02 मार्च 2022

लेख:- फाल्गुन अमावस्या, 2.03.2022 Article:- Falgun Amavasya, 2.03.2022


लेख:- फाल्गुन अमावस्या, 2.03.2022

अमावस्या शुरू-2.03.2022, 1:03 am अमावस्या समाप्त-2.03.2022, 11:04 pm
अमावस्या व्रत-2.03.2022
अमावस्या व्रत पारणा-3.03.2022


हिन्दु पंचांग के अनुसार प्रतिवर्ष फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली अमावस्या को फाल्गुन अमावस्या कहते हैं। मान्यता है कि फाल्गुन अमावस्या सुख-समृद्धि, संपत्ति और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए विशेष फलदायी होती है। हिन्दू धर्म मे फाल्गुन अमावस्या के दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा, दान-पुण्य व पितरों की आत्मा की शांति के लिये किये जाने वाले धार्मिक कर्मों (तर्पण व श्राद्ध) के लिए विशेष फलदायी मानी गई है। इस दिन पवित्र नदी और तीर्थ स्थलों पर स्नान का कई गुना फल मिलता है।

धार्मिक मान्यता के अनुसार फाल्गुन अमावस्या पर पवित्र नदियों में देवी-देवताओं का निवास होता है। इसलिए इस दिन गंगा, यमुना, नर्मदा आदि पवित्र नदियों तथा सरोवरो में स्नान का विशेष महत्व माना गया है।

अमावस्या के दिन ब्रह्माण्ड मे विशिष्ट प्रकार की तरंगों का निष्कासन होता है, क्योंकि इस दिन सूर्य तथा चंद्र एक सीध में स्थित रहते हैं, इसलिए यह पर्व विशेष पुण्य देने वाला होता है। जिससे विशिष्ट प्रकार के कार्यों का निष्पादन सफलतापूर्वक किया जा सकता है, जैसे पितरो की सदगति, पितृदोष निवारण, पिंड़दान, तर्पण, कालसर्प योग निवारण अनुष्ठान, पापो का क्षय करके पुण्य प्राप्त, स्नान-दान, जप-अनुष्ठान, सिद्धि प्राप्ति करने हेतू, मारण, मोह, अभिचारक कर्म आदि तंत्र सिद्धि करने का सर्वोत्तम दिन तथा समय होता है।

वर्ष 2022 फाल्गुन अमावस्या पर शिव और सिद्ध योग का शुभ संयोग बन रहा है। शिव योग 2 मार्च को 8:21 am तक रहेगा, तत्पश्चात सिद्ध शुरू होकर 3 मार्च 5:43 am तक रहेगा। इन दोनों शुभ योगों में किए गए व्रत और पूजा का भक्तों को विशिष्ट फल प्राप्त होगा।

फाल्गुन अमावस्या पर किए जाने वाले कार्य :-
1. पुराणों के अनुसार अमावस्या के दिन स्नान-दान-पूजन-तर्पण करने की परंपरा है। वैसे तो इस दिन गंगा-स्नान का विशिष्ट महत्व माना गया है, परंतु जो लोग गंगा स्नान करने नहीं जा पाते, वे किसी भी नदी या सरोवर तट आदि में स्नान कर सकते हैं, अथवा स्नान के जल में गंगा जल डालकर स्नान करे।

2. पवित्र नदी,सरोवर अथवा केवल पवित्र जल से स्नान के उपरांत विधिवत पौष यानि फाल्गुन मास के देवता शिव-पार्वती का पूजन आवश्यक है। 

3. तत्पश्चात सूर्य देव को अर्ध्य प्रदान करे।

4. तत्पश्चात पीपल वृक्ष तथा तुलसा जी को श्रद्धापूर्वक जल से सींच कर ज्योत जलाकर पूजा करनी चाहिये। (पीपल के वृक्ष में त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास माना जाता है।) 

5. अमावस्या को पितृरो का दिन भी कहते हैं, क्योंकि इस दिन अपने पूर्वजों को याद किया जाता है और उनके लिए पिंडदान, तर्पण तथा प्रार्थनाएं की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन पूर्वज धरती पर आकर अपने परिवार को आर्शीवाद देते हैं।

अतः फाल्गुन अमावस्या के दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान, तर्पण आदि कर्म करनें के उपरांत जाने-अनजाने में जो गलती हो, उसके लिए पितरों से क्षमा मांगनी चाहिए।

6. इस प्रकार यह सब कार्य होने के उपरांत गाय, कुत्ता, कौआ तथा चींटियों को भोजन दे। इस दिन गरीबों को भोजन और कपड़े दान करने से विशेष लाभ मिलता है। 

