हिन्दू धर्म के साथ-साथ अन्य कई धर्मो ने व्रत तथा उपवास की महत्ता को समझते हुए इसे अपनाया है । हिन्दू धर्म मे व्रत तथा उपवास को बहुत महत्व दिया गया है, प्रायः हरेक पर्व तथा त्यौहार पर व्रत या उपवास की परंपरा स्थापित है । परंतु अलग-अलग धर्मों में व्रत तथा उपवास के नियम प्रायः अलग-अलग ही देखे जाते हैं ।
इसी प्रकार शास्त्रों मे एकादशी व्रत के लिए अनेक नियमो का निर्धारण किया गया हैं, जिसमे से कुछ इस प्रकार से है ।
एकादशी व्रत करने की इच्छा रखने वाले मनुष्य को दशमी के दिन से ही कुछ अनिवार्य नियमों का पालन करना चाहिए।
एकादशी तिथि को ब्रह्म वेला मे बिस्तर त्याग दे, प्रात: लकड़ी का दातुन न करें, नींबू, जामुन या आम के पत्ते लेकर चबा लें और अंगुली से कंठ साफ कर लें, परंतु वृक्ष से पत्ता तोड़ना वर्जित है। अत: स्वयं गिरा हुआ पत्ता लेकर सेवन करें। यदि यह संभव न हो तो पानी से बारह बार कुल्ले कर लें।
यहाँ तक की विष्णुजी की पूजा में तुलसी पत्ता चढ़ाना है तो उसे एक दिन पहले ही तोड़कर रख लेना चाहिए।
1. एकादशी व्रत के लिए दशमी के दिन सुबह स्नान करने के बाद भगवान विष्णु की आराधना करना चाहिए तथा रात को पूजा स्थल के समीप सोना चाहिए।
2. दशमी के दिन मांस, लहसुन, प्याज, मसूर की दाल आदि निषेध वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए।
3. दशमी तिथि रात्रिकाल मे जमीन पर ही बिस्तर लगाकर शयन करना चाहिए । दशमी तिथि की रात्रि से ही पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए तथा भोग-विलास से दूर रहना चाहिए।
4. नारदपुराण के अनुसार एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को बेहद प्रिय होता है। जिस तरह चतुर्थी को गणेश जी, त्रयोदशी को शिवजी, पंचमी को लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है उसी प्रकार एकादशी तिथि को भगवान श्री हरि विष्णु जी की पूजा की जाती है।
विष्णु जी की पूजा में तुलसी का प्रयोग जरूर करें, तुलसी का प्रयोग करने से भगवान नारायण अति प्रसन्न होते हैं ।
अतः व्रती को पुष्प, धूप आदि से भगवान विष्णु की पूजा करते हुए पूजा का संकल्प लेना चाहिए ।
तत्पश्चात निम्न मंत्र का उच्चारण करना चाहिए:
एकादशी निराहारः स्थित्वाद्यधाहं परेङहन।
भोक्ष्यामि पुण्डरीकाक्ष शरणं में भवाच्युत।।
फिर प्रभु के सामने इस प्रकार प्रण करना चाहिए कि 'आज मैं चोर, पाखंडी़ और दुराचारी मनुष्यों से बात नहीं करूंगा और न ही किसी का दिल दुखाऊंगा। रात्रि को जागरण कर कीर्तन करूंगा।'
भगवान विष्णु का स्मरण कर प्रार्थना करें और कहे कि- हे त्रिलोकीनाथ! मेरी लाज आपके हाथ है, अत: मुझे इस प्रण को पूरा करने की शक्ति प्रदान करना।
इस प्रकार प्रण करने के उपरांत दिनभर क्रोध नहीं करते हुए मधुर वचन बोलना चाहिए।
(इसके बावजूद यदि भूलवश किसी निंदक से बात कर भी ली या अनजाने में अन्य कोई त्रुटि हो जाये तो भगवान सूर्यनारायण के दर्शन कर धूप-दीप से श्रीहरि की पूजा कर क्षमा मांग लेना चाहिए।)
5. तत्पश्चात 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' इस द्वादश मंत्र का जाप करें। राम, कृष्ण, नारायण आदि विष्णु के सहस्रनाम का पाठ करना चाहिए ।
6. इस दिन गीता पाठ करें या पुरोहितजी से गीता पाठ का श्रवण करना चाहिए । इस प्रकार पूरे दिन व्रत रखने के बाद रात को भगवान विष्णु की श्रद्धाभाव से आराधना करनी चाहिए।
