19 अप्रैल 2024

कामदा एकादशी व्रत 19-04-2024


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*लेख:- कामदा एकादशी, भाग-1 (19.04.2024)*


*एकादशी तिथि आरंभ:- 18 अप्रैल 5:31 pm*
*एकादशी तिथि समाप्त:- 19 अप्रैल 8:04 pm*
*कामदा एकादशी पारणा मुहूर्त:-*
*20 अप्रैल- 5:50 am से 8:26 am तक*
*द्वादशी का समापन- 20 अप्रैल 10:41 pm*


हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रतिवर्ष चौबीस एकादशी  आती हैं। हर महीने शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में एक-एक एकादशी तिथि होती है। 

चैत्र शुक्ल पक्ष एकादशी को कामदा एकादशी भी कहते हैं। अंग्रेजी कैलेण्डर के अनुसार कामदा एकादशी मार्च या अप्रैल के महीने में आती है।

चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को कामदा एकादशी व्रत रखा जाता है। वर्ष 2024 मे कामदा एकादशी का व्रत 19 अप्रैल को रखा जाएगा। पंचांग के अनुसार चैत्र शुक्ल एकादशी तिथि 18 अप्रैल 2024 को 5:51 pm पर शुरू होगी और अगले दिन 19 अप्रैल को 8:04 pm पर समाप्त होगी।

इस दिन भगवान विष्णु जी सहित मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। कामदा एकादशी का वर्णन विष्णु पुराण में किया गया है। जिसके अनुसार जो मनुष्य यह व्रत रखता है, उसे प्रेत योनि से मुक्ति मिल जाती है, उसके समस्त पापों का शमन होता है, परलोक में स्वर्ग की प्राप्ति होती है, तथा उत्तम संतान की प्राप्ति होती है। इस व्रत के पुण्य प्रभाव से  भगवान विष्णु भक्तों को मनचाहा वरदान देते हैं, व्रती तथा भक्तों को पुण्य की प्राप्ति होती है, तथा उनके समस्त इच्छाएं पूर्ण होती हैं। भगवान विष्णु की कृपा से भक्तो के समस्त पाप मिट जाते हैं।

ऐसा माना जाता है कि यदि कोई निःसंतान दंपति इस व्रत का पालन करता है, तो उन्हें पुत्र संतान की प्राप्ति होती है।

 कामदा एकादशी के अवसर पर भक्त पूर्ण श्रद्धा के साथ भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और उनके आशीर्वाद की कामना करते हैं। कामदा शाब्दिक अर्थों में 'इच्छाओं की पूर्ति' को दर्शाता है। इस प्रकार, कामदा एकादशी उस दिन के रूप में मानी जाती है जब भक्तों को दिव्य आशीर्वाद मिलता है और उनकी सांसारिक इच्छाओं की पूर्ति भी होती है।

*कामदा एकादशी पूजन विधि:-*
1. कामदा एकादशी पर, भक्तों को प्रातःकाल जल्दी उठकर पवित्र स्नान करने का विधान हैं।

2. भगवान विष्णु की पूजा और प्रार्थना करने के लिए मण्डप तैयार किया जाता है।

3. भगवान विष्णु की मूर्ति की पंचोपचार से लेकर षोडशोपचार से की जाती है, तथा कामदा एकादशी व्रत कथा सुनी जाती है ।

4. एकादशी के दिन भक्त पवित्र मंत्रों का जाप करते हैं, तथा सात्विकता पूर्ण दिन व्यतीत करते हैं ।

5. भक्तगण, भगवान विष्णु के दिव्य आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए 'विष्णु सहस्त्रनाम' का पाठ भी करते हैं।

6. व्रती भक्त दिन में एक ही बार भोजन का सेवन कर सकते हैं जिसमें केवल सात्विक भोजन शामिल होता है।

7. व्रत 24 घंटे की अवधि तक रहता है अर्थात् अगले एकादशी के दिन सूर्योदय तक।

8. व्रत के पारण में ब्राह्मण को भोजन, कपड़े और अन्य आवश्यक चीजें दान करने के बाद ही उपवास सम्पूर्ण होता है।

*व्रत का पारण:-*
कामदा एकादशी व्रत के बाद द्वादशी के दिन ब्राह्मणों को भोजन करा कर दक्षिणा देंकर ही व्रती को स्वयं भोजन ग्रहण करने का विधान है। इस प्रकार नियम पूर्वक पारण करने से भक्तों को अक्षुण्ण पुण्य मिलता है। ब्राह्मण भोजन के बाद ही व्रती को भोजन करना चाहिए।

*कामदा एकादशी व्रत कथा:-*
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, कामदा एकादशी की कथा भगवान कृष्ण ने राजा युधिष्ठिर को सुनाई थी। 

एक युग में ललिता नाम की अप्सरा और ललित नाम के गंधर्व एक जोड़ी थी। ये दोनों राजा पुण्डरीक जो रत्नपुरा शहर पर शासन करते थे, के दरबार में अपनी सेवाएँ देते थे ।

एक बार, सभी गंधर्व राजा के दरबार में गायन के लिए गए, ललित भी उनके साथ गया। लेकिन उस समय, ललिता दरबार में प्रस्तुत नहीं थी और इस तरह ललित अपनी पत्नी ललिता के विचारों में खो गया जिससे उसके प्रदर्शन पर असर पड़ा। यह सब एक नाग ने देख लिया जिसने तब राजा पुंडरीक को इस सब के बारे में सूचित कर दिया। यह सुन कर राजा आगबबूला हो गया और उसने ललित को एक बदसूरत दानव में बदलने के लिए शाप दिया, ताकि ललिता उसे और उसके प्यार को त्याग दे।

