लेख:- संकष्टी चतुर्थी, (20.02.2022)
संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त
चतुर्थी तिथि प्रारंभ-19.02.22, 9:56 pm चतुर्थी तिथि समाप्त-20.02.22, 9:05 pm
शुभ मुहूर्त दोपहर- 20 फर०12:12 pm 12:58 pm तक
चंद्रोदय समय- 20 फर०, 09:50 pm
भारतीय हिन्दु पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। वर्ष 2022 के फाल्गुन मास कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 20 फरवरी को संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जायेगा। फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को "द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी" के नाम से भी जाना जाता है।
दरअसल हिन्दु पंचांग में प्रत्येक चन्द्र मास में कृष्ण पक्ष तथा शुक्ल पक्ष मे दो चतुर्थी तिथि आती हैं। पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं, तथा अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं। संकष्टी चतुर्थी के दिन विघ्नहर्ता श्री गणेश जी की पूजा करने एवं व्रत रखने का विधान है, तथा चंद्रमा की पूजा करने के बाद ही व्रत पूरा होता है, जबकि शुक्ल पक्ष की विनायक चतुर्थी में चंद्रमा का दर्शन वर्जित होता है।
इस प्रकार संकष्टी चतुर्थी का व्रत हर महीने में आता है, परन्तु पूर्णिमांत पंचांग के अनुसार वर्ष भर के संकष्टी चतुर्थी व्रतों मे सबसे प्रमुख संकष्टी चतुर्थी का व्रत माघ मास की चतुर्थी का होता है। जबकि अमावस्यांत पञ्चाङ्ग के अनुसार प्रमुख व्रत पौष मास का होता है।
मंगलवार को होंने वाले संकष्टी चतुर्थी व्रत को अंगारकी चतुर्थी कहते हैं, अंगारकी चतुर्थी के व्रत को अत्यंत शुभ माना जाता है। संकष्टी चतुर्थी का त्यौहार पश्चिमी भारत, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में विशेष रूप से प्रचलित है।
संकष्टी चतुर्थी व्रत का महत्व:-
संकष्टी चतुर्थी का व्रत मनोकामनाओं को सिद्ध करने वाला व्रत है, विध्नो-संकटो को दूर करके जीवन मे सफलताओ को देने वाला तथा सुख-समृद्धि प्रदान करता है, इस दिन व्रत रखने वालों भक्तों के कष्टों को विध्न विनाशक गणेश जी दूर करते हैं और भक्तो के कार्यों मे सफलता प्रदान करते हैं।
संकट चतुर्थी पूजा विधि:-
इस दिन विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश जी का तथा चौथमाता का पूजन एवं व्रत रखने का विधान है। संकष्टी चतुर्थी में चंद्रमा की पूजा करने के बाद ही व्रत पूर्ण होता है, इसके विपरीत 'विनायक चतुर्थी' में चंद्रमा का दर्शन वर्जित होता है।
1. सर्वप्रथम लकडी की चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर उस पर गणेश जी का सुन्दर चित्र अथवा प्रतिमा को स्थापित करे, तत्पश्चात वेदी पर कलश स्थापित करें।
2. इस कलश में जल भरकर देवताओं, तीर्थों एवं सागर को आमंत्रित करें। कलश में सुगंध, सुपारी और पंच रत्न रखें। इसके ऊपर पंच पल्लव रखें फिर दीप जलाकर रखें।
3. तदोपरान्त भगवान गणेश जी की प्रतिमा के समक्ष हाथ में दूब, फूल, सुपारी, पान तथा द्रव्य (धन) और जल लेकर व्रत का संकल्प करना चाहिए।
4. संकल्प के दौरान व्रती को सकाम व्रत हेतु अपनी मनोकामना को कहना चाहिए साथ ही यह भी कहना चाहिए कि मैं भगवान गणेश तथा चौथ माता की प्रसन्नता एवं सुख-समृद्धि की कामना से संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखता हूं। मेरा यह व्रत सफलतापूर्वक पूरा हो इसके लिए भगवान मुझे सामर्थ्य तथा शक्ति प्रदान करे।
4. इसके बाद संकल्प लेने के पश्चात षोड्षोपचार भगवान की पूजा करें।
5. संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रती को दिन भर निराहार उपवास करना होता है।
9. संकष्टी चतुर्थी का व्रत शाम के समय चंद्र दर्शन के बाद ही खोला जाता है। अतः भक्त जो संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखेंगे, वह गणेशजी एवं चौथ माता की पूजा करके लड्डू का भोग लगाकर चंद्रोदय के समय चंद्रमा का पूजन करेंगे और चंद्रमा को शहद, चंदन, रोली मिश्रित दूध से अर्घ्य देंगे। इस प्रकार व्रत का पारण करके व्रत को पूर्ण किया जाता हैं। इसमे चन्द्रोदय होने पर भोजन करते हैं।
पूजन समाप्ति और चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही अन्न का दान करें और भगवान से प्रार्थना भी करें।
*संकष्ट चतुर्थी की कथा*
संकष्टी चतुर्थी की क्रमशः चार कथाएं प्रचलित हैं, जिनमे से एक कथा निम्नलिखित प्रकार से है।
पुरातन काल मे एक बार विष्णु भगवान का विवाह लक्ष्मीजी के साथ निश्चित हो गया। विवाह की तैयारी होने लगी। सभी देवताओं को निमंत्रण भेजे गए, परंतु गणेशजी को निमंत्रण नहीं दिया।
अब भगवान विष्णु की बारात जाने का समय आ गया। सभी देवता अपनी पत्नियों के साथ विवाह समारोह में आए। उन सबने देखा कि गणेशजी कहीं दिखाई नहीं दे रहे हैं। तब वे आपस में चर्चा करने लगे कि- क्या गणेशजी को नहीं न्योता है, या स्वयं गणेशजी ही नहीं आए हैं? सभी को इस बात पर आश्चर्य होने लगा। तभी सबने विचार किया कि विष्णु भगवान से ही इसका कारण पूछा जाए।
विष्णु भगवान से पूछने पर उन्होंने कहा कि हमने गणेशजी के पिता भोलेनाथ महादेव को न्योता भेजा है। यदि गणेशजी अपने पिता के साथ आना चाहते तो आ जाते, अलग से न्योता देने की कोई आवश्यकता भी नहीं थीं। दूसरी बात यह है कि उनको सवा मन मूंग, सवा मन चावल, सवा मन घी और सवा मन लड्डू का भोजन दिनभर में चाहिए। यदि गणेशजी नहीं आएंगे तो कोई बात नहीं। दूसरे के घर जाकर इतना सारा खाना-पीना अच्छा भी नहीं लगता।
इतनी वार्ता कर ही रहे थे कि किसी एक ने सुझाव दिया- यदि गणेशजी आ भी जाएं तो उनको द्वारपाल बनाकर बैठा देंगे कि आप घर की याद रखना। आप तो चूहे पर बैठकर धीरे-धीरे चलोगे तो बारात से बहुत पीछे रह जाओगे। यह सुझाव भी सबको पसंद आ गया, तो विष्णु भगवान ने भी अपनी सहमति दे दी।
होना क्या था कि इतने में गणेशजी वहां आ पहुंचे और उन्हें समझा-बुझाकर घर की रखवाली करने बैठा दिया। बारात चल दी, तब नारदजी ने देखा कि गणेशजी तो दरवाजे पर ही बैठे हुए हैं, तो वे गणेशजी के पास गए और रुकने का कारण पूछा। गणेशजी कहने लगे कि विष्णु भगवान ने मेरा बहुत अपमान किया है। नारदजी ने कहा कि आप अपनी मूषक सेना को आगे भेज दें, तो वह रास्ता खोद देगी जिससे उनके वाहन धरती में धंस जाएंगे, तब आपको सम्मानपूर्वक बुलाना पड़ेगा।
अब तो गणेशजी ने अपनी मूषक सेना जल्दी से आगे भेज दी और सेना ने जमीन पोली कर दी। जब बारात वहां से निकली तो रथों के पहिए धरती में धंस गए। लाख कोशिश करें, परंतु पहिए नहीं निकले। सभी ने अपने-अपने उपाय किए, परंतु पहिए तो नहीं निकले, बल्कि जगह-जगह से टूट गए। किसी की समझ में नहीं आ रहा था कि अब क्या किया जाए।
तब तो नारदजी ने कहा- आप लोगों ने गणेशजी का अपमान करके अच्छा नहीं किया। यदि उन्हें मनाकर लाया जाए तो आपका कार्य सिद्ध हो सकता है और यह संकट टल सकता है। शंकर भगवान ने अपने दूत नंदी को भेजा और वे गणेशजी को लेकर आए। गणेशजी का आदर-सम्मान के साथ पूजन किया, तब कहीं रथ के पहिए निकले। अब रथ के पहिए निकल को गए, परंतु वे टूट-फूट गए, तो उन्हें सुधारे कौन?
