धारावाहिक लेख:- सोमवती अमावस्या, शुद्ध श्रावण अमावस्या, 17.07.2023,भाग-1
अमावस्या तिथि आरंभ- 16 जुलाई 10:08 pm
अमावस्या तिथि समाप्त- 17/18 जुलाई मध्यरात्रि 00:01 am
सनातन धर्म में सोमवती अमावस्या का विशेष महत्व है। यह एक वर्ष में दो से तीन बार पड़ती है। हिन्दु वर्ष (विक्रमी संवत 2080) की यह अंतिम सोमवती अमावस्या, उदया तिथि के अनुसार इस बार शुद्ध श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को 17 जुलाई 2023 सोमवार को पड़ रही है।
सोमवार से युक्त अमावस्या का शास्त्रों में विशेष माहात्म्य कहा गया है। स्कन्द पुराण के अनुसार सोमवार और अमावस्या का योग कभी-कभी होता है। इस दिन भगवान शिव के दर्शन करके पूजन आदि करने का विशेष महत्त्व होता है। विशेषकर सोमेश्वर महादेव की पूजार्चना करने से कोटि (करोड़ों) यज्ञों का फल प्राप्त होता है।
सोमवती अमावस्या को तीर्थ स्थान, जप, पाठ एवं ब्राह्मणों को भोजन, वस्त्र, दक्षिणादि उल्लेखनीय सहित दान करना विशेष पुण्यप्रद माना गया है। पुरुषार्थ चिन्तामणि के अनुसार, यदि अमावस्या सोमवार या मंगलवार अथवा गुरुवार को हो तो उस योग के पर्व को पुष्कर योग कहते हैं। इन योगों का फल सूर्यग्रहणों में किए हुए दान-पुण्य से सौ गुणा अधिक होता है।
स्नानदान आदि पुण्य कर्मों में मंगलवारी अमावस्या भी सोमवती अमावस्या के समान ही मनानी चाहिए। यदि मंगलवारी अमावस्या हो तो गंगा के स्नानमात्र से सहस्र गौओं के दान का फल प्राप्त होता है
सोमवार से युक्त अमावस्या हो तो वह अनन्त फल देने वाली और पितृगणों को दिया हुआ श्राद्ध अक्षय होता है।
अमावस्या के दिन ब्रह्माण्ड मे विशिष्ट प्रकार की तरंगों का निष्कासन होता है, जिससे विशिष्ट प्रकार के कार्यों का निष्पादन सफलतापूर्वक किया जा सकता है, जैसे पितरो की सदगति, पितृदोष निवारण, पिंड़दान, तर्पण, कालसर्प योग निवारण अनुष्ठान, पापो का क्षय करके पुण्य प्राप्त करना, स्नान-दान, जप-अनुष्ठान, सिद्धि प्राप्ति, विवाह में विलम्ब, सन्तान कष्ट आदि बाधाएं एवं कलिष्ट रोगों की शान्ति,मारण, मोह, अभिचारक कर्म तथा धार्मिक एवं आध्यात्मिक क्षेत्र में आत्मशुद्धि, स्नानदान, जप पाठ आदि की दृष्टि से अमावस्या का विशेष महत्व होता है ।
चंद्रमा मन का स्वामी है। यह मनोबल बढ़ाने और पितरों का अनुग्रह प्राप्त कराने में सबसे ज्यादा सहायक होता है। सूर्य की सहस्र किरणों में प्रमुख "अमा नाम की किरण", इस दिन चन्द्रमा में निवास करती है, अतः अमावस्या को इसलिए भी अक्षय फल देने वाली माना जाता है।
महीने मे एक बार जब सूर्य तथा चंद्रमा एक ही राशि में इकट्ठे होते हैं, तब अमावस्या होती है, और वह तिथि सोमवार को हो, तो सोमवती अमावस्या का भी लाभ होता है। सोमवती अमावस्या को किए गए पूजा पाठ, अनुष्ठान विशेष रूप से पितरों के लिए प्रशस्त माने जाते हैं।
हिन्दू धर्म मे श्रावण अमावस्या तथा सोमवती अमावस्या के दिन किए गए पवित्र नदी मे स्नान अर्थात तीर्थ मे स्नान, भगवान भोलेनाथ की पूजा, दान-पुण्य व पितरों की आत्मा की शांति के लिये किये जाने वाले धार्मिक कर्मों जैसे तर्पण व श्राद्ध आदि पुण्य कर्म करने से सुख-समृद्धि, संपत्ति और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए विशेष फलदायी होती है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार श्रावण अमावस्या पर पवित्र नदियों में देवी-देवताओं का निवास होता है। इसलिए इस दिन गंगा, यमुना, नर्मदा आदि पवित्र नदियों तथा सरोवरो में स्नान का विशेष महत्व माना गया है।