ललित को तुरंत एक भूतिया और भयानक दिखने वाले दानव में बदल दिया गया। जब ललिता को यह सब पता चला, तो वह बहुत उदास हो गई। दोनों एक समाधान प्राप्त करने के लिए निकल पड़े और इस तरह विभिन्न स्थानों पर भटकने लगे। एक दिन वे विंध्याचल पर्वत पर पहुँचे जहाँ उन्होंने ऋषि श्रृंगी का आश्रम देखा। ललिता ने ऋषि से मदद और मार्गदर्शन मांगा ताकि ललित को उसके अभिशाप से राहत मिल सके। इसके लिए, ऋषि श्रृंगी ने उन्हें कामदा एकादशी का व्रत रखने को कहा जो एकादशी पर शुक्ल पक्ष के दौरान चैत्र महीने में आता है।

ललिता ने सभी अनुष्ठानों के साथ व्रत का पालन किया और देवता से उनके शाप से मुक्त होकर अपने पति ललित को इस व्रत का आशीर्वाद देने के लिए कहा। व्रत पूरा होने के तुरंत बाद, ललित को एक बार फिर से अपना असली रूप मिला। उस दिन के बाद से, भक्त अपनी सभी इच्छाओं को पूरा करने के लिए कामदा एकादशी का व्रत रखते हैं।

*(समाप्त)*
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*आगामी लेख:-*
*1.  18 अप्रैल के पंचांग से "कामदा एकादशी" विषय पर लेख।*
*2. 19 अप्रैल से 21 अप्रैल तक के पंचांग मे "हनुमान जन्मोत्सव" विषय पर धारावाहिक लेख*
*3. 22 अप्रैल के पंचांग मे "चैत्र पूर्णिमा" विषय पर लेख।*
*4. 23 अप्रैल के पंचांग मे "वैशाख मास" विषय पर धारावाहिक लेख।*
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*जय श्री राम*
*कल का पंचांग 🌹🌹🌹*
*वृहस्पतिवार, 18.04.2024*
*श्री संवत 2081, कालयुक्त*
*शक संवत् 1946*
*सूर्य अयन- उत्तरायण, उत्तर गोल*
*ऋतुः- बसन्त-ग्रीष्म ऋतुः।*
*मास:- चैत्र मास।*
*पक्ष- शुक्ल पक्ष।*
*तिथि- दशमी तिथि, 5:31 pm तक।*
*नक्षत्र- अश्लेषा नक्षत्र, 7:57 am तक*
*योग- गण्ड योग, 19 अप्रैल 12:44 am तक* (अशुभ है)*
*करण- गर योग 5:31 pm तक* 
*सूर्योदय- 5:52 am, सूर्यास्त 6:49 pm*
*चंद्रराशि- चंद्र कर्क राशि मे 7:57 am तक तदोपरान्त सिंह राशि।*
*अभिजित् नक्षत्र- 11:55 am से 12:46 pm तक*
*राहुकाल- 1:58 pm से 3:33 pm तक* (शुभ कार्य वर्जित )*
*दिशाशूल- दक्षिण दिशा।*

*अप्रैल शुभ दिन:-*  19, 20, 21, 22, 23 (दोपहर 4 उपरांत), 26, 28, 29.
*अप्रैल अशुभ दिन:-* 19, 24, 25, 27, 30.

*गण्डमूल आरम्भ:-  17 अप्रैल अश्लेषा ऩक्षत्र 5:16 am से लेकर 19 अप्रैल, मघा नक्षत्र 10:57 am तक गंडमूल रहेगें।*  गंडमूल नक्षत्रों मे जन्म लेने वाले बच्चो का मूलशांति पूजन आवश्यक है।
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*आगामी व्रत तथा त्यौहार:-*        
19 अप्रै०-कामदा एकादशी। 20 अप्रै०- वामन द्वादशी। 21 अप्रै०- प्रदोष व्रत, महावीर स्वामी। 23 अप्रै०- हनुमान जयन्ती, चैत्र पूर्णिमा, पूर्णिमा उपवास। 24 अप्रै०- वैशाख प्रारम्भ। 27 अप्रै०- संकष्टी चतुर्थी।
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*विशेष:- जो व्यक्ति online परामर्श लेना चाहते हो वह paytm या Bank transfer द्वारा परामर्श फीस अदा करके, फोन द्वारा ज्योतिषीय परामर्श प्राप्त कर सकतें है*
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*आपका दिन मंगलमय हो*. 💐💐💐
*आचार्य मोरध्वज शर्मा श्री काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी उत्तर प्रदेश*
9648023364
9129998000

14 जनवरी 2024

धारावाहिक लेख:- मकरसक्रांन्ति, 15.01. 2024, भाग-3, अंतिम


धारावाहिक लेख:- मकरसक्रांन्ति, 15.01. 2024, भाग-3, अंतिम

*मकरसक्रांन्ति, 15.01.2024*
*सूर्य का मकर राशि प्रवेश-14/15 जन० मध्यरात्रि 2:43 am* 
*मकर संक्रान्ति पुण्यकाल- 15 जनवरी, 7:15 am से 5:46 pm*
*सक्रांति महापुण्यकाल- 15 जनवरी 7:15 am से 9 am तक*

*(विशेष:- पुण्यकाल का तात्पर्य है, स्नान-दान, पूजा-पाठ, तर्पण इत्यादि पुण्य कर्मकरने का समय।)*

विभिन्न हिन्दु मान्यता के अनुसार वर्ष 2024 मे मकर सक्रांति का त्यौहार, दिनांक 15 जनवरी को मनाया जायेगा। 

*(स्मरण योग्य- पुण्यकाल का तात्पर्य है, स्नान-दान, पूजा-पाठ, तर्पण इत्यादि पुण्य कर्मकरने का समय।)*

मकर संक्रान्ति-तारीख 14 जनवरी, रविवार को अर्द्धरात्रि के बाद 2 बजकर 43 मिंनट पर तुला लग्न में प्रवेश करेगी।  इस संक्रान्ति का पुण्यकाल अगले दिन 15 जनवरी को प्रात: 9:07 बजे तक रहेगा। 