7. इस प्रकार एकादशी के व्रत में रात्रि जागरण, गौ पूजन और दान का भी विशेष महत्व है । इस दिन किए गए दान से व्यक्ति को पुण्य फलों की प्राप्ति होती है ।
8. एकादशी के दिन घर में झाड़ू नहीं लगाना चाहिए, क्योंकि चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता है।
9. इस दिन बाल नहीं कटवाना चाहिए। न नही अधिक बोलना चाहिए। अधिक बोलने से मुख से न बोलने वाले शब्द भी निकल जाते हैं।
10. इस दिन यथाशक्ति दान करना चाहिए। किंतु स्वयं किसी का दिया हुआ अन्न आदि कदापि ग्रहण न करें।
11. दशमी के साथ मिली हुई एकादशी वृद्ध मानी जाती है।
12. वैष्णवों को द्वादशी मिली हुई एकादशी का व्रत करना चाहिए। त्रयोदशी आने से पूर्व व्रत का पारण करें।
13. एकादशी (ग्यारस) के दिन व्रतधारी व्यक्ति को गाजर, शलजम, गोभी, पालक, इत्यादि का सेवन नहीं करना चाहिए।
14. एकादशी के दिन भूलकर भी चावल नहीं खाने चाहिए। विष्णु पुराण के अनुसार एकादशी पर चावल खाने से पुण्य फल नष्ट हो जाते है।
15. एकादशी के दिन केला, आम, अंगूर, बादाम, पिस्ता इत्यादि अमृत फलों का सेवन करें। (यदि संभव हो तो एक समय फलाहार करना चाहिए ।)
16. प्रत्येक वस्तु प्रभु को भोग लगाकर तथा तुलसीदल छोड़कर ग्रहण करना चाहिए।
17. द्वादशी के दिन सुबह उठकर स्नान कर भगवान विष्णु को भोग लगाकर पंडित को भोजन करने को बाद मिष्ठान्न तथा दक्षिणा देना चाहिए।
इसके उपरांत स्वयं अन्न ग्रहण करना चाहिए।
18. एकादशी के दिन कांसे के बर्तन में भोजन नहीं करना चाहिए।
इस प्रकार नियम पूर्वक एकादशी व्रत को करने वाला दिव्य फल प्राप्त करता है, और उसके जीवन के सारे कष्ट समाप्त हो जाते हैं ।
(क्रमशः)
कल जया एकादशी पर लेख।
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आगामी लेख
1. 10 फर० से "जया एकादशी" विषय पर लेख
2. कल 11 फर० को, एकादशी के अवसर पर किए जाने वाले भगवान विष्णु जी के महामंत्र।
3. 12 फर० को "फाल्गुन सक्रांति" पर लेख
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जय श्री राम
आज का पंचांग,दिल्ली 🌹🌹🌹
बुधवार,9.2.2022
श्री संवत 2078
शक संवत् 1943
सूर्य अयन- उतरायण, गोल-दक्षिण गोल
ऋतुः- शिशिर-वसन्त ऋतुः ।
मास- माघ मास।
पक्ष- शुक्ल पक्ष ।
तिथि- अष्टमी तिथि 8:33 am तक
चंद्रराशि- चंद्र वृष राशि मे।
नक्षत्र- कृतिका नक्षत्र अगले दिन 00:23 am तक
योग- ब्रह्म योग 5:49 pm तक (शुभ है)
करण- बव करण 8:33 am तक
सूर्योदय 7:04 am, सूर्यास्त 6:06 pm
अभिजित् नक्षत्र- कोई नहीं
राहुकाल - 12:35 pm से 1:58 pm (शुभ कार्य वर्जित,दिल्ली )
दिशाशूल- उत्तर दिशा ।
फरवरी शुभ दिन:- 10 (सायं. 7 तक), 11 (रात्रि 8 उपरांत), 12 (दोपहर 4 उपरांत), 13, 14, 15, 16 (सवेरे 10 उपरांत), 17, 18, 19 (सवेरे 10 तक), 20, 21, 22 (दोपहर 4 तक), 23 (दोपहर 3 उपरांत), 24 (दोपहर 1 तक), 25 (दोपहर 12 उपरांत), 26 (सवेरे 11 उपरांत)
फरवरी अशुभ दिन:- 9, 27, 28
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आगामी व्रत तथा त्यौहार:-
10 फर०- गुप्त नवरात्रे समाप्त। 12 फर०-जया एकादशी। 13 फर०-फाल्गुन कुंभ सक्रांति अर्धरात्रि 3:26 am, (पुण्य काल अगले दिन 9:50 तक)। 14 फर०-प्रदोष व्रत (शुक्ल)/कुम्भ संक्रांति। 16 फर०-माघ पूर्णिमा व्रत। 20 फर०-संकष्टी चतुर्थी। 27 फर०-विजया एकादशी। 28 फर०-प्रदोष व्रत (कृष्ण)।
