27 मार्च 2022

दुर्गा मां, हिन्दू नववर्ष, नवरात्र तथा नवदुर्गा, भाग-1 Durga Maa, Hindu New Year, Navratri and Navadurga, Part-1


धारावाहिक लेख:-दुर्गा मां, हिन्दू नववर्ष, नवरात्र तथा नवदुर्गा, भाग-1


माता दुर्गा, भाग-1


मां दुर्गा आदिशक्ति जगन्माता के अनेक नाम और रूप है । सामान्यतः इन्हें 'दुर्गा' कहा जाता है । भगवती दुर्गाजी ने विभिन्न अवसरों पर अनेक रूपों मे अवतरित होकर तत्कालीन समस्याओं का निराकरण किया था । 

इनकी पूजा करने वाले  साधक वर्ग 'शक्ति -संप्रदाय' कहलाता है । शाक्त के अतिरिक्त अन्य वर्गो  वैष्णव,  शैव आदि के भक्त भी दुर्गाजी की उपासना  करते हैं। 

लक्ष्मी, तारा, सरस्वती, उमा, गौरी, कालिका, काली और चामुंडा आदि समस्त अवतार उन दुर्गाजी के हैं ।
यह शिव की शक्ति (अर्धांगनी) पार्वती तथा उमा के रूप में प्रसिद्ध है ।

इनके नाम महामाया, योगमाया, आदिशक्ति और जगन्माता आदि हैं। शक्ति और पालन की देवी दुर्गा  का चरित्र अर्थात लीला-विलास भक्तों की आस्था को अक्षुण्ण बनाये रखने मे बहुत सहायक होता है। 

अनेक ग्रंथों में तत्संबंधी प्रसंग प्राप्त होते है ।मार्कण्डेय पुराण में देवी माहात्म्य का विशद विवरण मिलता है। इस अंश को “सप्तशती' के नाम से भी  जाना जाता हैं। सप्तशती मे दुर्गा मां के अवतारों और चरित्रों का वर्णन है। 

पंचदेवो मे मां भगवती का विशिष्ट स्थान प्राप्त है । ये दुर्गति और दुर्भाग्य से रक्षा करके भक्तों के सभी अभीष्टों की पूर्ति करने वाली देवी है ।

महाभारत में इनकी स्तुति 'महिषमार्दिनी' और 'कुमारी देवी' के रूप मे की गयी हैं । आठ, दस, बारह और अठारह भुजाओं वाले इनके विचित्र स्वरूप हैं। माता इन भुजाओं मे विविध अस्त्र-शस्त्र 
धारण करती हैं । इनका वाहन 'सिंह' है। 

तमोगुण के प्रतीक महिषासुर का वध करने से ये ' महिषमर्दिनी' के नाम से प्रसिद्ध हुई । देवी भागवत में इन्हीं देवी का उल्लेख ' हेमवती' नाम से किया गया ।

'उमामिधानां प्रति देवीं हेमवतीं शिवाम्‌।

केनोपनिषद्‌ में 'बहु-राजस्थान उमा हेमवती' की महिमा का वर्णन है। वहां उनका वर्णन 'ब्रह्मविद्या' महाशक्ति के रूप में होता है । जिनके द्वारा देवताओं को ब्रह्म-तत्व का बोध होता है । दस उपनिषदों मे दस महाविद्याओं का ब्रह्मरूप में वर्णन है। ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद मे इनकी शक्ति की स्तुति किसी-न-किसी रूप में पाई जाती है।
इस प्रकार इनकी शक्ति की आराधना भारतीय हिन्दु  धर्म की पुरातन परंपरा है। मातृरूप में इनकी उपासना अपना विशेष स्थान रखती है।

शक्ति से रहित शिव भी शव के समान हैं । शिव या ब्रह्म की क्षमता ही शक्ति है । वही सृष्टि, स्थिति, संहार की करने वाली है । अव्यक्त, निष्क्रिय, निराकार ब्रह्म को व्यक्त, सक्रिय और साकार करने वाली शक्ति, देवी दुर्गा ही है । 

जितने भी उपास्य देव है, उन सबकी अपनी-अपनी शक्तियां हैं । इन शक्तियों के भिन्‍न- भिन्‍न रूप है, किंतु मूलतः शक्ति एक ही है। देवी-माहात्म्य के अंतर्गत बड़े उत्तम ढंग से यह स्पष्ट किया गया है कि मूलशक्ति चंडिका में सभी शक्तिरूपों का विलय हो जाता है । तब एकमात्र भगवती चंडी ही रह जाती हैं।

मार्कण्डेय-ब्रह्मपुराण के अनुसार अनंतकोटि ब्रह्मांडों की अधीश्वरी मां भगवती (शक्ति) ही संपूर्ण विश्व को सत्ता और स्फूर्ति प्रदान करती हैं । इन्हीं की शक्ति से ही ब्रह्मादि देवता उत्पन्न होते हैं, जिनसे विश्व की उत्पत्ति होती है । इन्हीं की शक्ति से विष्णु और शिव प्रकट होकर विश्व का पालन और संहार करते हैं ।

भगवती दुर्गा का आविर्भाव:-
शिवपुराण के अनुसार प्राचीनकाल में दुर्गम नामक एक महाबली दैत्य उत्पन्न हुआ। उसने ब्रह्माजी के वरदान से चारों वेदों को लुप्त कर दिया, इस कारण 
समस्त वैदिक क्रियाएं, बंद हो गईं। उस समय ब्राह्मण और देवता भी दुराचारियों हो गए। तीनों लोकों में हाहाकार मच गया। देवताओं की दुर्गमासुर के अत्याचारों से तीनों लोकों की रक्षा करने की प्रार्थना सुनकर, देवी ने 'एवमस्तु ' कहकर देवताओं
को संतुष्ट कर दिया। 

जब दुर्गमासुर को इस रहस्य का ज्ञान हुआ, तब उसने अपनी आसुरी सेना को लाकर देवलोक को घेर लिया। तब भगवती ने देवताओं की रक्षा के लिए देवलोक के चारों ओर अपने तेजोमंडल की एक चहारदीवारी खड़ी कर दी और स्वयं घेरे के बाहर आ डटी। 

देवी को देखते ही दैत्यों ने उन पर आक्रमण कर दिया। इस बीच देवी के शरीर से काली, तारा, छिन्नमस्ता, श्रीविद्या, भुवनेश्वरी, भैरवी, बगलामुखी, धूमावती, त्रिपुरसुंदरी और मातंगी--ये दश महाविद्याएं अस्त्र-शस्त्र लिए निकलीं और देखते-ही-देखते दुर्गमासुर की सौ अक्षौहिणी सेना को
उन्होंने काट डाला । इसके बाद देवी ने अपने तीखे त्रिशूल से दुर्गमासुर का वध कर दिया दुर्गमासुर को मारने के कारण उनका नाम “दुर्गा' प्रसिद्ध हुआ।

(क्रमशः)
लेख के दूसरे भाग में कल दुर्गा मां लेख का अंतिम भाग।
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जय श्री राम
आज का पंचांग,दिल्ली 🌹🌹🌹
रविवार,27.3.2022
श्री संवत 2078
शक संवत् 1944
सूर्य अयन- उत्तरायण, गोल-दक्षिण-उत्तर गोल
ऋतुः- वसन्त ऋतुः ।
मास- चैत्र मास।
पक्ष- कृष्ण पक्ष ।
तिथि- दशमी तिथि 6:06 pm तक
चंद्रराशि- चंद्र मकर राशि मे।
नक्षत्र- उ०षाढा नक्षत्र 1:32 pm तक
योग- शिव योग 8:14 pm तक (शुभ है)
करण- वणिज करण 7:04 am तक 
सूर्योदय- 6:17 am, सूर्यास्त 6:36 pm
अभिजित् नक्षत्र- 12:02 pm से 12:51 pm
राहुकाल - 5:03 pm से 6:36 pm* (शुभ कार्य वर्जित,दिल्ली )
दिशाशूल- पश्चिम दिशा ।

मार्च शुभ दिन:- 27 (सवेरे 7 तक), 28, 29 (दोपहर 3 तक)
मार्च अशुभ दिन:- 30, 31.

भद्रा:-  27 मार्च 7:04 am से 27 मार्च 6:06 pm तक ( भद्रा मे मुण्डन, गृहारंभ, गृहप्रवेश, विवाह, रक्षाबंधन आदि शुभ काम नही करने चाहिये , लेकिन भद्रा मे स्त्री प्रसंग, यज्ञ, तीर्थस्नान, आपरेशन, मुकद्दमा, आग लगाना, काटना, जानवर संबंधी काम किए जा सकतें है।

सर्वार्थ सिद्ध योग :- 27 मार्च 6:17 am से 27 मार्च 1:32 pm तक  (यह एक शुभयोग है, इसमे कोई व्यापारिक या कि राजकीय अनुबन्ध (कान्ट्रेक्ट) करना, परीक्षा, नौकरी अथवा चुनाव आदि के लिए आवेदन करना, क्रय-विक्रय करना, यात्रा या मुकद्दमा करना, भूमि , सवारी, वस्त्र आभूषणादि का क्रय करने के लिए शीघ्रतावश गुरु-शुक्रास्त, अधिमास एवं वेधादि का विचार सम्भव न हो, तो ये सर्वार्थसिद्धि योग ग्रहण किए जा सकते हैं।
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आगामी व्रत तथा त्यौहार:-
28 मार्च- पापमोचिनी एकादशी। 29 मार्च- मंगल प्रदोष व्रत (कृष्ण)। 30 मार्च- मासिक शिवरात्रि।1 अप्रैल- अमावस्या। 2 अप्रैल- नवरात्रि/ घटस्थापना। 3 अप्रैल- चेटी चंड। 10 अप्रैल-राम नवमी। 11 अप्रैल- चैत्र नवरात्रि पारणा। 12 अप्रैल- कामदा एकादशी। 14 अप्रैल- प्रदोष व्रत/मेष संक्रांति। 16 अप्रैल- हनुमान जयंती/चैत्र पूर्णिमा व्रत। 19 अप्रैल- संकष्टी चतुर्थी। 26 अप्रैल-वरुथिनी एकादशी। 28 अप्रैल- प्रदोष व्रत। 29 अप्रैल- मासिक शिवरात्रि। 30 अप्रैल- वैशाख अमावस्या।
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विशेष:- जो व्यक्ति वाराणसी से बाहर अथवा देश से बाहर रहते हो, वह ज्योतिषीय परामर्श हेतु Paytm या Bank transfer द्वारा परामर्श फीस अदा करके, फोन द्वारा ज्योतिषीय परामर्श प्राप्त कर सकतें है
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आपका दिन मंगलमय हो . 💐💐💐
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English Translation :-

Serial Article:- Durga Maa, Hindu New Year, Navratri and Navadurga, Part-1



 Mata Durga, Part-1



 Mother Durga Adishakti Jaganmata has many names and forms.  Generally she is called 'Durga'.  Bhagwati Durga had incarnated in many forms on different occasions to solve the problems of the time.


 The worshiper class who worships them is called 'Shakti-sampradaya'.  Apart from Shakta, devotees of other classes, Vaishnavas, Shaivas etc. also worship Durga.


 Lakshmi, Tara, Saraswati, Uma, Gauri, Kalika, Kali and Chamunda are all incarnations of Durga.

 It is famous as the Shakti (Ardhangani) of Shiva as Parvati and Uma.


 Their names are Mahamaya, Yogamaya, Adishakti and Jaganmata etc.  The character of Durga, the goddess of power and upbringing, i.e. Leela-Vilas, is very helpful in keeping the faith of the devotees intact.


 In many texts, there are references related to this. In the Markandeya Purana, a detailed description of Goddess Mahatmya is found.  This part is also known as "Saptashati".  The incarnations and characters of Durga Maa are described in Saptashati.


 Mother Bhagwati has a special place in Panchdevo.  She is the goddess who fulfills all the wishes of the devotees by protecting them from misfortune and misfortune.


 In the Mahabharata, she is praised as 'Mahishamardini' and 'Kumari Devi'.  They have strange forms with eight, ten, twelve and eighteen arms.  Mother in these arms various weapons

 wears.  The lion is his conveyance.


 She became famous by the name of 'Mahishamardini' after killing Mahishasura, the symbol of Tamogun.  In the Devi Bhagwat, this goddess was mentioned by the name 'Hemvati'.


 'Umamidhanam per devi Hemavati Shivam.


 Kenopanishad describes the glory of 'Multi-Rajasthan Uma Hemavati'.  There he is described as 'Brahmavidya' superpower.  Through whom the deities get the knowledge of the Brahma-tattva.  Ten Mahavidyas are described in the form of Brahma in the ten Upanishads.  The praise of his power is found in one form or the other in Rigveda, Yajurveda, Samveda and Atharvaveda.

 In this way the worship of their power is an ancient tradition of Indian Hindu religion.  Her worship in mother form holds its own special place.


 Shiva devoid of Shakti is also like a corpse.  Shakti is the power of Shiva or Brahma.  He is the creator of creation, condition and destruction.  The manifest, active and realizing power of the avyakt, inactive, formless Brahman is Goddess Durga.


 All the gods that are worshiped, they all have their own powers.  These powers have different forms, but basically the power is the same.  Under Devi-Mahatmya it has been explained in a very good manner that all the forms of Shakti merge in Moolshakti Chandika.  Then only Goddess Chandi remains.


 According to the Markandeya-Brahmapuran, it is Bhagwati (Shakti), the god of infinite universes, who gives power and energy to the entire world.  It is from their power that Brahma and the gods arise, from whom the world originates.  With their power, Vishnu and Shiva appear and destroy the world.


 Appearance of Bhagwati Durga :-

 According to Shiva Purana, in ancient times a great demon named Durgam was born.  He destroyed all the four Vedas by the boon of Brahma, that's why

 All Vedic activities stopped.  At that time the brahmins and the deities also became vicious.  There was an outcry in the three worlds.  Hearing the prayers of the deities to protect the three worlds from the atrocities of Durgamasur, the goddess called the gods 'Avamastu'.

 satisfied.


 When Durgamasur came to know about this secret, he brought his demonic army and surrounded Devlok.  Then Bhagwati erected a boundary wall of her tejomandala around the Devloka to protect the deities and herself came out of the circle.


 On seeing the goddess, the demons attacked her.  Meanwhile, Kali, Tara, Chhinnamasta, Srividya, Bhuvaneshwari, Bhairavi, Baglamukhi, Dhumavati, Tripurasundari and Matangi--these ten Mahavidyas came out carrying weapons and weapons and on seeing Durgamasur's hundred Akshauhini army.

 He cut it.  After this, the goddess killed Durgamasur with her sharp trident, due to her killing Durgamasur, her name "Durga" became famous.


 (respectively)

 Durga Maa tomorrow in the second part of the article, the last part of the article.


 Long live Rama

 Today's Panchang, Delhi

 Sunday,27.3.2222

 Shree Samvat 2078

 Shaka Samvat 1944

 Surya Ayan- Uttarayan, Round-South-North Round

 Rituah - the spring season.

 Month - Chaitra month.

 Paksha - Krishna Paksha.

 Date - Dashami date till 6:06 pm

 Moon sign - Moon in Capricorn.

 Nakshatra - Ushadha Nakshatra till 1:32 pm

 Yoga- Shiva Yoga till 8:14 pm (Good)

 Karan- Vanij Karan till 7:04 am

 Sunrise - 6:17 am, Sunset 6:36 pm

 Abhijit Nakshatra - 12:02 pm to 12:51 pm

 Rahukaal - 5:03 pm to 6:36 pm* (Good work prohibited, Delhi)

 Dishashul – West direction.


 March Lucky Days:- 27 (till 7 am), 28, 29 (till 3 pm)

 March inauspicious days:- 30, 31.


 Bhadra: - 27 March 7:04 am to 27 March 6:06 pm (Shunning, housewarming, home entry, marriage, Rakshabandhan etc. should not be done in Bhadra, but in Bhadra, women affairs, yagya, pilgrimage, operation, lawsuit,  Fire, cutting, animal related work can be done.


 Sarvartha Siddha Yoga: - 27 March 6:17 am to 27 March 1:32 pm (This is an auspicious yoga, in this, making any business or state contract, applying for examination, job or election etc., purchase-  If the idea of ​​Guru-Shukrast, Adhimaas and Vedadi is not possible in a hurry to make sale, travel or litigation, purchase of land, rides, clothes, jewelery etc., then these Sarvarthasiddhi Yogas can be adopted.


 Upcoming fasts and festivals:-

 March 28 - Papmochini Ekadashi.  March 29- Mangal Pradosh Vrat (Krishna).  March 30 - Monthly Shivratri. April 1 - Amavasya.  April 2 - Navratri / Ghatasthapana.  April 3 - Cheti Chand.  April 10 - Ram Navami.  April 11- Chaitra Navratri Parana.  April 12 - Kamada Ekadashi.  April 14 - Pradosh fast / Aries Sankranti.  April 16 - Hanuman Jayanti / Chaitra Purnima Vrat.  April 19 - Sankashti Chaturthi.  April 26 - Varuthini Ekadashi.  April 28 - Pradosh fast.  April 29 - Monthly Shivratri.  April 30 – Vaishakh Amavasya.


 Special:- The person who lives outside Varanasi or outside the country, he can get astrological consultation by phone, by paying the consultation fee through Paytm or Bank transfer for astrological consultation.

 Have a good day . 

26 मार्च 2022

पापमोचनी एकादशी, 28.03.2022 Papmochani Ekadashi, 28.03.2022


 लेख:-पापमोचनी एकादशी, 28.03.2022


एकादशी आरंभ- 27.03.2022, 6:06 pm

एकादशी तिथि समाप्त- 28.03.22, 4:17 pm

पापमोचनी एकादशी पारणा मुहूर्त:-29 मार्च 6:15 am से 08:44 तक 

अवधि : 2 घंटे 28 मिनट


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चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को पापमोचनी एकादशी के नाम से जाना जाता है, इस एकादशी के नाम "पापमोचनी" से ही विदित होता है कि यह एकादशी तिथि पापों का मोचन अर्थात नाश करने वाली एकादशी है। मान्यता है कि इस एकादशी का जो भी भक्त श्रद्धा पूर्वक व्रत करता है उसका कल्याण होता है। जो भी व्यक्ति भक्ति भाव से पापमोचनी एकादशी का व्रत करता है और जीवन में अच्छे कार्यों को करने का संकल्प लेता है उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और सभी दुखों से छुटकारा मिलता है। पाप मोचनी एकादशी का व्रत करने वाला व्यक्ति धन धान्य से पूर्ण होकर ख़ुशी से जीवन व्यतीत करता है।


पापमोचनी एकादशी दो प्रमुख त्योहारो होली और नवरात्रि के मध्य के समय में पड़ती है। वर्ष 2022 को पापमोचनी एकादशी 28 मार्च 2022, सोमवार  को पड़ रही है। इसी दिन भगवान् विष्णु का पूजन और ध्यान करने का विधान है।


पापमोचनी एकादशी का अर्थ है पाप को नष्ट करने वाली एकादशी। पापमोचनी एकादशी के दिन किसी की निंदा और झूठ बोलने से बचना चाहिए। इस व्रत को करने से ब्रह्महत्या, स्वर्ण चोरी, मदिरापान, अहिंसा और भ्रूणघात समेत अनेक घोर पापों के दोष से मुक्ति मिलती है।


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पापमोचनी एकादशी व्रत पूजा विधि:-

पापमोचनी एकादशी व्रत के दिन मनुष्य को तन और मन से शुद्ध होना आवश्यक है । इस व्रत की शुरूआत दशमी के दिन से खान- पान, आचार- विचार द्वारा करनी चाहिए। 


1. पापमोचनी एकादशी से एक दिन पूर्व यानि दशमी के दिन शाम को सूर्यास्त के बाद भोजन नहीं करना चाहिए। रात्रि में भगवान का ध्यान करते हुए सोना चाहिए।


2. पापमोचनी एकादशी के दिन साधक को नित क्रियाओं से निवृत्त होकर स्नान के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए। 


3.इसके बाद भगवान विष्णु जी का धूप, दीप, फल, फूल, तिल आदि से पूजा करने का विशेष विधान है। विष्णुसहस्रनाम का पाठ करना चाहिए। एकादशी पर जो व्यक्ति विष्णुसहस्रनाम का पाठ करता है उस पर भगवान विष्णु की विशेष कृपा होती है।


4. पूरे दिन निर्जल उपवास करना चाहिए, यदि संभव ना हो तो पानी तथा एक समय फल आहार ले सकते हैं। व्रत रखने वाले व्यक्ति को इस दिन छल-कपट, बुराई और झूठ नहीं बोलना चाहिए। इस दिन चावल खाने की भी मनाही होती है।


5. द्वादशी के दिन यानि पारण के दिन भगवान का पुनः पूजन कर कथा का पाठ करना चाहिए। कथा पढ़ने के बाद प्रसाद वितरण, ब्राह्मण को भोजन तथा दक्षिणा देकर विदा करना चाहिए। 


6. ब्राह्मण भोजन तथा दक्षिणा इत्यादि के बाद ही स्वयं का उपवास खोलना चाहिए।


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पापमोचनी एकादशी को पथ्य-अपथ्य:-

अपथ्य:-(अर्थात ग्रहण न करने योग्य)

1. व्रती को गाजर, शलजम, गोभी, पालक, कुलफा का साग इत्यादि का सेवन नहीं करना चाहिए। 


2. मांस, प्याज, मसूर की दाल आदि का निषेध वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए।


3. रात्रि को पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए तथा भोग-विलास से दूर रहना चाहिए।


4. क्रोध करना तथा अपशब्द बोलना इत्यादि वर्जित है । 


5. एकादशी के दिन बाल कटवाना अर्थात क्षौर कर्म नही करना चाहिए।


6. एकादशी को चावल व साबूदाना खाना वर्जित है 



पथ्य:-( ग्रहण करने योग्य)

1. केला, आम, अंगूर, बादाम, पिस्ता इत्यादि अमृत फलों का सेवन किया जा सकता है।


2. एकादशी को आँवले के रस का प्रयोग कर स्नान करने से पापो का नाश हो जाता है ।


पापमोचनी एकादशी पौराणिक कथा

 पुरातन काल में चैत्ररथ नामक एक बहुत सुंदर वन था। इस जंगल में च्यवन ऋषि के पुत्र मेधावी ऋषि तपस्या करते थे। 


इसी वन में देवराज इंद्र गंधर्व कन्याओं, अप्सराओं और देवताओं के साथ विचरण करते थे। मेधावी ऋषि शिव भक्त और अप्सराएं शिवद्रोही कामदेव की अनुचरी थीं। 


एक समय कामदेव ने मेधावी ऋषि की तपस्या भंग करने के लिए मंजू घोषा नामक अप्सरा को भेजा। उसने अपने नृत्य, गान और सौंदर्य से मेधावी मुनि का ध्यान भंग कर दिया। वहीं मुनि मेधावी भी मंजूघोषा पर मोहित हो गए। इसके बाद दोनों ने अनेक वर्ष साथ में व्यतीत किये। एक दिन जब मंजूघोषा ने जाने के लिए अनुमति मांगी तो मेधावी ऋषि को अपनी भूल और तपस्या भंग होने का आत्मज्ञान हुआ। 


इसके बाद क्रोधित होकर उन्होंने मंजूघोषा को पिशाचनी होने का श्राप दिया। इसके बाद अप्सरा ने ऋषि के पैरों में गिर पड़ी और श्राप से मुक्ति का उपाय पूछा। मंजूघोषा के अनेकों बार विनती करने पर मेधावी ऋषि ने उसे पापमोचनी एकादशी का व्रत करने का उपाय बताया और कहा इस व्रत को करने से तुम्हारे पापों का नाश हो जाएगा व तुम पुन: अपने पूर्व रूप को प्राप्त करोगी। 


अप्सरा को मुक्ति का मार्ग बताकर मेधावी ऋषि अपने पिता के महर्षि च्यवन के पास पहुंचे। श्राप की बात सुनकर च्यवन ऋषि ने कहा कि- ‘’पुत्र यह तुमने अच्छा नहीं किया, ऐसा कर तुमने भी पाप कमाया है, इसलिए तुम भी पापमोचनी एकादशी का व्रत करो।‘’

इस प्रकार पापमोचनी एकादशी का व्रत करके अप्सरा मंजूघोषा ने श्राप से और मेधावी ऋषि ने पाप से मुक्ति पाई।


(समाप्त)

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आगामी लेख

1. 26 मार्च को "पापमोचनी एकादशी" पर लेख।

2. 27 मार्च से "दुर्गा मां, नवसवंत्सर तथा नवरात्रो पर धारावाहिक लेख।

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जय श्री राम

आज का पंचांग,दिल्ली 🌹🌹🌹

शनिवार,26.3.2022

श्री संवत 2078

शक संवत् 1944

सूर्य अयन- उत्तरायण, गोल-दक्षिण-उत्तर गोल

ऋतुः- वसन्त ऋतुः ।

मास- चैत्र मास।

पक्ष- कृष्ण पक्ष ।

तिथि- नवमी तिथि 8:04 pm तक

चंद्रराशि- चंद्र धनु राशि मे 8:28 pm तक तदोपरान्त मकर राशि।

नक्षत्र- पू०षाढा नक्षत्र 2:48 pm तक

योग- परिघ योग 10:27 pm तक (अशुभ है)

करण- तैतिल करण 9:04 am तक 

सूर्योदय- 6:18 am, सूर्यास्त 6:35 pm

अभिजित् नक्षत्र- 12:02 pm से 12:51 pm

राहुकाल - 9:23 am से 10:55 am (शुभ कार्य वर्जित,दिल्ली )

दिशाशूल- पूर्व दिशा ।


मार्च शुभ दिन:- 26, 27 (सवेरे 7 तक), 28, 29 (दोपहर 3 तक)

मार्च अशुभ दिन:- 30, 31

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आगामी व्रत तथा त्यौहार:- 

28 मार्च- पापमोचिनी एकादशी। 29 मार्च- मंगल प्रदोष व्रत (कृष्ण)। 30 मार्च- मासिक शिवरात्रि।1 अप्रैल- अमावस्या। 2 अप्रैल- नवरात्रि/ घटस्थापना। 3 अप्रैल- चेटी चंड। 10 अप्रैल-राम नवमी। 11 अप्रैल- चैत्र नवरात्रि पारणा। 12 अप्रैल- कामदा एकादशी। 14 अप्रैल- प्रदोष व्रत/मेष संक्रांति। 16 अप्रैल- हनुमान जयंती/चैत्र पूर्णिमा व्रत। 19 अप्रैल- संकष्टी चतुर्थी। 26 अप्रैल-वरुथिनी एकादशी। 28 अप्रैल- प्रदोष व्रत। 29 अप्रैल- मासिक शिवरात्रि। 30 अप्रैल- वैशाख अमावस्या।

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विशेष:- जो व्यक्ति वाराणसी  से बाहर अथवा देश से बाहर रहते हो, वह ज्योतिषीय परामर्श हेतु Paytm या Bank transfer द्वारा परामर्श फीस अदा करके, फोन द्वारा ज्योतिषीय परामर्श प्राप्त कर सकतें है

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आपका दिन मंगलमय हो . 💐💐💐

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English Translation :-

Article:- Papmochani Ekadashi, 28.03.2022


Ekadashi begins - 27.03.2022, 6:06 pm


Ekadashi date ends - 28.03.22, 4:17 pm


Papmochani Ekadashi Parana Muhurta:- 29 March from 6:15 am to 08:44


Duration: 2 hours 28 minutes


Ekadashi of Krishna Paksha of Chaitra month is known as Papmochani Ekadashi, it is known from the name of this Ekadashi "Papamochani" that this Ekadashi date is the Ekadashi that is the redemption of sins. It is believed that the devotee who observes a fast on this Ekadashi gets his welfare. Whoever observes the fast of Papmochani Ekadashi with devotion and resolves to do good deeds in life, all his sins are destroyed and all sorrows get rid of. The person observing the fast of Pap Mochani Ekadashi leads a happy life full of wealth.


Papmochani Ekadashi falls in the middle of two major festivals, Holi and Navratri. In the year 2022, Papmochani Ekadashi is falling on Monday, 28 March 2022. There is a law to worship and meditate on Lord Vishnu on this day.


Papmochani Ekadashi means Ekadashi that destroys sins. On the day of Papmochani Ekadashi, one should refrain from criticizing and telling lies. By observing this fast, one gets freedom from the sins of many serious sins including brahmhatya, gold theft, drinking alcohol, non-violence and feticide.


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Papmochani Ekadashi Vrat Puja Method:-


On the day of Papmochani Ekadashi fast, it is necessary for a person to be pure in body and mind. This fast should be started from the day of Dashami with food and drink, conduct and thought.


1. One day before Papmochani Ekadashi i.e. on the day of Dashami, one should not eat food after sunset in the evening. One should sleep at night meditating on God.


2. On the day of Papmochani Ekadashi, sadhak should take a vow of fast after taking bath after retiring from routine activities.


3. After this there is a special law to worship Lord Vishnu with incense, lamp, fruits, flowers, sesame etc. Vishnu Sahasranama should be recited. The person who recites Vishnu Sahasranama on Ekadashi is specially blessed by Lord Vishnu.


4. Waterless fasting should be done throughout the day, if it is not possible then water and fruit food can be taken at one time. The person observing the fast should not tell deceit, evil and lies on this day. Eating rice is also prohibited on this day.


5. On the day of Dwadashi i.e. on the day of Paran, worship the Lord again and recite the story. After reading the story, distribution of prasad, food and dakshina to the Brahmin should be done.


6. One should break his own fast only after Brahmin food and Dakshina etc.


Diet on Papmochani Ekadashi:-


Apathya:- (i.e. unacceptable)


1. The fasting should not take carrot, turnip, cabbage, spinach, greens of Kulfa etc.


2. Prohibited items like meat, onion, lentils etc. should not be consumed.


3. One should follow complete celibacy at night and should stay away from indulgences and luxury.


4. Getting angry and speaking abusive words etc. is prohibited.


5. Hair cut on the day of Ekadashi means Kshaur Karma should not be done.


6. It is forbidden to eat rice and sago on Ekadashi.



Diet:- (Adaptable)


1. Banana, mango, grapes, almond, pistachio etc. nectar fruits can be consumed.


2. Taking bath on Ekadashi using amla juice destroys sins.


Papmochani Ekadashi Mythology


 In ancient times there was a very beautiful forest called Chaitraratha. In this forest, the meritorious sage, son of Chyawan Rishi, used to do penance.


In this forest, Devraj Indra used to roam with Gandharva girls, Apsaras and deities. The meritorious sage Shiva was the devotee and the apsaras were the followers of Shiva, the traitorous Kamdev.


Once Kamadeva sent a nymph named Manju Ghosha to disturb the penance of a meritorious sage. He distracted the meritorious sage with his dance, singing and beauty. At the same time, Muni Medhavi was also fascinated by Manjughosha. After that both of them spent many years together. One day when Manjughosha asked permission to go, the meritorious sage realized his mistake and broke his penance.


After this, getting angry, he cursed Manjughosha to be a vampire. After this, the Apsara fell at the feet of the sage and asked for a way to get rid of the curse. After many requests of Manjughosha, the meritorious sage told him the way to observe the fast of Papmochani Ekadashi and said that by observing this fast your sins will be destroyed and you will regain your former form.


By telling Apsara the path of salvation, the meritorious sage reached his father's Maharishi Chyawan. Hearing the curse, the sage Chyawan said, "Son, you have not done well, you have also earned a sin by doing this, so you should also fast on Papmochani Ekadashi."


Thus by observing Papmochani Ekadashi, Apsara Manjughosha got rid of the curse and the meritorious sage got freedom from sin.


(End)


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1. Article on "Papmochani Ekadashi" 26 March.


2. Serial articles on "Durga Maa, Navaswantsar and Navratra from March 27".



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Saturday, 26.3.2022


Shree Samvat 2078


Shaka Samvat 1944


Surya Ayan- Uttarayan, Round-South-North Round


Rituah - the spring season.


Month - Chaitra month.


Paksha - Krishna Paksha.


Date - Navami date up to 8:04 pm


Moon sign- Moon in Sagittarius till 8:28 pm and then Capricorn.


Nakshatra - Pooshadha Nakshatra till 2:48 pm


Yoga- Parigha Yoga till 10:27 pm (inauspicious)


Karan- Taitil Karan till 9:04 am


Sunrise - 6:18 am, Sunset 6:35 pm


Abhijit Nakshatra - 12:02 pm to 12:51 pm


Rahukaal - 9:23 am to 10:55 am (Good work forbidden, Delhi )


Direction – East direction.


March Lucky Days:- 26, 27 (till 7 am), 28, 29 (till 3 pm)


March inauspicious days:- 30, 31


Upcoming fasts and festivals:-


March 28 - Papmochini Ekadashi. March 29- Mangal Pradosh Vrat (Krishna). March 30 - Monthly Shivratri. April 1 - Amavasya. April 2 - Navratri / Ghatasthapana. April 3 - Cheti Chand. April 10 - Ram Navami. April 11- Chaitra Navratri Parana. April 12 - Kamada Ekadashi. April 14 - Pradosh fast / Aries Sankranti. April 16 - Hanuman Jayanti / Chaitra Purnima Vrat. April 19 - Sankashti Chaturthi. April 26 - Varuthini Ekadashi. April 28 - Pradosh fast. April 29 - Monthly Shivratri. April 30 – Vaishakh Amavasya.


Special:- The person who lives outside Varanasi or outside the country, he can get astrological consultation by phone, by paying the consultation fee through Paytm or Bank transfer for astrological consultation.


Have a good day .



24 मार्च 2022

लेख:- शीतला अष्टमी व्रत, 25.03.2022 Article:- Sheetala Ashtami Vrat, 25.03.2022


लेख:-शीतला अष्टमी व्रत, 25.03.2022


अष्टमी तिथि प्रारम्भ:- 24/25 मार्च अर्धरात्रि 12:09 am
अष्टमी तिथि समाप्त:- 25 मार्च 10:04 pm


शीतला अष्टमी व्रत प्रतिवर्ष चैत्रमास कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि के दिन माता शीतला के सम्मान में मनाया जाता है। शीतला अष्टमी को बासोड़ा के रूप मे भी मनाया जाता है, इसे बसौड़ा अष्टमी भी कहा जाता है। ये व्रत होली के आठवें दिन पड़ता है। यह त्यौहार श्रद्धा पूर्वक मनाये जाने वाला एक प्रसिद्ध त्योहार है। 

शीतला अष्टमी का उत्सव आमतौर पर रंगों के त्योहार होली के आठ दिनों के बाद आता है। शीतला अष्टमी को ऋतु परिवर्तन का संकेत भी माना जाता है, क्योंकि इस दिन के बाद से ग्रीष्म (गर्मी) ऋतु शुरू हो जाती है। गर्मियों में बासी भोजन नहीं खाया जाता, परंतु यह त्यौहार बासी भोजन के साथ ही मनाया जाने वाला पर्व हैं, इस प्रकार यह पर्व भी इस बात का उदाहरण है कि भारतीय संस्कृति में जितने भी पर्व-उत्सव मनाए जाते हैं, उनका संबंध ऋतु, स्वास्थ्य, सद्भाव और भाईचारे से है।  

होली के बाद मौसम का मिजाज बदलने लगता है और गर्मी भी धीरे-धीरे प्रारम्भ हो जाती है। बास्योड़ा मूलतः इसी ऋतु तथा स्वास्थ्य की अवधारणा से जुड़ा पर्व है। इसके अतिरिक्त हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार, देवी शीतला की पूजा करने से, भक्तों (विशेष रूप से बच्चों) को विभिन्न महामारियों से रक्षा की जा सकती है।

शीतला अष्टमी महत्व:-
हिन्दु धर्म ग्रंथों के अनुसार शीतला माता, रोगो तथा बीमारियों का शमन करने वाली देवी है, माता शीतला चेचक, खसरा और छोटी माता सहित विभिन्न रोगों की देवी और नियंत्रक मानी जाती हैं। शीतला अष्टमी का महत्व यह है कि शीतला देवी रोगों को ठीक करती है और भक्तों के जीवन में स्वास्थ्य और शांति लाती है।इस दिन माता शीतला की आराधना करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।


शीतला माता का स्वरूप:-
देवी शीतला गधे की सवारी करती है, क्योंकि गधा ही देवी का वाहन है। माता एक झाड़ू, पवित्र जल का एक कलश (बर्तन), कुछ नीम की पत्तियाँ और अपने चार हाथों के साथ एक धूलपात्र रखती हैं।

यदि देवी के इस स्वरूप को समझने का प्रयास करे तो, यह स्वरूप दर्शाता है कि देवी शीतला सभी कीटाणुओं को दूर करने के लिए झाडू का प्रयोग करती हैं, और फिर उन्हें इकट्ठा करने के लिए धूलपात्र का उपयोग करती हैं। इसके उपरांत पवित्र जल का झिडकाव करके नीम की पत्तियों का प्रयोग करती है । (देवी का यह स्वरूप मनुष्यों को साफ -सफाई का पालन तथा प्राकृतिक वस्तुओं के प्रयोग द्वारा निरोगी जीवन का संदेश देती हैं।)


शीतला अष्टमी व्रत विधि:-
1. शीतला अष्टमी का त्यौहार तथा माता का भोग भी एक दिन पहले पके हुए बासी भोजन से ही मनाया जाता है, अतः माता के प्रसाद के लिए, और समस्त  परिवार जनों के भोजन के लिए एक दिन पहले ही अर्थात सप्तमी तिथि को ही भोजन पकाया जाता है। परंतु इस दिन सम्पूर्ण रूप घर मे, तथा भोजन पकाने मे भी साफ-सफाई का ध्यान रखा जाना आवश्यक है। 

2. अगले दिन अष्टमी को प्रात: काल जल्दी उठकर सूर्योदय से पहले ही ठंडे पानी से स्नान करना चाहिए  । इसके उपरांत भक्तों को देवता के मंदिर में जाने और विभिन्न अनुष्ठानों को करने की आवश्यकता होती है।

3. इसके उपरांत विधि-विधान से मां शीतला की सामर्थ्यनुसार पंचोपचार अथवा षोडशोपचार पूजा करके व्रत का संकल्प करे । पूजा के दौरान माता शीतला को बासी भोजन का लगवाना चाहिए, भोग के रूप मे माँ को मुख्य रूप से एक दिन पूर्व मे बने हुए दही, राबड़ी, चावल, हलवा, पूरी, गुलगुले, मूंग की दाल, बाजरे की खिचड़ी, चुटकी भर हल्दी इत्यादि का भोग लगाया जाता है। (अष्टमी के दिन बासी पदार्थ ही देवी को नैवेद्य के रूप में समर्पित किया जाता है।)

4. इसके साथ ही शीतला सप्तमी-अष्टमी व्रत की कथा सुनी तथा सुनाई जाती हैं। इसके अतिरिक्त इस दिन "शीतलाष्टकम्" का पाठ अथवा शीतला महामंत्र का जाप भी अत्यंत पुण्यदायी है।

5. देवी को भोग अर्पित करने के बाद बचा हुआ भोजन तथा पकवान पवित्र भोजन (प्रसाद) के रूप में पूरे दिन खाया जाता है। विभिन्न क्षेत्रीय क्षेत्रों में, इसे लोकप्रिय रूप से 'बासोड़ा' कहा जाता है।

6. बास्योड़ा के दिन नए मटके, दही जमाने के कुल्हड़, हाथ से चलने वाले पंखे लाने व दान करने का भी प्रचलन है।

शीतलाष्टमी कथा:-
 एक दिन बूढ़ी औरत और उसकी दो बहुओं ने शीतला माता का व्रत रखा। मान्यता के मुताबिक अष्टमी के दिन बासी चावल माता शीतला को चढ़ाए व खाए जाते हैं। लेकिन दोनों बहुओं ने सुबह ताजा खाना बना लिया। क्योंकि हाल ही में दोनों की संताने हुई थीं, इस वजह से दोनों को डर था कि बासी खाना उन्हें नुकसान ना पहुंचाए। सास को ताजे खाने के बारे में पता चला तो उसने नाराजगी जाहिर की। कुछ समय बाद पता चला कि दोनों बहुओं की संतानों की अचानक मृत्यु हो गई है। इस बात को जान सास ने दोनों बहुओं को घर से बाहर निकाल दिया।

शवों को लेकर दोनों बहुएं घर से निकल गईं। बीच रास्ते वो विश्राम के लिए रूकीं। वहां उन दोनों को दो बहनें ओरी और शीतला मिली। दोनों ही अपने सिर में जूंओं से परेशान थी। उन बहुओं को दोनों बहनों को ऐसे देख दया आई और वो दोनों के सिर को साफ करने लगीं। कुछ देर बाद दोनों बहनों को आराम मिला। शीतला और ओरी ने बहुओं को आशीर्वाद देते हुए कहा कि तुम्हारी गोद हरी हो जाए।

ये बात सुन दोनों बुरी तरह रोने लगीं और उन्होंने महिला को अपने बच्चों के शव दिखाए। ये सब देख शीतला ने दोनों से कहा कि उन्हें उनके कर्मों का फल मिला है। ये बात सुन वो समझ गईं कि शीतला अष्टमी के दिन ताजा खाना बनाने के कारण ऐसा हुआ है।

ये सब जान दोनों ने माता शीतला से माफी मांगी और आगे से ऐसा ना करने को कहा। इसके बाद माता ने दोनों बच्चों को फिर से जीवित कर दिया। इस दिन के बाद से पूरे गांव में शीतला माता का व्रत धूमधाम से मनाए जाने लगा।



शीतला अष्टमी व्रत धारण करते हुए भक्त शीतला माता के महामंत्र तथा स्तोत्र इत्यादि का श्रद्धापूर्वक  जप तथा पाठ करते हुए मां शीतला की प्रसन्नता प्राप्त कर सकतें हैं ।


माता शीतला महामन्त्रः-

।।ॐ ह्रीं श्रीं शीतलायै नमः।।
 
।।श्री शीतलाष्टकं ।।

।।श्री शीतलायै नमः।।


शीतलाष्टकम्

विनियोगः- ॐ अस्य श्रीशीतलास्तोत्रस्य महादेव ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः, श्रीशीतला देवता, लक्ष्मी (श्री) बीजम्, भवानी शक्तिः, सर्व-विस्फोटक-निवृत्यर्थे जपे विनियोगः ।।

ऋष्यादि-न्यासः- श्रीमहादेव ऋषये नमः शिरसि, अनुष्टुप् छन्दसे नमः मुखे, श्रीशीतला देवतायै नमः हृदि, लक्ष्मी (श्री) बीजाय नमः गुह्ये, भवानी शक्तये नमः पादयो, सर्व-विस्फोटक-निवृत्यर्थे जपे विनियोगाय नमः सर्वांगे ।।

ध्यानः-
ध्यायामि शीतलां देवीं, रासभस्थां दिगम्बराम्।
मार्जनी-कलशोपेतां शूर्पालङ्कृत-मस्तकाम्।।


।।मूल-स्तोत्र।।

।।ईश्वर उवाच।।

वन्देऽहं शीतलां-देवीं, रासभस्थां दिगम्बराम् ।
मार्जनी-कलशोपेतां, शूर्पालङ्कृत-मस्तकाम् ।।१

वन्देऽहं शीतलां-देवीं, सर्व-रोग-भयापहाम् ।
यामासाद्य निवर्तन्ते, विस्फोटक-भयं महत् ।।२

शीतले शीतले चेति, यो ब्रूयाद् दाह-पीडितः ।
विस्फोटक-भयं घोरं, क्षिप्रं तस्य प्रणश्यति ।।३

यस्त्वामुदक-मध्ये तु, ध्यात्वा पूजयते नरः ।
विस्फोटक-भयं घोरं, गृहे तस्य न जायते ।।४

शीतले ! ज्वर-दग्धस्य पूति-गन्ध-युतस्य च ।
प्रणष्ट-चक्षुषां पुंसां , त्वामाहुः जीवनौषधम् ।।५

शीतले ! तनुजान् रोगान्, नृणां हरसि दुस्त्यजान् ।
विस्फोटक-विदीर्णानां, त्वमेकाऽमृत-वर्षिणी ।।६

गल-गण्ड-ग्रहा-रोगा, ये चान्ये दारुणा नृणाम् ।
त्वदनुध्यान-मात्रेण, शीतले! यान्ति सङ्क्षयम् ।।७

न मन्त्रो नौषधं तस्य, पाप-रोगस्य विद्यते ।
त्वामेकां शीतले! धात्री, नान्यां पश्यामि देवताम् ।।८
 

।।फल-श्रुति।।
मृणाल-तन्तु-सदृशीं, नाभि-हृन्मध्य-संस्थिताम् ।
यस्त्वां चिन्तयते देवि ! तस्य मृत्युर्न जायते ।।९

अष्टकं शीतलादेव्या यो नरः प्रपठेत्सदा ।
विस्फोटकभयं घोरं गृहे तस्य न जायते ।।१०

श्रोतव्यं पठितव्यं च श्रद्धाभाक्तिसमन्वितैः ।
उपसर्गविनाशाय परं स्वस्त्ययनं महत् ।।११

शीतले त्वं जगन्माता शीतले त्वं जगत्पिता ।
शीतले त्वं जगद्धात्री शीतलायै नमो नमः ।।१२

रासभो गर्दभश्चैव खरो वैशाखनन्दनः ।
शीतलावाहनश्चैव दूर्वाकन्दनिकृन्तनः ।।१३

एतानि खरनामानि शीतलाग्रे तु यः पठेत् ।
तस्य गेहे शिशूनां च शीतलारुङ् न जायते ।।१४

शीतलाष्टकमेवेदं न देयं यस्यकस्यचित् ।
दातव्यं च सदा तस्मै श्रद्धाभक्तियुताय वै ।।१५

।।इति श्रीस्कन्दपुराणे शीतलाष्टकं सम्पूर्णम् ।।

(समाप्त)
_______________________

आगामी लेख
1. 26 मार्च को "पापमोचनी एकादशी" पर लेख।
2. 27 मार्च से "दुर्गा मां, नवसवंत्सर तथा नवरात्रो पर धारावाहिक लेख।
_________________________

जय श्री राम
आज का पंचांग,दिल्ली 🌹🌹🌹
शुक्रवार,24.3.2022
श्री संवत 2078
शक संवत् 1944
सूर्य अयन- उत्तरायण, गोल-दक्षिण-उत्तर गोल
ऋतुः- वसन्त ऋतुः ।
मास- चैत्र मास।
पक्ष- कृष्ण पक्ष ।
तिथि- अष्टमी तिथि 10:06 pm तक
चंद्रराशि- चंद्र धनु राशि मे।
नक्षत्र- मूल नक्षत्र 4:08 pm तक
योग- वरियन योग अगले दिन 1:45 am तक (अशुभ है)
करण- बालव करण 11:09 am तक
सूर्योदय- 6:20 am, सूर्यास्त 6:34 pm
अभिजित् नक्षत्र- 12:03 pm से 12:52 pm
राहुकाल - 10:55 am से 12:27 pm (शुभ कार्य वर्जित,दिल्ली )
दिशाशूल- पश्चिम दिशा ।

मार्च शुभ दिन:-  25, 26, 27 (सवेरे 7 तक), 28, 29 (दोपहर 3 तक)
मार्च अशुभ दिन:- 30, 31.

गण्ड मूल आरम्भ:-
ज्येष्ठा नक्षत्र, 23 मार्च 6:53 pm से 25 मार्च 4:07 pm तक मूल नक्षत्र तक गंडमूल रहेगें। गंडमूल नक्षत्रों मे जन्म लेने वाले बच्चो का मूलशांति पूजन आवश्यक है।
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आगामी व्रत तथा त्यौहार:-
 25 मार्च- शीतलाष्टमी व्रत। 28 मार्च- पापमोचिनी एकादशी। 29 मार्च- मंगल प्रदोष व्रत (कृष्ण)। 30 मार्च- मासिक शिवरात्रि।1 अप्रैल- अमावस्या। 2 अप्रैल- नवरात्रि/ घटस्थापना। 3 अप्रैल- चेटी चंड। 10 अप्रैल-राम नवमी। 11 अप्रैल- चैत्र नवरात्रि पारणा। 12 अप्रैल- कामदा एकादशी। 14 अप्रैल- प्रदोष व्रत/मेष संक्रांति। 16 अप्रैल- हनुमान जयंती/चैत्र पूर्णिमा व्रत। 19 अप्रैल- संकष्टी चतुर्थी। 26 अप्रैल-वरुथिनी एकादशी। 28 अप्रैल- प्रदोष व्रत। 29 अप्रैल- मासिक शिवरात्रि। 30 अप्रैल- वैशाख अमावस्या।
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विशेष:- जो व्यक्ति वाराणसी से बाहर अथवा देश से बाहर रहते हो, वह ज्योतिषीय परामर्श हेतु Paytm या Bank transfer द्वारा परामर्श फीस अदा करके, फोन द्वारा ज्योतिषीय परामर्श प्राप्त कर सकतें है
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आपका दिन मंगलमय हो . 💐💐💐
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English Translation :-

Article:- Sheetala Ashtami Vrat, 25.03.2022



 Ashtami date starts:- 24/25 March midnight 12:09 am

 Ashtami date ends:- March 25 at 10:04 pm



 Sheetala Ashtami Vrat is celebrated every year on the Ashtami date of Chaitramas Krishna Paksha in honor of Mother Sheetla.  Sheetla Ashtami is also celebrated as Basoda, it is also known as Basoda Ashtami.  This fast falls on the eighth day of Holi.  This festival is a famous festival celebrated with reverence.


 The festival of Sheetala Ashtami usually falls eight days after Holi, the festival of colours.  Sheetala Ashtami is also considered a sign of change of seasons, because from this day onwards, the summer (summer) season begins.  Stale food is not eaten in summer, but this festival is celebrated along with stale food, thus this festival is also an example of the fact that all the festivals celebrated in Indian culture are related to season, health.  , is from harmony and brotherhood.


 After Holi, the mood of the weather starts changing and the heat also starts slowly.  Basyoda is basically a festival related to this season and the concept of health.  Additionally, according to Hindu scriptures, by worshiping Goddess Sheetala, devotees (especially children) can be protected from various epidemics.


 Significance of Sheetala Ashtami:-

 According to Hindu religious texts, Sheetla Mata is the extinguisher of diseases and ailments, Mata Sheetla is considered to be the goddess and controller of various diseases including smallpox, measles and small mother.  The significance of Sheetala Ashtami is that Sheetla Devi cures diseases and brings health and peace to the lives of the devotees. Worshiping Mata Sheetala on this day removes all the sufferings of the devotees and fulfills their wishes.



 Form of Sheetla Mata :-

 Goddess Sheetala rides a donkey, because the donkey is the vehicle of the goddess.  The mother holds a broom, a kalash (pot) of holy water, some neem leaves and a dustpan with her four hands.


 If one tries to understand this form of the Goddess, then this form shows that Goddess Sheetla uses a broom to remove all the germs, and then uses a dustpan to collect them.  After this, sprinkles holy water and uses neem leaves.  (This form of Goddess gives the message of healthy life to humans by following cleanliness and using natural things.)



 Sheetala Ashtami fasting method:-

 1. The festival of Sheetala Ashtami and Bhog of Mother is also celebrated with cooked stale food a day before, so for the Prasad of the mother, and for the food of all the family members, the food is cooked a day before i.e. on Saptami Tithi itself.  goes.  But on this day it is necessary to take care of cleanliness in the house as a whole, and also in cooking food.


 2. Next day on Ashtami one should wake up early in the morning and take bath with cold water before sunrise.  After this the devotees need to visit the temple of the deity and perform various rituals.


 3. After this, according to the power of Mother Sheetla, by law and by law, resolve the fast by performing Panchopchar or Shodashopachar worship.  During the worship, Mother Sheetla should be offered stale food, as bhog, mainly curd, Rabri, rice, pudding, poori, dumpling, moong dal, millet khichdi, pinch of turmeric made a day earlier.  Etc. is offered.  (On the day of Ashtami, the stale material is offered to the Goddess as Naivedya.)


 4. Along with this, the story of Sheetala Saptami-Ashtami fast is heard and narrated.  Apart from this, recitation of "Sheetlashtakam" or chanting of Sheetala Mahamantra is also very rewarding on this day.


 5. The food and dish left over after offering Bhog to the Goddess is eaten as holy food (Prasad) for the whole day.  In different regional regions, it is popularly known as 'Basoda'.


 6. On the day of Basyoda, there is also a practice of bringing new pots, axes for curd, hand-operated fans and donating.


 Sheetlashtami Story:-

 One day the old woman and her two daughters-in-law kept the fast of Sheetla Mata.  According to the belief, stale rice is offered to Mata Sheetla and eaten on the day of Ashtami.  But both the daughters-in-law cooked fresh food in the morning.  Because both of them had recently had children, due to this both were afraid that the stale food would not harm them.  When the mother-in-law came to know about the fresh food, she expressed her displeasure.  After some time it came to know that the children of both the daughters-in-law had died suddenly.  Knowing this, the mother-in-law threw both the daughters-in-law out of the house.


 Both the daughters-in-law left the house with the dead bodies.  On the way, she stopped for rest.  There they both found two sisters Ori and Sheetla.  Both were troubled by lice in their heads.  Those daughters-in-law felt pity to see both the sisters like this and they started cleaning their heads.  After sometime both the sisters got relief.  While blessing the daughters-in-law, Sheetla and Ori said that your lap should turn green.


 Hearing this, both of them started crying badly and they showed the dead bodies of their children to the woman.  Seeing all this, Sheetla told both of them that they have got the fruits of their deeds.  Hearing this, she understood that this has happened due to the preparation of fresh food on the day of Sheetala Ashtami.


 Both of them apologized to Mother Sheetla and asked not to do so in future.  After this the mother revived both the children.  From this day onwards, the fast of Sheetla Mata started being celebrated with pomp in the whole village.




 While observing the Sheetla Ashtami fast, devotees can get the happiness of Mother Sheetla by reciting and reciting the Mahamantra and hymns of Mata Sheetla with reverence.



 Mata Sheetla Mahamantra :-



 Shri Sheetlashtakam..


 Shri Sheetalai Namah..



 Sheetlashtakam


 Viniyoga:- Om Asya Srishitalastotrasya Mahadev Rishih, Anushtup Chhandah, Sri Shitala Devta, Lakshmi (Sri) Beejam, Bhavani Shaktih, Sarva-explosive-nivrtyarthe chanting Vinyogah.


 Rishyadi-nyasah- Shrimahadeva rishaye namah shirasi, anushtup chhandse namah mukhe, srishtala devatayi namah heart, Lakshmi (Shri) bijay namah guhyye, bhavani shaktye namah padyo, sarva-explosive-nivrutyarthe chanting viniyogay namah sarvange.


 Meditation :-

 Dhyayami Sheetlan Devi, Rasbhasthan Digambram.

 Marjani-Kalashopetaan Shoorpalankrit-Mastakam.



 ..original-hymn..


 ..Ishwar uvacha..


 Vande-ham Sheetalan-Devi, Rasabhsthan Digambram.

 Marjani-Kalashopeta, Shoorpalankrit-Mastakam ..1


 Vandeऽam Sheetalam-Devi, Sarva-Rog-Bhayapaham.

 Yamasadya nivartante, explosive-fear importance..2


 Sheetale Sheetale Cheti, yo bruyad dah-victimah.

 Explosive - fearful ghor, kshipran tasya pranasyati..3


 Yasthvamudaka-Madhe Tu, Dhyatva Pujayate Narah.

 Explosives - fearful, grihaye tasya na jayete..4


 Cool!  Fever-gaddhasya puti-gandh-yutsya c.

 Pranasta-Chakshusham Punsan, Tvamahuh Jeevanaushadham..5


 Cool!  Tanujan rogan, nrunam harsi dustyajan.

 Explosive-vidarnanam, tvamekamrit-varshini ..6


 Gal-ganda-graha-roga, ye chanye daruna nrunam.

 Mindfulness-only, Sheetale!  Yanti Sakshayam..7


 Na mantra naushadham tasya, sin-rogasya vidyate.

 Twamekan Sheetale!  Dhatri, Nanyam Pashyami Devtam ..8




 ..fruit-shruti..

 Mrunal-fibre-like, navel-heart-like institution.

 Yestva chintayte devi!  Tasya Mrityarna Jayate..9


 Ashtakam Sheetladevya yo Narah Prapathetsada.

 Explosives ghor ghare tasya na jayate ..10


 Srotavyam readitvyam cha shradhabhakti samanvitaih.

 Prefix Vinashaya Param Swasthyanam Mahat ..11


 Sheetale Tvam Jaganmata Sheetale Tvam Jagatpita.

 Sheetale Tvam Jagaddhatri Sheetalai Namo Namah ..12


 Rasbho gardabhschaiva kharo vaisakhanandanah.

 Sheetlawahanschaiva Durvakandnikrantanah ..13


 Etani Kharnamani Sheetlaagre Tu Yah Pathet.

 Tasya gehe shishunam cha sheetlarun na jayate..14


 Sheetlashtakame Vedam should not be given yasyakasyachit.

 Datvyam cha always tasmai shraddhabhaktiyutay vai..15


 ..Iti Sriskandapurane Sheetlashtakam Sampoornam..


 (End)


 upcoming articles

 1. Article on "Papmochani Ekadashi" 26 March.

 2. Serial articles on "Durga Maa, Navaswantsar and Navratra from March 27".


 Long live Rama

 Today's Panchang, Delhi

 Friday, 24.3.222

 Shree Samvat 2078

 Shaka Samvat 1944

 Surya Ayan- Uttarayan, Round-South-North Round

 Rituah - the spring season.

 Month - Chaitra month.

 Paksha - Krishna Paksha.

 Date- Ashtami date till 10:06 pm

 Moon sign - Moon in Sagittarius.

 Nakshatra - Mool Nakshatra till 4:08 pm

 Yoga-Varian Yoga till 1:45 am the next day (inauspicious)

 Karan- Balav Karan till 11:09 am

 Sunrise - 6:20 am, Sunset 6:34 pm

 Abhijit Nakshatra - 12:03 pm to 12:52 pm

 Rahukaal - 10:55 am to 12:27 pm (Good work prohibited, Delhi)

 Dishashul – West direction.


 March Lucky Days:- 25, 26, 27 (till 7 am), 28, 29 (till 3 pm)

 March inauspicious days:- 30, 31.


 Gand Mool Aarambh:-

 Jyestha Nakshatra, from 23 March 6:53 pm to 25 March 4:07 pm will remain Gandmool till Mool Nakshatra.  Children born in Gandmool constellations need to worship Moolshanti.


 Upcoming fasts and festivals:-

 March 25 - Sheetlashtami fasting.  March 28 - Papmochini Ekadashi.  March 29- Mangal Pradosh Vrat (Krishna).  March 30 - Monthly Shivratri. April 1 - Amavasya.  April 2 - Navratri / Ghatasthapana.  April 3 - Cheti Chand.  April 10 - Ram Navami.  April 11- Chaitra Navratri Parana.  April 12 - Kamada Ekadashi.  April 14 - Pradosh fast / Aries Sankranti.  April 16 - Hanuman Jayanti / Chaitra Purnima Vrat.  April 19 - Sankashti Chaturthi.  April 26 - Varuthini Ekadashi.  April 28 - Pradosh fast.  April 29 - Monthly Shivratri.  April 30 – Vaishakh Amavasya.


 Special:- The person who lives outside Varanasi or outside the country, he can get astrological consultation by phone, by paying the consultation fee through Paytm or Bank transfer for astrological consultation.


 Have a good day . 

04 मार्च 2022

धारावाहिक लेख:- वास्तुशास्त्र, भाग-2 Serial Article:- Vastu Shastra, Part-2


धारावाहिक लेख:- वास्तुशास्त्र, भाग-2


भूखण्ड का चयन तथा सावधानियां:-

भूखंड का सही चुनाव किसी भी भवन के लिए, भूखंड (प्लॉट) पहली आवश्‍यकता होती है। भूखंड के चयन में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए ।  भूखंड एक अचल संपत्ति है । जहां निवास अथवा रोजगार करना है, यही दो जरूरते जीवन के दो आधार स्तंभ है, अतः इनके लिए भूखण्ड के चयन मे अतिरिक्त सावधानी बरतना अति आवश्यक है । प्रत्येक भूखंड का अपना एक प्रभाव होता है। यह प्रभाव सकारात्मक और नकारात्मक कुछ भी हो सकता है । भूखण्ड कि सकारात्मकता और नकारात्मकता कुछ बिंदुओं पर निर्भर करती है, जैसे:-

1. भूखण्ड के आकार:-
भूखण्ड लेते समय आयताकार या वर्गाकार को ही महत्त्व देना चाहिए, अर्थात भूखण्ड के आकार तथा वस्तुस्थिति को परख कर ही भूखण्ड लेना चाहिए ।

आयताकार भूखंड:-
जिस भूमि की दोनों भुजाएं और चारों कोण समान हो उसे आयताकार भूखंड कहते हैं। यह हर प्रकार से धनदायक एवं पुष्टि दायक होता है।

वर्गाकार भूखंड:-
जिस भूखंड की चारों भुजाएं और चारों कोण समान हो उसे वर्गाकार भूखंड कहते हैं। यह भूखंड भी धनदायक और दरिद्रता को मिटाने वाला होता है।

भूखण्ड का एक दिशा मे बडा होना:-
आयताकार या वर्गाकार प्लॉट उत्तर-पूर्व दिशा में बढ़ा हुआ हो तो भी घर-परिवार के लिए शुभ माना जाता है, यदि दक्षिण-पश्चिम और दक्षिण-पूर्व में बढ़ा हुआ हो तो यह अच्छा नहीं माना जाता।

पूर्व से पश्चिम की ओर लम्बाई वाले भूखण्ड पर बनने वाले मकान सूर्य वेधी होते हैं। इसी प्रकार उत्तर से दक्षिण की लम्बाई वाले चन्द्र वेधी होते हैं। धन वृद्धि के लिए चन्द्र वेधी मकान उपयुक्त होते हैं।

भूखण्ड खरीदते समय यह भी ध्यान रखना चाहिए कि आमने-सामने की भुजाएं बराबर हों।

ऐसी भूमि जो देखने में ढोलक या मृदंग के आकार की हो उसे त्याग देना चाहिए। इस प्रकार का भूखण्ड  गृहस्वामी को ढोलक के समान खाली रखती है।

भूखण्ड की चौड़ाई के दूगने से अधिक उसकी गहराई (लम्बाई) नहीं होनी चाहिए।

त्रिभुजाकार (त्रिकोण) भूखण्ड भी किसी प्रकार के निर्माण के लिए उपयुक्त नहीं होते हैं।

2. भूखण्ड की भूमि का शुभाशुभ:-
ढलाव और मिट्‌टी की गुणवत्ता, भवन निर्माण के लिए चयनित भूमि दोषरहित, चिकनी तथा ठोस मिट्टी से युक्त होनी चाहिए। 

मीठे पानी एवं उपजाऊ मिट्‌टी वाला भूखंड ही भवन निर्माण के लिए सर्वोत्तम होता है।

भूमि ठोस होनी चाहिए। जो भूमि ठोस नहीं वह गृह निर्माण के लिए उपयुक्त नहीं होगी। भूमि की मिट्टी परीक्षण अवश्य करवाना चाहिए। 

3. भूखण्ड की स्थिति:-
भूंखड का चयन करने से पहले ये ध्यान रखें कि वह दो प्लॉट के बीच स्थित एक छोटा प्लॉट नहीं होना चाहिए। एेसा होने पर यह आर्थिक समृद्धि पर बुरा प्रभाव डालता है। 

प्लॉट के पूर्व, उत्तर और उत्तर पूर्व दिशा में कोई बड़ा या भारी निर्माण न हो, यह ध्यान में अवश्य रखें।

भूखण्ड के उतर-पूर्व में कोई पानी का स्थान, जैसे टंकी, तालाब आदि हो तो शुभ है, लेकिन दक्षिण-पश्चिम दिशा में ये अच्छे नहीं माने गए हैं ।

भूखंड का, शांत और हरे-भरे वातावरण में स्थित होना अतिरिक्त शुभता देता है ।

4. भूखण्ड की ढलान:-
समतल प्लॉट सबसे अच्छा माना गया है। यदि प्लॉट ढलवां हो, तो यह ढलान उत्तर या पूर्व दिशा की और होना चाहिए। (भूखण्ड का ढलान पूर्व की ओर शुभ तथा प्रगतिदाता होता है, और उत्तर की ओर हो तो धन प्रदायक होता है। )

इसके विपरीत दक्षिण या पश्चिम दिशा वाली ढलान पर मकान नहीं बनवाना चाहिए।

दक्षिण–पश्चिम दिशाओं में ऊंचाई अधिक होने वाले भूखण्ड भी ठीक होते हैं।

5. भूखण्ड का मुख:-
भारतीय वास्तुशास्त्र के अनुसार पूर्वामुखी, उत्तर- पूर्वामुखी तथा उत्तरमुखी भूखण्ड, इसी क्रम से शुभ होते है। 

नैऋत्य मुखी तथा दक्षिण मुखी भूखण्ड शुभ नही माने जाते, संभव हो, तथा अन्य भूखण्ड चयन के लिए उपलब्ध हो तो उपरोक्त लिखित भूखण्ङो का त्याग कर देना चाहिए, परंतु यदि कोई अन्य विकल्प न हो तो नैऋत्य मुखी तथा दक्षिण मुखी भूखण्ड मे उसके अनुसार ही निर्माण करके, विधिवत वास्तु पूजन करके ही उस भवन में निवास करना उचित होता है।

भवन या भूखण्ड का विभिन्न दिशाओ की ओर मुख होने से यह अलग-अलग व्यक्तियो के लिए, निम्नलिखित प्रकार से शुभ रहता है:-

क. पूर्वमुखी प्लॉट शिक्षा, धर्म और अध्यात्म के कार्यो के लिए शुभ है । 

ख. पश्चिम मुखी प्लॉट निम्नलिखित सेवाएं प्रदान करने वाले व्यक्तियो के लिए शुभ होता है जैसे, इंजीनियर, वकील तथा डाक्टर ।

ग. सरकारी सेवा, पुलिस तथा सेना में कम करने वालों के लिए उत्तर मुखी भूखण्ड अथवा भवन शुभ रहता है।
  
घ. व्यापारियों और व्यापारिक संस्थानों में कार्य करने के लिए दक्षिण मुखी भूखण्ड शुभ अथवा उत्तम रहता है।


6. भूमि अथवा भूखण्ड के चुनाव के लिए अन्य महत्वपूर्ण नियम:-
गोमुखी भूखण्ड:-
कुछ भूखण्डों का मुँह आगे से संकरा और पीछे ज्यादा चौड़ा होता है, ऐसे भूखण्ड गौ–मुखी कहलाते हैं। इस प्रकार के भूखण्ड निजी आवास के लिए सर्वश्रेष्ठ होते हैं।

सिंहमुखी भूखण्ड:-
भूखण्डों का मुँह आगे की तरफ चौड़ा और पीछे की तरफ संकरा होता है। ऐसे भूखण्ड शेर मुखी या सिंह मुखी कहलाते हैं। ऐसे भूखण्ड व्यापारिक कार्यों अथवा कारखाना लगाने के लिए उपयुक्त होते हैं।

जिस भूमि मे दीमक, सांप की बांबी, हड्डी, बाल,  कांच, कंटीले पौधे अथवा वृक्ष हो, अथवा रेतीली और बंजर जमीन हो तो उसका त्याग करना ही उचित है।

भूखण्ड में ज्यादा कंकड़–पत्थर अथवा जंगली पेड़–पौधे भी नहीं होने चाहिए।

बड़े वृक्ष भूखण्ड के दक्षिण एवं पश्चिम में होने चाहिए।

भूखण्ड के ऊपर से किसी भी प्रकार के बिजली के तार आदि नहीं गुजरने चाहिए।

गोल भूखण्ड किसी भी प्रकार के निर्माण के लिए उपयुक्त नहीं होते हैं।


(क्रमशः)
लेख के तीसरे भाग में कल "मुख्यद्वार" पर लेख।
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आगामी लेख
1. 3 मार्च से "वास्तु" विषय पर धारावाहिक लेख
2. शीघ्र ही "होलाष्टक, होलिका दहन तथा धुलैण्डी" पर धारावाहिक लेख प्रारम्भ।
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जय श्री राम
आज का पंचांग,दिल्ली 🌹🌹🌹
शुक्रवार,4.3.2022
श्री संवत 2078
शक संवत् 1943
सूर्य अयन- उतरायण, गोल-दक्षिण गोल
ऋतुः- वसन्त ऋतुः ।
मास- फाल्गुन मास।
पक्ष- शुक्ल पक्ष ।
तिथि- द्वितीय तिथि 8:47 pm तक
चंद्रराशि- चंद्र मीन राशि मे।
नक्षत्र- उ०भाद्रपद नक्षत्र अगले दिन 1:52 am तक
योग- शुभ योग अगले दिन 1:44 am तक (शुभ है)
करण- बालव करण 9:08 am तक
सूर्योदय 6:43 am, सूर्यास्त 6:22 pm
अभिजित् नक्षत्र- 12:09 pm से 12:56 pm
राहुकाल - 11:05 am से 12:33 pm (शुभ कार्य वर्जित,दिल्ली )
दिशाशूल- पश्चिम दिशा ।