वारानुसार घोरा तथा नक्षत्रानुसार महोदरी नामक यह संक्रान्ति चोर, बेईमान तथा नीच प्रवृत्ति वाले लोगों के लिए लाभदायक रहेगी। 

संक्रान्ति राशिफल-यह संक्राति मेष, वृष, कर्क, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर तथा कुम्भ राशि वालो के लिए शुभ रहेगी। संक्रान्ति कुंडली के अनुसार विश्व तथा भारत की राजनीति में विशेष उथल-पुथल रहेगी। केन्द्रीय लोग दुःखी एवं असहाय अनुभव करेंगे। देश में भय एवं अस्थिरता का वातावरण बनेगा। 

मकर संक्रान्ति (15 जनवरी) को गंगाजल आदि पवित्र तीर्थ जलों से स्नान-उपरान्त भगवान् विष्णु पूजन, तिलों से हवन, तिलयुक्त वस्तुओं का दान व भगवान् पुरुष-सूक्त, श्रीसूक्त, सूर्याष्टक-स्तोत्र, सूर्य द्वादशनाम तथा पितृ-तर्पण करके ब्राह्मणों को खीर सहित भोजन, वस्त्र, अनाज, फल, तिल, घृतादि सहित धार्मिक पुस्तकादि का दक्षिणा सहित दान का महत्त्व होता है। का विशेष माहात्म्य होता है। इस दिन हरिद्वार, प्रयागराज, काशी, कुरुक्षेत्र आदि तीर्थों पर स्नान-दान, जपादि का भी विशेष माहात्म्य होता है। 

मकर सक्रांति के दिन (14/15 जनवरी) से माघ माहात्म्य पाठ आरम्भ करके माघ मास के अंत (24 फरवरी तक) तक नित्यप्रति पाठ करने का विशेष माहात्म्य होता है। 

इन दिनो तीथों पर स्नानदानादि का भी विशेष माहात्म्य होता है। वहाँ न जा सके तो गृह में ही श्रद्धापूर्वक स्नान करें, वहीं उनका स्मरण करें। 
तथा निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करें:-

 *गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वती, नर्मदे सिन्धु कावेरि जलेऽस्मिन् संनिधं कुरु।*

*मकरसंक्रान्ति पर किए जाने वाले शुभ कार्य तथा दान कर्म:-*
सक्रांति काल में तीर्थ स्नान का विशेष महत्त्व हैं । गंगा, यमुना, गोदावरी, कृष्णा एवं कावेरी नदियों के किनारे स्थित क्षेत्र में स्नान करने वाले को महापुण्य का लाभ मिलता है।’
 
इस संक्रांति में दान का बड़ा महत्व बताया है। कहते हैं इस संक्रांति में किया गया स्नान-दान इत्यादि शुभ कर्म लोक-परलोक दोनों में ही सुख और समृद्धि प्रदान करता है। 

1. मकरसंक्रान्ति के शुभ दिन प्रातःकाल से लेकर सूर्यास्त तक देश के किसी भी पवित्र तीर्थ स्थान, संगमस्थल, नदी, कुंओ, बावडी, सरोवर इत्यादि मे स्नान करे। गंगा, यमुना, गोदावरी, कृष्णा व कावेरी इन तीन नदियो मे, तथा गंगासागर जैसे तीर्थों मे स्नान करने से अधिक पुण्य मिलता है । 

जो लोग व्यस्तताओ के कारण इन स्थानो पर न जा पाये वह प्रातःकाल स्नान के जल मे गंगाजल मिलाकर स्नान करे, संभव हो तो नहाने के जल की बाल्टी लेकर बाहर खुले मे स्नान करे, क्योकि इस दिन वातावरण मे शुभ सत्च तंरगे अघिक होती है ।

2. स्नान करने के उपरांत एक तांबे के लोटे मे जल भरकर उसमे थोडा गुड, लाल चंदन, रोली, चावल, तथा लाल फूल डालकर मंत्र बोलते हुए सूर्यदेव को अर्ध्य दे ।
मन्त्र 
*1. ऊं सूर्याय नम: ऊं आदित्याय नम: ऊं सप्तार्चिषे नम:*

*2. *ऋड्मण्डलाय नम: , ऊं सवित्रे नम: , ऊं वरुणाय नम: , ऊं सप्तसप्त्ये नम: , ऊं मार्तण्डाय नम: , ऊं विष्णवे नम:* 

3.शिव मंदिर मे जलाभिषेक करके तिल के तेल से ज्योत जलाये ।  

4. श्रीविष्णु पूजन, सूर्यजप, सूर्याष्टकम,  पुरुषसूक्त तथा स्तोत्र पाठ करे ।

5. काले तिलो से पितृृश्राद्ध अर्थात तिलांजलि दे । विधिवत पितृरो के उद्धार के लिए इस दिन पिंडदान करना अत्यंत पुण्यदायी है ।

6. विद्धान को अन्नदान, घृत यानि धी दान,नए बर्तन, वस्त्रदान, रजाई-कम्बल, फल, तथा तिल और गुड से बने लड्डू-रेवडी, तिलपात्र गुड, गाय, घोडा, स्वर्ण, स्वर्ण अथवा भूमि का इत्यादि यथाशक्ति दान करने से अनन्त पुण्य की प्राप्ति होती है।

मकर सक्रांति के दिन सुहागिन स्त्रियां को हल्दी- कुमकुम का दान करना चाहिए, इसे ‘उपायन देना’ कहते हैं। कुछ पदार्थ कुमारी कन्याओं से भी दान करवाना चाहिए। 
 
7. जो व्यक्ति अपने ऊपर से ग्रहो का,या मारकेष का बुरा प्रभाव हटाना चाहे वह इस दिन तुलादान अवश्य करे ।

8. मकर सक्रांति के दिन उडद की दाल, चावल, देसी धी, तथा नमक का दान धर्म स्थान पर करे ।