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आपका दिन मंगलमय हो . 💐💐💐
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English Translation :-
Along with Hinduism, many other religions have adopted it, understanding the importance of fasting and fasting. In Hinduism, fasting and fasting have been given a lot of importance, often on every festival and festival, the tradition of fasting or fasting is established. But the rules of fasting and fasting are often seen differently in different religions.
Similarly, in the scriptures, many rules have been prescribed for Ekadashi fasting, some of which are as follows.
A person who wishes to observe Ekadashi fast should follow some mandatory rules from the day of Dashami.
On Ekadashi Tithi, leave the bed in Brahma Vela, don't brush the wood in the morning, chew with lemon, jamun or mango leaves and clean the throat with your finger, but plucking the leaves from the tree is prohibited. Therefore, take the fallen leaf itself and consume it. If this is not possible, rinse with water twelve times.
Even if Tulsi leaf is to be offered in the worship of Vishnu, then it should be broken a day before and kept.
1. For Ekadashi fast, after taking bath in the morning on the day of Dashami, Lord Vishnu should be worshiped and at night one should sleep near the place of worship.
Prohibited items like meat, garlic, onion, lentils etc. should not be consumed on the day of Dashami.
3. In the night of Dashami Tithi, one should sleep with bed on the ground itself. From the night of Dashami Tithi, one should observe complete celibacy and stay away from indulgences and luxuries.
4. According to Naradpuran, the fast of Ekadashi is very dear to Lord Vishnu. Just as Ganesh ji is worshiped on Chaturthi, Shiva ji on Trayodashi, Lakshmi ji on Panchami, similarly Lord Shri Hari Vishnu ji is worshiped on Ekadashi.
Must use Tulsi in the worship of Vishnu, Lord Narayan is very pleased by using Tulsi.
Therefore, while worshiping Lord Vishnu with flowers, incense, etc., the devotee should take a vow of worship.
After that the following mantra should be chanted:
Ekadashi nirahara: sthivvadyadhaham paralehan.
Bhavachyut in Bhoksyami Pundarikaksha Sharanam.
Then one should vow in front of the Lord in such a way that 'Today I will not talk to thieves, hypocrites and wicked men, nor will I hurt anyone's heart. I will do kirtans after awakening at night.
Pray by remembering Lord Vishnu and say - O Trilokinath! My shame is in your hands, so give me the strength to fulfill this vow.
After making such a vow, one should speak sweet words without getting angry throughout the day.
(Despite this, even if by mistake, by talking to a slanderer or inadvertently there is some other error, then after having darshan of Lord Suryanarayana, worship Srihari with incense-lamp and ask for forgiveness.)