अमावस्या के दिन ब्रह्माण्ड मे विशिष्ट प्रकार की तरंगों का निष्कासन होता है, क्योंकि इस दिन सूर्य तथा चंद्र एक साथ में स्थित रहते हैं, इसलिए यह पर्व विशेष पुण्य देने वाला होता है। जिससे विशिष्ट प्रकार के कार्यों का निष्पादन सफलता पूर्वक किया जा सकता है, जैसे पितरो की सदगति, पितृदोष निवारण, पिंड़दान, तर्पण, कालसर्प योग निवारण अनुष्ठान, पापो का क्षय करके पुण्य प्राप्त, स्नान-दान, जप-अनुष्ठान, सिद्धि प्राप्ति करने हेतू, मारण, मोह, अभिचारक कर्म आदि तंत्र सिद्धि करने का सर्वोत्तम दिन तथा समय होता है।
*श्रावण अमावस्या पर किए जाने वाले कार्य :-*
1. पुराणों के अनुसार अमावस्या के दिन स्नान-दान-पूजन-तर्पण करने की परंपरा है। वैसे तो इस दिन गंगा-स्नान का विशिष्ट महत्व माना गया है, परंतु जो लोग गंगा स्नान करने नहीं जा पाते, वे किसी भी नदी या सरोवर तट आदि में स्नान कर सकते हैं, अथवा स्नान के जल में गंगा जल डालकर स्नान करे।
2. पवित्र नदी,सरोवर अथवा केवल पवित्र जल से स्नान के उपरांत फाल्गुन मास के देवता शिव-पार्वती का पूजन आवश्यक है। इस दिन शिव गौरी की उपासना करने से अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है।
सोमवती अमावस्या के दिन विवाहित स्त्रियां द्वारा पति की लंबी आयु के लिए व्रत भी रखा जाता हैं। इसमे विवाहित स्त्रियां व्रत रखकर पीपल के वृक्ष की दूध, जल, पुष्प, अक्षत, चदंन इत्यादि से पूजा करके, वृक्ष के चारों ओर 108 बार कच्चा सूत का धागा लपेट कर परिक्रमा करती हैं।
3. तत्पश्चात सूर्य देव को अर्ध्य प्रदान करे।
4. तत्पश्चात पीपल वृक्ष तथा तुलसा जी को श्रद्धापूर्वक जल से सींच कर ज्योत जलाकर पूजा करनी चाहिये। (पीपल के वृक्ष में त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास माना जाता है।)
5. अमावस्या को पितृरो का दिन भी कहते हैं, क्योंकि इस दिन अपने पूर्वजों को याद किया जाता है और उनके लिए पिंडदान, तर्पण तथा प्रार्थनाएं की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन पूर्वज धरती पर आकर अपने परिवार को आर्शीवाद देते हैं।
अतः श्रावण अमावस्या के दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान, तर्पण आदि कर्म करनें के उपरांत जाने-अनजाने में जो गलती हो, उसके लिए पितरों से क्षमा मांगनी चाहिए।
6. इस प्रकार यह सब कार्य होने के उपरांत गाय, कुत्ता, कौआ तथा चींटियों को भोजन दे। इस दिन गरीबों को भोजन और कपड़े दान करने से विशेष लाभ मिलता है।
7. संभव हो तो पूजा के बाद प्रत्येक वर्ष श्रावण अमावस्या पर कम से कम एक अथवा सामर्थ्यनुसार अधिक संख्या मे वृक्षारोपण अवश्य करना चाहिए।
8. इस प्रकार स्नान-पूजन, पितृ तर्पण के उपरांत ब्राह्मण भोजन तथा दक्षिणा करवाकर, तत्पश्चात गरीबों, लाचारो, अपाहिजो को भोजन को भोजन करवाना चाहिए।
9. तदोपरान्त ब्राह्मणों और ज़रूरतमंदों को श्रद्धा-भक्ति के साथ दान करना चाहिए, दान में गाय, स्वर्ण, छाता, वस्त्र, बिस्तर तथा अन्य उपयोगी वस्तुएं अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान करनी चाहिये।
10. श्रावण अमावस्या के दिन प्रदोषकाल (सूर्यास्त के उपरांत) में मंदिर, चौराहे, उपवन, नदी-जलस्तोत्र के तट इत्यादि मे दीपदान अवश्य करना चाहिए।
11. श्रावण अमावस्या के दिन सूरज ढलने के बाद खीर बनाएं और उसका भोग चंद्रदेव को लगाकर स्वयं ग्रहण करे।