पास के खेत में खाती काम कर रहा था, उसे बुलाया गया। खाती अपना कार्य करने के पहले 'श्री गणेशाय नम:' कहकर गणेशजी की वंदना मन ही मन करने लगा। देखते ही देखते खाती ने सभी पहियों को ठीक कर दिया।
तब खाती कहने लगा कि हे देवताओं! आपने सर्वप्रथम गणेशजी को नहीं मनाया होगा और न ही उनकी पूजन की होगी इसीलिए तो आपके साथ यह संकट आया है। हम तो मूर्ख अज्ञानी हैं, फिर भी पहले गणेशजी को पूजते हैं, उनका ध्यान करते हैं। आप लोग तो देवतागण हैं, फिर भी आप गणेशजी को कैसे भूल गए? अब आप लोग भगवान श्री गणेशजी की जय बोलकर जाएं, तो आपके सब काम बन जाएंगे और कोई संकट भी नहीं आएगा।
ऐसा कहते हुए बारात वहां से चल दी और विष्णु भगवान का लक्ष्मीजी के साथ विवाह संपन्न कराके सभी सकुशल घर लौट आए।
हे गणेशजी महाराज! आपने विष्णु को जैसो कारज सारियो, ऐसो कारज सबको सिद्ध करजो। बोलो गजानन भगवान की जय।
(समाप्त)
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आगामी लेख
1. 21 फर० को ज्योतिषीय विषय "विभिन्न योगो मे जन्म लेने का फल" पर लेख
2. 22 फर० को ज्योतिषीय विषय "विभिन्न करण मे जन्म लेने का फल" पर लेख
3. 23 फरवरी को "विजया एकादशी" पर लेख
4. 24 फरवरी से "भगवान शिव तथा महाशिवरात्रि" विषय पर धारावाहिक लेख
5. शीघ्र ही "होलाष्टक, होलिका दहन तथा धुलैण्डी" पर धारावाहिक लेख प्रारम्भ।
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जय श्री राम
आज का पंचांग,दिल्ली 🌹🌹🌹
रविवार,20.2.2022
श्री संवत 2078
शक संवत् 1943
सूर्य अयन- उतरायण, गोल-दक्षिण गोल
ऋतुः- शिशिर-वसन्त ऋतुः ।
मास- फाल्गुन मास।
पक्ष- कृष्ण पक्ष ।
तिथि- चतुर्थी तिथि 9:05 pm तक*
चंद्रराशि- चंद्र कन्या राशि मे अगले दिन 4:31 am तक तदोपरान्त तुला राशि।
नक्षत्र- हस्त नक्षत्र 4:42 pm तक
योग- शूल योग 3:06 pm तक (अशुभ है)
करण- बव करण 9:35 am तक
सूर्योदय 6:56 am, सूर्यास्त 6:13 pm
अभिजित् नक्षत्र- 12:12 pm से 12:57 pm
राहुकाल - 4:49 pm से 6:14 pm* (शुभ कार्य वर्जित,दिल्ली )
दिशाशूल- पश्चिम दिशा ।
फरवरी शुभ दिन:- 20, 21, 22 (दोपहर 4 तक), 23 (दोपहर 3 उपरांत), 24 (दोपहर 1 तक), 25 (दोपहर 12 उपरांत), 26 (सवेरे 11 उपरांत)
फरवरी अशुभ दिन:- 27, 28
सर्वार्थ सिद्ध योग :- 20 फर० 6:56 am से 20 फर० 4:42 pm तक (यह एक शुभयोग है, इसमे कोई व्यापारिक या कि राजकीय अनुबन्ध (कान्ट्रेक्ट) करना, परीक्षा, नौकरी अथवा चुनाव आदि के लिए आवेदन करना, क्रय-विक्रय करना, यात्रा या मुकद्दमा करना, भूमि , सवारी, वस्त्र आभूषणादि का क्रय करने के लिए शीघ्रतावश गुरु-शुक्रास्त, अधिमास एवं वेधादि का विचार सम्भव न हो, तो ये सर्वार्थसिद्धि योग ग्रहण किए जा सकते हैं।
