लेख:-शीतला अष्टमी व्रत, 25.03.2022
अष्टमी तिथि प्रारम्भ:- 24/25 मार्च अर्धरात्रि 12:09 am
अष्टमी तिथि समाप्त:- 25 मार्च 10:04 pm
शीतला अष्टमी व्रत प्रतिवर्ष चैत्रमास कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि के दिन माता शीतला के सम्मान में मनाया जाता है। शीतला अष्टमी को बासोड़ा के रूप मे भी मनाया जाता है, इसे बसौड़ा अष्टमी भी कहा जाता है। ये व्रत होली के आठवें दिन पड़ता है। यह त्यौहार श्रद्धा पूर्वक मनाये जाने वाला एक प्रसिद्ध त्योहार है।
शीतला अष्टमी का उत्सव आमतौर पर रंगों के त्योहार होली के आठ दिनों के बाद आता है। शीतला अष्टमी को ऋतु परिवर्तन का संकेत भी माना जाता है, क्योंकि इस दिन के बाद से ग्रीष्म (गर्मी) ऋतु शुरू हो जाती है। गर्मियों में बासी भोजन नहीं खाया जाता, परंतु यह त्यौहार बासी भोजन के साथ ही मनाया जाने वाला पर्व हैं, इस प्रकार यह पर्व भी इस बात का उदाहरण है कि भारतीय संस्कृति में जितने भी पर्व-उत्सव मनाए जाते हैं, उनका संबंध ऋतु, स्वास्थ्य, सद्भाव और भाईचारे से है।
होली के बाद मौसम का मिजाज बदलने लगता है और गर्मी भी धीरे-धीरे प्रारम्भ हो जाती है। बास्योड़ा मूलतः इसी ऋतु तथा स्वास्थ्य की अवधारणा से जुड़ा पर्व है। इसके अतिरिक्त हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार, देवी शीतला की पूजा करने से, भक्तों (विशेष रूप से बच्चों) को विभिन्न महामारियों से रक्षा की जा सकती है।
शीतला अष्टमी महत्व:-
हिन्दु धर्म ग्रंथों के अनुसार शीतला माता, रोगो तथा बीमारियों का शमन करने वाली देवी है, माता शीतला चेचक, खसरा और छोटी माता सहित विभिन्न रोगों की देवी और नियंत्रक मानी जाती हैं। शीतला अष्टमी का महत्व यह है कि शीतला देवी रोगों को ठीक करती है और भक्तों के जीवन में स्वास्थ्य और शांति लाती है।इस दिन माता शीतला की आराधना करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
शीतला माता का स्वरूप:-
देवी शीतला गधे की सवारी करती है, क्योंकि गधा ही देवी का वाहन है। माता एक झाड़ू, पवित्र जल का एक कलश (बर्तन), कुछ नीम की पत्तियाँ और अपने चार हाथों के साथ एक धूलपात्र रखती हैं।
यदि देवी के इस स्वरूप को समझने का प्रयास करे तो, यह स्वरूप दर्शाता है कि देवी शीतला सभी कीटाणुओं को दूर करने के लिए झाडू का प्रयोग करती हैं, और फिर उन्हें इकट्ठा करने के लिए धूलपात्र का उपयोग करती हैं। इसके उपरांत पवित्र जल का झिडकाव करके नीम की पत्तियों का प्रयोग करती है । (देवी का यह स्वरूप मनुष्यों को साफ -सफाई का पालन तथा प्राकृतिक वस्तुओं के प्रयोग द्वारा निरोगी जीवन का संदेश देती हैं।)
शीतला अष्टमी व्रत विधि:-
1. शीतला अष्टमी का त्यौहार तथा माता का भोग भी एक दिन पहले पके हुए बासी भोजन से ही मनाया जाता है, अतः माता के प्रसाद के लिए, और समस्त परिवार जनों के भोजन के लिए एक दिन पहले ही अर्थात सप्तमी तिथि को ही भोजन पकाया जाता है। परंतु इस दिन सम्पूर्ण रूप घर मे, तथा भोजन पकाने मे भी साफ-सफाई का ध्यान रखा जाना आवश्यक है।
