लेख :- रथ अरोग्य सप्तमी/रथसप्तमी, 7.02.2022
रथ सप्तमी पूजा मुहूर्त
सप्तमी तिथि प्रारंभ:- 7 फर०, 4:40 am
सप्तमी तिथि समाप्त:- 8 फर० 6:18 am
रथ सप्तमी पर स्नान मुहूर्त:- 7 फर०, 5:24 am प्रातः 7:09 am तक
कुल अवधि: 1 घंटा 45 मिनट
अर्घ्यदान के लिए सूर्योदय का समय:- 7:05 am
भारत वर्ष मे धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है । भगवान सूर्य का यह रथ अरोग्य सप्तमी व्रत अति महत्वपूर्ण व्रत है । माघ मास शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को ही भुवन भास्कर भगवान ने अपने रथ पर आरूढ़ होकर मन्वन्तर के आदि मे इसी दिन जगत को प्रकाशित किया था(सूर्य का आविर्भाव हुआ था) अर्थात अाज ही के दिन सूर्य जयंती भी है, दूसरे मत के अनुसार सूर्यभगवान इस दिन अंड के साथ उत्पन्न हुए और अंड में रहते हुए ही उन्होंने वृद्धि को प्राप्त किया बहुत दिनों तक अंड में रहने के कारण ही सूर्य को ‘मार्तण्ड’ के नाम से भी पुकारा जाता है ।
हिन्दु धर्म में सूर्य को महज़ एक प्रकाश देने का प्राकृतिक स्रोत ही नहीं समझा जाता है, बल्कि इसे देवताओं की श्रेणी में रखा गया है। इसलिए हिन्दू संस्कृति में सदा से सूर्य देव की पूजा का विधान रहा है। सूर्य न केवल अंधकार का नाशक है, बल्कि इसके प्रकाश में कई ऐसे तत्व भी हैं जिनसे सम्पूर्ण प्राणी जगत को न केवल पोषण अर्थात अन्न प्राप्त होता है, वरन् रोगो से भी मुक्ति मिलती है।
इस दिन रथसप्तमी का व्रत रखने या सूर्य पूजा करने से पुत्र प्राप्ति, धन प्राप्ति तथा शारीरिक कष्ट समाप्त होकर अरोग्यता प्राप्त होती है। हिन्दू मान्यता के अनुसार सूर्य सप्तमी व्रत स्त्रियों के लिए मोक्षदायिनी होता है।
सप्तमी को अचला सप्तमी, सूर्य सप्तमी, आरोग्य सप्तमी और रथ सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है। वर्ष 2022 में यह त्योहार 7 फरवरी सोमवार के दिन मनायी जाएगा। रथसप्तमी का व्रत सप्तमी तिथि को रखा जाता है और मुख्यतः यह सूर्यदेव को समर्पित है। मान्यता है इस दिन किए गए स्नान, दान, होम, पूजा आदि सत्कर्म हजार गुना अधिक फल देते हैं।
रथसप्तमी पूजन तथा व्रत विधि :-
1. इस व्रत मे एक दिन पहले षष्ठी तिथि की रात्रि को संकल्प एवम् नियमो का पालन करना पड़ता है ।
सप्तमी को उपवास करके भक्त को सोने या चांदी का अश्व एवं सारथी से युक्त एक रथ बनवाकर उसमे सूर्य देव की स्वर्ण प्रतिमा स्थापित करके, कुंकुम, पुष्प आदि से पूजा करनी चाहिये ।
इस प्रकार दिन मे मंत्रजप-स्तोत्र पाठ करते हुए रात्रिकाल मे भी भक्ति पूर्वक नृत्य तथा संगीत से जागरण करना चाहिए । भक्त की पलकें बन्द नही होनी चाहिये, अर्थात पूर्ण रात्रि भक्त को सोना नही चाहिए ।
दूसरे दिन प्रातः गुरू अथवा ब्राह्मण को रथ का दान करके व्रत खोलना चाहिए ।
(नोट:- आधुनिक काल मे स्वर्ण प्रतिमा संभव नहीं है अतः स्वर्ण की जगह किसी अन्य धातु आभाव मे मिट्टी की प्रतिमा भी रखी जा सकती है ।)
भानु सप्तमी के दिन सूर्य की उपासना और व्रत करना उत्तम फलदायी होता है। इस दिन पवित्र नदी या जलकुंड में स्नान करने से शरीर दोष-रोग मुक्त रहता है। आज के दिन जो लोग दीपदान करते हैं उन्हें सूर्य भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है। सूर्य देव को जल चढ़ाने से बौद्धिक विकास होता है और व्यक्तित्व में निखार आता है। मानसिक शांति और सरकारी नौकरी की चाह रखने वाले जातकों को सूर्य सप्तमी के दिन सूर्य की उपासना और व्रत अवश्य ही करना चाहिए।