9. इस दिन उडद की दाल की खिचड़ी बनाकर भगवान को भोग लगाकर अधिक से अधिक मात्रा मे बांटने से अत्यधिक पुण्य प्राप्ति होती है ।

इस पर्वकाल में किया गया दान एवं पुण्यकर्म विशेष फलप्रद होता है ।

10. तिल में सत्त्व तरंगें ग्रहण करने की क्षमता अधिक होती है । इसलिए तिल गुड का सेवन करने से अंतःशुद्धि होती है, अतः इस दिन तिल का तेल एवं उबटन शरीर पर लगाना, तिल मिश्रित जल से स्नान, तिल मिश्रित जल पीना, तिल होम करना, तिल दान करना, इन छहों पद्धतियों से तिल का उपयोग करने वालों के सर्व पाप नष्ट होते हैं।

11. संक्रांति के पर्वकाल में दांत मांजना, कठोर बोलना, वृक्ष एवं घास काटना तथा काम-विषय सेवन करना, ये कृत्य पूर्णतः वर्जित हैं।’

*(समाप्त)*
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*आगामी लेख:-*
*1. 12 जनवरी के पंचांग मे "मकर सक्रांति पर्व" विषय पर धारावाहिक लेख।*
*2. 15 जनवरी के पंचांग मे "उत्तरायण/दक्षिणायन" विषय पर लेख।*
*3. 16 जनवरी के पंचांग मे "गुरु गोबिन्द सिंह जयंती" विषय पर लेख।*
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*जय श्री राम*
*कल का पंचांग 🌹🌹🌹*
*रविवार, 14.01.2024*
*श्री संवत 2080*
*शक संवत् 1945*
*सूर्य अयन- उत्तरायण, दक्षिण गोल*
*ऋतुः- शिशिर ऋतुः।*
*मास:- पौष।*
*पक्ष- शुक्ल पक्ष।*
*तिथि- तृतीया तिथि 7:59 am तक (चतुर्थी तिथि का क्षय)।*
*नक्षत्र- धनिष्ठा नक्षत्र 10:22 am तक*
*योग- व्यतिपात योग 15 जन० 2:40 am तक* (अशुभ है)*
*करण- गर करण 7:59 am तक* 
*चंद्रराशि- चंद्र कुंभ राशि मे।*
*सूर्योदय- 7:15 am, सूर्यास्त 5:45 pm*
*अभिजित् नक्षत्र-12:09 pm से 12:51 pm तक*
*राहुकाल- 4:26 pm से 5:45 pm तक (शुभ कार्य वर्जित )*
*दिशाशूल- पश्चिम दिशा।*

*जनवरी शुभ दिन:-* 15, 17, 18 (सवेरे 9 उपरांत), 19, 21 (सवेरे 7 तक), 22, 23 (सवेरे 8 तक), 24, 25 (सवेरे 11 उपरांत), 26, 27, 28 (सायंकाल 5 तक), 30, 31.
*अशुभ दिन:-* 14, 16, 20, 29.

*पंचक प्रारंभ:- 13 जन० 11:35 pm से 18 जन० 3:34 am तक*  पंचक नक्षत्रों  मे निम्नलिखित काम नही करने चाहिए, 1.छत बनाना या स्तंभ बनाना (lantern  or Pillar) 2.लकडी  या  तिनके तोड़ना , 3.चूल्हा लेना या बनाना, 4. दाह संस्कार करना (cremation) 5.पंलग चारपाई, खाट , चटाई  बुनना  या बनाना 6.बैठक का सोफा या गद्दियाँ बनाना। 7. लकड़ी, तांबा, पीतल को जमा करना ।(इन कामो के सिवा अन्य सभी शुभ काम पंचको मे किए जा सकते है।

*रवि योग:- 14 जन० 10:23 am से 15 जन० 8:07 am तक*  यह एक शुभ योग है, इसमे किए गये दान-पुण्य, नौकरी  या सरकारी नौकरी को join करने जैसे कायों मे शुभ परिणाम मिलते है । यह योग, इस समय चल रहे, अन्य बुरे योगो को भी प्रभावहीन करता है।
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*आगामी व्रत तथा त्यौहार:-*              
15 जन०- पोंगल/उत्तरायण/मकर संक्रांति (संक्राति पुण्यकाल- 15 जन० 9:07 am तक) 17 जन०- गुरू गोबिन्द सिंह जयंती/मार्तण्ड सप्तमी। 21 जन०- पौष पुत्रदा एकादशी। 23 जन०- प्रदोष व्रत। 25 जन०- पौष पूर्णिमा व्रत। 29 जन०- संकष्टी चतुर्थी।   
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*विशेष:- जो व्यक्ति online परामर्श लेना चाहते हो वह paytm या Bank transfer द्वारा परामर्श फीस अदा करके, फोन द्वारा ज्योतिषीय परामर्श प्राप्त कर सकतें है*
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*आपका दिन मंगलमय हो*. 💐💐💐
*आचार्य मोरध्वज शर्मा श्री काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी उत्तर प्रदेश*
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धारावाहिक लेख:- मकरसक्रांन्ति, 15.01. 2024, भाग-2



*धारावाहिक लेख:- मकरसक्रांन्ति, 15.01. 2024, भाग-2*

*मकरसक्रांन्ति, 15.01.2024*
*सूर्य का मकर राशि प्रवेश-14/15 जन० मध्यरात्रि 2:43 am* 
*मकर संक्रान्ति पुण्यकाल- 15 जनवरी, 7:15 am से 5:46 pm*
*सक्रांति महापुण्यकाल- 15 जनवरी 7:15 am से 9 am तक*

*(विशेष:- पुण्यकाल का तात्पर्य है, स्नान-दान, पूजा-पाठ, तर्पण इत्यादि पुण्य कर्मकरने का समय।)*

विभिन्न हिन्दु मान्यता के अनुसार वर्ष 2024 मे मकर सक्रांति का त्यौहार, दिनांक 15 जनवरी को मनाया जायेगा। 