7. संभव हो तो पूजा के बाद प्रत्येक वर्ष फाल्गुन अमावस्या पर कम से कम एक अथवा सामर्थ्यनुसार अधिक संख्या मे वृक्षारोपण अवश्य करना चाहिए।

8. इस प्रकार स्नान-पूजन, पितृ तर्पण के उपरांत ब्राह्मण भोजन तथा दक्षिणा करवाकर, तत्पश्चात गरीबों, लाचारो, अपाहिजो को भोजन को भोजन करवाना चाहिए।

9. तदोपरान्त ब्राह्मणों और ज़रूरतमंदों को  श्रद्धा-भक्ति के साथ दान करना चाहिए, दान में गाय, स्वर्ण, छाता, वस्त्र, बिस्तर तथा अन्य उपयोगी वस्तुएं अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान करनी चाहिये।

10. फाल्गुन अमावस्या के दिन प्रदोषकाल (सूर्यास्त के उपरांत) में मंदिर, चौराहे, उपवन, नदी-जलस्तोत्र के तट इत्यादि मे दीपदान अवश्य करना चाहिए।
 
11. फाल्गुन अमावस्या के दिन सूरज ढलने के बाद खीर बनाएं और उसका भोग चंद्रदेव को लगाकर स्वयं ग्रहण करे।

12. फाल्गुन अमावस्या होने के कारण इस दिन पितरो को मोक्ष प्राप्ति के लिए पितृदोष निवारण अनुष्ठान तथा कालसर्पयोग दोष से मुक्ति पाने के लिये कालसर्प योग अनुष्ठान करने का अत्यंत महत्वपूर्ण दिवस है।


अमावस्या को निषेध कार्य:-
1.अमावस्या को कोई भी शुभ मागंलिक कार्य नहीं करना चाहिए ।          

2. अमावस्या पर संयम बरतना चाहिए, अमावस्या को सहवास करने से धन की देवी कुपित होती है, जिससे मनुष्य ऋणी होते है। गरुण पुराण के अनुसार, अमावस्या पर यौन संबंध बनाने से पैदा होने वाली संतान को आजीवन सुख नहीं मिलता है ।

3. अमावस्या के दिन किसी दूसरे का अन्न खाने से एक महीने के साधन-भजन का पुण्य खिलाने वाले व्यक्ति को मिल जाता है l अतः अमावस्या के दिन अपने घर के सिवाय किसी का भी अन्न ग्रहण नही करना चाहिए ।

4. अमावस्या के दिन बाल कटवाना, क्षौर कर्म इत्यादि वर्जित हैं ।

5. अमावस्या पर घर में पितरों की कृपा पाने के लिए घर में कलह-क्लेश बिल्कुल नहीं होना चाहिए । लड़ाई-झगड़े और वाद-विवाद से बचना चाहिए । इस दिन अपशब्द, अनर्गल प्रलाप तथा कड़वे वचन तो बिल्कुल नहीं बोलने चाहिए।

(समाप्त)
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आगामी लेख
1. कल 3 मार्च से "वास्तु" विषय पर धारावाहिक लेख प्रारम्भ
2. शीघ्र ही "होलाष्टक, होलिका दहन तथा धुलैण्डी" पर धारावाहिक लेख प्रारम्भ।
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जय श्री राम
आज का पंचांग,दिल्ली 🌹🌹🌹
बुधवार,2.3.2022
श्री संवत 2078
शक संवत् 1943
सूर्य अयन- उतरायण, गोल-दक्षिण गोल
ऋतुः- शिशिर-वसन्त ऋतुः ।
मास- फाल्गुन मास।
पक्ष- कृष्ण पक्ष ।
तिथि- अमावस्या तिथि 11:07 pm तक
चंद्रराशि- चंद्र कुंभ राशि मे।
नक्षत्र- शतभिषा नक्षत्र अगले दिन 2:38 am तक
योग- शिव योग 8:19 am तक (शुभ है)
करण- चतुष्पद करण 12:02 pm तक 
सूर्योदय 6:45 am, सूर्यास्त 6:21 pm
अभिजित् नक्षत्र- कोई नहीं
राहुकाल - 12:33 pm से 2 pm (शुभ कार्य वर्जित,दिल्ली )
दिशाशूल- उत्तर दिशा ।

मार्च शुभ दिन:-  3, 4, 5, 6 (सवेरे 9 तक), 7, 19, 20, 21 (सवेरे 8 उपरांत), 23 (सायं. 7 तक), 25, 26, 27 (सवेरे 7 तक), 28, 29 (दोपहर 3 तक)
मार्च अशुभ दिन:- 1, 2, 8, 9, 10, 11, 12, 13, 14, 15, 16, 17, 18, 22, 24, 30, 31

