धारावाहिक लेख:- वास्तुशास्त्र, भाग-2
भूखण्ड का चयन तथा सावधानियां:-
भूखंड का सही चुनाव किसी भी भवन के लिए, भूखंड (प्लॉट) पहली आवश्यकता होती है। भूखंड के चयन में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए । भूखंड एक अचल संपत्ति है । जहां निवास अथवा रोजगार करना है, यही दो जरूरते जीवन के दो आधार स्तंभ है, अतः इनके लिए भूखण्ड के चयन मे अतिरिक्त सावधानी बरतना अति आवश्यक है । प्रत्येक भूखंड का अपना एक प्रभाव होता है। यह प्रभाव सकारात्मक और नकारात्मक कुछ भी हो सकता है । भूखण्ड कि सकारात्मकता और नकारात्मकता कुछ बिंदुओं पर निर्भर करती है, जैसे:-
1. भूखण्ड के आकार:-
भूखण्ड लेते समय आयताकार या वर्गाकार को ही महत्त्व देना चाहिए, अर्थात भूखण्ड के आकार तथा वस्तुस्थिति को परख कर ही भूखण्ड लेना चाहिए ।
आयताकार भूखंड:-
जिस भूमि की दोनों भुजाएं और चारों कोण समान हो उसे आयताकार भूखंड कहते हैं। यह हर प्रकार से धनदायक एवं पुष्टि दायक होता है।
वर्गाकार भूखंड:-
जिस भूखंड की चारों भुजाएं और चारों कोण समान हो उसे वर्गाकार भूखंड कहते हैं। यह भूखंड भी धनदायक और दरिद्रता को मिटाने वाला होता है।
भूखण्ड का एक दिशा मे बडा होना:-
आयताकार या वर्गाकार प्लॉट उत्तर-पूर्व दिशा में बढ़ा हुआ हो तो भी घर-परिवार के लिए शुभ माना जाता है, यदि दक्षिण-पश्चिम और दक्षिण-पूर्व में बढ़ा हुआ हो तो यह अच्छा नहीं माना जाता।
पूर्व से पश्चिम की ओर लम्बाई वाले भूखण्ड पर बनने वाले मकान सूर्य वेधी होते हैं। इसी प्रकार उत्तर से दक्षिण की लम्बाई वाले चन्द्र वेधी होते हैं। धन वृद्धि के लिए चन्द्र वेधी मकान उपयुक्त होते हैं।
भूखण्ड खरीदते समय यह भी ध्यान रखना चाहिए कि आमने-सामने की भुजाएं बराबर हों।
ऐसी भूमि जो देखने में ढोलक या मृदंग के आकार की हो उसे त्याग देना चाहिए। इस प्रकार का भूखण्ड गृहस्वामी को ढोलक के समान खाली रखती है।
भूखण्ड की चौड़ाई के दूगने से अधिक उसकी गहराई (लम्बाई) नहीं होनी चाहिए।
त्रिभुजाकार (त्रिकोण) भूखण्ड भी किसी प्रकार के निर्माण के लिए उपयुक्त नहीं होते हैं।
2. भूखण्ड की भूमि का शुभाशुभ:-
ढलाव और मिट्टी की गुणवत्ता, भवन निर्माण के लिए चयनित भूमि दोषरहित, चिकनी तथा ठोस मिट्टी से युक्त होनी चाहिए।
मीठे पानी एवं उपजाऊ मिट्टी वाला भूखंड ही भवन निर्माण के लिए सर्वोत्तम होता है।
भूमि ठोस होनी चाहिए। जो भूमि ठोस नहीं वह गृह निर्माण के लिए उपयुक्त नहीं होगी। भूमि की मिट्टी परीक्षण अवश्य करवाना चाहिए।
3. भूखण्ड की स्थिति:-
भूंखड का चयन करने से पहले ये ध्यान रखें कि वह दो प्लॉट के बीच स्थित एक छोटा प्लॉट नहीं होना चाहिए। एेसा होने पर यह आर्थिक समृद्धि पर बुरा प्रभाव डालता है।
प्लॉट के पूर्व, उत्तर और उत्तर पूर्व दिशा में कोई बड़ा या भारी निर्माण न हो, यह ध्यान में अवश्य रखें।
भूखण्ड के उतर-पूर्व में कोई पानी का स्थान, जैसे टंकी, तालाब आदि हो तो शुभ है, लेकिन दक्षिण-पश्चिम दिशा में ये अच्छे नहीं माने गए हैं ।
भूखंड का, शांत और हरे-भरे वातावरण में स्थित होना अतिरिक्त शुभता देता है ।
4. भूखण्ड की ढलान:-
समतल प्लॉट सबसे अच्छा माना गया है। यदि प्लॉट ढलवां हो, तो यह ढलान उत्तर या पूर्व दिशा की और होना चाहिए। (भूखण्ड का ढलान पूर्व की ओर शुभ तथा प्रगतिदाता होता है, और उत्तर की ओर हो तो धन प्रदायक होता है। )
इसके विपरीत दक्षिण या पश्चिम दिशा वाली ढलान पर मकान नहीं बनवाना चाहिए।
दक्षिण–पश्चिम दिशाओं में ऊंचाई अधिक होने वाले भूखण्ड भी ठीक होते हैं।
5. भूखण्ड का मुख:-
भारतीय वास्तुशास्त्र के अनुसार पूर्वामुखी, उत्तर- पूर्वामुखी तथा उत्तरमुखी भूखण्ड, इसी क्रम से शुभ होते है।