2. अगले दिन अष्टमी को प्रात: काल जल्दी उठकर सूर्योदय से पहले ही ठंडे पानी से स्नान करना चाहिए । इसके उपरांत भक्तों को देवता के मंदिर में जाने और विभिन्न अनुष्ठानों को करने की आवश्यकता होती है।
3. इसके उपरांत विधि-विधान से मां शीतला की सामर्थ्यनुसार पंचोपचार अथवा षोडशोपचार पूजा करके व्रत का संकल्प करे । पूजा के दौरान माता शीतला को बासी भोजन का लगवाना चाहिए, भोग के रूप मे माँ को मुख्य रूप से एक दिन पूर्व मे बने हुए दही, राबड़ी, चावल, हलवा, पूरी, गुलगुले, मूंग की दाल, बाजरे की खिचड़ी, चुटकी भर हल्दी इत्यादि का भोग लगाया जाता है। (अष्टमी के दिन बासी पदार्थ ही देवी को नैवेद्य के रूप में समर्पित किया जाता है।)
4. इसके साथ ही शीतला सप्तमी-अष्टमी व्रत की कथा सुनी तथा सुनाई जाती हैं। इसके अतिरिक्त इस दिन "शीतलाष्टकम्" का पाठ अथवा शीतला महामंत्र का जाप भी अत्यंत पुण्यदायी है।
5. देवी को भोग अर्पित करने के बाद बचा हुआ भोजन तथा पकवान पवित्र भोजन (प्रसाद) के रूप में पूरे दिन खाया जाता है। विभिन्न क्षेत्रीय क्षेत्रों में, इसे लोकप्रिय रूप से 'बासोड़ा' कहा जाता है।
6. बास्योड़ा के दिन नए मटके, दही जमाने के कुल्हड़, हाथ से चलने वाले पंखे लाने व दान करने का भी प्रचलन है।
शीतलाष्टमी कथा:-
एक दिन बूढ़ी औरत और उसकी दो बहुओं ने शीतला माता का व्रत रखा। मान्यता के मुताबिक अष्टमी के दिन बासी चावल माता शीतला को चढ़ाए व खाए जाते हैं। लेकिन दोनों बहुओं ने सुबह ताजा खाना बना लिया। क्योंकि हाल ही में दोनों की संताने हुई थीं, इस वजह से दोनों को डर था कि बासी खाना उन्हें नुकसान ना पहुंचाए। सास को ताजे खाने के बारे में पता चला तो उसने नाराजगी जाहिर की। कुछ समय बाद पता चला कि दोनों बहुओं की संतानों की अचानक मृत्यु हो गई है। इस बात को जान सास ने दोनों बहुओं को घर से बाहर निकाल दिया।
शवों को लेकर दोनों बहुएं घर से निकल गईं। बीच रास्ते वो विश्राम के लिए रूकीं। वहां उन दोनों को दो बहनें ओरी और शीतला मिली। दोनों ही अपने सिर में जूंओं से परेशान थी। उन बहुओं को दोनों बहनों को ऐसे देख दया आई और वो दोनों के सिर को साफ करने लगीं। कुछ देर बाद दोनों बहनों को आराम मिला। शीतला और ओरी ने बहुओं को आशीर्वाद देते हुए कहा कि तुम्हारी गोद हरी हो जाए।
ये बात सुन दोनों बुरी तरह रोने लगीं और उन्होंने महिला को अपने बच्चों के शव दिखाए। ये सब देख शीतला ने दोनों से कहा कि उन्हें उनके कर्मों का फल मिला है। ये बात सुन वो समझ गईं कि शीतला अष्टमी के दिन ताजा खाना बनाने के कारण ऐसा हुआ है।
ये सब जान दोनों ने माता शीतला से माफी मांगी और आगे से ऐसा ना करने को कहा। इसके बाद माता ने दोनों बच्चों को फिर से जीवित कर दिया। इस दिन के बाद से पूरे गांव में शीतला माता का व्रत धूमधाम से मनाए जाने लगा।
शीतला अष्टमी व्रत धारण करते हुए भक्त शीतला माता के महामंत्र तथा स्तोत्र इत्यादि का श्रद्धापूर्वक जप तथा पाठ करते हुए मां शीतला की प्रसन्नता प्राप्त कर सकतें हैं ।
माता शीतला महामन्त्रः-
।।ॐ ह्रीं श्रीं शीतलायै नमः।।
।।श्री शीतलाष्टकं ।।
।।श्री शीतलायै नमः।।
शीतलाष्टकम्