पंचक प्रारंभ:- 1 मार्च को 4:31 pm से 6 मार्च 2:29 am तक  पंचक नक्षत्रों  मे निम्नलिखित काम नही करने चाहिए, 1.छत बनाना या स्तंभ बनाना( lantern  or Pillar ) 2.लकडी  या  तिनके तोड़ना , 3.चूल्हा लेना या बनाना, 4. दाह संस्कार करना (cremation) 5.पंलग चारपाई, खाट , चटाई  बुनना  या बनाना 6.बैठक का सोफा या गद्दियाँ बनाना । 7 लकड़ी ,तांबा ,पीतल को जमा करना ।(इन कामो के सिवा अन्य सभी शुभ  काम पंचको मे किए जा सकते है।

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आगामी व्रत तथा त्यौहार:-
2 मार्च- फाल्गुन अमावस्या।10 मार्च- होलाष्टक प्रांरभ। 14 मार्च- आमलकी एकादशी/मीन संक्रांति (पुण्यकाल 15 मार्च मध्याह्न काल तक) 15 मार्च- प्रदोष व्रत (शुक्ल) 17 मार्च- होलिका दहन। 18 मार्च- होली/फाल्गुन पूर्णिमा व्रत। 21 मार्च- संकष्टी चतुर्थी। 22 मार्च- श्रीरंग पंचमी। 25 मार्च- शीतलाष्टमी व्रत। 28 मार्च- पापमोचिनी एकादशी। 29 मार्च- मंगल प्रदोष व्रत (कृष्ण)। 30 मार्च- मासिक शिवरात्रि।
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आपका दिन मंगलमय हो . 💐💐💐
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English Translation :-

Article:- Falgun Amavasya, 2.03.2022


 Amavasya Begins - 2.03.2022, 1:03 am Amavasya Ends - 2.03.2022, 11:04 pm

 Amavasya Vrat-2.03.2022

 Amavasya Vrat Parana-3.03.2022



 According to the Hindu calendar, the Amavasya that falls every year in the Krishna Paksha of the month of Falgun is called Falgun Amavasya.  It is believed that Falgun Amavasya is particularly fruitful for attainment of happiness, prosperity, wealth and good fortune.  In Hindu religion, worship of Lord Bholenath on the day of Falgun Amavasya is considered to be particularly fruitful for religious deeds (tarpan and shraadh) performed for charity and peace of the souls of ancestors.  On this day, bathing in the holy river and pilgrimage sites gives manifold results.


 According to religious belief, on Falgun Amavasya, the holy rivers reside in the holy rivers.  Therefore, bathing in holy rivers and lakes like Ganga, Yamuna, Narmada etc. is considered of special importance on this day.


 On the day of Amavasya, specific types of waves are expelled in the universe, because on this day the Sun and the Moon are situated in a straight line, so this festival is of special merit.  By which specific types of tasks can be performed successfully, such as salvation of ancestors, prevention of Pitradosh, Pind Daan, tarpan, Kaal Sarp Yoga Nivaran ritual, attainment of virtue by eradicating sins, bath-donation, chanting-ritual, for attainment of accomplishment,  Maran, Moha, Acharak Karma etc. are the best days and times to accomplish Tantra.


 In the year 2022, an auspicious combination of Shiva and Siddha Yoga is being made on Falgun Amavasya.  Shiva Yoga will remain on 2nd March till 8:21 am, after that Siddha will start till 5:43 am on 3rd March.  The devotees will get specific results of fasting and worship performed in both these auspicious yogas.


 Things to be done on Falgun Amavasya :-

 1. According to the Puranas, there is a tradition of bathing-donating-worship-tarpan on the new moon day.  Although bathing in the Ganges is considered to be of special importance on this day, but those who cannot go to bathe in the Ganges, they can take a bath in any river or lake, or bathe by adding Ganga water to the bathing water.


 2. After bathing with holy river, lake or only holy water, worship of Shiva-Parvati, the deity of Paush i.e. Falgun month, is necessary.


 3. After that offer Ardhya to the Sun God.


 4. After that the Peepal tree and Tulsa ji should be worshiped by lighting a lamp by irrigating it with water with devotion.  (Peepal tree is believed to be the abode of Tridev Brahma, Vishnu and Mahesh.)


 5. Amavasya is also called the day of the ancestors, because on this day their ancestors are remembered and for them Pind Daan, Tarpan and prayers are offered.  It is believed that on this day ancestors come to earth and bless their families.


