23 फ़रवरी 2022

लेख:-विजया एकादशी (26 तथा 27.02.2022) Article:-Vijaya Ekadashi (26 and 27.02.2022)


 लेख:-विजया एकादशी (26 तथा 27.02.2022)


वर्ष 2022 के फरवरी माह मे एकादशी तिथि दो दिन होने की वजह से असमंजस की स्थिति हैं कि विजया एकादशी का व्रत कब रखा जायेगा, तथा व्रत का पारण किस दिन किया होगा।


दरअसल विजया एकादशी दो दिन यानी 26 और 27 फरवरी को रहेगी।

एकादशी तिथि प्रारंभ- 26 फरवरी सुबह 10:39 मिनट से होगा

एकादशी तिथि समाप्त- 27 फरवरी सुबह 08:12 मिनट पर


अतः इस वर्ष विजया एकादशी को अपनी-२ मान्यता के अनुसार भक्त 26 तथा 27 फरवरी को माना रहे हैं 

स्मार्त अनुयायी 26 फरवरी को तथा वैष्णव पंथ के अनुयायी 27 फरवरी को व्रत रखेंगे।


26 फरवरी को व्रत रखने वाले भक्तों के लिए पूजा और व्रत के लिए शुभ मुहूर्त इस प्रकार से है:- 26 फरवरी को 12:11 pm  से 12:57 pm तक


पारण का समय- 26 फरवरी को व्रत रखने वाले भक्तों के लिए एकादशी व्रत का पारण:- 

27 फरवरी को 1:43 pm से 4:01 pm तक।


27 फरवरी को व्रत रखने वाले भक्त 27 फरवरी को  प्रातः 8 am से पहले पूजा करके व्रत का संकल्प ग्रहण करेंगे, इन भक्तों के लिए व्रत का पारण मुहूर्त समय:- 28 फरवरी को 6:48 am से 9:06 am तक रहेगा।


हिंदू पंचांग के अनुसार पौष मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को "विजया एकादशी" का व्रत किया जाता है। वर्ष 2022 मे 26 तथा 27 फरवरी को विजया एकादशी है। 


 विजया एकादशी के दिन भगवान श्री हरि विष्णु जी की पूजा और व्रत करने से व्यक्ति को हर कार्य में विजय प्राप्त होती है। शत्रुओं पर जीत हासिल होती है और मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है। ऐसा कहा जाता है कि इस पावन तिथि को जो कोई भक्त पूर्ण विधि विधान के साथ व्रत का पालन करता है तो उस भक्त को प्रत्येक कार्य में सफलता प्राप्त होती है।



विजया एकादशी व्रत पूजा विधि:-


1. विजया एकादशी के उपवास की शुरुआत दशमी तिथि की रात्रि से ही हो जाती है। व्रती को दशमी तिथि अर्थात व्रत धारण करने की पूर्व रात्रि से ही तामसिक भोजन का त्याग कर नमक रहित सादा भोजन ग्रहण करना चाहिये । व्रती को जौं, गेहूं और मूंग की दाल से बना भोजन भी ग्रहण नहीं करना चाहिए।


उसी दिन से ही ब्रह्मचर्य का पालन करना आवश्यक है, संभव हो तो जमीन पर ही सोएं।


2. एकादशी के दिन प्रात:काल उठकर नित्यकर्म से निर्वत होकर स्नानादि के पश्चात व्रत का संकल्प लें।

विजया एकादशी के दिन भगवान श्री विष्णु जी तथा माता लक्ष्मी जी की पूजा-आराधना की जाती है।


3. लकडी की चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर  भगवान लक्ष्मीनारायण जी की मूर्ति अथवा सुन्दर चित्र स्थापित करे । उसी वेदी पर नारियल सहित कुंभ स्थापना की जायेंगी। एकादशी व्रत का संकल्प लें। यदि किसी विशेष कामना की पूर्ति के लिए व्रत कर रहे हैं तो संकल्प के दौरान वह कामना भी बोलें। 


4. तत्पश्चात भगवान जी की मूर्ति/चित्र आदि को स्नानादि करवाकर पुष्प, धूप, दीप इत्यादि से पंचोपचार अथवा अपनी सामर्थ्यनुसार षोडशोपचार पूजन करे।


5. भगवान को भोग लगाकर विजया एकादशी की कथा का पठन अथवा श्रवण करना अत्यंत आवश्यक है ।


6. पूजा के उपरांत भावपूर्वक भगवान जी की आरती उतारें।


7. विजया एकादशी का पूजन भक्त अथवा व्रती स्वंय भी कर सकते हैं, तथा किसी विद्वान ब्राह्मण से भी करवा सकते हैं। 


8. पूजा तथा व्रत धारण करने के उपरांत सूर्य देव को जल अर्पित करे, पीपल के वृक्ष की पूजा भी इस दिन अवश्य करनी चाहिये।


9.मंदिर में जाकर दीपदान अवश्य करना चाहिए।इस दिन पवित्र नदियों में दीपदान का भी महत्व है।

 

9. तत्पश्चात अपनी सामर्थ्यनुसार दान कर्म करना भी बहुत कल्याणकारी रहता है।


10. सायंकाल में एक बार फिर भगवान नारायण की पूजा करें।


11. दिन भर निराहार रहते हुए भगवान विष्णु का ध्यान करते रहें। यदि करना चाहे तो फलाहार ग्रहण कर सकते हैं।


12. व्रती को एकादशी की रात्रि में भगवान विष्णु जी (नारायण) का ध्यान करते हुए रात्रि जागरण भी अवश्य करना चाहिये। 



विजया एकादशी व्रत कथा:-

ऐसा कहा जाता है कि त्रेता युग में जब भगवान श्री राम लंका पर चढ़ाई करने के लिए समुद्र तट पर पहुँचे, तब मर्यादा पुरुषोत्तम ने समुद्र देवता से मार्ग देने की प्रार्थना की परन्तु समुद्र देव ने श्री राम को लंका जाने का मार्ग नहीं दिया तब श्री राम ने वकदालभ्य मुनि की आज्ञा के अनुसार विजय एकादशी का व्रत विधि पूर्वक किया जिसके प्रभाव से समुद्र ने प्रभु राम को मार्ग प्रदान किया। इसके साथ ही विजया एकादशी का व्रत रावण पर विजय प्रदान कराने में सहायक सिद्ध हुआ और तभी से इस तिथि को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है।


(समाप्त)

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आगामी लेख

1. 24 फरवरी से "भगवान शिव तथा महाशिवरात्रि"  विषय पर धारावाहिक लेख

2. शीघ्र ही "होलाष्टक, होलिका दहन तथा धुलैण्डी" पर धारावाहिक लेख प्रारम्भ।

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जय श्री राम

आज का पंचांग,दिल्ली 🌹🌹🌹

बुधवार,23.2.2022

श्री संवत 2078

शक संवत् 1943

सूर्य अयन- उतरायण, गोल-दक्षिण गोल

ऋतुः- शिशिर-वसन्त ऋतुः ।

मास- फाल्गुन मास।

पक्ष- कृष्ण पक्ष ।

तिथि- सप्तमी तिथि 4:59 pm तक

चंद्रराशि- चंद्र तुला राशि मे 8:56 am तक तदोपरान्त वृश्चिक राशि।

नक्षत्र- विशाखा नक्षत्र 2:41 pm तक

योग- ध्रुव योग 8:24 am तक (अशुभ है)

करण- बव करण 5:59 pm तक 

सूर्योदय 6:52 am, सूर्यास्त 6:16 pm

अभिजित् नक्षत्र- कोई नहीं

राहुकाल - 12:34 pm से 2 pm (शुभ कार्य वर्जित,दिल्ली )

दिशाशूल- उत्तर दिशा ।


फरवरी शुभ दिन:- 23 (दोपहर 3 उपरांत), 24 (दोपहर 1 तक), 25 (दोपहर 12 उपरांत), 26 (सवेरे 11 उपरांत)


फरवरी अशुभ दिन:- 27, 28


सर्वार्थ सिद्ध योग :- 23 फर० 2:41 pm से 24 फर० 1:31 pm तक  (यह एक शुभयोग है, इसमे कोई व्यापारिक या कि राजकीय अनुबन्ध (कान्ट्रेक्ट) करना, परीक्षा, नौकरी अथवा चुनाव आदि के लिए आवेदन करना, क्रय-विक्रय करना, यात्रा या मुकद्दमा करना, भूमि , सवारी, वस्त्र आभूषणादि का क्रय करने के लिए शीघ्रतावश गुरु-शुक्रास्त, अधिमास एवं वेधादि का विचार सम्भव न हो, तो ये सर्वार्थसिद्धि योग ग्रहण किए जा सकते हैं।


अमृत सिद्धि योग:- 23 फर० 6:52 am से 24 फर० 6:50 am तक, इस योग मे सर्वार्थ सिद्ध योगवाले कामो के अलावा प्रेमविवाह, विदेश यात्रा तथा सकाम अनुष्ठान करना शुभ होता है।


रवि योग :- 22 फर० 3:36 pm से 23 फर० 2:41 pm तक  यह एक शुभ योग है, इसमे किए गये दान-पुण्य, नौकरी  या सरकारी नौकरी को join करने जैसे कायों मे शुभ परिणाम मिलते है । यह योग, इस समय चल रहे, अन्य बुरे योगो को भी प्रभावहीन करता है।

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आगामी व्रत तथा त्यौहार:- 

27 फर०-विजया एकादशी। 28 फर०-प्रदोष व्रत (कृष्ण)। 1 मार्च- महाशिवरात्रि। 2 मार्च- फाल्गुन अमावस्या।10 मार्च- होलाष्टक प्रांरभ। 14 मार्च- आमलकी एकादशी/मीन संक्रांति (पुण्यकाल 15 मार्च मध्याह्न काल तक) 15 मार्च- प्रदोष व्रत (शुक्ल) 17 मार्च- होलिका दहन। 18 मार्च- होली/फाल्गुन पूर्णिमा व्रत। 21 मार्च- संकष्टी चतुर्थी। 22 मार्च- श्रीरंग पंचमी। 25 मार्च- शीतलाष्टमी व्रत। 28 मार्च- पापमोचिनी एकादशी। 29 मार्च- मंगल प्रदोष व्रत (कृष्ण)। 30 मार्च- मासिक शिवरात्रि।

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विशेष:- जो व्यक्ति वाराणसी  से बाहर अथवा देश से बाहर रहते हो, वह ज्योतिषीय परामर्श हेतु Paytm या Bank transfer द्वारा परामर्श फीस अदा करके, फोन द्वारा ज्योतिषीय परामर्श प्राप्त कर सकतें है

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आपका दिन मंगलमय हो . 💐💐💐

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English Translation :-

Article:-Vijaya Ekadashi (26 and 27.02.2022)


Due to the Ekadashi date being two days in the month of February of the year 2022, there is a confusion as to when the fast of Vijaya Ekadashi will be kept, and on which day the fast will be broken.


