25 मई 2022

अपरा एकादशी Apara Ekadashi, 26 May 2022


लेख:-अपरा एकादशी, 26 मई 2022

एकादशी तिथि आरंभ–25 मई, 10:34 am
एकादशी तिथि समाप्त–26 मई, 10:55 am
व्रत पारण का समय– 27 मई, 5:25 am से 8:10 am तक।
अवधि:- 2 घंटे 45 मिनट

अपरा एकादशी का व्रत प्रतिवर्ष ज्येष्ठ मास कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है, वर्ष  2022 में अपरा एकादशी का व्रत 26 मई को रखा जाएगा।

अपरा एकादशी को जलक्रीड़ा एकादशी, अंजलि एकादशी, अचला एकादशी, अपरा एकादशी, और भद्रकाली एकादशी नाम से भी जाना जाता है। एकादशी का पर्व भगवान विष्णु जी को समर्पित है, अर्थात एकादशी के दिन मुख्य रूप से भगवान विष्णु 
या इनके अन्य अवतार की पूजा की जाती है, परंतु अपरा एकादशी को भद्रकाली एकादशी के रूप में भी मनाया जाता है, ऐसा माना जाता है आज ही के दिन भगवान शिव की जटाओ से मां भद्रकाली प्रकट हुईं थी। मां भद्रकाली के प्रकाट्य का मुख्य कारण पृथ्वी से राक्षसों का संहार करना था। अतः इस दिन माता दुर्गा के भद्रकाली रूप की भी पूजा की जाती है 

अपरा एकादशी के द‍िन भगवान विष्णु की पूजा उनके एक अन्य नाम 'भगवान त्रिविक्रम' के नाम से भी की जाती है। मान्‍यता है कि अपरा एकादशी के व्रत तथा पूजन से मनुष्‍य सभी पापों से मुक्‍त हो जाता है। अपरा एकादशी का शाब्दिक तात्पर्य है कि इस एकादशी का पुण्य अपार है। इस दिन व्रत करने से कीर्ति, पुण्य और धन की वृद्धि होती है। वहीं मनुष्य को ब्रह्म हत्या, परनिंदा और प्रेत योनि जैसे पापों से मुक्ति मिल जाती है। 

अपरा एकादशी व्रत का महत्व:-
नारदपुराण के अनुसार एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को बेहद प्रिय होता है। जिस तरह चतुर्थी को गणेश जी, त्रयोदशी को शिवजी, पंचमी को लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है उसी प्रकार एकादशी तिथि को भगवान श्री हरि विष्णु जी की पूजा की जाती है।
अपरा एकादशी व्रत के प्रभाव से सुखों तथा आनंद की प्राप्ति होती है, तथा पापों का नाश होता है। इस एकादशी का उपवास रखने से पापी मनुष्य के भी पाप कट जाते हैं और अपार खुशियां मिलती हैं। 

अपरा एकादशी के संबंध में शास्त्रों मे यह कहा गया है कि, मकर संक्रांति के समय गंगा स्नान से, जो फल कुंभ स्नान, केदारनाथ के दर्शन या बद्रीनाथ के दर्शन से, सूर्यग्रहण के समय कुरुक्षेत्र मे स्वर्णदान करने से जो फल मिलता है, तथा शिवरात्रि के समय काशी में स्नान करने से जो पुण्य मिलता है, जो फल गंगा तट पर पितरों को पिंडदान करने से प्राप्त होता है, ठीक उन्ही के समान पुण्य की प्राप्ति अपरा एकादशी के व्रत से होती है।

शास्त्रों मे आगे वर्णित है कि अपरा एकादशी बडी पुण्य प्रदाता और बड़े-बड़े पातकों का नाश करने वाली है। ब्रह्मा हत्या से दबा हुआ, सगोत्र की हत्या करने वाला, गर्भस्थ शिशु को मारने वाला, परनिंदक, परस्त्रीगामी मनुष्य भी अपरा एकादशी का व्रत रखने से पापो से मुक्ति प्राप्त करता है ।


अपरा एकादशी व्रत पूजा विधि:-

अपरा एकादशी व्रत के दिन मनुष्य को तन और मन से शुद्ध होना आवश्यक है । इस व्रत की शुरूआत दशमी के दिन से ही खान-पान, आचार- विचार द्वारा करनी चाहिए। 

1.  अपरा एकादशी से एक दिन पूर्व यानि दशमी के दिन शाम को सूर्यास्त के बाद भोजन नहीं करना चाहिए। रात्रि में भगवान का ध्यान करते हुए सोना चाहिए।

2. एकादशी के दिन प्रातः साधक को नित क्रियाओं से निवृत्त होकर स्नान के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए। 

3.इसके बाद भगवान विष्णु, कृष्ण तथा बलराम जी का धूप, दीप, फल, फूल, तिल आदि से पूजा करने का विशेष विधान है। विष्णुसहस्रनाम का पाठ करना चाहिए। एकादशी पर जो व्यक्ति विष्णुसहस्रनाम का पाठ करता है उस पर भगवान विष्णु की विशेष कृपा होती है।

4. पूरे दिन निर्जल उपवास करना चाहिए, यदि संभव ना हो तो पानी तथा एक समय फल आहार ले सकते हैं। व्रत रखने वाले व्यक्ति को इस दिन छल-कपट, बुराई और झूठ नहीं बोलना चाहिए। इस दिन चावल खाने की भी मनाही होती है।

5. द्वादशी के दिन यानि पारण के दिन भगवान का पुनः पूजन कर कथा का पाठ करना चाहिए। कथा पढ़ने के बाद प्रसाद वितरण, ब्राह्मण को भोजन तथा दक्षिणा देकर विदा करना चाहिए। 

6. ब्राह्मण भोजन तथा दक्षिणा इत्यादि के बाद ही स्वयं का उपवास खोलना चाहिए।


अपरा एकादशी को पथ्य-अपथ्य:-

अपथ्य:-(अर्थात ग्रहण न करने योग्य)
1. व्रती को गाजर, शलजम, गोभी, पालक, कुलफा का साग इत्यादि का सेवन नहीं करना चाहिए। 

2. मांस, प्याज, मसूर की दाल आदि का निषेध वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए।

3. रात्रि को पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए तथा भोग-विलास से दूर रहना चाहिए।

4. क्रोध करना तथा अपशब्द बोलना इत्यादि वर्जित है । 

5. एकादशी के दिन बाल कटवाना अर्थात क्षौर कर्म नही करना चाहिए।

6. एकादशी को चावल व साबूदाना खाना वर्जित है 


पथ्य:-( ग्रहण करने योग्य)
1. केला, आम, अंगूर, बादाम, पिस्ता इत्यादि अमृत फलों का सेवन किया जा सकता है।

2. एकादशी को आँवले के रस का प्रयोग कर स्नान करने से पापो का नाश हो जाता है ।


अपरा (अचला) एकादशी व्रत कथा:-
अपरा एकादशी की व्रत कथा के संबंध में दो तथा दो से अधिक कथाएं प्रचलित है, इनमे से एक मुख्य  कथा इस प्रकार से है:-

कथा:-
प्राचीन काल में महीध्वज नामक एक धर्मात्मा राजा था। उसका छोटा भाई वज्रध्वज बड़ा ही क्रूर, अधर्मी तथा अन्यायी था। वह अपने बड़े भाई से द्वेष रखता था। 

उस अवसरवादी पापी भाई ने एक दिन रात्रि में अपने बड़े भाई की हत्या करके उसकी देह को एक जंगली पीपल के नीचे गाड़ दिया। इस अकाल मृत्यु से राजा प्रेतात्मा के रूप में उसी पीपल पर रहने लगा और अनेक उत्पात करने लगा। 

अकस्मात एक दिन धौम्य नामक ॠषि उधर से गुजरे। उन्होंने प्रेत को देखा और तपोबल से उसके अतीत को जान लिया। अपने तपोबल से प्रेत उत्पात का कारण समझा। ॠषि ने प्रसन्न होकर उस प्रेत को पीपल के पेड़ से उतारा तथा परलोक विद्या का उपदेश दिया। दयालु ॠषि ने राजा की प्रेत योनि से मुक्ति के लिए स्वयं ही अपरा (अचला) एकादशी का व्रत किया और उसे अगति से छुड़ाने को उसका पुण्य प्रेत को अर्पित कर दिया। इस पुण्य के प्रभाव से राजा की प्रेत योनि से मुक्ति हो गई। वह ॠषि को धन्यवाद देता हुआ दिव्य देह धारण कर पुष्पक विमान में बैठकर स्वर्ग को चला गया।

(समाप्त)
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आगामी लेख:-
1. 26 मई को "प्रदोष व्रत" पर लेख
2. 27 मई को "मासिक शिवरात्रि" पर लेख
3. 28 मई को "वटसावित्री व्रत(अमावस्या)" पर लेख
4. 29,30 मई को "सोमवती अमावस्या/शनैश्चर जयंती" पर लेख
5. 1 जून को "रंभा तृतीया" पर लेख
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जय श्री राम
आज का पंचांग,दिल्ली 🌹🌹🌹
बुधवार,25.5.2022
श्री संवत 2079
शक संवत् 1944
सूर्य अयन- उत्तरायण, गोल-उत्तर गोल
ऋतुः- ग्रीष्म ऋतुः ।
मास- ज्येष्ठ मास।
पक्ष- कृष्ण पक्ष ।
तिथि- दशमी तिथि 10:34 am तक
चंद्रराशि- चंद्र मीन राशि में।
नक्षत्र- उ०भाद्रपद नक्षत्र 11:19 pm तक
योग- प्रीति योग 10:43 pm तक (शुभ है)
करण- विष्टि करण 10:34 am तक
सूर्योदय- 5:26 am, सूर्यास्त 7:10 am
अभिजित् नक्षत्र-कोई नहीं
राहुकाल- 12:18 pm से 2:01 pm शुभ कार्य  वर्जित
दिशाशूल- उत्तर दिशा।

मई शुभ दिन:- 25 (सवेरे 11 उपरांत), 26, 28 (दोपहर 12 तक).
मई अशुभ दिन:-  28, 29, 30, 31. 

भद्रा:- 24 मई 10:40 pm से 25 मई 10:33 am तक ( भद्रा मे मुण्डन, गृहारंभ, गृहप्रवेश, विवाह, रक्षाबंधन आदि शुभ काम नही करने चाहिये , लेकिन भद्रा मे स्त्री प्रसंग, यज्ञ, तीर्थस्नान, आपरेशन, मुकद्दमा, आग लगाना, काटना, जानवर संबंधी काम किए जा सकतें है।

गण्ड मूल आरम्भ:-
25 मई, रेवती नक्षत्र, 11:20 pm से 28 मई को अश्विनी नक्षत्र 2:26 am तक गंडमूल रहेगें। गंडमूल नक्षत्रों मे जन्म लेने वाले बच्चो का मूलशांति पूजन आवश्यक है।

गण्ड मूल आरम्भ:-
25 मई, रेवती नक्षत्र, 11:20 pm से 28 मई को अश्विनी नक्षत्र 2:26 am तक गंडमूल रहेगें। गंडमूल नक्षत्रों मे जन्म लेने वाले बच्चो का मूलशांति पूजन आवश्यक है।

पंचक प्रारंभ:- 22 मई को 11:12 am से 26/27 मई अर्धरात्रि 00:39 am तक पंचक नक्षत्रों  मे निम्नलिखित काम नही करने चाहिए, 1.छत बनाना या स्तंभ बनाना( lantern  or Pillar ) 2.लकडी  या  तिनके तोड़ना , 3.चूल्हा लेना या बनाना, 4. दाह संस्कार करना (cremation) 5.पंलग चारपाई, खाट , चटाई  बुनना  या बनाना 6.बैठक का सोफा या गद्दियाँ बनाना । 7 लकड़ी ,तांबा ,पीतल को जमा करना ।(इन कामो के सिवा अन्य सभी शुभ  काम पंचको मे किए जा सकते है।
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आगामी व्रत तथा त्यौहार:-
26 मई-अपरा- भद्रकाली एकादशी। 27 मई- प्रदोष व्रत। 28 मई- मासिक शिवरात्रि। 30 मई- ज्येष्ठ/भावुका/सोमवती अमावस्या/शनैश्चर जयंती।
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विशेष:- जो व्यक्ति वाराणसी से बाहर अथवा देश से बाहर रहते हो, वह ज्योतिषीय परामर्श हेतु Paytm या Bank transfer द्वारा परामर्श फीस अदा करके, फोन द्वारा ज्योतिषीय परामर्श प्राप्त कर सकतें है
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आपका दिन मंगलमय हो . 💐💐💐


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English Translation :-

Article:-Apara Ekadashi, 26 May 2022


 Ekadashi date starts – May 25, 10:34 am

 Ekadashi date ends – May 26, 10:55 am

 Fasting time- May 27, 5:25 am to 8:10 am.

 Duration:- 2 Hours 45 Minutes


 The fast of Apara Ekadashi is observed every year on the Ekadashi date of Krishna Paksha of Jyeshtha month, in the year 2022, the fast of Apara Ekadashi will be kept on 26 May.


 Apara Ekadashi is also known as Jalkrida Ekadashi, Anjali Ekadashi, Achala Ekadashi, Apara Ekadashi, and Bhadrakali Ekadashi.  The festival of Ekadashi is dedicated to Lord Vishnu, that is, on the day of Ekadashi, mainly Lord Vishnu.

 Or his other incarnation is worshiped, but Apara Ekadashi is also celebrated as Bhadrakali Ekadashi, it is believed that on this day Mother Bhadrakali appeared from Lord Shiva's hair.  The main reason for the appearance of Maa Bhadrakali was to destroy the demons from the earth.  Therefore, the Bhadrakali form of Mother Durga is also worshiped on this day.


 On the day of Apara Ekadashi, Lord Vishnu is also worshiped by the name of his another name 'Lord Trivikram'.  It is believed that by fasting and worshiping Apara Ekadashi, a person becomes free from all sins.  The literal meaning of Apara Ekadashi is that the merit of this Ekadashi is immense.  Fasting on this day increases fame, virtue and wealth.  At the same time, man gets freedom from sins like killing Brahma, blasphemy and phantom vagina.


 Significance of Apara Ekadashi Vrat:-

 According to Naradpuran, fasting on Ekadashi is very dear to Lord Vishnu.  Just as Ganesh ji is worshiped on Chaturthi, Shiva ji on Trayodashi, Lakshmi ji on Panchami, similarly Lord Shri Hari Vishnu ji is worshiped on Ekadashi.

 With the effect of Apara Ekadashi fasting, happiness and joy are attained, and sins are destroyed.  By observing fast on this Ekadashi, the sins of even sinners are cut away and immense happiness is attained.


 In relation to Apara Ekadashi, it has been said in the scriptures that, at the time of Makar Sankranti, the fruit obtained by bathing in the Ganges, by bathing in Kumbh, by visiting Kedarnath or by visiting Badrinath, by donating gold in Kurukshetra during solar eclipse, and on Shivratri.  At the time of taking a bath in Kashi, the merit which is obtained by offering Pind Daan to the ancestors on the banks of the Ganges, the same virtue is attained by fasting on Apara Ekadashi.


 It is further mentioned in the scriptures that Apara Ekadashi is the provider of great virtues and the destroyer of great evils.  The one who is suppressed by killing Brahma, the one who kills the kinsman, the one who kills the pregnant child, the blasphemer, the adulterous person also gets freedom from sins by observing the fast of Apara Ekadashi.



 Apara Ekadashi Vrat Puja Method:-


 On the day of Apara Ekadashi fasting, it is necessary for a person to be pure in body and mind.  This fast should be started from the day of Dashami by eating, eating, and thinking.


 1.  One day before Apara Ekadashi i.e. on the day of Dashami, one should not eat food after sunset in the evening.  One should sleep at night meditating on God.


 2. On the day of Ekadashi, in the morning the seeker should retire from routine activities and take a vow of fast after taking bath.


 3. After this, there is a special law to worship Lord Vishnu, Krishna and Balram ji with incense, lamp, fruits, flowers, sesame etc.  Vishnu Sahasranama should be recited.  The person who recites Vishnu Sahasranama on Ekadashi is specially blessed by Lord Vishnu.


 4. Waterless fasting should be done throughout the day, if it is not possible then water and fruit food can be taken at one time.  The person observing the fast should not tell deceit, evil and lies on this day.  Eating rice is also prohibited on this day.


 5. On the day of Dwadashi i.e. on the day of Paran, worship the Lord again and recite the story.  After reading the story, distribution of prasad, food and dakshina to the Brahmin should be done.


 6. One should break his own fast only after Brahmin food and Dakshina etc.



 Diet on Apara Ekadashi:-


 Apathya:- (i.e. unacceptable)

 1. The fasting should not take carrot, turnip, cabbage, spinach, greens of Kulfa etc.


 2. Prohibited items like meat, onion, lentils etc. should not be consumed.


 3. One should follow complete celibacy at night and should stay away from indulgences and luxury.


 4. Getting angry and speaking abusive words etc. is prohibited.


 5. Hair cut on the day of Ekadashi means Kshaur Karma should not be done.


 6. It is forbidden to eat rice and sago on Ekadashi.



 Diet:- (Adaptable)

 1. Banana, mango, grapes, almond, pistachio etc. nectar fruits can be consumed.


 2. Taking bath on Ekadashi using amla juice destroys sins.



 Apara (Achal) Ekadashi fasting story:-

 Two and more than two stories are prevalent in relation to the fast story of Apara Ekadashi, one of the main stories is as follows:-


 Story:-

 In ancient times there was a godly king named Mahidhwaj.  His younger brother Vajradhwaj was very cruel, unrighteous and unjust.  He hated his elder brother.


 That opportunistic sinner brother killed his elder brother one day in the night and buried his body under a wild peepal.  Due to this premature death, the king started living on the same peepal in the form of a spirit and started doing many troubles.


 Suddenly one day a sage named Dhaumya passed by.  He saw the phantom and learned his past from Tapobal.  With his tenacity, he understood the reason for the phantom violence.  The sage, being pleased, brought that phantom down from the peepal tree and preached the knowledge of the afterlife.  The merciful sage himself observed Apara (Achala) Ekadashi to get rid of the king's phantom vagina and offered his virtue to the phantom to free him from the agony.  Due to the effect of this virtue, the king was freed from the phantom vagina.  Giving thanks to the sage, he assumed the divine body and went to heaven by sitting in the Pushpak Vimana.


 (End)

 Next article:-

 1. Article on "Pradosh Vrat" on 26 May

 2. Article on "Monthly Shivratri" on May 27

 3. Article on "Vatsavitri Vrat (Amavasya)" on 28 May

 4. Article on "Somavati Amavasya/Shanashchar Jayanti" on 29,30 May

 5. Article on "Rambha Tritiya" on 1st June

 Long live Rama

 Today's Panchang, Delhi

 Wednesday, 25.5.2022

 Shree Samvat 2079

 Shaka Samvat 1944

 Surya Ayan- Uttarayan, Round-North Round

 Rituah - Summer season.

 Month - the eldest month.

 Paksha - Krishna Paksha.

 Date- Dashami date till 10:34 am

 Moon Sign - Moon in Pisces.

 Nakshatra- Ubhadrapada Nakshatra till 11:19 pm

 Yoga- Preeti Yoga till 10:43 pm (good luck)

 Karan- Vishti Karan till 10:34 am

 Sunrise- 5:26 am, Sunset 7:10 am

 Abhijit Nakshatra - none

 Rahukaal- 12:18 pm to 2:01 pm Good work is prohibited

 Direction – North direction.


 May auspicious days:- 25 (after 11 a.m.), 26, 28 (till 12 noon).

 May inauspicious days:- 28, 29, 30, 31.


 Bhadra: - May 24, 10:40 pm to May 25, 10:33 am (Shunning, housewarming, home entry, marriage, Rakshabandhan etc. should not be done in Bhadra, but in Bhadra there should be female affairs, yagya, pilgrimage, operation, litigation,  Fire, cutting, animal related work can be done.


 Gand Mool Aarambh:-

 On May 25, Revati Nakshatra, from 11:20 pm to May 28, Ashwini Nakshatra will remain Gandmool till 2:26 am.  Children born in Gandmool constellations need to worship Moolshanti.


 Gand Mool Aarambh:-

 On May 25, Revati Nakshatra, from 11:20 pm to May 28, Ashwini Nakshatra will remain Gandmool till 2:26 am.  Children born in Gandmool constellations need to worship Moolshanti.


 Panchak Start:- On May 22 from 11:12 am to midnight on May 26/27 till 00:39 am the following things should not be done in Panchak constellations, 1. Making a roof or making a pillar (lantern or pillar) 2. Breaking wood or straws,  3. Taking or making a hearth, 4. cremation (cremation) 5. Bed cot, cot, mat, knitting or making 6. Making sofa or mattress for the meeting.  7 To deposit wood, copper, brass. (Apart from these works all other auspicious work can be done in Panchko.


 Upcoming fasts and festivals:-

 May 26 - Apara- Bhadrakali Ekadashi.  May 27 - Pradosh fast.  May 28 - Monthly Shivratri.  May 30- Jyeshtha/Bhavuka/Somavati Amavasya/Shanishchar Jayanti.


 Special:- The person who lives outside Varanasi or outside the country, he can get astrological consultation by phone, by paying the consultation fee through Paytm or Bank transfer for astrological consultation.

 Have a good day . 

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