*गतांक से आगे................*

*क्या होती है सक्रांति :-*
 सूर्य साल के बारह महीनो मे प्रत्येक माह एक एक राशि मे भ्रमण करते है, और प्रत्येक अंग्रेज़ी माह के मध्य 15 तारीख़ के लगभग एक राशि से दूसरी राशि मे सूर्य के प्रवेश करने के समय को ही सक्रांति कहते है । 

*क्यो शुभ होती है मकर सक्रांति:-*
 मघ्य दिसम्बर से 13 जनवरी तक सूर्य धनु राशि मे होते है, धनु राशि मे सूर्य के होने से "पौष का महीना" अर्थात "मलमास" होता है, जिसमे सभी तरह के ब्याह-शादी आदि समस्त शुभ कार्य वर्जित होते है, और जब सूर्य इसी धनु राशि से निकल कर मकर राशि मे प्रवेश करते है तो "उत्तरायण अर्थात शुभ मांगलिक" कार्यो की शुरुआत का समय आंरभ हो जाता है । छह माह के काल "उतरायण" आंरभ होने के दिन को ही मकरसंक्रान्ति पर्व के रुप मे मनाया जाता है ।

दरअसल सूर्य वर्ष के बारह महीनो मे प्रत्येक माह अलग-२, बारह राशियो मे भ्रमण करते है:-

*1. सूर्य का दक्षिणायन*
मध्य जुलाई से लेकर 13 जनवरी तक के इस समय यानि, सूर्य के कर्क राशि से धनु राशि तक के भ्रमण के समय को दक्षिणायन कहते है।
 
दक्षिणायन सूर्य के समय सूर्य मे बल अर्थात तेज नही होता। इस वजह से छः माह के इस काल को मुर्हूत, आदि शुभ तथा मांगलिक कार्यो के लिए अच्छा नही माना जाता ।

दक्षिणायन काल में सूर्य दक्षिण दिशा की ओर झुकाव के साथ गति करने लगता है। मान्यता है कि दक्षिणायन का काल देवताओं की रात्रि है।
दक्षिणायन में रातें लंबी हो जाती है। 

दक्षिणायन व्रत और उपवासों का समय होता है। इस दिन कई शुभ और मांगलिक कार्य का करना निषेध होता है। सूर्य का दक्षिणायन होना कामनाओं और भोग की वृद्धि को दर्शाता है, इसलिए इस समय में किए गए कार्य जैसे पूजा, व्रत आदि से दुख और रोग दूर होते हैं।

*2. सूर्य का उत्तरायण*
"14 जनवरी मकर संक्रान्ति" से लेकर "मिथुन संक्रान्ति- यानि मध्य जुलाई", तक के काल को सूर्य का उतरायण काल माना जाता है । जिसे शुभ काल कहते है । सूर्य के इस उत्तरायण काल को शुभ तथा मांगलिक कार्यों के लिए शुभ माना जाता है ।

शास्त्रों के अनुसार, दक्षिणायण को देवताओं की रात्रि अर्थात् नकारात्मकता का प्रतीक तथा उत्तरायण को देवताओं का दिन अर्थात् सकारात्मकता का प्रतीक माना गया है।

मत्स्य पुराण और स्कंद पुराण में उत्तरायण के महत्व का विशेष उल्लेख मिलता है। मान्यता है कि आध्यात्मिक प्रगति और ईश्वर की पूजा-अर्चना के लिए उत्तरायण काल विशेष फलदायी होता है।

 इस प्रकार सूर्यदेव की यह संक्रमण क्रिया छह-२  महीने की अवधि की होती है, अर्थात दोनो अयन 6-6 महीने के होते हैं।

इस प्रकार मकर संक्रान्ति से पहले सूर्य छः महीने तक दक्षिणायन मे होने से जो शुभ कार्य प्रतिबन्धित होते है, वह सब कार्य मकर सक्रांति (यानि सूर्य के उतरायण) होने से खुल जाते है, *इसी खुशी को मानने का पर्व है मकर सक्रांति।* 

इस दिन सूर्य के उत्तरायण मे होने से दिन बडे तथा राते छोटी होना शुरू हो जाती है ।

 मकरसंक्रान्ति वास्तव मे एक ऋतुपर्व है, इस दिन से भगवान सूर्य के उतरायण होने से देवताओ का ब्रह्ममुहूर्त आरम्भ हो जाता है, अर्थात इन छः महीनो को साधनाओ और परा-अपराविद्याओ की प्राप्ति का भी काल माना जाता है ।

 ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भी  गृृहनिर्माण, देवप्रतिष्ठा, यज्ञ, आदि समस्त शुभकार्य और मुर्हूत उत्तरायण काल मे ही होने चाहिए । यहां तक की विभिन्न शुभकार्यो के अतिरिक्त मृृत्यु के लिए भी "उत्तरायण काल" को ही शुभ माना गया है, इन महीनो मे मृृत्यु होने से यमलोक अर्थात नरक जाने की संभावना कम रहती है ।

सूर्य का उत्तरायण प्रवेश जन-जन को प्राणहारी सर्दी की समाप्ति एवं वसन्त का शुभागमन का संदेश होता है । इस शुभ दिन को देश भर के विभिन्न प्रान्तो मे भिन्न-२ नामो से मनाया जाता है, दक्षिण भारत मे इसे पोगल के नाम से मनाया जाता है । 

मकरसंक्रान्ति की शुभता का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि हिन्दु धर्म मे काले रंग को अशुभ  माना गया है, क्योकि काले रंग मे तमोगुणी तंरगो को ग्रहण करने की अधिक क्षमता होती है, परन्तु मकरसंक्रान्ति के दिन वातावरण मे रज तथा सत्वतंरगो की अधिकता होती है, इसीलिए मकरसंक्रान्ति के दिन काले रंग के वस्त्रो को उपयोग मे लाने की अनुमति सनातन धर्म ने दी है।

 शास्त्रो मे उल्लेख है की भगवान विष्णु भी मकर संक्रान्ति तथा माघमास की शुभता एवम् इनके स्नान के विषय मे कहते है की भगवान की भक्ति-पूजा करो या न करो, लेकिन यदि "मकरसंक्रान्ति स्नान" या "माघमास" के स्नान करते हो, तो अनन्त पुण्य फल की प्राप्ति अवश्य ही होती है ।

 सूर्य की सातवीं किरण भारत वर्ष में आध्यात्मिक उन्नति की प्रेरणा देने वाली है। सातवीं किरण का चमत्कारी प्रभाव भारत वर्ष में गंगा-यमुना के जल मे अधिक समय तक रहता है। इस भौगोलिक स्थिति के कारण ही हरिद्वार और प्रयाग में माघ मेला अर्थात मकर संक्रांति या पूर्ण कुंभ तथा अर्द्धकुंभ के विशेष उत्सव का आयोजन होता है।

ब्रह्मर्षि भृगु जी कहते है, संक्रान्ति एवं माघ के स्नान से सब पाप नष्ट हो जाते है, यह सब व्रतो से बढ़कर है, तथा यह सब प्रकार के दानो का फल प्रदान करने वाला है, जिनके मन मे स्वर्गलोक भोगने की अभिलाषा हो, आयु, आरोग्यता, रुप, सौभाग्य, एवं उत्तम गुणो मे जिनकी रुचि हो वह ,तथा वह व्यक्ति जो दरिद्रता, पाप और दुर्भाग्य रुपी  कीचड़ को धोना चाहते है, उन्हे "मकरसंक्रान्ति तथा माघमास" के स्नान अवश्य करने चाहिए ।

*मकर संक्रान्ति का ऐतिहासिक महत्व:-*
*1. सूर्यदेव का पुत्र शनि की मकर राशि मे प्रवेश का पर्व:-*
शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं, और इस दिन सूर्य मकर राशि मे प्रवेश करते है, अत: इस दिन को मकर संक्रान्ति के नाम से जाना जाता है, ऐसी मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं। चूंकि शनि मकर व कुंभ राशि का स्वामी है। लिहाजा यह पर्व पिता-पुत्र के अनोखे मिलन से भी जुड़ा है। एक मास मकर राशि मे गोचर करने के उपरांत कुंभ राशि मे प्रवेश करते है। 

*2. मकरसंक्रांति के दिन भगीरथ ऋषि द्वारा पूर्वजों का उद्धार:-*
मकर संक्रान्ति के दिन ही गंगा को धरती पर लाने वाले भगीरथ ऋषि ने अपने पूर्वजों के उद्धार के लिए इसी दिन तर्पण किया था। उनका तर्पण स्वीकार करने के बाद इसी दिन गंगा कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई समुद्र में जाकर मिल गई थी।

 कपिल मुनि ने अपने आश्रम मे गंगा मां के प्रवेश करते हुए प्रसन्नता से आह्लादित होते हुए, वरदान देते हुए कहा, 'मां गंगे त्रिकाल तक जन-जन का पापहरण करेंगी और भक्तजनों की सात पीढ़ियों को मुक्ति एवं मोक्ष प्रदान करेंगी। गंगा जल का स्पर्श, पान, स्नान और दर्शन सभी पुण्यदायक फल प्रदान करेगा।" 

*3. भीष्म पितामह की इच्छा मृत्यु*
मकर संक्रांति का महाभारत में भी वर्णन किया गया है, पुराणों में कहा गया है कि सूर्य के मकर राशि में होने से मृत्यु को प्राप्त व्यक्ति की आत्मा मोक्ष को प्राप्त करती है, इसकी एक कथा भीष्म पितामह के जीवन से जुड़ी हुई है। भीष्म पितामह को इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था। महाभारत के युद्ध में अर्जुन के बाणों से घायल भीष्म पितामाह ने गंगा के तट पर सूर्य के मकर राशि में प्रवेश का छब्बीस दिनों तक इंतजार किया था। इच्छा मृत्यु का वरदान मिलने के कारण वह मोक्ष की प्राप्ति के लिए सूर्य के उत्तरायण होने तक जीवित रहे।

*4. भगवान विष्णु द्वारा असुरों का संहार:-*
मकर संक्रांति के दिन को बुराइयों और नकारात्मकता को खत्म करने का दिन माना जाता है क्योंकि मकर संक्रांति के दिन ही भगवान विष्णु ने असुरों का अंत करके युद्ध समाप्ति की घोषणा की थी। उन्होंने सभी असुरों के सिरों को मंदार पर्वत में दबा दिया था। तभी से भगवान विष्णु की इस जीत को मकर संक्रांति पर्व के तौर पर मनाया जाने लगा।

*5. यशोदा मैय्या:-*
एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार यशोदा मैय्या ने इस दिन श्रीकृष्ण के जन्म के लिए यह सक्रांति का व्रत रखा था, तब उसी दिन से मकर संक्रान्ति के व्रत की परिपाटी चली आ रही है।

*6. फसलों की कटाई का त्यौहार:-*
नई फसल और नई ऋतु के आगमन के तौर पर भी मकर संक्रांति धूमधाम से मनाई जाती है। पंजाब, यूपी, बिहार समेत तमिलनाडु में यह वक्त नई फसल काटने का होता है, इसलिए किसान मकर संक्रांति को आभार दिवस के रूप में मनाते हैं।

7. संक्रांति को देवता माना गया है। शास्त्रो मे वर्णन है कि संक्रांति ने ही संकरासुर नामक दानव का वध किया था।
 
