoga - 10 February from 00:23 am to 10 February 11:09 am.

 Jwalamukhi Yoga is considered to be extremely inauspicious, any work started in it cannot be completed or completely successful.  This yoga has been mentioned in many classical texts, in relation to this it has been said in the scriptures that:-

 If you are born, you do not live, if you settle down, then the village is ruined.

 Women wearing bangles, men without men.

 Sows don't cut, wells don't grow or neer.

 That is, if a child is born, then it becomes arishta.

 If a house or settlement is established, it remains or does not flourish, if marriage is done then there is a sum of wealth, if the crop is sown then the crop is not good, if a well, stepwell etc.  Can't be  Therefore, do not do any kind of auspicious work in this yoga.

 Upcoming fasts and festivals:-

 10th Feb- Gupt Navratri ends.  12th Feb- Jaya Ekadashi.  13 Feb – Falgun Kumbh Sankranti midnight 3:26 am, (Punya Kaal till 9:50 the next day).  14 February - Pradosh fasting.  16 February - Magha Purnima fasting.  20th February – Sankashti Chaturthi.  27 February - Vijaya Ekadashi.  28 February - Pradosh fast (Krishna).

 Special:- The person who lives outside Varanasi or outside the country, he can get astrological consultation by phone, by paying the consultation fee through Paytm or Bank transfer for astrological consultation.

 Have a good day .

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