रथसप्तमी को पूजा, व्रत तथा दान के नियम:-
1.स्नान:-
भविष्यपुराण के अनुसार इस दिन ब्रह्म मुहूर्त मे उठकर गंगा, यमुना, नर्मदा, सिन्धु, कावेरी इत्यादि पवित्र नदी अथवा किसी भी अन्य नदी, सरोवर अथवा जलाशय, में सूर्योदय से पूर्व स्नान करना चाहिए । स्नान करते वक्त आक (अर्क) के पौधे की सात पत्तियां भी अपने सिर पर रखनी चाहिए । इस दिन पवित्र नदी या जलकुंड में स्नान करने से शरीर दोष-रोग मुक्त रहता है।
2.अर्ध्य:-
स्नान करने के बाद उदय होते हुए सूर्य की आराधना करनी चाहिए । सात प्रकार के फलों, चावल, तिल, दूर्वा, चंदन आदि को जल में मिलाकर उदय होते भगवान सूर्य को जल देना चाहिए। सूर्य देव को जल चढ़ाने से बौद्धिक विकास होता है और व्यक्तित्व में निखार आता है।
ऊँ घृणि सूर्याय नम:
अथवा
ऊँ सूर्याय नम:
सूर्य मंत्र का जाप करना चाहिए ।
जल अर्पण के समय जलाशय, नदी अथवा नहर मे कमर तक पानी मे खडे होकर या इनके समीप खडे़ होकर भगवान सूर्य को अर्ध्य देना और भी अधिक पुण्य फलदायी है । इसके उपरांत शुद्ध धी से दीप दान करना विशेष महत्व रखता है। रथ सप्तमी के दिन जो लोग दीपदान करते हैं उन्हें सूर्य भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
3. पूजन:-
कपूर, धूप, लाल पुष्प इत्यादि से भगवान सूर्य का पूजन करना चाहिए । इस दिन सूर्याष्टकम, सूर्य स्तोत्र, सूर्य कवच या आदित्य हृदय स्तोत्र" का पाठ करने से सहस्र गुणा शुभ फलों की प्राप्ति संभव होती है ।
4. दान:-
इस दिन अपनी सामर्थ्य के अनुसार गरीबों तथा ब्राह्मणों अन्न, फल, वस्त्र तथा धन का दान देना चाहिए । पवित्र धार्मिक पुस्तके, गर्म कपडे, तथा तिल से बने खाद्य पदार्थो का दान भी अत्यधिक पुण्यदायी है ।
रथसप्तमी की पौराणिक कथा:-
एक समय श्रीकृष्णजी के पुत्र शाम्ब को अपने शारीरिक बल और सौष्ठव पर बहुत अधिक अभिमान हो गया था । अपने इसी अभिमान के मद में उन्होंने दुर्वसा ऋषि का अपमान कर दिया और शाम्ब की घृष्ठता को देखकर उन्होंने शाम्ब को कुष्ठरोग होने का श्राप दे दिया। तब भगवान श्रीकृष्ण ने शाम्ब को सूर्य भगवान की उपासना करने के लिए कहा। शाम्ब ने आज्ञा मानकर सूर्य भगवान की आराधना करनी आरम्भ कर दी जिसके फलस्वरूप उन्हें अपने कष्ट से मुक्ति प्राप्त हो सकी इसलिए इस रथ सप्तमी के दिन सूर्य भगवान की आराधना जो श्रद्धालु विधिवत तरीके से करते हैं उन्हें आरोग्य, पुत्र और धन की प्राप्ति होती है ।
(समाप्त)
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आगामी लेख
1. 7 फर० को ज्योतिषीय विषय "विभिन्न 'ऋतुओ' तथा 'मासो' मे जन्म लेने का फल"पर लेख
2. 9 फर० से "जया एकादशी" विषय पर धारावाहिक लेख
3. 11 फर० को "फाल्गुन सक्रांति" पर लेख
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जय श्री राम
आज का पंचांग,दिल्ली 🌹🌹🌹
रविवार,6.2.2022
श्री संवत 2078
शक संवत् 1943
सूर्य अयन- उतरायण, गोल-दक्षिण गोल
ऋतुः- शिशिर ऋतुः ।
मास- माघ मास।
पक्ष- शुक्ल पक्ष ।
तिथि- षष्ठी तिथि अगले दिन 4:40 am
चंद्रराशि- चंद्र मीन राशि मे 5:10 pm तक तदोपरान्त मेष राशि।
नक्षत्र- रेवती नक्षत्र 5:10 pm तक
योग- साध्य योग 4:52 pm तक (शुभ है)