*(क्रमशः)*
*कल लेख के तीसरे तथा अंतिम भाग मे मकर सक्रांति का देश-समाज तथा विभिन्न रिशियो पर फल तथा मकर सक्रांति के पुण्य कर्म तथा उपाय*
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*आगामी लेख:-*
*1. 12 जनवरी के पंचांग मे "मकर सक्रांति पर्व" विषय पर धारावाहिक लेख।*
*2. 15 जनवरी के पंचांग मे "उत्तरायण/दक्षिणायन" विषय पर लेख।*
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*जय श्री राम*
*कल का पंचांग 🌹🌹🌹*
*शनिवार, 13.01.2024*
*श्री संवत 2080*
*शक संवत् 1945*
*सूर्य अयन- उत्तरायण, दक्षिण गोल*
*ऋतुः- शिशिर ऋतुः।*
*मास:- पौष।*
*पक्ष- शुक्ल पक्ष।*
*तिथि- द्वितीया तिथि 11:11 am तक।*
*नक्षत्र- श्रवण नक्षत्र 12:49 pm तक*
*योग- वज्र योग 10:14 am तक* (अशुभ है)*
*करण- कौलव करण 11:11 am तक* 
*चंद्रराशि- चंद्र मकर राशि मे 11:35 pm तक तदाेपरान्त कुंभ राशि।*
*सूर्योदय- 7:15 am, सूर्यास्त 5:44 pm*
*अभिजित् नक्षत्र-12:09 pm से 12:51 pm तक*
*राहुकाल- 9:52 am से 11:11 am तक* (शुभ कार्य वर्जित )*
*दिशाशूल- पूर्व दिशा।*

*जनवरी शुभ दिन:-* 15, 17, 18 (सवेरे 9 उपरांत), 19, 21 (सवेरे 7 तक), 22, 23 (सवेरे 8 तक), 24, 25 (सवेरे 11 उपरांत), 26, 27, 28 (सायंकाल 5 तक), 30, 31.
*अशुभ दिन:-* 13, 14, 16, 20, 29.

*पंचक प्रारंभ:- 13 जन० 11:35 pm से 18 जन० 3:34 am तक*  पंचक नक्षत्रों  मे निम्नलिखित काम नही करने चाहिए, 1.छत बनाना या स्तंभ बनाना (lantern  or Pillar) 2.लकडी  या  तिनके तोड़ना , 3.चूल्हा लेना या बनाना, 4. दाह संस्कार करना (cremation) 5.पंलग चारपाई, खाट , चटाई  बुनना  या बनाना 6.बैठक का सोफा या गद्दियाँ बनाना। 7. लकड़ी, तांबा, पीतल को जमा करना ।(इन कामो के सिवा अन्य सभी शुभ काम पंचको मे किए जा सकते है।

*सर्वार्थ सिद्ध योग:- 12 जन० 3:18 pm से 13 जन० 12:50 pm तक*  (यह एक शुभयोग है, इसमे कोई व्यापारिक या कि राजकीय अनुबन्ध (कान्ट्रेक्ट) करना, परीक्षा, नौकरी अथवा चुनाव आदि के लिए आवेदन करना, क्रय-विक्रय करना, यात्रा या मुकद्दमा करना, भूमि , सवारी, वस्त्र आभूषणादि का क्रय करने के लिए शीघ्रतावश गुरु-शुक्रास्त, अधिमास एवं वेधादि का विचार सम्भव न हो, तो ये सर्वार्थसिद्धि योग ग्रहण किए जा सकते हैं।
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*आगामी व्रत तथा त्यौहार:-*              
15 जन०- पोंगल/उत्तरायण/मकर संक्रांति (संक्राति पुण्यकाल- 15 जन० 9:07 am तक) 17 जन०- गुरू गोबिन्द सिंह जयंती/मार्तण्ड सप्तमी। 21 जन०- पौष पुत्रदा एकादशी। 23 जन०- प्रदोष व्रत। 25 जन०- पौष पूर्णिमा व्रत। 29 जन०- संकष्टी चतुर्थी।   
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*विशेष:- जो व्यक्ति online परामर्श लेना चाहते हो वह paytm या Bank transfer द्वारा परामर्श फीस अदा करके, फोन द्वारा ज्योतिषीय परामर्श प्राप्त कर सकतें है*
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*आपका दिन मंगलमय हो*. 💐💐💐
*आचार्य मोरध्वज शर्मा श्री काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी उत्तर प्रदेश*
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11 जनवरी 2024

मकरसक्रांन्ति, 15-01-2024, भाग-1


धारावाहिक लेख:- मकरसक्रांन्ति, 15.01. 2024, भाग-1

मकरसक्रांन्ति, 15.01.2024
सूर्य का मकर राशि प्रवेश-14/15 जन० मध्यरात्रि 2:43 am
मकर संक्रान्ति पुण्यकाल- 15 जनवरी, 7:15 am से 5:46 pm
सक्रांति महापुण्यकाल- 15 जनवरी 7:15 am से 9:07 am तक

(विशेष:- पुण्यकाल का तात्पर्य है, स्नान-दान, पूजा-पाठ, तर्पण इत्यादि पुण्य कर्मकरने का समय।)

विभिन्न हिन्दु मान्यता के अनुसार वर्ष 2024 मे मकर सक्रांति का त्यौहार, दिनांक 15 जनवरी को मनाया जायेगा। 

मकर सक्रांति 2024 एक विवेचना
मकर संक्रांति का त्योहार प्रतिवर्ष सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के अवसर (14 जनवरी) को मनाया जाता है। परन्तु गत कुछ वर्षों से मकर संक्रांति 15 तारीख को मनाई जाती है, तथा ठीक इसी प्रकार से सक्रान्ति के पुण्यकाल को लेकर भी भ्रम की सी स्थिति होने लगी है। वर्ष 2024 मे  नियमो के अनुसार मकर संक्रांति का पुण्यकाल और तिथि-मुहूर्त इस प्रकार से रहेगा। 

खगोलीय गणना के अनुसार, सूर्य के धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश का समय प्रतिवर्ष "लगभग 20 मिनट" तक बढ़ जाता है। इसलिए लगभग हरेक 72 साल के बाद "एक दिन के अंतर" पर सूर्य मकर राशि में आता है। नीचे दर्शाई गई तालिका के अनुसार इसे समझना सरल रहेगा-

