लेख:- हरियाली अमावस्या/दर्श अमावस्या,शुद्ध श्रावण अमावस्या, 17.07.2023, भाग-2
अमावस्या तिथि आरंभ- 16 जुलाई 10:08 pm
अमावस्या तिथि समाप्त- 17/18 जुलाई मध्यरात्रि 00:01 am
*स्नान-दान के लिए उदया तिथि मान्य होती है,अतः हरियाली अमावस्या पर्व तथा व्रत 17 जुलाई को है।*
सावन मास की अमावस्या का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। भारतीय पंचांग के अनुसार सावन मास हिंदू वर्ष का पांचवा महीना होता है। सावन मास से ही भारत वर्ष मे वर्षा ऋतु प्रारंभ होती है। इसी समय चातुर्मास्य होने के कारण भगवान शिव ब्रह्मांड के संचालक होते हैं, तथा इसमें भी सावन मास भगवान नीलकंठ महादेव की पूजा-अर्चना -अभिषेक का सर्वोत्तम समय होता है।
इस वजह से भी श्रावण मास अमावस्या को बहुत महत्त्व दिया जाता है। भारत देश मे सावन अमावस्या के दिन कई महत्वपूर्ण अनुष्ठानों और परंपराओं को देखा जाता है। यह महीने का सबसे अंधेरा दिन है, हिन्दू मान्यताओं के अनुसार, इसे वर्ष के सबसे शक्तिशाली और प्रभावशाली दिनो में से एक माना जाता है।
ऐसे उत्सवों तथा बरसात के खुशनुमा मौसम मे, सावन मास में आने वाली अमावस्या को हरियाली अमावस्या तथा दर्श अमावस्या भी कहते हैं क्योंकि इस समय में हर ओर बारिश होती है और हर तरह हरियाली तथा हर्षोलास का समा रहता है।
*हरियाली अमावस्या का आध्यात्मिक महत्व:-*
अमावस्या के दिन ब्रह्माण्ड मे विशिष्ट प्रकार की तरंगों का निष्कासन होता है, क्योंकि इस दिन सूर्य तथा चंद्र एक सीध में स्थित रहते हैं, इसलिए यह पर्व विशेष पुण्य देने वाला होता है। जिससे विशिष्ट प्रकार के कार्यों का निष्पादन सफलतापूर्वक किया जा सकता है, जैसे पितरो की सदगति, पितृदोष निवारण, पिंड़दान, तर्पण, कालसर्प योग निवारण अनुष्ठान, पापो का क्षय करके पुण्य प्राप्त, स्नान-दान, जप-अनुष्ठान, सिद्धि प्राप्ति करने हेतू, मारण, मोह, अभिचारक कर्म करने का सर्वोत्तम दिन-समय होता है।
हिन्दु धर्म मे हरियाली अमावस्या का महत्व पर्यावरण तथा प्रकृति को बचाए रखने के लिए जनता मे जागरूकता पैदा करना है। इस दिन किसान आने वाले वर्ष में फसल कैसी होगी इनका अनुमान लगाते हैं, शगुन करते हैं।
इस दिन वृक्षारोपण करना उत्तम होता है। मान्यता है कि इस दिन पेड़ पौधों को लगाने से भगवान प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद प्रदान करते हैं। दरअसल वृक्षारोपण से पर्यावरण स्वच्छ और साफ़ होता है, जिससे वर्षा के द्वारा जल की प्राप्ति होती है।
*हरियाली/दर्श अमावस्या के शुभ कार्य:-*
1. पुराणों के अनुसार अमावस्या के दिन स्नान-दान-पूजन-तर्पण करने की परंपरा है। वैसे तो इस दिन गंगा-स्नान का विशिष्ट महत्व माना गया है, परंतु जो लोग गंगा स्नान करने नहीं जा पाते, वे किसी भी नदी या सरोवर तट आदि में स्नान कर सकते हैं।
2. पवित्र नदी,सरोवर अथवा केवल पवित्र जल से स्नान के उपरांत विधिवत शिव-पार्वती का पूजन आवश्यक है।
3. तत्पश्चात सूर्य देव को अर्ध्य प्रदान करे।
4. तत्पश्चात पीपल वृक्ष तथा तुलसा जी को श्रद्धापूर्वक जल से सींच कर ज्योत जलाकर पूजा करनी चाहिये। (पीपल के वृक्ष में त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास माना जाता है।)