करण- कौलव करण 4:08 pm तक
सूर्योदय 7:06 am, सूर्यास्त 6:04 pm
अभिजित् नक्षत्र- 12:13 pm से 12:57 pm
राहुकाल - 4:41 pm से 6:04 pm (शुभ कार्य वर्जित,दिल्ली )
दिशाशूल- पश्चिम दिशा ।
फरवरी शुभ दिन:- 6, 7, 10 (सायं. 7 तक), 11 (रात्रि 8 उपरांत), 12 (दोपहर 4 उपरांत), 13, 14, 15, 16 (सवेरे 10 उपरांत), 17, 18, 19 (सवेरे 10 तक), 20, 21, 22 (दोपहर 4 तक), 23 (दोपहर 3 उपरांत), 24 (दोपहर 1 तक), 25 (दोपहर 12 उपरांत), 26 (सवेरे 11 उपरांत)
फरवरी अशुभ दिन:- 8, 9, 27, 28
गण्ड मूल आरम्भ:- रेवती नक्षत्र, 5 फर० 4:09 pm से 7 फर० 6:59 pm तक अश्विनी नक्षत्र तक गंडमूल रहेगें। गंडमूल नक्षत्रों मे जन्म लेने वाले बच्चो का मूलशांति पूजन आवश्यक है।
पंचक प्रारंभ:- 2 फर० को 6:45 am से 6 फर० 5:10 pm तक पंचक नक्षत्रों मे निम्नलिखित काम नही करने चाहिए, 1.छत बनाना या स्तंभ बनाना( lantern or Pillar ) 2.लकडी या तिनके तोड़ना , 3.चूल्हा लेना या बनाना, 4. दाह संस्कार करना (cremation) 5.पंलग चारपाई, खाट , चटाई बुनना या बनाना 6.बैठक का सोफा या गद्दियाँ बनाना । 7 लकड़ी ,तांबा ,पीतल को जमा करना ।(इन कामो के सिवा अन्य सभी शुभ काम पंचको मे किए जा सकते है।
रवि योग :- 5 फर० 4:09 pm से 6 फर० 1:23 pm तक,तत्पश्चात 6 फर० 5:10 pm से 7 फर० 6:59 pm तक यह एक शुभ योग है, इसमे किए गये दान-पुण्य, नौकरी या सरकारी नौकरी को join करने जैसे कायों मे शुभ परिणाम मिलते है । यह योग, इस समय चल रहे, अन्य बुरे योगो को भी प्रभावहीन करता है।
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आगामी व्रत तथा त्यौहार:-
10 फर०- गुप्त नवरात्रे समाप्त। 12 फर०-जया एकादशी। 13 फर०-फाल्गुन कुंभ सक्रांति अर्धरात्रि 3:26 am, (पुण्य काल अगले दिन 9:50 तक)। 14 फर०-प्रदोष व्रत (शुक्ल)/कुम्भ संक्रांति। 16 फर०-माघ पूर्णिमा व्रत। 20 फर०-संकष्टी चतुर्थी। 27 फर०-विजया एकादशी। 28 फर०-प्रदोष व्रत (कृष्ण)।
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आपका दिन मंगलमय हो . 💐💐💐
आचार्य मोरध्वज शर्मा
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी उत्तर प्रदेश।।
9648023364
9129998000
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English Translation :-
Article :- Rath Arogya Saptami/Rathasaptami, 7.02.2022
Ratha Saptami Puja Muhurta
Saptami Tithi Start:- 7th Feb, 4:40 am
Saptami date ends:- 8 Feb 6:18 am
Bathing Muhurta on Rath Saptami:- 7th Feb, 5:24 am till 7:09 am
Total Duration: 1 hour 45 minutes
Sunrise time for Arghyadan :- 7:05 am
There has been an all-pervasive promotion of religious fasts in India. This chariot Arogya Saptami fast of Lord Surya is a very important fast. On the seventh day of Shukla Paksha of Magha month, Lord Bhuvan Bhaskar, mounted on his chariot, illuminated the world on this day in the beginning of Manvantar (the sun had appeared) i.e. today is also the day of Surya Jayanti, according to the second opinion. Surya Bhagwan was born with an egg on this day and he attained growth while living in the egg, due to his stay in the egg for a long time, the sun is also called by the name of 'Martand'.