विनियोगः- ॐ अस्य श्रीशीतलास्तोत्रस्य महादेव ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः, श्रीशीतला देवता, लक्ष्मी (श्री) बीजम्, भवानी शक्तिः, सर्व-विस्फोटक-निवृत्यर्थे जपे विनियोगः ।।
ऋष्यादि-न्यासः- श्रीमहादेव ऋषये नमः शिरसि, अनुष्टुप् छन्दसे नमः मुखे, श्रीशीतला देवतायै नमः हृदि, लक्ष्मी (श्री) बीजाय नमः गुह्ये, भवानी शक्तये नमः पादयो, सर्व-विस्फोटक-निवृत्यर्थे जपे विनियोगाय नमः सर्वांगे ।।
ध्यानः-
ध्यायामि शीतलां देवीं, रासभस्थां दिगम्बराम्।
मार्जनी-कलशोपेतां शूर्पालङ्कृत-मस्तकाम्।।
।।मूल-स्तोत्र।।
।।ईश्वर उवाच।।
वन्देऽहं शीतलां-देवीं, रासभस्थां दिगम्बराम् ।
मार्जनी-कलशोपेतां, शूर्पालङ्कृत-मस्तकाम् ।।१
वन्देऽहं शीतलां-देवीं, सर्व-रोग-भयापहाम् ।
यामासाद्य निवर्तन्ते, विस्फोटक-भयं महत् ।।२
शीतले शीतले चेति, यो ब्रूयाद् दाह-पीडितः ।
विस्फोटक-भयं घोरं, क्षिप्रं तस्य प्रणश्यति ।।३
यस्त्वामुदक-मध्ये तु, ध्यात्वा पूजयते नरः ।
विस्फोटक-भयं घोरं, गृहे तस्य न जायते ।।४
शीतले ! ज्वर-दग्धस्य पूति-गन्ध-युतस्य च ।
प्रणष्ट-चक्षुषां पुंसां , त्वामाहुः जीवनौषधम् ।।५
शीतले ! तनुजान् रोगान्, नृणां हरसि दुस्त्यजान् ।
विस्फोटक-विदीर्णानां, त्वमेकाऽमृत-वर्षिणी ।।६
गल-गण्ड-ग्रहा-रोगा, ये चान्ये दारुणा नृणाम् ।
त्वदनुध्यान-मात्रेण, शीतले! यान्ति सङ्क्षयम् ।।७
न मन्त्रो नौषधं तस्य, पाप-रोगस्य विद्यते ।
त्वामेकां शीतले! धात्री, नान्यां पश्यामि देवताम् ।।८
।।फल-श्रुति।।
मृणाल-तन्तु-सदृशीं, नाभि-हृन्मध्य-संस्थिताम् ।
यस्त्वां चिन्तयते देवि ! तस्य मृत्युर्न जायते ।।९
अष्टकं शीतलादेव्या यो नरः प्रपठेत्सदा ।
विस्फोटकभयं घोरं गृहे तस्य न जायते ।।१०
श्रोतव्यं पठितव्यं च श्रद्धाभाक्तिसमन्वितैः ।
उपसर्गविनाशाय परं स्वस्त्ययनं महत् ।।११
शीतले त्वं जगन्माता शीतले त्वं जगत्पिता ।
शीतले त्वं जगद्धात्री शीतलायै नमो नमः ।।१२
रासभो गर्दभश्चैव खरो वैशाखनन्दनः ।
शीतलावाहनश्चैव दूर्वाकन्दनिकृन्तनः ।।१३
एतानि खरनामानि शीतलाग्रे तु यः पठेत् ।
तस्य गेहे शिशूनां च शीतलारुङ् न जायते ।।१४
शीतलाष्टकमेवेदं न देयं यस्यकस्यचित् ।
दातव्यं च सदा तस्मै श्रद्धाभक्तियुताय वै ।।१५
।।इति श्रीस्कन्दपुराणे शीतलाष्टकं सम्पूर्णम् ।।
(समाप्त)
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आगामी लेख
1. 26 मार्च को "पापमोचनी एकादशी" पर लेख।
2. 27 मार्च से "दुर्गा मां, नवसवंत्सर तथा नवरात्रो पर धारावाहिक लेख।
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जय श्री राम
आज का पंचांग,दिल्ली 🌹🌹🌹
शुक्रवार,24.3.2022
श्री संवत 2078
शक संवत् 1944
सूर्य अयन- उत्तरायण, गोल-दक्षिण-उत्तर गोल
ऋतुः- वसन्त ऋतुः ।
मास- चैत्र मास।
पक्ष- कृष्ण पक्ष ।
तिथि- अष्टमी तिथि 10:06 pm तक
चंद्रराशि- चंद्र धनु राशि मे।
नक्षत्र- मूल नक्षत्र 4:08 pm तक
योग- वरियन योग अगले दिन 1:45 am तक (अशुभ है)
करण- बालव करण 11:09 am तक
सूर्योदय- 6:20 am, सूर्यास्त 6:34 pm
अभिजित् नक्षत्र- 12:03 pm से 12:52 pm
राहुकाल - 10:55 am से 12:27 pm (शुभ कार्य वर्जित,दिल्ली )
दिशाशूल- पश्चिम दिशा ।
मार्च शुभ दिन:- 25, 26, 27 (सवेरे 7 तक), 28, 29 (दोपहर 3 तक)
मार्च अशुभ दिन:- 30, 31.