 Therefore, for the peace of the souls of the ancestors on the day of Falgun Amavasya, one should ask for forgiveness from the ancestors for the mistakes that may be committed, knowingly or unknowingly, after performing Pind Daan, Tarpan etc.


 6. In this way, after all this work, give food to the cow, dog, crow and ants.  Donating food and clothes to the poor on this day gives special benefits.


 7. If possible, at least one or more number of trees should be planted every year on Falgun Amavasya after worship.


 8. In this way, after bathing-worship, Pitru Tarpan, Brahmin food and dakshina, then the poor, helpless, handicapped should be fed food.


 9. After that, one should donate to Brahmins and the needy with devotion and devotion, cow, gold, umbrella, clothes, bedding and other useful things should be donated according to one's ability.


 10. On the day of Falgun Amavasya, during Pradosh Kaal (after sunset), one must donate lamps in temples, squares, groves, banks of rivers and water bodies, etc.



 11. Make kheer after sunset on the day of Falgun Amavasya and consume it by offering it to the moon god.


 12. Due to being Falgun Amavasya, this day is a very important day to perform Pitru Dosh Nivaran rituals for the ancestors to get salvation and to get rid of Kaal Sarpayoga Dosha.



 Prohibition work on Amavasya:-

 No auspicious work should be done on Amavasya.


 2. One should exercise restraint on Amavasya, cohabiting on Amavasya enraged the goddess of wealth, due to which human beings are indebted.  According to Garuna Purana, the child born by having sex on Amavasya does not get happiness for life.


 3. By eating someone else's food on the new moon day, the person who feeds the merit of one month's means and hymns gets it. Therefore, on the day of Amavasya one should not take food from anyone except one's own home.


 4. Hair cut, Kshaur Karma etc. are prohibited on the new moon day.


 5. To get the blessings of ancestors in the house on Amavasya, there should be no discord in the house.  Fights and arguments should be avoided.  On this day abusive words, unrestrained delirium and bitter words should not be spoken at all.


 (End)


 upcoming articles

 1. Serial article on the topic "Vastu" starts from tomorrow 3rd March

 2. Serial articles on "Holashtak, Holika Dahan and Dhulandi" will start soon.


 Long live Rama

 Today's Panchang, Delhi

 Wednesday,2.3.2022

 Shree Samvat 2078

 Shaka Samvat 1943

 Surya Ayan- Uttarayan, Round-South Round

 Rituah - Shishir - spring season.

 Month - Falgun month.

 Paksha - Krishna Paksha.

 Date - Amavasya date till 11:07 pm

 Moon Sign - Moon in Aquarius.

 Nakshatra - Shatabhisha Nakshatra till 2:38 am the next day

 Yoga- Shiva Yoga till 8:19 am (auspicious)

 Karan - Chatushpad Karan till 12:02 pm

 Sunrise 6:45 am, Sunset 6:21 pm

 Abhijit Nakshatra - none

 Rahukaal - 12:33 pm to 2 pm (Good work prohibited, Delhi)

 Direction – North direction.


 March Lucky Days:- 3, 4, 5, 6 (till 9 am), 7, 19, 20, 21 (after 8 am), 23 (till 7 pm), 25, 26, 27 (till 7 am),  28, 29 (till 3 pm)

 March inauspicious days:- 1, 2, 8, 9, 10, 11, 12, 13, 14, 15, 16, 17, 18, 22, 24, 30, 31


 Panchak Start:- On March 1st from 4:31 pm to March 6th 2:29 am, the following things should not be done in Panchak Nakshatras, 1. Making a roof or making a pillar (lantern or pillar) 2. Breaking wood or straws, 3. Hearth  Taking or making, 4. Cremation 5. Bed bed, cot, mat, knit or make 6. Making sofa or mattress for the meeting.  7 To deposit wood, copper, brass. (Apart from these works all other auspicious work can be done in Panchko.


 Upcoming fasts and festivals:-

 March 2 - Falgun Amavasya. March 10 - Holashtak begins.  March 14- Amalaki Ekadashi / Meen Sankranti (Punyakaal till March 15 midday) March 15- Pradosh fast (Shukla) March 17- Holika Dahan.  March 18- Holi/Falgun Purnima Vrat.  March 21 - Sankashti Chaturthi.  March 22- Shrirang Panchami.  March 25 - Sheetlashtami fasting.  March 28 - Papmochini Ekadashi.  March 29- Mangal Pradosh Vrat (Krishna).  March 30 - Monthly Shivratri.


 Special:- The person who lives outside Varanasi or outside the country, he can get astrological consultation by phone, by paying the consultation fee through Paytm or Bank transfer for astrological consultation.

 Have a good day . 

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