5. पूजा के बाद प्रत्येक वर्ष हरियाली अमावस्या पर कम से कम एक अथवा सामर्थ्यनुसार अधिक संख्या मे वृक्षारोपण अवश्य करना चाहिए।
हरियाली अमावस्या के दिन विशेष तौर पर पीपल, बरगद, आम, आंवला, बेलपत्र, शमी, गूलर, पाकड, रात की रानी और नीम के वृक्षों का रोपण करना चाहिए।
गेहूं, ज्वार, चना,मक्का, बाजरा की इस दिन प्रतीक के रूप में कुछ भाग पर बुवाई करना चाहिए।
वेद ग्रंथों के अनुसार इस दिन आरोग्य प्राप्ति के लिए नीम का वृक्ष, सुख की प्राप्ति लिए तुलसी का पौधा, संतान प्राप्ति के लिए केले का वृक्ष और धन सम्पदा के लिए आंवले का पौधा ही लगाना शुभ होता है।
6. दर्श अमावस्या:- सावन की हरियाली अमावस्या को दर्श अमावस्या भी कहा जाता है, दर्श अमावस्या के खास दिन का व्रत रखने और चंद्रमा की पूजा करने से चंद्र देवता अपनी कृपा बरसाते हैं और सौभाग्य व समृद्धि का आर्शीवाद देते हैं। चंद्र देव भावनाओं और दिव्य अनुग्रह के स्वामी हैं।
हरियाली अमावस्या के दिन सूरज ढलने के बाद खीर बनाएं और उसका भोग चंद्रदेव को लगाकर स्वयं ग्रहण करे।
सूर्यास्त के बाद घर के मुख्य द्वार पर, मंदिर, चौराहे, उपवन तथा जल के किनारे पर सरसों के तेल के दीपक जलाएं।
8. इसे श्राद्ध की अमावस्या भी कहते हैं, क्योंकि इस दिन अपने पूर्वजों को याद किया जाता है और उनके लिए प्रार्थना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन पूर्वज धरती पर आकर अपने परिवार को आर्शीवाद देते हैं।
अतः श्रावण अमावस्या के दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान, तर्पण आदि कर्म करनें के उपरांत जाने-अनजाने में जो गलती हो, उसके लिए पितरों से क्षमा मांगनी चाहिए।
9. इस प्रकार स्नान-पूजन, पितृ तर्पण के उपरांत ब्राह्मण भोजन तथा दक्षिणा करवाकर, तत्पश्चात गरीबों, लाचारो, अपाहिजो को भोजन को भोजन करवाना चाहिए।
10. तदोपरान्त ब्राह्मणों और ज़रूरतमंदों को श्रद्धा-भक्ति के साथ दान करना चाहिए, दान में गाय, स्वर्ण, छाता, वस्त्र, बिस्तर तथा अन्य उपयोगी वस्तुएं अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान करनी चाहिये।
11. सावन मास की दर्श अमावस्या होने के कारण इस दिन पितरो को मोक्ष प्राप्ति के लिए पितृदोष निवारण अनुष्ठान तथा कालसर्पयोग दोष से मुक्ति पाने के लिये कालसर्प योग अनुष्ठान करने का अत्यंत महत्वपूर्ण दिवस है।
*हरियाली अमावस्या की कथा:-*
बहुत समय पहले एक राजा प्रतापी राजा था। उनको एक बेटा और एक बहू थे। एक दिन बहू ने चोरी से मिठाई खा लिया और नाम चूहे का लगा दिया। जिसकी वजह से चूहे को बहुत गुस्सा आ गया। उसने मन ही मन निश्चय किया कि चोर को राजा के सामने लेकर आऊंगा।
एक दिन राजा के यहां कुछ मेहमान आयें हुए थे। सभी मेहमान राजा के कमरे में सोये हुए थे। बदले की आग में जल रहे चूहे ने रानी की साड़ी ले जाकर उस कमरे में रख दिया। जब सुबह मेहमान की आंखें खुली और उन्होंने रानी का कपड़ा देखा तो हैरान रह गए। जब राजा को इस बात का पता चला तो उन्होंने अपनी बहू को महल से निकाल दिया।