In Hinduism, the sun is not only considered as a natural source of light, but it has been kept in the category of gods. That is why there has always been a law of worship of Sun God in Hindu culture. The sun is not only the destroyer of darkness, but there are many such elements in its light, from which the entire living world not only gets nourishment i.e. food, but also gets freedom from diseases.
On this day, fasting on Rathasaptami or worshiping the Sun leads to attainment of a son, attainment of wealth, and ends physical pain and attains health. According to Hindu belief, Surya Saptami fasting is a salvation for women.
Saptami is also known as Achala Saptami, Surya Saptami, Arogya Saptami and Ratha Saptami. In the year 2022, this festival will be celebrated on 7th February, Monday. Rathasaptami fast is observed on Saptami Tithi and is mainly dedicated to the Sun God. It is believed that the good deeds done on this day like bath, charity, home, worship etc. give thousand times more results.
Rathasaptami Puja and Fasting Method:-
1. In this fast, one day before on the night of Shashti Tithi, one has to follow the resolutions and rules.
After fasting on Saptami, the devotee should make a chariot made of gold or silver horse and charioteer and install a golden idol of Sun God in it and worship it with kumkum, flowers etc.
In this way, while chanting mantras and reciting stotras during the day, one should awaken with devotional dance and music even during the night. The eyelids of the devotee should not be closed, that is, the devotee should not sleep the whole night.
On the second day, the fast should be broken by donating the chariot to the Guru or Brahmin in the morning.
(Note:- Gold statue is not possible in modern times, so instead of gold, clay statue can also be kept in any other metal deficiency.)
Worshiping the Sun and fasting on the day of Bhanu Saptami is very fruitful. Taking a bath in a holy river or water tank on this day keeps the body free from defects and diseases. Those who donate lamps on this day get the blessings of the Sun God. Offering water to the Sun God leads to intellectual development and enhances personality. People who want mental peace and government job must worship and fast on Surya Saptami.
Rules of worship, fasting and donation on Rathasaptami:-
1.Bath:-
According to Bhavishya Purana, one should wake up in Brahma Muhurta on this day and take bath in holy river like Ganga, Yamuna, Narmada, Indus, Kaveri etc. or any other river, lake or reservoir, before sunrise. Seven leaves of the Aak plant should also be kept on your head while taking a bath. Taking a bath in a holy river or water tank on this day keeps the body free from defects and diseases.
2.Ardhya:-
After taking bath, the rising sun should be worshipped. Seven types of fruits, rice, sesame, durva, sandalwood etc. should be mixed with water and water should be given to the rising Lord Sun. Offering water to the Sun God leads to intellectual development and enhances personality.
Oh hateful sun
Or
oh sun oh
Surya Mantra should be chanted.
At the time of offering water, by standing in water up to waist in a reservoir, river or canal or standing near them, offering Ardhya to Lord Surya is even more rewarding. After this, donating a lamp with pure ghee has special significance. Those who donate lamps on Ratha Saptami get the blessings of the Sun God.