गण्ड मूल आरम्भ:-
ज्येष्ठा नक्षत्र, 23 मार्च 6:53 pm से 25 मार्च 4:07 pm तक मूल नक्षत्र तक गंडमूल रहेगें। गंडमूल नक्षत्रों मे जन्म लेने वाले बच्चो का मूलशांति पूजन आवश्यक है।
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आगामी व्रत तथा त्यौहार:-
25 मार्च- शीतलाष्टमी व्रत। 28 मार्च- पापमोचिनी एकादशी। 29 मार्च- मंगल प्रदोष व्रत (कृष्ण)। 30 मार्च- मासिक शिवरात्रि।1 अप्रैल- अमावस्या। 2 अप्रैल- नवरात्रि/ घटस्थापना। 3 अप्रैल- चेटी चंड। 10 अप्रैल-राम नवमी। 11 अप्रैल- चैत्र नवरात्रि पारणा। 12 अप्रैल- कामदा एकादशी। 14 अप्रैल- प्रदोष व्रत/मेष संक्रांति। 16 अप्रैल- हनुमान जयंती/चैत्र पूर्णिमा व्रत। 19 अप्रैल- संकष्टी चतुर्थी। 26 अप्रैल-वरुथिनी एकादशी। 28 अप्रैल- प्रदोष व्रत। 29 अप्रैल- मासिक शिवरात्रि। 30 अप्रैल- वैशाख अमावस्या।
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आपका दिन मंगलमय हो . 💐💐💐
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English Translation :-
Article:- Sheetala Ashtami Vrat, 25.03.2022
Ashtami date starts:- 24/25 March midnight 12:09 am
Ashtami date ends:- March 25 at 10:04 pm
Sheetala Ashtami Vrat is celebrated every year on the Ashtami date of Chaitramas Krishna Paksha in honor of Mother Sheetla. Sheetla Ashtami is also celebrated as Basoda, it is also known as Basoda Ashtami. This fast falls on the eighth day of Holi. This festival is a famous festival celebrated with reverence.
The festival of Sheetala Ashtami usually falls eight days after Holi, the festival of colours. Sheetala Ashtami is also considered a sign of change of seasons, because from this day onwards, the summer (summer) season begins. Stale food is not eaten in summer, but this festival is celebrated along with stale food, thus this festival is also an example of the fact that all the festivals celebrated in Indian culture are related to season, health. , is from harmony and brotherhood.
After Holi, the mood of the weather starts changing and the heat also starts slowly. Basyoda is basically a festival related to this season and the concept of health. Additionally, according to Hindu scriptures, by worshiping Goddess Sheetala, devotees (especially children) can be protected from various epidemics.
Significance of Sheetala Ashtami:-
According to Hindu religious texts, Sheetla Mata is the extinguisher of diseases and ailments, Mata Sheetla is considered to be the goddess and controller of various diseases including smallpox, measles and small mother. The significance of Sheetala Ashtami is that Sheetla Devi cures diseases and brings health and peace to the lives of the devotees. Worshiping Mata Sheetala on this day removes all the sufferings of the devotees and fulfills their wishes.
Form of Sheetla Mata :-
Goddess Sheetala rides a donkey, because the donkey is the vehicle of the goddess. The mother holds a broom, a kalash (pot) of holy water, some neem leaves and a dustpan with her four hands.
If one tries to understand this form of the Goddess, then this form shows that Goddess Sheetla uses a broom to remove all the germs, and then uses a dustpan to collect them. After this, sprinkles holy water and uses neem leaves. (This form of Goddess gives the message of healthy life to humans by following cleanliness and using natural things.)
Sheetala Ashtami fasting method:-
1. The festival of Sheetala Ashtami and Bhog of Mother is also celebrated with cooked stale food a day before, so for the Prasad of the mother, and for the food of all the family members, the food is cooked a day before i.e. on Saptami Tithi itself. goes. But on this day it is necessary to take care of cleanliness in the house as a whole, and also in cooking food.
2. Next day on Ashtami one should wake up early in the morning and take bath with cold water before sunrise. After this the devotees need to visit the temple of the deity and perform various rituals.
3. After this, according to the power of Mother Sheetla, by law and by law, resolve the fast by performing Panchopchar or Shodashopachar worship. During the worship, Mother Sheetla should be offered stale food, as bhog, mainly curd, Rabri, rice, pudding, poori, dumpling, moong dal, millet khichdi, pinch of turmeric made a day earlier. Etc. is offered. (On the day of Ashtami, the stale material is offered to the Goddess as Naivedya.)
4. Along with this, the story of Sheetala Saptami-Ashtami fast is heard and narrated. Apart from this, recitation of "Sheetlashtakam" or chanting of Sheetala Mahamantra is also very rewarding on this day.
5. The food and dish left over after offering Bhog to the Goddess is eaten as holy food (Prasad) for the whole day. In different regional regions, it is popularly known as 'Basoda'.
6. On the day of Basyoda, there is also a practice of bringing new pots, axes for curd, hand-operated fans and donating.
Sheetlashtami Story:-
One day the old woman and her two daughters-in-law kept the fast of Sheetla Mata. According to the belief, stale rice is offered to Mata Sheetla and eaten on the day of Ashtami. But both the daughters-in-law cooked fresh food in the morning. Because both of them had recently had children, due to this both were afraid that the stale food would not harm them. When the mother-in-law came to know about the fresh food, she expressed her displeasure. After some time it came to know that the children of both the daughters-in-law had died suddenly. Knowing this, the mother-in-law threw both the daughters-in-law out of the house.
Both the daughters-in-law left the house with the dead bodies. On the way, she stopped for rest. There they both found two sisters Ori and Sheetla. Both were troubled by lice in their heads. Those daughters-in-law felt pity to see both the sisters like this and they started cleaning their heads. After sometime both the sisters got relief. While blessing the daughters-in-law, Sheetla and Ori said that your lap should turn green.
Hearing this, both of them started crying badly and they showed the dead bodies of their children to the woman. Seeing all this, Sheetla told both of them that they have got the fruits of their deeds. Hearing this, she understood that this has happened due to the preparation of fresh food on the day of Sheetala Ashtami.
Both of them apologized to Mother Sheetla and asked not to do so in future. After this the mother revived both the children. From this day onwards, the fast of Sheetla Mata started being celebrated with pomp in the whole village.
While observing the Sheetla Ashtami fast, devotees can get the happiness of Mother Sheetla by reciting and reciting the Mahamantra and hymns of Mata Sheetla with reverence.
Mata Sheetla Mahamantra :-
Shri Sheetlashtakam..
Shri Sheetalai Namah..
Sheetlashtakam
Viniyoga:- Om Asya Srishitalastotrasya Mahadev Rishih, Anushtup Chhandah, Sri Shitala Devta, Lakshmi (Sri) Beejam, Bhavani Shaktih, Sarva-explosive-nivrtyarthe chanting Vinyogah.
Rishyadi-nyasah- Shrimahadeva rishaye namah shirasi, anushtup chhandse namah mukhe, srishtala devatayi namah heart, Lakshmi (Shri) bijay namah guhyye, bhavani shaktye namah padyo, sarva-explosive-nivrutyarthe chanting viniyogay namah sarvange.
Meditation :-
Dhyayami Sheetlan Devi, Rasbhasthan Digambram.
Marjani-Kalashopetaan Shoorpalankrit-Mastakam.
..original-hymn..
..Ishwar uvacha..
Vande-ham Sheetalan-Devi, Rasabhsthan Digambram.
Marjani-Kalashopeta, Shoorpalankrit-Mastakam ..1
Vandeऽam Sheetalam-Devi, Sarva-Rog-Bhayapaham.