5. After that chant this twelfth mantra 'Om Namo Bhagwate Vasudevaya'. Sahasranama of Vishnu like Rama, Krishna, Narayan etc should be recited.
6. Read Gita on this day or listen to Gita recitation from priest. In this way, after fasting for the whole day, Lord Vishnu should be worshiped with reverence at night.
7. In this way, night awakening, cow worship and charity also have special importance in the fasting of Ekadashi. A person gets virtuous fruits by donating on this day.
8. One should not sweep the house on the day of Ekadashi, because there is a fear of death of micro-organisms like ant etc.
9. Hair should not be cut on this day. No more should not be said. Speaking too much, even the unspeakable words come out of the mouth.
10. Donation should be done on this day as much as possible. But never take anyone's food given by yourself.
11. Ekadashi mixed with Dashami is considered old.
12. Vaishnavas should observe fast on Ekadashi found on Dwadashi. Break the fast before Trayodashi arrives.
13. Carrot, turnip, cabbage, spinach, etc. should not be consumed by the fasting person on Ekadashi (Gyaras).
14. On the day of Ekadashi, rice should not be eaten even after forgetting. According to Vishnu Purana, eating rice on Ekadashi destroys virtuous fruits.
15. Eat nectar fruits like banana, mango, grapes, almonds, pistachios etc. on Ekadashi. (If possible, fruit should be eaten at one time.)
16. Everything should be accepted by offering Bhog to the Lord and leaving Tulsi Dal.
17. After getting up in the morning on the day of Dwadashi, after taking bath, after offering food to Lord Vishnu, the pandit should be given sweets and dakshina after having food.
After this one should take food himself.
18. Food should not be eaten in a bronze vessel on Ekadashi.
In this way, one who observes Ekadashi fast regularly gets divine results, and all the troubles of his life end.
(respectively)
Article on Jaya Ekadashi tomorrow.
upcoming articles
1. Article on the topic "Jaya Ekadashi" from 10 February
2. Tomorrow on 11th February, Mahamantra of Lord Vishnu to be performed on the occasion of Ekadashi.
3. Article on "Falgun Sankranti" on 12 February
Long live Rama
Today's Panchang, Delhi
Wednesday,9.2.2022
Shree Samvat 2078
Shaka Samvat 1943
Surya Ayan- Uttarayan, Round-South Round
Rituah - Shishir - spring season.
Month - Magha month.
Paksha - Shukla Paksha.
Date- Ashtami date till 8:33 am
Moon sign - Moon in Taurus.
Nakshatra- Kritika Nakshatra till 00:23 am the next day
Yoga- Brahma Yoga till 5:49 pm (Good)
Karan-Bav Karan till 8:33 am
Sunrise 7:04 am, Sunset 6:06 pm
Abhijit Nakshatra - none
Rahukaal - 12:35 pm to 1:58 pm (Good work prohibited, Delhi)
Direction – North direction.
February Lucky Days:- 10 (till 7 pm), 11 (after 8 pm), 12 (after 4 pm), 13, 14, 15, 16 (after 10 am), 17, 18, 19 (till 10 am) , 20, 21, 22 (till 4 pm), 23 (after 3 pm), 24 (up to 1 pm), 25 (after 12 pm), 26 (after 11 am)
February inauspicious days:- 9, 27, 28
Upcoming fasts and festivals:-
10th Feb- Gupt Navratri ends. 12th Feb- Jaya Ekadashi. 13 Feb – Falgun Kumbh Sankranti midnight 3:26 am, (Punya Kaal till 9:50 the next day). 14 February - Pradosh fast (Shukla) / Kumbh Sankranti. 16 February - Magha Purnima fasting. 20th February – Sankashti Chaturthi. 27 February - Vijaya Ekadashi. 28 February - Pradosh fast (Krishna).
Special:- The person who lives outside Varanasi or outside the country, he can get astrological consultation by phone, by paying the consultation fee through Paytm or Bank transfer for astrological consultation.
Have a good day .
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