12 जुलाई 2023

कामिका एकादशी, 13.07.2023


लेख:-कामिका एकादशी, 13.07.2023
एकादशी प्रारम्भ:- 12.07.2023, 5:59 pm
एकादशी समाप्त:- 13.07.2023, 6:24 pm
एकादशी पारण मुहूर्त:- 14.07.2023, 5:32 am से 08:18 am तक
अवधि:- 2 घण्टे 45 मिनट
पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय:- 7:17 pm
हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में क्रमशः एक-एक एकादशी तिथि आती हुई, एक वर्ष मे कुल चौबीस एकादशी आती हैं।
इसी प्रकार श्रावण कृष्णपक्ष मे आने वाली एकादशी को कामिका एकादशी भी कहा जाता हैं। अंग्रेजी कैलेण्डर के अनुसार कामिका एकादशी जुलाई या अगस्त के महीने में आती है।
उदया तिथि के अनुसार, साल 2023 की कामिका एकादशी का व्रत 13 जुलाई दिन वृहस्पतिवार को रखा जाएगा।
कामिका एकादशी के दिन भगवान विष्णु कि विधि पूर्वक पूजा की जाती है। कामिका एकादशी के उपवास में शंख, चक्र, गदाधारी भगवान विष्णु के दिव्य रूप का पूजन होता है। ऐसा माना जाता है कि जो मनुष्य इस एकादशी को धूप, दीप, नैवेद्य आदि से भगवान विष्णु की पूजा करते हैं, उनके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।
*कामिका एकादशी महत्व:-*
कामिका एकादशी पर भगवान विष्णु का पूजन करना अत्यंत लाभकारी माना गया है। इस व्रत के प्रभाव से सबके बिगड़े काम बनने लगते हैं। इस दिन की गई पूजा-पाठ, व्रत तथा अन्य पुण्य कर्म के प्रभाव से भक्तों के कष्टों के साथ-२ उनके पूर्वजो के कष्टों का भी निवारण होता हैं। कामिका एकादशी के अवसर पर तीर्थ स्थानों पर नदी, कुंड, सरोवर में स्नान करने से अश्वमेघ यज्ञ के समान फल की प्राप्ति होती है।
कामिका एकादशी व्रत की महत्ता के संबंध मे कहते हुए ब्रह्माजी ने नारद को बताया कि, इस एकादशी की कथा सुनने मात्र से ही वाजपेय यज्ञ के बराबर फल की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि कामिका एकादशी व्रत करने से भक्तों की सभी मनोकामनायें पूरी होती है और उसने समस्त पापों का नाश हो जाता है, पूर्वजन्म की बाधाएं, जन्मकुण्डली मे दर्शाये गए अनिष्ट योग तथा दोष दूर हो जाते हैं। इस एकादशी के फल लोक और परलोक दोनों में उत्तम कहे गये हैं। क्योंकि इस व्रत को करने से हजार गौ दान के समान पुण्य प्राप्त होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
*कामिका एकादशी व्रत पूजा विधि:-*
कामिका एकादशी के उपवास की शुरुआत दशमी तिथि की रात्रि से ही हो जाती है। व्रती को दशमी तिथि अर्थात व्रत धारण करने की पूर्व रात्रि से ही तामसिक भोजन का त्याग कर नमक रहित सादा भोजन ग्रहण करना चाहिये। व्रती को जौं, गेहूं और मूंग की दाल से बना भोजन भी ग्रहण नहीं करना चाहिए।
उसी दिन से ही ब्रह्मचर्य का पालन करना आवश्यक है, संभव हो तो जमीन पर ही सोएं।
एकादशी के दिन प्रात:काल उठकर नित्यकर्म से निर्वत होकर स्नानादि के पश्चात व्रत का संकल्प लें।
कामिका एकादशी के दिन भगवान श्री विष्णु के उपेन्द्र स्वरूप की पूजा-आराधना की जाती है।
लकडी की चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर, पूजा मे पीले फूल और यथा संभव पीले रंग की ही पूजन सामग्री का प्रयोग करते हुए भगवान विष्णु की मूर्ति अथवा सुन्दर चित्र स्थापित करे ।