अमृत सिद्धि योग:- 20 फर० 6:56 am से 20 फर० 4:42 pm तक, इस योग मे सर्वार्थ सिद्ध योगवाले कामो के अलावा प्रेमविवाह, विदेश यात्रा तथा सकाम अनुष्ठान करना शुभ होता है।
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आगामी व्रत तथा त्यौहार:-
20 फर०-संकष्टी चतुर्थी। 27 फर०-विजया एकादशी। 28 फर०-प्रदोष व्रत (कृष्ण)।1 मार्च- महाशिवरात्रि। 2 मार्च- फाल्गुन अमावस्या।10 मार्च- होलाष्टक प्रांरभ। 1
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विशेष:- जो व्यक्ति वाराणसी से बाहर अथवा देश से बाहर रहते हो, वह ज्योतिषीय परामर्श हेतु Paytm या Bank transfer द्वारा परामर्श फीस अदा करके, फोन द्वारा ज्योतिषीय परामर्श प्राप्त कर सकतें है
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आपका दिन मंगलमय हो . 💐💐💐
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English Translation :-
Article:- Sankashti Chaturthi, (2002.2022)
sankashti chaturthi auspicious time
Chaturthi Tithi Start-19.02.22, 9:56 pm Chaturthi Tithi End-20.02.22, 9:05 pm
Shubh Muhurta Afternoon - 20 Feb012:12 pm till 12:58 pm
Moonrise Time - 20 Feb, 09:50 pm
According to Indian Hindu calendar, Sankashti Chaturthi fast is observed on the Chaturthi Tithi of Krishna Paksha of every month. In the year 2022, the fast of Sankashti Chaturthi will be kept on the Chaturthi date of Krishna Paksha of Falgun month, 20 February. The Chaturthi of Krishna Paksha of Falgun month is also known as "Dwijpriya Sankashti Chaturthi".
In fact, in the Hindu calendar, in every lunar month, there are two Chaturthi Tithis in Krishna Paksha and Shukla Paksha. The Chaturthi of Krishna Paksha which comes after full moon is called Sankashti Chaturthi, and the Chaturthi of Shukla Paksha which comes after Amavasya is called Vinayaka Chaturthi. On the day of Sankashti Chaturthi, there is a law to worship Vighnaharta Shri Ganesh ji and keep a fast, and the fast is completed only after worshiping the moon, while the sighting of moon is prohibited in Vinayaka Chaturthi of Shukla Paksha.
In this way, Sankashti Chaturthi fast comes in every month, but according to Purnimant Panchang, Sankashti Chaturthi fasting is the most important of all year long Sankashti Chaturthi fasting in Magha month. Whereas according to Amavasyant Panchang, the main fast is of Paush month.