Actually Vijaya Ekadashi will be on two days i.e. 26 and 27 February.


Ekadashi date starts - 26 February will be from 10:39 am


Ekadashi date ends - February 27 at 08:12 am


Therefore, this year, devotees are celebrating Vijaya Ekadashi on 26 and 27 February according to their own belief.


Smarta followers will observe a fast on 26 February and Vaishnava cult followers on 27 February.


The auspicious time for worship and fasting for the devotees observing fast on 26th February is as follows:- 26th February from 12:11 pm to 12:57 pm


Parana time- Parana of Ekadashi fast for the devotees who observe fast on 26th February:-


From 1:43 pm to 4:01 pm on February 27.


Devotees observing fast on 27th February will take the resolution of fast by worshiping before 8 am on 27th February.


According to the Hindu calendar, "Vijaya Ekadashi" is observed on the Ekadashi date of the Shukla Paksha of Paush month. In the year 2022, Vijaya Ekadashi is on 26 and 27 February.


On the day of Vijaya Ekadashi, worshiping Lord Shri Hari Vishnu ji and observing fast, one gets victory in every work. Victory is achieved over enemies and salvation is attained after death. It is said that on this holy date, a devotee who observes the fast with complete rituals, then that devotee gets success in every task.


Vijaya Ekadashi Vrat Puja Method:-


1. The fasting of Vijaya Ekadashi starts from the night of Dashami Tithi. The fasting should give up tamasic food and take salt free food from the day of Dashami i.e. the night before fasting. The fasting should also not take food made of barley, wheat and moong dal.

From that day it is necessary to follow celibacy, if possible, sleep on the ground.

2. On the day of Ekadashi, wake up early in the morning and take a vow of fasting after taking bath.

On the day of Vijaya Ekadashi, Lord Shri Vishnu ji and Mata Lakshmi ji are worshipped.

3. Establish a beautiful picture or idol of Lord Laxminarayan ji by laying a yellow cloth on a wooden post. Kumbh with coconut will be established on the same altar. Take a vow to fast on Ekadashi. If you are fasting for the fulfillment of any particular wish, then say that wish during the resolution.

4. Thereafter, after bathing the idol/picture etc. of Lord ji, do Panchopchar or Shodashopachar worship with flowers, incense, lamps etc.

5. It is very important to read or listen to the story of Vijaya Ekadashi by offering to God.

6. After worship, perform the aarti of Lord ji with devotion.

7. The worship of Vijaya Ekadashi can be done by the devotee or the devotee himself, and can also be done by a learned Brahmin.

8. After worshiping and observing the fast, offer water to the Sun God, Peepal tree should also be worshiped on this day.

9. Going to the temple, one must donate a lamp. On this day, there is also a significance of donating a lamp in the holy rivers.

 9. After that, doing charity work according to your ability is also very beneficial.

10. Worship Lord Narayan once again in the evening.

11. While fasting throughout the day, keep meditating on Lord Vishnu. If you want, you can take fruit food.

12. On the night of Ekadashi, the fasting should do night awakening while meditating on Lord Vishnu (Narayan).


Vijaya Ekadashi Vrat Story:-


It is said that in Treta Yuga, when Lord Rama reached the beach to climb Lanka, Maryada Purushottam prayed to the sea god to give way, but Samudra Dev did not give the way to Sri Rama to go to Lanka. According to the orders of Vakdalabhya Muni, Rama fasted on Vijay Ekadashi, due to which the ocean gave way to Lord Rama. Along with this, the fast of Vijaya Ekadashi proved helpful in providing victory over Ravana and since then this date is known as Vijaya Ekadashi.


(End)


Upcoming Articles

1. Serial article on the topic "Lord Shiva and Mahashivratri" from February 24

2. Serial articles on "Holashtak, Holika Dahan and Dhulandi" will start soon.



Long live Rama

Today's Panchang, Delhi

Wednesday, 23.2.2022

Shree Samvat 2078

Shaka Samvat 1943

Surya Ayan- Uttarayan, Round-South Round

Rituah - Shishir - spring season.

Month- Falgun month.

Paksha - Krishna Paksha.

Date - Saptami date till 4:59 pm

Moon sign- Moon in Libra till 8:56 am and then Scorpio sign.

Nakshatra- Visakha Nakshatra till 2:41 pm

Yoga- Dhruva Yoga till 8:24 am (inauspicious)

Karan - Bav Karan till 5:59 pm

Sunrise 6:52 am, Sunset 6:16 pm

Abhijit Nakshatra - none

Rahukaal - 12:34 pm to 2 pm (Good work prohibited, Delhi)

Direction – North direction.


February Lucky Days:- 23 (after 3 pm), 24 (up to 1 pm), 25 (after 12 pm), 26 (after 11 am)

February inauspicious days:- 27, 28


Sarvartha Siddha Yoga :- 23 Feb 2:41 PM to 24 Feb 1:31 PM (This is an auspicious yoga, in this, making any business or state contract, applying for examination, job or election etc., purchase- If the idea of ​​Guru-Shukrast, Adhimaas and Vedadi is not possible in a hurry to make sale, travel or litigation, purchase of land, rides, clothes, jewelery etc., then these Sarvarthasiddhi Yogas can be adopted.


Amrit Siddhi Yoga:- From 23 February 6:52 am to 24 February 6:50 am, in this yoga, apart from the work of Siddha Yoga, it is auspicious to do love marriage, foreign travel and fruitful rituals.


Ravi Yoga :- From 22 Feb 3:36 PM to 23 Feb 2:41 PM it is an auspicious yoga, good results are found in the works like charity, charity, joining job or government job. This yoga also neutralizes the other bad yogas that are going on at this time.


Upcoming fasts and festivals:-


27 February - Vijaya Ekadashi. 28 February - Pradosh fast (Krishna). March 1 - Mahashivratri. March 2 - Falgun Amavasya. March 10 - Holashtak begins. March 14- Amalaki Ekadashi / Meen Sankranti (Punyakaal till March 15 midday) March 15- Pradosh fast (Shukla) March 17- Holika Dahan. March 18- Holi/Falgun Purnima Vrat. March 21 - Sankashti Chaturthi. March 22 - Shrirang Panchami. March 25 - Sheetlashtami fasting. March 28 - Papmochini Ekadashi. March 29- Mangal Pradosh Vrat (Krishna). March 30 - Monthly Shivratri.



Special:- The person who lives outside Varanasi or outside the country, he can get astrological consultation by phone, by paying the consultation fee through Paytm or Bank transfer for astrological consultation.


Have a good day .

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22 फ़रवरी 2022

ज्योतिषीय लेख:-"विभिन्न करण मे जन्म लेने का फल" Astrological article:-"The result of being born in different Karanas"


ज्योतिषीय लेख:-"विभिन्न करण मे जन्म लेने का फल"

।।अथ करण जन्म फल।।

जिस तिथि का करण निकालना हो तो उसी वर्तमान तिथि अंक को दूना करे उसमें से दो घटा देवे फिर जो अंक शेष रहे उसमें सात ७ का भाग दे तब जितनी संख्या का अंक शेष रहे वही संख्यांक नामक करण होगा। 
यहां पर उदाहरण पहिले की तरह समझ लेना चाहिये यहां पर तिथि को दूना करने के बाद दो घटाना अधिक है शेष सब पहिले की तरह समझ लेना चाहिये।

बव करण मे जन्म लेने का फल
बव नाम करण में जन्म लेने वाला मनुष्य बडा मानी, सर्वदा धर्म करने में निरत, शुभ और मंगल कर्म करने वाला और स्थिर कर्म करने वाला होता है ॥१॥ 

बालव करण मे जन्म लेने का फल
बालव नाम करण में जन्म लेने वाला मनुष्य तीर्थ तथा देवताओं की सेवा करने वाला, विद्या और धन के सुख से सम्पन्न और राजा का मान्य होता है ||२|| 

कौलव करण मे जन्म लेने का फल*
कौलव नाम करण में जन्म लेने वाला मनुष्य सब जनों से प्रीति करने वाला, मित्र भाव रखने वालों से संगति करने वाला और मानयुक्त होता हैं ॥ ३

तैतिल करण मे जन्म लेने का फल
जो तैतिल नाम करण में जन्म लेता है यह मनुष्य सौभाग्य और धन से संयुक्त, सब जनों से स्नेह करने वाला और चित्र-विचित्र घरों में रहने वाला होता है । 

गर करण मे जन्म लेने का फल
गर नाम करण में जन्म लेने वाला मनुष्य गृह काम में तत्पर रहता है, और जो कुछ वस्तु उसको अभीष्ट (चाह) होती है वही उद्यम करने से मिल जाती है ॥ ५ ॥

वणिज करण मे जन्म लेने का फल
जो वाणिज नाम करण में जन्म लेता हैं, वह मनुष्य वाणिज्य (व्यापार) से ही जीविका करने वाला होता है, और लोक में देशांतरों के आने जाने से वांछित वस्तु को प्राप्त होता है ॥ ६ ॥

विष्टि करण मे जन्म लेने का फल
जो विष्टि नाम करण में जन्म लोता है, वह मनुष्य अशुभ कर्म के आरम्भ करने वाला, परस्त्री गामी, विषकार्य में सदा कुशल होता है ॥ ७ ॥  

शकुनि करण मे जन्म लेने का फल
शकुनि करण में जन्म लेने वाला मनुष्य पौष्टिकादि क्रियाओं के करने में कुशल, औषध आदि में प्रवीण और वैद्य विद्या करने वाला होता है ॥ ८ ॥

चतुष्पाद करण मे जन्म लेने का फल
चतुष्पाद नाम करण में जन्म लेने वाला मनुष्य देवता ब्राह्मणों प्रीति रखने वाला, गौ की सेवा करने वाला, गौऔ का स्वामी और बड़ाई करने लायक और चतुष्पद पशु जीवों की चिकित्सा करने वाला होता है।