12. श्रावण अमावस्या होने के कारण इस दिन पितरो को मोक्ष प्राप्ति के लिए पितृदोष निवारण अनुष्ठान तथा कालसर्पयोग दोष से मुक्ति पाने के लिये कालसर्प योग अनुष्ठान करने का अत्यंत महत्वपूर्ण दिवस है।
*अमावस्या को निषेध कार्य:-*
1.अमावस्या को कोई भी शुभ मागंलिक कार्य नहीं करना चाहिए ।
2. अमावस्या पर संयम बरतना चाहिए, अमावस्या को सहवास करने से धन की देवी कुपित होती है, जिससे मनुष्य ऋणी होते है। गरुण पुराण के अनुसार, अमावस्या पर यौन संबंध बनाने से पैदा होने वाली संतान को आजीवन सुख नहीं मिलता है ।
3. अमावस्या के दिन किसी दूसरे का अन्न खाने से एक महीने के साधन-भजन का पुण्य खिलाने वाले व्यक्ति को मिल जाता है l अतः अमावस्या के दिन अपने घर के सिवाय किसी का भी अन्न ग्रहण नही करना चाहिए ।
4. अमावस्या के दिन बाल कटवाना, क्षौर कर्म इत्यादि वर्जित हैं ।
5. अमावस्या पर घर में पितरों की कृपा पाने के लिए घर में कलह-क्लेश बिल्कुल नहीं होना चाहिए । लड़ाई-झगड़े और वाद-विवाद से बचना चाहिए । इस दिन अपशब्द, अनर्गल प्रलाप तथा कड़वे वचन तो बिल्कुल नहीं बोलने चाहिए।
*(क्रमशः)*
*लेख के दूसरे भाग मे कल "हरियाली अमावस्या के विषय मे लेख"।*
__________________________
*आगामी लेख:-*
*1. 5 जुलाई के पंचांग मे "सावन मास"पर धारावाहिक लेख, तत्पश्चात 15 जुलाई के पंचांग से लेख के चौथे भाग, तथा अगले भागो का प्रसारण।*
*2. 12 जुलाई के पंचांग मे "सोमवती अमावस्या" पर लेख।*
__________________________
☀️
*जय श्री राम*
*कल का पंचांग 🌹🌹🌹*
*बुधवार,12.07.2023*
*श्री संवत 2080*
*शक संवत् 1945*
*सूर्य अयन- दक्षिणायन, उत्तर गोल*
*ऋतुः- वर्षा ऋतुः।*
*मास- प्रथम शुद्ध श्रावण मास।*
*पक्ष- कृष्ण पक्ष ।*
*तिथि- दशमी तिथि 5:59 pm तक*
*चंद्रराशि- चंद्र मेष राशि मे 13 जुलाई 1:58 am तक तदोपरान्त वृष राशि।*
*नक्षत्र- भरणी ऩक्षत्र 7:43 pm तक*
*योग- धृति योग 9:40 am तक (अशुभ है)*
*करण- वणिज करण 5:57 am तक*
*सूर्योदय- 5:31 am, सूर्यास्त 7:22 pm*
*अभिजित् नक्षत्र- कोई नही*
*राहुकाल- 12:27 pm से 2:10 pm (शुभ कार्य वर्जित )*
*दिशाशूल- उत्तर दिशा।*
*जुलाई शुभ दिन:-* 14 (सायं. 7 तक), 19, 21 (दोपहर 12 उपरांत), 22 (सवेरे 9 उपरांत), 23, 24, 25 (दोपहर 3 तक), 26, 28
*जुलाई अशुभ दिन:-* 12, 13, 15, 16, 17, 18, 20, 27, 29, 30, 31.
*भद्रा:-* 12 जुलाई 6:03 am से 12 जुलाई 6 pm तक (भद्रा मे मुण्डन, गृहारंभ, गृहप्रवेश, विवाह, रक्षाबंधन आदि शुभ काम नही करने चाहिये , लेकिन भद्रा मे स्त्री प्रसंग, यज्ञ, तीर्थस्नान, आपरेशन, मुकद्दमा, आग लगाना, काटना, जानवर संबंधी काम किए जा सकतें है)
_________________________
*आगामी व्रत तथा त्यौहार:-*
13 जुला०- कामिका एकादशी। 14 जुला०- प्रदोष व्रत। 15 जुला०- मासिक शिवरात्रि। 16 जुला०- कर्क संक्रांति (पुण्यकाल 11:30 am तक)। 17 जुला०- श्रावण/सोमवती अमावस्या। 18 जुलाई- श्रवण (अधिक) मलमास आरंभ। 29 जुला०- पद्मिनी एकादशी। 30 जुला०- प्रदोष व्रत।
______________________
*विशेष:- जो व्यक्ति वाराणसी से बाहर अथवा देश से बाहर रहते हो, वह ज्योतिषीय परामर्श हेतु paytm या Bank transfer द्वारा परामर्श फीस अदा करके, फोन द्वारा ज्योतिषीय परामर्श प्राप्त कर सकतें है*
________________________
*आपका दिन मंगलमय हो*. 💐💐💐
*आचार्य मोरध्वज शर्मा श्री काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी उत्तर प्रदेश*
9648023364
9129998000
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें