19 अप्रैल 2024

कामदा एकादशी व्रत 19-04-2024


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*लेख:- कामदा एकादशी, भाग-1 (19.04.2024)*


*एकादशी तिथि आरंभ:- 18 अप्रैल 5:31 pm*
*एकादशी तिथि समाप्त:- 19 अप्रैल 8:04 pm*
*कामदा एकादशी पारणा मुहूर्त:-*
*20 अप्रैल- 5:50 am से 8:26 am तक*
*द्वादशी का समापन- 20 अप्रैल 10:41 pm*


हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रतिवर्ष चौबीस एकादशी  आती हैं। हर महीने शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में एक-एक एकादशी तिथि होती है। 

चैत्र शुक्ल पक्ष एकादशी को कामदा एकादशी भी कहते हैं। अंग्रेजी कैलेण्डर के अनुसार कामदा एकादशी मार्च या अप्रैल के महीने में आती है।

चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को कामदा एकादशी व्रत रखा जाता है। वर्ष 2024 मे कामदा एकादशी का व्रत 19 अप्रैल को रखा जाएगा। पंचांग के अनुसार चैत्र शुक्ल एकादशी तिथि 18 अप्रैल 2024 को 5:51 pm पर शुरू होगी और अगले दिन 19 अप्रैल को 8:04 pm पर समाप्त होगी।

इस दिन भगवान विष्णु जी सहित मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। कामदा एकादशी का वर्णन विष्णु पुराण में किया गया है। जिसके अनुसार जो मनुष्य यह व्रत रखता है, उसे प्रेत योनि से मुक्ति मिल जाती है, उसके समस्त पापों का शमन होता है, परलोक में स्वर्ग की प्राप्ति होती है, तथा उत्तम संतान की प्राप्ति होती है। इस व्रत के पुण्य प्रभाव से  भगवान विष्णु भक्तों को मनचाहा वरदान देते हैं, व्रती तथा भक्तों को पुण्य की प्राप्ति होती है, तथा उनके समस्त इच्छाएं पूर्ण होती हैं। भगवान विष्णु की कृपा से भक्तो के समस्त पाप मिट जाते हैं।

ऐसा माना जाता है कि यदि कोई निःसंतान दंपति इस व्रत का पालन करता है, तो उन्हें पुत्र संतान की प्राप्ति होती है।

 कामदा एकादशी के अवसर पर भक्त पूर्ण श्रद्धा के साथ भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और उनके आशीर्वाद की कामना करते हैं। कामदा शाब्दिक अर्थों में 'इच्छाओं की पूर्ति' को दर्शाता है। इस प्रकार, कामदा एकादशी उस दिन के रूप में मानी जाती है जब भक्तों को दिव्य आशीर्वाद मिलता है और उनकी सांसारिक इच्छाओं की पूर्ति भी होती है।

*कामदा एकादशी पूजन विधि:-*
1. कामदा एकादशी पर, भक्तों को प्रातःकाल जल्दी उठकर पवित्र स्नान करने का विधान हैं।

2. भगवान विष्णु की पूजा और प्रार्थना करने के लिए मण्डप तैयार किया जाता है।

3. भगवान विष्णु की मूर्ति की पंचोपचार से लेकर षोडशोपचार से की जाती है, तथा कामदा एकादशी व्रत कथा सुनी जाती है ।

4. एकादशी के दिन भक्त पवित्र मंत्रों का जाप करते हैं, तथा सात्विकता पूर्ण दिन व्यतीत करते हैं ।

5. भक्तगण, भगवान विष्णु के दिव्य आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए 'विष्णु सहस्त्रनाम' का पाठ भी करते हैं।

6. व्रती भक्त दिन में एक ही बार भोजन का सेवन कर सकते हैं जिसमें केवल सात्विक भोजन शामिल होता है।

7. व्रत 24 घंटे की अवधि तक रहता है अर्थात् अगले एकादशी के दिन सूर्योदय तक।

8. व्रत के पारण में ब्राह्मण को भोजन, कपड़े और अन्य आवश्यक चीजें दान करने के बाद ही उपवास सम्पूर्ण होता है।

*व्रत का पारण:-*
कामदा एकादशी व्रत के बाद द्वादशी के दिन ब्राह्मणों को भोजन करा कर दक्षिणा देंकर ही व्रती को स्वयं भोजन ग्रहण करने का विधान है। इस प्रकार नियम पूर्वक पारण करने से भक्तों को अक्षुण्ण पुण्य मिलता है। ब्राह्मण भोजन के बाद ही व्रती को भोजन करना चाहिए।

*कामदा एकादशी व्रत कथा:-*
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, कामदा एकादशी की कथा भगवान कृष्ण ने राजा युधिष्ठिर को सुनाई थी। 

एक युग में ललिता नाम की अप्सरा और ललित नाम के गंधर्व एक जोड़ी थी। ये दोनों राजा पुण्डरीक जो रत्नपुरा शहर पर शासन करते थे, के दरबार में अपनी सेवाएँ देते थे ।