उसी वेदी पर नारियल सहित कुंभ स्थापना करनी चाहिए।
तत्पश्चात भगवान उपेन्द्र की मूर्ति अथवा चित्र को स्नानादि करवाकर पुष्प, धूप, दीप इत्यादि से पंचोपचार अथवा अपनी सामर्थ्यनुसार षोडशोपचार पूजन करे।
कामिका एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा मे तुलसी पत्र का उपयोग अवश्य ही करना चाहिए, भगवान विष्णु की पूजा मे तुलसी पत्र का प्रयोग अत्यंत शुभ माना गया है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन जो मनुष्य तुलसीजी को भक्तिपूर्वक भगवान के श्रीचरण कमलों में अर्पित करता है, उसे मुक्ति मिलती है।
पूजा के दौरान आसन पर बैठकर ।।ऊं नमो भगवते वासुदेवाय।। मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करना चाहिए तदोपरांत व्रत कथा का पठन अथवा श्रवण करना अत्यंत आवश्यक है।
तत्पश्चात भगवान को विनीत भाव से आदर सहित भोग लगाकर भावपूर्वक भगवान जी की आरती उतारें।
कामिका एकादशी का पूजन भक्त अथवा व्रती स्वंय भी कर सकते हैं, तथा किसी विद्वान ब्राह्मण से भी करवा सकते हैं।
कामिका एकादशी के दिन तुलसा जी की पूजा अवश्य करनी चाहिए, ऐसा माना जाता है कि
तुलसीजी के दर्शन मात्र से मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और शरीर के स्पर्श मात्र से मनुष्य पवित्र हो जाता है। तुलसीजी को जल से स्नान कराने से मनुष्य की सभी यम यातनाएं नष्ट हो जाती हैं।
तत्पश्चात अपनी सामर्थ्यनुसार दान कर्म करना भी बहुत कल्याणकारी रहता है।
व्रती को एकादशी की रात्रि में भगवान विष्णु जी (उपेन्द्र) का ध्यान करते हुए रात्रि जागरण भी अवश्य करना चाहिये। इस कामिका एकादशी की रात्रि को जो मनुष्य जागरण करते हैं और दीप-दान करते हैं, उनके पुण्यों को लिखने में चित्रगुप्त भी असमर्थ हैं। एकादशी के दिन तथा रात्रि मे जो मनुष्य भगवान के सामने दीपक जलाते हैं, उनके पितर स्वर्गलोक में अमृत का पान करते हैं।
*कामिका एकादशी व्रत का पारण:-*
एकादशी के व्रत को खोलने को पारण कहते हैं। एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण किया जाता है। एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना आवश्यक है। यदि द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो गयी हो तो एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के बाद ही होता है। द्वादशी तिथि के भीतर पारण न करने से दोष लगता है, अतः एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि के भीतर ही करना अनिवार्य होता है।
एकादशी व्रत का पारण हरि वासर के दौरान भी नहीं करना चाहिए। जो श्रद्धालु व्रत कर रहे हैं उन्हें व्रत तोड़ने से पहले हरि वासर समाप्त होने की प्रतीक्षा करनी चाहिए। हरि वासर द्वादशी तिथि की पहली एक चौथाई अवधि है। व्रत तोड़ने के लिए सबसे उपयुक्त समय प्रातःकाल होता है। व्रत करने वाले श्रद्धालुओं को मध्याह्न के दौरान व्रत तोड़ने से बचना चाहिए। कुछ कारणों की वजह से अगर कोई प्रातःकाल पारण करने में सक्षम नहीं है तो उसे मध्याह्न के बाद पारण करना चाहिए।