नैऋत्य मुखी तथा दक्षिण मुखी भूखण्ड शुभ नही माने जाते, संभव हो, तथा अन्य भूखण्ड चयन के लिए उपलब्ध हो तो उपरोक्त लिखित भूखण्ङो का त्याग कर देना चाहिए, परंतु यदि कोई अन्य विकल्प न हो तो नैऋत्य मुखी तथा दक्षिण मुखी भूखण्ड मे उसके अनुसार ही निर्माण करके, विधिवत वास्तु पूजन करके ही उस भवन में निवास करना उचित होता है।
भवन या भूखण्ड का विभिन्न दिशाओ की ओर मुख होने से यह अलग-अलग व्यक्तियो के लिए, निम्नलिखित प्रकार से शुभ रहता है:-
क. पूर्वमुखी प्लॉट शिक्षा, धर्म और अध्यात्म के कार्यो के लिए शुभ है ।
ख. पश्चिम मुखी प्लॉट निम्नलिखित सेवाएं प्रदान करने वाले व्यक्तियो के लिए शुभ होता है जैसे, इंजीनियर, वकील तथा डाक्टर ।
ग. सरकारी सेवा, पुलिस तथा सेना में कम करने वालों के लिए उत्तर मुखी भूखण्ड अथवा भवन शुभ रहता है।
घ. व्यापारियों और व्यापारिक संस्थानों में कार्य करने के लिए दक्षिण मुखी भूखण्ड शुभ अथवा उत्तम रहता है।
6. भूमि अथवा भूखण्ड के चुनाव के लिए अन्य महत्वपूर्ण नियम:-
गोमुखी भूखण्ड:-
कुछ भूखण्डों का मुँह आगे से संकरा और पीछे ज्यादा चौड़ा होता है, ऐसे भूखण्ड गौ–मुखी कहलाते हैं। इस प्रकार के भूखण्ड निजी आवास के लिए सर्वश्रेष्ठ होते हैं।
सिंहमुखी भूखण्ड:-
भूखण्डों का मुँह आगे की तरफ चौड़ा और पीछे की तरफ संकरा होता है। ऐसे भूखण्ड शेर मुखी या सिंह मुखी कहलाते हैं। ऐसे भूखण्ड व्यापारिक कार्यों अथवा कारखाना लगाने के लिए उपयुक्त होते हैं।
जिस भूमि मे दीमक, सांप की बांबी, हड्डी, बाल, कांच, कंटीले पौधे अथवा वृक्ष हो, अथवा रेतीली और बंजर जमीन हो तो उसका त्याग करना ही उचित है।
भूखण्ड में ज्यादा कंकड़–पत्थर अथवा जंगली पेड़–पौधे भी नहीं होने चाहिए।
बड़े वृक्ष भूखण्ड के दक्षिण एवं पश्चिम में होने चाहिए।
भूखण्ड के ऊपर से किसी भी प्रकार के बिजली के तार आदि नहीं गुजरने चाहिए।
गोल भूखण्ड किसी भी प्रकार के निर्माण के लिए उपयुक्त नहीं होते हैं।
(क्रमशः)
लेख के तीसरे भाग में कल "मुख्यद्वार" पर लेख।
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आगामी लेख
1. 3 मार्च से "वास्तु" विषय पर धारावाहिक लेख
2. शीघ्र ही "होलाष्टक, होलिका दहन तथा धुलैण्डी" पर धारावाहिक लेख प्रारम्भ।
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जय श्री राम
आज का पंचांग,दिल्ली 🌹🌹🌹
शुक्रवार,4.3.2022
श्री संवत 2078
शक संवत् 1943
सूर्य अयन- उतरायण, गोल-दक्षिण गोल
ऋतुः- वसन्त ऋतुः ।
मास- फाल्गुन मास।
पक्ष- शुक्ल पक्ष ।
तिथि- द्वितीय तिथि 8:47 pm तक
चंद्रराशि- चंद्र मीन राशि मे।
नक्षत्र- उ०भाद्रपद नक्षत्र अगले दिन 1:52 am तक
योग- शुभ योग अगले दिन 1:44 am तक (शुभ है)
करण- बालव करण 9:08 am तक
सूर्योदय 6:43 am, सूर्यास्त 6:22 pm
अभिजित् नक्षत्र- 12:09 pm से 12:56 pm
राहुकाल - 11:05 am से 12:33 pm (शुभ कार्य वर्जित,दिल्ली )
दिशाशूल- पश्चिम दिशा ।
मार्च शुभ दिन:- 5, 6 (सवेरे 9 तक), 7, 19, 20, 21 (सवेरे 8 उपरांत), 23 (सायं. 7 तक), 25, 26, 27 (सवेरे 7 तक), 28, 29 (दोपहर 3 तक)
मार्च अशुभ दिन:- 8, 9, 10, 11, 12, 13, 14, 15, 16, 17, 18, 22, 24, 30, 31
पंचक प्रारंभ:- 1 मार्च को 4:31 pm से 6 मार्च 2:29 am तक पंचक नक्षत्रों मे निम्नलिखित काम नही करने चाहिए, 1.छत बनाना या स्तंभ बनाना( lantern or Pillar ) 2.लकडी या तिनके तोड़ना , 3.चूल्हा लेना या बनाना, 4. दाह संस्कार करना (cremation) 5.पंलग चारपाई, खाट , चटाई बुनना या बनाना 6.बैठक का सोफा या गद्दियाँ बनाना । 7 लकड़ी ,तांबा ,पीतल को जमा करना ।(इन कामो के सिवा अन्य सभी शुभ काम पंचको मे किए जा सकते है।
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आगामी व्रत तथा त्यौहार:-