Yamasadya nivartante, explosive-fear importance..2
Sheetale Sheetale Cheti, yo bruyad dah-victimah.
Explosive - fearful ghor, kshipran tasya pranasyati..3
Yasthvamudaka-Madhe Tu, Dhyatva Pujayate Narah.
Explosives - fearful, grihaye tasya na jayete..4
Cool! Fever-gaddhasya puti-gandh-yutsya c.
Pranasta-Chakshusham Punsan, Tvamahuh Jeevanaushadham..5
Cool! Tanujan rogan, nrunam harsi dustyajan.
Explosive-vidarnanam, tvamekamrit-varshini ..6
Gal-ganda-graha-roga, ye chanye daruna nrunam.
Mindfulness-only, Sheetale! Yanti Sakshayam..7
Na mantra naushadham tasya, sin-rogasya vidyate.
Twamekan Sheetale! Dhatri, Nanyam Pashyami Devtam ..8
..fruit-shruti..
Mrunal-fibre-like, navel-heart-like institution.
Yestva chintayte devi! Tasya Mrityarna Jayate..9
Ashtakam Sheetladevya yo Narah Prapathetsada.
Explosives ghor ghare tasya na jayate ..10
Srotavyam readitvyam cha shradhabhakti samanvitaih.
Prefix Vinashaya Param Swasthyanam Mahat ..11
Sheetale Tvam Jaganmata Sheetale Tvam Jagatpita.
Sheetale Tvam Jagaddhatri Sheetalai Namo Namah ..12
Rasbho gardabhschaiva kharo vaisakhanandanah.
Sheetlawahanschaiva Durvakandnikrantanah ..13
Etani Kharnamani Sheetlaagre Tu Yah Pathet.
Tasya gehe shishunam cha sheetlarun na jayate..14
Sheetlashtakame Vedam should not be given yasyakasyachit.
Datvyam cha always tasmai shraddhabhaktiyutay vai..15
..Iti Sriskandapurane Sheetlashtakam Sampoornam..
(End)
upcoming articles
1. Article on "Papmochani Ekadashi" 26 March.
2. Serial articles on "Durga Maa, Navaswantsar and Navratra from March 27".
Long live Rama
Today's Panchang, Delhi
Friday, 24.3.222
Shree Samvat 2078
Shaka Samvat 1944
Surya Ayan- Uttarayan, Round-South-North Round
Rituah - the spring season.
Month - Chaitra month.
Paksha - Krishna Paksha.
Date- Ashtami date till 10:06 pm
Moon sign - Moon in Sagittarius.
Nakshatra - Mool Nakshatra till 4:08 pm
Yoga-Varian Yoga till 1:45 am the next day (inauspicious)
Karan- Balav Karan till 11:09 am
Sunrise - 6:20 am, Sunset 6:34 pm
Abhijit Nakshatra - 12:03 pm to 12:52 pm
Rahukaal - 10:55 am to 12:27 pm (Good work prohibited, Delhi)
Dishashul – West direction.
March Lucky Days:- 25, 26, 27 (till 7 am), 28, 29 (till 3 pm)
March inauspicious days:- 30, 31.
Gand Mool Aarambh:-
Jyestha Nakshatra, from 23 March 6:53 pm to 25 March 4:07 pm will remain Gandmool till Mool Nakshatra. Children born in Gandmool constellations need to worship Moolshanti.
Upcoming fasts and festivals:-
March 25 - Sheetlashtami fasting. March 28 - Papmochini Ekadashi. March 29- Mangal Pradosh Vrat (Krishna). March 30 - Monthly Shivratri. April 1 - Amavasya. April 2 - Navratri / Ghatasthapana. April 3 - Cheti Chand. April 10 - Ram Navami. April 11- Chaitra Navratri Parana. April 12 - Kamada Ekadashi. April 14 - Pradosh fast / Aries Sankranti. April 16 - Hanuman Jayanti / Chaitra Purnima Vrat. April 19 - Sankashti Chaturthi. April 26 - Varuthini Ekadashi. April 28 - Pradosh fast. April 29 - Monthly Shivratri. April 30 – Vaishakh Amavasya.
Special:- The person who lives outside Varanasi or outside the country, he can get astrological consultation by phone, by paying the consultation fee through Paytm or Bank transfer for astrological consultation.
Have a good day .
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