कामिका एकादशी व्रत का पारण 13 जुलाई को प्रातः 5:32 am से 08:18 am के मध्य में अवश्य ही करना चाहिए। निश्चित समय मे ब्राह्मणों को भोजन करा कर दक्षिणा देंकर ही व्रती को स्वयं भोजन ग्रहण करने का विधान है। इस प्रकार नियम पूर्वक पारण करने से भक्तों को अक्षुण्ण पुण्य मिलता है।
*कामिका एकादशी व्रत कथा:-*
धर्मराज युधिष्ठिर ने पूछा हे भगवन, श्रावण मास की कृष्ण एकादशी का क्या नाम है, कृपया उसका वर्णन कीजिये।
श्रीकृष्ण भगवान कहने लगे कि हे युधिष्ठिर! इस एकादशी की कथा एक समय स्वयं ब्रह्माजी ने देवर्षि नारद से कही थी, वही मैं तुमसे कहता हूँ। नारदजी ने ब्रह्माजी से पूछा था कि हे पितामह! श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी की कथा सुनने की मेरी इच्छा है, उसका क्या नाम है? क्या विधि है और उसका माहात्म्य क्या है, सो कृपा करके कहिए।
नारदजी के ये वचन सुनकर ब्रह्माजी ने कहा- हे नारद! लोकों के हित के लिए तुमने बहुत सुंदर प्रश्न किया है। श्रावण मास की कृष्ण एकादशी का नाम कामिका है। उसके सुनने मात्र से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है। इस दिन शंख, चक्र, गदाधारी विष्णु भगवान का पूजन होता है, जिनके नाम श्रीधर, हरि, विष्णु, माधव, मधुसूदन हैं। उनकी पूजा करने से जो फल मिलता है सो सुनो।
जो फल गंगा, काशी, नैमिषारण्य और पुष्कर स्नान से मिलता है, वह विष्णु भगवान के पूजन से मिलता है। जो फल सूर्य व चंद्र ग्रहण पर कुरुक्षेत्र और काशी में स्नान करने से, समुद्र, वन सहित पृथ्वी दान करने से, सिंह राशि के बृहस्पति में गोदावरी और गंडकी नदी में स्नान से भी प्राप्त नहीं होता वह भगवान विष्णु के पूजन से मिलता है।
जो मनुष्य श्रावण में भगवान का पूजन करते हैं, उनसे देवता, गंधर्व और सूर्य आदि सब पूजित
हो जाते हैं। अतः पापों से डरने वाले मनुष्यों को कामिका एकादशी का व्रत और भगवान का पूजन अवश्य करना चाहिए। पापरूपी कीचड़ में फँसे हुए और संसार रूपी समुद्र में डूबे मनुष्यों के लिए इस एकादशी का व्रत और भगवान का पूजन अत्यंत आवश्यक है। इससे बढ़कर पापों के नाशों का कोई उपाय नहीं है।
हे नारद! स्वयं भगवान ने कहा है कि कामिका व्रत से जीव कुयोनि को प्राप्त नहीं होता। जो मनुष्य एकादशी के दिन भक्तिपूर्वक तुलसी दल भगवान विष्णु को अर्पण करते हैं, वे इस संसार के समस्त पापों से दूर रहते हैं। भगवान रत्न, मोती, मणि तथा आभूषण आदि से इतने प्रसन्न नहीं होते जितने तुलसी दल से ।
तुलसी दल पूजन का फल चार भार चाँदी और एक भार स्वर्ण के दान के बराबर होता है। हे नारद! मैं स्वयं भगवान की अतिप्रिय तुलसी को सदैव नमस्कार करता हूँ। तुलसी के पौधे को सींचने से मनुष्य की सब यातनाएँ नष्ट हो जाती हैं। दर्शन मात्र से सब पाप नष्ट हो जाते हैं और स्पर्श से पवित्र हो जाता है। मनुष्य कामिका एकादशी की रात्रि को जो लोग भगवान के मंदिर में घी या तेल का दीपक जलाते हैं। उनके पितर स्वर्गलोक में अमृतपान करते हैं तथा वे सौ करोड़ दीपकों से प्रकाशित होकर सूर्यलोक जाते हैं।
ब्रह्माजी कहते हैं कि हे नारद! ब्रह्महत्या तथा भ्रूण हत्या आदि पापों को नष्ट करने वाली इस कामिका एकादशी का व्रत मनुष्य को यत्न के साथ करना चाहिए। कामिका एकादशी के व्रत का माहात्म्य श्रद्धा से सुनने और पढ़ने वाला मनुष्य सभी पापों से मुक्त होकर विष्णु लोक को जाता है।