10 मार्च- होलाष्टक प्रांरभ। 14 मार्च- आमलकी एकादशी/मीन संक्रांति (पुण्यकाल 15 मार्च मध्याह्न काल तक) 15 मार्च- प्रदोष व्रत (शुक्ल) 17 मार्च- होलिका दहन। 18 मार्च- होली/फाल्गुन पूर्णिमा व्रत। 21 मार्च- संकष्टी चतुर्थी। 22 मार्च- श्रीरंग पंचमी। 25 मार्च- शीतलाष्टमी व्रत। 28 मार्च- पापमोचिनी एकादशी। 29 मार्च- मंगल प्रदोष व्रत (कृष्ण)। 30 मार्च- मासिक शिवरात्रि।
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विशेष:- जो व्यक्ति वाराणसी से बाहर अथवा देश से बाहर रहते हो, वह ज्योतिषीय परामर्श हेतु Paytm या Bank transfer द्वारा परामर्श फीस अदा करके, फोन द्वारा ज्योतिषीय परामर्श प्राप्त कर सकतें है
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आपका दिन मंगलमय हो . 💐💐💐
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English Translation :-
Serial Article:- Vastu Shastra, Part-2
Plot selection and precautions:-
Correct Selection of Plot For any building, the first requirement is a plot. Special care should be taken in the selection of plot. The plot is an immovable property. Where residence or employment is to be done, these two needs are the two pillars of life, so it is very important to take extra care in the selection of the plot for them. Each plot has its own effect. This effect can be either positive or negative. The positivity and negativity of the plot depends on certain points, such as:-
1. Size of the plot:-
While taking a plot, importance should be given to rectangular or square, that is, after examining the size and location of the plot, the plot should be taken.
Rectangular Plot:-
The land in which both the sides and all the four angles are equal is called rectangular plot. It is beneficial and affirming in every way.
Square Plot:-
A plot in which all the four sides and four angles are equal is called a square plot. This plot is also beneficial and eradicating poverty.
Enlargement of plot in one direction:-
Even if a rectangular or square plot is extended in the north-east direction, it is considered auspicious for the family, if it is increased in the south-west and south-east then it is not considered good.
The houses built on the length of the plot from east to west are sun vedhi. Similarly, the length of the moon from north to south is vedhi. Moon vedhi houses are suitable for wealth growth.
While buying a plot, it should also be kept in mind that the opposite sides are equal.
Such land which is of the size of a drum or a mridang in appearance should be discarded. This type of plot keeps the householder empty like a drummer.
Its depth (length) should not be more than twice the width of the plot.
Triangular (triangle) plots are also not suitable for any type of construction.
2. Inauspicious of the land of the plot:-
Slope and soil quality, the land selected for building construction should be faultless, smooth and consist of solid soil.
The land with fresh water and fertile soil is best for building construction.
The land should be solid. The land which is not solid will not be suitable for house construction. Soil test of the land must be done.
3. Location of the plot:-
Before selecting a plot, keep in mind that it should not be a small plot situated between two plots. When this happens, it has a bad effect on economic prosperity.