नाग करण मे जन्म लेने का फल
नाग करण में जन्म लने वाला मनुष्य धींवरों से प्रीति करने वाला, दारुण कर्म करने वाला, बडा दुर्भाग्य और चंचल लोचन वाला होता है ॥ १० ॥

किस्तुध्न करण मे जन्म लेने का फल
किंस्तुघ्न नामक करण में जन्म लेने वाला मनुष्य शुभ कर्म में निरत, तुष्टि पुष्टि मंगल और सिद्धि प्राप्त करने वाला होता है ॥ ११ ॥ 

।।इति करण फलम्।।

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आगामी लेख
1. 23 फरवरी को "विजया एकादशी" पर लेख
2. 24 फरवरी से "भगवान शिव तथा महाशिवरात्रि"  विषय पर धारावाहिक लेख
3. शीघ्र ही "होलाष्टक, होलिका दहन तथा धुलैण्डी" पर धारावाहिक लेख प्रारम्भ।
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जय श्री राम
आज का पंचांग,दिल्ली 🌹🌹🌹
मंगलवार,22.2.2022
श्री संवत 2078
शक संवत् 1943
सूर्य अयन- उतरायण, गोल-दक्षिण गोल
ऋतुः- शिशिर-वसन्त ऋतुः ।
मास- फाल्गुन मास।
पक्ष- कृष्ण पक्ष ।
तिथि- षष्ठी तिथि 6:57 pm तक
चंद्रराशि- चंद्र तुला राशि मे।
नक्षत्र- स्वाति नक्षत्र 3:36 pm तक
योग- वृद्धि योग 10:50 am तक (अशुभ है)
करण- गर करण 7:20 am तक
सूर्योदय 6:53 am, सूर्यास्त 6:16 pm
अभिजित् नक्षत्र- 12:12 pm से 12:57 pm
राहुकाल - 3:25 pm से 4:50 pm* (शुभ कार्य वर्जित,दिल्ली )
दिशाशूल- उत्तर दिशा ।

फरवरी शुभ दिन:- 22 (दोपहर 4 तक), 23 (दोपहर 3 उपरांत), 24 (दोपहर 1 तक), 25 (दोपहर 12 उपरांत), 26 (सवेरे 11 उपरांत)

फरवरी अशुभ दिन:- 27, 28

रवि योग :- 22 फर० 3:36 pm से 23 फर० 2:41 pm तक  यह एक शुभ योग है, इसमे किए गये दान-पुण्य, नौकरी  या सरकारी नौकरी को join करने जैसे कायों मे शुभ परिणाम मिलते है । यह योग, इस समय चल रहे, अन्य बुरे योगो को भी प्रभावहीन करता है।
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आगामी व्रत तथा त्यौहार:-
27 फर०-विजया एकादशी। 28 फर०-प्रदोष व्रत (कृष्ण)। 1 मार्च- महाशिवरात्रि। 2 मार्च- फाल्गुन अमावस्या।10 मार्च- होलाष्टक प्रांरभ। 14 मार्च- आमलकी एकादशी/मीन संक्रांति (पुण्यकाल 15 मार्च मध्याह्न काल तक) 15 मार्च- प्रदोष व्रत (शुक्ल) 17 मार्च- होलिका दहन। 18 मार्च- होली/फाल्गुन पूर्णिमा व्रत। 21 मार्च- संकष्टी चतुर्थी। 22 मार्च- श्रीरंग पंचमी। 25 मार्च- शीतलाष्टमी व्रत। 28 मार्च- पापमोचिनी एकादशी। 29 मार्च- मंगल प्रदोष व्रत (कृष्ण)। 30 मार्च- मासिक शिवरात्रि।
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विशेष:- जो व्यक्ति वाराणसी  से बाहर अथवा देश से बाहर रहते हो, वह ज्योतिषीय परामर्श हेतु Paytm या Bank transfer द्वारा परामर्श फीस अदा करके, फोन द्वारा ज्योतिषीय परामर्श प्राप्त कर सकतें है
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आपका दिन मंगलमय हो . 💐💐💐
आचार्य मोरध्वज शर्मा 
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी उत्तर प्रदेश।। 
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English Translation :-

Astrological article:-"The result of being born in different Karanas"


 Ath Karan birth fruit..


 If you want to calculate the Karana of the date, then you should double the number of the present date, subtract two from it, then divide the number by seven in the number that is left, then the number of digits left with the same number will be called Karana.

 Here the example should be understood as before, here after doubling the date, there is more than two subtractions, the rest should be understood as before.


 Result of being born in Bav Karan

 A person born in Bav Naam Karan is a big believer, always engaged in doing Dharma, doing auspicious and auspicious deeds and doing steady deeds.


 Result of being born in Balava Karan

 A person born in the name of Balav Karan is a pilgrimage and a service to the gods, full of knowledge and wealth and is recognized as a king ||2||


 The fruit of being born in Kaulava Karana

 A person born under the name Kaulava, is a person who loves all people, associates with those who have friendly feelings and is respected.  3


 Result of being born in Taitil Karana

 One who is born in the name of Taitil, this person is united with good fortune and wealth, is affectionate to all people and lives in picturesque houses.


 The fruit of being born in Gar Karan

 A person born in Gaar Naam Karan is ready to do household work, and whatever he desires (desires) he gets only by undertaking ventures.  5


 Result of being born in Vanij Karan

 The person who is born in the name of Karana, is a person who makes a living through commerce (business), and the desired object is obtained by the arrival of longitudes in the world.  6


 Result of being born in Vishish Karan

 One who takes birth in the name of Vishti, that person is the one who initiates inauspicious deeds, becomes an adulteress, is always skilled in poison.  7


 Result of being born in Shakuni Karana

 A person born in Shakuni Karana is skilled in performing nutritious activities, proficient in medicines etc.  8


 the result of being born in the quadrupedal karana

 A person born in the name of Chatushpada is a person who loves the deities of Brahmins, serves the cow, is the owner of the cow and is worthy of praising, and is a healer of the four-legged animal beings.


 Result of being born in Nag Karan

 A person born in Nag Karan is a lover of daggers, does evil deeds, is of great misfortune and fickle locomotion.  10


 Result of being born in Kistudhan Karan

 A person born in a Karan named Kinstughna is engaged in good deeds, is satisfied with happiness and attains accomplishment.  11


 ..Iti Karan Phalam..



 upcoming articles

 1. Article on "Vijaya Ekadashi" on February 23

 2. Serial article on the topic "Lord Shiva and Mahashivratri" from February 24

 3. Serial articles on "Holashtak, Holika Dahan and Dhulandi" will start soon.



 Long live Rama

 Today's Panchang, Delhi

 Tuesday,22.2.2022

 Shree Samvat 2078

 Shaka Samvat 1943

 Surya Ayan- Uttarayan, Round-South Round

 Rituah - Shishir - spring season.

 Month - Falgun month.

 Paksha - Krishna Paksha.

 Date - Shashti date till 6:57 pm

 Moon Sign - Moon in Libra.

 Nakshatra - Swati Nakshatra till 3:36 pm

 Yoga- Increase yoga till 10:50 am (inauspicious)

 Karan- Gar Karan till 7:20 am

 Sunrise 6:53 am, Sunset 6:16 pm

 Abhijit Nakshatra - 12:12 pm to 12:57 pm

 Rahukaal - 3:25 pm to 4:50 pm* (Good work prohibited, Delhi)

 Direction – North direction.


 February Lucky Days:- 22 (till 4 pm), 23 (after 3 pm), 24 (up to 1 pm), 25 (after 12 pm), 26 (after 11 am)


 February inauspicious days:- 27, 28


 Ravi Yoga :- 22 Feb 3:36 PM to 23 Feb 2:41 PM This is an auspicious yoga, it gives auspicious results in works like charity, job or joining a government job.  This yoga also neutralizes other bad yogas that are going on at this time.


 Upcoming fasts and festivals:-

 27 February - Vijaya Ekadashi.  28 February - Pradosh fast (Krishna).  March 1 - Mahashivratri.  March 2 - Falgun Amavasya. March 10 - Holashtak begins.  March 14- Amalaki Ekadashi / Meen Sankranti (Punyakaal till March 15 midday) March 15- Pradosh fast (Shukla) March 17- Holika Dahan.  March 18- Holi/Falgun Purnima Vrat.  March 21 - Sankashti Chaturthi.  March 22 - Shrirang Panchami.  March 25 - Sheetlashtami fasting.  March 28 - Papmochini Ekadashi.  March 29- Mangal Pradosh Vrat (Krishna).  March 30 - Monthly Shivratri.


 Special:- The person who lives outside Varanasi or outside the country, he can get astrological consultation by phone, by paying the consultation fee through Paytm or Bank transfer for astrological consultation.


 Have a good day . 

 Acharya Mordhwaj Sharma

 Shri Kashi Vishwanath Temple Varanasi Uttar Pradesh.