*(समाप्त)*
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*आगामी लेख:-*
*1. 5 जुलाई के पंचांग मे "सावन मास"पर धारावाहिक लेख, तत्पश्चात 15 जुलाई के पंचांग से लेख के चौथे भाग, तथा अगले भागो का प्रसारण।*
*2. 10 जुलाई के पंचांग मे "कामिका एकादशी" पर लेख।*
*3. 11 जुलाई के पंचांग मे "कर्क सक्रांति" पर लेख।*
*4. 12 जुलाई के पंचांग मे "सोमवती अमावस्या" पर लेख।*
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☀️
*जय श्री राम*
*कल का पंचांग 🌹🌹🌹*
*सोमवार,10.07.2023*
*श्री संवत 2080*
*शक संवत् 1945*
*सूर्य अयन- दक्षिणायन, उत्तर गोल*
*ऋतुः- वर्षा ऋतुः।*
*मास- प्रथम शुद्ध श्रावण मास।*
*पक्ष- कृष्ण पक्ष ।*
*तिथि- अष्टमी तिथि 6:43 pm तक*
*चंद्रराशि- चंद्र मीन राशि मे 6:59 pm तक तदोपरान्त मेष राशि।*
*नक्षत्र- रेवती ऩक्षत्र 6:59 pm तक*
*योग- अतिगण्ड योग 12:34 pm तक (अशुभ है)*
*करण- बालव करण 7:17 am तक*
*सूर्योदय- 5:30 am, सूर्यास्त 7:22 pm*
*अभिजित् नक्षत्र- 11:59 am से 12:54 pm*
*राहुकाल- 7:14 am से 8:58 am (शुभ कार्य वर्जित )*
*दिशाशूल- पूर्व दिशा।*
*जुलाई शुभ दिन:-* 19, 11, 14 (सायं. 7 तक), 19, 21 (दोपहर 12 उपरांत), 22 (सवेरे 9 उपरांत), 23, 24, 25 (दोपहर 3 तक), 26, 28
*जुलाई अशुभ दिन:-* 12, 13, 15, 16, 17, 18, 20, 27, 29, 30, 31.
*पंचक प्रारंभ:- 6 जुलाई 1:39 pm से 10 जुलाई 6:59 pm तक* पंचक नक्षत्रों मे निम्नलिखित काम नही करने चाहिए, 1.छत बनाना या स्तंभ बनाना (lantern or Pillar) 2.लकडी या तिनके तोड़ना , 3.चूल्हा लेना या बनाना, 4. दाह संस्कार करना (cremation) 5.पंलग चारपाई, खाट , चटाई बुनना या बनाना 6.बैठक का सोफा या गद्दियाँ बनाना । 7 लकड़ी ,तांबा ,पीतल को जमा करना ।(इन कामो के सिवा अन्य सभी शुभ काम पंचको मे किए जा सकते है।
*गण्ड मूल आरम्भ:- 9 जुलाई रेवती नक्षत्र, 7:30 pm से 11 जुलाई को अश्विनी नक्षत्र 7:05 pm तक गंडमूल रहेगें।* गंडमूल नक्षत्रों मे जन्म लेने वाले बच्चो का मूलशांति पूजन आवश्यक है।
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*आगामी व्रत तथा त्यौहार:-*
10 जुलाई- श्रावण सोमवार व्रत प्रारम्भ। 13 जुला०- कामिका एकादशी। 14 जुला०- प्रदोष व्रत। 15 जुला०- मासिक शिवरात्रि। 16 जुला०- कर्क संक्रांति (पुण्यकाल 11:30 am तक)। 17 जुला०- श्रावण/सोमवती अमावस्या। 18 जुलाई- श्रवण (अधिक) मलमास आरंभ। 29 जुला०- पद्मिनी एकादशी। 30 जुला०- प्रदोष व्रत।
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*विशेष:- जो व्यक्ति वाराणसी से बाहर अथवा देश से बाहर रहते हो, वह ज्योतिषीय परामर्श हेतु paytm या Bank transfer द्वारा परामर्श फीस अदा करके, फोन द्वारा ज्योतिषीय परामर्श प्राप्त कर सकतें है*
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*आपका दिन मंगलमय हो*. 💐💐💐
*आचार्य मोरध्वज शर्मा श्री काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी उत्तर प्रदेश*
9648023364
9129998000


 

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