Keep in mind that there should not be any big or heavy construction in the east, north and north east direction of the plot.
If there is any water place in the north-east of the plot, such as a tank, pond, etc., it is auspicious, but in the south-west direction, it is not considered good.
The location of the plot in a calm and green environment gives additional auspiciousness.
4. Slope of the plot:-
Flat plot is considered best. If the plot is sloping, then this slope should be in the north or east direction. (The slope of the plot towards the east is auspicious and progressive, and if it is towards the north, then it gives wealth.)
Conversely, a house should not be built on the slope facing south or west.
The plots having high altitude in the south-west directions are also fine.
5. Face of the plot:-
According to Indian Vastu Shastra, east facing, north-east facing and north facing plots are auspicious in this order.
South facing and south facing plots are not considered auspicious, if possible, and other plots are available for selection, then the above mentioned plots should be discarded, but if there is no other option, then in south facing and south facing plots accordingly. It is advisable to reside in that building only after doing construction, duly worshiping Vastu.
As the building or plot is facing different directions, it remains auspicious for different people in the following way:-
A. East facing plot is auspicious for the work of education, religion and spirituality.
B. West facing plot is auspicious for the persons providing the following services such as Engineers, Lawyers and Doctors.
C. North facing plot or building is auspicious for those working in government service, police and army.
D. South facing plot is auspicious or good for working in businessmen and business institutions.
6. Other important rules for the selection of land or plot:-
Gomukhi Plot:-
The mouth of some plots is narrower in front and wider at the back, such plots are called Gau-Mukhi. These types of plots are best for private accommodation.
Lionhead Plot:-
The mouth of the plots is wide at the front and narrow at the back. Such plots are called Sher Mukhi or Lion Mukhi. Such plots are suitable for commercial purposes or for setting up factories.
The land which has termites, snake bambi, bone, hair, glass, thorny plants or trees, or sandy and barren land, then it is advisable to abandon it.
There should not be too many pebbles or wild trees and plants in the plot.
Big trees should be in the south and west of the plot.
No electric wires etc. should pass over the plot.
Round plots are not suitable for any type of construction.
(respectively)
The article on the "Maingate" tomorrow in the third part of the article.
upcoming articles
1. Serial article on the topic "Vastu" from March 3
2. Serial articles on "Holashtak, Holika Dahan and Dhulandi" will start soon.
Long live Rama
Today's Panchang, Delhi
Friday,4.3.2022
Shree Samvat 2078
Shaka Samvat 1943
Surya Ayan- Uttarayan, Round-South Round
Rituah - the spring season.
Month - Falgun month.
Paksha - Shukla Paksha.
Date - 2nd date till 8:47 pm
Moon sign - Moon in Pisces.
Nakshatra- Ubhadrapada Nakshatra till 1:52 am the next day
Yoga - Auspicious yoga till 1:44 am the next day (good luck)
Karan- Balav Karan till 9:08 am
Sunrise 6:43 am, Sunset 6:22 pm
Abhijit Nakshatra - 12:09 pm to 12:56 pm
Rahukaal - 11:05 am to 12:33 pm (Good work prohibited, Delhi)
Dishashul – West direction.
March Lucky Days:- 5, 6 (till 9 am), 7, 19, 20, 21 (after 8 am), 23 (till 7 pm), 25, 26, 27 (till 7 am), 28, 29 ( until 3 pm)
March inauspicious days:- 8, 9, 10, 11, 12, 13, 14, 15, 16, 17, 18, 22, 24, 30, 31
Panchak Start:- On March 1st from 4:31 pm to March 6th 2:29 am, the following things should not be done in Panchak Nakshatras, 1. Making a roof or making a pillar (lantern or pillar) 2. Breaking wood or straws, 3. Hearth Taking or making, 4. Cremation 5. Bed bed, cot, mat, knit or make 6. Making sofa or mattress for the meeting. 7 To deposit wood, copper, brass. (Apart from these works all other auspicious work can be done in Panchko.
Upcoming fasts and festivals:-
March 10 - Holashtak begins. March 14- Amalaki Ekadashi / Meen Sankranti (Punyakaal till March 15 midday) March 15- Pradosh fast (Shukla) March 17- Holika Dahan. March 18- Holi/Falgun Purnima Vrat. March 21 - Sankashti Chaturthi. March 22 - Shrirang Panchami. March 25 - Sheetlashtami fasting. March 28 - Papmochini Ekadashi. March 29- Mangal Pradosh Vrat (Krishna). March 30 - Monthly Shivratri.
Special:- The person who lives outside Varanasi or outside the country, he can get astrological consultation by phone, by paying the consultation fee through Paytm or Bank transfer for astrological consultation.
Have a good day .
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