21 फ़रवरी 2022

ज्योतिषीय लेख:-"विभिन्न योग मे जन्म का फल" Astrological article:-"The fruit of birth in different yogas"



ज्योतिषीय लेख:-"विभिन्न योग मे जन्म का फल"
 

।।अथ योग जन्मफल।।
भारतीय ज्योतिष मे कुल 27 योग बतलायें गए हैं,  विभिन्न योगो मे जन्म लेने का फल निम्नलिखित प्रकार से होता है।


विष्कुम्भ योग मे जन्म लेने का फल
विष्कम्भ नामक योग में जन्म लेने वाला मनुष्य रूपवान्, भाग्यवान अनेक अलंकारों से संपूर्ण, बडा बुद्धिमान और बड़ा चतुर होता है ॥ १ ॥


प्रीति योग मे जन्म लेने का फल
प्रीतियोग में जन्म लेने वाला मनुष्य स्त्रियों को प्यारा, तत्व का जानने वाला, बडा उत्साही और स्वार्थ के लिये नित्य उद्यम करने वाला होता है।।२।।


आयुष्मान योग मे जन्म लेने का फल
आयुष्मान योग में जन्म लेने वाला पुरुष बडा मानी, धनवान, बहुत दिन जीने वाला, अनेक प्रकार के जीवादिकों से युक्त और युद्ध में विजय पाने वाला होता है | ॥ ३ ॥


सौभाग्य योग मे जन्म लेने का फल
सौभाग्य नामक योग में जन्म लेने वाला पुरुष राजा का मन्त्री, सब कामों में निपुण, और स्त्रियों को प्रिय होता है ॥ ४ ॥ 


शोभन योग मे जन्म लेने का फल
शोभन नामक योग में जन्म लेने वाला पुरुष बहुत सुन्दर, बहुत पुत्र-पत्नी से युक्त, सब कामों में आतुर और युद्ध भूमि में सम्मिलित होने के लिये सदा उत्कंठित रहता है ॥ ५ ॥


अतिगण्ड योग मे जन्म लेने का फल
जो अतिगंड योग में जन्म लेता है वह मनुष्य अपनी माता का मारने वाला होता है, और गन्डांत में जन्म लेने वाला, कुल भर को मारने वाला होता है । 


सुकर्मा योग मे जन्म लेने का फल
सुकर्मा नामक योग में जन्म लेने वाला मनुष्य सत्कर्म करने वाला, सबों से प्रीति रखने वाला, बडा सुशील, सर्वत्र आसक्ति करने वाला, अनेक भोगों का भोगने वाला, और सब गुणों से सम्पन्न होता है ॥ ७ ॥


धृति योग मे जन्म लेने का फल
घृति योग का जन्म लेने वाला पुरुष धैर्य धारण करने वाला, कीर्ति-पुष्टि-धन से युक्त, बडा भाग्यवान्, सुख से संपन्न और गुणवान, विद्यावान होता है ।।८।।


शूल योग मे जन्म लेने का फल
जो पुरुष शूल नाम योग में जन्म लेता है वह शूलरोग से युक्त, धर्म का आचरण करने वाला, शास्त्र में पारंगत, विद्या तथा धन के उपार्जन करने में चतुर तथा यज्ञ करने वाला होता है ॥ ९ ॥


गंड योग मे जन्म लेने का फल
गंड नामक योग में जन्म लेने वाला मनुष्य गलगण्ड रोग से युक्त, बहुत क्लेश भोगने वाला, बडे मस्तक वाला, छोटे शरीर वाला, बडा शूरवीर अनेक भोगों का भोगने वाला, और कही हुई बात को पूर्ण करने वाला होता है ।। १० ।।


वृद्धि योग मे जन्म लेने का फल
वृद्धि नाम योग में जन्म लेने वाला मनुष्य रूप से सुन्दर, अनेक पुत्र तथा भार्या रखने वाला, धनवान और अनेक भोगों को भोगने वाला, और बड़ा पराक्रमी होता है।॥ १२ ॥


वृद्धि योग मे जन्म लेने का फल
ध्रुव योग में जन्म लेने वाला मनुष्य दीर्घायु, सबो को प्रिय लगने वाला, विचार सहित स्थिर कर्म करने वाला, सब कामों के करने में अत्यन्त आसक्त और स्थिर वृद्धि वाला होता है ॥ १२ ॥


व्याघात योग मे जन्म लेने का फल
व्याघात योग का जन्म लेने वाला मनुष्य सब बात जानने वाला, सब से पूजा पाने वाला, सब कामों में चतुर और लोक में प्रसिद्ध होता है ॥ १३ ॥


हर्ष योग मे जन्म लेने का फल
हर्षण नाम योग में जन्म लेने वाला मनुष्य बडा भाग्यशाली, राजा का प्रिय, बडा डीठ, अनेक प्रकार धन सम्पन्न और विद्याशास्त्र में विशारद होता है।


वज्र योग मे जन्म लेने का फल
वज्रयोग में जो जन्म लेता है वह मनुष्य वज्र के समान कड़ी मुष्टि वाला, सब विद्या और विद्या में पारंगत, धनधान्य से युक्त, तत्व का जानने वाला और पराक्रमी होता है ॥ १५ ॥


सिद्धि योग मे जन्म लेने का फल
सिद्धि योग में जन्म लेने वाला मनुष्य सर्व सिद्धियों से युक्त, दाता, भोक्ता, सुखी, सुन्दर, शोक करने वाला और रोगी होता है ॥ १६ ॥


व्यतिपात योग मे जन्म लेने का फल
व्यतीपात योग में जन्म लेने वाला मनुष्य बडी कठिनता से जीता है, यदि वह जी पडे तब भाग्य योग से उत्तमोत्तम होता है ॥ १७ ॥


वरियन योग मे जन्म लेने का फल
वरीयन योग में जो जन्म लेता है वह मनुष्य बलवान, शिल्प शास्त्र तथा कलाओं का जानने वाला और गाने बजाने में कुशल होता है ॥ १८ ॥


परिध योग मे जन्म लेने का फल
जो मनुष्य परिध नाम योग में जन्म लेता है, वह मनुष्य उन्नति करने वाला, शास्त्रों का जानने वाला, सत्कविता करने वाला, बोलने वाला, दाता, भोक्ता और प्रिय वचन बोलने वाला होता है।


शिव योग मे जन्म लेने का फल
जो शिव योग में जन्म लेता है वह मनुष्य सब कल्याणों का पात्र, लोक में महादेव के समान और सदा बुद्धि से युक्त होता है ।। २० ।। 


सिद्ध योग मे जन्म लेने का फल
जो मनुष्य सिद्ध योग में जन्म लेता है वह मनुष्य सिद्धि का देने वाला मन्त्र सिद्धि का करने वाला, दिव्य स्त्री से युक्त और सब सम्पत्ति से युक्त होता है। 


साध्य योग मे जन्म लेने का फल
साध्य नाम योग में जो जन्म लेता है, वह मनुष्य सिद्धिवाला, मानसिक अधिक यश स्त्री संपूर्णा सुख प्राप्त करने वाला बडा आलसी, जगत में प्रसिद्ध और सवों का सम्मत होता है।  ।। २२।।


शुभ योग मे जन्म लेने का फल
जो शुभ योग में जन्म लेता है वह मनुष्य शुभ मुख युक्त, धनवान, विज्ञान ज्ञान से सम्पन्न होता है, दाता, ब्राह्मणों का पूजन करने वाला होता है ॥ २३ ॥


शुक्ल योग मे जन्म लेने का फल
जो शुक्ल नाम योग में जन्म लेता है, वह मनुष्य सब कला परिपूर्ण, सर्वार्थ ज्ञान को जानने वाला, बडा कवि, बडा प्रतापी, शूरवीर, धनवान् और सब जनों को प्रिय होता है ।। २४ ॥


ब्रह्म योग मे जन्म लेने का फल
जो ब्रह्मयोग में जन्म लेता है वह मनुष्य महाविद्वान्, वेद शास्त्र में पारगंत, ब्रह्म ज्ञान में रत और सब काम करने में कुशल होता है। ।।२५।।


ऐन्द्रे योग मे जन्म लेने का फल
जो ऐन्द्र नाम योग में जन्म लेता है वह मनुष्य राजकुल में जन्म लेने वाला निश्चय राजा होता है अल्प आयु वाला परन्तु सुखी भोगी और गुणवान होता है ।। २६ ॥


वैधृति योग मे जन्म लेने का फल
जो वैधृति नाम योग में जन्म लेता है, वह मनुष्य नित्य उत्साह रखने वाला, विभूषणों से विभूषित होता है, वह प्रीति करता है तो भी सबको बुरा लगता है ॥ २७ 


(क्रमशः)
कल "विभिन्न करण मे जन्म लेने का फल" विषय पर लेख।
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आगामी लेख
1. 21 फर० को ज्योतिषीय विषय "विभिन्न योगो मे जन्म लेने का फल" पर लेख
2. 22 फर० को ज्योतिषीय विषय "विभिन्न करण मे जन्म लेने का फल" पर लेख
3. 23 फरवरी को "विजया एकादशी" पर लेख
4. 24 फरवरी से "भगवान शिव तथा महाशिवरात्रि"  विषय पर धारावाहिक लेख
5. शीघ्र ही "होलाष्टक, होलिका दहन तथा धुलैण्डी" पर धारावाहिक लेख प्रारम्भ।
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जय श्री राम
आज का पंचांग,दिल्ली 🌹🌹🌹
सोमवार,21.2.2022
श्री संवत 2078
शक संवत् 1943
सूर्य अयन- उतरायण, गोल-दक्षिण गोल
ऋतुः- शिशिर-वसन्त ऋतुः ।
मास- फाल्गुन मास।
पक्ष- कृष्ण पक्ष ।
तिथि- पचंमी तिथि 8 pm तक
चंद्रराशि- चंद्र तुला राशि मे।
नक्षत्र- चित्रा नक्षत्र 4:17 pm तक
योग- गण्ड योग 1:04 pm तक (अशुभ है)
करण- कौलव करण 8:36 am तक
सूर्योदय 6:54 am, सूर्यास्त 6:15 pm
अभिजित् नक्षत्र- 12:12 pm से 12:57 pm
राहुकाल - 8:19 am से 9:44 am (शुभ कार्य वर्जित,दिल्ली )
दिशाशूल- पूर्व दिशा ।

फरवरी शुभ दिन:- 21, 22 (दोपहर 4 तक), 23 (दोपहर 3 उपरांत), 24 (दोपहर 1 तक), 25 (दोपहर 12 उपरांत), 26 (सवेरे 11 उपरांत)

फरवरी अशुभ दिन:- 27, 28
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आगामी व्रत तथा त्यौहार:-
20 फर०-संकष्टी चतुर्थी। 27 फर०-विजया एकादशी। 28 फर०-प्रदोष व्रत (कृष्ण)।1 मार्च- महाशिवरात्रि। 2 मार्च- फाल्गुन अमावस्या।10 मार्च- होलाष्टक प्रांरभ। 14 मार्च- आमलकी एकादशी/मीन संक्रांति (पुण्यकाल 15 मार्च मध्याह्न काल तक) 15 मार्च- प्रदोष व्रत (शुक्ल) 17 मार्च- होलिका दहन। 18 मार्च- होली/फाल्गुन पूर्णिमा व्रत। 21 मार्च- संकष्टी चतुर्थी। 22 मार्च- श्रीरंग पंचमी। 25 मार्च- शीतलाष्टमी व्रत। 28 मार्च- पापमोचिनी एकादशी। 29 मार्च- मंगल प्रदोष व्रत (कृष्ण)। 30 मार्च- मासिक शिवरात्रि।
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विशेष:- जो व्यक्ति वाराणसी से बाहर अथवा देश से बाहर रहते हो, वह ज्योतिषीय परामर्श हेतु Paytm या Bank transfer द्वारा परामर्श फीस अदा करके, फोन द्वारा ज्योतिषीय परामर्श प्राप्त कर सकतें है
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आपका दिन मंगलमय हो . 💐💐💐
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English Translation :-

Astrological article:-"The fruit of birth in different yogas"




 ..ath yoga birth result..

 A total of 27 yogas have been told in Indian astrology, the results of taking birth in different yogas are as follows.



 Result of being born in Vishkumbh Yoga

 A person born in the yoga named Vishkambh is full of form, fortunate, full of many ornaments, very intelligent and very clever.  1



 Result of being born in Preeti Yoga

 A person born in Preetiyoga is a lover of women, a knower of the elements, very enthusiastic and a constant venturer for selfishness.



 Result of being born in Ayushman Yoga

 A person born in Ayushman Yoga is very proud, wealthy, long-lived, possessed of many types of materialists and victorious in battle.  ,  3



 Result of being born in Saubhagya Yoga

 A man born in a yoga called Saubhagya is a minister to a king, skilled in all works, and dear to women.  4



 Result of being born in Shobhana Yoga

 A man born in a yoga named Shobhan is very handsome, blessed with many sons and wife, eager in all works and always yearning to join the battlefield.  5



 Result of being born in Atigunda Yoga

 One who is born in Atiganda Yoga is the one who kills his mother, and the one who is born in Gandanta is the one who kills the whole family.



 Result of being born in Sukarma Yoga

 A person born in the yoga called Sukarma is one who does good deeds, is loving to all, is very gentle, has attachment everywhere, enjoys many pleasures, and is endowed with all qualities.  7



 Result of being born in Dhriti Yoga

 The person born of Ghriti Yoga is patient, full of fame-affirmation-wealth, very fortunate, endowed with happiness and virtuous, learned.



 Result of being born in Shoola Yoga

 A person who is born in Shool Naam Yoga, is suffering from disease, practices dharma, is well versed in the scriptures, is clever in acquiring knowledge and wealth, and performs sacrifices.  9



 Result of being born in Ganda Yoga

 A person born in a yoga named Gand is suffering from goiter disease, suffering a lot, having a big head, having a small body, a great warrior, having many pleasures, and fulfilling what has been said.  10.



 Result of being born in Vriddhi Yoga

 A person born in Vriddhi Naam Yoga is beautiful in human form, having many sons and wives, rich and enjoys many pleasures, and is very mighty.  12



 Result of being born in Vriddhi Yoga

 A person born in Dhruva Yoga has a long life, is dear to all, does steady actions with thoughts, is very attached to all works and has steady growth.  12



 Result of being born in Vyaghat Yoga

 The person born of Vyaaghat Yoga is the knower of all things, the one who is worshiped by all, clever in all works and famous in the world.  13



 Result of being born in Harsha Yoga

 A person born in Harshana Naam Yoga is very fortunate, a king's favorite, has a great reputation, is rich in many ways and is expert in science.



 Result of being born in Vajra Yoga

 The one who takes birth in Vajrayog is like a thunderbolt, having a strong eye, proficient in all knowledge and learning, full of wealth, knower of elements and mighty.  15



 Result of being born in Siddhi Yoga

 A person born in Siddhi Yoga is full of all siddhis, giver, enjoyer, happy, beautiful, mourning and sick.  16



 Result of being born in Vyatipat Yoga

 A person born in Vyatipat Yoga lives with great difficulty, if he lives, then Bhagya is the best of the Yoga.  17



 Result of being born in Varian Yoga

 The person who is born in Varian Yoga is strong, knows the craftsmanship and arts and is skilled in playing songs.  18



 Result of being born in Paridha Yoga

 The person who is born in Paridh Naam Yoga, that person is a grower, a knower of scriptures, a writer of good poetry, a speaker, a giver, an enjoyer and a speaker of loving words.



 Result of being born in Shiva Yoga

 One who is born in Shiva Yoga, is the person who deserves all the welfare, is like Mahadev in the world and is always full of wisdom.  20.



 Result of being born in Siddha Yoga

 The person who is born in Siddha Yoga, the person who gives the accomplishment of the mantra, the person who gives the accomplishment, is endowed with the divine woman and is endowed with all the wealth.



 Result of being born in Sadhya Yoga

 One who takes birth in Sadhya Naam Yoga, is a man of accomplishment, a woman with more mental fame, a very lazy person, who attains complete happiness, is famous in the world and agrees to all.  ,  22..



 Result of being born in auspicious yoga

 One who is born in an auspicious yoga, is a man with an auspicious face, is wealthy, is endowed with knowledge of science, is a giver, is a worshiper of brahmins.  23



 Result of being born in Shukla Yoga

 One who is born in Shukla Naam Yoga, that person is perfect in all arts, who knows all knowledge, great poet, great majestic, brave, rich and is dear to all.  24



 Result of being born in Brahma Yoga

 One who is born in Brahmayoga is a great scholar, versed in the Vedas, engaged in the knowledge of Brahman and skilled in doing all things.  ..25..



 Result of being born in Andre Yoga

 One who is born in the name of Andra Yoga, that person who is born in the royal family is definitely a king, short-lived, but a happy enjoyer and a virtuous person.  26



 Result of being born in Vaidhriti Yoga

 One who is born in yoga called Vaidhriti, that person who is always enthusiastic, is adorned with ornaments, even if he loves, everyone feels bad.  27



 (respectively)

 Tomorrow article on the topic "Results of being born in different Karanas".


 upcoming articles

 1. Article on the astrological topic "Fruits of taking birth in different yogas" on 21st February

 2. Article on the astrological topic "Fruits of being born in different Karanas" on 22 February

 3. Article on "Vijaya Ekadashi" on February 23

 4. Serial article on the topic "Lord Shiva and Mahashivratri" from February 24

 5. Serial articles on "Holashtak, Holika Dahan and Dhulandi" will start soon.


 Long live Rama

 Today's Panchang, Delhi

 Monday,21.2.2022

 Shree Samvat 2078

 Shaka Samvat 1943

 Surya Ayan- Uttarayan, Round-South Round

 Rituah - Shishir - spring season.

 Month- Falgun month.

 Paksha - Krishna Paksha.

 Date - Panchami date up to 8 pm

 Moon Sign - Moon in Libra.

 Nakshatra - Chitra Nakshatra till 4:17 pm

 Yoga- Ganda Yoga till 1:04 pm (inauspicious)

 Karan- Kaulav Karan till 8:36 am

 Sunrise 6:54 am, Sunset 6:15 pm

 Abhijit Nakshatra - 12:12 pm to 12:57 pm

 Rahukaal - 8:19 am to 9:44 am (Good work prohibited, Delhi)

 Direction – East direction.


 February Lucky Days:- 21, 22 (till 4 pm), 23 (after 3 pm), 24 (up to 1 pm), 25 (after 12 pm), 26 (after 11 am)


 February inauspicious days:- 27, 28


 Upcoming fasts and festivals:-

 20th February – Sankashti Chaturthi.  27 February - Vijaya Ekadashi.  28 February - Pradosh fast (Krishna). 1 March - Mahashivratri.  March 2 - Falgun Amavasya. March 10 - Holashtak begins.  March 14- Amalaki Ekadashi / Meen Sankranti (Punyakaal till March 15 midday) March 15- Pradosh fast (Shukla) March 17- Holika Dahan.  March 18- Holi/Falgun Purnima Vrat.  March 21 - Sankashti Chaturthi.  March 22 - Shrirang Panchami.  March 25 - Sheetlashtami fasting.  March 28 - Papmochini Ekadashi.  March 29- Mangal Pradosh Vrat (Krishna).  March 30 - Monthly Shivratri.


 Special:- The person who lives outside Varanasi or outside the country, he can get astrological consultation by phone, by paying the consultation fee through Paytm or Bank transfer for astrological consultation.


 Have a good day .

20 फ़रवरी 2022

लेख:- संकष्टी चतुर्थी, (20.02.2022) Article:- Sankashti Chaturthi, (2002.2022)


लेख:- संकष्टी चतुर्थी, (20.02.2022)

संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त
चतुर्थी तिथि प्रारंभ-19.02.22, 9:56 pm चतुर्थी तिथि समाप्त-20.02.22, 9:05 pm
शुभ मुहूर्त दोपहर- 20 फर०12:12 pm 12:58 pm तक
चंद्रोदय समय- 20 फर०, 09:50 pm

भारतीय हिन्दु पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। वर्ष 2022 के फाल्गुन मास कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 20 फरवरी को संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जायेगा। फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को "द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी" के नाम से भी जाना जाता है।

दरअसल हिन्दु पंचांग में प्रत्येक चन्द्र मास में कृष्ण पक्ष तथा शुक्ल पक्ष मे दो चतुर्थी तिथि आती हैं। पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं, तथा अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं। संकष्टी चतुर्थी के दिन विघ्नहर्ता श्री गणेश जी की पूजा करने एवं व्रत रखने का विधान है, तथा   चंद्रमा की पूजा करने के बाद ही व्रत पूरा होता है, जबकि शुक्ल पक्ष की विनायक चतुर्थी में चंद्रमा का दर्शन वर्जित होता है।

इस प्रकार संकष्टी चतुर्थी का व्रत हर महीने में आता है, परन्तु पूर्णिमांत पंचांग के अनुसार वर्ष भर के संकष्टी चतुर्थी व्रतों मे सबसे प्रमुख संकष्टी चतुर्थी का व्रत माघ मास की चतुर्थी का होता है। जबकि अमावस्यांत पञ्चाङ्ग के अनुसार प्रमुख व्रत पौष मास का होता है।

मंगलवार को होंने वाले संकष्टी चतुर्थी व्रत को अंगारकी चतुर्थी कहते हैं, अंगारकी चतुर्थी के व्रत को  अत्यंत शुभ माना जाता है। संकष्टी चतुर्थी का त्यौहार   पश्चिमी भारत, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में विशेष रूप से प्रचलित है।

संकष्टी चतुर्थी व्रत का महत्व:-
संकष्टी चतुर्थी का व्रत मनोकामनाओं को सिद्ध करने वाला व्रत है, विध्नो-संकटो को दूर करके जीवन मे सफलताओ को देने वाला तथा सुख-समृद्धि प्रदान  करता है, इस दिन व्रत रखने वालों भक्तों के कष्टों को विध्न विनाशक गणेश जी दूर करते हैं और भक्तो के कार्यों मे सफलता प्रदान करते हैं।


संकट चतुर्थी पूजा विधि:-
इस दिन विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश जी का तथा चौथमाता का पूजन एवं व्रत रखने का विधान है। संकष्टी चतुर्थी में चंद्रमा की पूजा करने के बाद ही व्रत पूर्ण होता है, इसके विपरीत 'विनायक चतुर्थी' में चंद्रमा का दर्शन वर्जित होता है।

1. सर्वप्रथम लकडी की चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर उस पर गणेश जी का सुन्दर चित्र अथवा प्रतिमा को स्थापित करे, तत्पश्चात वेदी पर कलश स्थापित करें। 

2. इस कलश में जल भरकर देवताओं, तीर्थों एवं सागर को आमंत्रित करें। कलश में सुगंध, सुपारी और पंच रत्न रखें। इसके ऊपर पंच पल्लव रखें फिर दीप जलाकर रखें।

3. तदोपरान्त भगवान गणेश जी की प्रतिमा के समक्ष हाथ में दूब, फूल, सुपारी, पान तथा द्रव्य (धन) और जल लेकर व्रत का संकल्प करना चाहिए।

4. संकल्प के दौरान व्रती को सकाम व्रत हेतु अपनी मनोकामना को कहना चाहिए साथ ही यह भी कहना चाहिए कि मैं भगवान गणेश तथा चौथ माता की प्रसन्नता एवं सुख-समृद्धि की कामना से संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखता हूं। मेरा यह व्रत सफलतापूर्वक पूरा हो इसके लिए भगवान मुझे सामर्थ्य तथा शक्ति प्रदान करे।

4. इसके बाद संकल्प लेने के पश्चात षोड्षोपचार  भगवान की पूजा करें।

5. संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रती को दिन भर निराहार उपवास करना होता है।

9. संकष्टी चतुर्थी का व्रत शाम के समय चंद्र दर्शन के बाद ही खोला जाता है। अतः भक्त जो संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखेंगे, वह गणेशजी एवं चौथ माता की पूजा करके लड्डू का भोग लगाकर चंद्रोदय के समय चंद्रमा का पूजन करेंगे और चंद्रमा को शहद, चंदन, रोली मिश्रित दूध से अर्घ्य देंगे। इस प्रकार व्रत का   पारण करके व्रत को पूर्ण किया जाता हैं। इसमे चन्द्रोदय होने पर भोजन करते हैं। 

पूजन समाप्ति और चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही अन्न का दान करें और भगवान से प्रार्थना भी करें। 


*संकष्ट चतुर्थी की कथा*
संकष्टी चतुर्थी की क्रमशः चार कथाएं प्रचलित हैं, जिनमे से एक कथा निम्नलिखित प्रकार से है।


पुरातन काल मे एक बार विष्णु भगवान का विवाह लक्ष्‍मीजी के साथ निश्चित हो गया। विवाह की तैयारी होने लगी। सभी देवताओं को निमंत्रण भेजे गए, परंतु गणेशजी को निमंत्रण नहीं दिया।

अब भगवान विष्णु की बारात जाने का समय आ गया। सभी देवता अपनी पत्नियों के साथ विवाह समारोह में आए। उन सबने देखा कि गणेशजी कहीं दिखाई नहीं दे रहे हैं। तब वे आपस में चर्चा करने लगे कि- क्या गणेशजी को नहीं न्योता है, या स्वयं गणेशजी ही नहीं आए हैं? सभी को इस बात पर आश्चर्य होने लगा। तभी सबने विचार किया कि विष्णु भगवान से ही इसका कारण पूछा जाए।
 
विष्णु भगवान से पूछने पर उन्होंने कहा कि हमने गणेशजी के पिता भोलेनाथ महादेव को न्योता भेजा है। यदि गणेशजी अपने पिता के साथ आना चाहते तो आ जाते, अलग से न्योता देने की कोई आवश्यकता भी नहीं थीं। दूसरी बात यह है कि उनको सवा मन मूंग, सवा मन चावल, सवा मन घी और सवा मन लड्डू का भोजन दिनभर में चाहिए। यदि गणेशजी नहीं आएंगे तो कोई बात नहीं। दूसरे के घर जाकर इतना सारा खाना-पीना अच्छा भी नहीं लगता।
 
इतनी वार्ता कर ही रहे थे कि किसी एक ने सुझाव दिया- यदि गणेशजी आ भी जाएं तो उनको द्वारपाल बनाकर बैठा देंगे कि आप घर की याद रखना। आप तो चूहे पर बैठकर धीरे-धीरे चलोगे तो बारात से बहुत पीछे रह जाओगे। यह सुझाव भी सबको पसंद आ गया, तो विष्णु भगवान ने भी अपनी सहमति दे दी।
 
होना क्या था कि इतने में गणेशजी वहां आ पहुंचे और उन्हें समझा-बुझाकर घर की रखवाली करने बैठा दिया। बारात चल दी, तब नारदजी ने देखा कि गणेशजी तो दरवाजे पर ही बैठे हुए हैं, तो वे गणेशजी के पास गए और रुकने का कारण पूछा। गणेशजी कहने लगे कि विष्णु भगवान ने मेरा बहुत अपमान किया है। नारदजी ने कहा कि आप अपनी मूषक सेना को आगे भेज दें, तो वह रास्ता खोद देगी जिससे उनके वाहन धरती में धंस जाएंगे, तब आपको सम्मानपूर्वक बुलाना पड़ेगा।
 
अब तो गणेशजी ने अपनी मूषक सेना जल्दी से आगे भेज दी और सेना ने जमीन पोली कर दी। जब बारात वहां से निकली तो रथों के पहिए धरती में धंस गए। लाख कोशिश करें, परंतु पहिए नहीं निकले। सभी ने अपने-अपने उपाय किए, परंतु पहिए तो नहीं निकले, बल्कि जगह-जगह से टूट गए। किसी की समझ में नहीं आ रहा था कि अब क्या किया जाए।
 
तब तो नारदजी ने कहा- आप लोगों ने गणेशजी का अपमान करके अच्छा नहीं किया। यदि उन्हें मनाकर लाया जाए तो आपका कार्य सिद्ध हो सकता है और यह संकट टल सकता है। शंकर भगवान ने अपने दूत नंदी को भेजा और वे गणेशजी को लेकर आए। गणेशजी का आदर-सम्मान के साथ पूजन किया, तब कहीं रथ के पहिए निकले। अब रथ के पहिए निकल को गए, परंतु वे टूट-फूट गए, तो उन्हें सुधारे कौन?
 
पास के खेत में खाती काम कर रहा था, उसे बुलाया गया। खाती अपना कार्य करने के पहले 'श्री गणेशाय नम:' कहकर गणेशजी की वंदना मन ही मन करने लगा। देखते ही देखते खाती ने सभी पहियों को ठीक कर दिया।
 
तब खाती कहने लगा कि हे देवताओं! आपने सर्वप्रथम गणेशजी को नहीं मनाया होगा और न ही उनकी पूजन की होगी इसीलिए तो आपके साथ यह संकट आया है। हम तो मूर्ख अज्ञानी हैं, फिर भी पहले गणेशजी को पूजते हैं, उनका ध्यान करते हैं। आप लोग तो देवतागण हैं, फिर भी आप गणेशजी को कैसे भूल गए? अब आप लोग भगवान श्री गणेशजी की जय बोलकर जाएं, तो आपके सब काम बन जाएंगे और कोई संकट भी नहीं आएगा।
 
ऐसा कहते हुए बारात वहां से चल दी और विष्णु भगवान का लक्ष्मीजी के साथ विवाह संपन्न कराके सभी सकुशल घर लौट आए। 

हे गणेशजी महाराज! आपने विष्णु को जैसो कारज सारियो, ऐसो कारज सबको सिद्ध करजो। बोलो गजानन भगवान की जय।

(समाप्त)
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आगामी लेख
1. 21 फर० को ज्योतिषीय विषय "विभिन्न योगो मे जन्म लेने का फल" पर लेख
2. 22 फर० को ज्योतिषीय विषय "विभिन्न करण मे जन्म लेने का फल" पर लेख
3. 23 फरवरी को "विजया एकादशी" पर लेख
4. 24 फरवरी से "भगवान शिव तथा महाशिवरात्रि"  विषय पर धारावाहिक लेख
5. शीघ्र ही "होलाष्टक, होलिका दहन तथा धुलैण्डी" पर धारावाहिक लेख प्रारम्भ।
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जय श्री राम
आज का पंचांग,दिल्ली 🌹🌹🌹
रविवार,20.2.2022
श्री संवत 2078
शक संवत् 1943
सूर्य अयन- उतरायण, गोल-दक्षिण गोल
ऋतुः- शिशिर-वसन्त ऋतुः ।
मास- फाल्गुन मास।
पक्ष- कृष्ण पक्ष ।
तिथि- चतुर्थी तिथि 9:05 pm तक*
चंद्रराशि- चंद्र कन्या राशि मे अगले दिन 4:31 am तक तदोपरान्त तुला राशि।
नक्षत्र- हस्त नक्षत्र 4:42 pm तक
योग- शूल योग 3:06 pm तक (अशुभ है)
करण- बव करण 9:35 am तक
सूर्योदय 6:56 am, सूर्यास्त 6:13 pm
अभिजित् नक्षत्र- 12:12 pm से 12:57 pm
राहुकाल - 4:49 pm से 6:14 pm* (शुभ कार्य वर्जित,दिल्ली )
दिशाशूल- पश्चिम दिशा ।

फरवरी शुभ दिन:- 20, 21, 22 (दोपहर 4 तक), 23 (दोपहर 3 उपरांत), 24 (दोपहर 1 तक), 25 (दोपहर 12 उपरांत), 26 (सवेरे 11 उपरांत)

फरवरी अशुभ दिन:- 27, 28

सर्वार्थ सिद्ध योग :- 20 फर० 6:56 am से 20 फर० 4:42 pm तक  (यह एक शुभयोग है, इसमे कोई व्यापारिक या कि राजकीय अनुबन्ध (कान्ट्रेक्ट) करना, परीक्षा, नौकरी अथवा चुनाव आदि के लिए आवेदन करना, क्रय-विक्रय करना, यात्रा या मुकद्दमा करना, भूमि , सवारी, वस्त्र आभूषणादि का क्रय करने के लिए शीघ्रतावश गुरु-शुक्रास्त, अधिमास एवं वेधादि का विचार सम्भव न हो, तो ये सर्वार्थसिद्धि योग ग्रहण किए जा सकते हैं।

अमृत सिद्धि योग:- 20 फर० 6:56 am से 20 फर० 4:42 pm तक, इस योग मे सर्वार्थ सिद्ध योगवाले कामो के अलावा प्रेमविवाह, विदेश यात्रा तथा सकाम अनुष्ठान करना शुभ होता है।
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आगामी व्रत तथा त्यौहार:-
20 फर०-संकष्टी चतुर्थी। 27 फर०-विजया एकादशी। 28 फर०-प्रदोष व्रत (कृष्ण)।1 मार्च- महाशिवरात्रि। 2 मार्च- फाल्गुन अमावस्या।10 मार्च- होलाष्टक प्रांरभ। 1
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विशेष:- जो व्यक्ति वाराणसी  से बाहर अथवा देश से बाहर रहते हो, वह ज्योतिषीय परामर्श हेतु Paytm या Bank transfer द्वारा परामर्श फीस अदा करके, फोन द्वारा ज्योतिषीय परामर्श प्राप्त कर सकतें है
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आपका दिन मंगलमय हो . 💐💐💐
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English Translation :-

Article:- Sankashti Chaturthi, (2002.2022)


 sankashti chaturthi auspicious time

 Chaturthi Tithi Start-19.02.22, 9:56 pm Chaturthi Tithi End-20.02.22, 9:05 pm

 Shubh Muhurta Afternoon - 20 Feb012:12 pm till 12:58 pm

 Moonrise Time - 20 Feb, 09:50 pm


 According to Indian Hindu calendar, Sankashti Chaturthi fast is observed on the Chaturthi Tithi of Krishna Paksha of every month.  In the year 2022, the fast of Sankashti Chaturthi will be kept on the Chaturthi date of Krishna Paksha of Falgun month, 20 February.  The Chaturthi of Krishna Paksha of Falgun month is also known as "Dwijpriya Sankashti Chaturthi".


 In fact, in the Hindu calendar, in every lunar month, there are two Chaturthi Tithis in Krishna Paksha and Shukla Paksha.  The Chaturthi of Krishna Paksha which comes after full moon is called Sankashti Chaturthi, and the Chaturthi of Shukla Paksha which comes after Amavasya is called Vinayaka Chaturthi.  On the day of Sankashti Chaturthi, there is a law to worship Vighnaharta Shri Ganesh ji and keep a fast, and the fast is completed only after worshiping the moon, while the sighting of moon is prohibited in Vinayaka Chaturthi of Shukla Paksha.


 In this way, Sankashti Chaturthi fast comes in every month, but according to Purnimant Panchang, Sankashti Chaturthi fasting is the most important of all year long Sankashti Chaturthi fasting in Magha month.  Whereas according to Amavasyant Panchang, the main fast is of Paush month.


 The Sankashti Chaturthi fast observed on Tuesday is called Angaraki Chaturthi, and the Angaraki Chaturthi fast is considered very auspicious.  The festival of Sankashti Chaturthi is especially prevalent in Western India, Maharashtra and Tamil Nadu.


 Significance of Sankashti Chaturthi Vrat:-

 The fast of Sankashti Chaturthi is a fast that fulfills wishes, removes obstacles and gives success in life and provides happiness and prosperity, Ganesha, the destroyer of obstacles, removes the sufferings of the devotees who observe fast on this day.  bring success in their works.



 Sankat Chaturthi Puja Method:-

 On this day, there is a law to worship Lord Ganesha, the obstacle course, and the Chauthmata and keep a fast.  On Sankashti Chaturthi, the fast is completed only after worshiping the moon, on the contrary, sighting of the moon is prohibited in Vinayaka Chaturthi.


 1. First of all, by laying a yellow cloth on a wooden post, install a beautiful picture or statue of Ganesh ji on it, then place the urn on the altar.


 2. Invite the deities, pilgrimages and ocean by filling water in this urn.  Keep fragrance, betel nut and Panch Ratna in the Kalash.  Place Panch Pallav on it and then keep the lamp lit.


 3. After this, in front of the idol of Lord Ganesha, one should take a vow of a fast by taking cows, flowers, betel nuts, betel leaves and liquid (money) and water.


 4. During the resolution, the devotee should say his wish for a fruitful fast and should also say that I keep the fast of Sankashti Chaturthi with the wish of happiness and prosperity of Lord Ganesha and Chauth Mata.  May God give me strength and power to complete this fast of mine successfully.


 4. After this, after taking the resolution, worship the God 'Shodshopchar'.


 5. On the day of Sankashti Chaturthi, the fasting has to be observed for the whole day.


 9. The fast of Sankashti Chaturthi is broken only after the moon sighting in the evening.  Therefore, the devotees who keep fast on Sankashti Chaturthi, they will worship the moon at the time of moonrise by offering laddus and offering laddus and offering Arghya to the moon with honey, sandalwood, roli mixed milk.  In this way the fast is fulfilled by breaking the fast.  In this, they eat food when there is moonrise.


 Donate food only after the worship is over and offering Arghya to the moon and also pray to God.



 *Story of Sankash Chaturthi*

 There are four stories of Sankashti Chaturthi respectively, out of which one story is as follows.



 Once in ancient times, the marriage of Lord Vishnu was fixed with Lakshmiji.  The wedding preparations started.  Invitations were sent to all the deities, but Ganesha was not invited.


 Now the time has come to go to Lord Vishnu's procession.  All the deities along with their wives came to the marriage ceremony.  They all saw that Ganeshji was nowhere to be seen.  Then they started discussing among themselves whether Ganeshji is not invited, or Ganesha himself has not come?  Everyone was surprised at this.  Then everyone thought that the reason for this should be asked from Lord Vishnu.



 On asking Lord Vishnu, he said that we have sent an invitation to Lord Ganesha's father, Bholenath Mahadev.  If Ganeshji wanted to come with his father, he would have come, there was no need to invite him separately.  The second thing is that they need half a mind of moong, half a mind of rice, half a mind of ghee and half a mind of laddoos throughout the day.  It doesn't matter if Ganeshji doesn't come.  It doesn't feel good to go to someone else's house and drink so much food.



 They were talking so much that one of them suggested that even if Ganesha comes, he will make him a gatekeeper and make you sit in memory of the house.  If you sit on a mouse and walk slowly, you will be left far behind the procession.  Everyone liked this suggestion, so Lord Vishnu also gave his consent.



 What was to happen that Ganeshji came there and after persuading him, made him sit to guard the house.  The procession went on, then Naradji saw that Ganeshji was sitting at the door, so he went to Ganeshji and asked the reason for his stay.  Ganeshji started saying that Lord Vishnu has insulted me a lot.  Naradji said that if you send your mouse army forward, then it will dig a path through which their vehicles will sink into the earth, then you will have to call respectfully.



 Now Ganeshji quickly sent his mouse army forward and the army polled the land.  When the procession left from there, the wheels of the chariots sank into the earth.  Tried a million, but the wheels did not come off.  Everyone took their own measures, but the wheels did not come out, but broke from place to place.  Nobody knew what to do now.



 Then Naradji said – You did not do any good by insulting Ganeshji.  If they are persuaded and brought, then your work can be proved and this crisis can be averted.  Lord Shankar sent his messenger Nandi and he brought Ganeshji.  Worshiped Ganesh ji with respect and then the wheels of the chariot came out.  Now the wheels of the chariot are gone, but they are broken, so who will repair them?



 Khati was working in a nearby field, he was called.  Before doing his work, saying 'Shri Ganeshaya Namah' to worship Ganesha started in his mind.  Soon Khati fixed all the wheels.



 Then Khati started saying that O Gods!  You must not have celebrated or worshiped Ganesha in the first place, that is why this crisis has come with you.  We are foolish and ignorant, yet we worship Ganesha first and meditate on him.  You people are gods, yet how did you forget Ganesha?  Now if you go by chanting the jai of Lord Ganesha, then all your work will be done and there will be no trouble.



 Saying this the procession left from there and after solemnizing the marriage of Lord Vishnu with Lakshmi, all returned home safely.


 Oh Lord Ganesha!  You have proved Vishnu as Karaj Saariyo, such Karaj prove to everyone.  Say Glory to God Gajanan.


 (End)


 upcoming articles

 1. Article on the astrological topic "Fruits of taking birth in different yogas" on 21st February

 2. Article on the astrological topic "Fruits of being born in different Karanas" on 22 February

 3. Article on "Vijaya Ekadashi" on February 23

 4. Serial article on the topic "Lord Shiva and Mahashivratri" from February 24

 5. Serial articles on "Holashtak, Holika Dahan and Dhulandi" will start soon.



 Long live Rama

 Today's Panchang, Delhi

 Sunday, 20.2.2022

 Shree Samvat 2078

 Shaka Samvat 1943

 Surya Ayan- Uttarayan, Round-South Round

 Rituah - Shishir - spring season.

 Month- Falgun month.

 Paksha - Krishna Paksha.

 Date - Chaturthi date up to 9:05 pm*

 Moon sign- Moon will remain in Virgo till 4:31 am the next day and then Libra.

 Nakshatra - Hasta Nakshatra till 4:42 pm

 Yoga- Shool Yoga till 3:06 pm (inauspicious)

 Karan - bv karan till 9:35 am

 Sunrise 6:56 am, Sunset 6:13 pm

 Abhijit Nakshatra - 12:12 pm to 12:57 pm

 Rahukaal - 4:49 pm to 6:14 pm* (Good work prohibited, Delhi)

 Dishashul – West direction.


 February Lucky Days:- 20, 21, 22 (till 4 pm), 23 (after 3 pm), 24 (up to 1 pm), 25 (after 12 pm), 26 (after 11 am)


 February inauspicious days:- 27, 28


 Sarvartha Siddha Yoga :- 20 Feb 6:56 am to 20 Feb 4:42 PM (This is an auspicious yoga, in this, to do any business or state contract, apply for examination, job or election etc., purchase-  If the idea of ​​Guru-Shukrast, Adhimaas and Vedadi is not possible in a hurry to make sale, travel or litigation, purchase of land, rides, clothes, jewelery etc., then these Sarvarthasiddhi Yogas can be adopted.


 Amrit Siddhi Yoga:- From 20 Feb 6:56 am to 20 Feb 4:42 PM, in this yoga, apart from the work of Siddha Yoga, it is auspicious to do love marriage, foreign travel and fruitful rituals.