The Sankashti Chaturthi fast observed on Tuesday is called Angaraki Chaturthi, and the Angaraki Chaturthi fast is considered very auspicious. The festival of Sankashti Chaturthi is especially prevalent in Western India, Maharashtra and Tamil Nadu.
Significance of Sankashti Chaturthi Vrat:-
The fast of Sankashti Chaturthi is a fast that fulfills wishes, removes obstacles and gives success in life and provides happiness and prosperity, Ganesha, the destroyer of obstacles, removes the sufferings of the devotees who observe fast on this day. bring success in their works.
Sankat Chaturthi Puja Method:-
On this day, there is a law to worship Lord Ganesha, the obstacle course, and the Chauthmata and keep a fast. On Sankashti Chaturthi, the fast is completed only after worshiping the moon, on the contrary, sighting of the moon is prohibited in Vinayaka Chaturthi.
1. First of all, by laying a yellow cloth on a wooden post, install a beautiful picture or statue of Ganesh ji on it, then place the urn on the altar.
2. Invite the deities, pilgrimages and ocean by filling water in this urn. Keep fragrance, betel nut and Panch Ratna in the Kalash. Place Panch Pallav on it and then keep the lamp lit.
3. After this, in front of the idol of Lord Ganesha, one should take a vow of a fast by taking cows, flowers, betel nuts, betel leaves and liquid (money) and water.
4. During the resolution, the devotee should say his wish for a fruitful fast and should also say that I keep the fast of Sankashti Chaturthi with the wish of happiness and prosperity of Lord Ganesha and Chauth Mata. May God give me strength and power to complete this fast of mine successfully.
4. After this, after taking the resolution, worship the God 'Shodshopchar'.
5. On the day of Sankashti Chaturthi, the fasting has to be observed for the whole day.
9. The fast of Sankashti Chaturthi is broken only after the moon sighting in the evening. Therefore, the devotees who keep fast on Sankashti Chaturthi, they will worship the moon at the time of moonrise by offering laddus and offering laddus and offering Arghya to the moon with honey, sandalwood, roli mixed milk. In this way the fast is fulfilled by breaking the fast. In this, they eat food when there is moonrise.
Donate food only after the worship is over and offering Arghya to the moon and also pray to God.
*Story of Sankash Chaturthi*
There are four stories of Sankashti Chaturthi respectively, out of which one story is as follows.
Once in ancient times, the marriage of Lord Vishnu was fixed with Lakshmiji. The wedding preparations started. Invitations were sent to all the deities, but Ganesha was not invited.
Now the time has come to go to Lord Vishnu's procession. All the deities along with their wives came to the marriage ceremony. They all saw that Ganeshji was nowhere to be seen. Then they started discussing among themselves whether Ganeshji is not invited, or Ganesha himself has not come? Everyone was surprised at this. Then everyone thought that the reason for this should be asked from Lord Vishnu.
On asking Lord Vishnu, he said that we have sent an invitation to Lord Ganesha's father, Bholenath Mahadev. If Ganeshji wanted to come with his father, he would have come, there was no need to invite him separately. The second thing is that they need half a mind of moong, half a mind of rice, half a mind of ghee and half a mind of laddoos throughout the day. It doesn't matter if Ganeshji doesn't come. It doesn't feel good to go to someone else's house and drink so much food.
They were talking so much that one of them suggested that even if Ganesha comes, he will make him a gatekeeper and make you sit in memory of the house. If you sit on a mouse and walk slowly, you will be left far behind the procession. Everyone liked this suggestion, so Lord Vishnu also gave his consent.
What was to happen that Ganeshji came there and after persuading him, made him sit to guard the house. The procession went on, then Naradji saw that Ganeshji was sitting at the door, so he went to Ganeshji and asked the reason for his stay. Ganeshji started saying that Lord Vishnu has insulted me a lot. Naradji said that if you send your mouse army forward, then it will dig a path through which their vehicles will sink into the earth, then you will have to call respectfully.