रानी रोज शाम में दिया जलाती और ज्वार उगाने का काम करती थी। रोज पूजा करती गुडधानी का प्रसाद बांटती थी। एक दिन राजा उस रास्ते से निकल रहे थे तो उनकी नजर उन दीयों पर पड़ी। राजमहल लौटकर राजा ने सैनिकों को जंगल भेजा और कहा कि देखकर आओ वहां क्या चमत्कारी चीज थी। सैनिक जंगल में उस पीपल के पेड़ के नीचे गए। उन्होंने वहां देखा कि दीये आपस में बात कर रही थी। सभी अपनी-अपनी कहानी बता रही थीं। तभी एक शांत से दीये से सभी ने सवाल किया कि तुम भी अपनी कहानी बताओ। दीये ने बताया वह रानी का दीया है। उसने आगे बताया कि रानी की मिठाई चोरी की वजह से चूहे ने रानी की साड़ी मेहमानों के कमरें में रखा था और बेकसूर रानू को सजा मिल गई।
सैनिकों ने जंगल की सारी बात राजा को बताई। जिसके बाद राजा ने रानी को वापस महल बुलवा लिया। जिसके बाद रानी खुशी-खुशी राजमहल में रहने लगी।
*(क्रमशः)*
*लेख के तीसरे तथा अंतिम भाग मे कल हरियाली अमावस्या के पर्व मे बारह राशियों के अनुसार पर्यावरण की रक्षा हेतु वृक्षारोपण।*
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*आगामी लेख:-*
*1. 5 जुलाई के पंचांग मे "सावन मास"पर धारावाहिक लेख, तत्पश्चात 15 जुलाई के पंचांग से लेख के चौथे भाग, तथा अगले भागो का प्रसारण।*
*2. 12 जुलाई के पंचांग मे "सोमवती अमावस्या" पर लेख।*
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*जय श्री राम*
*कल का पंचांग 🌹🌹🌹*
*वृहस्पतिवार,13.07.2023*
*श्री संवत 2080*
*शक संवत् 1945*
*सूर्य अयन- दक्षिणायन, उत्तर गोल*
*ऋतुः- वर्षा ऋतुः।*
*मास- प्रथम शुद्ध श्रावण मास।*
*पक्ष- कृष्ण पक्ष ।*
*तिथि- एकादशी तिथि 6:24 pm तक*
*चंद्रराशि- चंद्र वृष राशि मे।*
*नक्षत्र- कृतिका ऩक्षत्र 8:52 pm तक*
*योग- शूल योग 8:53 am तक (अशुभ है)*
*करण- बव करण 6:08 am तक*
*सूर्योदय- 5:32 am, सूर्यास्त 7:22 pm*
*अभिजित् नक्षत्र- 11:59 am से 12:54 pm*
*राहुकाल- 2:10 pm से 3:54 pm (शुभ कार्य वर्जित )*
*दिशाशूल- दक्षिण दिशा।*
*जुलाई शुभ दिन:-* 14 (सायं. 7 तक), 19, 21 (दोपहर 12 उपरांत), 22 (सवेरे 9 उपरांत), 23, 24, 25 (दोपहर 3 तक), 26, 28
*जुलाई अशुभ दिन:-* 13, 15, 16, 17, 18, 20, 27, 29, 30, 31.
*यमघण्टक योग:- 13 जुलाई 5:32 am से 13 जुलाई 8:52 pm तक, फिर 16 जून 3:07 pm से 17 जून 5:23 am तक* यह एक अशुभ योग हैं, यह कष्टदायक योग है, इसमे विशेष रूप से शुभ कार्य के लिए की जाने वाली यात्रा तथा बच्चो के शुभ कार्य न करे । परंतु इस कुयोग के साथ ही यदि कोई सर्वार्थ सिद्ध योग जैसा शुभ योग भी हो तो इस योग का दुष्प्रभाव जाता रहता है।
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*आगामी व्रत तथा त्यौहार:-*
13 जुला०- कामिका एकादशी। 14 जुला०- प्रदोष व्रत। 15 जुला०- मासिक शिवरात्रि। 16 जुला०- कर्क संक्रांति (पुण्यकाल 11:30 am तक)। 17 जुला०- श्रावण/सोमवती अमावस्या। 18 जुलाई- श्रवण (अधिक) मलमास आरंभ। 29 जुला०- पद्मिनी एकादशी। 30 जुला०- प्रदोष व्रत।
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*विशेष:- जो व्यक्ति वाराणसी से बाहर अथवा देश से बाहर रहते हो, वह ज्योतिषीय परामर्श हेतु paytm या Bank transfer द्वारा परामर्श फीस अदा करके, फोन द्वारा ज्योतिषीय परामर्श प्राप्त कर सकतें है*
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*आपका दिन मंगलमय हो*. 💐💐💐
*आचार्य मोरध्वज शर्मा श्री काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी उत्तर प्रदेश*
9648023364
9129998000
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