 Upcoming fasts and festivals:-

 20th February – Sankashti Chaturthi.  27 February - Vijaya Ekadashi.  28 February - Pradosh fast (Krishna). 1 March - Mahashivratri.  March 2 - Falgun Amavasya. March 10 - Holashtak begins.  1


 Special:- The person who lives outside Varanasi or outside the country, he can get astrological consultation by phone, by paying the consultation fee through Paytm or Bank transfer for astrological consultation.


 Have a good day . 

18 फ़रवरी 2022

ज्योतिषीय लेख:- "वारानुसार जन्म का फल" Astrological article:- "Fruit of birth wise"



ज्योतिषीय लेख:- "वारानुसार जन्म का फल"


।।अथ जन्मवार फलम् ।।
एक महीने में तीस दिन, तीस दिनो मे चार सप्ताह, सप्ताह मे सात दिन और सातो दिनो को रविवार से लेकर शनिवार तक वार कहें गये हैं। विभिन्न सात वारो मे जन्म लेने का फल निम्नलिखित प्रकार से हैं।


रविवार का जन्म
रविवार के दिन जिसका जन्म होता है वह मनुष्य पित्त प्रकृति वाला, बहुत चतुर, तेजस्वी, लडने का प्रिय, दाता और दान करने में उत्साह रखने वाला होता है ।


सोमवार का जन्म
जो मनुष्य सोमवार के दिन जन्म लेता है, वह बडा बुद्धिमान, प्रिय वचन बोलने वाला, शांत प्रकृति, राजा से जीविका पाने वाला, दुःख तथा सुख में समान वृत्ति वाला और बडा धनवान होता है |॥ २ ॥


मंगलवार का जन्म
जो मंगलवार के दिन जन्म लेता है वह मनुष्य टेढी बुद्धि वाला, वृद्ध होकर जीने वाला, रण में उत्साह रखने वाला, बडा बली, सेना के अगाडी चलने वाला और अपने कुटुम्ब का पालन करने वाला होता है ॥ ३ ॥


बुधवार का जन्म
जो पुरुष बुधवार के दिन जन्म लेता है वह लेखक (पुस्तक इत्यादि लिखने से जीविका करने वाला), प्रिय वाक्यों को बोलने वाला, बडा पण्डित और रूप तथा संपत्ति से युक्त होता हैं ॥ ४ ॥


वृहस्पतिवार का जन्म
वृहस्पतिवार के दिन जन्म लेने वाला मनुष्य धन विद्यादि गुणों से युक्त, बडा विवेकी, मनुष्यों का सत्कार करने वाला, आचार्य वृत्ति अथवा मन्त्री की आजीवका करने वाला होता है ॥ ५ ॥


शुक्रवार का जन्म
शुक्रवार के दिन जो जन्म लेता है वह मनुष्य चंचल चित्तवाला, देवों का द्वेषी, धन क्रीडा करने में निरत, बडा बुद्धिमान, रूपवान, मनोहर वाणी बोलने वाला होता है ।।६ ।।


शनिवार का जन्म
शनिवार के दिन जो मनुष्य जन्म लेता है वह मनुष्य स्थिर जन्म वाला, स्थिर वाणी कहने वाला, बडा क्रूर, दुःख युक्त चित्त वाला, बडा पराक्रमी, नीच दृष्टि और दृढ प्रतिज्ञ, अधिक केश वाला और वृद्ध स्त्री में रमण करने वाला होता है ॥७।। 

(क्रमशः)
कल "जन्म नक्षत्र के अनुसार फल" विषय पर लेख
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आगामी लेख
1. 18 फर० को ज्योतिषीय विषय "वारानुसार जन्म फल" पर लेख
2. 19 फर० को ज्योतिषीय विषय "जन्म नक्षत्र के अनुसार फल" पर लेख
_________________________

जय श्री राम
आज का पंचांग,दिल्ली 🌹🌹🌹
शुक्रवार,18.2.2022
श्री संवत 2078
शक संवत् 1943
सूर्य अयन- उतरायण, गोल-दक्षिण गोल
ऋतुः- शिशिर-वसन्त ऋतुः ।
मास- फाल्गुन मास।
पक्ष- कृष्ण पक्ष ।
तिथि- द्वितीय तिथि 10:32 pm तक
चंद्रराशि- चंद्र सिंह राशि मे 10:46 pm तक तदोपरान्त कन्या राशि।
नक्षत्र- पू०फाल्गुनी नक्षत्र 4:42 pm तक
योग- सुकर्मा योग 6:29 pm तक (शुभ है)
करण- तैतिल करण 10:40 am तक
सूर्योदय 6:57 am, सूर्यास्त 6:13 pm
अभिजित् नक्षत्र- 12:12 pm से 12:57 pm
राहुकाल - 11:10 am से 12:35 pm (शुभ कार्य वर्जित,दिल्ली )
दिशाशूल- पश्चिम दिशा ।

फरवरी शुभ दिन:- 18, 19 (सवेरे 10 तक), 20, 21, 22 (दोपहर 4 तक), 23 (दोपहर 3 उपरांत), 24 (दोपहर 1 तक), 25 (दोपहर 12 उपरांत), 26 (सवेरे 11 उपरांत)

फरवरी अशुभ दिन:- 27, 28

सर्वार्थ सिद्ध योग :-  18 फर० 6:57 am से 18 फर० 4:42 pm तक  (यह एक शुभयोग है, इसमे कोई व्यापारिक या कि राजकीय अनुबन्ध (कान्ट्रेक्ट) करना, परीक्षा, नौकरी अथवा चुनाव आदि के लिए आवेदन करना, क्रय-विक्रय करना, यात्रा या मुकद्दमा करना, भूमि , सवारी, वस्त्र आभूषणादि का क्रय करने के लिए शीघ्रतावश गुरु-शुक्रास्त, अधिमास एवं वेधादि का विचार सम्भव न हो, तो ये सर्वार्थसिद्धि योग ग्रहण किए जा सकते हैं।
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आगामी व्रत तथा त्यौहार:-
20 फर०-संकष्टी चतुर्थी। 27 फर०-विजया एकादशी। 28 फर०-प्रदोष व्रत (कृष्ण)।
______________________

विशेष:- जो व्यक्ति वाराणसी से बाहर अथवा देश से बाहर रहते हो, वह ज्योतिषीय परामर्श हेतु Paytm या Bank transfer द्वारा परामर्श फीस अदा करके, फोन द्वारा ज्योतिषीय परामर्श प्राप्त कर सकतें है
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आपका दिन मंगलमय हो . 💐💐💐
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English Translation :-

Astrological article:- "Fruit of birth wise"



 ..that is the birth wise result..

 Thirty days in a month, four weeks in thirty days, seven days in a week and seven days from Sunday to Saturday are called Var.  The results of taking birth in different seven Varas are as follows.



 sunday born

 The person who is born on Sunday is of pitta nature, very clever, brilliant, fond of fighting, a giver and enthusiastic in giving.



 monday born

 The person who is born on Monday, he is very intelligent, speaks sweet words, calm nature, gets sustenance from the king, has equal attitude in sorrow and happiness and is very rich.  2



 born tuesday

 One who is born on Tuesday is a person with crooked intellect, old age, enthusiastic in battle, very strong, leads the army and follows his family.  3



 born on wednesday

 A person who is born on a Wednesday is a writer (one who earns a living by writing books etc.), who speaks favorite sentences, is a great scholar and is full of form and wealth.  4



 thursday birth

 A person born on Thursday is endowed with qualities of wealth and education, is very prudent, takes care of human beings, is a teacher or a minister.  5



 friday born

 The person who is born on Friday is a fickle-minded person, a hater of gods, devoted to playing money, very intelligent, handsome, speaking a pleasant speech..6.



 saturday born

 The person who is born on Saturday is a stable born, stable speech, very cruel, sad minded, very mighty, low vision and firm determination, more hair and takes pleasure in an old woman.  ..


 (respectively)

 Tomorrow article on the topic "Fruits according to birth constellation"


 upcoming articles

 1. Article on the astrological topic "Birth wise according to birth" on February 18

 2. Article on astrological topic "Fruits according to birth constellation" on February 19


 Long live Rama

 Today's Panchang, Delhi

 Friday, 18.2.2022

 Shree Samvat 2078

 Shaka Samvat 1943

 Surya Ayan- Uttarayan, Round-South Round

 Rituah - Shishir - spring season.

 Month- Falgun month.

 Paksha - Krishna Paksha.

 Date - 2nd date up to 10:32 pm

 Moon sign- Moon sign in Leo till 10:46 pm and then Virgo.

 Nakshatra - Poo Phalguni Nakshatra till 4:42 pm

 Yoga- Sukarma Yoga till 6:29 pm (good luck)

 Karan- Taitil Karan till 10:40 am

 Sunrise 6:57 am, Sunset 6:13 pm

 Abhijit Nakshatra - 12:12 pm to 12:57 pm

 Rahukaal - 11:10 am to 12:35 pm (Good work prohibited, Delhi)

 Dishashul – West direction.


 February Lucky Days:- 18, 19 (till 10 am), 20, 21, 22 (till 4 pm), 23 (after 3 pm), 24 (till 1 pm), 25 (after 12 pm), 26 (11 am)  after)


 February inauspicious days:- 27, 28


 Sarvartha Siddha Yoga :- 18 Feb 6:57 am to 18 Feb 4:42 PM  (This is an auspicious yoga, in this, to do any business or state contract, apply for examination, job or election etc., purchase-  If the idea of ​​Guru-Shukrast, Adhimaas and Vedadi is not possible in a hurry to make sale, travel or litigation, purchase of land, rides, clothes, jewelery etc., then these Sarvarthasiddhi Yogas can be adopted.


 Upcoming fasts and festivals:-

 20 February - Sankashti Chaturthi.  27 February - Vijaya Ekadashi.  28 February - Pradosh fast (Krishna).


 Special:- The person who lives outside Varanasi or outside the country, he can get astrological consultation by phone, by paying the consultation fee through Paytm or Bank transfer for astrological consultation.

 Have a good day . 

कामदा एकादशी व्रत 19-04-2024

☀️ *लेख:- कामदा एकादशी, भाग-1 (19.04.2024)* *एकादशी तिथि आरंभ:- 18 अप्रैल 5:31 pm* *एकादशी तिथि समाप्त:- 19 अप्रैल 8:04 pm* *काम...