Now Ganeshji quickly sent his mouse army forward and the army polled the land. When the procession left from there, the wheels of the chariots sank into the earth. Tried a million, but the wheels did not come off. Everyone took their own measures, but the wheels did not come out, but broke from place to place. Nobody knew what to do now.
Then Naradji said – You did not do any good by insulting Ganeshji. If they are persuaded and brought, then your work can be proved and this crisis can be averted. Lord Shankar sent his messenger Nandi and he brought Ganeshji. Worshiped Ganesh ji with respect and then the wheels of the chariot came out. Now the wheels of the chariot are gone, but they are broken, so who will repair them?
Khati was working in a nearby field, he was called. Before doing his work, saying 'Shri Ganeshaya Namah' to worship Ganesha started in his mind. Soon Khati fixed all the wheels.
Then Khati started saying that O Gods! You must not have celebrated or worshiped Ganesha in the first place, that is why this crisis has come with you. We are foolish and ignorant, yet we worship Ganesha first and meditate on him. You people are gods, yet how did you forget Ganesha? Now if you go by chanting the jai of Lord Ganesha, then all your work will be done and there will be no trouble.
Saying this the procession left from there and after solemnizing the marriage of Lord Vishnu with Lakshmi, all returned home safely.
Oh Lord Ganesha! You have proved Vishnu as Karaj Saariyo, such Karaj prove to everyone. Say Glory to God Gajanan.
(End)
upcoming articles
1. Article on the astrological topic "Fruits of taking birth in different yogas" on 21st February
2. Article on the astrological topic "Fruits of being born in different Karanas" on 22 February
3. Article on "Vijaya Ekadashi" on February 23
4. Serial article on the topic "Lord Shiva and Mahashivratri" from February 24
5. Serial articles on "Holashtak, Holika Dahan and Dhulandi" will start soon.
Long live Rama
Today's Panchang, Delhi
Sunday, 20.2.2022
Shree Samvat 2078
Shaka Samvat 1943
Surya Ayan- Uttarayan, Round-South Round
Rituah - Shishir - spring season.
Month- Falgun month.
Paksha - Krishna Paksha.
Date - Chaturthi date up to 9:05 pm*
Moon sign- Moon will remain in Virgo till 4:31 am the next day and then Libra.
Nakshatra - Hasta Nakshatra till 4:42 pm
Yoga- Shool Yoga till 3:06 pm (inauspicious)
Karan - bv karan till 9:35 am
Sunrise 6:56 am, Sunset 6:13 pm
Abhijit Nakshatra - 12:12 pm to 12:57 pm
Rahukaal - 4:49 pm to 6:14 pm* (Good work prohibited, Delhi)
Dishashul – West direction.
February Lucky Days:- 20, 21, 22 (till 4 pm), 23 (after 3 pm), 24 (up to 1 pm), 25 (after 12 pm), 26 (after 11 am)
February inauspicious days:- 27, 28
Sarvartha Siddha Yoga :- 20 Feb 6:56 am to 20 Feb 4:42 PM (This is an auspicious yoga, in this, to do any business or state contract, apply for examination, job or election etc., purchase- If the idea of Guru-Shukrast, Adhimaas and Vedadi is not possible in a hurry to make sale, travel or litigation, purchase of land, rides, clothes, jewelery etc., then these Sarvarthasiddhi Yogas can be adopted.
Amrit Siddhi Yoga:- From 20 Feb 6:56 am to 20 Feb 4:42 PM, in this yoga, apart from the work of Siddha Yoga, it is auspicious to do love marriage, foreign travel and fruitful rituals.
Upcoming fasts and festivals:-
20th February – Sankashti Chaturthi. 27 February - Vijaya Ekadashi. 28 February - Pradosh fast (Krishna). 1 March - Mahashivratri. March 2 - Falgun Amavasya. March 10 - Holashtak begins. 1
Special:- The person who lives outside Varanasi or outside the country, he can get astrological consultation by phone, by paying the consultation fee through Paytm or Bank transfer for astrological consultation.
Have a good day .
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