मकर संक्रांति, निरयण सूर्य का मकर राशि मे प्रवेश है। विभिन्न शताब्दियो में यह विभिन्न तारीखो पर थी, तथा भविष्य मे भी निम्नलिखित प्रकार से होगी-
16-17 वी सदी मे 9, 10 जनवरी।
17-18 वी सदी मे 11, 12 जनवरी।
18-19 वी सदी मे 13,14 जनवरी। 
19-20 वी सदी मे 14, 15 जनवरी। 
21-22 वि सदी मे 15, 16 जनवरी को होगी।

 भारतीय 5000 वर्ष प्राचीन त्योहारो मे केवल यही त्यौहार सौर चक्र अनुसार मनाया जाता है।

(उदाहरण- मुगल काल में अकबर के शासन काल (1556- 1605 ई.) के दौरान मकर संक्रांति 10 जनवरी को मनाई जाती थी। तब से अब तक 4 दिन का अंतर आ गया है। अतः अब सूर्य के मकर राशि में प्रवेश का समय 14 और 15 के बीच में होने लगा है।)

साल 2012 में सूर्य का मकर राशि में प्रवेश 15 जनवरी को हुआ था इसलिए मकर संक्रांति इस दिन मनाई गई थी। इस प्रकार पिछले कुछ वर्षों में मकर संक्रांति 15 जनवरी को ही मनाई गयी ऐसी गणना कहती है। इस प्रकार से भविष्य मे यानि आज से लगभग पांच हजार साल बाद मकर संक्रांति फरवरी के अंतिम सप्ताह में मनाई जाने लगेगी। 

वर्तमान वर्ष 2024 मे मकर सक्रांति हेतु सूर्य का मकर राशि मे प्रवेश 14/15 जनवरी की मध्यरात्रि 2:43 am पर होगा, तो ऐसे मे मकर सक्रांति 15 जनवरी मनाना उचित रहेगा।

(क्रमशः)
लेख के द्वितीय भाग मे कल मकर सक्रांति के विषय मे विस्तार सहित विवरण।
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आगामी लेख:-
1. 12 जनवरी के पंचांग मे "मकर सक्रांति पर्व" विषय पर धारावाहिक लेख।
2. 15 जनवरी के पंचांग मे "उत्तरायण/दक्षिणायन" विषय पर लेख।
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*जय श्री राम*
*कल का पंचांग 🌹🌹🌹*
*शुक्रवार, 12.01.2024*
*श्री संवत 2080*
*शक संवत् 1945*
*सूर्य अयन- उत्तरायण, दक्षिण गोल*
*ऋतुः- शिशिर ऋतुः।*
*मास:- पौष।*
*पक्ष- शुक्ल पक्ष।*
*तिथि- प्रतिपदा तिथि 2:23 pm तक।*
*नक्षत्र- उ०षाढा नक्षत्र 3:18 pm तक*
*योग- हर्ष योग 2:05 pm तक* (शुभ है)*
*करण- बव करण 2:23 pm तक* 
*चंद्रराशि- चंद्र मकर राशि मे।*
*सूर्योदय- 7:15 am, सूर्यास्त 5:43 pm*
*अभिजित् नक्षत्र-12:08 pm से 12:50 pm तक*
*राहुकाल- 11:11 am से 12:29 pm तक* (शुभ कार्य वर्जित )*
*दिशाशूल- पश्चिम दिशा।*

जनवरी शुभ दिन:- 15, 17, 18 (सवेरे 9 उपरांत), 19, 21 (सवेरे 7 तक), 22, 23 (सवेरे 8 तक), 24, 25 (सवेरे 11 उपरांत), 26, 27, 28 (सायंकाल 5 तक), 30, 31.
अशुभ दिन:- 12, 13, 14, 16, 20, 29.

*शसर्वार्थ सिद्ध योग:- 12 जन० 3:18 pm से 13 जन० 12:50 pm तक (यह एक शुभयोग है, इसमे कोई व्यापारिक या कि राजकीय अनुबन्ध (कान्ट्रेक्ट) करना, परीक्षा, नौकरी अथवा चुनाव आदि के लिए आवेदन करना, क्रय-विक्रय करना, यात्रा या मुकद्दमा करना, भूमि , सवारी, वस्त्र आभूषणादि का क्रय करने के लिए शीघ्रतावश गुरु-शुक्रास्त, अधिमास एवं वेधादि का विचार सम्भव न हो, तो ये सर्वार्थसिद्धि योग ग्रहण किए जा सकते हैं।
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आगामी व्रत तथा त्यौहार:-            
15 जन०- पोंगल/उत्तरायण/मकर संक्रांति (संक्राति पुण्यकाल- 15 जन० 9:07 am तक) 17 जन०- गुरू गोबिन्द सिंह जयंती/मार्तण्ड सप्तमी। 21 जन०- पौष पुत्रदा एकादशी। 23 जन०- प्रदोष व्रत। 25 जन०- पौष पूर्णिमा व्रत। 29 जन०- संकष्टी चतुर्थी।   
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विशेष:- जो व्यक्ति online परामर्श लेना चाहते हो वह paytm या Bank transfer द्वारा परामर्श फीस अदा करके, फोन द्वारा ज्योतिषीय परामर्श प्राप्त कर सकतें है
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आपका दिन मंगलमय हो 💐💐💐
आचार्य मोरध्वज शर्मा श्री काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी उत्तर प्रदेश
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कामदा एकादशी व्रत 19-04-2024

☀️ *लेख:- कामदा एकादशी, भाग-1 (19.04.2024)* *एकादशी तिथि आरंभ:- 18 अप्रैल 5:31 pm* *एकादशी तिथि समाप्त:- 19 अप्रैल 8:04 pm* *काम...