एक बार, सभी गंधर्व राजा के दरबार में गायन के लिए गए, ललित भी उनके साथ गया। लेकिन उस समय, ललिता दरबार में प्रस्तुत नहीं थी और इस तरह ललित अपनी पत्नी ललिता के विचारों में खो गया जिससे उसके प्रदर्शन पर असर पड़ा। यह सब एक नाग ने देख लिया जिसने तब राजा पुंडरीक को इस सब के बारे में सूचित कर दिया। यह सुन कर राजा आगबबूला हो गया और उसने ललित को एक बदसूरत दानव में बदलने के लिए शाप दिया, ताकि ललिता उसे और उसके प्यार को त्याग दे।

ललित को तुरंत एक भूतिया और भयानक दिखने वाले दानव में बदल दिया गया। जब ललिता को यह सब पता चला, तो वह बहुत उदास हो गई। दोनों एक समाधान प्राप्त करने के लिए निकल पड़े और इस तरह विभिन्न स्थानों पर भटकने लगे। एक दिन वे विंध्याचल पर्वत पर पहुँचे जहाँ उन्होंने ऋषि श्रृंगी का आश्रम देखा। ललिता ने ऋषि से मदद और मार्गदर्शन मांगा ताकि ललित को उसके अभिशाप से राहत मिल सके। इसके लिए, ऋषि श्रृंगी ने उन्हें कामदा एकादशी का व्रत रखने को कहा जो एकादशी पर शुक्ल पक्ष के दौरान चैत्र महीने में आता है।

ललिता ने सभी अनुष्ठानों के साथ व्रत का पालन किया और देवता से उनके शाप से मुक्त होकर अपने पति ललित को इस व्रत का आशीर्वाद देने के लिए कहा। व्रत पूरा होने के तुरंत बाद, ललित को एक बार फिर से अपना असली रूप मिला। उस दिन के बाद से, भक्त अपनी सभी इच्छाओं को पूरा करने के लिए कामदा एकादशी का व्रत रखते हैं।

*(समाप्त)*
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*आगामी लेख:-*
*1.  18 अप्रैल के पंचांग से "कामदा एकादशी" विषय पर लेख।*
*2. 19 अप्रैल से 21 अप्रैल तक के पंचांग मे "हनुमान जन्मोत्सव" विषय पर धारावाहिक लेख*
*3. 22 अप्रैल के पंचांग मे "चैत्र पूर्णिमा" विषय पर लेख।*
*4. 23 अप्रैल के पंचांग मे "वैशाख मास" विषय पर धारावाहिक लेख।*
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*जय श्री राम*
*कल का पंचांग 🌹🌹🌹*
*वृहस्पतिवार, 18.04.2024*
*श्री संवत 2081, कालयुक्त*
*शक संवत् 1946*
*सूर्य अयन- उत्तरायण, उत्तर गोल*
*ऋतुः- बसन्त-ग्रीष्म ऋतुः।*
*मास:- चैत्र मास।*
*पक्ष- शुक्ल पक्ष।*
*तिथि- दशमी तिथि, 5:31 pm तक।*
*नक्षत्र- अश्लेषा नक्षत्र, 7:57 am तक*
*योग- गण्ड योग, 19 अप्रैल 12:44 am तक* (अशुभ है)*
*करण- गर योग 5:31 pm तक* 
*सूर्योदय- 5:52 am, सूर्यास्त 6:49 pm*
*चंद्रराशि- चंद्र कर्क राशि मे 7:57 am तक तदोपरान्त सिंह राशि।*
*अभिजित् नक्षत्र- 11:55 am से 12:46 pm तक*
*राहुकाल- 1:58 pm से 3:33 pm तक* (शुभ कार्य वर्जित )*
*दिशाशूल- दक्षिण दिशा।*

*अप्रैल शुभ दिन:-*  19, 20, 21, 22, 23 (दोपहर 4 उपरांत), 26, 28, 29.
*अप्रैल अशुभ दिन:-* 19, 24, 25, 27, 30.

*गण्डमूल आरम्भ:-  17 अप्रैल अश्लेषा ऩक्षत्र 5:16 am से लेकर 19 अप्रैल, मघा नक्षत्र 10:57 am तक गंडमूल रहेगें।*  गंडमूल नक्षत्रों मे जन्म लेने वाले बच्चो का मूलशांति पूजन आवश्यक है।
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*आगामी व्रत तथा त्यौहार:-*        
19 अप्रै०-कामदा एकादशी। 20 अप्रै०- वामन द्वादशी। 21 अप्रै०- प्रदोष व्रत, महावीर स्वामी। 23 अप्रै०- हनुमान जयन्ती, चैत्र पूर्णिमा, पूर्णिमा उपवास। 24 अप्रै०- वैशाख प्रारम्भ। 27 अप्रै०- संकष्टी चतुर्थी।
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*विशेष:- जो व्यक्ति online परामर्श लेना चाहते हो वह paytm या Bank transfer द्वारा परामर्श फीस अदा करके, फोन द्वारा ज्योतिषीय परामर्श प्राप्त कर सकतें है*
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*आपका दिन मंगलमय हो*. 💐💐💐
*आचार्य मोरध्वज शर्मा श्री काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी उत्तर प्रदेश*
9648023364
9129998000

कामदा एकादशी व्रत 19-04-2024

☀️ *लेख:- कामदा एकादशी, भाग-1 (19.04.2024)* *एकादशी तिथि आरंभ:- 18 अप्रैल 5:31 pm* *एकादशी तिथि समाप्त:- 19 अप्रैल 8:04 pm* *काम...