मार्च शुभ दिन:-  5, 6 (सवेरे 9 तक), 7, 19, 20, 21 (सवेरे 8 उपरांत), 23 (सायं. 7 तक), 25, 26, 27 (सवेरे 7 तक), 28, 29 (दोपहर 3 तक)
मार्च अशुभ दिन:- 8, 9, 10, 11, 12, 13, 14, 15, 16, 17, 18, 22, 24, 30, 31

पंचक प्रारंभ:- 1 मार्च को 4:31 pm से 6 मार्च 2:29 am तक  पंचक नक्षत्रों  मे निम्नलिखित काम नही करने चाहिए, 1.छत बनाना या स्तंभ बनाना( lantern  or Pillar ) 2.लकडी  या  तिनके तोड़ना , 3.चूल्हा लेना या बनाना, 4. दाह संस्कार करना (cremation) 5.पंलग चारपाई, खाट , चटाई  बुनना  या बनाना 6.बैठक का सोफा या गद्दियाँ बनाना । 7 लकड़ी ,तांबा ,पीतल को जमा करना ।(इन कामो के सिवा अन्य सभी शुभ  काम पंचको मे किए जा सकते है।
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आगामी व्रत तथा त्यौहार:-
10 मार्च- होलाष्टक प्रांरभ। 14 मार्च- आमलकी एकादशी/मीन संक्रांति (पुण्यकाल 15 मार्च मध्याह्न काल तक) 15 मार्च- प्रदोष व्रत (शुक्ल) 17 मार्च- होलिका दहन। 18 मार्च- होली/फाल्गुन पूर्णिमा व्रत। 21 मार्च- संकष्टी चतुर्थी। 22 मार्च- श्रीरंग पंचमी। 25 मार्च- शीतलाष्टमी व्रत। 28 मार्च- पापमोचिनी एकादशी। 29 मार्च- मंगल प्रदोष व्रत (कृष्ण)। 30 मार्च- मासिक शिवरात्रि।
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विशेष:- जो व्यक्ति वाराणसी से बाहर अथवा देश से बाहर रहते हो, वह ज्योतिषीय परामर्श हेतु Paytm या Bank transfer द्वारा परामर्श फीस अदा करके, फोन द्वारा ज्योतिषीय परामर्श प्राप्त कर सकतें है
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आपका दिन मंगलमय हो . 💐💐💐
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English Translation :-

Serial Article:- Vastu Shastra, Part-2



 Plot selection and precautions:-


 Correct Selection of Plot For any building, the first requirement is a plot.  Special care should be taken in the selection of plot.  The plot is an immovable property.  Where residence or employment is to be done, these two needs are the two pillars of life, so it is very important to take extra care in the selection of the plot for them.  Each plot has its own effect.  This effect can be either positive or negative.  The positivity and negativity of the plot depends on certain points, such as:-


 1. Size of the plot:-

 While taking a plot, importance should be given to rectangular or square, that is, after examining the size and location of the plot, the plot should be taken.


 Rectangular Plot:-

 The land in which both the sides and all the four angles are equal is called rectangular plot.  It is beneficial and affirming in every way.


 Square Plot:-

 A plot in which all the four sides and four angles are equal is called a square plot.  This plot is also beneficial and eradicating poverty.


 Enlargement of plot in one direction:-

 Even if a rectangular or square plot is extended in the north-east direction, it is considered auspicious for the family, if it is increased in the south-west and south-east then it is not considered good.


 The houses built on the length of the plot from east to west are sun vedhi.  Similarly, the length of the moon from north to south is vedhi.  Moon vedhi houses are suitable for wealth growth.


 While buying a plot, it should also be kept in mind that the opposite sides are equal.


 Such land which is of the size of a drum or a mridang in appearance should be discarded.  This type of plot keeps the householder empty like a drummer.


 Its depth (length) should not be more than twice the width of the plot.


 Triangular (triangle) plots are also not suitable for any type of construction.


 2. Inauspicious of the land of the plot:-

 Slope and soil quality, the land selected for building construction should be faultless, smooth and consist of solid soil.


 The land with fresh water and fertile soil is best for building construction.


 The land should be solid.  The land which is not solid will not be suitable for house construction.  Soil test of the land must be done.


 3. Location of the plot:-

 Before selecting a plot, keep in mind that it should not be a small plot situated between two plots.  When this happens, it has a bad effect on economic prosperity.


 Keep in mind that there should not be any big or heavy construction in the east, north and north east direction of the plot.


 If there is any water place in the north-east of the plot, such as a tank, pond, etc., it is auspicious, but in the south-west direction, it is not considered good.


 The location of the plot in a calm and green environment gives additional auspiciousness.


 4. Slope of the plot:-

 Flat plot is considered best.  If the plot is sloping, then this slope should be in the north or east direction.  (The slope of the plot towards the east is auspicious and progressive, and if it is towards the north, then it gives wealth.)


 Conversely, a house should not be built on the slope facing south or west.


 The plots having high altitude in the south-west directions are also fine.


 5. Face of the plot:-

 According to Indian Vastu Shastra, east facing, north-east facing and north facing plots are auspicious in this order.


 South facing and south facing plots are not considered auspicious, if possible, and other plots are available for selection, then the above mentioned plots should be discarded, but if there is no other option, then in south facing and south facing plots accordingly.  It is advisable to reside in that building only after doing construction, duly worshiping Vastu.


 As the building or plot is facing different directions, it remains auspicious for different people in the following way:-


 A. East facing plot is auspicious for the work of education, religion and spirituality.


 B. West facing plot is auspicious for the persons providing the following services such as Engineers, Lawyers and Doctors.


 C. North facing plot or building is auspicious for those working in government service, police and army.



 D. South facing plot is auspicious or good for working in businessmen and business institutions.



 6. Other important rules for the selection of land or plot:-

 Gomukhi Plot:-

 The mouth of some plots is narrower in front and wider at the back, such plots are called Gau-Mukhi.  These types of plots are best for private accommodation.


 Lionhead Plot:-

 The mouth of the plots is wide at the front and narrow at the back.  Such plots are called Sher Mukhi or Lion Mukhi.  Such plots are suitable for commercial purposes or for setting up factories.


 The land which has termites, snake bambi, bone, hair, glass, thorny plants or trees, or sandy and barren land, then it is advisable to abandon it.


 There should not be too many pebbles or wild trees and plants in the plot.


 Big trees should be in the south and west of the plot.


 No electric wires etc. should pass over the plot.


 Round plots are not suitable for any type of construction.



 (respectively)

 The article on the "Maingate" tomorrow in the third part of the article.


 upcoming articles

 1. Serial article on the topic "Vastu" from March 3

 2. Serial articles on "Holashtak, Holika Dahan and Dhulandi" will start soon.


 Long live Rama

 Today's Panchang, Delhi

 Friday,4.3.2022

 Shree Samvat 2078

 Shaka Samvat 1943

 Surya Ayan- Uttarayan, Round-South Round

 Rituah - the spring season.

 Month - Falgun month.

 Paksha - Shukla Paksha.

 Date - 2nd date till 8:47 pm

 Moon sign - Moon in Pisces.

 Nakshatra- Ubhadrapada Nakshatra till 1:52 am the next day

 Yoga - Auspicious yoga till 1:44 am the next day (good luck)

 Karan- Balav Karan till 9:08 am

 Sunrise 6:43 am, Sunset 6:22 pm

 Abhijit Nakshatra - 12:09 pm to 12:56 pm

 Rahukaal - 11:05 am to 12:33 pm (Good work prohibited, Delhi)

 Dishashul – West direction.


 March Lucky Days:- 5, 6 (till 9 am), 7, 19, 20, 21 (after 8 am), 23 (till 7 pm), 25, 26, 27 (till 7 am), 28, 29 (  until 3 pm)

 March inauspicious days:- 8, 9, 10, 11, 12, 13, 14, 15, 16, 17, 18, 22, 24, 30, 31


 Panchak Start:- On March 1st from 4:31 pm to March 6th 2:29 am, the following things should not be done in Panchak Nakshatras, 1. Making a roof or making a pillar (lantern or pillar) 2. Breaking wood or straws, 3. Hearth  Taking or making, 4. Cremation 5. Bed bed, cot, mat, knit or make 6. Making sofa or mattress for the meeting.  7 To deposit wood, copper, brass. (Apart from these works all other auspicious work can be done in Panchko.


 Upcoming fasts and festivals:-

 March 10 - Holashtak begins.  March 14- Amalaki Ekadashi / Meen Sankranti (Punyakaal till March 15 midday) March 15- Pradosh fast (Shukla) March 17- Holika Dahan.  March 18- Holi/Falgun Purnima Vrat.  March 21 - Sankashti Chaturthi.  March 22 - Shrirang Panchami.  March 25 - Sheetlashtami fasting.  March 28 - Papmochini Ekadashi.  March 29- Mangal Pradosh Vrat (Krishna).  March 30 - Monthly Shivratri.


 Special:- The person who lives outside Varanasi or outside the country, he can get astrological consultation by phone, by paying the consultation fee through Paytm or Bank transfer for astrological consultation.


 Have a good day . 

कामदा एकादशी व्रत 19-04-2024

☀️ *लेख:- कामदा एकादशी, भाग-1 (19.04.2024)* *एकादशी तिथि आरंभ:- 18 अप्रैल 5:31 pm* *एकादशी तिथि समाप्त:- 19 अप्रैल 8:04 pm* *काम...