3. Worship:-
Lord Surya should be worshiped with camphor, incense, red flowers etc. On this day, by reciting Suryashtakam, Surya Stotra, Surya Kavach or Aditya Hriday Stotra, it is possible to get a thousand times more auspicious results.
4. Donation:-
On this day, according to one's ability, the poor and Brahmins should donate food, fruits, clothes and money. Donation of holy religious books, warm clothes, and food items made from sesame is also highly virtuous.
Mythology of Rathasaptami:-
At one time Shri Krishna's son Shamba had become very proud of his physical strength and physique. Due to this pride, he insulted Rishi Durvasa and seeing Shamb's arrogance, he cursed Shamb to have leprosy. Then Lord Krishna asked Shamb to worship the Sun God. Shamb obeyed and started worshiping the Sun God, as a result of which he could get freedom from his suffering, so the devotees who worship the Sun God on this Ratha Saptami in a duly manner, they get health, son and wealth.
(End)
upcoming articles
1. article on astrological topic "fruits of birth in different 'seasons' and 'maso' on 7th February"
Serial article on the topic "Jaya Ekadashi" from February 9
3. Article on "Falgun Sankranti" on February 11
Long live Rama
Today's Panchang, Delhi
Sunday,6.2.2022
Shree Samvat 2078
Shaka Samvat 1943
Surya Ayan- Uttarayan, Round-South Round
Rituah - winter season.
Month - Magha month.
Paksha - Shukla Paksha.
Tithi- Shashthi Tithi the next day at 4:40 am
Moon sign- Moon in Pisces till 5:10 pm and then Aries.
Nakshatra - Revati Nakshatra till 5:10 pm
Yoga- Sadhya Yoga till 4:52 pm (Good luck)
Karan - Kaulav Karan till 4:08 pm
Sunrise 7:06 am, Sunset 6:04 pm
Abhijit Nakshatra - 12:13 pm to 12:57 pm
Rahukaal - 4:41 pm to 6:04 pm (Good work prohibited, Delhi)
Dishashul – West direction.
February Lucky Days:- 6, 7, 10 (till 7 pm), 11 (after 8 pm), 12 (after 4 pm), 13, 14, 15, 16 (after 10 am), 17, 18, 19 ( By 10 am), 20, 21, 22 (till 4 pm), 23 (after 3 pm), 24 (up to 1 pm), 25 (after 12 pm), 26 (after 11 am)
February inauspicious days:- 8, 9, 27, 28
Gand Mool Aarambh:- Revati Nakshatra, Gandmool will remain till Ashwini Nakshatra from 5th Feb. 4:09 pm to 7th Feb. 6:59 pm. Children born in Gandmool constellations need to worship Moolshanti.
Panchak Start:- On February 2, from 6:45 am to 6:10 pm, the following things should not be done in the Panchak constellations, 1. Making a roof or making a pillar (lantern or Pillar) 2. Breaking wood or straws, 3. Hearth Taking or making, 4. Cremation 5. Bed bed, cot, mat, knit or make 6. Making sofa or mattress for the meeting. 7 To deposit wood, copper, brass. (Apart from these works all other auspicious work can be done in Panchko.
Ravi Yoga :- 5 Feb 4:09 PM to 6 Feb 1:23 PM, then 6 Feb 5:10 PM to 7 Feb 6:59 PM This is an auspicious yoga, charity, job or government done in it. There are good results in things like joining a job. This yoga also neutralizes the other bad yogas that are going on at this time.
Upcoming fasts and festivals:-
10th Feb- Gupt Navratri ends. 12th Feb- Jaya Ekadashi. 13 Feb – Falgun Kumbh Sankranti midnight 3:26 am, (Punya Kaal till 9:50 the next day). 14 February - Pradosh fast (Shukla) / Kumbh Sankranti. 16 February - Magha Purnima fasting. 20th February – Sankashti Chaturthi. 27 February - Vijaya Ekadashi. 28 February - Pradosh fast (Krishna).
Special:- The person who lives outside Varanasi or outside the country, he can get astrological consultation by phone, by paying the consultation fee through Paytm or Bank transfer for astrological consultation.
Have a good day .
Acharya Mordhwaj Sharma
Shri Kashi Vishwanath Temple Varanasi Uttar Pradesh.
9648023364
9129998000
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